गैर सरकारी संगठन : समस्याएँ तथा निराकरण

गैर सरकारी संगठन कर्इ तरीकों से समाज में समाज के उत्थान के लिए कार्य करती हैं। कमी में संस्थाएँ और संगठन अपने स्तर पर और कमी बड़ी संस्थाओं की मदर से कार्य करती है। कर्इ बार ये संगठन सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे नुक्कड़ नाटक की मदद लेते हैं और कर्इ बार अन्य तरीकों से अपने उद्देश्य की पूर्ति करते है। हमारे समाज में ये संगठन लगभग हर विषय पर अपनी पकड़ बनाते जा रहे हैं जैसे-स्वास्मय रोजगार, उर्जा अध्ययन, प्रकृति And अन्य के लोगों को शिक्षित बनाने में इन संगठनों का बहुत योगदान है और शिक्षा स्वयं ही बहुत सी समस्याओं का निराकरण कर सकती है ये हम All जानते है। किसी भी कार्य को सुचारू Reseller से करने के लिये प्रबंधन अति आवश्यक है। आजकल यूनार्इटेड स्टेट जैसी जगहों के विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम में प्रबंधन कार्यक्रम चला रहे है। जो विशेष Reseller से गैर सरकारी संगठनों के लिये ही है। अपने उद्देश्य को अच्छी तरह और सही समय पर पूरा करने के लिये, इन संगठनों को भी प्रबधन की उतनी ही Need है जितनी किसी भी कार्य को करने के लिये होती है।

समस्याओं की पहचान 

मान लेते हैं कि गरै सरकारी संगठन की शुरूआत करने वाले की भावनायें बहुत अच्छी हैं और वो समाज में अपनी उपस्थिति का ज्ञान अपनी अच्छाइयों से करवाना चाहता है। वो इंसान चाहता है कि वो कुछ ऐसा करे जिससे उसकी शिक्षा का उपयोग हो And साथ ही साथ दूसरो की मदद करें। उसमे अपने घर के आस-पास रहने वाले गरीबों की झुग्गी में मदद करना शुरू Reseller और नाम रखा ‘‘मदद’। उपनी इस संस्था का नाम मदद, जो उसने स्वयं ही रख लिया और उपना ही घर का पैसा लगाया और गरीबों को मदद करना शुरू किय। उसने उनके र्इलाज का ध्यान रखा, अपने डॉक्टर मित्रों के साथ नेत्र शिविर लगाया और उनके बच्चों के लिये पुस्तक And कपड़े खरीद कर बांटे । उसके पड़ोसियों ने इसके बारे में सुना और हरेक ने थोड़ी-थोड़ी मदद करी जिससे वो उन गरीबों की ज्यादा मदद कर पाया। जल्दी ही किसी इसी तरह के बड़े संगठन ने उसके बारे में अखबार में पढ़ा और उसे बड़ी मदद करने के लिये प्रस्ताव माँगा। यहाँ तक तो ठीक था, प्रस्ताव बनाने के लिये उसने इन्टरनेट पर सर्च Reseller और प्रस्ताव जमा कर दिया और उसे बड़ी मदद मिली जिससे उन गरीबों के पड़ार्इ में अच्छे बच्चों को वो विद्यालय भेज सका।

उसके ऐसे काम के बारे में सुनकर और गरीब मदद माँगने आने लगे लिसमें उसके लिये वास्तविक जरूरत मंद को छांटने में उसे दिक्कत होना शुरू हुयी। उसने दोस्तों की मदद माँगी जो मदद करना भी चाहते ये मगर कैसे- वो ये नहीं जानते थे। वो सब उन झोपड़ियो में निचमित तौर पर जाने और जानकारी हासिल करने लगे। पर ज्यादा वक्त नहीं लगा पाते थे कयोकि सबका वक्त कीमती था और इस काम में किसी को पैसा नही मिल रहा था। इसी बीच Single बीमार व्यक्ति जिसकी ये लोग दवा करवा रहे थे अचानक मर गया और उसका परिवार इनसे पैसे निकलवाने के लिये इन्हें जिम्मेदार ठहराने लगा और पुलिस में एफ0 आर्इ0 आर0 करवा दिया। अब इस संस्था को चलाने वाला वास्तविक मुसीबत में आ गया क्योंकि पुलिस ने उससे पंजीकरण नंबर माँगा और संस्था के कागजात माँगें जो और किस तरह उसने पैसे जमा किये उसको अपने दोस्तो और वकीलों की सलाह से किसी तरह उसने अपनी सलाह से किसी तरह उसने अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाया उसे समझ आया-मगर फसने के बाद।

