समाज क्या है?

साधारणत: मुनष्यों के समूह को समाज कहकर संबोधित Reseller जाता है। यह मनुष्यों के बीच पाए जाने वाले संबंधों की सम्पूर्ण व्यवस्था हैं और यही व्यवस्था समाज And राष्ट्र को पोषित And विकसित करती हैं।

समाज अमूर्त हैं। अत: इसकी कोई औपचारिक सदस्यता नहीं होती हैं समाज का विकास मनुष्यों की अंर्तक्रियाओं के फलस्वReseller होता हैं। अत: मनुष्यों के बिना हम समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं विविध समूहों और उपसमूहों की सदस्यता ग्रहण कर तथा रीतिरिवाज कार्यविधियों, अधिकारिता, पारस्परिक सहयोग और नियंत्रणात्मक विधियों का पालन कर प्रत्यक्ष Reseller से हम समाज की सदस्यता स्वीकार करते हैं।

समाज का Means And परिभाषा

समाज Word संस्कृत के दो Wordों सम् And अज से बना है। सम् का Means है इक्ट्ठा व Single साथ अज का Means है साथ रहना। इसका अभिप्राय है कि समाज Word का Means हुआ Single साथ रहने वाला समूह। मनुष्य चिन्तनशील प्राणी है। मनुष्य ने अपने लम्बे History में Single संगठन का निर्माण Reseller है। वह ज्यों-ज्यों मस्तिष्क जैसी अमूल्य शक्ति का प्रयोग करता गया, उसकी जीवन पद्धति बदलती गयी और जीवन पद्धतियों के बदलने से Needओं में परिवर्तन हुआ और इन Needओं ने मनुष्य को Single सूत्र में बाधना प्रारभ्म Reseller और इस बंधन से संगठन बने और यही संगठन समाज कहलाये और मनुष्य इन्हीं संगठनों का अंग बनता चला गया। बढ़ती हुई Needओं ने Human को विभिन्न समूहों And व्यवसायों को अपनाते हुये विभक्त करते गये और मनुष्य की परस्पर निर्भरता बढ़ी और इसने मजबूत सामाजिक बंधनों को जन्म दिया।

  1. ‘मैकाइवर और पेज’– समाज सामाजिक संबंधों का जाल हैं।
  2. एच.कुले..- समाज उन व्यवहारों का प्रक्रियाओं की Single जटिलता हैं जो प्रत्येक व्यक्ति अन्य के साथ अन्तक्रियाओं के फलस्वReseller उत्पन्न और विकसित होती हैं यह समग्र व्यवस्था इस प्रकार Singleीकृत हैं कि इसके Single भाग में जो कुछ घटित होता हैं वह शेष All को भी प्रभावित करता है।
  3. ओटवे के According- समाज Single प्रकार का समुदाय या समुदाय का भाग है, जिसके सदस्यों को अपने जीवन की विधि की समाजिक चेतना होती है और जिसमें सामान्य उद्देश्यों और मूल्यों के कारण Singleता होती है। ये किसी.किसी संगठित ढंग से Single साथ रहने का प्रयास करते हैं किसी भी समाज के सदस्यों की अपने बच्चों का पालन.पोषण करने और शिक्षा देने की निश्चित विधियां हेाती है।
  4. टेलकट पारसन्स जो उच्च कोटि के सिद्धांतवेता है, कहते हैं कि समाज उन Human सम्बन्धों की पूर्ण जटिलता के Reseller में पारिभाषित Reseller जा सकता है जो क्रियाओं के करने से उत्पन्न हुए हैं और वह कार्य साधन और साध्य के सम्बन्ध के Reseller में किये गये हों, चाहे वह यर्थाथ हो और चिह्न मात्र।
  5. गिन्सबर्ग ने समाज की व्याख्या करते हुए लिखा है कि केवल कुछ व्यक्तियों का किसी बाहरी आपत्ति से भयभीत होकर साथ होना मात्र ही समाज नहीं है। बाढ़ से पीड़ित होकर जब गांव का गांव भाग खड़ा होता है तो यह भी समाज नहीं है। समाज के लिये जहाँ व्यक्ति Singleत्रित होते हैं, वहाँ उनमें पारस्परिक सम्बन्ध अनिवार्य Reseller से होने चाहिए। समाज की व्याख्या करते हुए गिन्सबर्ग लिखते हैं : ऐसे व्यक्तियों के समुदाय को समाज कहा जाता है, जो कतिपय सम्बन्धों या बर्ताव की विधियों द्वारा परस्पर Singleीभूत हों। जो व्यक्ति इन सम्बन्धों द्वारा सम्बद्ध नहीं होते या जिनके बर्ताव भिन्न होते हैं, वे समाज से पृथक होते हैं।
  6. डब्ल्यू0 ग्रीन ने समाज की व्याख्या और भी विस्तृत Reseller से की है : समाज Single बहुत बड़ा समूह है और व्यक्ति उसके सदस्य है। समाज के अन्तर्गत जनसंख्या, संगठन, समय, स्थान और विभिन्न हेतु होते हैं। जनसंख्या के All आयु और लिंगों के व्यक्ति होते हैं। पुरूष, स्त्री, बच्चे और बूढ़े All समाज के सदस्य है। इन सदस्यों के विभिन्न संगठन-परिवार, वर्ग, जाति आदि होते हैं। समाज का Single निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है और सदस्यों के कुछ सामाजिक स्वार्थ और उद्देश्य होते हैं। ये सब समाज के लक्षण है। प्रत्येक व्यक्ति अन्य के साथ अन्तक्रियाओं के फलस्वReseller उत्पन्न और विकसित होती हैं यह समग्र व्यवस्था इस प्रकार Singleीकृत हैं कि इसके Single भाग में जो कुछ घटित होता हैं वह शेष All को भी प्रभावित करता है।
  7. टॅालकाट पारसंस – समाज की परिभाषा Human संबंधों की सम्पूर्ण जटिलता के Reseller में की जा सकती हैं जहॉं तक कि वे साध्य-साधन संबंध चाहे वे वास्तविक हो या प्रतीकात्मक संबंधी क्रियाओं से उत्पन्न होते हैं।

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