प्रश्नावली का Means, परिभाषा And प्रकार
- सिन पाओ येंग के According – ‘‘अपने सरलतम Reseller में प्रश्नावली प्रश्नों की Single ऐसी अनुसूची है। जिसे की निदर्डान के Reseller में चुने हुए व्यक्तियों के पास डाक द्वारा भेजा जाता है’’।
- बोगार्डस के According – ‘‘प्रश्नावली विभिन्न व्यक्तियों को उत्तर देने के लिए प्रेशित की गर्इ प्रश्नों की Single सूची है’’।
- गुडे And हाट के According –’’ सामान्यत: प्रश्नावली Word से तात्पर्य प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के Single उपकरण से होता है। जिसमें Single प्रपत्र का प्रयोग Reseller जाता है। जिसे उत्तरदाता स्वयं ही भरता है’’।
प्रश्नावली के प्रकार
- तथ्य सम्बन्धी प्रश्नावली :- इस प्रश्नावली का प्रयोग किसी समूह की सामाजिक आर्थिक दशाओं से सम्बन्धित तथ्यों को संग्रह करने के लिए Reseller जाता है। जब हम किसी व्यक्ति की आयु , धर्म, जाति, शिक्षा, विवाह,व्यवसाय,पारिवारिक Creation आदि के बारे में सूचनाएॅ Singleत्र करना चाहते हैं तो इसकी Creation की जाती है । उदाहरण (क) शिक्षा की स्थिति – साक्षर/निरक्षर (ख) व्यवसाय की स्थिति – प्राइवेट/सरकारी
- मत And मनोवृत्ति सम्बन्धी प्रश्नावली:- जब किसी विषय पर सूचनादाता की रूचि ,राय,मत,विचाारधारा, विडवास And दृश्टिकोण जानना चाहते हैं तब इस प्रकार की प्रश्नावली का प्रयोग होता है। बाजारए सर्वेक्षण, जनमत संग्रह,विज्ञापन तथा टेलीविजन And रेडियो कार्यक्रम के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए इस प्रकार की प्रश्नावली का निर्माण होता है । उदाहरण (क) आप कौन सा अखबार पसन्द करते है। (ख) क्या आप सती प्रथा के पक्ष में है।
- संरचित प्रश्नावली :- इस प्रकार की प्रश्नावली का निर्माण अनुसन्धान प्रारम्भ करने से पूर्व विषय पर लोगों की राय,सामाजिक स्वास्थय जन कल्याण की योजनाऐं लोगों के रहन सहन की दडाा, आय व्यय आदि के बारे में सूचना Singleत्र करने के लिए भी संरचित प्रश्नावली का प्रयोग Reseller जाता है। तथा अनुसन्धान कर्ता को उसमें किसी प्रकार के परिवर्तन की छूट नहीं होती है।
- असंरचित प्रश्नावली :- असंरचित प्रश्नावली में First से प्रश्नों का निर्माण नही Reseller जाता वरन् केवल उन विषयों And प्रसंगों का History Reseller जाता है। जिनके बारे में सूचनाएं संकलित करनी होती है। यह पथ प्रदर्शिका की तरह कार्य करती है। असंरचित प्रश्नावली में उत्तरदाता खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है।
- बन्द, सीमित या प्रतिबन्धित प्रश्नावली :- इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों के सामने कुछ निश्चित वैकल्पिक उत्तर लिखे होते है। और उत्तरदाता को उनमें से ही उत्तर छाँटकर लिखने होते है। इस प्रकार की प्रश्नावली में उत्तर देने में सूचनादाता को सुविधा रहती है। उदाहरण (क) आप राजनीति में जाति के हस्तक्षेप को मानते है- (उचित, उचित नहीं, क्षेत्र विशेष में जनसंख्या के आधार पर उचित) (ख) जातिगत आरक्षण उचित है – (हाँ /नहीं)
