भारत सरकार अधिनियम 1919
सन 1919 में जलियावाला बाग की दुर्घटना के विरोध में दिल्ली, लाहौर आदि स्थानों में उपद्रव हुए और पंजाब के कुछ भागों में फौजी शासन लगा दिया गया। नेताओं की गिरफ्तारी से असंतोष की अग्नि और भडक उठीं इस तूफान तथा विपत्ति के वातावरण में 1918 की रिपाटेर् में की गर्इ शिफारिशों से युक्त Single बिल संसद में 2 जून 1919 को प्रस्तुत Reseller गया। वह दोनो सदनों में 18 दिसम्बर, 1919 को स्वीकृत हो गया तथा 23 दिसम्बर, 1919 के दिन उस पर सम्राट की स्वीकृति प्राप्त हो गयी।
1919 के अधिनियम की मुख्य धाराऐं –
- 1919 के अधिनियम के द्वारा भारत के प्रशासन में बहुत से परिवर्तन हुए। First भारत मंत्री को वेतनआदि भारत के राजस्व में से मिलता था। इस नये अधिनियम के द्वारा इस बात की व्यवस्था की गर्इ कि भविष्य में उसे वते नआदि ब्रिटिश राजस्व से प्राप्त हागे ा।
- 1919 के अधिनियम के द्वारा Single सदन वाले केन्द्रीय सदन के स्थान पर दो सदन वाले विधान मण्डल की स्थापना की गर्इ।
- केन्द्रीय विधान सभा का कार्यालय तीन वर्ष तथा राज्य परिषद का कार्यकाल 5 वर्ष होता था तथा इस अवधि को गवर्नर जनरल बढा सकता था। अंतिम विधान सभा 11 वर्षो तक कार्य करती रही।
- मताधिकार समिति ने सिफारिश की थी कि केन्द्रीय विधानसभा के चुनाव प्रत्यक्ष पद्धति से होने चाहिए।
- केन्द्रीय विद्यालय मण्डल के दोनों सदनों के मतदान का अधिकार बहुत अधिक सीमित कर दिया गया। राज्य परिषद के संबंध में मतदाताओं के लिये आवश्यक था कि वे या तो 10,000 से लेकर 20,000 Resellerये की वार्षिक आय पर आय कर देने वाले हों अथवा 750 रू से 5000 Resellerये तक भूमि कर देने वालों हो।।
- गवर्नर-जनरल को अधिकार दिया गया कि वह सदनों की बैठक बुला सकता है, स्थगित कर सकता है तथा सदनों को तोड़ भी सकता है।उसे इस बात का भी अधिकार था कि वह दोनो सदनों के सदस्यों के सम्मुख भाषण दे।
- केन्द्रीय विधान मण्डल को बहुत विस्तृत अधिकार दिये गयें केन्द्रीय धारा सभा केन्द्रीय कार्यकारिणी के सम्मुख असहाय थी। कार्यकारिणी धारा सभा में न केवल स्वतंत्र थी, अपितु लगभग All विषयों में वह उसके निर्णयों को रद्द करने का अधिकार रखती थी।