लेखांकन क्या है ?

बहीखाता के विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यापारिक सौदों को निश्चित पुस्तकों में विधिवत् लिखना ही बहीखाता या पुस्तपालन है, किन्तु केवल व्यवहारों को निश्चित पुस्तकों में लिखने से व्यापार के परिणाम तथा उसकी वित्तीय स्थिति का ज्ञान प्राप्त नहीं Reseller जा सकता। Single निश्चित अवधि के परिणामों को जानने के लिए विभिन्न लेखों के संग्रहण, विश्लेषण तथा लेखों के सारांश तैयार करने सम्बन्ध् ाी कार्य की Need होती हैं। अत: व्यापारिक परिणामों को जानने के लिए लेखों का संग्रहण करने, वर्गीकृत करने तथा सारांश तैयार करने के कार्य को ही, लेखांकन कहा जाता हैं।

  1. अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक Singleाउण्टेण्ट्स की Wordावली समिति ने लेखाकंन को  परिभाषित Reseller हैं – “लेखाकंन उन व्यवहारों को और घटनाओं को जो अंशत: वित्तीय प्रकृति की होती हैं, मुद्रा के Reseller में अभिप्रायपूर्ण तरीके से लेखा करने, वर्गीकृत करन,े सारांश निकालने तथा उनके परिणामों की व्याख्या करने की कला हैं।”
  2. स्मिथ And एशबर्न के According – “लेखांकन मुख्यतया वित्तीय प्रकृति के व्यापारिक व्यवहारों और घटनाओं का अभिलेखन तथा वर्गीकरण करने का विज्ञान हैं और इन व्यवहारों और घटनाओं का अभिप्रायपूर्ण वित्तीय प्रकृति का सारांश निकालने, विश्लेषण करने तथा परिणामों को उन व्यक्तियों को जिन्हें निश्चित करना है या निर्णय लेना है, सम्प्रेषित करने की कला हैं।”
  3. सरल Wordों में – “लेखाकंन से तात्पर्य व्यापारिक व्यवहारों को वैज्ञानिक रीति से पुस्तकों में लिखने तथा किये गये लेखों को वर्गीकृत कर सारांश तैयार करने व परिणामों की व्याख्या करने की कला से हैं।”

लेखाकंन का कार्य आर्थिक इकाइयों के सम्बन्ध में मात्रात्मक सूचना प्रदान करना है जो मूल Reseller से वित्तीय प्रकृि त की होती है जो आथिर्क निणर्य लेने में उपयोगी होती है लेखांकन किसी संगठन की आर्थिक घटनाओं के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना को पहचानने, मापने, लेखा-जोखा करने And सम्पे्रषित करने की Single ऐसी प्रक्रिया हैं जो इस सूचना के उपयोगकर्ताओं को प्रेशित की जाती है । लेखांकन की प्रकृति को समझने के लिए लेखांकन की परिभाषा में दिए  प्रासंगिक पहलुओं को समझना आवश्यक है :-

* आर्थिक घटनाएँ

आर्थिक घटना से तात्पर्य किसी व्यावसायिक संगठन में होने वाले लेन-देनों से है जिनका मुद्रा में मापन Reseller जा सके। उदाहरणार्थ मशीन का क्रय, स्थापना And निर्माण के लिए उसे तैयार करना Single आर्थिक घटना है जिसमें कर्इ वित्तीय लेन-देन समाहित हैं जैसे कि (क) मशीन का क्रय, (ख) मशीन का परिवहन व्यय, (ग) मशीन के स्थापना स्थल को तैयार करना, (घ) उसकी स्थापना पर Reseller गया व्यय।

