नेपोलियन का History
सम्राट के Reseller में नेपोलियन ने कर्इ Fight लड़े और फ्रांस को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इंग्लैंड के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया। इंग्लैंड की आर्थिक शक्ति को कमजोर करने के लिए नेपोलियन ने महाद्वीपीय प्रणाली लागू की किन्तु अंतत: असफल हुआ किन्तु इससे इंग्लैंड के साथ फ्रांस के संबंध अत्यतं कटु हो गये और अब इंग्लैंड ने अन्य यूरोपीय राज्यों के साथ मिलकर नेपोलियन के पतन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने विजय अभियान से समस्त यूरोपीय मानचित्र को परिवर्तित कर दिया था। अत: नेपोलियन की विजयों से उत्पन्न राजनीतिक समस्याओं And परिवर्तनों का समाधान करने के लिए ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में Single कांग्रेस का आयोजन Reseller गया जिसे वियना कांग्रेस कहा जाता है। वियना कांग्रेस के निर्णयों को जारी रखने की दिशा में क्रमश: यूरोप की संयुक्त व्यवस्था And पवित्र मैत्रीसंघ की स्थापना की गर्इ किन्तु ये व्यवस्थायें असफल रहीं। नेपोलियन बोनापार्ट के पतन के बाद यूरोप के History में 1815 र्इ. से 1848 र्इ. के बीच का युग मैटरनिख युग के नाम से जाना जाता है। मैटरनिख घोर प्रतिक्रिया वादी व्यक्ति था Meansात् वह किसी भी परिवर्तन का घोर विरोधी था।
इसी बीच यूरोप में 1830 र्इ. And 1848 र्इ. में कर्इ देशांे में क्रांतियाँ हुर्इ जिनके परिणाम दूरगामी सिद्ध हुए।
नेपोलियन का युग – उत्थान And पतन
नेपोलियन का जन्म इस कार्सिका द्वीप के अजासियो नगर में Single साधारण वकील के घर हुआ था। सैनिक शिक्षा समाप्त करने के बाद नेपोलियन फ्रांसीसी सेना के तापे खाने में उप-लेिफ्टनेटं के पद पर नियुक्त हुआ। सन् 1792 में वह पेरिस में जेकोबिन दल का सदस्य बन गया। 28 अगस्त 1793 को अंग्रेजी जहाजी बेड़े ने फ्रांस पर आक्रमण करके तूलो बंदरगाह पर अधिकार कर लिया था पर इसी समय नेपोलियन ने तूलों पर आक्रमण करके अंगे्रजी सेना को खदेड़ दिया। नेपोलियन के जीवन की वह First महत्वपूर्ण विजय थी।
अक्टूबर 1799 तक फ्रासं में संचालक मण्डल का शासन उसके कुकृत्यों के कारण बदनाम हो चुका था। नेपोलियन ने इस स्थिति का लाभ उठाया और संचालक मंडल के Single सदस्य ऐबे सिये से मिलकर संचालक मंडल के शासन का अंत करने की गुप्त योजना बनायी और 10 नवम्बर 1799 को संचालक मंडल के शासन का अंत हो गया और अब फ्रांस के शासन की बागडोर 3 सदस्यों को को सौंपी गयी- नेपोलियन, एबे े और ड्यूको। इन तीनों की सरकार को कासं ुलेट की सरकार कहा गया और इसमें नेपोलियन First कॉंसल नियुक्त हुआ। 1799 र्इ. में तीन परामशर्द ाताओं के मडं ल में नेपोलियन, एबेे सिये की सहायता से नियुक्त हुआ था किन्तु वास्तविक सत्ता उसी के हाथों में थी, ॉोश दो कॉंसल केवल परामशर्दाता थे।
First कांसल के Reseller में नेपोलियन के सुधार (1799 र्इ.-1804 र्इ.)
