पत्रकारिता और अनुवाद

पत्रकारिता में अनुवाद की समस्या से परिचय कराने की दृष्टि से प्रस्तुत लेख ‘पत्रकारिता और अनुवाद’ में समाचार माध्यमो के लिए लिखे जाने वाले समाचारो के अनुवाद की समस्या की Discussion की गर्इ है। इसके साथ ही पत्रकारिता की भाषा के अनुवाद, शैली, शीर्षक-उपशीर्षक, मुहावरे And लाक्षणिक पदबंधों, पारिभाषिक Wordावली के अनुवाद की समस्या और उसके समाधान पर विस्तार से समझा गया है। साथ ही पत्रकारिता में पारिभाषिक Wordावली के अनुवाद की समस्या और उसके समाधान And पारिभाषिक Wordावाली के कुछ नमूने पर भी सविस्तार से Discussion की गर्इ है।

पत्रकारिता और अनुवाद का सामान्य परिचय 

यों तो पत्रकार को Singleाधिक भाषाओं का ज्ञान होना अपेक्षित होता है किन्तु भारत के सन्दर्भ में क्षेत्रीय भाषाओं की पत्रकारिता में अनुवाद का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अत: हिंदी अथवा अन्य किसी Indian Customer भाषा के समाचार पत्र की भाषा के ज्ञान के अतिरिक्त अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इसका कारण है कि अभी तक भाषार्इ पत्र प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया(पीटीआर्इ), यूनार्इटेड न्यूज ऑफ इंडिया(यूएनआर्इ) जैसी समाचाए एजेंिसयों पर निर्भर हैं। रयटूर आदि विदेशी समाचार एजेंिसयों भी अंग्रेज के माध्यम से ही समाचार देती हैं। इसके अतिरिक्त भाषार्इ पत्रिकाओ को भी बहुत सी Creationएँ, बहुत से लेख और फीचर अंग्रेजी में ही प्राप्त हाते हैं। अत: हिंदी भाषार्इ पत्रकार वास्तव में Single अनुवादक के Reseller में ही प्राय: कार्य करता है।

अनुवाद की यह प्रक्रिया Singleतरफा नहीं है। हिंदी इलाकों की बहुत सी ऐसी खबरें होती है जिनका हिंदी से अंग्रेजी में प्रतिदिन अनुवाद Reseller जाता है। अगर हिंदी एजेंसियां अंग्रेजी अनुवाद करती हैं तो अंग्रेजी एजेंसियां भी हिंदी इलाकों की खबरों का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करती हैं। हिंदी एजेंिसयों को अनुवाद करना इसलिए मजबूरी है कि हिंदी एजेंिसयों के संवाददाता गैर हिंदी इलाको में नहीं हैं और विदेशों में भी नहीं हैं। किसी इलाके की खबरें सिफ इसलिए हम देने से मना नहीं कर सकते कि वहां हमारा अपना यानि हिंदी का संवाददाता नहीं है। इसलिए उन इलाकों से अंग्रेजी में आनेवाली खबरों का हिंदी में अनुवाद करना पड़ता है।

पत्रकारिता में अनुवाद की समस्याएँ 

पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद प्रत्येक समय Need होती है। किंतु यह विडंबना ही है कि हमारे हिंदी अनुवादकों के पास अनुवाद के लिए अधिक समय नहीं होता है। उन्हें तो दी गर्इ सामग्री का तुरंत अनुवाद और प्रकाशन करना होता है। यह भी चिंतनीय है कि यह समाचार किसी भी विषय से संबद्ध हो सकता है। यह आवश्यक नहीं कि अनुवादक को उस विषय की पूर्ण जानकारी ही हो। इसी प्रकार यह भी संभव है कि कभी कभी कथ्य का संपूर्णतया अंतर न हो सके, क्योंकि प्रत्येक भाषा का पाठक वर्ग तथा सामाजिक, सांस्कृतिक संदर्भ अलग ही होते हैं। इस प्रकार अनुवादकों के सामने कर्इ समस्या सफल पत्रकारिता के लिए बाधाएँ बनती हैं जिसमें प्रमुख हैं।

