भूमण्डलीकरण And उसके प्रभाव

भूमण्डलीकरण की परिभाषा

भूमण्डलीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण विश्व की Meansव्यवस्था को संसार की Meansव्यवस्था के साथ Singleीकृत करना है। वस्तुओं, सेवाओं, व्यक्तियों और सूचनाओं का राष्ट्रीय सीमाओं के आरपार स्वतंत्र Reseller से संचरण ही वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण कहलाता है।

भूमण्डलीकरण का आशय

भूमण्डलीकरण का आशय विभिन्न देशों के बाजारों And उनमें बेची जाने वाली वस्तुओं में Singleीकरण से है। जिसमें विदेशी व्यापार की बढ़ती हुर्इ प्रवृत्ति, उन्नत प्रौद्योगिकी की निकटता आदि के कारण विश्व व्यापार को बढ़ावा मिलता है। भूमण्डलीकरण से सम्पूर्ण विश्व में परस्पर सहयोग And समन्वय से Single बाजार के Reseller में कार्य करने की शक्ति को प्रोत्साहन मिलता है। भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत वस्तुओं And सेवाओं को Single देश से Second देश में आने And जाने के अवरोधों को समाप्त कर दिया जाता है। इसी प्रकार से सम्पूर्ण विश्व में बाजार शक्तियां स्वतंत्र Reseller से कार्य करने लगती हैं। भूमण्डलीकरण के परिणामस्वReseller विश्व के All देशों में वस्तुओं की कीमत लगभग समान होती है। सम्पूर्ण विश्व की Meansव्यवस्था में All व्यापारिक क्रियाओं का अन्तर्राष्ट्रीकरण ही भूमण्डलीकरण के स्वReseller का निर्धारण करता है।

भूमण्डलीकरण के उद्देश्य

भूमण्डलीकरण के माध्यम से विश्व की Meansव्यवस्था को Singleीकृत करके स्वतंत्र And मुक्त व्यापार नीति को अपनाना है। सम्पूर्ण देशों को Single आर्थिक Meansतंत्र के माध्यम से जोड़ना भूमण्डलीकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

भूमण्डलीकरण के द्वारा विश्व-व्यापार का काफी तीव्र गति से विस्तार करना है। इसके विस्तार के निम्नलिखित उद्देश्य हैं।

  1. भूमण्डलीकरण के कारण स्थानीकरण के मौद्रिक घाटा को कम करना। 
  2. बाह्य उदारीकरण के तहत विदेशी वस्तुओं, सेवाओं, प्रौद्योगिकी और पूँजी के आयात से प्रतिबंध हटाना। 
  3. घरेलू उदारीकरण के तहत उत्पादन, निवेश और बाजार व्यवस्था का महत्व बढ़ाना।

भूमण्डलीकरण के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच की Meansव्यवस्था में संCreationत्मक परिवर्तन, उपभोक्ता की अभिरूचि, जीवन शैली, और मांग में बदलाव लाना भूमण्डलीकरण का प्रमुख उद्देश्य रहा है। भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया से बाजार में आंतरिक And बाह्य प्रतिस्पर्धा को तेजी से बढ़ाने के लिए Single से अधिक देशों की Meansव्यवस्था को Single स्वतंत्र व्यापार की संबंधता से जोड़ना रहा है। भूमण्डलीकरण का सबसे प्रमुख उद्देश्य यह रहा है कि विश्व की Meansव्यवस्था पद्धति में Single ऐसी प्रक्रिया को अपनाया जाय जिससे सम्पूर्ण Meansव्यवस्था को सुनियोजित तरीके से स्वतंत्र व्यापार संतुलन बनाया जा सके। विश्व के All देश Single मुक्त व्यापार संगठन की प्रक्रिया में भाग ले सकें। भूमण्डलीकरण के कारण विकसित And विकासशील देशों के साथ Single सामंजस्य की स्थिति को लेकर सम्पूर्ण विश्व की आर्थिक प्रक्रिया में Single विवाद की समस्या बनी हुर्इ है।

