करारोपण का प्रभाव

करारोपण के प्रभाव Single दिशीय न होकर बहुदिशीय पाये जाते हैं जो किसी भी Meansव्यवस्था को विभिन्न Resellerों में परवर्तित करते हैं तथा सरकार या लोकसत्ताओं के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक सिद्ध होते हैं। इसीलिए करारोपण के उत्पादन, वृद्धि तथा वितरण आदि पर पड़ने वाले प्रभाव सरकार द्वारा पूर्व लक्ष्यानुसार तय किये जाते हैं। लेकिन Meansव्यवस्था की प्रकृति And सरकार की क्रियान्वयन नीति भी करारोपण के प्रभावों को अलग-अलग दिशाओं की ओर ले जाने में सहायक होती है।

करारोपण के प्रभाव

वर्तमान में करारोपण का महत्व Meansव्यवस्थाओं के लिए और अधिक बढ़ जाता है कि करारोपण के द्वारा Meansव्यवस्था को किसी भी दिशा में प्रभावित करने में सहायता मिलती है। Single निश्चित समयावधि में Meansव्यवस्था की रोजगार, विकास And वृद्धि, सामाजिक न्याय, आर्थिक-समानता आदि की स्थिति के बाद करारोपण के द्वारा इन महत्वपूर्ण आयामों में जो परिवर्तन पैदा होता है उसे आप करारोपण के प्रभावों के Reseller में देख सकते हैं। प्राय: आपने देखा होगा कि आर्थिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन से न केवल देश की Meansव्यवस्था प्रभावित होती है अपितु सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्थाओं में भी बदलाव देखा जा सकता है लेकिन प्रस्तुत इकाई में मुख्यReseller से आर्थिक चरों पर पड़ने वाले करारोपण के प्रभावों का ही अध्ययन Reseller गया है।

करारोपण के प्रभावों के सम्बन्ध में प्रो0 लर्नर ने अपने विचार निम्न Reseller में व्यक्त किये, ‘‘कर सम्बन्धी नीति बनाते समय उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ या आय प्राप्त करना नहीं होना चाहिए वरन Meansव्यवस्था में स्थिरता बनाये रखने तथा तेजी व मन्दी को रोकना चाहिए। कर प्रणाली का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता को बनाये रखना होना चाहिए।’’

इस प्रकार यह कहना न्याय संगत होगा कि करारोपण के प्रभावों को किसी विशेष आयाम के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। करारोपण के माध्यम से Meansव्यवस्था के All महत्वपूर्ण चरों या आयामों में परिवर्तन Reseller जाता है जिन्हें सामूहिक Reseller से करारोपण के प्रभावों के Reseller में रखा जा सकता है।

करारोपण का उत्पादन पर प्रभाव

उत्पादन किसी भी Meansव्यवस्था का Single महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर करारोपण के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं Reseller जा सकता है। करारोपण का उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना निम्नवत Reseller में की जा सकती है।