* पहचान करना, मापन, लेखा-जोखा And सम्प्रेषण –

पहचान करने का Means यह निर्धारित करना है कि किन लेन-देनों का अभिलेखन Reseller जाय Meansात् उन घटनाओं की पहचान करना जिनका अभिलेखन Reseller जाना हैं। केवल वित्तीय घटनाओं का ही अभिलेखन Reseller जाता है। उदाहरण के लिए माल के नकद अथवा उधार क्रय का अभिलेखन Reseller जाएगा। गैर-वित्तीय प्रकृति के लेन-देन, जैसे कि प्रबन्धकीय नीतियों में परिवर्तन का लेखा पुस्तकों में नहीं लिखा जाता । मापन का Means है मौद्रिक इकार्इ के द्वारा व्यावसायिक लेन-देनों का वित्तीय परिमापन। यदि किसी घटना का मौद्रिक Reseller में परिमापन संभव नही है तो इसका वित्तीय लेखों में लेखांकन नहीं Reseller जाएगा इसलिए प्रबंध निर्देशक की Appointment, महत्वपूर्ण अनुबंध And कर्मचारियों की बदली जैसी आवश्यक सूचनाओं का लेखा-जोखा पुस्तकों में नहीं Reseller जाएगा।

  1. अभिलेखन: जब आर्थिक घटनाओं की पहचान व मापन वित्तीय Reseller में हो जाती है तो इनका मौद्रिक इकाइयों में लेखा पुस्तकों में तिथिवार अभिलेखन कर दिया जाता है। अभिलेखन इस प्रकार से Reseller जाता है कि आवश्यक वित्तीय सूचना का स्थापित परम्परा के According सारांश निकाला जा सके।
  2. सम्प्रेषण: आर्थिक घटनाओं की पहचान की जाती है, उन्हें मुद्रा में मापा जाता है And उनका अभिलेखन Reseller जाता है जिससे आवश्यक सूचना तैयार होती है And इसका प्रबन्धकों And Second आन्तरिक And बाहय उपयोगकर्ताओं को Single विशिष्ट Reseller में सम्प्रेषण होता है। वित्तीय सूचना का लेखा प्रलेखों के माध्यम से नियमित Reseller से सम्प्रेषित Reseller जाता है।
  3. संगठन: संगठन से अभिपा्रय व्यावसायिक इकार्इ से है चाहे उसका उद्देश्य लाभ कमाना है अथवा लाभ न कमाना है।

* सूचना के इच्छुक उपयोगकर्ता:

कर्इ उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण निणर्य लेने के लिए वित्तीय सूचनाओं की अवश्यकता होती है। यह उपयोगकतार्, निवेशकर्ता, लने दार, श्रमसघं आदि हो सकते है।

लेखांकन का विकास

Indian Customer पौराणिक कथाओं के According चित्रगुप्त र्इश्वर की अदालत में लेखा-जोखा रखने का दायित्व निभाता है।
Meansशास्त्र पर पुस्तक का लेखक, कौटिल्य जो कि चन्द्रगुप्त के राज्यों में मन्त्री था ने शताब्दियों First भारत में लेखांकन के प्रचलन का जिक्र Reseller है। उसमें लेखा अभिलेखन की विधि का वर्णन Reseller है। चीन And मिस्र में सरकारी खजाने के राजस्व के अभिलेखों को रखने के लिए लेखांकन का उपयोग होता था ।

इटली के लूकासपेसिओली की पुस्तक अरिथमैटिका ज्योमेट्रिका प्रोपोरशन प्रोपोरशनलिटि पर (रिब्यू ऑफ अरिथमैटिका एण्ड ज्योमैट्रिक प्रोपोरशन) को द्विअंकन पुस्तपालन पर पहली प्रामाणिक पुस्तक माना गया है। अपनी इस पुस्तक में उसने आज के लेखांकन के सर्वप्रचलित Word नाम तथा जमा का उपयोग Reseller। उसने description पत्र, रोजनामचा, खाता बही And लेखांकन प्रक्रिया पर भी विस्तार से Discussion की है। उसने यह भी कहा कि All प्रविष्टियॉं दो बार की जानी चाहिये Meansात् यदि आप Single लेनदार बनाते हैं तो आपको Single देनदार बनाना होगा।