भूमण्डलीकरण की Meansव्यवस्था को Indian Customer Meansव्यवस्था के द्वारा समझा जा सकता है। जैसे कि – Indian Customer Meansव्यवस्था में उत्तरोत्तर उदारीकरण के माध्यम से भूमण्डलीकरण करने के लिये किये गये प्रयासों And विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों को लागू करने के परिणामस्वReseller देश की Meansव्यवस्था पर जो प्रभाव पड़े हैं, उनकी समीक्षा तथा आकलन करके भूमण्डलीकरण का Indian Customer Meansव्यवस्था पर प्रभाव को समझा जा सकता है। भूमण्डलीकरण आपसी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। जिसके माध्यम से विश्व के सम्पूर्ण देश उदारीकरण की प्रक्रिया में समान Reseller से भाग ले सके And सामंजस्य बनाये रखे। भूमण्डलीकरण के माध्यम से बुनियादी आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति होती है। उदारीकरण And भूमण्डलीकरण के प्रभावों की समीक्षा करने के लिए विश्व व्यापार संगठन के मुख्य प्रावधानों का देश के कृषि, उद्योग, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विनियोग And सेवा आदि क्षेत्रों का आकलन करना आवश्यक है।

भूमण्डलीकरण को प्रोत्साहित करने वाले कारक 

1. तकनीकी ज्ञान का विस्तार –

भूमण्डलीकरण के कारण विगत 50 वर्षों के दौरान तकनीकी ज्ञान का काफी तीव्र गति से विकास हुआ है। इस तकनीकी ज्ञान के द्वारा परिवहन, प्रौद्योगिकी से अब दूर देशों तक वस्तुओं को कम लागत में पहुंचाना संभव हो गया है। सूचना संचार प्रौद्योगिकी ने विश्व की सम्पूर्ण Meansव्यवस्था को Single सुनिश्चित योजना से स्पष्ट And सरल बना दिया है। संचार सूचनाओं में जैसे – कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल, फोन, फैक्स आदि के द्वारा Single-Second की सम्बद्धता को काफी सरल बना दिया है। भूमण्डलीकरण के द्वारा सूचना, संचार And प्रौद्योगिकी विकास ने विश्व व्यवस्था को विशेष Reseller से प्रभावित Reseller है।

2. उदारीकरण की प्रक्रिया –

आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को आज विश्व के प्राय: All देशों के द्वारा अपनाया जा रहा है। आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाये बिना कोर्इ भी देश वैश्वीकरण से नहीं जुड़ सकता। उदारीकरण का Means है विदेशी पूँजी को पूर्ण उदारता के साथ अपने देश में निवेश की अनुमति प्रदान करना। भारत ने 1991-92 र्इ. में आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाया। 1990 र्इ. के दशक में ही भारत सहित कर्इ विकासशील राष्ट्रों ने उदारीकरण की नीति को अपनाकर भूमंडलीकरण को बढ़ावा दिया है। उदारीकरण से विकसित And विकासशील देशों के बीच Single स्वतंत्र And बाधारहित मुक्त विश्व व्यापार बाजार व्यवस्था में सुधार सम्भव हुआ है।

3. बहुरुराष्ट्रीय कंपनियों का विस्तार –

विश्व के All देशों को Single Second से जोड़ने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विशेष योगदान है क्योंकि ये कंपनियां सुविधा के According किसी भी देश में स्थापित कर दी जाती हैं। विश्व के देशों में जहां पर सस्ता श्रम And स्थापित करने के अन्य सस्ते साधन उपलब्ध होते हैं। वहां ये स्थापित कर दी जाती हैं। जिससे लागत में कमी आती है। इसके साथ ही प्रतियोगिता का कम सामना करना पड़ता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां वस्तुओं, सेवाओं And सूचनाओं को विश्व स्तर पर उपलब्ध कराती हैं। उदाहरण के लिए Single बहुराष्ट्रीय कम्पनी अमेरिका के अनुसंधान केन्द्र में अपने उत्पादों का डिजाइन And आकार तैयार करती है। लेकिन श्रम सस्ता होने के कारण चीन में पुर्जों को तैयार Reseller जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अलग-अलग वस्तु का उत्पादन And निर्माण करती हैं। जिससे कि वस्तु की उत्पादन लागत में कमी आती है। इन कम्पनियों के द्वारा विभिन्न वस्तु के उत्पादन से अधिकतम लाभ प्राप्त Reseller जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विस्तार ने भी भूमंडलीकरण को बढ़ावा दिया है।