- खुली / असीमित, या अप्रतिबन्धित प्रश्नावली :- इस प्रकार की प्रश्नावली में सूचनादाता को अपने विचारों को खुलकर प्रकट करने की स्वतन्त्रता होती है। अप्रतिबंधित प्रश्नावलियों का प्रयोग व्यक्गित विचारों, भावनाओं, सुझावों And विषय से संबंधित प्रारम्भिक सूचनाओं को संकलित करने के लिए भी Reseller जाता है । उदाहरण (क) महिलाओं का सशक्तिकरण कैसे हो सकता है ?—— (ख) पंचायती राज में महिलाओं की भागेदारी कैसे बढ़ेगी ?——
- चित्रमय प्रश्नावली :- इस प्रकार की प्रश्नावली में प्रश्नों के सम्भावित उत्तर चित्र द्वारा प्रकट किये जाते है। और सूचनादाता अपने उत्तर का चयन उन चित्रों में से ही करके उस पर निशान लगा देता है। उदाहरण यह जानने के लिए कि आप गॉव और नगर में से कहॉ रहना पसंद करेंगे? इसके उत्तर को जानने के लिए गॉव And नगर के चित्र बना दिये जाते हैं।
- मिश्रित प्रश्नावली :- इस प्रकार की प्रश्नावली उपर described All प्रकार की प्रश्नावलियों की विडोषताएं लिए होती है। इसमें बन्द व खुली प्रश्नावली का मिश्रण होता है। ऐसी प्रश्नावलियॉ कम और अधिक शिक्षित दोनो के लिए ही उपयोगी होती है । इनके द्वारा स्पष्ट तथा सटीक उत्तर के साथ ही उत्तरदाता के स्वतंत्र विचार जानना भी संभव होता है ।
प्रश्नावली की विशेषताएं –
- प्रश्नावली अध्ययन किए जाने वाले विषय से संबंधित प्रश्नों की Single सूची होती है ।
- प्रश्नावली को डाक द्वारा सूचनादाताओं के पास भेजा जाता है । या स्थानीय स्तर पर वितरित भी Reseller जा सकता है ।
- यह प्राथमिक सूचना संकलित करने की Single अप्रत्यक्ष विधि है ।
- प्रश्न सरल, स्पष्ट तथा छोटे होने चाहिए And प्रश्न निडिचत Means वाले होने चाहिए।
- प्रश्नों की संख्या आवडयकता से अधिक न हो।
- यदि संभव हो तो प्रश्न का उत्तर हां नहीं में होना चाहिए।
- प्रश्नों का चुनाव ऐसा हो कि इच्छित सूचना स्पष्ट Reseller से प्राप्त की जा सके।
- दुरुह, अिडाष्ट And विषय से हटकर प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए।
- ऐसे प्रश्नों की Creation की जानी चाहिए जिनमें अभिमति की संभावना न हो।
- प्रश्नावली को सूचनादाता भरकर डाकद्वारा ही लौटाता है कभी कभी स्थानीय लोगों से इसका संग्रह व्यक्तिगत स्तर पर भी कराया जा सकता है ।
प्रश्नावली बनाने के चरण
प्रश्नावलियां वििडाष्ट And व्यवस्थित तरीके से बनार्इ जाती हैं अत: यह प्रक्रिया अनेक अन्र्तसंबद्ध चरणों से गुजरती है जिनमें प्रमुख है।
- तैयारी: इसमें अनुसंधानकर्ता प्रश्नावली में शामिल विषय तथा उससे जुड़े अन्य शोधों, प्रश्नों पर विचार करता है।
