शहरी विकास की योजनाएं

1992 में संविधान के 74वें संशोधन के माध्मय से पुन: नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को निर्णय लेने के स्तर पर सक्रिय व प्रभावशाली भागीदारी बनाने का प्रयास Reseller गया है। इसके माध्यम से नगर निकायों (नगर निगम, नगर पलिका, नगर पंचायतों) में शहरी लोगों की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अब शहरों, नगरों, मोहल्लों की भलार्इ उनके हित व विकास संबंधी मुद्दों पर निर्णय लेने अधिकार केवल सरकार के हाथ में नहीं है। 74वें संशोधन ने आम जन समुदाय की भागीदारी को स्थानीय स्वशासन में सुनिश्चित Reseller है। नगरीय निकायों को मिले अधिकारों And दायित्वों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि योजनाओं के निमार्ण And क्रियान्वयन का दायित्व नगरीय निकायों को होगा, यही नहीं केन्द्र And राज्य की योजनाओं का क्रियान्वयन भी नगर निकायों के माध्यम से Reseller जायेगा। यहां इस बात को भी सुनिश्चित Reseller गया है कि योजना निमार्ण प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर चले। जिससे आम जन समुदाय अपनी प्राथमिकता के According योजनाओं के निमार्ण व क्रियान्वयन में अपनी प्रभावशाली भागीदारी निभा सके।

नगरों की उचित व्यवस्था व नागरिकों के सामाजिक व आर्थिक विकास हेतु सरकार द्वारा कर्इ प्रकार की योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन Reseller जा रहा है। नगर विकास की इन योजनाओं की जानकारियां आम नागरिक को होनी अत्यधिक आवश्यक है तभी वह इन योजनाओं में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेगा ओैर योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा।

स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना भारत सरकार द्वारा संचालित योजना है जिसे नेहरू रोजगार योजना, यू बी.एस.पी तथा पी.एम.आर्इ.यू.पी. आदि योजनाओं को Singleीकृत कर उसमें कुछ नये कार्यकलापों को शामिल करते हुए तैयार की गर्इ है। यह योजना Single बहुआयामी योजना है जिसका उद्देश्य नगरीय क्षेत्र के निर्धन बेरोजगार अथवा आंशिक बेरोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार उद्यम अथवा मजदूरी रोजगार के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना है। रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ इस योजना के माध्यम से सामुदायिक सम्पत्तियों का सृजन भी Reseller जाता है। स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना जन सहभागिता के सिद्धान्त पर आधारित है जिसके अन्र्तगत समुदाय का सशक्तिकरण कर उन्हें नियोजन और अनुश्रवण की प्रक्रिया से जोड़ना प्राथमिकता से रखा गया है। इस योजना में सामुदायिक विकास समिति (सी.डी.एस) को केन्द्र बिन्दु मानकर इसके माध्यम से लाभार्थियों का चयन, परियोजना का चयन, प्रार्थना-पत्रों को तैयार करना तथा वसूली का अनुसरण Reseller जा रहा है।

स्वर्ण जयन्ती शहरी विकास योजना के अन्तर्गत पूर्ण And आंशिक Reseller से बेरोजगार व्यक्ति पात्र है। विशेष Reseller से निर्धन महिलाओं के समग्र And सर्वागींण विकास And उनके सुदृढ़ीकरण करने हेतु समाजिक सशक्तीकरण And महिला समूहों की सहभागिता को प्रोत्साहित करते हुए महिलाओं को लाभान्वित Reseller जाता है, साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा विकलांगों के विकास के संबंध में भी विशेष बल दिया जाता है। स्वर्ण-जयंती शहरी विकास योजना केन्द्र And राज्य दोनों सरकार द्वारा वित्त पोशित योजना है जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध करायी जाती है।

स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना में मुख्य Reseller में निम्न 6 उपयोजनायें सम्मिलित की गर्इ हैं।

