1. सार्वजनिक पुस्तकालय में संदर्भ सेवा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसको प्रदान करने की विधि को संक्षेप में बताइये ।।

1. सार्वजनिक पुस्तकालय में संदर्भ सेवा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसको प्रदान करने की विधि को संक्षेप में बताइये ।।

विशिष्ट पुस्तकालय वे पुस्तकालय होते हैं, जो किसी विशेष विषय, क्रिया कलाप, विषय समूह, किसी विशेष प्रकार के प्रलेखों And सामग्रियों का संग्रह And प्रसार, किसी प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति तथा किसी विशिष्ट प्रकार के संस्थाओं, संगठनों, अनुसंधान And अध्ययन केन्द्रों से संबंधित होता है । विशिष्ट प्रकार के पाठकों जैसे अन्धे, कैदी, रोगी, बच्चे, बुजुर्गों आदि पाठकों की Need की पूर्ति के लिए कार्यरत And संस्थापित पुस्तकालयों को भी विशिष्ट पुस्तकालय माना जाता है । इस प्रकार पाठकों, संकलन, And उसकी मूल अवधारणा And उद्देश्य की दृष्टि से विशिष्ट पुस्तकालय अन्य पुस्तकालयों से भिन्न होते हैं । इनका मुख्य उद्देश्य अपनी पैतृक संस्था (parent institution) या विशिष्ट समुदाय को सेवा प्रदान करना है । इन पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या सीमित होती है किन्तु उनकी अपने विषय में विशिष्टता, गहनता And अभिरूचि होती है । अत: संदर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष को विषय के नवीनतम विकास रख सूचना स्रोतों की जानकारी आवश्यक है ।
विशिष्ट पुस्तकालयों के अधिकतर उपयोगकर्ता व्यस्तता के कारण संदर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष से सूचना स्रोतों की उपलब्धता, स्थान के बारे में जानकारी चाहते हैं । इन पुस्तकालयों में पूछे गये प्रश्न अधिकतर शोध प्रश्न या अन्य व्यापक संदर्भ प्रश्न होते हैं । इन प्रश्नों के उत्तर के लिए पुस्तकालयाध्यक्ष को व्यापक And गहन खोज करनी पड़ती है । यदि पाठक द्वारा चाही गई सूचना, प्रलेख या जानकारी पुस्तकालय में उपलब्ध न होने की अवस्था में Second पुस्तकालय से संबंधित जानकारी या प्रलेख मंगवाकर पाठक को सेवा दी जा सकती है। । कई बार अनुवाद, सारांश, अनुक्रमणीकरण आदि सेवा की भी इन पाठकों को Need पड़ती है । इन सब कार्यों को करने के लिए विशिष्ट योग्य कर्मियों की Need होती है । । विशिष्ट पुस्तकालयों में सेवाएं पाठकों को उनके मांगने पर ही नहीं वरन् उनकी सहायता हेतु पूर्वानुमान के आधार पर भी प्रदान की जाती है । इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली संदर्भ And सूचना सेवाएं निम्नलिखित है, जैसे|
1. सामयिक अभिज्ञता सेवा – इस सेवा का उद्देश्य पाठकों को उनके विषय में हुए नवीनतम विकास की जानकारी प्रदान करना है । ये सेवा अनेक तरीकों से दी जा सकती है। जैसे|

विशिष्ट पुस्तकालय में संदर्भ सेवा किस प्रकार प्रदान की जाती है, लिखिए विश्वविदयालय पुस्तकालय में संदर्भ सेवा क्यों आवश्यक है, बताइये ।

(क) पत्रिकाओं का परिसंचरण – इस पद्धति में नयी आने वाली पत्रिकाओं या साहित्य को मूल में पाठकों को इस निर्देश के साथ भेज दिया जाता है कि वह उसका अवलोकन कर अन्य पाठक को दे दे ताकि All पाठक नवीनतम जानकारी से अवगत हो सके ।
(ख) विषय सूची का वितरण – इस विधि में Single निश्चित अवधि में पुस्तकालय में आने वाले पत्रिकाओं के नये अंकों की विषय सूची बनाकर पाठकों को भेज दी जाती है तथा Needनुसार उन्हें मूल या फोटो प्रति भेजने की व्यवस्था होती है ।
 (ग) परिग्रहण सूचियों का वितरण – नव प्राप्त पुस्तकों या अन्य सामग्री की परिग्रहण
कों में वितरित जा सकती है । जिससे पाठक Needनुसार पाठ्य सामग्री या लेखों का चयन कर ले And पुस्तकालय से प्राप्त कर सके।
(घ) पुस्तकालय समाचार पत्र – कई पुस्तकालय इस तरह के बुलेटिन भी प्रकाशित करते हैं, जिनमें नई पाठ्य-सामग्री सेवाओं व अन्य सूचना पाठकों को भेजने के लिए प्रयोग की जा सकती है ।
(2) चयनात्मक प्रसार सेवा – यह विशिष्ट पुस्तकालयों की महत्वपूर्ण सेवा है। इस सेवा में पाठकों की रूचि का विशेष ध्यान रखा जाता है | उनकी रूचि के According उन्हें चयनित सेवा प्रसारित की जाती है । इसमें उपयोगकर्ताओं की रूचि निश्चित करने के बाद उपयोगकर्ता अभिरूचि-चित्रण And प्रलेखों को विश्लेषित करने के बाद प्रलेख चित्रण तैयार किए जाते हैं । पुस्तकालय में सामयिक प्रकाशनों के नये अंक आने पर दोनों चित्रणों का मिलान Reseller जाता है।