लेखांकन की विशेषताएॅं 

  1. लेखांकन विज्ञान तथा कला दोनों है। 
  2. लेखांकन में केवल वित्तीय व्यवहारों को ही शामिल Reseller जाना है। 
  3. लेखांकन के According पुस्तकों में व्यवहारों का लेखा नियमित Reseller से Reseller जाता है। 
  4. लेखांकन के अन्तर्गत निश्चित बहियों का उपयोग Reseller जाना है। 
  5. इसमें Single निश्चित प्रणाली के अधार पर लेखे किये जाने है।

लेखांकन की शाखाएँ

शताब्दियों से व्यवसाय की बदलती Needओं के कारण लेखांकन की जो विशिष्ट शाखाएँ विकसित हुर्इ वो इस प्रकार है :-

  1. वित्तीय लेखांकन-इसका सम्बन्ध वित्तीय लेन-देनों के लेखा करने, उनके संक्षिप्तीकरण, निर्वचन तथा परिणामों का उनके उपयोगकर्ताओं को सम्प्रेषण से है। इसमें Single अवधि विशेष (जो कि सामान्यत: Single वर्ष होता है) के अर्जित लाभ अथवा हानि का निर्धारण Reseller जाता है तथा लेखा अवधि की समाप्ति पर उस तिथि को वित्तीय स्थिति का निर्धारण Reseller जाता है। यह प्रबन्धकों And अन्य पक्षों को आवश्यक वित्तीय सूचना उपलब्ध कराता है। लेखांकन And वित्तीय लेखांकन Wordों का समान Means में ही उपयोग Reseller जाता है। इस समय तो हम वित्तीय लेखांकन पर ही ध्यान देंगे।
  2. लागत लेखांकन-इसमें व्यावसायिक इकार्इ द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों की लागत का निर्धारण करने के लिए खर्चो का विश्लेषण Reseller जाता है And कीमत का निर्धारण होता है। यह लागत का नियंत्रण करने में सहायता प्रदान करती है तथा प्रबन्धकों को निर्णय लेने के लिए लागत सम्बन्धित आवश्यक सूचना उपलब्ध कराती है।
  3. प्रबन्धन लेखांकन-इसका सम्बन्ध कोष, लागत And लाभ आदि से सम्बन्धित सूचनाएँ देना है इससे प्रबन्धकों को निर्णय लेने तथा इसके निर्णयों And कार्यवाही के प्रभाव तथा विभिन्न विभागों के निष्पादन के मूल्याँकन में सहायक होता है।
  4. कर लेखांकन-लेखांकन की इस शाखा का विकास आयकर, बिक्रीकर आदि जटिल कर कानूनों के कारण हुआ है। Single लेखाकार को विभिन्न कर अधिनियमों का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
  5. सामाजिक लेखांकन-लेखांकन की इस शाखा को सामाजिक रिपोटिर्ंग अथवा सामाजिक उत्तरदायित्व लेखांकन भी कहते है। यह व्यवसाय द्वारा समाज को पहॅुंचाए गए लाभ तथा उन पर आर्इ लागत को उजागर करता है। सामाजिक लाभ में चिकित्सा, आवास, शिक्षा, जलपान, कोष आदि सामाजिक सुविधाएँ सम्मिलित होती है जबकि सामाजिक लागत में कर्मचारियों का शोषण, औद्योगिक अशांति, पर्यावरण प्रदूषण, अनुचित निलम्बन तथा उद्योगों को स्थापित करने से उत्पन्न सामाजिक बुराइयाँ शामिल है।
  6. Human संसाधन लेखांकन-इसका सम्बन्ध व्यवसाय के लिए Human संसाधनों से है । Human संसाधनों का मुद्रा के Reseller में मूल्याँकन करने के लिए लेखांकन पद्वतियों का उपयोग Reseller जाता है इसीलिए यह संगठन में कार्यरत कर्मचारियों का लेखांकन है ।
  7. राष्ट्रीय संसाधन लेखांकन-इसका Means है पूरे राष्ट्र के संसाधनों का लेखांकन जैसे कि जल संसाधन, खनन, जंगल, आदि ।सामान्यत: इसमें Singleल व्यावसायिक इकाइयों का लेखांकन, नही Reseller जाता और न ही यह लेखांकन के सामान्य सिद्धांतों पर आधारित होता है । इसको Meansशात्रियों ने विकसित Reseller है ।
आप वित्तीय लेखांकन के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेगे ।संबंधित समस्त सूचनाएँ आँकड़ों के Reseller में लेखांकन द्वारा उपलब्ध करायी जाती है ।