  1. कार्यक्षमता And इच्छा पर प्रभाव : करारोपण के द्वारा व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता And कार्य करने की इच्छा पर अलग-अलग Reseller में प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता करारोपण की प्रकृति से सीधे प्रभावित होती है। प्रत्यक्ष करों की अपेक्षा परोक्ष कर निर्धन वर्ग की कार्यक्षमता को नकारात्मक दिशा में प्रभावित करते हैं। इसके साथ बेलोचदार तथा आवश्यक वस्तुओं पर लगाये गये करों से व्यक्ति की कार्यक्षमता दुष्प्रभावित होती है जबकि लोचदार या विलासिता की वस्तुओं पर लगने वाले कर कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाल सकते। वहीं दूसरी ओर व्यक्ति की कार्य करने की इच्छा भी करारोपण द्वारा प्रभावित होती है। प्रो0 मिल के According, ‘‘व्यक्ति केवल धनी नहीं होना चाहता, बल्कि वह दूसरों की अपेक्षा अधिक धनी होना चाहता है।’’ यदि आनुपातिक कर प्रणाली को अपनाया जाता है तो कार्य करने की इच्छा अप्रभावित होगी तथा कर की अन्य प्रणालियाँ कार्य करने की इच्छा को अलग-अलग दिशाओं में प्रभावित करती हैं। करारोपण व्यक्ति को मानसिक Reseller से भी प्रभावित करता है जिसका उस व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता से गहरा सम्बन्ध होता है। बेलोचदार मांग में करारोपण का काम करने की इच्छा पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। आय की मांग लोच इकाई के बराबर होने पर व्यक्ति की कार्य करने की इच्छा अप्रभावित रहती है तथा आय की लोचदार मांग की स्थिति में करारोपण का व्यक्ति की कार्य करने की इच्छा प्रतिकूल Reseller में प्रभावित होती है। जो उत्पादन को भी उसी दिशा में प्रभावित करती है।
  2. बचत करने की क्षमता And इच्छा पर प्रभाव : बचत करने की क्षमता And बचत करने की इच्छा दोनों ही Single बड़ी सीमा तक करारोपण द्वारा प्रभावित होती है। Firstत: देखा गया है कि निर्धन वर्ग की अपेक्षा धनीवर्ग की बचत करने की क्षमता अधिक होती है। यदि कर की दरें प्रगतिशील हैं तो बचत करने की क्षमता दुष्प्रभावित होती हैं। इसके विपरीत बचत करने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। वहीं निम्न आय वर्ग की बचत क्षमता में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है उन्हें कर प्रणाली में सहायता प्रदान की जाय। इसके साथ वितरणीय असमानताओं को कम करने के लिए करारोपण का प्रयोग करके समाज के All वर्गों की बचत करने की क्षमता को प्रभावित Reseller जा सकता है जिसका उत्पादन से गहरा सम्बन्ध है। द्वितीयत: बचत कने की इच्छा भी करारोपण द्वारा प्रभावित की जाती है। कर की प्रकृति, आकार तथा स्वReseller आदि के द्वारा बचत करने की इच्छा अलग-अलग स्तर पर प्रभावित होती है। ब्याज पर कर तथा लाभ-आय पर कर की ऊँची दर से बचत करने की इच्छा प्रतिकूल Reseller से प्रभावित होती है जिसका उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  3. उत्पादन के संसाधनों पर प्रभाव : करारोपण के द्वारा प्रत्यक्ष Reseller से प्रभावित होने के साथ-साथ परोक्ष Reseller से भी प्रभावित होता है। करों के आकार तथा प्रकृति के आधार पर उत्पादन के साधन के ्रयोग तथा स्थानान्तरण पर पड़ने वाले प्रभाव के द्वारा उत्पादन को प्रभावित Reseller जाता है। उत्पादन कार्य में प्रयुक्त साधनों पर लगने वाले करों का भार अधिक है तो उसका उत्पादन की मात्रा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस कर भार से बचने के लिए इन साधनों का प्रयोग गैर कर वाले उत्पादन कार्य में लगाया जाता है जो उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके साथ साधनों पर विशिष्ट तथा मूल्यानुसार करारोपण भी उत्पादन को अलग-अलग Reseller में प्रभावित करता है।
  4. उत्पादन तकनीकी पर प्रभाव : करारोपण का उत्पादन की तकनीकी पर भी गहरा प्रभाव पाया गया है। करों की ऊँची दरें मुद्रा स्फीति की स्थिति पैदा करती हैं जिससे मजदूरी बढ़ने की स्थिति आती है। श्रम संघ तथा अन्य संस्थाएँ मजदूरी में वृद्धि के लिए आवश्यक मानती हैं। फलस्वReseller श्रम प्रधान तकनीकी से पूँजी प्रधान तकनीकी को अधिक वरीयता प्रदान की जाती है। यहाँ पर यह समझना अत्यन्त आवश्यक है कि श्रम की कीमतें किसी भी प्रकार के अधिक मात्रा में करारोपण से सीधे Reseller से प्रभावित होती है। इसके साथ उत्पादन कर तथा अन्य प्रकार के करों से लागतें कम करने के लिए भी उत्पादन की तकनीकी में परिवर्तन करना आवश्यक हो जाता है। लेकिन उत्पादन की तकनीकी पर करारोपण का प्रभाव करों की प्रकृति तथा सरकार की नीति दोनों का संयुक्त परिणाम होता है।
  5. उत्पादन पर अन्य प्रभाव : करारोपण का Single अन्य उत्पादन पर प्रभाव यह पड़ता है कि कर अधिक मात्रा में लगाने से उत्पादन का Reseller तथा डिजायन आदि में परिवर्तन आ जाता है। करारोपण की मात्रा उत्पादन की इकाइयों के आकार, वजन तथा गुणवत्ता को भी किसी न किसी दिशा में प्रभावित करता है। ऊँचे कर उत्पादन की इस दिशा में प्रतिकूल प्रभाव ही डालते हैं।

