पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण

पर्यावरण प्रदूषण औधोगिक धन्धों के कारण ज्यादा प्रभावित है जब कोई वस्तु किसी अन्य अनचाहे पदार्थो से मिलकर अपने भौतिक रासायनिक तथा जैविक गुणों में परिवर्तन ले आती है और वह या तो उपयोग के काम की नही रहती अथवा स्वास्थय को हानी पहुॅचाती है तो वह प्रक्रिया परिणाम दोंनो ही प्रदूषण कहलाते है । वह पदार्थ अथवा वस्तुएँ जिससे प्रदूषण होता है । प्रदूषण या pollution Word की उत्पत्ति लेटिन भाषा के polluere Word से हुई । इसका Wordिक Means होता है मिट्टी में मिला देना व्यापक Meansों में इसे विनाश अथवा विध्वंस अथवा नाश होने से जोडा गया है । वे पदार्थ जिसकी उपस्थिति से कोई पदार्थ प्रदूषित हो जाता है, प्रदूषक कहलाता है। आधुनिक युग में Human जैसे-जैसे प्रगति के अनेक सोपान तय कर रहा है , इसके साथ ही इस वैज्ञानिक युग के अभिशाप उसे ग्रसित करने लगे है । पर्यावरण प्रदूषण को संभवत: आज के समय का सबसे बडा अभिशाप कहा जा सकता है। बढते हुए औधोगिकरण , जनसंख्या वृद्वि व वनों के धटने के कारण पर्यावरण में अवांछनीय परिवर्तन हो रहा है । जिसका दुष्प्रभाव All जीव जंतुओं पर पड रहा है इसे ही प्रदूषण कहते है इसका अध्ययन आज के सन्दर्भ में अति आवश्यक है ।

प्रदूषण का शाब्दिक Means है “गन्दा या अस्वच्द करना” साधारण Wordों में प्रदूषण पर्यावरण के जैविक तथा अजैविक तत्वों के रासायनिक,भौतिक तथा जैविक गुणों में होने वाला वह अवांछनीय परिवर्तन है। जो कि Humanीय क्रिया-कलापो के कारण होता है । वस्तुत: प्रदूषण का मूल तात्पर्य शुद्वता के हृास से है लेकिन वैज्ञानिक Wordावली में पर्यावरण के संगठन में उत्पन्न कोई बाधा जो समपूर्ण Human जाति के लिये द्यातक हो ,उसे प्रदूषण कहा जाता है ।

पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा

  1. लार्ड केनेट के According :-“पर्यावरण में उन तत्वों या ऊर्जा की उपस्थिति को प्रदूषण कहते है ,जो मनुष्य द्वारा अनचाहे उत्पादित किये गये हो ।” 
  2. ओडम के According :- “प्रदूषण हवा ,जल , एंव मिट्टी के भौतिक ,रासायनिक एंव जैवकीय गुणों में Single ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है कि जिसमें Human जीवन ,औद्योगिक प्रक्रियाएं ,जीवन दशाएं तथा सांस्कृतिक तत्वों की हानि होती है । उन All तत्वों तथा पदार्थों को जिनकी उपस्थिति से प्रदूषण उत्पन्न होता है प्रदूषक कहते है ।” 
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति की विज्ञान सलाहकार समिति ने प्रदूषण को इस Reseller में परिभाषित Reseller है –“ मनुष्य के कार्यो द्धारा ऊर्जा-प्राReseller ,विकिरण-प्राReseller, भौतिक एंव रासायनिक संगठन तथा जीवों की बहुलता में किये गये परिवतनों से उत्पन्न प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण आस-पास के पर्यावरण में अंवाछित एंव प्रतिकूल परिवर्तनों को प्रदूषण कहते है । 
  4. राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान परिषद् के According- ‘‘Humanीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों के Reseller में पदार्थों And ऊर्जा के विमोचन से प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को प्रदूषण कहते हैं।’’ प्रदूषण हमारे चारों ओर स्थित वायु, भूमि और जल के भौतिक, रसायनिक और जैविक विशेषताओं में अनावश्यक परिवर्तन है, जो Human जीवन की दशाओं और सांस्कृतिक संपदा पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत 

1. उत्पत्ति एंव स्रोत आधार पर –

  1. प्राकृतिक प्रदूषक 
  2. Humanनिर्मित प्रदूषक 

2. दृश्यता के आधार पर –

  1. दृष्टिगत प्रदूषक – 
  2. धुआँ,धूल,सीवर जल, कचरा। 
  3. अदृश्य प्रदूषक- अनेक जीवाणु जल व मृदा में मिश्रित रसायन 

