मानसिक रोग क्या है? – Scotbuzz
मानसिक रोग क्या है?
अनुक्रम –
मनोरोग मानसिक स्वास्थ्य की ठीक विपरीत की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति मानसिक Reseller से स्वस्थ व्यक्ति के विपरीत व्यवहार करता है मानसिक रोग Single ऐसा रोग है जो कि किसी भी आयु किसी भी वर्ग व जाति के व्यक्ति को हो सकता है जिस प्रकार शारीरिक परेशानियां होने पर उसका उपचार कराने हेतु चिकित्सक के पास जाना पड़ता है व औशधियों आदि का सेवन करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार मन में भी किसी भी प्रकार का विकार अस्वस्थता होने पर उसका उपचार कराने हेतु चिकित्सक व औशधियों का सहारा लेना पड़ता है।
मानसिक अस्वस्थता हमारे समाज में उस समय से व्याप्त है जब से Human सभ्यता अस्तित्व में आई है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा भी यह माना गया है कि जब से Human सभ्यता है तभी से उससे जुडी समस्याओं भी रही है जिस प्रकार जनसंख्या में विकास होता जा रहा है उसी प्रकार मानसिक समस्यायें का अनुपात भी बढता जा रहा है। Indian Customer समाज की ये विडम्बना ही है कि पुरातन काल में जिस प्रकार मानसिक Reseller से अस्वस्थ्य व्यक्ति का उपचार बाबा , मुल्ला व फकीर आदि Reseller करते थे जादू -टोना व झाड़ फूक आदि से मानसिक रोगियों का इलाज कराया जाता था वह प्रथा समाज में आज भी चली आ रही है मानसिक अस्वस्थता का उपचार कराने व किसी को बताने से लोग आज भी कतराते है कि कही उसे लोग पागल न समझने लगे जिसके चलते कई मानसिक रोगियों का इलाज भी सम्भव नहीं हो पाता।
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मनोरोगी- मनोरोगी का नाम सुनकर ही मन: मस्तिष्क में सबसे First जो छवि उभर कर आती है वह Single ऐसे व्यक्ति की होती है जिसके बाल बिखरे हुए, फटे कपडे और जो कुछ बड़बडाती सी अस्त व्यस्त हालत मेंं हो जबकि यह अवस्था Single पूर्णReseller से मानसिक संतुलन खो चुके व्यक्ति की होती है जिसका उपचार केवल मानसिक चिकित्सालय में ही हो सकता है मानसिक रोग भी कई प्रकार के हेाते है उनकी अवस्थायें अलग-अलग होती है कुछ रोगियों को केवल औशधियों आदि से स्वस्थ Reseller जा सकता है जबकि कुछ रोगियों को केवल ध्यान आदि से भी लाभ प्राप्त हो जाता है गम्भीर रोगियों को बिजली के झटके आदि भी दिये जाते है मानसिक रोगों की विभिन्न अवस्थाये- अवसाद महिलाओं में शक की प्रवृति, मिर्गी के दौरे , चिन्ता, तनाव , उन्माद , बच्चों में मूत्र त्यागना, बुढापे में भूलने की समस्यायें इत्यादि All मानसिक विकार से ही उत्पन्न होती है इन अवस्थाओं में किसी भी व्यक्ति को पागल नही कहा जा सकता इन विकारों का उपचार चिकित्सक के परामर्श व औशधियों आदि से Reseller जा सकता है।
मनोरोग की परिभाषा
- मानसिक अस्वस्थता- किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक स्थिति का बिगड़ जाना मानसिक अस्वस्थता कहलाती है।
- Indian Mantal Health act 1987- मानसिक Reseller से अस्वस्थ व्यक्ति वह है जो मंदबुद्धि के अलावा किसी अन्य मानसिक बीमारी से पीडित है और जिसे उपचार की Need है।
- रेबर एलेन तथा रेबर (2009)- असामान्य मनोविज्ञान, मनेाविज्ञान की वह शाखा है जो असामान्य व्यवहार से सम्बद्ध है।
मनोरोगी के लक्षण