1. भाषा की समस्या 

पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद करते समय सबसे First भाषा संCreation की समस्या देखने को मिलते हैं। भाषा के संदर्भ में दो-तीन प्रश्न हमारे सामने उठते हैं- Single पत्रकारिता की भाषा स्वReseller क्या है? क्या पत्रकारिता की भाषा स्वReseller विशिष्ट है? हाँ, अवश्य पर विज्ञान और आयुर्विज्ञान की भाषा के समान न तकनीकी है और न तो अधिक साहित्यिक ही है और न ही सामान्य बोलचाल की भाषा। इसे हम किसी सीमा तक लिखित और औपचारिक भाषा के समकक्ष तथा निश्चित प्रयोजनमूलक स्तर पर से संबद्ध भाषा मान सकते हैं। हम इसे संपादित शैली में प्रस्तुत भाषा मान सकते हैं, जहां प्रत्येक विषय सुविचरित है, प्रत्येक विषय के लिए निश्चित स्थान, स्तंभ और पृष्ठ हैं। कभी कभी स्थिति विशेष में पारिभाषिक Wordों का प्रयागे करना पड़ता है। प्राय: पत्र की भाषा में लोक व्यवहार में प्रयुक्त होने वाली Wordावाली का प्रायुर्य रहता है। पत्रकारिता की भाषा में सर्वजन सुबोधता तथा प्रयोगधर्मिता का गुण होना आवश्यक है।

प्रत्येक भाषा की निजी संCreation होती है। अनुवादक को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।स उसे हिंदी की प्रकृति के अनुकूल और उपर्युक्त पत्रकारिता की भाषा की विशेषताओं को ध्यान में रखकर अनुवाद करने की चेष्टा करनी चाहिए। जिससे सहजता और स्वाभाविकता बनी रहे। हिंदी में अनुवाद करते समय अंगे्रजी वाक्य Creation का अनुसरण करने की अपेक्षा वाक्य को जटिल तथा अस्पष्ट न बनाकर, उसे दो-तीन छोटे वाक्यों में ताडे ़ना अच्छा रहता है। उदाहरण के लिए-
In the pre independence era, Indian newspapers covered only politics, for the majority of them at that time were fighting for country’s freedom.
‘‘स्वातंत्र्य-पूर्व युग में, Indian Customer समाचार पत्र राजनीतिक Discussion तक सीमित थे। उनमें से अधिकांश, उस समय देश की स्वतंत्रता के लिए जूझ रहे थे।’’
उपर्युक्त उदाहरण में Single दीर्घ वाक्य को दो वाक्यों में तोडऩे से कथन में सौंदर्य और आक्रामकता का समावेश हुआ है।

2. मुहावरो, शैली, लाक्षणिक पदबंधों की समस्या 

प्राय: अनुवादक अंग्रेजी मुहावरो, शैली, लाक्षणिक पदबंधों आदि के समानांतर हिंदी में मुहावरें आदि नहीं ढूंढते। शाब्दिक भ्रष्ट अनुवाद करने के कारण Single अस्वाभाविकता का भाव बना रहता है। उदाहरण के लिए-
Put him behind the bars – उसे जेल के सीखंचों के पीछे भेज दिया जाए।
We were stunned with astonishment- हम आश्चर्य से स्तब्ध रह।
उपर्युक्त उदाहरणों में हिंदी की स्वाभाविक प्रवृत्ति का हनन करते हुए अंग्रेजी का Word-प्रति-Word अनुवाद प्रस्तुत Reseller गया है। इससे Single फालतूपन का आभास होता है।

3. पत्रकारिता में साधारण ज्ञान, तुरंत निर्णय की समस्या 

उप संपादको  आदि को रात-भर बैठकर प्राप्त होने वाले समाचारो को साथ-साथ हिंदी में अनूदित करके देना होता है। समय के Single-Single मिनट का इतना हिसाब होता है कि अंग्रेजी में प्राप्त सामग्री में कोर्इ Word/अभिव्यक्त समझ न आने पर Wordकोश/ज्ञानकोश आदि देखने या सोचने का वक्त भी प्राय: नहीं होता। किंतु पत्रकार बहुत कुशल अनुवादक होते हैं Singleदम नए Word का भाव समझकर ही वे काफी अच्छे हिंदी समानक दे देते हैं और वही हिंदी समानक या प्रतिWord जनता में, पाठकों में चल भी पड़ते हैं। लेकिन कभी कभी पत्रकार की असावधानी या उसके अज्ञान से अनुवाद में भयकंर भूलें हो जाती है, जैसे-Single बार Single उपसंपादक ने( salt) का अनुवाद ‘नमक समझौता’ कर दिया जबकि वहां ‘साल्ट’ का Means ‘नमक’ नहीं बल्कि Strategic Arms Limitation Treaty था। इस प्रकार के अन्य उदाहरण देखा जा सकता है-
Legend of Glory- गौरव गाथा, Limitless- सीमाहीन, Lovely Baby- सलोना शिशु, The Knight of Kabul- काबुल का वीर अत: पत्रकार अनुवादक को साधारण ज्ञान तथा विषय को समझने की क्षमता होना परमावश्यक है।

