असामान्य मनोविज्ञान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
महान् चिकित्सक हिपोक्रेट्स के बाद ग्रीक तथा रोमन चिकित्सक मनोरोगों के अध्ययन में उनके द्वारा बताये गये पथ का अनुकरण करते रहे। इस संबंध में मिस्र में काफी प्रगति हुयी And वहाँ के अनेक गिरजाघरों And मंदिरों को आरोग्यशालाओं में परिवर्तित कर दिया गया और वहाँ के शांत And स्वस्थ वातावरण में मनोरोगियों को रखने की विशेष Reseller से व्यवस्था की गर्इ। इन आरोग्यशालाओं की विशेष बात यह थी कि इनमें मनोरोगियों को विभिन्न प्रकार की सर्जनात्मक And मनोरंजन करने वाली गतिविधियों जैसे नृत्य करना, गाना-बजाना, बगीचे में घूमना इत्यादि में शामिल Reseller जाता था। इस समय मनोरोगों के उपचार में कुछ अन्य नयी तकनीकों को भी शामिल Reseller गया। जैसे व्यायाम, जल चिकित्सा, अल्पभोजन तथा कुछ विशिष्ट रोगों में शरीर से रक्त बहा देना, यांत्रिक दबाव इत्यादि।
- शारीरिक कारण And
- मानसिक कारण
मस्तिष्क में चोट लगना, अत्यधिक मद्यमान, आघात, भय, मासिक धर्म में गड़बड़ी, आर्थिक अभाव, प्रेम में असफल होना इत्यादि कारकों को मनोरोगों का कारण माना गया। ग्रीस तथा रोम की सभ्यता का Ultra site अस्त होने के बाद Meansात जब गेलेन की मृत्यु हो गयी (200 ।ण्क्ण्) तत्पश्चात इन देशों में मनोरोगों के कारण And उपचार के संबंध यहाँ के दार्शनिकों द्वारा प्रतिपादित विचार And विधियाँ भी अपना प्रभाव खोने लगी और पुन: जीववादी चिन्तन जोर पकड़ने लगा Meansात फिर से उस समय के लोग And चिकित्सक भी मनोरोगों का कारण दैवीय प्रकोप And दुष्ट आत्मा का शरीर में प्रवेश करना मानने लगे। इसलिये असामान्य मनोविज्ञान के History में इसे अन्धकार युग (Dark age) माना जाता है, जिसका समय 500 ।ण्क्ण् तक माना गया है। 500 ।ण्क्ण् से 1500 ।ण्क्ण् तक के समय को ‘‘मध्ययुग’’ (Middle age) माना गया है।
(3) मध्ययुग में पैशाचिकी
जैसा कि First ही स्पष्ट Reseller जा चुका है कि असामान्य मनोविज्ञान के History में 200 A.D. से 500 A.D. तक के समय को अन्धकार युग And 500 A.D. से 1500 A.D. तक के काल को मध्ययुग माना गया है। इन दोनों कालों में मानसिक रोगों के प्रति प्राय: Single जैसा दृष्टिकोण ही था। ग्रीक And रोमन सभ्यता के Ultra siteास्त And इसार्इयत के Ultra siteोदय से अंधकारयुग का आरंभ माना जाता है। इस युग में Single बार फिर मनोरोगों का मूल कारण बुरी आत्मा के प्रवेश या दैवीय प्रकोप को माना जाने लगा। इसार्इयत के बढ़ते प्रचार ने इस मान्यता को और दृढ़ Reseller। मध्ययुग के प्रारंभ में भी मानसिक रोगों की उतपत्ति And उपचार के प्रति यही दृष्टिकोण बना रहा।