4. विदेशी व्यापार में विस्तार –

विदेशी व्यापार के विस्तार से भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया नियंत्रित हुर्इ है। द्वितीय विश्व Fight के बाद लगभग All देशों के विदेशी व्यापार में वृद्धि हुर्इ है। विश्व व्यापार संगठन के द्वारा घरेलू बाजार को भी विश्व बाजार में वस्तुओं And सेवाओं को भेजने का अवसर मिला है। विश्व बैंक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने इस हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विश्व व्यापार के माध्यम से उत्पादन की मात्रा में वृद्धि हुर्इ है। इसके साथ ही प्रत्येक देश के उत्पादकों को प्रतियोगिता में समान अवसर मिला है।

5. व्यापार And प्रशुल्क सम्बन्धी सामान्य समझौता गैट –

द्वितीय विश्वFight के पश्चात विश्व की प्रमुख शक्तियों ने विभिन्न देशों के बीच व्यापार अवरोधों को कम करने और आपसी विवादों को निपटाने के लिए अनेक नियम बनाने पर वार्ताएं आरंभ की। इन वार्ताओं का सार्थक परिणाम 1948 र्इ. में व्यापार और प्रशुल्क सम्बन्धी सामान्य समझौता (General Agriment on Trade and Tarrif, GATT) की स्थापना के Reseller में सामने आया। गैट के प्रशासन का निरीक्षण करने के लिए स्विटजरलैण्ड के जेनेवा नगर में इसका मुख्यालय स्थापित Reseller गया।

गैट के अन्तर्गत व्यापार And प्रशुल्क समझौतों हेतु समय-समय पर बहुपक्षीय वार्ताओं के दौर आयोजित किये गये। गैट का छठा दौर 1964-67 र्इ. तक चला जो केनेडी राउण्ड कहलाया। Sevenवा दौर (1973-79 र्इ.) तक चला जो टोकियो राउण्ड कहलाया। आठवा दौर (1986-93 र्इ.) तक चला जो उरूग्वे राउण्ड कहलाया। यह आठवा दौर गैट के History में अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसमें गैट के महानिदेशक आर्थर डंकेल महोदय ने व्यापार में उदारीकरण हेतु Single प्रस्ताव तैयार Reseller जो डंकेल प्रस्ताव कहलाता है इसमें 117 देशों ने हस्ताक्षर किये थे।

6. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना –

विश्व व्यापार संगठन विभिन्न देशों के मध्य संतुलन And समझौते के परिणाम के Reseller में Single व्यवस्था की स्थापना थी। विभिन्न देशों के मध्य असंतुलन की समस्या को दूर करने हेतु उदारीकरण की प्रक्रिया And मुक्त व्यापार को लागू करने का विश्व व्यापार संगठन माध्यम बना। 15 अप्रेल 1994 र्इ. को जारी मराकश (मोरक्को) घोषणा पत्र में विभिन्न मुद्दों में Single महत्वपूर्ण मुद्दा विश्व व्यापार संगठन का था। इसके According 1 जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की घोषणा की गर्इ। इसने गैट (GATT) का स्थान लिया। घोषणा के अनुReseller 1 जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हो गर्इ। भारत के अतिरिक्त 85 देशों ने विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की Agreeि पर हस्ताक्षर किये थे। विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के माध्यम से विभिन्न देशों के मध्य व्यापार में अधिक विस्तार संभव हुआ। इसने भूमंडलीकरण को बढ़ावा दिया है।