प्रबधन की Need : किसी भी संस्था को चलाने के लिये कानूनी दांवपेच पता होने जरूरी हैं और किसी भी काम को कैसे करना है उसका ज्ञान होना जरूरी है । कानूनी ज्ञान And सरकारी जरूरतो को जानने के साथ अच्छे मिशन को पूरा करने के लिये उनमें तालमेल बिठाने के लिये अच्छी तरह बात करना भी आना चाहिये। सरकार भी ऐसी संस्थाओं की मदद करती है जो अच्छी तरह प्रबंधित हो और सुचारू Reseller से All नियमों का सही तरह से पालन करते हुये काम करती हों। हरेक आपदा से निपटने तथा आपदा प्रबंधन के लिए जब नीतियाँ बनार्इ जाती है तो वो पूर्णResellerेण ‘ज्ञान’ तकनीकि, कुशलता, व्यवसायिक संस्थानों की क्षमता, प्रबंधन की कुशलता, प्रायोगिक अनुभवों पर आधारित होती है।

Single अच्छे परिणाम को पाने के लिए दो मुख्य इकार्इ को आपस में मिलकर कार्यक्रम आवश्यक है और वो है ‘राज्य’ तथा ‘सभ्य समाज’। राज्यों का सीधा सम्बन्ध ज्ञान/जानकारी, तकनीकि, निपुणता, संसाधन से क्षमता से रहता है और वो विभिन्न संस्थानों के माध्यम से All स्वयंसेवी संस्थाओं को उपलब्ध करा सकते है, और इन्ही संसाधनों से परिपूर्ण होकर संस्थाएँ All प्रकार के आपदाओं से निपटने का प्रबंध कर सकती है और समाज की सेवा में बृद्धि कर सकती है।

समस्याओं का सामना तथा निराकरण 

गैर सरकारी संगठनों को सरकार की और से वित्तीय सहायता मिलना इनकी परेशानियॉ खत्म नहीं करता बल्कि उनकी दिक्कतें बढ़ जाती हैं तब जब उन्हें उतनी सहायता नहीं मिलती जितनी उन्हें जरूरत होती है या बीच में वो सहायता बंद हो जाती है । कर्इ बार काम बीच में बंद हो जाता है या दूसरी जगह से सहायता लेने के लिये उन्हे पहला काम अधुरा छोड़ देना पड़ता है। वित्तीय संस्थाओं के अपने नियम और प्राथमिकतायें होती है जो जरूरी नहीं कि संगठनों के हिसाब से हो । इस वजह से काम की निरंतरता और बढोतरी दोनों टूट जाते है।

कर्इ बार संगठनो में नेतृत्व की समस्या आती है मसलन, कर्इ बार शक्ति सम्पन्न व्यक्ति उसके काम को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करता है। इसमे काम करने वाले व्यक्तियों को काम की शुरूआत करने और फैसले लेने में समस्यायें आती है। किसी Single व्यक्ति के नियंत्रण के दवाब में सामूहिक कार्य प्रभावित होता है नये सदस्यों को अनसुना Reseller जाने से और दबा दिये जाने से संस्था के अंदर ही अंदर फूट पड़ने लगती है और अलग-अलग समूह बनने लगते है। कर्इ बार वित्तीय कमियों की वजह से अच्छे कार्यकर्ता नहीं मिलते और संगठन को कम पैसों में कम अच्छी तरह काम करने वालों से काम चलाना पड़ता है जिसमें उन्हे मनोवांछित परिणाम नहीं मिलते और संगठन ज्यादा ऊपर नही उठ पाते। कुछ लोग सच में काम करना चाहते है मगर कुछ दुसरा अच्छा अवसर मिलने तक जो पैसे मिल रहे हों उसी में काम चलाने के लिये काम कर रहे होते हैं जिससे किसी भी संगठन का विकास प्रभावित होता है।