नेपोलियन ने क्रांति के समय जो प्रशासनिक ढांचा और स्वReseller था, उसे बनाये रखा, पर स्थानीय अधिकारियों की निर्वाचन व्यवस्था का अंत कर दिया। 17 फरवरी 1800 र्इ. को स्थानीय प्रशासन संबंधी Single अधिनियम पारित Reseller गया। इसके अंतर्गत प्रत्येक प्रांत में Single प्रीफेक्ट और जिले में उप-प्रीफकेट नियुक्त किए गए। इस समय फ्रासं 102 प्रान्तों में विभक्त था। प्रत्येक में Single मये र नियुक्त Reseller गया। इन अधिकारियों को पर्याप्त प्रKingीय अधिकार दिये गये और वे केन्द्र में First सलाहकार द्वारा नियुक्त होते थे और उसी के प्रति उत्तरदायी थे। ये अधिकारी केन्द्रीय शासन की आज्ञाओं और नीतियों का पालन करते थे। शासन में फिजूलखर्ची और घूसखोरी के दोषी अधिकारियों के लिए कठोर दण्ड की व्यवस्था की गयी। फ्रांसीसियों ने अब अधिक कुशल, दृढ़ और व्यवस्थित शासन का अनुभव Reseller, इसलिए वे संतुश्ट थे।
आर्थिक सुधार
गृह कलह और विदेशी Fightों से फ्रांस की आर्थिक स्थिति जर्जर हो गयी थी। आर्थिक उत्पादन, वृद्धि और गतिशीलता अवरूद्ध हो गयी थी। इसे सुधारने के लिए नेपोलियन ने कर पद्धति में सुधार किए। उसने करों में SingleResellerता स्थापित की तथा व्यक्ति की आय व सामथ्र्य के According कर लगाने की व्यवस्था की। करों के निर्धारण और वसूली के लिए सुयाग्े य ओर सक्षम अधिकारी नियुक्त किए गए। वित्त मंत्री के अधीन करों के लिए Single नवीन कार्यालय गठित Reseller गया। इससे राज्य की आय में वृद्धि हुर्इ और आर्थिक स्थिरता आर्इ।
धार्मिक सुधार
पादरियों के सिविल संविधान से केथाेि लकों और राज्य के बीच गहरे मतभदे हो गये थे। अनेक पादरियों ने इस सिविल संविधान का विरोध Reseller। नेपोलियन की धारणा थी कि लोगों का कोर्इ Single धर्म अवश्य होना चाहिए। वह बिना धर्म के राज्य को “मल्लाह के बिना नौका” समझता था। इसलिए उसने धार्मिक मतभेद दूर करने के लिए Single ओर धार्मिक सहनशीलता और स्वतंत्रता की नीति अपनायी तो दूसरी ओर रोम के पोप पायस सप्तम से 1801-02 र्इ. में समझौता कर लिया।
न्याय और कानूनी संबंधी सुधार
नेपोलियन के पूर्व फ्रांस में विभिन्न प्रांतों में पृथक-पृथक प्रकार के कानून थे। वे जटिल और अस्पश्ट थे और उनमें SingleResellerता का अभाव था। न्याय-व्यवस्था में अव्यवस्था, संदेह और भ्रम व्याप्त था। न्याय-व्यवस्था और कानून के क्षेत्र में नेपोलियन का यह महत्व है कि उसने न्याय-व्यवस्था में निश्पक्षता लाने का और प्रचलित कानूनों में SingleResellerता, सरलता, स्पश्टता लाने और उन्हें लिपिबद्ध करने का प्रयास Reseller। उसने इस प्रकार कानूनों का संग्रह कर फ्रांस के लिए विधि-संहिता तैयार की। नेपोलियन की इस विधि संहिता को नेपोलियन कोड कहा जाता है।
शिक्षा संबंधी सुधार
- प्रत्येक कम्यून में प्राथमिक विद्यालय स्थापित किए गए, जो प्रीफेक्ट और उप-प्रीफेक्ट की देख-रेख में सचालित हाते े थे
- माध्यमिक शालाएँ स्थापित की गयीं। उनमें लेटिन और फ्रांसीसी भाषा तथा विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी।
- 1808 र्इ. में पेरिस में इम्पीरीयल विश्वविद्यालय स्थापित Reseller गया। इसका पाठ्यक्रम सरकार द्वारा निर्धारित Reseller गया। इसमें 5 विभाग थे- धर्मज्ञान, कानून, चिकित्सा, साहित्य और विज्ञान। इसके प्रमुख अधिकारियों की Appointment नेपोलियन ने की।
सम्राट के Reseller में नेपोलियन (1804 र्इ.-1814 र्इ.)