नगरीय क्षेत्र की मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धन व्यक्ति (महिला And पुरूष)। नगरीय क्षेत्रों में मलिन बस्तियों में निवास करने वाले निर्धनतम व्यक्तियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम वर्ष 1996-97 में प्रारम्भ Reseller गया।

इस योजना के अन्र्तगत निम्न लिखित मूलभूत भौतिक सुविधाओं का प्रावधान है – 

भारत सरकार से प्राप्त दिशा-निर्देशानुसार राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम का क्रियान्वयन भी स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना की भांति Reseller जाता है। इस प्रकार जो मलिन बस्तियां चयनित होती हैं, उनका समग्र Reseller से सर्वांगीण विकास करने का प्रयास Reseller जाता है। जिसके फलस्वReseller यह बस्ती मलिन बस्ती के स्थान पर आदर्श मलिन बस्ती के Reseller में अपनी विशिष्ट पहचान बना सके।राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम शत-प्रतिशत केन्द्र द्वारा वित्त पोषित योजना है जिसमें धनराशियों की स्वीकृतियां प्रदेश सरकार द्वारा बजट के माध्यम से जारीकी जाती है।

राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) 

  1. सिर पर मैला ढ़ोने की घृणित कुप्रथा समाप्त करना।
  2. अस्पृश्यता निवारण And Human अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना। 
  3. नगरों में स्वच्छ वातावरण प्रदान करना।
  4. शुष्क शौचालयों को सस्ते जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित करना। 

कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) के अन्तर्गत उत्तरांचल के शहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्त बस्तियों में निवास करने वाले व्यक्ति लाभाथ्र्ाी होंगे जहां शौचालय नहीं है अथवा शुष्क शौचालय है।

कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) को अस्पृश्यता निवारण And Human अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने तथा नगरों में स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए शुष्क शौचालयों को सस्ते जल प्रवाहित शौचालयों में परिवर्तित किये जाने के साथ Human द्वारा Human मल उठाये जाने की घृणित कुप्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना शुरू की गयी है। उक्त योजना के अन्तर्गत उत्तरांचल के शहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्त बस्तियों में जिसमें शौचालय नहीं है अथवा शुष्क शौचालय है उसमें व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण कराया जायेगा। इस योजना के अन्तर्गत सस्ते जल प्रवाहित व्यक्तिगत शौचालय निमार्ण हेतु शौचालय के कुल निर्माण लागत का 45 प्रतिशत भारत सरकार से सब्सिडी (अनुदान) के Reseller में दिया जाएगा, 5 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था लाभाथ्र्ाी द्वारा स्वयं की जाएगी, तथा 50 प्रतिशत हाउसिंग डेवलेपमेंट कॉपोर्र ेशन (हडको) के माध्यम से ऋण के Reseller में उपलब्ध कराया जाएगा। इस ऋण की अदायगी लाभाथ्र्ाी द्वारा 10 प्रतिशत ब्याज सहित आसान किस्तों में की जायेगी।

कम लागत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण योजना (एल.सी.एस) का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

बाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना 

बाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना (वैम्बे) का उद्देश्य नगरीय क्षेत्र अन्तर्गत निवासरत ऐसे गरीब व्यक्तियों को आवासों का निर्माण करना ह,ै जिनके पास आवास नहीं हं।ै नगरीय क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे तथा दुर्बल आय वर्ग के परिवार पात्र होंगे जिनके पास आवास की कोर्इ समुचित व्यवस्था नहीं है। मलिन बस्तियों में व अन्य स्थानों पर निवास करने वाले निर्धन व्यक्ति (महिला And पुरूष) जिनका आवास जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है।

बाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) के अन्तर्गत पहली प्राथमिकता गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार को दी जाती है। लाभाथ्र्ाी का चयन जिला नगरीय विकास अभिकरण द्वारा सम्बन्धित स्थानीय निकायों (नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत) के सहयोग से Reseller जायेगा। चयन में ऐसे परिवारों को प्राथमिकता दी जायेगी, जिसकी मुखिया महिला होगी। भूमि/आवास पति-पत्नी दोनों के नाम से या केवल पत्नी के नाम से होना चाहिए। वाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना (वैम्बे) में लाभार्थियों को योजना में आरक्षण की व्यवस्था भी की गर्इ है ताकि समाज के उपेक्षित वर्ग को योजना का पूरा-पूरा लाभ मिल सके। आरक्षण की व्यवस्था निम्न है –

  1. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति – 50 प्रतिशत (50 प्रतिशत से कम नहीं) 
  2. पिछडा वर्ग – 30 प्रतिशत 
  3. अन्य दुर्बल आय (सामान्य सहित) – 15 प्रतिशत 
  4. विकलांग – 5 प्रतिशत 

वाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना (वैम्बे) नगरों की मलिन बस्तियों में व अन्य स्थानों पर निवास करने वाले नगरीय गरीबों की मूलभूत Need ‘‘आवास’’ की Single महत्वाकांक्षी योजना है। योजना अन्तर्गत नगर क्षेत्र में निवासरत ऐसे गरीब व्यक्तियों को जिनके पास आवास नहीं है या आवास जीर्ण-क्षीर्ण स्थिति में है उनके लिए आवासों का निर्माण Reseller जाता है। इस योजना के अन्तर्गत यह भी व्यवस्था की गर्इ है कि यदि आवास निमार्ण हेतु लाभाथ्र्ाी के पास भूमि उपलब्ध नहीं है तो नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत तथा अन्य माध्यमों से नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करायी जाती है। निर्मित आवास का न्यूनतम कुर्सी क्षेत्रफल (जितनी भूमि में भवन बनना है) 15 वर्ग मी. होगा। योजना में भवन निर्माण की लागत मैदानी क्षेत्र हेतु रू. 40000/ तथा पहाड़ी क्षेत्र हेतु रू. 45000/ निर्धारित की गयी है। इस लागत का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार का सब्सिडी (अनुदान) तथा 50 प्रतिशत हडको द्वारा ऋण के Reseller में उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत जो आवास बनाये जाते हं ै उनमें शौचालय, अन्य सामान्य And अवस्थापना सुविधाओं का भी प्राविधान है। समूहों में निर्मित होने वाले आवासों हेतु मूलभूत सुविधाओं जैसे विद्युत, सड़क, सीवर लाइन इत्यादि की व्यवस्था राष्ट्रीय मलिन बस्ती सुधार योजना And अन्य योजनाओं की धनराशि के माध्यम से किये जाने की व्यवस्था भी है। वाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना (वैम्बे) का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ के अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

बालिका समृृिद्ध योजना 

बालिका समृ़िद्ध योजना के क्रियान्वयन द्वारा बालिकाओं को त्वरित आर्थिक सहायता मुहैया कराने के साथ ही अब बीमा लाभ की भी सुविधा देकर स्वावलम्बन और सामाजिक Safty प्रदान की गयी है।

  1. लैंगिक सामाजिक असमानता का निराकरण। 
  2. बालिकाओं को बालकों के ही समान समाज में सम्मानित स्थान दिलाना।
  3. बालिका शिशु के जन्म पर परिवार And समाज की पारम्परिक विकृत सोच को बदलना। 
  4. भू्रण हत्या-बालिका शिशु हत्या को हतोत्साहित कर इसकी प्रभावी रोकथाम करना। 
  5. गरीब परिवारों की बालिकाओं को कुपोषण से बचाना। 
  6. बालिकाओं को अच्छी शिक्षा दिलाकर आत्म निर्भर बनाना। 
  7. बालिकाओं को समानता और सामाजिक Safty प्रदान करना। 
  8. समाज और प्रदेश के विकास हेतु बालिकाओं की सहभागिता विकसित करना। 