- नकारात्मक विचार- Single मानसिक Reseller से अस्वस्थ व्यक्ति के विचार नकारात्मक होते है वह हमेशा भयभीत रहता है कि कहीं उसके या उसके परिवार के साथ किसी प्रकार की अनहोनी न हो जाये, कही कोई उन्हें नुकसान ना पहुंचा दे, मुझे कोई मार न डाले, लोग मेरा मजाक न उडायें आदि इस तरह के नकारात्मक विचार व्यक्ति में मानसिक अस्वस्थता को जन्म देते है।
- भावनात्मक अस्थिरता- मनोरोग से पीडित व्यक्ति में भावनात्मक अस्थिरता पाई जाती है व्यक्ति कभी अत्यधिक प्रसन्न तो कभी अत्यधिक उदासीन हो जाता है कभी तो वह अत्यधिक वार्तालाप करता है और कभी Singleदम शांत होता है हंसना, रोना, डरना All भाव पलभर के समय में आना जाना इस प्रकार की भावनात्मक अस्थिरता व्यक्ति को मानसिक अस्वस्थता का शिकार बना देती है।
- आत्मविश्वास की कमी- मनोरोगी में आत्मविश्वास की भी कमी पाई जाती है वह अपने निर्णय के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है उसके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित वह यह निर्णय नहीं ले पाता, अत: इस तरह का व्यवहार आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
- Safty का अभाव- Single स्वस्थ व्यक्ति अपने वातावरण व लोगों से परिचित होता है और परिस्थितियों के अनुकूल अपने आप को ढाल लेता है परन्तु मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति अपने को कहीं भी Windows Hosting महसूस नही करता। वह जो भी कार्य करता है उसे लगता है कि लोग उस पर हसेंग,े इस तरह की कुंठित भावनाओं के चलते वह समाज से अलग-अलग व Singleान्त मेंं रहना शुरू कर देते है।
- Singleाकीपन- इस रोग में रोगी को Singleान्तवास भाने लगता है वह परिवार , रिश्तेदार, मित्रों, समाज All से Single दूरी स्थापित कर लेता है। यही Singleाकी रहने का भाव जब अत्यधिक बढ़ जाता है तब व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार हो जाता है और कभी-कभी Singleाकीपन से तंग आकर आत्महत्या भी कर लेता है।
- समाजिक प्रतिकूलता- Single मनोरोगी व्यक्ति समाज में अनुकूल व्यवहार नहीं कर पाता कभी खुशी के स्थान पर रोना और कभी दुख के स्थान पर हंसना प्रांरभ कर देता है।
- शारीरिक परेशानियां- मन व शरीर दोनों ही Single Second के अभिन्न अंग है Single के अस्वस्थ होने पर दूसरा स्वयं ही अस्वस्थ हो जाता है। ऐसे ही मनोरोग में जब व्यक्ति का मन स्वस्थ नहीं होता तब वह शरीर में भी कई परेशानियां महसूस करता है जैसे- अनिद्रा, सिरदर्द , अरूचि, पेटदर्द आदि।
- अनियमित जीवन- मनोरोगी का दैनिक जीवन भी अनियमित रहता है वह कभी भी स्वस्थ दैनिक जीवन नही जी पाता और दैनिक अनियमिततायें उसके व्यवहार में शामिल हो जाती है जैसे कई -कई दिन तक न नहाना, गंदे कपड़े आदि पहने रहना।
मनोरोग के कारण
अनुवांशिक कारण-
अनुवाशिंकता Single ऐसा कारक है जो कि किसी भी रोग में अपना प्रभाव अवश्य ही दर्शाती है । यह कारक उन व्यक्तियों के शरीर में जन्म से ही व्याप्त होता है जिनके पूर्वज माता -पिता या किसी नजदीकी रिश्तेदार में यह रोग रहा हो उस व्यक्ति को रोग का स्तर 10% से 15% तक बढ जाता है कॉलमेंन ने मनसिक विकृतियों का वर्णन करते हुए यह बतलाया कि असामान्यता का Single प्रमुख कारण अनुवांशिकता है । उन्होनें अपने अध्ययन में यह पाया कि मानसिक विकृति सहोदर भाई-बहनों में 14.5% और सामान जुडवाँ बच्चो में 86.2% तक पाई जाती है।