भूमण्डलीकरण का विकास

भूमण्डलीकरण की शुरूआत 16वीं शताब्दी के उपनिवेश काल से ही मानी जाती है। इस अव्यवस्थित प्रक्रिया के विभिन्न प्रकार के गति And अवरोधों के बीच यह व्यवस्था चलती रही। इस प्रक्रिया के चलते विश्व व्यापार में घटक देशों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। आर्थिक Singleीकरण को प्रभावशाली बनाने के लिए सन 1970 र्इ. के दशक से सकारात्मक प्रयास किये गये।

भूमण्डलीकरण के द्वारा इस काल में अंतर्राष्ट्रिय पूंजी बाजार में आशातीत वृद्धि हुर्इ। सन् 1980 र्इ. के दशक में अनेक विकासशील देशों में आर्थिक संकट आया और इन देशों ने अंतर्राष्ट्रिय मुद्रा कोष से ऋण पाने के लिए उसके द्वारा सुझाये गये स्थानीकरण And ढांचागत समायोजन कार्यक्रमों को लागू Reseller।

भूमण्डलीकरण के विकास की प्रक्रिया में शताब्दी के अंतिम दशक में अधिक तीव्रता आर्इ। 1990 र्इ. के दशक से भूमण्डलीकरण को व्यवस्थित Reseller प्रदान Reseller गया। विश्व व्यापार संगठन की स्थापना से इसके विकास में काफी प्रगति आर्इ। दक्षिण एशिया के देश भी उदारीकरण की प्रक्रिया में शामिल हुए। वर्तमान में सूचना And संचार की प्रगति ने भूमण्डलीकरण को बहुत ही सरल बना दिया है। विश्व की समस्त संस्कृतियों को संगठित कर विश्व बाजार संस्कृति की स्थापना करना भूमण्डलीकरण का आधार रहा है।

भूमण्डलीकरण के प्रभाव

1. आर्थिक And राजनीतिक प्रभाव –

भूमंडलीकरण के वर्तमान दौर में कोर्इ भी राजनीतिक घटनाक्रम का प्रभाव सारे संसार को प्रभावित करता है। विश्वFight And उसके परिणामों ने संपूर्ण विश्व को प्रभावित Reseller है। वर्तमान विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का कारण विकसित देश की राजनीतिक हलचल का परिणाम है। प्रांतीय And राष्ट्रिय सीमाओं पर कोर्इ अंकुश नहीं रह गया है। वर्तमान समय में विश्व की Meansव्यवस्था वास्तव में भूमण्डलीकृत आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हुर्इ है। अत: यह स्पष्ट है कि आर्थिक सम्बन्ध जो राजनीतिक वातावरण के कारण विस्तृत हुए हैं उन पर इन सम्बन्धों का विशेष प्रभाव पड़ा है। पूरे विश्व में विकसित देश महाशक्ति के Reseller में उभरकर सामने आये हैं और इनके राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्ध पूरे विश्व को प्रभावित करते हैं। ऐसा भूमण्डलीकरण के कारण ही सम्भव हुआ है।

2. औद्योगीकरण पर प्रभाव –

वर्तमान औद्योगीकरण की प्रक्रिया अठारहवीं शताब्दी में सम्पन्न First औद्योगिक क्रांति की देन है। अर्नाल्ड टायनवी के According – औद्योगिक क्रांति कोर्इ आकस्मिक घटना नहीं थी अपितु विकास की निरन्तर प्रक्रिया थी। औद्योगिक क्रांति इंग्लैण्ड में प्रारम्भ हुर्इ। भूमण्डलीकरण ने औद्योगीकरण को भी प्रभावित Reseller। भारत में वर्ष 1991 र्इ. को घोषित औद्योगिक नीति और बाद में किये के विभिन्न सुधारों के परिणामस्वReseller औद्योगीकरण का काफी विकास हुआ है। यहां सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत आरक्षित उद्योगों की संख्या अब नाममात्र की ही रह गर्इ है। उद्योगों में निजी क्षेत्रों को पर्याप्त अवसर प्राप्त हुए। औद्योगिक नीति के According विभिन्न देशों ने उदारीकरण And निजीकरण की नीति को अपनाया है। Meansव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया। इन नीतियों से भी भूमण्डलीकरण को बढ़ावा मिला है।