- First प्रारुप निर्माण: इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार जैसे प्रत्यक्षध्परोक्ष, मुक्तध्बंद, सीमित/असीमित, प्राथमिक/द्वितीयकध्तृतीयक प्रश्नों सहित अनेक प्रश्न बनाता है।
- स्व मूल्यांकन: अनुसंधानकर्ता प्रश्नों की प्रासंगिकता, Singleरुपता, भाषा में स्पष्टता आदि पर भी विचार करता है।
- वाहय मूल्यांकन: First प्रारुप Single या दो सहयोगियोंध् विशेषज्ञों को जांच And सुझाव के लिए दिया जाता है।
- पुनरावलोकन: सुझाव मिलने के बाद कुछ प्रश्न तो हटा दिये जाते हैं, कुछ बदले जाते हैं और कुछ नये प्रश्न जोड़े जाते हैं।
- पूर्व परीक्षण या पायलट अध्ययन: समूची प्रश्नावली की उपयुक्तता की जांच के लिए पूर्व परीक्षण या पायलट अध्ययन Reseller जाता है।
- पुनरावलोकन: पूर्व परीक्षण से प्राप्त अनुभव के आधार पर कुछ परिवर्तन किये जा सकते हैं। 8 द्वितीय पूर्व परीक्षण: पुनरावलोकित प्रश्नावली का दुबारा परीक्षण होता है और आवडयकतानुसार उसमें सुधार Reseller जाता है।
- अन्तिम प्रारुप तैयार करना: संपादन, वर्तनी जांच, उत्तरों के लिए जगह, पूर्व कोडिंग के बाद अंतिम प्रारुप तैयार होता है।
प्रश्नावली की Creation
प्रश्नावली का निर्माण शिक्षित उत्तरदाता से सूचना प्राप्त करने में Reseller जाता है अत: इसके निर्माण में अधिक सतर्कता की Need होती है। प्रश्नों का चुनाव ऐसे Reseller जाता है कि वह स्पष्ट And सरल हों, प्रश्नावली की Creation मुख्यत: तीन आधारभूत पक्षों के द्वारा की जाती है।
- अध्ययन की समस्या :- किसी विषय पर शोध करने से पूर्व समस्या से संबंधित All सूचनाएं प्रारंभ में ही Singleत्रित की जानी चाहिए। अनुसंधानकर्ता के पूर्व अनुभवों का उपयोग करने से ऐसे उपयुक्त प्रश्नों का चयन होता है जिनसे सूचनादाता को उत्तर देने में आसानी रहती है।
- प्रश्नों की उपयुक्तता :- प्रश्नावली में प्रश्न को सम्मिलित करने से पूर्व यह देखा जाता है कि वह विषय के बारे में सूचना संकलित करने में कितना सहायक है प्रश्नों को क्रमबद्ध करना: प्रश्नों का क्रम कर्इ बातों पर निर्भर करता है परन्तु कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निम्न हैं।
- प्रश्न िवाय से संबंद्ध हो . प्रडमनों का समूह अध्ययन विषय से संबंद्ध होना चाहिए तभी वह शोध में सहायक होगा। उदाहरण: परिवार नियोजन के साधनों से आप कितने संतुष्ट हैं। (पूर्ण संतुष्ट/संतुष्ट /असंतुष्ट/पूर्णतया अंसतुष्ट)
- अत्यन्त सामान्य प्रश्न न हों . जैसे आपने अखबार पढ़ना कब से शुरू Reseller के स्थापन पर उचित प्रश्न होगा जब आप दसवी कक्षा में थे तब क्या आपको अखबार पढ़ने में कोर्इ रूचि थी।
- आसानी से उत्तर योग्य प्रश्न First हों: प्रारम्भ में कठिन प्रश्न से उत्तरदाता थकान का अनुभव करता है ऐसे में यह सम्भव है कि वह गम्भीरता से अन्य प्रश्नों का उत्तर न दे। अत: आयु, आय, व्यवसाय, जाति, डिमाक्षा, वैवाहिक स्थिति, निवास, पृष्ठभूमि आदि से संबंधित प्रश्नों के उत्तर आसानी से दिये जा सकते हैं।