करारोपण का वृद्धि पर प्रभाव

प्रस्तुत खण्ड के अन्तर्गत करारोपण का वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन Reseller गया है जो वृद्धि के आकार And स्वReseller को निम्नवत प्रभावित करता है।

  1. वृद्धि के आकार पर प्रभाव – करारोपण का उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करके आप यह समझ सकेंगे कि वृद्धि के आकार पर अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। करारोपण वृद्धि की दर को प्रत्यक्ष Reseller से तथा परोक्ष Reseller से भी प्रभावित करता है। वृद्धि दर को तीव्र बनाये रखने के लिए यह आवश्यक होता है कि देश में मुद्रा स्फीति की दर सामान्य स्तर पर बनी रहे। देश में मन्दी तथा तेजी की स्थितियाँ प्रतिकूल न हों। ऐसी स्थिति में वृद्धि की दर प्रतिकूल Reseller से प्रभावित होती है। वृद्धि दर को तीव्र तथा निरन्तर बनाये रखने के लिए सरकार को करारोपण की नीति का सहारा लेना होता है। करों की दर अधिक होने पर प्राय: वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं तथा जनता की क्रयशक्ति कम होती है और देश की Meansव्यवस्था विकृत होती है। इसके विपरती मन्दी की स्थिति में करारोपण की दर को कम करके जनता की क्रय शक्ति को बढ़ाया जाता है तथा उत्पादन की मांग बढ़ती है जिससे वृद्धि दर पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। किसी क्षेत्र विशेष में वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए उत्पादकों को करों में राहत की व्यवस्था की जाती है। जिस क्षेत्र में करों की दर अधिक तथा जटिल होती है उन क्षेत्रों की वृद्धि दरें प्रतिकूल Reseller से प्रभावित होती हैं।
  2. वृद्धि के स्वReseller पर प्रभाव – Meansव्रूवसथाओं को अलग-अलग क्षेत्रों के Reseller में बांटा जाता है जैसे प्राथमिक क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र। सरकार की कोशिश रहती है कि All क्षेत्रों का समान Reseller से विकास हो। इसके लिए यह आवश्यक है कि All क्षेत्रों की वृद्धि दरों को बढ़ाने का प्रयास Reseller जाय। जिन क्षेत्रों में वृद्धि दर की अधिक Need होती है उन क्षेत्रों में करारोपण की नीति को उदार बनाया जाता है तथा वृद्धि दर के अनुकूल Reseller में समायेाजित किये जाने का प्रयास Reseller जाता है। इसके साथ वृद्धि के स्वReseller को निरन्तरता प्रदान करने के लिए भी करारोपण का सहारा लिया जाता है जिससे वृद्धि दर की निरन्तरता का लाभ उत्पादक वर्ग को मिल सके। वृद्धि दर में होने वाले उच्चावचन उत्पादन की कीमत तथा पूर्ति को प्रभावित करता है जिसका उत्पादक वर्ग तथा उपभोक्ता वर्ग दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे Meansव्यवस्था की वृद्धि दर अवरूद्ध होती है। करारोपण की सफल नीति देशों की वृद्धि दर को उच्च स्तर पर ले जाने में सहायक होती है। इसके साथ करारोपण से प्राप्त राजस्व का प्रयोग आवश्यक वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए भी Reseller जाता है जिससे देश के विकास को बढ़ावा मिलता है। इस राजस्व का प्रयोग यदि उत्पादक कार्यों में नहीं होगा तो वृद्धि दर प्रतिकूल Reseller से प्रभावित होगी।

