निरोगी व्यक्ति के लक्षण

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के According Human शरीर के All तंत्रों का सुव्यवस्थित रुप में अपने कार्यों को करना Single शारीरिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण है Meansात वह व्यक्ति जिसके शरीर के All तंत्र अपने कार्यों को भलि भांति सम्पादित कर रहे हैं, Single शारीरिक निरोगी व्यक्ति है। इसके साथ- साथ कुछ निम्न लिखित लक्षणों को भी शारीरिक निरोगी व्यक्ति के लक्षणों के रुप में देखा जाता है-

  1. सही समय पर अच्छी प्रकार से भूख लगनी चाहिए। 
  2. ग्रहण किए भोजन का भलि प्रकार पाचन होना चाहिए। 
  3. समय पर पेट साफ (शौच) होना चाहिए। 
  4. मुख से दुर्गन्ध नही आनी चाहिए तथा शुद्ध डकार आनी चाहिए। 
  5. अपान वायु Word And दुर्गन्ध रहित होनी चाहिए।

यहां पर आचार्य जैमीनी मुनि द्वारा उपदेशित इस तथ्य का वर्णन करना भी उचित प्रतीक होता है जिसमें जब आचार्य जेमीनी मुनि से पूछा – कोरुक् , Meansात निरोगी कौन है? तब इसके प्रतिउत्तर में आचार्य जैमीनि मुनि कहते हैं- हितभुक, Meansात वह व्यक्ति जो अपने शरीर, मन और आत्मा के हितकर, पुष्टिकर तथा अनुकुल आहार का सेवन करता है, वह निरोगी व्यक्ति है। पुन: इसी प्रश्न के पूछे जाने पर आचार्यवर कहते हैं- मितभुक, Meansात वह व्यक्ति जो परिमित आहार करता है, वही निरोगी व्यक्ति है। इन दोनों उत्तरों को मिलाने पर हम कह सकते हैं कि वह व्यक्ति जो हितकर, पुष्टिकर तथा अनुकुल आहार निश्चित समय पर And निश्चित मात्रा में करता है, वही निरोगी व्यक्ति है अथवा Second Wordों में यही निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं।

मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण

मन में सकारात्मक ऊर्जा की पूर्णता Single मानसिक निरोगी व्यक्ति की पहचान है। इस ऊर्जा की प्रबलता के परिणामस्वरुप वह व्यक्ति सुव्यवस्थित दिनचर्या का पालन करता है। इस व्यक्ति में मानसिक स्थिरता पायी जाती है। इस मानसिक स्थिरता के कारण उसके शारीरिक And मानसिक कार्यों में समता पायी जाती है, ऐसा व्यक्ति सुख-दुख, लाभ-हानि, मान-अपमान, जय-पराजय आदि द्वन्दों And जीवन की विषम परिस्थितियों को सम भाव से सहन करता हुआ इनका सामना सहजता And सरलता के साथ करता है। Single मानसिक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन में नकारात्मकता को स्थान नही देता है अपितु वह सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाता है। कुछ निम्न लिखित लक्षणों के आधार पर हम किसी व्यक्ति को मानसिक निरोगी व्यक्ति का श्रेणी में रख सकते हैं-

  1. मन में सकारात्मकता And प्रसन्नता के भावों का होना मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं। ऐसे व्यक्ति में सन्मार्ग And कुमार्ग में अन्तर करने ही क्षमता विकसित रुप में पायी जाती है तथा यह व्यक्ति सदैव सन्मार्ग का चयन करता हुआ अपने जीवन में सत्कार्यों को हर्षोंल्लास के साथ करता है।
  2. स्वंम पर नियंत्रण रखते हुए मानसिक स्तर पर सांवेगिक स्थिरता के भाव मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं। अपने समस्त कार्यों को बुद्धिपूर्ण ढगं से करने के साथ साथ अनुशासन को अपनाना तथा प्रात: काल से लेकर रात्रिकाल तक सुनिश्चित दिनचर्या का पालन करना Single मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं। निश्चित समय पर जागरण And निश्चित समय पर शयन के साथ साथ शुद्ध Seven्विक आहार विहार करना Single मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं।
  3. जीवन की कठिन तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में दूसरों पर गुस्सा करने के स्थान पर धैर्य के साथ Meansात स्थिर मनोभाव के साथ उस कठिन उवं प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करना मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं। 
  4. मनुष्य Single सामाजिक प्राणी है तथा मनुष्य का अपने आसपास के वातावरण, परिवार And समाज के अन्य व्यिक्यों के साथ अच्छा आपसी तालमेल होना Single मानसिक निरोगी व्यक्ति का लक्षण हैं। Single मानसिक निरोगी व्यक्ति अत्यन्त संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करता हुआ दूसरों के सुख-दुख को बाटंता है। वह अन्य व्यक्तियों के साथ श्रेष्ठता, शालीनता, सभ्यता And शिष्टाचार का व्यवहार करता है इस कारण उसकी आस पास के लोगों से घनिष्टता पायी जाती है Meansात व्यवहार में सामाजिकता, शालीनता, सभ्यता व श्रेष्ठता आदि गुणों का होना Single मानसिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण हैं।

आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण-

जिस प्रकार पौष्टिक भोजन शरीर को पोषण प्रदान करता है, सद्विचार मन को ऊर्जा प्रदान करते हैं, ठीक इसी प्रकार सत्कार्य आत्मा को बल (आत्मबल) प्रदान करते है। अपने जीवन में सत्कार्य करने वाला व्यक्ति उच्च आत्मबल को प्राप्त करता हुआ आध्यात्मिक स्तर पर निरोगी जीवन यापन करता है। Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति के लक्षण होते हैं-

  1. Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति र्इश्वर में पूर्ण निष्ठा रखते हुए स्वंम को निमित्त मात्र मानकर अपने समस्त कार्यों को र्इश्वर को समर्र्पित करते हुए करता है Meansात वह अपने जीवन को र्इश्वर समर्पण के भावों से युक्त होकर जीता है। 
  2. Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति हवन, सन्धा, पूजा-पाठ, दान-दक्षिणा आदि कार्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ करता है। वह जीवन में सत्कार्यों And परोपकार को स्थान देता हुआ दूसरो के दुखों, कष्टों व पीडाओं को दूर करने के लिए प्रयासरत रहता है। 
  3. Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति सुख, शान्ति And आनन्द के साथ सुव्यवस्थित रुप में अपना जीवन यापन करता है। वह अपने प्रत्येक कार्य शुभ संकल्प से प्ररित होकर सुव्यवस्थित रुप से करता है। 
  4. Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति की समस्त शारीरिक And मानसिक क्रियाएं सुव्यवस्थित होती हैं। इसका अपने शरीर And मन पर पूर्ण नियंत्रण रहता है। 
  5. Single आध्यात्मिक निरोगी व्यक्ति अहिंसा, सत्य, आदि योगांगों का पालन करता हुआ स्थिर मनोभाव से ब्रम में लीन रहता है, वह स्वर्ण तथा लौह में समान दृष्टि (समभाव) रखता है। 
  6. ऐसा व्यक्ति उच्च आत्मबल And बहुमखी व्यक्तित्व का धनी होता है। इसके कार्यों में दिव्यता पायी जाती है। वह स्वार्थ And संर्कीणता की भावना से उपर उठकर अपने जीवन को आर्दश रुप में जीते हुए समाज में प्रेरणा का स्रोत बनता है।

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