3. रोजगार के अवसरों पर प्रभाव –

भूमण्डलीयकरण के कारण मनुष्य की जीवन पद्धति, गुणवत्ता, रहन-सहन And जीवन स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। विश्व व्यापार संगठन के द्वारा प्रतियोगिता बाजार को बढ़ावा मिला है। इसके साथ ही रोजगार के अवसरों में कमी आर्इ है। औद्योगीकरण के द्वारा आधुनिक मशीनों का स्वचलित उपयोग And सूचना प्रौद्योगिकी विस्तार के तीवग्रामी होने कारण Humanीय शक्ति श्रम की गुणवत्ता में कमी आर्इ है। भूमण्डलीकरण ने रोजगार को सर्वाधिक प्रभावित Reseller है। क्योंकि, श्रमिकों को जहां पर अच्छा रोजगार मिलता है, वहीं पर काम करने चले जाते हैं। औद्योगिकीकरण का रोजगार की प्रक्रिया से प्रत्यक्ष संबंध होता है। उदाहरण के लिए उद्योग (कारखाने) का मालिक अपने उत्पादन की लागत को कम करने के लिए श्रमिकों को अस्थार्इ रोजगार प्रदान करता है। ताकि, उसे वर्ष भर वेतन नहीं देना पड़े। भूमण्डलीकरण के कारण रोजगार And कार्यों मध्य Single आपसी अंत:संबंधता की समस्या बनी हुर्इ है। इसी कारण से श्रमिकों को उनके स्तर के According रोजगार नहीं मिल पाता है। जिससे रोजगार के अवसरों पर प्रभाव पड़ता है।

4. गरीबी उन्मूलूलन कार्यक्रमोंं पर प्रभाव –

गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम Indian Customer Meansव्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती है। गरीबी का उन्मूलन करना जैसी समस्या को लेकर पंचवष्र्ाीय योजनाओं के द्वारा गरीबी उन्मूलन के प्रयासों से विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित Reseller गया है। विश्व के अनेक देशों में आज भी गरीबी की समस्या व्याप्त है। गरीबी उन्मूलन सुनिश्चित करने And सन्तुलन बनाये रखने के लिए उदारीकरण के तत्वों को ध्यान में रखना होगा। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के द्वारा रोजगार के अवसरों को बढ़ाना, औद्योगिकीकरण को बढ़ाना, प्रति व्यक्ति आय And व्यक्ति के जीवन में गुणात्मक सुधार करना आदि कार्यक्रमों को लागू Reseller गया है। विकसित And विकासशील देशों के कार्यक्रम अलग अलग हैं। विकासशील देशों में गरीबी की समस्या Single निरपेक्ष न होकर सापेक्ष गरीबी में बदल गयी है। Indian Customer Meansव्यवस्था में भूमण्डलीकरण से उत्पन्न Single सबसे बड़ी समस्या आर्थिक असमानता की है जिसको गरीबी उन्मूलन आदि के द्वारा कम Reseller जा सकता है।

5. कृषि पर प्रभाव –

भूमण्डलीकरण का कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भारत में 90 प्रतिशत कृषक छोटे And सीमान्त कृषि के अंतर्गत आते हैं। कृषकों के पास सीमित पूँजी And आय कम आदि होने के कारण यह कृषक कृषि आधुनिकीकरण की प्रक्रियाओं को कम मात्रा में उपयोग कर पाते हैं। हरित क्रांति के परिणामस्वReseller जिन कृषकों के पास पूंजी थी, उन कृषकों को सबसे अधिक लाभ मिला। लेकिन सीमान्त कृषकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। भूमण्डलीकरण के कारण कृषि उत्पादकता पर भी काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। जैविक खादों का मंहगा होना, कीटनाशक दवार्इयों का मंहगा होना, कृषि शोध में बाधा, जैविक विविधता में बाधा आदि के कारण कृषि की उत्पादकता And कृषि पद्धति काफी प्रभावित हुर्इ है।