करारोपण का वितरण And संसाधनों के आवंटन पर प्रभाव

करारोपण का वितरण पर प्रभाव

करारोपण द्वारा किसी भी देश में वितरण पर प्रभावों को देखा जा सकता है। Meansव्यवस्थाओं की प्रकृति के According कुछ देशों में करारोपण का आय के वितरण पर स्वत: प्रभाव पड़ता है तो कहीं पर इस वितरण पर प्रभाव डालने के लिए करारोपण की नीति तैयार की जाती है। जिन देशों में आय की वितरणात्मक समस्या कम पायी जाती है वहाँ पर करारोपण के वितरण पर बहुत कम ही प्रभाव पाया जाता है और इन प्रभावों पर ध्यान भी नहीं दिया जाता है। किन्तु अधिकांश देश पिछड़े तथा विकासशील देशों की श्रेणी में आतेहैं जहाँ पर वितरण की समस्या को मुख्य समस्या के Reseller में देखा जा रहा है और आम जनता पर इसका दुष्प्रभाव पड़ा है। इस समस्या को हल करने के लिए सरकाकर को करारोपण का सहारा लेना होता है जिसके प्रभाव करारोपण के आकार, प्रकृति द्वारा निर्धारित होते हैं। इसके साथ इस वितरण की समस्या को कम करने की Need का स्तर भी करारोपण के प्रभावों को निश्चित करता है।

आपको यहाँ पर यह समझना अत्यन्त आवश्यक होगा कि सरकार के सामने केवल आय की वितरणात्मक समस्या को दूर करना ही विकास के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि इस वितरण को कम करने के दुष्प्रभाव, बचत की क्षमता, इच्छा तथा निवेश का स्तर And दिशा आदि अलग-अलग Resellerों में भी पाये जाते हैं। अत: सरकार को इस प्रकारक की राजकोशीय नीति का सहारा लेना होता है कि देश में विरतणीय समस्याओं को भी कम Reseller जा सके तथा इसका धनी वर्ग पर बचत तथा निवेश के संदर्भ में प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े। देश में करारोपण का ढाँचा वितरण को अलग-अलग Resellerों में प्रभावित करता है। ‘बेस्टेबिल’ ने करारोपण तथा वितरण की समस्या पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है, ‘‘करारोपण को धन की असमानताओं को ठीक करने का Single साधन मानने की Single बड़ी दृढ़ धारणा है ….. यह तो वित्तीय कला की शक्ति के अन्दर ही सम्भव है कि करों की दरों और Resellerों को इस प्रकार चुना जाय कि बिना किसी वर्ग पर अनुचित दबाव के आवश्यक धन प्राप्त हो जाय परन्तु यदि धन के वितरण के प्रभावों की ओर ध्यान देना है और इस दिशा में कुछ विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कोई तरकीब करनी है तो इस कार्य में कठिनाइयाँ अत्यधिक हो जाती हैं। यदि उद्देश्य समाजवादी प्रणाली स्थापित करना है तो करारोपण में चालाकी से व्यवस्था करने की अपेक्षा अधिक प्रत्यक्ष और प्रभावशाली विधियाँ उपस्थित हैं।’’ इसी संदर्भ में प्रो0 पीगू ने लिखा है कि, ‘‘यदि राष्ट्रीय लाभांश की मात्रा में कमी न आये तो धन के वितरण में प्रत्येक ऐसा सुधार जिससे लाभांश में से निर्धनों के पास जाने वाली मात्रा में वृद्धि हो जाती हो, सामूहिक कल्याण की अभिवृद्धि करेगा।’’