1804 र्इ. में सीनेट ने नेपालियन को फ्रांस के हित में फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। इस अवसर पर नेपोलियन ने कहा था कि “मैंने फ्रांस के शाही ताज को धरती पर पड़ा पाया और उसे तलवार की नोकं से उठा लिया।” नेपोलियन फ्रासं के साम्राज्य का विस्तार कर यूरोप के विभिन्न देशों पर फ्रांस का आधिपत्य स्थापित करना चाहता था। अत: उसने यूरोप के विभिन्न देशों से Fight किये और 1804 र्इ. से 1811 र्इ. तक अनेक सफलताएं प्राप्त कीं। इस प्रकार उसकी राजशक्ति तथा फ्रांसीसी साम्राज्य अपने उन्नति के शिखर तक पहुँच गये।
नेपोलियन के यूरोपीय Fight (1805 र्इ.-1807 र्इ.)
फ्रांस के विरूद्ध Third गुट का निर्माण
यूरोप में अन्य देशों पर नेपोलियन के आधिपत्य स्थापित करने के पय्र ासों को निश्फल करने के लिए यूरोप के मुख्य राज्यों ने 1805 र्इ. में नेपोलियन और फ्रांस के विरूद्ध तृतीय गुट बना लिया। इसका नेतृत्व इंग्लैण्ड ने Reseller। इस गटु में इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, रूस, स्वीडन आदि देश थे जबकि आस्ट्रिया के विरोधी दक्षिण जर्मनी के राज्यों ने इस गुट के विरूद्ध नेपोलियन का साथ दिया।
फ्रांस और इंग्लैण्ड के Fight
मर्इ 1803 में फ्रासं ओर इंग्लैण्ड में परस्पर Fight छिड़ गया। नेपोलियन ने इटली के पीडमांड राज्य को फ्रांस में सम्मिलित कर लिया, हालैण्ड को अपने अधिकार में करके वहां के एण्टवर्प बंदरगाह को जल सेना के लिए विस्तृत करना प्रारंभ कर दिया। उसके ये कार्य इंग्लैण्ड के हितों के विरूद्ध थे, इसलिए 18 मर्इ 1803 को इंग्लैण्ड ने फ्रांस के विरूद्ध Fight घोशित कर दिया।
ट्रफलगार का Fight
21 अक्टूबर 1805 को फ्रांस और स्पेन की संयुक्त जल सेना और नेलसन के नेतृत्व में अंग्रेज जल सने ा के मध्य ट्रफलगार के समीप समुद्र में भयकंर Fight हुआ। इसे ट्रफलगार का Fight कहते हैं। यद्यपि इस Fight में नेलसन वीरगति को प्राप्त हुआ, पर इंग्लैण्ड की जल सेना ने फ्रांस और स्पेन की संयुक्त जल सेना को ट्रफलगार के Fight में Defeat कर दिया। फ्रांस की इस पराजय से नेपोलियन द्वारा समुद्र की ओर से इंग्लैण्ड पर आक्रमण करने का भय समाप्त हो गया।
फ्रांस और आस्ट्रिया के Fight
नेपोलियन ने मेक के सेनापतित्व में आस्ट्रिया की सेना पर आक्रमण कर उसे 20 अक्टोबर 1805 के उल्म के Fight में Defeat कर दिया। इस विजय के बाद नेपालियन ने वियना पर अधिकार कर लिया। आस्ट्रिया का King फ्रांसिस द्वितीय वियना छोड़कर पूर्व की ओर चला गया।
ऑस्टरलिट्ज का Fight
नेपोलियन ने रूस ओर आस्ट्रिया की संयुक्त सेनाओं को अक्टूबर 1805 को आस्टरलिट्ज के Fight में Defeat कर दिया। यह विजय नेपोलियन की महत्वपूर्ण विजयों में से थी। रूस ने इस पराजय के बाद अपनी सेनाएँ पीछे हटा लीं और आस्ट्रिया ने नेपोलियन के साथ 26 दिसम्बर 1805 र्इ. को प्रेसवर्ग की संधि कर ली।