- संवेदनडाील प्रश्न मध्य में होने चाहिए: ऐसे प्रश्न जो राजनैतिक भ्रष्टाचार के प्रति दृष्टिकोण, सरकार की डिमाक्षा नीति, व्यावसायिक डिमक्षा के सुधार के लिए प्रोत्साहन, आरक्षण नीति का पुनरावलोकन आदि से संबंधित हों मध्य में रखे जाने चाहिए ताकि उत्तरदाता इनपर अधिक ध्यान देने का इच्छुक हो तथा ठीक से उत्तर देने में थकान महसूस न करे।
- प्रश्नावली का बाहय अथवा भौतिक पक्ष:- प्रश्नावली की सफलता प्रश्न चयन के साथ ही उसकी भौतिक बनावट पर भी निर्भर करती है। अत: सूचनादाता का ध्यान आर्कषित करने के लिए प्रश्नावली की भौतिक बनावट जैसे उसका कागज, आकार, छपार्इ, रंग, लम्बार्इ आदि आकर्षक होना चाहिए।
- आकार: सामान्यत: प्रश्नावली बनाने के लिए कागज का आकार 8″x 12″ अथवा 9″x 11″ का होना चाहिए। वर्तमान में छोटे आकार की प्रश्नावली जो कि पोस्टकार्ड साइज में होती है का प्रचलन भी बढ़ा है। कम पृष्ठों की प्रश्नावली होने पर उसका डाक व्यय कम लगता है तथा उसके भरकर लौट आने की संभावना भी अधिक रहती है।
- कागज: प्रश्नावली के लिए प्रयुक्त कागज कड़ा, चिकना, मजबूत And टिकाऊ होना चाहिए। विभिन्न प्रकार के विषयों से संबंधित प्रश्नावलियों मेंं भिन्न-भिन्न रंगों के कागज का प्रयोग करने से उनकी छंटार्इ आसान हो जाती है।
- छपार्इ: प्रश्नावलियों को छपाया जा सकता है। छपार्इ स्पष्ट व शुद्ध होने चाहिए। ताकि उन्हें आसानी से पढ़ा जा सके। आकर्षक छपार्इ सूचनादाता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है।
- प्रश्नावली की लम्बार्इ: प्रश्नावली अधिक लम्बी होने पर उत्तरदाता भरने में ऊब और नीरसता महसूस करता है। अत: प्रश्नावली को भरने में आधे घंटे से अधिक समय न लगे इसलिए उसकी लम्बार्इ कम रखनी चाहिए। 5 प्रसंगों की व्यवस्था: Single विषय से संबंधित All संबंधित All प्रश्नों को Single साथ क्रम में लिखा जाना चाहिए और यदि प्रश्नों की संख्या अधिक है तो उन्हें व्यवस्थित समूहों में बांट देना चाहिए।
- प्रश्नों के बीच पर्याप्त स्थान: प्रश्नावली में प्रश्नों के बीच पर्याप्त जगह छोड़ी जानी चाहिए ताकि पढ़ने में सुविधा हो तथा मुक्त प्रश्नों के उत्तर लिखे जा सकें। प्रश्नावली में शीर्षक, उपशीर्षक, कॉलम तथा सारणियां आदि सही क्रम में छपे होने चाहिए ताकि उनके संपादन में अधिक समय, श्रम व धन नहीं लगाना पड़े।
प्रश्नावली का प्रयोग
प्रश्नावली के प्रयोग की समस्त प्रक्रिया को चार भागों में विभाजित Reseller जा सकता हैं ।
- पूर्व परीक्षण :-प्रश्नावली को शोध के लिए उत्तरदाता के पास भेजने से पूर्व इसकी जांच Single छोटे निदर्शन को मानकर पूर्व परीक्षण करने से किसी भी प्रकार के संदेह की स्थिति नहीं रहती। पूर्व परीक्षण में निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- परीक्षण प्रणाली तथा वास्तविक प्रणाली में अधिक अंतर नहीं होना चाहिए।