4. Word-प्रति-Word अनुवाद की समस्या 

समाचार पत्रों के अनुवाद में स्वाभाविकता और बोधगम्यता होना बहुत आवश्यक है। यहां अनुवादक के तकनीकी Reseller से सही होने से भी काम नहीं चलता-उसका सरल और जानदार होना भी जरूरी है। इस संदर्भ में नवभारत टाइम्स मुंबर्इ के मुख्य संवाददाता श्रीलाल मिश्र का कहना है- प्राय: यह देखा गया है कि कुछ उप संपादक अनुवाद का ढांचा तैयार करते हैं। Wordकोश से Wordों का Means देख लेते हैं। येन केन प्रकारेण व Single वाक्य तैयार कर देते हैं। तकनीकी दृष्टि से उनका अनुवाद प्राय: सही भी रहता है। उसे सही अनुवाद की संज्ञा दी जा सकती है, लेकिन उनमें जान नहीं रहती है। वाक्य सही भी होता है लेकिन उसका कुछ Means नहीं निकलता है। हिंदी पत्रकारों द्वारा हुए निम्नलिखित गलत अनुवादों के असर का अनुमान लगातार समझा जा सकता है-
Twentieth Century Fox- बीसवीं शताब्दी की लोमडी Single विदेशी फिल्म कंपनी का नाम
Topless Dress-शिखरहीन पोशाक(नग्न वक्ष)
Call Money- मंगनी का रुपया(शीघ्रावधि राशि)
Informal visit- गैर रस्मी मुलाकात(अनौपचारिक भेटं )
Railway Gard- रेलवे के पहरेदार
Flowery Language- मुस्कुराती हुर्इ भाषा(सजीली भाषा/औपचारिक भाषा)
यहां Single बात और Historyनीय है कि जहां तक हो सके अप्रचलित Wordों के व्यवहार से बचना चाहिए जैसे absass के लिए ‘विद्रधि’ के स्थान पर ‘फोड़ा’ ही ठीक है, appendix को ‘उडुकपुछ’ करने के बदल अप्रचलित Word लाने की अपेक्षा इन्हें हिंदी में ध्वनि अनुकूल द्वारा भी राखा जा सकता है।

5. शैली की समस्या 

समाचार पत्रों में विषय के According समाचारों की पृथक-पृथक शैलियां होना स्वाभाविक है जैसे कि अंग्रेजी पत्रो  में होता ही है। किंतु Indian Customer भाषाओं के पत्रों का पाठक विषय के According भाषा की गूढता को प्राय: अस्वीकार करके सरल भाषा को ही स्वीकार करता है। अत: पत्रकारों को गढू -से- गढू विषय के समाचार फीचर आदि भी सरलतम भाषा में अनूदित करने पड़त े हैं। यह कुछ वैसा ही हो जाता है जैसे किसी 8-10 साल के बच्चे को उसकी भाषा में न्यूक्लीयर विखंडन की पूर्ण प्रक्रिया समझाना पड़।े अत: सरल शैली की समस्या भी अनुवाद की Single प्रमुख समस्या बन जाती है।

6. शीर्षक-उपशीर्षकों आदि की समस्या 

शीर्षकों के अनुवाद में कर्इ तरह की बाधाएँ हैं, जैसे शीर्षक में उसके लिए पृष्ठ पर रखी गर्इ जगह के According Wordों की संख्या का चयन करना पड़ता है। शीर्षक का रोचक/आकर्षक होना तथा विषय की प्रतीति कराने वाला होना आवश्यक है। अतएव शीर्षकों के मामले में Wordानुवाद या भावानुवाद से भी काम नहीं चलता, बल्कि उनका छायानुवाद का या पुन: सृजन ही करना पड़ता है।