मध्ययुग के उत्तरार्द्ध में असामान्य व्यवहार में सामूहिक पागलपन की Single नयी प्रवृत्ति की शुरूआत हुयी और धीरे-धीरे यूरोप के काफी बड़े हिस्से में यह रोग Single महामारी के Reseller में फैल गया। इस सामूहिक पागलपन की बीमारी में जैसे ही हिस्टीरिया का लक्षण किसी Single व्यक्ति में दिखायी देता तो Second लोग ीाी इससे प्रभावित होने लगते और असामान्य व्यवहार दिखाने लगते जैसे रोगना, उछलना, कूदना, Single Second के कपड़े फाड़ देना आदि। इटली में इस प्रकार के सामूहिक नाच-गाने के उन्माद को नृत्योन्माद कहा गया। नृत्योन्माद को समान ही Single दूसरा तरह का उन्माद वृकोन्माद भी फैला। इसमें मनोरोगी को ऐसा लगता था कि वह Single भेड़िया के Reseller में बदल गया है। इसलिये उसकी गतिविधियाँ भी भेड़ियें के समान ही हो जाती थी। 14वीं-15वीं सदी में सामूहिक पागलपन की यह प्रवृत्ति अपनी चरम सीमा पर थी। मध्ययुग में मनोरोगों का उपचार मूलत: पादरियों द्वारा ही Reseller जाता था। इस युग के प्रारंभ में तो मनोरोगों के उपचार हेतु कुछ Humanीय तरीके अपनाये गये लेकिन बाद में फिर से अपदू्रतनिरासन And ट्रीफाइनेशन जैसी अवैज्ञानिक And अHumanीय विधियों को अपनाया गया।
15वीं सदी के उत्तरार्द्ध में लोगों में यह विचार काफी सुदृढ़ हो गया कि बुरी आत्मा का आधिपत्य दो तरह का होता है। Single आधिपत्य ऐसा होता है। जिसमें व्यक्ति के स्वयं के पापकर्म के फलस्वReseller कोर्इ बुरी आत्मा व्यक्ति की इच्छा के विरूद्ध उसमें प्रवेश कर जाती हैं और उसमें मनोरोगों को जन्म देती है। Second प्रकार का आधिपत्य ऐसा होता हे। जिसमें व्यक्ति स्वयं अपनी इच्छा से बुरी आत्मा से मित्रता कर लेता है और असामान्य व्यवहार करने लगता है। इस Second प्रकार के आधिपत्य में व्यक्ति उस बुरी आत्मा की अलौकिक शक्तियों को प्राप्त करके विभिन्न प्रकार के सामाजिक उपद्रव जैसे-आँधी-तूफान, बाढ़ महामारी, अकाल आदि लाकर लोगों को अनेक तरीकों से परेशान करता है। इस प्रकार के मनोरोगियों को डायन या जादूगर माना जाने लगा। 15वीं सदी के अन्त तक इन दोनों प्रकार के मनोरोगियों में अन्तर खत्म हो गया तथा All मानसिक रोगियों को अब जादूगर या डायन ही माना जाने लगा और इनका उपचार भी अत्यन्त अHumanीय ढंग से Reseller जाता था। इनके उपचार के लिये कठोर शारीरिक दण्ड जैसे कोड़ा लगाना, अंगों को जलाना आदि दिया जाता था। उस युग के पादरियों ने इस प्रकार के जादू-टोना से लोगों को बचाने हेतु Single नियमावली भी बनायी, जिसे ”The withes hammer” कहा गया। इसमें जादू-टोना के प्रभावों को दूर करने And डाइन को न्यायिक दंड देने के तरीकों का History था। इस प्रकार स्पष्ट है कि मध्ययुग में मनोरोगों के अध्ययन के संबंध में किसी प्रकार की कोर्इ प्रगति नहीं हुयी। न तो मनोरोगों के कारणों के संबंध में और न ही इनके उपचार के संबंध में किसी तार्किक And वैज्ञानिक विचारधारा का प्रतिपादन Reseller गया।
(4) Humanीय दृष्टिकोण का उद्भव-
16वीं सदी के प्रारंभ में ही मनोरोगों के संबंध में मध्ययुग के र्इश्वरपरक And अंधविश्वायुक्त विचारधारा के विरूद्ध आवाज उठने लगी और इस संबंध में Single नवीन Humanीय दृष्टिकोण का उद्भव हुआ, जिसमें यह माना गया कि शारीरिक रोग के समान ही मनोरोग भी होते है, इनका कारण कोर्इ दैवीय प्रकोप नहीं होता है। अत: मानसिक रोगियों का उपचार भी Humanीय ढंग से ही होना चाहिये। इस सन्दर्भ में जिन विद्वानों And चिकित्सकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, उनका विवेचन निम्नानुसार है-
