लाभदायक प्रभाव –
(1) व्यापारिक लाभ-
- ज्वार-भाटा से सागरों में हलचल होती रहती है, जिससे सागर हिमावृत होने से बचे रहते हैं और उनमें जल यातायात होता रहता है।
- आधुनिक युग के भारी जलयानों का उथले बन्दरगाहों तक पहुँच सकना सम्भव होता है, किन्तु जब ज्वार की तरंगें इन उथलें बन्दरगाहों तक जाती है, तो वहाँ जल ऊँचा हो जाता है। अत: इन ज्वार की तरंगों के सहारे बड़े-बड़े जलयान बंदरगाह तक आसानी से पहुँच जाते हैं और जब लहर वापस होती है (भाटा के समय) तो बन्दरगाह से ये विशाल जलयान गहरे सागर में पहुँच जाते हैं। इससे धन और समय तथा श्रम की बचत होती है जैसे- कोलकाता And लंदन बंदरगाह ज्वार-भाटा का लाभ उठाते हैं।
- ज्वार की तरंगें निमग्न तटों पर नदियों द्वारा जमा किये गये अवसाद को वापसी में अपने साथ बहा ले जाती है, जिससे महाद्वीपीय निमग्न तट गहरे बने रहते हैं। अत: जलयानों का आवागमन होता रहता है।
- ज्वारीय तरंगों बन्दरगाहों पर Singleत्रित कूड़ा-करकट, कीचड़, बालू आदि अपने साथ बहा ले जाती है और बन्दरगाह स्वच्छ बने रहते हैं।
(2) अन्य लाभ-
- ज्वारीय तरंगें बहुत शक्तिशाली होती है। अत: इससे जल-विद्युत उत्पत्ति की जाती है।
- ज्वारीय तरंगों के साथ गहरे समुद्र से बहुमूल्य पदार्थ तथा मोती, सीपियाँ, शँख तट पर आ जाते हैं, इनको Singleत्रित कर अनेक देश व्यापार करते हैं।
- इन लहरों के साथ गहरे सागर से अच्छी किस्म की मछलियाँ निमग्न तट पर आ जाती हैं, जिससे मत्स्योद्योग को प्रोत्साहन मिलता है।