पत्रकारिता में पारिभाषिक Wordावली 

अपने दिन प्रतिदिन के व्यवहार में हम भाषा और उसकी Wordावली का ही प्रयोग करते हैं। अपने सामान्य जीवन को चलाने के लिए हम जिन Wordों का प्रयोग करते हैं उनमें प्राय: भाषा के सारे स्वर, व्यंजन तथा संज्ञा आदि Word आ जाते हैं। यह भाषा का सामान्य Reseller है किंतु भाषा के कुछ ऐसे Word भी हैं जो इन सामान्य Wordों से भिन्न होते हैं। ऐसे Wordों को मोटे रूम से दो वगोर्ंे में रखा जाता है- 1.पारिभाषिक 2.अर्ध पारिभाषिक। बृहत् हिंदी Wordकोश में पारिभाषिक शबदावली की परिभाषा इस प्रकार की गर्इ है-जिसका प्रयोग किसी विशिष्ट Means में Reseller जाए, जो कोर्इ विशिष्ट Means सूचित करे, उसे पारिभाषिक कहते हैं तथा विशिष्ट Means में प्रयुक्त होनेवाले Wordों की सूची को ‘पारिभाषिक Wordावली’ कहते हैं। इस तरह पारिभाषिक Word वह Word है जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में Single निश्चित Means में प्रयुक्त होता है। चंूिक हमारी पारिभाषिक Wordावली बहुत कुछ अंग्रेजी पर आधारित है अत: अंग्रेजी की Word संपदा पर कुछ विचार करना चाहिए। पिछले सौ-डेढ सौ वर्षों में अंग्रेजी के Word भंडार में लगभग 90-95 प्रतिशत अंश तकनीकी And वैज्ञानिक Wordों का ही रहा है। प्रत्येक वर्ष अंग्रेजी के 10-15 हजार Word प्रचलन से बाहर हो जाते हैं और 20-25 हजार नए Word जुड़ जाते हैं। यह जोड़-घटाव भी मुख्यत: पारिभाषिक Wordों का होता है। और इन All अंग्रेजी Wordों के लिए हिंदी में सम Wordों का निर्धारण नहीं हुआ है।

जहां तक पत्रकारिता की बात है पत्रकारिता का कार्य है इसके जरिए लोगों को समसामयिक घटना And विचार आदि के बारे में लोगों को सूचित करना है। इसके अलावा विभिन्न विषय पर शिक्षा देना, लोगों का मनारेंजन करना, लोकतंत्र की रक्षा करना और जनमत है। ऐसे में इन विषयों की अभिव्यक्ति के लिए पारिभाषिक Word बड़े ही महत्वपूर्ण होते हैं। दूसरी बात यह है कि समाचार पत्र पढ़ते समय या टेलीविजन देखते समय या रेडियो सुनते समय कोर्इ Wordकोश लेकर नहीं बैठता है। पाठक/दर्शक/श्रोता सुबह की चाय के साथ, सफर के दौरान या कहीं समय व्यतीत कर रहा हो देश दुनियाकी खबरों को समझना And जानना चाहता है। तीसरी बात यह है कि समाचार पत्र पत्रिकाओं तथा टीवी के पाठक/दर्शक बच्चे से लेकर बुढ़े तथा साक्षर से लेकर बुद्धीजीवी तक के लिए होता है। ऐसे में पाठक वर्ग को समझ में आए उस तरह की भाषा, Wordों का उपयोग करना पड़ता है। यदि Means निश्चित नहीं होगा तो उसका प्रयोक्ता उसे Single Means में प्रयुक्त करेगा और श्रोता या पाठक उसे Second Means में लेगा।

पारिभाशिक Wordावली की समस्या 

पत्रकारिता का कार्य रोजाना देश, दुनिया में घटित घटनाओं, आंदोलन, घोटाला, आविष्कार, विभिन्न समस्या अपने कलेवर में लिए हुए रहते हैं तो यह निश्चित है कि इसमें All प्रकार की चीजें आ जाती है। इसके साथ ही कुछ ऐसे Word आ जाते हैं जो अपनी विशिष्टता लिए हुए रहते हैं। इसमें कोर्इ आंचलिक Word हो सकता है, कोर्इ ज्ञान विज्ञान के Word हो सकता है, कार्यालयीन Word हो सकता है, History से संबंधित हो सकता है। इन Wordों को पाठकों के सामने रखना पत्रकार के लिए चुनौती होती है। ऐसे Wordों का हिंदी में अनुवाद करके रखा जाए या उसे ऐसे ही लिप्यंतरण कर दिया जाए या उसके लिए कोर्इ नया Word गढ़ लिया जाए। पत्रकार को यह भी ध्यान रखना होता है कि ऐसे Word के मायने क्या हैं क्योंकि यह सीधे समाज के लोगों तक पहुंचता है। दूसरी बात यह होता है कि पत्रकार को समाचार लिखते समय इतना समय नहीं होता है कि वह इसबारे में Wordकोश का सहारा ले या विभिन्न विशेषज्ञों से पूछताछ करके कोर्इ ठोस निर्णय लिया जाए।