15 अगस्त 1997 को या इसके बाद जन्म लेने वाली शहरी निर्धन बालिका की माता (2 बालिका तक) जो कि गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार की सदस्य हों, इस योजना हेतु पात्र हं।ै शिशु बालिका का जन्म गरीबी रेखा के नीचे के परिवार में होना चाहिये। Single परिवार की केवल दो शिशु बालिकाओं को ही योजना का लाभ अनुमन्य है बालिका के माता पिता की उम्र 60 वर्ष से अधिक न हो। बालिका शिशु जन्म के Single माह के अन्दर बालिका के माता/पिता/संरक्षक को योजना के अधीन सहायता प्रदान की जाती है। बालिका समृद्धि योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों में बालिका शिशु के पैदा होने के Single माह के अन्तर्गत योजना का लाभ दिया जाता है। योजना के अन्तर्गत बालिका शिशु जन्म के Single माह के अन्दर बालिका के माता/पिता/संरक्षक को योजना के अधीन रू. 500 की धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। यह धनराशि बालिका शिशु के अभिभावकों को नगद या चैक से नहीं दी जाती है बल्कि इसमें से रू. 400 के मूल्य के राष्ट्रीय बचत पत्र दिये जाते हैं और रू. 95 बीमा प्रिमियम दिया जाता है जो बालिका शिशु की 18 वर्ष की अवधि के रू. 25 हजार के बीमा हेतु दिया जाता है। यह बीमा प्रिमियम 18 वर्ष हेतु Single मुश्त (रू. 95 मात्र) ओरियन्टल इन्श्योरेंश कम्पनी को अदा Reseller जाता है। ऐसी बालिकाओं के माता पिता की आयु 60 वर्ष से अधिक न हो। अब बीमा कृत बालिका समृद्वि योजना होने से बालिका के माता-पिता की मृत्यु हो जाने की दशा में भी बच्ची की सामाजिक Safty और परवरिश की उचित व्यवस्था सुनिश्चित है। बीमा राशि आगे बालिका की शिक्षा/विवाह आदि के लिये वरदान साबित होगी। शिक्षारत बालिका का नियमित छात्रवृत्ति प्रदान करने की भी व्यवस्था है।

बालिका समृद्धि योजना के अन्र्तगत बीमा की शर्तेें 

  1. बालिका समृद्धि योजना के अन्तर्गत ऐसी बालिकाओं के माता पिता पात्र नहीं होते हैं जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक न हो। 
  2. माता-पिता दोनों में से किसी Single की दुर्घटनावश मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी बालिका के नाम रू. 25000 जमा करेगी। 
  3. बीमा कंपनी उस बालिका के माता-पिता में से किसी Single अथवा उनके अभिभावक या स्वयं बालिका को उस जमा राशि में से उसकी शिक्षा हेतु आवश्यक धनराशी का भुगतान करेगा।
  4. यदि बालिका की शिक्षा 18 वर्ष की आयु तक जारी नहीं रह पाती है तो 18 वर्ष पूरा हाने पर उनके खाते में जमा अवशेष राशि उसको देय होगी। 
  5. यदि बालिका की मृत्यु 18 वर्ष पूर्ण हाने के First ही हो जाती है तो बालिका के खाते में जमा अवशेष राशि उसके जीवित माता-पिता अथवा अभिभावक को देय होगी। 
  6. अवशेष धनराशि रू. 400 राष्ट्रीय बचत पत्र के माध्यम से भुगतान किये जाने की व्यवस्था है। 

बालिका समृद्धि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय (जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है) से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरांत आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ के अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

नगरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यू.एस.र्इ.पी.) 