- ‘‘पारासेल्सस’’ Single अत्यन्त प्रख्यात चिकित्सक हुये, जिन्होंने असामान्यता के प्रति Humanीय दृष्टिकोण का परिचय दिया इनका विचार था कि ‘‘नृत्योन्माद’’ Resellerी सामूहिक पागलपन की प्रवृत्ति दैवीय प्रकोप या शरीर पर बुरी आत्मा का आधिपत्य होने के कारण उत्पन्न नहीं होती वरन अन्य शारीरिक रोगों के समान यह भी Single रोग है, जिसके इलाज के Humanीय ढंग पर वैज्ञानिक तरीके से विचार करना चाहिये। पारासेल्सस ने मनोरोगों के मनोवैज्ञानिक कारणों पर प्रकाश डाला तथा मानसिक रोगों के उपचार हेतु ‘‘शारीरिक चुम्बकीय’’ विधि को अपनाने पर बल दिया। आगे चलकर यही विधि सम्मोहन विधि के नाम से लोकप्रिय हुयी।
- यद्यपि पारासेल्सस ने मनोरोगों के कारण के संबंध में दुष्ट आत्मा संबंधी विचारों का खण्डन Reseller, किन्तु इन्होंने मनोरोगों की उत्पत्ति में नक्षत्रों के प्रभाव को स्वीकार Reseller है। इनका कहना था कि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है। महान जर्मन चिकित्सक जोहान वेयर ने असामान्य व्यवहार And मनोरोगों के संबंध में अपने विचारों का प्रतिपादन अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘The Deception of Demons’’ में Reseller है, जिसमें उन्होंने बताया कि मनोरोगी किसी बुरी आत्मा के आधिपत्य से ग्रसित नहीं होते और न ही वे जादू-टोना करने की कला में निपुण होते हैं, वरन् कुछ शारीरिक And मानसिक कारणों से उनमें असामान्य व्यवहार विकसित हो जाता है। अत: ऐसे लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिये और उनका इलाज Humanीय ढंग से करना चाहिये। उस समय के बुद्धिजीवी वर्ग ने तो जोहान वेयर के मत का समर्थन Reseller, किन्तु कुछ लोग ऐसे भी थे जो उनके विचारों से Agree नहीं थे और उन्होंने वेयर के विचारों का मजाक उड़ाया। चर्च द्वारा भी वेयर की पुस्तक तथा विचारधारा पर प्रतिबंध लगा दिया गया और यह प्रतिबंध बीसवीं सदी के आरंभ तक लगा रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि वेयर के विचार बहुत अधिक प्रभावशाली सिद्ध नहीं हो पाये।
- रेजिनाल्ड स्र्काट ने भी असामान्यता के संबंध में Humanीय दृष्टिकोण के विषय में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उस समय के अन्य चिकित्सकों के समान इन्होंने भी मनोरोगों की उत्पत्ति And उपचार के संबंध में पैशाचिकी का घोर विरोध Reseller और इनके विरूद्ध तर्कसम्मत वैज्ञानिक विचारों का प्रतिपादन Reseller, जिनका वर्णन उन्होंने सन् 1584 में प्रकाशित अपनी प्रसिद्ध कृति ‘‘क्पेबवअमतल व िूपजबीबतंजि’’ में Reseller है, लेकिन इंग्लैण्ड के King जेम्स First ने इस पुस्तक पर न केवल प्रतिबंध लगाया बल्कि उसकी प्रतियों में आग लगा दी गर्इ, किन्तु उस समय तक Humanीय दृष्टिकोण अत्यन्त बल पकड़ चुका था क्योंकि चर्च के पादरी