कुपोशण- कई रोगियों में देखा गया है कि उनके रोग का कारण कुपोशण भी होता है पोशक आहार की अनुपस्थिति में भी व्यक्ति में चिड़चिड़ापन , क्रेाध आदि बढ जाता है व्यक्ति में पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स , आयरन, प्रेाटीन्स, आदि की कमी भी रोग का Single महत्वर्पूण कारक हैं। विटामिन 𝐵1,𝐵2,𝐵5,𝐵6 आदि प्रोटीन की कमी शारीरिक Reseller से तो कुपोशित करती है साथ ही मानसिक रोगो को भी जन्म देती है।
शारीरिक कारण-
जब किसी व्यक्ति में किसी प्रकार का शारीरिक दोश होता है जैसे शारीरिक Reseller से अपंग होना, कुReseller होना, अत्यधिक मोटापा इत्यादि होने से भी हीन भावना उत्पन्न हो जाती है जिसका लगातार सामना करने से व्यक्ति मानसिक Reseller से कमजोर होता जाता है और रोगी बन जाता है।
शेल्डर के According-शारीरिक बनावट तथा स्वभाव मानसिक रोग को उत्पन्न नही करते लेकिन यदि उस व्यक्ति में मानसिक रोग होने की सम्भावना हो तो शारीरिक बनावट और स्वभाव नि:संदेह इस बात का निर्धारण करते है कि उस व्यक्ति मेंं किस मानसिक रोग का विकास होगा।
मनोवैज्ञानिक कारण
- किसी प्रिय व्यक्ति से विछोह – जब कोई व्यक्ति अपने सबसे करीबी और नजदीकी व्यक्ति से बिछडता है तब व्यक्ति को Single सदमा सा महसूस होता है जिसे कुछ व्यक्ति तो आसानी से महसूस कर पाते है और कुछ के लिए यह मानसिक रोग का कारण बन जाता है।
- असामान्य वैवाहिक जीवन- जिन लोगो का वैवाहिक जीवन सामान्य नही होता जिनके बीच सदैव विवाद की स्थिति बनी रहती है उन दम्पत्ति में चिंता व तनाव की स्थिति होने से मानसिक अस्वस्थ्यता जैसे रोग उत्पन्न हो जाते है उनके साथ -साथ उनके बच्चों में भी नकारात्मकता उत्पन्न होने लगती है।
- पारिवारिक कलह- परिवार में किसी भी प्रकार का कलह भी व्यक्ति को मानसिक Reseller से कमजोर कर देता है जिसमें कमजोर मन:स्थिति वाले व्यक्ति अपने पर नियंत्रण खो बैठते है एंव मानसिक रोगों के शिकार हो जाते है।
- दोशपूर्ण प्रारम्भिक जीवन- जिन व्यक्तियों का बचपन दोशपूर्ण वातावरण में बीता हो जैसे अनुशासन की कमी या अत्यधिक अनुशासन का होना, माता-पिता का बच्चे पर अत्यधिक लाड-प्यार का होना या माता -पिता का न होना किन्ही कारणों के चलते अभावपूर्ण व तिरस्कृत बचपन ये All ऐसी परिस्थितियां है जिनका बचपन ऐसे अनुभवों से गुजरा हो या फिर बचपन की ऐसी कोई दुखद घटना जिसे व्यक्ति जीवन पर्यन्त नही भूल पाता , तथा लगातार मन में यही विचार आने पर व्यक्ति सामान्य व्यवहार नही कर पाता।
- जीवन में बार-बार असफलता- प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफलतापूर्वक जीना चाहता है वह जो भी कार्य करे उसे उस कार्य मेंं पूर्ण सफलता मिले। प्रत्येक व्यक्ति की सेाच होती है और जब कोई व्यक्ति All प्रकार के प्रयत्न व मेहनत करता है और उसके उपरान्त भी उसे सफलता प्राप्त नही हो तो व्यक्ति में हीन भावना व विचारों में नकारात्मकता उत्पन्न हो जाती है हर बार असफलता का सामना करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास टूटता जाता है जो कहीं न कहीं व्यक्ति की मानसिक स्थिति को आहत करता है।
सामाजिक कारण
- बेरोजगारी- बेरोजगारी Single ऐसी समस्या है जिसका स्तर हमारे देश में प्रतिदिन बढता जा रहा है। चूंकि भारत Single विकासशील देश है यहां जनसंख्या का स्तर भी अत्यधिक विशाल है All को रोजगार प्राप्त होना असम्भव है। जिससे बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है उच्चस्तर की शिक्षा के उपरान्त भी व्यक्ति को जब रोजगार प्राप्त नही होता या फिर उसकी योग्यतानुसार रोजगार प्राप्त नही होता तो व्यक्ति के दिमाग मेंं असंतोश व नकारात्मकता उत्पन्न होती है और मन में नकारात्मक विचार आते है और नकारात्मक विचार मानसिक अस्वस्थता का कारण होते है।