6. पर्यावरण पर प्रभाव – 

भूमण्डलीयकरण के फलस्वReseller पर्यावरण का अवनयन And उसकी गुणवत्ता में परिवर्तन हुआ है। तीव्रगामी औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरणीय प्रदूषण, मिट्टी का अम्लीय या क्षारीय हो जाना, अल्पवृष्टि, अतिवृष्टि, सूखा, बाढ़ आदि पर्यावरणीय समस्याओं का जन्म हुआ है। Humanीय क्रियाकलापों And पर्यावरणीय प्रभावों से प्रकृति काफी प्रभावित हुर्इ है। औद्योगिकीकरण में नर्इ वैज्ञानिक तकनीकी के उपयोग की प्रक्रिया से प्रत्येक उद्योग अधिक से अधिक उत्पादन करना चाहता है। जिससे इस उत्पादन में कम लागत, कम श्रम, कम मूल्य वहन करना पड़े जिससे उद्योग को लाभ हो। उद्योगों के स्थानीकरण से उनके अवशिष्ट पदार्थ, धुंए से प्रदूषण, शोर प्रदूषण, आदि से पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। जो भूमण्डलीयकरण की देन है।

भूमण्डलीकरण से उत्पन्न समस्याएँ

1. लघु उद्योगों की समस्या –

भूमण्डलीकरण के द्वारा लघु And कुटीर उद्योगों की समस्या उत्पन्न हुर्इ है। आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के कारण Humanीय श्रमशक्ति को काफी राहत मिली है। जिससे लघु उद्योगों का ह्रास हुआ है। प्राथमिक व्यवसाय द्वितीयक व्यवसाय And परम्परागत व्यवसाय को काफी नुकसान हुआ है। भूमण्डलीकरण के कारण अब लघु And कुटीर उद्योगों के स्थान को स्वचलित मशीनों ने ले लिया है। हमारे बहुत से लघु उद्योग And कुटिर उद्योगों के बंद होने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। हमारा बहुत सा पैसा विदेशी कंपनियों के भारी मुनाफे के Reseller में बाहर चला जाता है।

2. रोजगार की अनिश्चतता –

रोजगार की अनिश्चितता भूमण्डलीकरण की सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार का प्रत्येक Humanीय श्रमिकों के जीवन स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। विश्व व्यापार संगठन And तीव्र प्रौद्योगिकीकरण के द्वारा प्रतियोगिता बाजार को बढ़ावा मिला इसके साथ ही रोजगार हेतु लचीलापन पसंद Reseller जाने लगा। औद्योगिकीकरण के परिणामस्वReseller रोजगार तो मिलता है परन्तु जब उद्योगों को घाटे का सामना करना पड़ता है तो वह ऐसी स्थिति में अपने कारखाने से श्रमिकों को निकालने लगता है। क्योंकि इससे उद्योग को उत्पादन लागत कम प्राप्त होती है। भूमण्डलीकरण Single स्वतंत्र व्यापार Meansतंत्र व्यवस्था है जिसमें श्रमिक अधिक लाभ प्राप्ति के लिए स्थानान्तरण करता है। जिससे रोजगार के अवसरों में अनिश्चितता को बढ़ावा मिला है।

3. विकसित देशों को बढ़ा़वा –

भूमण्डलीकरण से सर्वाधिक लाभ विकसित देशों को मिला है। विकसित देशों के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी का होना And सूचना प्रौद्योगिकी में आगे होने के कारण इन देशों की उदारीकरण की प्रक्रिया को सर्वाधिक प्रोत्साहन मिला है। विश्व व्यापार संगठन के द्वारा Single मुक्त व्यापार की Meansव्यवस्था को लाभ तो मिला है। लेकिन कुछ देश इस व्यापार नीति से संतुष्ट नहीं थे। व्यापार तंत्र के आठवें सेवा व्यापार समझौते के आधार पर All विकसित, विकासशील And संविदा देशों का सेवा व्यापार समझौता हुआ जिसे गैट (GATT) कहा जाता है। सेवा व्यापार समझौता के द्वारा मालूम हुआ कि विश्व व्यापार संगठन से विकसित देशों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। और उनको सर्वाधिक बढ़ावा मिल रहा है।