इस प्रकार स्पष्ट है कि करारोपण का आय के वितरण पर अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों ही दिशाओं में प्रभाव पड़ता है जो Meansव्यवस्था की स्थिति तथा Needओं द्वारा निर्धारित होता है।

करों के प्रकारों के सम्बन्ध में आप समझेंगे कि प्रगतिशील कर आय की वितरणीय असमानताओं को कम करने में सहायक होता है जबकि अधोगामी या प्रतिगामी करों का विरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो Single Meansव्यवस्था के लिए नुकसानदायक होता है। इस प्रकार प्रगतिशील करारोपण द्वारा धनी वर्ग से धन का प्रवाह निर्धन तथा गरीब वर्ग की ओर हो जाता है। इसी प्रकार परोक्ष करों की अपेक्षा प्रत्यक्ष करों का वितरण पर अधिक अनुकूल प्रभाव पड़ता है। परोक्ष करों का वितरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कयोंकि अन्तत: करारोपण का भार निम्न वर्ग तथा मध्यम वर्ग पर ही पड़ता है तथा धनी वर्ग इस प्रभाव से अलग रह जाता है। इसी प्रकार सबसे अच्छा कर आय कर है जो वितरण पर सबसे अधिक अनुकूल प्रभाव डालता है।

इसी क्रम में सम्पत्ति कर का भी वितरण पर अनुकूल प्रभावों को देखा जा सकता है। धनी तथा अधिक सम्पत्ति के मालिकों से कर की वसूली करके निर्धनों के सामाजिक कल्याण पर व्यय Reseller जा सकता है तथा निर्धनों की स्थिति में सुधार करने का प्रयास Reseller जा सकेगा। यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि देश में पूँजी निवेश के लिये धनी वर्ग द्वारा ही बचतें काम आती हैं इसीलिए करारोपण से धनी वर्ग की उस राशि का ही प्रवाह निर्धनों की ओर Reseller जाना चाहिए जो देश के लिए निवेश या पूँजी के लिए Windows Hosting नहीं Reseller जा सकता है।

करारोपण का संसाधनों के आवंटन पर प्रभाव

उत्पादन कार्य में संसाधनों का आवंटन इस प्रकार से करने की समस्या पैदा होती है कि संसाधनों का कुशलतम Reseller में प्रयोग हो तथा उत्पादन अधिकतम हो सके। इसके साथ सामाजिक लाभ में भी वृद्धि हो सके। देश में उत्पादन के स्वReseller, उपयोगिता तथा आकार के चलते संसाधनों के पुन: आवंटन की Need पायी जाती है। इसी तथ्य के साथ करारोपण का सहारा लेकर इस समस्या को हल करने का प्रयास Reseller जाता है। करकारोपण का संसाधनों के आवंटन पर पड़ने वाले प्रभाव अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों ही Resellerों में हो सकते हैं जो कर तथा उत्पादन की प्रकृति पर निर्भर करता है। समाज के लिए हानिकारक वस्तुओं के उत्पादन पर अत्यधिक कर लगाकर इसकी कीमत बढ़ाने से उपभोग में कमी होगी जिससे इसके उत्पादन में लगे साधनों का स्थानान्तरण अधिक उपभोग वाली वस्तुओं And सेवाओं के उत्पादन की ओर होगा जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी तथा सामाजिक कल्याण भी बढ़ेगा। इस प्रकार करारोपण द्वारा जीवन के लिए घातक वस्तुओं के उत्पादन से श्रम व पूँजी व अन्य संसाधनों को हटाकर उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन में लगाया जाता है जो करारोपण का आवंटन पर अनुकूल प्रभाव कहा जायेगा जिससे Meansव्यवस्था And सरकार दोनों को लाभ होगा।