लेखांकन के सामान्य उद्देश्य 

व्यापार से सम्बन्धित अन्य सूचनाओं को उपलब्ध कराना ही लेखांकन के सामान्य उद्देश्य हैं ।

  1. क्रय-विक्रय तथा शेष माल की जानकारी – समय-समय पर व्यापार में कुल क्रय, विक्रय तथा न बिके माल की जानकारी प्राप्त करना स्वामी के लिए आवश्यक होता हैं । लेखांकन द्धारा इस Need की पूर्ति सरलता से कर दी जाती हैं । 
  2. लेनदारों तथा देनदारों की स्थिति से अवगत करना – आज का व्यापार साख पर आधारित है । अत: प्रत्येक व्यापारी साहूकारों को भुगतान करने व ग्राहकों से रकम वसूल करने के लिए व्यापार में इनकी स्थिति की जानकारी से सदैव अवगत रहना चाहता है । लेखांकन द्धारा इस उद्देश्य की पूर्ति सम्भव होती हैं । 
  3. छल-कपट पर नियंत्रण करना – व्यवहारों का उचित लेखांकन व उनकी नियमित जाँच करने पर कर्मचारियों तथा ग्राहकों द्धारा की जाने वाली छल-कपट की आशंकाओं को नियंत्रित Reseller जा सकता हैं ।
  4. व्ययों पर नियंत्रण करना – अनेक छोटे-छोटे व्यय यद्यपि इनकी राशि कम होती हैं, अधिक होने पर व्यापार की बचत घट जाती हैं । प्रत्येक व्यय का लेखा करने पर अनावश्यक व्ययों को नियंत्रित Reseller जा सकता हैं । 
  5. करो का अनुमान लगाना – विभिन्न प्रकार के करों का निर्धारण व उनकी सम्भावित राशि का अनुमान लगाना व्यवहारों के लेखांकन से ही सम्भव हैं । अत: बहुत से ऐसे व्यापारी हैं, जो करों की भुगतान राशि का अनुमान लगाने के लिए व्यवहारों को लेखा करते हैं । 
  6. लाभ-हानि के कारणों को ज्ञात करना – लेखांकन का उद्देश्य केवल व्यापार के लाभ या हानि को ज्ञात करना ही नहीं हैं, अपितु उन कारणों को भी ज्ञात करना होता हैं, जिनसे व्यापार की लाभ-हानि प्रभावित होती हैं । 
  7. व्यापार का सही-सही मूल्यांकन करना – व्यापार के क्रय-विक्रय के लिए व्यापार की सम्पत्तियों And दायित्वों का सही-सही मूल्यांकन आवश्यक होता हैं । अत: इस Need को लेखांकन के माध्यम से पूरा Reseller जा सकता है ।

लेखांकन के कार्य

लेखांकन का कार्य आर्थिक इकाइयों की सूचना उपलब्ध करना है जो मूलत: वित्तीय प्रकृति की होती हैं तथा जिसे आर्थिक निर्णय लेने में उपयोगी माना जाता हैं ।