फ्रेन्को-रशियन Fight
नेपोलियन के विरूद्ध जो तीसरा गुट निर्मित हुआ था उसमें अब इंग्लैण्ड और रूस ही ॉोश बचे थे, बाकी सदस्य देश नेपोलियन के हाथों Defeat हो चुके थे। फलत: नेपोलियन रूस की ओर आगे बढ़ा और 8 जनवरी 1807 को आइलो के स्थान पर दाने ों देशों में भीशण Fight हुआ। 14 जून 1807 को फ्रीडलैण्ड के Fight में नेपोलियन ने रूस को Defeat कर दिया। इस पराजय के बाद रूस के सम्राट जार एलेक्जेडं र ने नीमेन नदी में Single शाही नाव में नेपोलियन से भंटे की। इस अवसर पर नेपोलियन ने अपने आकर्शक प्रभावशाली व्यक्तित्व और मधुर शिश्टाचार से जार को प्रसन्न कर लिया। अंत में टिलसिट नगर में फ्रासं , रूस और प्रशास के प्रतिनिधियों में टिलसिट की संधि हो गर्इ।
टिलसिट की संधि (8 जुलार्इ 1807 र्इ.)
इस संधि में सार्वजनिक और गुप्त शर्तें थीं, जो निम्नलिखित हैं-
- रूस और फ्रांस में परस्पर प्रभाव क्षेत्र निर्दिश्ट हो गया। अपने प्रभाव के विस्तार के लिए रूस को पूर्वी क्षेत्र और फ्रांस को पश्चिमी क्षेत्र प्राप्त हुआ। रूस को फिनलैंड तथा तुर्की की ओर अपने राज्य के विस्तार के लिए छूट दी गयी।
- फ्रांस, रूस से क्षतिपूर्ति के लिए कोर्इ धनराशि या प्रदेश नहीं लेगा।
- प्रशिया में एल्बा नदी के पश्चिमी क्षेत्र को अन्य जर्मन प्रदेशों से मिलाकर वेस्टफेलिया नामक नवीन राज्य निर्मित Reseller गया और नेपोलियन ने इस राज्य का King अपने भार्इ जेरोम बोनापार्ट को नियुक्त Reseller।
- पोलैण्ड ने प्रशिया के अधिकांश क्षेत्र को लेकर गे्रण्ड डची ऑफ वारसा नामक राज्य निर्मित Reseller गया और यहाँ सेक्सनी के ड्यूक को King की उपाधि देकर King बनाया गया।
- रूस के सम्राट जार एलेक्जेडं र ने नेपोलियन द्वारा नवनिर्मित राज्यों को मान्यता दे दी तथा नेपोलियन द्वारा जीते गये इटली, जमर्न ी और हालैण्ड के राज्यों को भी मान्यता दे दी।
- जार ने वचन दिया कि वह फ्रासं ओर इंग्लैण्ड में मध्यस्थ बनकर उनमें परस्पर मैत्रीपूर्ण संबध स्थापित करने में सहायता करेगा। यदि Single मास की अवधि में इंग्लैण्ड समझौता करने के लिए Agree नहीं हो तो रूस फ्रांस के साथ मिलकर इंग्लैण्ड के विरूद्ध Fight करेगा।
- डेनमार्क, स्वीडन और पुर्तगाल पर भी इंग्लैण्ड के विरूद्ध Fight करने तथा उसके साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने और इंग्लैण्ड की जल शक्ति के विनाश करने के लिए दबाव डाला जाएगा।
- नेपोलियन, तुर्की और रूस में परस्पर मतभेदों के निवारण में और समझौता कराने में सहायता देगा। यदि तुर्की, समझौते के लिए Agree नहीं हुआ तो फ्रांस और रूस मिलकर तुर्की साम्राज्य को परस्पर बांट लेगे
टिलसिट की संधि के परिणाम और महत्व