खराब तरह से अभिलेख का प्रबंधन भी काम को प्रभावित करता है। ज्यादातर स्वैच्छिक संगठन में प्रKingीय और तकनीकी योग्यता की कमी होती है जिससे वो अच्छा प्रस्ताव नहीं बना पाते और उन्हें उचित धन मुहैया नहीं हो पाता हैं। इसके अलावा नेताओं और अफसरों से भी उचित सहायता नहीं मिल पाने के कारण ये संगठन अच्छा उद्देश्य होने के बावजूद काम नहीं पाते। जिला स्तर पर या उससे निचले तबके पर जो मुखिया होते हैं वो भी इन संगठनों को काम ठीक से नहीं करने देते ताकि कोर्इ उनसे ऊपर ना हो जाये और उनकी मनमानी चलती रहे। कर्इ बार सिर्फ पन्नों पर चलने वाली संस्थाये अपने राजनैतिक जो तोड़ की वजह से आर्थिक मदद् ले लेते हैं और काम नहीं करते जिस वजह से वास्तव में काम करने वाली संस्थाये भी बदनामी होती है। ये अब All जानते हैं कि कुछ नेता और राजनीतिक दल गैर सरकारी संगठन के नाम पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

सन् 1980 में Single अभियान चलाया गया, Single स्वैच्छिक कार्यकारिणी गठन करने के प्रयास किए गए। जिसे ‘‘Indian Customer स्वैच्छिक कार्यकारिणी’’ का नाम दिया गया। और इसका मुख्य कार्य Single सुलझी नीति का निर्धारण करना तय Reseller गया और इसे इस कार्यकारिणी की आचार संहिता के अन्र्तगत माना गया। और निम्न उद्देश्यों को लक्षित Reseller गया:-

  1. उपयुक्त संस्था का चुनाव जिसे धन मुहैया कराया जा सके। 
  2. सरकारी धन का उपयुक्र्त प्रयोग । 
  3. अधिकारी का उचित इस्तेमाल । 
  4. छोटे स्तर पर कार्यरत संस्थाओं की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ान, इत्यादि। 

गैर सरकारी संगठनों में आने वाली समस्याओं का सामना करने के लिये And उनके निराकरण करने क लिये कुछ कार्य किये जा सकते है जैसे कि –

  •  नेतृत्व करने वालो को अपने विचारों और Wordों का मान रखते हुये पूरी निश्ठा से इन संगठनों को चलाना चाहिए। गरीबों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझने के लिये व्यवसायियों और उद्योगपतियों को भी पूरी निष्ठा के साथ अपने वादों को निभाना चाहिये।
  • जिस प्रकार से नौकरशाही स्वयंसेवी संस्थाओं से व्यवहार करती है उनमें Single तीव्र बदलाव की Need है। और इसी परिवर्तन के पष्चात All संस्काएँ प्रगतिशील तथा प्रभावशीली तरीके से अपने-अपने लक्ष्यों की प्रगति की ओर बढ़ जाएगी। 
  • वित्तिय सहायताओं को और अधिक विज्ञापित Reseller जाना चाहिये और इनके लिये जो आवेदन करने वाली संस्थाये हैं उनकी सहायता करने के लिये प्रशिक्षित सहायक होने चाहिये क्योंकि ज्यादातर छोटी और नर्इ संस्थाओं और संगठनों को अनुभव की कमी होती है। 
  • इस वजह से वित्तिय सहायताओं का उपयोग ही नहीं हो पाता जो सरकार की ओर से होती हैं अत: ऐसी जगहो में गैर सरकारी संगठनों के निर्माण And संचालन के लिये उचित प्रचार होने चाहिए ।
  • वित्तिय सहायताओं को देने का तरीका आसान और सरल होना चहिये तथा वक्त की अध्मियत को ध्यान दिया जाना चाहिये ताकि संगठन अपने कर्मचारियों को वक्त पर वेतन दे सके और सुचारू Reseller से कार्य ले सकें। धन की कमी से कार्य में अड़चन भी आती है। 
  • एन0 जी0 ओ0 को लगातार अपने ढाँचे को सुधारने में भी लगना चाहिये ताकि वो ना सिर्फ समस्याओं का समाधान करें खुद की तरक्की करें और-और अधिक व्यापक स्तर पर कार्य कर सकें। लोगों को जागरूक करें और समस्याओं के प्रति और संवेदनशील बनाये।
  • संगठनों को कार्य करने के लिये प्रशिक्षित लोगों को रखना चाहिये क्योंकि सिर्फ पेर्र णा से काम नहीं बनता, अत: प्रशिक्षण भी नियमित Reseller से जरूरी हैं। 
  • बडे़ संगठनों को अपने कार्यकर्ताओं के लिये Single आर्थिक प्रबन्धन नीति अपनानी चाहिए। 