भी दुरात्मा संबंधी दृष्टिकोण का पूरे जोर-शोर से खण्डन करने लगे थे। इन सन्दर्भ में सते-बिनसेंट डी पाल का योगदान Historyनीय है, जिन्होंने घोर विरोध के बीच तथा अपने जीवन को संकट में डाल कर इस बात की घोषणा की कि शारीरिक रोग के समान मानसिक बीमारी भी Single प्रकार का रोग है, कोर्इ दैवीय प्रकोप नहीं। अत: मनोरोगियों के जीवन के कल्याण के लिये र्इसार्इयों को Humanीय दृष्टिकोण अपना कर Humanता का परिचय देना चाहिये। इस प्रकार जैसे-जैसे Humanीय दृष्टिकोण का विचार जोर पकड़ता गया वैसे-वैसे लोगों के मन से दुरात्मा संबंधी अंधविश्वास धीरे-धीरे दूर होने लगा और उनके मन में यह विचार पनपने लगा कि मनोरोगियों का उपचार भी किसी मानसिक अस्पताल या मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों में होना चाहिये न कि किसी सुनसान जगह पर। इसके परिणामस्वReseller सोलहवीं सदी के मध्य से ही अनेक चर्च And मंदिरों को आरोग्यशालाओं में बदल दिया गया, किन्तु इस संबंध में भी दुर्भाग्य की बात यह रही कि इन आरोग्यशालाओं का निर्माण तो रोगियों का Humanीय ढंग से इलाज करने के लिये Reseller गया था, किन्तु वास्तविकता कुछ और ही थी। यहाँ पर भी उनके साथ जानवरों से भी खराब अत्यन्त अHumanीय व्यवहार Reseller जाता था।
- मनोरोगियों के प्रति सही Meansों में Humanीय दृष्टिकोण का उद्भव प्रसिद्ध फ्रे्रच चिकित्सक फिल्पिपिनेल (1745-1826) के सक्रिय प्रयासों के परिणामस्वReseller हुआ। फिलिप पिनेल को आधुनिक मनोरोगविज्ञान (Modern Psychiatry) का जनक माना जाता है। सन् 1792 में फ्रांस की क्रान्ति का First चरण समाप्त होने पर पिनेल के पेरिस के मानसिक अस्पताल लाविस्टरे के प्रभारी पद पर नियुक्त Reseller गया। पद ग्रहण करते ही पिनेल ने जो सबसे पहला और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य Reseller, वह था वहाँ के मनोरोगियों को लोहे की जंजीरों से आजाद करवाना और उन्हें हवा And प्रकाशयुक्त कमरों में रखना। अस्पताल के अधिकारियों द्वारा पिनेल के इन कार्यों का अत्यन्त मजाक उड़ाया गया किन्तु Humanीय ढंग से उपचार करने पर मनोरोगियों के व्यवहार में काफी सकारात्मक परिवर्तन होने लगे और उन्होंने उपचार में सहयोग करना भी आरंभ कर दिया। इसके बाद पिनेल को सालपेट्रिर अस्पताल का प्रभारी बनाया गया। वहाँ पर भी उन्होंने मानसिक रोगियों का Humanीय ढंग से उपचार करना प्रारंभ Reseller, जिसके परिणाम अत्यन्त सकारात्मक थे। पिनेल के बाद उनके शिष्य जीनएस्क्यूटरोल द्वारा उनके कार्य को आगे बढ़ाया गया और लगभग 10 ऐसे मानसिक अस्पतालों की स्थापना की गर्इ, जहाँ मनोरोगियों का Humanीय तरीके के उपचार Reseller जाता था।
इस प्रकार फ्रांस विश्व का ऐसा First देश बना जहाँ मनोरोगियों का इलाज Humanीय ढंग से Reseller जाने लगा। इसका प्रभाव विश्व के Second देशों पर भी बड़ा और उन्होंने भी मनोरोगों के Humanीय उपचार की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाये। जिस समय फ्रांस में पिनेल अपने क्रांतिकारी कार्य को अंजाम दे रहे थे, उसी दौरान इंग्लैण्ड में विलियम टर्क ने चार्क रिट्रीट नामक मानसिक अस्पताल खोला, जिसमें मानसिक रोगों के Humanीय उपचार पर बल दिया गया।