4. क्षेत्रीय विषमताएँ –

भूमण्डलीकरण से क्षेत्रीय विषमता सर्वाधिक उत्पन्न हुर्इ है। विश्व Meansव्यवस्था की इस विषमता का कारण भौगोलिक विषमता, आर्थिक विषमता, राजनीतिक विषमता आदि है। ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय विषमता घटने की बजाय बढ़ने लगती है। Meansव्यवस्था की असमानता के कारण कुछ छोटे देश विकास की दर से ज्यादा आगे बढ़ रहे हैं। अधिक आबादी वाले देश विकास की दर से नीचे हो रहे हैं। भूमण्डलीकरण And क्षेत्रीय विषमता का अप्रत्यक्ष संबंध होता है। बाजारोन्मुख विकास प्रणाली के परिणामस्वReseller क्षेत्रीय विषमता घटने की बजाय बढ़ने लगती है। क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए विशेष आर्थिक And सांस्कृतिक कार्यक्रमों के विशेष संदर्भ में ध्यान रखना आवश्यक है। भूमण्डलीकरण से उत्पन्न क्षेत्रीय विषमताओं को कम करने के लिए भौतिक, आर्थिक, And नीतिगत पक्षों के संदर्भ को समझना आवश्यक है। भूमण्डलीकरण में इन क्षेत्रीय विषमताओं की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

5. भूमण्डलीकरण And प्रदूषण की समस्या –

भूमण्डलीकरण सम्पूर्ण विश्व से संबंधित Single समाधान And समस्या है। समाधान के तहत यह Single विशेष उद्देश्य की पूर्ति करता है। समस्या के द्वारा यह Humanहित के लिए पर्यावरणीय वस्तुओं की गुणवत्ता में परिवर्तन करता है। वर्तमान में भूमण्डलीकरण से प्रभावित देश And Human ने उद्योग, व्यापार, बाजार And सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी विस्तार Reseller है। लेकिन उद्योगों And परिवहन के द्वारा वन्य जीव-जन्तु को खतरे में दाल दिया है। उद्योगों के कारण होने वाला प्रदूषण जैसे धुएं का होना, शोर का होना, जल प्रदूषण होना, आदि से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हुर्इ है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि के कारण Humanीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

6. भूमण्डलीकरण से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या –

भूमण्डलीकरण से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या सामने आर्इ है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध Single देश से नहीं है। बल्कि सम्पूर्ण विश्व से है। तीव्र औद्योगिकीकरण And परिवहन के द्वारा उत्पन्न हानिकारक विकिरणों के प्रभाव से अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र का हो गया है। विकसित देशों द्वारा विलासिता की सुविधाओं का अत्यधिक उपयोग Reseller गया। भारी मात्रा में वातानुकूलित गैसों का उपयोग And मोटर वाहनों द्वारा वायू प्रदूषण आदि के द्वारा अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र के होने से Single नर्इ समस्या का जन्म हुआ है। जिससे वहाँ की बर्फ पिघलकर समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, तापमान में वृद्धि आदि समस्याओं ने विश्व के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। पर्यावरणीय प्रदूषण के साथ वायुमण्डल में कार्बन डाइ आक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइ आक्साइड, आदि गैसों के बढ़ते प्रभाव से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या सम्पूर्ण विश्व के देशों में समान Reseller से बनी हुर्इ है। यह विश्व के लिए Single ज्वलंत समस्या बन जायेगी जिससे विश्व को बड़ा भारी खतरा हो सकता है। भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का जन्म हुआ है।

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