व्यक्ति प्रबंधन 

व्यक्ति प्रबंधन से यहँा तात्पर्य है कि, लोगो को सही दिशा में तथा सही स्थान पर स्थापित कर के उनका संचालन करना है। और मनुष्य संचालन Single बहुत बड़ी चुनौती है। जो स्वयं से ही संस्थएँ विभिन्न समुदायों से जुड़ी होती है, उनकी समस्याओं के निवारण हेतु, वो सिर्फ मनुष्यों से ही ताल्लुक नहीं रखती बल्कि अनसे सम्बन्धित कर्इ समस्याएँ भी साथ ही जुड़ी होती है। इन All के लिए जो स्थानीय आयामों है उनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। न्यायिक तथा स्थानीय सरकारी आयामों को भी देखा जाता है। वही वातावरणीय, पर्यावरणीय तथा सामाजिक सांस्कृतिक मुददो को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए। ऐसे में स्वयं सेवी संस्थाओं के नेताओं तथा उसके अनुयायीयों का कुशलतापूर्ण ज्ञान तथा परख होना भी आवश्यक है कि किस प्रकार से क्षेत्रीय कार्यो का सलाहकारों को हटाकर उद्देशयों की प्राप्ति की जा सकती है ? इसीलिए Single परिभाशित नेता जो कि स्वैच्छिक संस्थाओं हेतु कार्य करता है, बिल्कुल भी Single (फैक्टरी) कारखाना में कार्य करने वाले प्रबंधक भी तरह नहीं होता, क्यूँकि कारखनों में Single दैनिक दिनचर्या होती है और Single प्रस्तावित प्रक्रिया जो कि हरेक को अपनी भुमिका के Reseller में निभानी होती है। कारखनो को प्रबंधन अथवा नेता को कमी लोगो के सम्मुख आ कर उनकी समस्याएँ सुलझानी हाती है परन्तु वो समस्याएँ उनको कार्यस्थल की होती और सामुदयिक समस्याओं का स्वReseller ही 68 …….होती है वो समुदाय के नेता को कर्इ बार अलग अपनी सीमा को बाहर जाकर भी सुलझायी आज की तारीख में कर्इ विश्वविद्यालयें ने प्रबंधन पर पूरा डिग्री कार्यक्रम शुरू कर दिया है और विशेषकर स्वयं सेवी संगठनों के हित में सोचकर ही कदम उठाया है। क्यूँकि संस्थानों को चलाना भी आसान नहीं है उनके प्रबंधन हेतु भी कुछ मौलिक जानकारी होना आवश्यक है और किसी उद्देश्य प्राप्ति हेतु Single कार्यक्रम बद्ध प्राक्रिया की Need भी है।

शासन 

लाभ कामने वाली तथा ना कमाने वाली, All तरह से कार्य करने वाली संस्थाएँ आज के समय में ‘‘शासन’’ तथा ‘‘अच्छा शासन’’ अथवा ‘कुशल शासन’’ Wordों का प्रयोग बहुत ज्यादा करती है। शासन Word नया नहीं है बल्कि इसका वजूद बहुत समय First से है और विभिन्न संदर्भो में इस Word का प्रयोग होता आया है इससे सम्बन्धित अन्य Wordो से हम इस बात का अंदाज लगा सकते है, जैसे- संयुक्त शासन, विदेशी शासन, या अन्र्ताराष्ट्रीय शासन, राष्ट्रीय शासन, स्थानीय शासन इत्यादि।

इस Word का Means वस्तुत: अलग-अलग व्यक्ति के लिए अलग-अलग है अतएव ही हम All अलग-अलग समय में ‘‘शासन’’ पर बातचीत करते रहते है। वल्र्ड बैंक ने शासन Word के Means को कुछ निम्न प्रकार से Reseller है ‘‘साफसुधरी छाया को बढा़वा देना, पारदर्शिता का ध्यान रखना, तथा जिम्मेदारी लेना’’ और से All चारित्रीक गुण किसी भी संस्था को सफल होने के लिए आवश्यक है। किसी भी कार्य के श्रम को लेने हेतु संस्था में Single अच्छा King आवश्यक है क्यूँ कि आज को समय में आवश्यक है क्यूँ समय ले जाय संस्थाओं के विषयों तथा घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है।

बेहतर शासन 

एशिया का पैसीफिक देशो हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ के सामाजिक उच्चायोग के गरीबी तथा विकास विभाग ने शासन को कुछ चारित्रिक गुणो की Discussion की जो कि निम्न है:-