पारिभाषिक Word की विशेषताएँ- 

पारिभाषिक Wordों में निम्नलिखित विशेषताएँ अपेक्षित हैं-

  1. उच्चरण- पारिभाषिक Word उच्चारण की दृष्टि से सुविधाजनक होना चाहिए 
  2. Means- पारिभाषिक Word का Means सुनिश्चित परिधि से युक्त तथा स्पष्ट होना चाहिए। साथ ही विज्ञान या शास्त्र विशेष में Single संकल्प अथवा वस्तु आदि के लिए Single ही पारिभाषिक Word होना चाहिए And प्रत्येक पारिभाषिक Word का Single ही Means होना चाहिए 
  3. लघुता- यथासंभव पारिभाषिक Wordों का आकार छोटा होना चाहिए ताकि प्रयोक्ता को सुविधा रहे। Word व्याख्यात्मक हो इसके बजाय उसका पारदश्र्ाी होना बेहतर है। 
  4. उर्बरता- पारिभाषिक Word उर्वर होना चाहिए Meansात उसे ऐसा बनाए जा सकें यथा Fertile, Fertility, Fertilizer आदि या उर्वर, उर्वरकता, उर्वरक अति उर्वर आदि। 
  5. Reseller- Single श्रेणी के पारिभाषिक Wordों में Reseller साम्य होना चाहिए जैसे Science, Scientific, Scientist आदि अथवा विशेषज्ञों के नाम-Scientist , Cytologist, Botanist, Cardiologist, Dramatist आदि। 
  6. प्रसार योग्यता- भारत और हिंदी के संदर्भ में पारिभाषिक Wordों में यह योग्यता भी अपेक्षित है कि वे भारत के अन्य भाषा-भाषियों में प्रसार पा सकें और उन्हें ग्राह्य हो। 
  7. सीमा में बंधा हुआ Word- इसकी परिभाषा से ही स्पष्ट है कि ज्ञान, विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में निश्चित अथोर्ं में परिभाषा की सीमा में बंधा हुआ Word है। 
  8. Means संकोच- Means की दृष्टि से देखें तो प्राय: अधिकांश पारिभाषिक Word Means संकोच से बनते हैं। 
  9. त्रिविधता- प्रयोग के आधार की दृष्टि से देखें तो पारिभाषिक Wordावली के स्वReseller में त्रिविधता पार्इ जाती है। Meansात कुछ पूर्ण पारिभाषिक, कुछ अर्ध पारिभाषिक और कुछ कभी कभी पारिभाषिक के Reseller में प्रयुक्त थे। 
  10. विषय विशेष की संकल्पना – विषय की दृष्टि से पारिभाषिक Word विषय विशेष की संकल्पनाओं के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं। जैसे-ऑक्सीजन, िवेरेचन, कार्बन आदि। 
  11. वर्ण संकर- History और स्रोत की दृष्टि से पारिभाषिक Wordावली वर्ण संकर होती है। 

    निर्माण के सिद्धांत 

    भारत में पारिभाषिक Wordावली पर First डा. रघुवीर ने ही व्यवस्थित, पूर्ण वैज्ञानिक And विशद Reseller से विचार And कार्य Reseller। डा. रघुवीर का कहना है कि पारिभाषिक Wordों का नियम है कि जितने Word, अंग्रेजी में हो उतने ही हिंदी में भी होने चाहिए, उससे कम में काम नहीं चलेगा। इस विचार से अAgree होने की कोर्इ गुंजाइश नहीं है। विज्ञान आदि अनेक विषयों में यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान का अनुसरण करने की मजबूरी और पुरानी अंग्रेजी दासता के परिप्रेक्ष्य में कम से कम अंग्रेजी भाषा के प्रत्येक पारिभाषिक Word का समानक तो हिंदी को लाना ही पड़ेगा। यहां तक तो ठीक है किंतु इसके आगे प्रश्न उठता है कि इन Wordों को कहां से लाए जाए और उनका स्रोत तथा स्वReseller कैसा हो? इस प्रश्न पर पिछले कर्इ दशकों में विद्वानों का मतैक्य नहीं रहा। पारिभाषिक Wordों के स्वReseller, स्रोत और निर्माण संबंधी विचारधाराओं में निम्नलिखित प्रमुख रही- 