इस प्रकार हम देखते है कि असामान्य मनोविज्ञान के History में पूर्व वैज्ञानिक काल, जो प्राचीन समय में लेकर सन् 1800 तक का माना गया है, मनोरोगों के संबंध में अत्यन्त उतार-चढ़ाव का समय रहा है। इस युग में असामान्यता को लेकर समय-समय पर अनेक विचारधाराओं का प्रतिपादन हुआ। सबसे प्रारंभ में जीववादी चिन्तन का बोलबाला रहा, जिसमें दुष्टात्मा या दैवीय प्रकोप को ही मनोरोगों की उत्पत्ति का मूल कारण माना गया। इसके बाद ग्रीक चिकित्सक हिपोक्रेट्स के प्रकृतिवाद का उद्भव हुआ, जिसके According असामान्यता को शारीरिक रोग के समान ही Single मानसिक रोग माना गया और इसकी उत्पत्ति में शारीरिक And पचविरणी कारकों की भूमिका को स्वीकार Reseller गया। इसके उपरान्त 1500 ।ण्क्ण् तक Meansात् मध्ययुग में मनोरोगों के संबंध में दुरात्मा संबंधी दृष्टिकोण ही प्रचलित रहा, किन्तु बाद के समय में Meansात् सन् 1800 तक इस सन्दर्भ में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुये और मनोरोगियों के प्रति Humanीय दृष्टिकोण का उद्भव हुआ, जिसमें नेतृत्व फ्रेंच चिकित्सक फिलिपपिनेल ने Reseller।
असामान्य मनोविज्ञान का आधुनिक उद्भव
(Moderna cenging of Abnormal psychology) (सन् 1801- सन् 1950) असामान्य मनोविज्ञान के History में इस काल का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस युग में मनोरोगों के कारणों And उपचार के संबंध में अनेक महत्त्वपूर्ण विचारों का प्रतिपादन Reseller गया और उनके प्रयोग भी किये गये।
फ्रेंच चिकित्सक फिलिप पिनेल तथा इंग्लैण्ड में टर्क ने जिन Humanीय उपचार विधियों का प्रयोग Reseller, उनके परिणामों ने मनोरोगों के संबंध में पूरे विश्व में Single क्रांति सी ला दी। अमेरिका में बेंजामिन रश के कार्यों के माध्यम से इसके प्रभावों का पता चलता है। रश ने सन् 1783 में पेनसिलवानिया अस्पताल में कार्य करना प्रारंभ Reseller तथा सन् 1796 में मनोरोगों के उपचार हेतु Single अलग वार्ड बनवाया। इस वार्ड में मनोरोगियों के मनोरंजन के लिये विभिन्न प्रकार के साधन थे जिससे कि उनके सृजनात्मक क्षमताओं को विकसित Reseller जा सके। इसके बाद अपने कार्य को और आगे बढ़ाते हुये उन्होंने स्त्री And पुरूष रोगियों के लिये अलग-अलग वार्ड बनवाये उनके साथ अधिकाधिक Humanीय व्यवहार अपनाने पर बल दिया गया। सन् 1812 में मनोरोग विज्ञान पर उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुयी, जिसमें मनोरोगों के उपचार के लिये रक्तमोचन विधि (Blood leting method) And विभिन्न प्रकार के शोधक अपनाने पर जोर दिया जो किसी भी प्रकार से Humanीय नहीं था। 