उद्देश्य: उक्त योजना के प्रमुख उद्देश्य है-

  1. नगरीय क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार उपलब्ध करना। 
  2. स्वरोजगार अपनाने हेतु नगरीय क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को पे्ररित करना। 
  3. ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमें नगरीय क्षेत्र के पूर्ण अथवा आंशिक बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें। 

उक्त योजना के अन्तर्गत नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाले पूर्ण अथवा आंशिक Reseller से बेरोजगार महिलाएं And पुरूश लाभान्वित होते है। योजना का स्वReseller: नगरीय स्वरोजगार कार्यक्रम उत्तराखण्ड राज्य की All नगरीय निकायों में संचालित है। इस योजना में व्यक्तिगत स्वरोजगारी को रू0 50,000/- तक की लागत की स्वरोजगार उपलब्ध कराने वाली परियोजना स्थापित करने की व्यवस्था है। नगरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अन्तर्गत परियोजना की कुल लागत का 15 प्रतिशत (अधिकतम रू0 7500/-) तक का अनुदान (सब्सिडी) दी जाती है, स्वरोजगारी को कुल परियोजना लागत का 5 प्रतिशत अंश लगाना होता है और शेश धनराशि ऋण के Reseller में राश्ट्रीयकृत बैंकों से उपलब्ध करार्इ जाती है। नगरीय स्वरोजगार कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय जमा करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम 

स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम “ाहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों हेतु प्रमुख उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लागू की गर्इ है-

  1. शहरी निर्धनों को स्वरोजगार हेतु सक्षम बनाना। 
  2. स्वरोजगारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराना। 

इस योजना हेतु नगरीय निकाय क्षेत्रान्तर्गत निवास करने वाले बेरोजगार व्यक्ति (महिला And पुरूश) जो स्वरोजगार अपनाना चाहते हों, का चयन Reseller जाता है। ऐसे बेरोजगार इस योजना के पात्र होंगे जिन्होंने नगरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यू.एस.र्इ.पी.) में आवेदन Reseller हो या इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहते हों।

स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत निर्धन पात्र लाभार्थियों को Needनुसार सम्बन्धित स्वरोजगार में प्रशिक्षण दिलाये जाने का प्रावधान स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत Reseller गया है। जिनकी व्यवस्था जिला शहरी विकास अभिकरण (डूडा) द्वारा आर्इ.टी.आर्इ. /राजकीय संस्थान/सामुदायिक विकास समितियों के माध्यम से की जाती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम कम से कम 3 माह तथा अधिक से अधिक 6 माह तक की अवधि के होते हैं इस अवधि के दौरान कम से कम 300 घंटे प्रशिक्षण होना अनिवार्य है।

प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को रू0 100/- प्रतिमाह छात्रवृत्ति के Reseller में भी दी जाती है तथा रू0 600/- मूल्य का प्रशिक्षण किट उपलब्ध कराया जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक प्रशिक्षणाथ्र्ाी के कौशल विकास हेतु रू0 2000/- प्रति व्यय Reseller जाता है। स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.र्इ.पी.) 

नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य है:-

  1. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले शहरी निर्धनों को मजदूरी के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना।
  2. सामाजिक And आर्थिक Reseller से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराना। 

1991 की जनगणना के According 5 लाख की जनसंख्या से कम वाली स्थानीय निकायों में यह योजना लागू की गर्इ है। नगरीय स्थानीय निकायों की सीमा के अन्तर्गत रहने वाले गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले व्यक्ति (पुरूश And महिला) इस योजना के पात्र होंगे। इस योजना में नगरीय स्थानीय निकायों की सीमा के अन्तर्गत रहने वाले गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले व्यक्तियों को मजदूरी के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराते हुए सामाजिक And आर्थिक Reseller से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराया जाता है। कार्यक्रम में सामग्री तथा मजदूरी निर्धारण 60:40 अनुपात है, यानी कार्यक्रम हेतु उपलब्ध कुल धनराशि का 60 प्रतिशत मजदूरी हेतु तथा 40 प्रतिशत धनराशि निर्माण सामग्री में व्यय की जाती है। न्यूनतम मजदूरी की दरों का निर्धारण समय-समय पर प्रत्येक क्षेत्र के लिए Reseller जाता है तथा उसी के According लाभाथ्र्ाी को इस कार्यक्रम के अन्तर्गत भुगतान Reseller जाता है। इस योजना में सामुदायिक विकास समिति (सी.डी.एस.) द्वारा सर्वेक्षण के आधार पर अपने क्षेत्र के आधारभूत न्यूनतम सेवाओं And Needओं की सूची तैयार की जाती है जिससे निर्धनों को मजदूरी के माध्यम से रोजगार मिलने के साथ-साथ सामाजिक And आर्थिक Reseller से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराया जा सके। सी.डी.एस. द्वारा तैयार की गर्इ सूची में से First उन सेवाओं की पहचान की जाती है जो सबसे आवश्यक हो और उपलब्ध न हो अन्य Needओं को बाद में सूचीबद्ध Reseller जाता है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत उपलब्ध धनराशि से यथासम्भव Needओं को पूर्ण करने का प्रयास Reseller जाता है।