    1. पुनरुद्धारवादी/शुद्धतावादी विचारधारा – कुछ विद्वान ऐसे हैं जो Indian Customer भाषाओं की सारी की सारी पारिभाषिक Wordावली संस्कृत से लेने के पक्ष में हैं। वे यथासंभव अधिक से अधिक Wordों को प्राचीन संस्कृत वाड्मय से लेना चाहते हैं। इस संदर्भ में डा. रघुवीर का मानना है कि जो पारदिर्शता हिंदी के Wordों में है वह संसार की किसी और भाषा में नहीं है तथा संस्कृत में उपलब्ध 20 उपसर्गों, 500 धातुओं और 80 प्रत्ययों की सहायता से लाखों करोड़ों Word बनाए जा सकते हैं। उनके According Indian Customer भाषाओं का आधार भाषा संस्कृत है। यदि हम चाहते हैं कि All भाषाओं के पारिभाषिक Word Single जैसे हों तो वह संस्कृत से ही हो सकते हैं। इसके विरुद्ध यह बात सामने आ सकती है कि यह अतिवादी हैं। विदेशी या अन्य भाषा के Wordों को आज पूर्णतया बहिष्कृत करना संभव नहीं है। कुछ Word तो ऐसे हैं जिनका संस्कृत या हिंदी में कुछ पर्याय नहीं है। जैसे स्टेशन। इन विद्वानों द्वारा जो पारिभाषिक Wordावली तैयार की गर्इ है कठिन है। जैसे- रेल-संयान, टिकट-संयान पत्र, रिक्शा-नरयान, मिल-निर्माणी आदि। ऐसे अनुवाद हास्यास्पद हो गर्इ है। कहीं कहीं पर इसका जड़ अनुवाद हो गया है जैसे-पीएचडी के लिए महाविज्ञ और रीडर के लिए प्रवाचक आदि। 

    2. Wordग्रहणवादी विचारधारा – इस सिद्धातं को अपनाने वालों को स्वीकारवादी, अंतर्राष्टकृीयवादी या आदानवादी कहते हैं। अधिकांश अंग्रेजी परंपरा के लोग इसी पक्ष में हैं। इनका मानना है कि चूंकि अंग्रेजी और अंतर्राष्ट्रीय Wordावली का प्रचार विश्व मेंसर्वाधिक है अत: उससे परिचित होने पर हमारे विज्ञान या शास्त्रवेत्ताओं को विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित साहित्य को समझने में आसानी होगी। दूसरी बात, इसे अपनाने से नर्इ पारिभाषिक Wordावली बनाने और उसके मानक Reseller की समस्या समाप्त हो जाती है। तीसरी बात, नए Word विभिन्न विज्ञानों में हमेशा आते रहेगें तो फिर कब तक देशी स्रोतों को खोजते रहेगें। इसके विरुद्ध यह बात कही जा सकती है कि यह Wordावली सर्वत्र नहीं अपनार्इ गर्इ है। दूसरा, अंग्रेजी के सारे पारिभाषिक Word हिंदी नहीं पचा पाती है। वस्तुत: कोर्इ भी भाषा किसी दूसरी भाषा के सारे के सारे Word पचा नहीं सकती। तीसरा, गृहित Word अर्धमृत होते हैं क्योंकि उनमें जनन शक्ति या तो बहुत कम होती है, या बिल्कुल नहीं होती। इसको मानने वाले अंग्रेजी Wordों को ज्यों का त्यों लेना चाहते हैं जैसे-Singleेडमी, इंटेरिम, टैकनीक, कमेडी आदि। कुछ लोग ध्वनि व्यवस्था के अनुReseller अनुवाद करना चाहते हैं जैसे-अकादमी, अंतरिम, तकनीक, कामदी आदि। 

    3. प्रयोगवादी विचारधारा – तीसरा सिद्धांत को माननेवाले हैं प्रयोगवादी या हिन्दुस्तानी। इसका माननेवाले हिंदी-उर्दू के समन्वय तथा सरल Wordावली के नाम पर बोलचाल के Wordां,े संस्कृत Wordों तथा अरबी-फारसी Wordों की खिचडी से ऐसे Word बनाए हैं जो बड़े हास्यास्पद हैं। जैसे-Recation- पलटकारी, Emergency- अचानकी, President- राजपति, Government- शासनिया आदि। इनका प्रयोग Single तो हास्यास्पद लगे तो इसमें गंभीरता नजर नहीं आर्इ। 