19वीं सदी के प्रारंभ में अमेरिका में मनोरोगों के संबंध में Single विशेष आन्दोलन की शुरूआत हुयी, जिसका नेतृत्व Single महिला स्थूल शिक्षिका डोराथियाडिक्स द्वारा Reseller गया। यह आन्दोलन मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान आन्दोलन के नाम से लोकप्रिय हुआ। इस आन्दोलन का प्रमुख लक्ष्य था-’’मनोरोगियों के साथ हर संभव Humanीय व्यवहार करना।’’ यूरोप में तो 18वीं सदी के कुछ अन्तिम वर्षों में ही इस प्रकार के Humanीय दृष्टिकोण का उद्भव हो गया था, किन्तु अमेरिका में इसका प्रादुर्भाव 19वीं सदी के प्रारंभ में हुआ। इस आन्दोलन के परिणाम स्वReseller मनोरोगी जंजीरों से मुक्त हो गये और उन्हें हवा And रोशनी से युक्त कक्षों में रखा गया। इसके साथ-साथ उन्हें खेती And बढ़र्इगिरी इत्यादि के कार्यों में भी लगाया गया, जिससे कि उनका शरीर And मन कुछ सर्जनात्मक कार्यों में व्यस्त रहे। डिक्स के सर्जनात्मक कार्योंम में व्यस्त रहे। डिक्स के इस आन्दोलन का प्रभाव केवल अमेरिका में ही नहीं वरन स्कॉटलैण्ड And कनाडा आदि देशों में भी पड़ा और वहाँ के मानसिक अस्पतालों की स्थिति में भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुये। डिक्स ने अपने जीवनकाल में लगभग 32 मानसिक अस्पताल खुलवाये। मानसिक रोगियों के कल्याण हेतु अत्यन्त सराहनीय And प्रेरणास्पद कार्य करने वाली इस महिला सुधारक को अमेरिकी सरकार द्वारा सन् 1901 में ‘‘पूरे History में Humanता का सबसे उप्तम उदाहरण’’ बताया गया।
अमेरिका के साथ-साथ Second देशों में भी जैसे कि जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रिया आदि में भी असमान्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाये गये। फ्रांस में ऐसे कार्यों का श्रेय First एनटोन मेसमर को जाता है। उन्होंने पशु चुम्बकत्व पर महत्वपूर्ण कार्य Reseller। मेसमर इलाज के लिये रोगियों में बेहोशी के समान मानसिक स्थिति उत्पन्न कर दे देते थे। इस विधि को मेस्मरिज्म के नाम से जाना गया। बाद में यही विधि सम्मोहन (Hypnosis) के नाम से प्रसिद्ध हुयी। बाद में नैन्सी शहर के चिकित्सकों जैसे लिबाल्ट And उनके शिष्य बर्नहिम ने मानसिक रोगों के उपचार में सम्मोहन विधि का अत्यन्त सफलतापूर्वक प्रयोग Reseller, जिसके कारण यह विधि उस समय मनोरोगों के उपचार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण And प्रभावशाली विधि बन गयी। इसके बाद प्रसिद्ध तंत्रिकाविज्ञानी शार्कों ने पेरिस में हिस्टीरिया के उपचार में सम्मोहन विधि का सफलतापूर्व प्रयोग Reseller। यदि असामान्य मनोविज्ञान के History में शार्कों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान देखा जाये तो वह पेरिस के Single अत्यन्त लोकप्रिय शिक्षक के Reseller में है, जिनका कार्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में कुछ छात्रों को प्रशिक्षित करना था। आगे चलकर ये छात्र मनोविज्ञान के क्षेत्र में अत्यन्त लोकप्रिय हुये। शार्कों के विद्यार्थियों में से दो छात्र ऐसे है, जिनके कार्यों के लिये History उनका आभारी है। इनमें से Single है- सिगमण्ड क्रायड (सन् 1856 – सन् 1939)। ये सन् 