- आर्थिक समस्याऐं- आर्थिक समस्यायें भी कहीं न कहीं रोजगार समस्याओं से जुडी हुई है जब रोजगार प्राप्त नही होता तो व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार नही सकता उसका जीवन कमियों के साथ व्यतीत होता है। जबकि वर्तमान युग Single भौतिकतावादी युग है। जहां परस्पर प्रतिस्पर्धा भी है सुख सुविधा के All भौतिक संसाधन व्यक्ति के पास होने चाहिए और जब कोई व्यक्ति अपनी आर्थिक समस्याओं को दिन रात मेहनत करके भी हल नही कर पाता तो व्यक्ति में असंतोश पैदा हो जाता है।
- टूटते परिवार- वर्तमान में परिवारों के स्वReseller में तेजी से परिवर्तन आया है जहां संयुक्त परिवार हुआ करते थे कई पीढियां साथ-साथ रहा करती थी और घर का वयोवृद्ध व्यक्ति ही परिवार का मुखिया होता था वहां यह स्थान अब Singleांकी परिवार ने लिया है जंहा माता-पिता व उनकी संतानें रहती है जहां संयुक्त परिवार में किसी भी समस्या में पूर्ण परिवार Single Second के साथ को तैयार रहता था वहां आज Singleांकी परिवार में किसी भी प्रकार की समस्या के होने पर उसका सामना अकेले ही करना पडता है टूटते संयुक्त परिवारों के कारण जहां पारिवारिक Singleता व सहयोग की भावना खत्म होती जा रही है वहीं समस्यायें दिन प्रतिदिन बढती जा रही है ओैर Singleाकी परिवार मेंं अगर माता या पिता किसी Single के भी न होने पर यह समस्या Single विकटReseller धारण कर लेती है और व्यक्ति को किसी के सहयोग के बिना ही All कार्य करने होते है जैसे कि बच्चों का लालन पालन जिसमेंं अहम है व्यक्ति अपने आप को अकेला महसूस करता है और कई बार यह स्थिति मानसिक असंतेाश उत्पन्न कर देती है।
- वातावरणीय दोश- मनुष्य Single सामाजिक प्राणी है और वह समाज के बिना नहीं रह सकता उसके आस -पास का वातावरण, समाज , आस पडोस आदि सब मिलकर ही व्यक्ति को Single सामाजिक प्राणी बनाता है परन्तु जब किसी व्यक्ति का यही वातावरण , आस पडोस , विद्यालय आदि में दोश उत्पन्न हो जाता है या फिर यही वातावरण जब गलत आचरण सिखाता है जो कि समाज के अहित मेंं होता है तो व्यक्ति समाज के विपरीत कार्य करता है और समाज से तिरस्कृत कर दिया जाता है जो कि किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य नही होता।
- तनावपूर्ण सामाजिक जीवन- विभिन्न समाजशास्त्रीयों द्वारा यह माना गया है कि तनावपूर्ण सामाजिक जीवन भी व्यक्ति को असमान्यता का शिकार बना देता है। कोलमेंन (1971) ने असमान्यता के सामाजिक कारणों का History कर सामाजिक तनाव पर जोर देते हुए कहा है कि जिस समाज मेंं तनाव तथा संघर्श ज्यादा होता है उनके बच्चों में असमान व्यवहार को ज्यादा देखा गया है मीड (1935-1951) ने विभिन्न संस्कृतियों का अध्ययन कर पाया कि जिस संस्कृति के लोगों में बुनियादी आवष्यकताओं को पूरा करने में कठिनाईयॉं थी वहां के लोगों में तनाव अधिक था।
सन्दर्भ-
- Quick Review Pg 168
- Penguin Dictionary of Psychology
- मुहम्मद एंव दिनेश कुमार, ‘‘मनोरोग विज्ञान’’ मोतीलाल बनारसीदास
- मुहम्मद सुलैमान एंव दिनेश कुमार, ‘‘ मनोरोग विज्ञान’’ पेज 150
- दीपिका पटेल गोकुल पटेल ‘‘मानसिक स्वास्थ्य’’ पेज 204