    4. लोकवादी विचारधारा – इस तरह के माननेवाले या तो जनता से Word ग्रहण किए हैं या जन प्रचलित Wordों के योग से Word बनाने के पक्षधर हैं। जैसे Defector- दलबदलू, आयाराम गयाराम, Maternity Home- जच्चा बच्चा घर, Power House- बिजली घर आदि। इस प्रकार के अनुवाद हिंदी के प्रकृति के अनुReseller तो है लेकिन हिंदी के लिए All प्रकार के पारिभाषिक Word नहीं जुटाए जा सकते हैं। तो इससे भी पूरी तरह काम नहीं चल सकता है। 

    5. मध्यमार्गी विचारधारा – इस सिद्धांत को अपनाने वालों को समन्वयवादी भी कहा जा सकता है। जो भी इस विषय पर गंभीतरता से विचार करेगा वह इसका समर्थन करेगा। इस विचार का अनुसरण खासकर सरकारी Word निर्माण संस्थानो  में Reseller गया। इसके तहत अंराष्ट्रीय, अंग्रेजी, संस्कृत, प्रा‟त, आधुनिक भाषाओं के प्राचीन, मध्यकालीन साहित्य, All आधुनिक Indian Customer भाषाओं तथा बोलियो  के समन्वय से नए Word निर्माण Reseller जा सकता है। इनका मानन है कि-यथा संभव अंतर्राष्ट्रीय Wordावली को लिया जाए। जो अपने मूल Reseller में चल रहे हैं उन्हें वैसा ही लें या जिसमें ध्वनि परिवर्तन की Need है उसे बदलें दूसरा, अंगे्रजी के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण हमारे काफी निकट है। जो अंग्रेजी Word हमारी भाषा में प्रचलित हैं उन्हें चलने दिया जाए। तीसरा, प्राचीन तथा मध्यकालीन साहित्य से भी चलने वाले तथा All दृष्टियों से सटीक Wordों को लिया जा सकता है। चौथा, Wordावली में अखिल Indian Customerता का गुण लाने के लिए यह उचित होगा कि विभिन्न Indian Customer भाषाओं तथा बोलियों में पाए जानेवाले उपयुक्त Wordों को भी यथासभंव ग्रहण कर लिया जाए। पांचवां, शेष आवश्यक Wordावली के लिए हमारे पास नए Word बनाते समय साधारणत: हमें इस बात का ध्यान नहीं रखना चाहिए कि Word की व्युत्पत्ति मूलत: क्या है, बल्कि हमें उसके वर्तमान प्रयोग और Means देखना चाहिए। उस स्थिति में हमारे लिए मूल Wordार्थ की अपेक्षा, वर्तमान Wordार्थ ही अधिक महत्वपूर्ण होता है। भारत सरकार के वैज्ञानिक And तकनीकी Wordावली आयोग And केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने भी अपनी Wordावलियो  के निर्माण में उपर्युक्त विचारधारा को अपनया है। 

    पारिभाशिक Wordावली के अनुवाद में समस्या का समाधान 

    ऐसे में इसका कुछ समाधान के लिए भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-351 और राष्ट्रपति के 2 अपै्रल 1 960 के आदेश के According अक्टूबर 1961 में वैज्ञानिक तथा तकनीकी Wordावली आयोग की स्थापना हुर्इ। इसे तब तक निर्मित Wordावली के समन्वय, Wordावली निर्माण के सिद्धान्तों के निर्धारण, वैज्ञानिक तथा तकनीकी कोशों के निर्माण और आयोग द्वारा तैयार/अनुमोदित नर्इ Wordावली का उपयागे करते हुए मानक वैज्ञानिक पाठî पुस्तकों का मौलिक लेखन और अनुवाद का काम सौंपा गया। आयोग द्वारा कुछ नियम स्वीकृत और प्रतिपादित किए गए हैं जो इस प्रकार है-