1885 में वियाना से शार्कों से शिक्षाग्रहण करने आये थे तथा Second हैं, पाइरे जेनेट जो पेरिस के ही रहने वाले थे। शार्कों ने अपनी मृत्यु के 3 साल पूर्व जेनेट को अस्पताल का निदेशक नियुक्त Reseller। जेनेट ने सफलतापूर्वक अपने गुरू शार्कों के कार्यों को आगे बढ़ाया। मनोरोगों के क्षेत्र में जेनेट का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान है-मनोस्नायुविकृति (Psychoneurosis) में मनोविच्छेद (Dissociation) के महत्त्व को अलग से बताना।
फ्रांस के साथ-साथ जर्मनी में भी इस दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुये, जिनमें विलिहेल्म ग्रिसिंगर (1817-1868) और ऐमिल क्रेपलिन के कार्य विशेष Reseller से महत्वपूर्ण है। इन दोनों चिकित्सकों ने मनोरोगों का Single दैहिक आधार (Somatic basis) माना और इस विचारी का प्रतिपादन Reseller कि जिस प्रकार शरीर के किसी अंग में कोर्इ विकार आने पर शारीरिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार मनोरोगों के उत्पन्न होने का कारण भी अंगविशेष में विकृति ही है। इसे ‘‘असामान्यता का अवयवी दृष्टिकोण’’ (arganic viewpoint of abnormality) कहा गया। सन् 1845 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में ग्रिंसिगर ने अत्यन्तदृढ़तापूर्वक इस मत का प्रतिपादन Reseller कि मनोरोगों का कारण दैहिक होता है। ग्रिसिंगर की तुलना में ऐमिल क्रेपलिन का योगदान ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि भिन्न-भिन्न लक्षणों के आधार पर इन्होंने मनोरोगों को अनेक श्रेणियों में बाँटा और उनकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण भी बताये। First क्रेपलिन ने ही उन्माद-विषाद मनोविकृति नामक मानसिक रोग का नामकरण Reseller और आज भी यह रोग इसी नाम से जाना जाता है। उन्होंने जो दूसरा महत्वपूर्ण मनोरोग बताया, उसका नाम था डिमेंशिया प्राक्रोवस इसका नाम बदलकर वर्तमान समय में मनोविदालिता या सिजोफ्रेनिया कर दिया गया है। क्रेपलिन ने मनोरोगों का कारण शारीरिक या दैहिक मानते हुये इसे निम्न दो वर्गों में विभक्त Reseller-
- अन्तर्गत कारक (Endogenous factors)
- And बहिर्गत कारक (Exogenous factors)
1. अन्तर्गत कारक- इन कारकों का संबंध वंशानुक्रम से माना गया।
2. बहिर्गत कारक- इन कारकों का संबंध मस्तिष्कीय आघात से था, जिसके अनेक कारण हो सकते थे। जैसे-शारीरिक रोग, विष अथवा दुर्घटना इत्यादि। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में आस्ट्रिया में प्रसिद्ध तंत्रिका विज्ञानी And मनोरोग विज्ञानी सिगमण्ड फ्रायड द्वारा मनोरोगों के सन्दर्भ में Historyनीय कार्य Reseller गया। इनका महत्वपूर्ण योगदान यह है कि First इन्होंने ही मनोरोगों की उत्पत्ति में जैविक कारकों की तुलना में मनोवैज्ञानिक कारकों को अधिक महत्वपूर्ण बताया। मनोरोग विज्ञान के क्षेत्र में फ्रायड के योगदान में अचेतन, स्वप्न विश्लेषण, मुक्त साहचर्य विधि, मनोCreationयें तथा मनोलैंगिक सिद्धान्त विशेष