  • सहभागी
  • Singleमत से जुड़े होना
  • जिम्मेदार तथा पारदश्र्ाी होना 
  • जवाबदेही/प्रत्युत्तर देना 
  • लायक तथा ऊसरदार दोना 
  • नियम/कानून को मानकर चलने वाला 

शासन के कुछ आवश्यक पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक हो, क्योंकि में कुछ कारक है जो कि संस्थाओं में भ्रश्टाचार के लिए जिम्मेदार है और सामाजिक अSafty को भी प्रभावित करते है All प्रकार के निर्णय प्रक्रिया हेतु भी आवश्यक है तथा वर्तमान तथा भविश्य की Humanीय आवश्यकओं हेतु जवाब देही/जिम्मेदारी है।

  1. सहभागिता 
  2. न्यायिक नियम 
  3. पारदर्शिता
  4. जिम्मेदरी 
  5. (मिले जुले प्रकार से बंधन) Agreeी के आधार पर 
  6.  कर्म निश्पक्षता तथा संयोग 
  7. प्रभावशीलता तथा परिपूर्णता 
  8. उत्तरदायित्व 

शासन तथा प्रबंधन 

प्रबंधन तथा शासन का सम्बन्ध बहुत पुराना है तथा विद्वानों ने कहाँ है शासन का कार्य Single अच्छा तथा सही रास्ता दिखाना होता है और कहते है ‘‘शासन काम कोसदी करता है तथा नेतृत्व सही काम करता है।’’ और यही Single बहुत बड़ा अन्तर है दोनो में अतएव शासन Single प्रबंधन दोनो ही मिलकर Single संस्था को चलाते है। शासन Single हमेशा जिम्मदार होता है तथा प्रबंधन का कार्य भी वही संभालता है। परन्तु इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि शासन की जिम्मेदारी कार्यकारिणी परिषद की होती हे उनके साथ उनके पूरे कार्मिक प्रबन्धन भी जिम्मेदारी से कार्य करते हे All तरह की संस्थाओं में जो प्रबन्धन समिति शासन करती है वो अपने कार्य में निम्न विषयों पर ज्यादा ध्यान देती है:-

  1. संस्था हेतु नीति निर्धारण 
  2. समान तथा साधनों को सुचारू Reseller से कार्य करने हेतु मुहैया कराना (संस्था को) 
  3. धन के मामले में जिम्मेदारी तथा पारदश्र्ाीता बरतना 
  4. दरोक स्तर पर नेतृत्व को बढ़ावा देना 

इन सारों के साथ प्रबंधन कुछ और भी विषयों को ध्यान में रखता है वो है:-

  1. कार्ययोजना बनाना तथा उन्हें फलीभूत करना/कार्य में लाना तथा प्रतिपादित करना 
  2. प्रशासन के साथ Appointment सम्बन्ध बनाए रखना ताकि वो अपने कार्ययोजनाओं से जुड़े रहकर आगे बढ़ते रहे 
  3. धनकोषों का संभलकर सदुपयोग करना 
  4. प्रतिवेदन तैयार करना
  • Single साफ सुधरा सच्चा उद्देश्य 
  • Single सही रणनीतिक नियेजन जिसमे उद्देश्य कार्य और परिणाम ऋतय हों 
  • कार्य करने का सही तरीका हो
  • निर्णय लेने की क्षमता हो
  • पैसो का सही उपयोग हो जो सत्यापित Reseller जा सके
  • सही रिपोर्टिगं हो 

ये सब होने से कार्य करने में निश्चित Reseller से निखार आयेगा और किसी भी संस्था की अच्छी छवि बनने से और अच्छा कार्य करने से उसका नाम होगा तथा उसे और भी मदद मिलेगी।

प्रबंधन, संचालन तथा नेतृत्व 

कोर्इ भी एन0 जी0 ओ0 अच्छी तरह कार्य कर सकती है यदि उसका प्रबंधन मजबूत हो And नेतृत्व सुदृढ़ हो। मसलन दवा कंपनियों द्वारा , एड्स और हृदय रोग जैसी बीमारियों के लिये अच्छा पैसा और प्रचार लगा रही है फिर भी जनता में ये डर है कि क्या ये वास्तविक है या सिर्फ ये कंपनियाँ पैसा बना रही है। किन्तु यदि कोर्इ एन0 जी0 ओ0 आगे बढ़ कर समाज में जरूरत मंदो को उस दवा का वितरण उसकी महत्ता बताते हुये और उसकी संयुता बताते हुये सही तरीके से करती है तो लोग उस पर विश्वास करने को बाध्य हो सकते है। इसके लिये एन0 जी0 ओ0 को सही प्रबंधन और सही नेतृत्व की जरूरत होती है जो जानता तक बात को प्रभावशाली तरीके से और व्यवस्थित तरीके से पहुँचा सकें और अपने उद्देश्य में सफल हो सकें। कोर्इ प्रबंधक अपना कार्य अच्छे से कर सकता है मगर नेता वो है जो उसे वो काम करने को कहे और करवा सके।