इसके साथ यह भी पाया गया है कि सकरार कर राजस्व को अधिक मात्रा में जुटाने के लिए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन And बिक्री कर अधिक कर लगाती है जिससे इन वस्तुओं की मांग कम होती है तथा समाज में उपभोग भी घटता है या निर्धन वर्ग को हानि होती है तो ऐसे उद्योगों से संसाधनों का स्थानान्तरण नुकसानदाय उद्योगों की ओर होने लगता है जो राष्ट्रीय हित के लिए घातक ही कहा जायेगा। इसके साथ देश में संसाधनों का आवंटन कुशलता के साथ नहीं हो पाता है तथा साधरों की आय की घटना प्रारम्भ हो जाती है और करारोपण का सहारा पुन: आवंटनात्मक कुशलता पैदा करने के लिए Reseller जाता है।

अत्यधिक करारोपण द्वारा उत्पादन के संसाधनों का प्रवाह अपने देश से विदेशों की ओर भी होने लगता है जो देश के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता है और देश में पूँजी की कमी पैदा होती है जो आर्थिक विकास को अवरूद्ध करती है। सरकार विदेशी पूँजी को आकर्षित करने के लिए Single सफल करारोपण की नीति का सहारा लेती है तथा इसका क्रियान्वयन बड़ी सावधानीपूर्वक करती है। कभी-कभी करारोपण की ऊँची दर उपभोग को कुछ समय के लिये रोक देती है तथा उसको भविष्य के लिए Windows Hosting Reseller जाता है। ऐसी स्थिति में संसाधनों का आवंटन वर्तमान समय से भविष्य के उत्पादन के लिए Reseller जाता है।

करारोपण के प्रभाव And Indian Customer Meansव्यवस्था

करारोपण का उत्पादन, वृद्धि पर प्रभावों का अध्ययन करने के बाद आपने करारोपण का वितरण And संसाधनों के आवंटन पर प्रभावों का भी अध्ययन Reseller। प्रस्तुत बिन्दु के अन्तर्गत आप करारोपणके अलग अलग क्षेत्रों में पड़ने वाले प्रभावों के समग्र Reseller से परिचित होंगे तथा Indian Customer Meansव्यवस्था के साथ इन समग्र प्रभावों की प्रासंगिकता से भलीभांति परिचित हो सकेंगे।

इस तथ्य से आप शायद परिचित होंगे कि भारत में बहुकर प्रणाली का प्रचलन है। इसके साथ कुछ मदों पर केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष Reseller से करारोपण का संयुक्त दबाव भी पाया जाता है। Indian Customer कर प्रणाली पर राजनैतिक प्रभावों की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसके साथ भारत में यह तथ्य अत्यन्त परिवर्तनकारी And विचारणीय है कि विशाल भारत में राजनैतिक Singleता And समResellerता का पाया जाना अत्यन्त कठिन है। करों के आरोपण के सम्बन्ध में त्रिस्तरीय व्यवस्था राजनैतिक Reseller में विद्यमान है – केन्द्र सरकार की कर प्रणाली, राज्य सरकारों की कर प्रणाली तथा स्थानीय सरकारों/संस्थाओं की कर-प्रणाली।

भारत में करारोपण की प्रासंगिकता को प्रभावी बनाने के लिए समय-समय पर अनेक कमेटियों तथा मण्डलों का गठन Reseller गया लेकिन Indian Customer कर प्रणाली सम्बन्धी गहन तथा विस्तृत नीतियों के चलते इन प्रभावों को Single दिशीय Reseller नहीं दिया जा सका है। आपको विदित हो कि Indian Customer Meansव्यवस्था विकासशील होने के साथ-साथ मिश्रित Meansव्यवस्था की विशेशतायें रहती हैं जो करारोपण के प्रभावों को बहुदिशीय बना देती हैं। Indian Customer Meansव्यवस्था में कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जो करारोपण के प्रभावों तथा सरकार की नीतियों में सामन्जस्य स्थापित होने में बाधक बन जाती हैं। आइये इन तथ्यों पर गहनता से विचार करें।