- इसके लिए निदर्शन उसी क्षेत्र से लिया जाना चाहिए जिसका कि अध्ययन करना है।
- यह कार्य कम संख्या में प्रश्नावली छपवाकर Reseller जाना चाहिए।
- लघुकार निदर्शन द्वारा समूह से प्राप्त उत्तरों And कठिनाइयों के आधार पर इसमें सुधार Reseller जाना चाहिए।
- इस पूर्व परीक्षण द्वारा उत्तरदाता की योग्यता व उत्सुकता का ज्ञान हो जाता है तथा विश्वसनीय And प्रामाणिक सूचना प्राप्त करने में आसानी होती है।
- सहगामी-पत्र: – प्रत्येक प्रश्नावली के साथ Single छपा हुआ सहगामी-पत्र संलग्न करना चाहिए। इस पत्र के द्वारा अध्ययन का उददेश्य तथा सूचनादाता के सहयोग पर प्रकाश डाला जाता है And शीघ्र भरकर लौटा देने का भी अनुरोध Reseller जाता है। इस पत्र में अध्ययनकर्ता का नाम, उसका विभाग, संबंधित व्यक्तियों का History, अध्ययन के उददेश्य आदि का description रहता है And प्राप्त सूचनाएं गुप्त रखी जाएंगी इसका भी आश्वासन रहता है।
- सहगामी-पत्र के मुख्य बिन्दु:
- अनुसंधानकर्ता And अनुसंधान प्रायोजक की पहचान
- अध्ययन के सामाजिक महत्व पर प्रकाश
- अध्ययन का मुख्य उद्देश्य बताना
- अज्ञानता तथा गोपनीयता के प्रति आश्वस्त करना
- प्रश्नावली भरने के लिए अनुमानित आवश्यक समय बताना
- पत्र के अंत में उत्तरदाता के सहयोग के प्रति आभार प्रकट Reseller जाता है।
- पत्र छोटा, आकर्षक तथा प्रभावशाली होना चाहिए।
- शीघ्र प्रत्युत्तर पाने के उद्देश्य के साथ में जवाबी लिफाफा भी भेजना चाहिए।
- डाक द्वारा प्रेषण:
- Single क्षेत्र की प्रश्नावलियां डाक द्वारा Single साथ भेजी जानी चाहिए। ताकि उस क्षेत्र के सूचनादाताओं के उत्तर साथ ही प्राप्त हो सकें।
- सूचनादाता के पते पूरे, सही, पिन कोड सहित लिखने चाहिए ताकि प्रश्नावली समय पर पहुंचे।
- प्रश्नावलियां ऐसे समय पहुंचे जब उत्तरदाता साप्ताहिक अवकाश आदि के कारण घर पर ही हो। ताकि वे उन्हें जल्दी भरकर भेज सकें।
- अपना पता लिखा व टिकट लगा लिफाफा अवश्य साथ में संलग्न रहना चाहिए।
- अनुगामी-पत्र: अनुगामी पत्र का प्रयोग उत्तरदाता को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से Reseller जाता है। प्राय: ऐसा देखने में आया है कि सामाजिक सर्वेक्षणों में सूचनादाता प्रश्नावलियों को भरकर नहीं लौटाते हैं। अनुगामी पत्र भेजने की आवृत्ति इस प्रकार बतार्इ गर्इ है।
- First अनुगामी-पत्र सोलह दिन पश्चात।
- द्वितीय अनुगामी-पत्र First अनुगामी-पत्र के Single सप्ताह बाद ।
- तृतीय अनुगामी-पत्र द्वितीय पत्र के दो सप्ताह बाद । इस पर भी सूचना न मिले तो सूचनादाता का नाम सूची से हटा देना चाहिए।
प्रश्नावली की विश्वसनीयता
उत्तरदाताओं ने प्रश्नावली भरकर जो सूचना दी है वह कितनी विश्वसनीय है वह तभी पता लगेगा जब अधिकतर प्रश्नों के Meansो में अंतर नहीं होगा। अविश्वसनीयता की समस्या उत्पन्न होने के निम्न कारण है-
