प्रोटीन के कार्य
प्रोटीन नाम First सन् 1938 में वैज्ञानिक मुल्डर (Mulder) द्वारा प्रस्तावित Reseller गया। इस Word का उद्गम ग्रीक भाषा के ‘‘प्रोटियोस’’ (Proteose) Word से हुआ जिसका आशय है ‘First आने वाला’ (To come first)। यह नाम इसलिए प्रस्तावित हुआ क्योंकि उस समय भी यह तत्व जीवन के लिए सबसे प्रमुख तत्व माना जाता था।
Human शरीर सूक्ष्मतम् इकाइयों कोशिकाओं (cells) से बना है। Human शरीर इन सूक्ष्म इकाइयों से उसी प्रकार बनता है जिस प्रकार कोर्इ भवन र्इटों को Single के ऊपर Single चुनने से बनता है। प्रोटीन कोशिकाओं का मुख्य अवयव है।
प्रोटीन की अधिकांश मात्रा मांसपेशीय ऊतकों में पार्इ जाती है तथा शेष मात्रा रक्त, अस्थियों, दाँत, त्वचा, बाल, नाखून तथा अन्य कोमल ऊतकों आदि में पार्इ जाती है। शरीर में पार्इ जाने वाली प्रोटीन का 1/3 भाग माँसपेशियों (Muscles) में, 1/5 भाग अस्थियों, उपस्थियों (Cartilage), दाँतों तथा त्वचा में पाया जाता है तथा शेष भाग ऊतकों (Tissues) व शरीर के तरल द्रवों जैसे रक्त-हीमोग्लोबिन, ग्रन्थिस्त्राव आदि में पाया जाता है।
प्रोटीन अपने आप में Single कार्बनिक यौगिक है, जो विभिन्न अमीनो अम्लों से बना है। प्रोटीन में मुख्य रुप से कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन होते हैं। इससे अतिरिक्त प्रोटीन के कुछ प्रकारों में फॉसफोरस तथा सल्फर की भी अल्प-मात्रा विद्यमान होती है। प्रोटीन में उपस्थित मुख्य अवयवों की प्रतिशत मात्रा इस प्रकार होती है-कार्बन 50 प्रतिशत, हाइड्रोजन 7 प्रतिशत, ऑक्सीजन 23 प्रतिशत, नाइट्रोजन 16 प्रतिशत, सल्फर 0.3 प्रतिशत तथा फॅसफोरस 0.3 प्रतिशत।
प्रोटीन के कार्य
प्रोटीन शरीर के लिए अत्याधिक आवश्यक And उपयोगी तत्व है। यह तत्व न केवल शरीर के निर्माण And वृद्धि के लिए आवश्यक है,वरन् शरीर के रखरखाव के लिए भी इनका विशेष महत्व है।प्रोटीन की शरीर के लिए उपयोगिता And Need प्राणी की ‘भू्रणावस्था’ से ही प्रारम्भ हो जाती है तथा जब तक शरीर रहता है, तब तक किसी न किसी मात्रा में प्रोटीन की Need बनी रहती है।
1. शरीर की वृद्धि And विकास के लिए उपयोगी-
शरीर की वृद्धि And विकास के लिए प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्थान है। भ्रूणावस्था से ही जैसे-जैसे शरीर का विकास होता है, वैसे-वैसे और अधिक मात्रा में प्रोटीन की Need होती है।
2. शरीर की क्षतिपूर्ति And रखरखाव के लिए उपयोगी-
हमारे शरीर की कोषिकाओं में निरन्तर टूटफूट होती रहती है, इसलिए क्षतिपूर्ति आवश्यक है। शरीर की इस क्षतिपूर्ति के लिए प्रोटीन सहायक है। यह शरीर के नए तन्तुओं के निर्माण तथा टूटी-फूटी कोषिकाओं की मरम्मत करता है, इसलिए यदि कोर्इ दुर्धटनावश शरीर में चोट लग जाए, कट जाए या जल जाए तो शरीर के पुन: स्वस्थ होने के लिए उसे अतिरिक्त मात्रा में प्रोटीन की Need होती है। किसी कटे स्थान से बहने वाले रक्त को रोकने में भी प्रोटीन सहायक होती है। हमारे रक्त में फाइब्रिन नाम प्रोटीन होती है जो रक्त का थक्का बनाती है, फलस्वरुप रक्त का बहना रुक जाता है।
3. शरीर में ऊर्जा-उत्पादन के लिए उपयोगी-
शरीर में आवश्यक ऊर्जा के उत्पादन के लिए भी प्रोटीन उपयोगी है। Single ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में वसा व कार्बोज प्राप्त नहीं होते, तब शरीर को प्रोटीन से ही ऊर्जा And शक्ति प्राप्त होती है।
4. एंजाइम्स तथा हार्मोंस के निर्माण के लिए उपयोगी-
शरीर के सुचारु रुप से कार्य करने के लिए एंजाइम्स तथा हार्मोंस का विशेष महत्व है। विभिन्न एंजाइम्स तथा हार्मोंस के निर्माण में प्रोटीन विशेष रुप से सहायक होती है। शरीर के लिए उपयोगी, विभिन्न नाइट्रोजनयुक्त यौगिकों के निर्माण में भी प्रोटीन सहायक होती है।
5. रोग-निरोधक क्षमता उत्पन्न करने में उपयोगी-
शरीर पर विभिन्न रोगों का आक्रमण होता रहता है, परन्तु शरीर अपनी स्वाभाविक रोग-निरोधक क्षमता के कारण स्वस्थ बना रहता है। प्रोटीन शरीर में इस रोग निरोधक क्षमता को उत्पन्न करने And बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।