- इस संधि से आस्ट्रिया और प्रशिया दोनों यूरोपीय राज्यों की शक्ति क्षीण हो गयी। प्रशिया से राइनलंडै और पाले ैण्ड के प्रदशे छीनकर उसका राज्य आधा कर दिया गया। अब वह यूरोप में तृतीय शक्ति बनकर रह गया। Fight की क्षतिपूर्ति के लिए भी उससे भारी धनराशि वसूल की गयी। इससे नेपोलियन के प्रति प्रशियावासियों का घोर असंतोश बढ़ा।
- टिलसिट की संधि के समय से फ्रांस के राज्य की सीमाओं का खूब विस्तार हुआ। यूरोप के छोटे-छोटे राज्य नेपोलियन की सत्ता और शक्ति से भयभीत हो गये। रूस जैसा शक्तिशाली देश भी नेपोलियन का मित्र बन गया। इंग्लैण्ड को छोड़कर यूरोप के All देश नेपोलियन की शक्ति का लोहा मानने लगे।
नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था
महाद्वीपीय व्यवस्था से अभिप्राय
नेपोलियन ने 1807 र्इ. तक आस्ट्रिया, प्रशिया और रूस को Defeat कर दिया था। अब इंग्लैण्ड ही ॉोश रह गया था। ट्रफलगार के Fight में इंग्लैण्ड ने नेपोलियन की सेना को Defeat Reseller था। इससे नेपोलियन ने यह अनुभव कर लिया था कि इंग्लैण्ड को समुद्री Fightों पर Defeat करना या उसकी सीमा पर आक्रमण करना असंभव है, इसलिए उसने इंग्लैण्ड के विरूद्ध Single विशिश्ट आर्थिक नीति अपनायी। इसे महाद्वीपीय व्यवस्था अथवा इंग्लैण्ड के विरूद्ध आर्थिक बहिश्कार कहते हं।ै इंग्लैण्ड की शक्ति और विकास का स्रोत विदेशी व्यापार था और इंग्लैण्ड का यह विदेशी व्यापार उसकी जल सेना के द्वारा होता था। इसलिए नेपोलियन इंग्लैण्ड के लिए यूरोप का व्यापार समाप्त करना चाहता था, वह यूरोप के All बंदरगाहों में इंग्लैण्ड के जहाजों का आना-जाना बंद कर देना चाहता था। इससे वह इंग्लैण्ड की आर्थिक व्यवस्था और खुशहाली को Destroy कर देना चाहता था, जिससे इंग्लैण्ड नेपोलियन के सामने नत-मस्तक होकर उससे अपमानजनक समझौता कर ले। इस आर्थिक नाकेबंदी या बहिश्कार को ही महाद्वीपीय व्यवस्था कहते हैं।
महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता के कारण
- फ्रान्स के पास सशक्त जलसेना का अभाव
- विभिन्न यरू ापे ीय देशों की इंग्लैण्ड के जहाजों और माल पर निर्भरता
- इंग्लैण्ड को खाद्य साम्रगी की पूर्ति
- रोमन केथोलिकों का रोश
- इंग्लैण्ड के माल की तस्करी
- घातक और विनाशकारी Fight
नेपोलियन का पतन
नेपोलियन के पतन के लिए निम्नलिखित कारण मुख्य Reseller से उत्तरदायी हैं –
- नेपालियन की असीम महत्वाकांक्षा
- नेपोलियन का अहम
- सैन्य शक्ति पर आधारित अस्थिर साम्राज्य
- केन्द्रीकृत तथा निरंकुश शासन
- महाद्वीपीय व्यवस्था
- पोप से झगड़ा
- विध्वंसकारी मास्को अभियान
- संबंधितों की कृतघ्नता
- राष्ट्रीयता की भावना
- यूरोपीय देशों की गुटबंदी
- इंग्लैण्ड की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति
- इंग्लैण्ड की बलशाली जलसेना
- इंग्लैण्ड के कुशल राजनीतिक और सेनापति
- योग्य विरोधी नेता