  1. विकास की तीव्र दर And आय की वितरणीय असमानताओं को दूर करना
  2. निजीकरण की प्रक्रिया And सामाजिक कल्याण
  3. आर्थिक स्थिरता And निजी क्षेत्र में लाभ की दर
  4. अन्तर्राष्ट्रीय साख And गरीबी-बेरोजगारी की समस्या
  5. कर राजस्व And राजनैतिक लाभ की प्राप्ति
  6. विभिन्न राज्यों तथा केन्द्र के मध्य अच्छे सम्बन्धों की कमी।

ऊपर दिये गये छ: बिन्दुओं पर गहराई से विचार दिया जाय तो Indian Customer Meansव्यवस्था वर्तमान कर प्रणाली तथा उसके प्रभावों के मध्य आपसी तालमेल न बना पाने की स्थिति में है और आये दिन सरकारों के सामने कर तथा मौद्रिक तथा राजकोशीय नीतियों के मध्य सामन्जस्य स्थापित करने के प्रयास किये जाते रहते हैं। ऊपर दिये गये तथ्यों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने के लिये ही करारोपण प्रणाली को Single उपकरण के Reseller में अपनाया जाता है। जहाँ तक Meansव्यवस्था में तीव्र आर्थिक विकास की दर के लिये पूँजी का संकेन्द्रण तथा आय की वितरणीय असमानताओं को दूर करने के लिये पूंजी का प्रसरण के लिये प्रयास किये जाते हैं जिसके लिये करारोपण के प्रभावों के बंटवारे की अत्यन्त Need महसूस की जाती है। करारोपण के Single दिशीय प्रभावों से इस कठिनाई को दूर नहीं Reseller जा सकता है।

Indian Customer Meansव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी समस्या Meansव्यवस्था के स्वReseller को परिवर्तित करने से सम्बन्धित है। तीव्र आर्थिक विकास की गति को आखिरकार कब तक प्राप्त Reseller जाता रहेगा। सामाजिक कल्याण की लागत पर आर्थिक विकास की बात करके करारोपण के प्रभावों के औचित्य को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। राजनैतिक दृष्टिकोण से करारोपण के प्रभावों के औचित्य को राजनेताओं तथा उद्योगपतियों के पक्ष में बनाये रखना करारोपण के अलग-अलग प्रभावों को धूमिल Reseller जाता है। Meansव्यवस्था पर करारोपण के प्रभाव केवल इसके आकार पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि करारोपण के ढाँचे तथा संCreationत्मक व्यवस्था की भी महत्वपूर्ण भूमिका पायी जाती है। Single करोरोपण की मद वस्तुओं And सेवाओं की मांग की लोच को परिवर्तित करती है वही दूसरी मद क्रेताओं की रूचि तथा मांग के निर्धारकों को परिवर्तित करती है।

आपको ध्यान देने की Need है कि वर्तमान में राजकोशीय नीति विकास, रोजगार तथा Meansव्यवस्था नियंत्रण के साथ राजनैतिक नियंत्रण की भी उपकरण बन गयी है। करों में छूट तथा उदारपन की प्रवृत्ति तथा राजकोशीय घाटे की समस्या जैसा विरोधाभास करारोपण के प्रभावों को सीमित करता है। भारत में आर्थिक विषमता करारोपण के प्रभावों के आंकलन के लिए Single महत्वपूर्ण पैमाना बन गया है। Meansव्यवस्था में करारोपण के प्रभावों की मद सम्बन्धी पर्याप्त जानकारी प्रापत किये बिना रोजकोशीय नीति के प्रभावों की अपेक्षा करना सरल कार्य नहीं है।

भारत जैसी Meansव्यवस्था में कई प्रकार की नम्यताओं का अभाव पाया जाता है। कई क्षेत्रों में Singleाधिकारात्मक अनियमिततायें भी पायी जाती हैं। ऐसी स्थिति में मंदी तथा मुद्रा-स्फीति जैसी परिस्थितियाँ Single साथ अस्तित्व में पायी जाती हैं। इसके समाधान के लिए केवल करों में कमी या वृद्धि करके काम नहीं चलाया जा सकता है। इसके लिए करारोपण प्रणाली में समय-समय पर Needनुसार संशोधन की Need पायी जाती है। कई बार सरकारों के कड़े उपायों को भी अपनाना होता है। कड़े उपायों को यदि प्रारम्भ से ही अपनाया जाय तो शायद राजकोशीय नीति के प्रभावों से सम्बन्धित अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान भी सम्भव हो सकता है।