    1. अंतर्राष्ट्रीय Wordों को यथा सभ्ं ाव उनके प्रचलित अंग्रेजी Resellerों में अपनाना चाहिए और हिंदी व अन्य Indian Customer भाषाओं की प्रकृति के According ही उनका लिप्यांतरण करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय Wordावली के निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं- 
      1. (क) तत्वों और यौगिकों के नाम जैसे हाइर्ड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन आदि। 
      2. (ख) तौल और माप की इकाइयों और भौतिक परिमाण की इकाइयों जैसे- कैलोरी, ऐम्पियर आदि। 
      3. (ग) ऐसे Word जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं जैसे-वोल्ट के नाम पर वोल्टामीटर आदि। 
      4. (घ) वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भू विज्ञान आदि की द्विपदी नामावली, 
      5. जैसे-Mangifera indica 
      6. (ड) स्थिरांक जैसे, n,g आदि। 
      7. (च) ऐसे अन्य Word जो आमतौर पर सारे संसार में प्रयोग हो रहा है जैसे-रेडियो, पेट्रोल, रेडार, इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्यूट्रान आदि। 
      1. प्रतीक, रोमन लिपि में अंतर्राष्टकृीय Reseller में ही रखे जाएंगे परंतु संक्षित Reseller नागरी और मानक Resellerों में भी लिखा जा सकता है। जैसे- सेंटीमीटर का प्रतीक cm हिंदी में भी ऐसे ही प्रयुक्त होगा परंतु इसका नागरी संक्षित Reseller सी.एम. हो सकता है। 
      2. ज्यामितीय आकृतियों में Indian Customer लिपियों के अक्षर प्रयुक्त किए जा सकते हैं, जैसे-अ, ब, स, क, ख, ग परंतु त्रिकोणमितीय संबंधों में केवल रोमन अथवा ग्रीक अक्षर ही प्रयुक्त करने चाहिए जैस- साइन A, कास B आदि। 
      3. संकल्पनाओं को व्यक्त करनेवाले Wordों का सामान्यत: अनुवाद Reseller जाना चाहिए। 
      4. हिंदी पर्यायों का चुनाव करते समय सरलता, Means की परिशुद्धता और सुबोधता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुधार विरोधी और विशुद्धतावादी प्रवृतित्तयों से बचना चाहिए। 
      5. All Indian Customer भाषाओं के Wordों में यथासंभव अधिकाधिक SingleResellerता लाना ही इसका उद्देश्य होना चाहिए और इसके लिए ऐसे Word अपनाने चाहिए जो-(अ) अधिक से अधिक प्रादेशिक भाषाओं में प्रयुक्त होते हो, और (इ) सस्ंकृत धातुओं पर आधारित हों 
      6. एसे दशी Word जो सामान्य प्रयोग के वैज्ञानिक Wordों के स्थान पर हमारी भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं, जैसे telegraph, telegram के लिए तार continent के लिए महाद्वीप, atom के लिए परमाणु आदि। यह सब इसी Reseller में व्यवहार किए जाने चाहिए 
      7. अंग्रेजी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी आदि भाषाओं के ऐसे विदेशी Word जो भातीय भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं, जैसे इंजन, मशीन, लावा, मीटर, लीटर, प्रिज्म, टार्च आदि इसी Reseller में अपनाए जाने चाहिए। 
      8. अंतर्राष्ट्रीय Wordों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण – इस समस्या पर विस्तार से लिखा जा रहा है। 
      9. लिंग- हिंदी में अपनाए गए अंतर्राष्ट्रीय Wordों को, अन्यथा कारण न होने पर पुलिंग Reseller में ही प्रयुक्त करना चाहिए। 
      10. संकर Word- वैज्ञानिक Wordावली में संकर Word, जैसे-Ionization के लिए आयनीकरण, Voltage के लिए वोल्टता, ringhstand के लिए वलयस्टैंड, saponifier के लिए साबुनीकरण आदि के सामान्य और प्राकृतिक भाषा शास्त्रीय क्रिया के According बनाए गए हैं और ऐसे Word Resellerो  को वैज्ञानिक Wordावली की Needओ, यथा सुबोधता, उपयाेि गता और संक्षिप्तता का ध्यान रखते हुए व्यवहार में लाना चाहिए। 
      11. वैज्ञानिक Wordों में संधि और समास- कठिन संधियों का यथासंभव कम से कम प्रयागे करना चाहिए और संयुक्त Wordों के लिए दो Wordों के बीच ‘हाइफन’ लगा देना चाहिए। इससे नर्इ Word Creationओं की सरला ओर शीघ्रता से समझने में सहायता मिलेगी। 
      12. हलंत- नए अपनाए हुए Wordों में Needनुसार हलंत का प्रयागे करके उन्हें सही Reseller में लिखना चाहिए। 
      13. पंचम वर्ण का प्रयोग- पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करना चाहिए परंतु lenss, patent आदि Wordों का लिप्यंतरण लेंस, पेटेंट या पेटेण्ट न करके लेन्स, पेटेन्ट ही करना चाहिए।

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