6. अभ्यासार्थ प्रश्न 

यदि किसी प्रलेख का विषय And उपयोगकर्ता की रुचि मिल जाती है तो उपयोगकर्ता को सूचना भेज दी जाती है जिससे उपयोगकर्ता प्रलेख प्राप्त कर सके । बहुत से विशिष्ट पुस्तकालयों में यह सेवा कम्प्यू टरीकृत है ।।
(3) ग्रन्थ संदर्भ सूचियों का संकलन – पाठकों की रूचि में समकालीन शीर्षकों की ग्रन्थ संदर्भ सूचियां पाठकों के मांगने पर या उनकी सहायता के उद्देश्य पूर्वानुमान से तैयार की जा सकती है ।
(4) साहित्य अन्वेषण – विशिष्ट पुस्तकालय में संदर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष को शोधकर्ताओं की शोध परियोजनाओं में सहभागी होना चाहिए । पुस्तकालयाध्यक्ष शोधकर्ताओं के लिए अन्वेषण कर वांछनीय सामग्री प्राप्त करने में सहायता करेगें तो पाठकों के समय की बचत होगी तथा वे अधिक वांछनीय सामग्री प्राप्त कर सकेगें ।
(5) अन्र्तपुस्तकालय आदान-प्रदान सेवा – विशिष्ट पुस्तकालयों में All प्रलेखों का उपलब्ध होना संभव नहीं हो पाता है । अत: अन्य पुस्तकालयों से जो उस विषय क्षेत्र में उपयोगी पाठ्यसामग्री रखते हों, से पाठ्य सामग्री मंगवाकर पाठकों को उपलब्ध करवा दी जाती है | आवश्यक हो तो मूल सामग्री की जगह फोटो-प्रति भी मंगवाकर पाठकों को उपलब्ध करवायी जा सकती है ।।
(6) अनुवाद सेवा – कई बार पाठक उपयोगी पाठ्य सामग्री होते हुए भी स्वयं की भाषा में उपलब्ध होने पर उपयोग नहीं कर पाता है । अत: पुस्तकालय ऐसी सामग्री अनुवाद कर/या अनुवाद करवा कर पाठकों को सेवा प्रदान की जा सकती ।
(7) रिफरल सेवा – सूचना या प्रलेख पुस्तकालय में अनुपलब्ध होने पर पाठकों को अभीष्ट सूचना प्रदान करने वाले स्रोतों तक पहुंचाया जा सकता है ।।
| इस प्रकार, विशिष्ट पुस्तकालय को अपनी संबंधित संस्था, या पैतृक संगठन संस्था के उद्देश्यों And रूचि की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर उनके उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पाठकों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करनी चाहिए ।

5. सारांश

स्पष्ट है कि विभिन्न पुस्तकालयों में संदर्भ सेवा Single अनिवार्य सेवा है तथा भिन्नभिन्न प्रकार के पुस्तकालयों में पाठकों की प्रकृति And Need, विशिष्टता, पुस्तकालय के कार्य क्षेत्र, आदि से प्रभावित होती है । विभिन्न पुस्तकालयों में इस सेवा की मात्रा, प्रकार व सेवा प्रदान करने में विविधता देखने को मिलती है । लेकिन इस सेवा का मूल उद्देश्य पाठकों दवारा पुस्तकालय के संसाधनों को अत्यधिक उपयोग करने में व्यक्तिगत सहायता अनिवार्य Reseller से उपलब्ध करने में निहित है । पुस्तकालय की नीति According अधिक से अधिक And उत्तम संदर्भ-सेवा प्रदान करने की चेष्टा होनी चाहिए ।
7. विस्तृत अध्ययनार्थ ग्रन्थ सूची
1. Krisha Kumar, Reference Service, 5th ed., New Delhi, Vikas
Publishing House, 1997. 2. Ranganathan, S.R., Reference Service, 2nd ed. Bombay, Asia
Publishing House, 1961. 3. Sharma, J.S. and Grover, R.D., Reference Service and Sources of
information, New Delhi, Ess Ess, 1987.
4. सुन्दरेश्वरन, के.एस., संदर्भ सेवा : सिद्धान्त And प्रयोग, भोपाल, हिन्दी पुस्तक अकादमी, 1985.
5. कौशिक, पूर्णिमा, संदर्भ सेवा : सिद्धान्त And व्यवहार, जयपुर, यूनिवर्सिटी बुक हाउस, 1992.
6. उषा पवन And गुप्ता, पवन कुमार, संदर्भ सेवा And सूचना स्रोत, जयपुर, आर.बी.एस.ए. | पब्लिशर्स, 1998.
7. त्रिपाठी, एस.एम., संदर्भ And सूचना सेवा के नवीन आयाम, आगरा, वाई.के. पब्लिशर्स, 1993.

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