- गलत And असंगत प्रश्न-जब प्रश्नावली में गलत And असंगत प्रश्न सम्मिलित होते है तो उत्तरदाता उनके उत्तर अपने-अपने दृष्टिकोण से देते है ऐसी स्थिती में दी गर्इ सूचनाए विश्वसनीय नहीं होती।
- पक्षपातपूर्ण निदर्डान- यदि निदर्डान के द्वारा सूचनादाताओं के चयन में शोधकर्ता प्रभावित हुआ है तो निश्चित Reseller से प्राप्त सूचना प्रतिनिधित्वपूर्ण नहीं हो सकती।
- नियंत्रित व पक्षपातपूर्ण उत्तर प्रश्नावली विधि द्वारा प्राप्त- उत्तरों में बहुधा पक्षपात की भावना होती है क्योंकि लोग गोपनीय And व्यक्तिगत सूचनाए सही नहीं देना चाहते।
प्रश्नावली के गुण / लाभ
शोध के लिए आाधर सामन्ती संग्रह में प्रश्नावली महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा प्राथमिक तथ्य ज्ञात किये जाते हैं। प्रश्नावली के लाभ निम्न हैं।
- कम खर्चीली: प्रश्नावली अन्य प्राथमिक तथ्य संग्रह करने वाला विधियों से कम खर्चीली होती है। क्योंकि इन्हें डाक द्वारा या फिर Single या दो अन्वेषकों के द्वारा क्षेत्र में वितरित Reseller जाता है। अत: अधिक कर्मचारियों की Need नहीं पड़ती। केवल छपार्इ और डाक खर्च ही होता है।
- विशाल क्षेत्र And अधिक सूचनादाता से तथ्य संकलन: इस प्रविधि द्वारा जहां Single ओर विशाल क्षेत्र में दूर-दूर फैले सूचनादाता से सूचना प्राप्त की जा सकती है वहीं समय परिश्रम तथा धन की बचत भी होती है।
- समय की बचत: उत्तरदाता भौगोलिक दष्टि से फैले हुए तथा संख्या में अधिक हो सकते हैं। इसलिए प्रश्नावली वापस मंगाने में समय लग सकता है। चूंकि All प्रश्नावलियां Single साथ भेजी जाती हैं और अधिकतर उत्तर दस-पन्द्रह दिन में ही वापस आ जाते हैं। इस प्रकार समय की बचत रहती है और प्रश्नावलियां शीघ्र नतीजे देती हैं।
- साक्षात्कारकर्ता का पूर्वाग्रह नहीं होता: चूंकि साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कारदाता के स्थान पर स्वयं उपस्थित नहीं होता इसलिए वह उत्तरों को प्रभावित नहीं कर सकता। ना तो उत्तर बताकर और न अपनी राय देकर ना ही प्रश्न गलत पढ़कर। स्वतंत्र, निष्पक्ष And गुप्त सूचनाएं प्राप्त: चूंकि प्रश्न का उत्तर लिखते समय शोधकर्ता उपस्थित नहीं होता अत: सूचनादाता स्वतंत्र And निष्पक्ष Reseller से विविध विषयों पर जानकारी दे सकता है। उसे संकोच, हिचकिचाहट आदि भी नहीं होता। जिससे वह निभ्र्ाीक सूचना देता है।
- सुविधाजनक: जहां Single ओर शोधकर्ता को सूचना के लिए अनावश्यक भागदौड़ नहीं करनी पड़ती वहीं दूसरी ओर उत्तरदाता भी अपनी सुविधानुसार खाली समय में प्रश्नावली भरता है तथा Single ही बार में All प्रश्नों के उत्तर देने को बाध्य भी नहीं होता वरन First आसान प्रश्न तथा बाद में कठिन प्रश्नों के उत्तर दे सकता है। पुन: प्रश्नावली भेजना सम्भव: यदि किसी कारण प्राप्त उत्तरों में कमी रहती है तो पुन: प्रश्नावली भेजकर उत्तर ज्ञात करना सम्भव होता है। अत: प्रभावी शोध के लिए उपयोगी विधि है।
