लागत अंकेक्षण क्या है ?
सन् 1965 मे Indian Customer कम्पनी अधिनियम मे Single क्रांतिकारी परिवर्तन करके लागत अंकेक्षण (cost Audit) के सम्बन्ध मे धारा 233 (B) जोडी गर्इ। इस प्रकार भारतवर्श विश्व मे ऐसा देश बन गया जहॅं लागत अंकेक्षण को First वैधानिक मान्यता दी गर्इ। इससे जहॉं विश्व में इसका गौरव बढा है, वहीं स्वदेश में भी लेखा व्यवसाय को Single नर्इ दिशा मिली है। परिव्यय अंकेक्षण को परिभाशित Reseller जा सकता है –
- लागत अंकेक्षण लागत लेखो की जॉंच है। इस परिभाषा के According लागत अंकेक्षण के अन्तर्गत केवल यह जॉंच की जाती है कि जो लागत लेखे तैसार किये गये है, वे सही है अथवा नहीं। इसके अन्तर्गत यह नहीं देखा जाता है कि लागत सम्बन्धी वह सूचना सही है अथवा नही, जिसके आधार पर वे लेखे तैयार किये गये है।
- लागत अंकेक्षण किसी संस्था की लागत सम्बन्धी सूचना की जॉच है। इस परिभाषा के अनूसार लागत अंकेक्षण के अन्तर्गत लागत सम्बन्धी समस्त सूचना की जॉच की जाती है, अत: यह परिभाषा से अधिक विस्तृत है। कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत केवल उत्पादन प्राविधि निर्माण या खनन सम्बन्धी कार्यों मे लगी हुर्इ कम्पनियों का ही लागत अंकेक्षण कराया जा सकता है। इससे यह भ्रम होता है कि इनके अतिरिक्त अन्य किसी काम मे लगी हुर्इ कम्पनी का लागत अंकेक्षण नही हो सकता । यह सही नहीं है। उपरोक्त परिभाषा यह स्पष्ट करती है कि लागत अंकेक्षण ऐसी किसी भी संस्था का कराया जा सकता है, जहॉं लागत होने की स्थिति हो। इस दृश्टिकोण से यह आवश्यक नही है कि वह संस्था कम्पनी ही हो। Single लाभ के लिए कार्य न करने वाली संस्था में भी लागत अंकेक्षण िका जाना सम्भव है, यदि वहॉं व्यय Reseller जाता है। ऐसी संस्थाओं में व्यय को नियन्त्रित करने तथा उसे कम करने व कार्यकुशलता को बढाने के लिए लागत अंकेक्षण बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
- इंग्लैण्ड के लागत व प्रबन्ध लेखा संस्थान ने लागत अंकेक्षण की जो परिभाषा दी है तथा जिसे भारत के लागत लेखा संस्थान द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, वह इस प्रकार है: लागत अंकेक्षण लागत लेखों की सत्यता एंव लागत लेखा योजना के अनुसरण की जॉंच है। उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेशण करने से परिव्यय अंकेक्षण के दो अंग प्रकट होते है :-
- लागत अंकेक्षण लागत लेखो की सत्यता की जॉंच है,
- लागत अंकेक्षण लागत लेखा योजना के अनुसरण की जॉंच है।