  1. विधिपूर्वक अभिलेखन करना-वित्तीय लेखांकन में व्यावसायिक लेन-देनों का विधिपूर्वक अभिलेखन Reseller जाता है, उनका वर्गीकरण Reseller जाता है तथा विभिन्न वित्तीय descriptionों के Reseller में संक्षिप्तकरण Reseller जाता हैं ।
  2.  वित्तीय परिणामों को सम्प्रेषण-इसके माध्यम से शुद्ध लाभ (अथवा शुद्ध हानि) परिसम्पत्तियाँ उपयोगकर्ताओं देयताएँ आदि वित्तीय सूचनाओं का इच्छुक को सम्प्रेषण Reseller जाता हैं ।
  3. वैधानिक दायित्वों की पूर्ति करना-विभिन्न अधिनियम जैसेकि कम्पनी अधिनियम, 1956, आयकर And विक्रय कर /वैट कर का अधिनियम में प्रावधान है जिनके According विभिन्न descriptionें को जमा करना आवश्यक है जैसे कि वार्षिक खाते, आयकर descriptionी, वैट आदि की descriptionी ।
  4. दायित्व का निर्धारण-यह संगठन के विभिन्न विभागों के लाभ का निर्धारण करने में सहायक होता है । इससे विभागीय अध्यक्ष का दायित्व निश्चित Reseller जा सकता है ।
  5. निर्णय लेना-यह उपयोगकर्ताओं को प्रासंगिक आँकड़े उपलब्ध कराता है जिनकी सहायता से वह व्यवसाय में पूँजी के निवेश तथा माल की उधार आपूर्ति करने अथवा ऋण देने के सम्बन्ध में उपयुक्त निर्णय ले सकते हैं ।

लेखांकन की सीमाएँ

  1. लेखांकन सूचनाओं को मुद्रा में व्यक्त Reseller जा सकता हैं: गैर मौद्रिक घटनाओं अथवा लेन-देनों को पूरी तरह से छोड़ दिया जाता हैं । 
  2. स्थायी परिसम्पतियों का अभिलेखन मूल लागत पर Reseller जा सकता हैं : भवन, मशीन आदि परिसम्पत्तियों पर वास्तविक व्यय तथा उस पर आनुसंगिक व्यय का अभिलेखन Reseller जाता है। अत: मूल्य वृद्धि के लिए कोर्इ पा्रवधान नहीं होता। परिणामस्वReseller स्थिति description व्यवसाय की सही स्थिति को नहीं बताता। 
  3. लेखांकन सूचना कभी-कभी अनुमुमानों पर आधारित होती है : अनुमान कभी-कभी गलत भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए अवक्षरण निर्धारण के लिए सम्पत्ति के वास्तविक जीवन का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। 
  4. लेखांकन सूचना को केवल लाभ के आधार पर प्रबन्धन निष्पादन को Only परीक्षण के Reseller में प्रयुक्त नहीं की जा सकती : Single वर्ष के लाभ को कुछ व्यय जैसे कि विज्ञापन, अनुसंधान , विकास अवक्षयण आदि व्ययों को दिखाकर सरलता से हेर-फेर Reseller जा सकता है Meansात् दिखाने की संभावना होती हैं। 
  5. लेखांकन सूचनाएं निष्पक्ष नहीं होती : लेखाकार आय का निर्धारण व्यय पर आगम के आधिक्य के Reseller में करते हैं । लेकिन वह व्यवसाय के लाभ को ज्ञात करने के लिए आगम आय And व्यय की चुनी हुर्इ मदों को ध्यान में रखते है । वह इसमें सामाजिक लागत जैसे कि जल, ध्वनि And वायु प्रदूषण को सम्माहित नही करते । वह स्टाक अथवा अवक्षयण के मूल्याँकन की विभिन्न पद्धतियों को अपनाते है ।

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