नगरीय मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (यू.डब्लू.र्इ.पी.) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

नगरीय क्षेत्र में महिला And बाल विकास (डवाकुआ) 

नगरीय क्षेत्रों में रहने वाली गरीब महिलाओं के विकास के लिए नगरीय क्षेत्र में महिला And बाल विकास योजना के प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लागू की गर्इ है:-

  1. शहरी निर्धन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर उनमें बचत की आदत डालना। 
  2. सामाजिक And आर्थिक Reseller से लाभकारी सार्वजनिक सम्पत्तियों का निर्माण कराना। 

नगरीय स्थानीय निकायों की सीमा के अन्तर्गत रहने वाले गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाली महिलाएं इस योजना के लाभाथ्र्ाी होंगे। शहरी निर्धन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर उनमें बचत की आदत डालने के साथ-साथ सामूहिक Reseller से उद्यम लगाने हेतु पे्ररित And सक्षम बनाया जाता है। इसके बाद उद्यम हेतु स्वयं सहायता समूहों को उनके द्वारा लगार्इ जाने वाली परियोजना के आधार पर उस परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम रू0 1.25 लाख) का सब्सिडी (अनुदान) उपलब्ध कराया जाता है। परियोजना लागत की शेश धनराशि किसी राश्ट्रीयकृत बैंक के माध्यम से उपलब्ध करार्इ जाती है।

नगरीय क्षेत्र में महिला And विकास (डवाकुआ) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी) 

उक्त योजना के प्रमुख उद्देश्य है:-

  1. शहरी निर्धन परिवारों में बचत की आदत डालकर आर्थिक सक्षमता लाना।
  2. निर्धन महिलाओं को ऋण बचत समूह बनाने हेतु पे्ररित करना। 
  3. शहरी निर्धन परिवारों को सूधखोरों And रिश्वतखोरों से बचाना। 

नगरीय स्थानीय निकायों की सीमा के अन्तर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाली महिलाएं, समूह के Reseller में संगठित होकर लाभ प्राप्त कर सकती है।

 ऋण बचत समूह (थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी) योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने नगरीय निकाय (नगर पंचायत/नगरपालिका परिशद/नगर निगम) कार्यालय से सम्पर्क करें या जिला नगरीय विकास अभिकरण कार्यालय, जो जिला मुख्यालय के नगर निकाय कार्यालय के अन्तर्गत स्थापित है, से पत्र के माध्यम से या स्वयं जाकर योजना की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। इसके उपरान्त आवश्यक दस्तावेजों And औपचारिकताओं के साथ अपना आवेदन पत्र अपनी नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कर योजना का लाभ प्राप्त करें।

ठोस अपशिष्ठ प्रबन्धन And निस्तारण 

माननीय सर्वोच्च न्यायालय व भारत सरकार द्वारा प्रतिपादित नियमतों के अनुReseller उत्तरांचल राज्य में ठोस अपशिष्टों का प्रबंधन And निस्तारण And विशेष अभियान के Reseller में प्रारम्भ Reseller जा रहा है। 

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