3. प्रदूषकों की प्रकृति के आधार पर –

  1. ठोस अपशिष्ट-ये औधोगिक अपशिष्ट होते है जिन्हें सामान्य भाषा में कूडा कर्कट कहते है । ये कचरा रसोई , मांसधरों , डिब्बों ,बोतल ,उद्योग आदि से नि:सृत होता है । उद्योगों व धरों से प्राप्त राख , इमारतें तोडने से उपलब्ध मलबा , प्लास्टिक ,मृत जन्तुओं के कंकाल , खनिजखानों से निकल अपशिष्ट आदि इसमें शामिल है । 
  2. द्रव अपशिष्ट- इसमें धरों से निकले जल , मलमुत्र व इसके साथ बहकर आये मृदा कणों औधोगिक अपशिष्ट को सम्मिलित Reseller जाता है ।
  3. गैसीय अपशिष्ट-इसमें CO,SO2 ,NO2 तथा धूल , कोहरे में मिश्रित हाइड्रोकार्बन गैस सम्मिलित है ।
  4. भारहीन अपशिष्ट :- इसमें अदृश्य ऊर्जा अपशिष्ट को सम्मिलित Reseller जाता है । 
  5. ध्वनि अपशिष्ट :-अवांछनीय ध्वनि इस वर्ग का प्रमुख अपशिष्ट है जो अदृश्य भी होती है । 

परिस्थितिक दृष्टिकोण से ओडम ने प्रदूषकों को दो वर्गाों में विभक्त Reseller है – 

  1. अविधटनीय प्रदूषक:-ऐसे औधोगिक पदार्थ जो प्राकृतिक भौतिक ,रासायनिक व तैवरासायनिक क्रियाओं द्वारा विधटित पहीं होते । परिणमस्वReseller इसका पुन: चक्रकरण नहीं होता तथा यी खाद श्रृंखला मे प्रविष्ट होकर हानिकारक प्रभाव प्रकट करते है । इसमें से ये प्रमुख है – फिनोलिक यौगिक , डी.डी.टी, बी.एच.सी., एल्ड्रिन तथा टोक्साफिन प्रमुख है । 
  2. जैव विधटनीय प्रदूषक :-ये प्रदूषक अधिकांशत: जीव जन्तुओं ओर वपस्पतियों की जैविक क्रियाओं से उत्पन्न होते है । इनमें धरेलू अपशिष्ट जैसे मलमूत्र ,अन्न, शाक, व फलों के अंश आदि सम्मिलित है । इसका अनुपात विधटन दर से अधिक होने पर ये प्रदूषण का कार्य करने लग जाते है । 

    प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

    1. वृक्षारोपण कार्यक्रम: वृक्षारोपण कार्यक्रम Fightस्तर पर चलाना, परती भूमि, पहाड़ी क्षेत्र, ढलान क्षेत्र में पौधा रोपण करना।
    2. प्रयोग की वस्तु दोबारा इस्तेमाल: डिस्पोजेबल, ग्लास, नैपकिन, रेजर आदि का उपयोग दुबारा Reseller जाना।
    3. भूजल सम्बन्धित उपयोगिता: नगर विकास, औद्योगिकरण And शहरी विकास के चलते पिछले कुछ समय से नगर में भूजल स्रोतों का तेजी से दोहन हुआ। Single ओर जहाँ उपलब्ध भूजल स्तर में गिरावट आई है, वहीं उसमें गुणवत्ता की दृष्टि से भी अनेक हानिकारक अवयवों की मात्रा बढ़ी है। शहर के अधिकतर क्षेत्रों के भूजल में विभिन्न अवयवों की मात्रा, मानक से अधिक देखी गई है। 35.5 प्रतिशत नमूनों में कुल घुलनषील पदार्थों की मात्रा से अधिक देखी गई। इसकी मात्रा 900 मिग्रा0 प्रतिलीटर अधिक देखी गई। इसमें 23.5 प्रतिशत क्लोराइड की मात्रा 250 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक थी। 50 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रेट, 96.6 प्रतिषत नमूनों में अत्यधिक कठोरता विद्यमान थी।
    4. पॉलीथिन का बहिष्कार: पर्यावरण संरक्षण के लिए पॉलीथिन का बहिष्कार, लोगों को पॉलीथिन से उत्पन्न खतरों से अवगत कराएं।
    5. कूड़ा-कचरा निस्तारण: कूड़ा-कचरा Single जगह पर Singleत्र करना, सब्जी, छिलके, अवशेष, सड़ी-गली चीजों को Single जगह Singleत्र करके वानस्पतिक खाद तैयार करना।
    6. कागज की कम खपत करना:- रद्दी कागज को रफ कार्य करने, लिफाफे बनाने, पुन: कागज तैयार करने के काम में प्रयोग करना।

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