किसी भी एन0 जी0 ओ0 को नेता की भी उतनी ही Need है जितनी प्रबंधक ऋकी। अत: इन दोनों के संयुक्त Reseller से और सही ताल-मेल के बिना कोर्इ एन0 जी0 ओ0ऋअच्छे से कार्य नही कर सकती। कोर्इ भी नेता अचानक नहीं बन जाता, बल्कि वो सत्त, धीरे-धीरे बनता है अपने कार्य, लगन, लोगो में उठने बैठने, उनकी समस्या सुनने व सुलझाने के प्रयास से, जिससे वो अपने उद्देश्य की पूर्ती करता है। किसी भी नेता को कर्इ तरीकों से परिमापित कर सकते है-

  • दूसरों को अपने रास्ते पे चला सकने वाला 
  • दूसरों से वो काम करवा सकने वाला जो वो करना चाहता हो 
  • दूसरों से कार्य करवाने की क्षमता रखने वाला, विना जोर जबरदस्ती के बल्कि उनकी इच्छा से 
  • किसी ऐसे निशान को दिशा देना और पूरा करवाना तथा करना जो सही हो और दूसरों को भी सही लगे 
  • जब सबसे अच्छे नेतृत्व में कोर्इ कार्यपूरा होता हे तो उसे करने वाले लोग कहते है हमने इसे स्वयं Reseller नेतृत्व करने वाले इंसान में सच्चार्इ और आचार नीतिऋ का होना जरूरी है वर्ना वो Single लंबी पारी नहीं खेल सकेगा। महात्मा गांधी और अब्राहम लिकंन यू ही अच्छे नेता नहीं थे, उन्होने Single बहुत कठिन और सादगी पूर्ण जीवन जीते हुये, विलासिता को भोगते हुये कार्य किये जिससे जनता उनके पदचिन्हों पर चली एन0 जी0 ओ0 को भी ऐसे ही नेतृत्व की जरूरत होती है तभी लोग उनके साथ जुड़ेगे। अच्छे नीतिशास्त्र तथा नैतिकता का होना आवश्यक है। 

मान लें कि कोर्इ एन0 जी0 ओ0 बहुत अच्छे उद्देश्य मसलन शिक्षा के प्रचार के लिये उतरती है। काम करना शुरू करती है -मगर उसे अनुदान की समस्या आती है।फिर किसी तरह अपने मित्रों और पड़ोसियों से वो पैसे इक्कट्ठा करती है किन्तु उसे व्यवस्थित नहीं कर पाती क्योंकि उसके पास सही लोग और तरीके नहीं है। यहाँ पर उसे प्रबंधन की जरूरत हुर्इ। उसने प्रबंधक रखा जो कार्य को सुचारू Reseller से चला सके और अधिक अनुदान जमा कर सके। इतना करने पर भी उसका काम अच्छे से नहीं चला क्योंकि प्रबंधक अपनी टीम से काम करवा पाने की क्षमता नही रखता था। फिर उसे जरूरत हुर्इ Single नेता की जो लोगो को जागरूक कर सके। एन0 जी0 ओ0 को चलाने वाला खुद नेतृत्व के लिये आगे आया और उसने लोगों को समझाना और महत्व बताना शुरू Reseller और काम करवाने में लगा इससे उसके सिर्फ काम करने की जगह- 90 और लोग उसका काम करने लगे। बीच में यदि उसे पैसा खा जाने का लालच आता तो वो वास्तव में काम नहीं कर पाता- ऋऋऋऋ जमा करके घर ले जाता इससे उसका काम तो चल जाता पर सही नाम ना होता और अगली बार उन लोगों से वो अनुदान_ नहीं ले सकता था जिनके पैसे वो खा गया-अत: उसका नीतिशास्त्र/आचारनीति और उच्च नैतिक मूल्य वाला होने की वजह से लोगों ने उसके काम को सराहा And उसकी मद को बड़ी संस्थायें आगे आयीं। इस तरह प्रबंधन और नेतृत्व दोनों की किसी भी संगठन को चलाने में Need है ।

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