केन्द्र सरकार तथा केन्द्रीय बैंक की राजकोशीय नीति सम्बन्धी उपायों पर भले ही Meansव्यवस्था को Single नई दिशा प्रदान की जा सकती है किन्तु करारोपण व्यवस्था में राज्य सरकारों के हस्तक्षेप से भी करारोपण के प्रभावों में विरोधाभास की स्थिति पैदा हो जाती है। केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों में अलग-अलग राजनैतिक दलों की सरकारों के अस्तित्व के कारण करारोपण के प्रभावों में समग्रता को नहीं देखा जा सकता। आपको यहाँ ध्यान देना आवश्यक है कि भारत में All राजनैतिक दलों के आर्थिक व सामाजिक लक्ष्यों में समResellerता का पाया जाना आवश्यक नहीं है। जिसके आधार पर कर प्रणाली And करारोपा के प्रभाव दोनों को अलग-अलग दिशाओं में देखा गया है।

करारोपण सम्बन्धी नीति निर्धारित करते समय सरकार द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि करारोपण के बाद Single विशेष क्षेत्र में यथास्थिति बनी रहे तथा Single Second क्षेत्र में वांछित परिवर्तन परिलक्षित हो। लेकिन भले ही Single क्षेत्र में करारोपण के प्रभाव न हो लेकिन Second क्षेत्र में परिलक्षित करारोपण के प्रभावों का भी First क्षेत्र में परोक्ष Reseller से प्रभावों को देखा जाता है जिन्हें व्यक्तियों की जिज्ञासाओं, भावनाओं तथा मानसिकताओं के आधार पर और अधिक फैलाया जा सकता है। इस प्रकार करारोपण की प्रणाली के द्वारा सरकार द्वारा यह आशा करना अधिक औचित्यपूर्ण नहीं कहा जा सकता कि करारोपण का प्रभाव केवल वांछित क्षेत्र तक ही सीमित रह पायेगा। सरकार को कर प्रणाली का प्रयोग Single नीतिशास्त्र के Reseller में करने की Need पायी जाती है।

भारत में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष दोनों प्रकार की कर-प्रणाली को अपनाया गया है। प्रत्यक्ष करों के प्रभावों से बचने के लिये परोक्ष करारोपण के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिये हमेशा व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास किये जाते रहे हैं। Indian Customer Meansव्यवस्था अनेक प्रकार की नैतिकता सम्बन्धी समस्याओं से भी भरी है जो करारोपण के प्रभावों को प्रभावहीन करन में महतवपूर्ण सिद्ध होती है। सरकार के कड़े नियम व उपाय करारोपण के प्रभावों को वांछित दिशा की ओर ले जाने में सहायता करते हैं।

जहाँ तक Indian Customer Meansव्यवस्था तथा करारोपण के प्रभावों के अन्तर्सम्बन्ध के सही दिशा में क्रियाशील होने का सवाल है, Indian Customer Meansव्यवस्था में करवंचना तथा कर-चोरी जैसी समस्या भी करारोपण के प्रभावों को उद्देश्यपूर्ण होने से रोकती है। सामाजिक लाभ वाली करारोपण प्रणाली को नागरिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए प्रयोग करना चाहता है। Indian Customer कर प्रणाली का लचीलापन इस करवंचना तथा कर की चोरी को प्रेरित करता है क्योंकि कर प्रणाली में होने वाले परिवर्तन व्यक्ति तथा संस्थानों And उद्यमों की भावी तथा वर्तमान नीतियों को अलग-अलग दिशाओं में मोड़ देने लगते हैं तथा सरकार की करारोपण व्यवस्था तथा करारोपण के प्रभावों को सीमित भी Reseller जाता है।

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