- मानकीकृत Wordावली: प्रश्नों का निर्माण Single ही व्यक्ति के द्वारा Reseller जाता है And छपार्इ के बाद All सूचनादाताओं को Single से ही प्रश्नों का उत्तर देना होता है। अत: उत्तरदाता के सामने Single से ही Word होते हैं जिससे प्रश्न समझने में कठिनार्इ नहीं होती तथा उत्तरों की तुलना में सुविधा रहती है। विविधता नहीं होती: प्रश्नावलियां स्थायी, निरंतर और Single सी होती हैं तथा उनमें कोर्इ विविधता नहीं होती।
प्रश्नावली की सीमाएं व दोष
- चयनित प्रतिदर्डा पक्षपातपूर्ण सम्भव: उत्तर चयन में पक्षपात हो सकता है क्योंकि उत्तरदाता की विषय में कोर्इ रूचि न होने के कारण वह All प्रश्नों का उत्तर नहीं भी दे सकता है। चूंकि कुछ विचारों को स्पष्ट करने के लिए वहां अनुसंधानकर्ता उपस्थित नहीं होता अत: उत्तरदाता प्रश्नों को खाली छोड़ सकता है। डाक का पता सही न होने के कारण भी कुछ योग्य उत्तरदाता छूट सकते हैं। इसलिए चयनित प्रतिदर्श को कर्इ बार पक्षपातपूर्ण कहा जाता है।
- केवल शिक्षित लोगों के लिए उपयोगी: डाक प्रेषित प्रश्नावली केवल शिक्षित लोगों में काम आ सकती है अत: उत्तरदाताओं की संख्या सीमित करती है। कभी-कभी विभिन्न उत्तरदाता प्रश्नों को अलग-अलग तरीके से समझते हैं। ऐसी गलतफहमी ठीक नहीं की जा सकती है।
- प्रश्नावली कम संख्या में भरकर वापस: All उत्तरदाताओं का रुझान विषय में है या वे समय पर उपलब्ध हैं, शिक्षित हैं, समय पर लौटाएं तथा पुन: याद दिलाने पर वापस करें ही ऐसा सम्भव नहीं है। अत: प्रश्नावली उत्तरदाता के पास से 30 से 40 प्रतिडात ही वापस आती है जिससे परेशान होकर डाोधकर्ता उनको लिखना छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में वास्तविकता का पता नहीं लग सकता। अपूर्ण, आिडांक या अनउत्तरित प्रश्नावलियां: शोध के दौरान उत्तरदाताओं से बहुत सारी अपूर्ण, आंशिकपूर्ण या अनुत्तरित प्रश्नावलियां शोधकर्ता को वापस मिलती हैं। दुबारा प्रश्नावली भेजने पर भी उत्तर ज्ञात नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ऐसी प्रश्नावलियां शोध के लिए लाभप्रद नहीं होती।
- गहनता से जांच में अनुपयुक्त: चूंकि प्रश्नावलियों का आकार छोटा रखना होता है इसलिए उत्तरदाता से पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती। अत: अतिविशिष्ट शोध के लिए गहनता से जांच नहीं की जा सकती। उत्तरदाता की पृष्ठभूमि संबंधी जानकारी की पुष्टि संभव नहीं: मध्यम वर्गीय व्यक्ति अपने को धनी कह सकता है या Single मध्यम जाति का व्यक्ति स्वयं को उच्च जाति का बता सकता है। प्रश्नावली भरने से पूर्व उत्तरदाता अन्य लोगों से सलाह ले सकता है इसलिए उत्तरों को उसकी अपनी राय नहीं माना जा सकता ।