Reseller से Historyनीय हैं। फ्रायड ने जोसेफ ब्रियुअर से मनोस्नायुविकृति के रोगियों पर सम्मोहन विधि का सफलतापूर्वक प्रयोग करना सीखा। इस विधि के प्रयोग के दौरान उन्होंने देखा कि सम्मोहित स्थिति में रोगी बिना किसी संकोच And भय के अपने अचेतन में दमित विचारों, इच्छाओं, भावनाओं, संघर्षों, आदि को अभिव्यक्त करता है, जिनका संबंध स्प्ष्ट Reseller से उस व्यक्ति के रोग से होता है। फ्रायड तथा ब्रियुअर ने इसे विरेचन विधि (Catthartic method) का नाम दिया। इसके बाद सन् 1885 में फ्रायड, प्रसिद्ध फ्रेंच चिकित्सक शार्कों से शिक्षा प्राप्त करने पेरिस गये। वहाँ उन्होंने सम्मोहन विधि से मनोस्नायुविकृति के रोगियों में चमत्कारी परिवर्तन देखे। वे इससे अत्यन्त प्रभावित हुये, किन्तु वियाना वापस आने के बाद उन्होंने सम्मोहन विधि द्वारा उपचार करना बन्द कर दिया क्योंकि उनका मत था कि इस विधि द्वारा रोग का केवल अस्थायी उपचार होता है, रोग पूरी तरह दूर नहीं होता है। असामान्य व्यवहार के संबंध में जो Single अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विचार फ्रायड द्वारा दिया गया वह यह था कि उनके मतानुसार अधिकतर मनोरोगों का कारण अचेतन में दमित इच्छायें, विचार, भावनायें आदि हैं Meansात मनोरोगों का मूल कारण अचेतन (Unconscious) है। जो विचार, भावनायें या इच्छायें दु:खद, अनैतिक, असामाजिक या अHumanीय होती हैं, उनको व्यक्ति अपने चेतन मन से हटाकर अचेतन में दबा देता है।
फ्रायड ने इसे दमन (Repression) कहा है। इस प्रकार से इच्छायें And विचार Destroy नहीं होते वरन् दमित हो जाते हैं और अप्रत्यक्ष Reseller से व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इस लिये किसी भी व्यक्ति के व्यवहार का ठीक प्रकार से अध्ययन करने के लिये उसके अचेतन में दमित संवेगों, विचारों को चेतन स्तर पर लाना अत्यन्त आवश्यक है। इस हेतु इन्होंने दो विधियों का प्रतिपादन Reseller-
- मुक्त साहयर्च विधि (Free association method)
- स्वप्न-विश्लेषण विधि (Deream Analysis method)
अपनी इन विधियों का प्रयोग करके फ्रायड ने सन 1900 में अपनी सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तक ‘‘The interpretation of dream’’ का प्रकाशन Reseller। मनोरोगों के उपचार हेतु फ्रायड ने जिस विधि का प्रयोग Reseller उसे ‘‘मनोविश्लेषण विधि’’ (Psychoanalytic Method) कहा जाता है। इस विधि में मनोरोगी के अचेतन में दमित इच्छाओं, विचारों, भावों आदि को मुक्तसाहचर्य विधि And स्वप्न-विश्लेषण के माध्यम से बाहर निकाला जाता हे And उसके आधार पर रोग का निदान करके उपचार Reseller जाता है। मनोविश्लेषण विधि के उत्साहजनक परिणाम आने से यह विधि पूरे विश्व में फैला गयी और इनसे इस विधि को सीखने हेतु विश्व के अनेक देशों से लोगों इनके पास आने लगे। फ्रायड के शिष्यों में कार्य युंग And एल्फ्रेडएडलर का नाम विशेष Reseller से Historyनीय है। एडलर वियाना के ही थे। फ्रायड के कुछ विचारों से अAgree होने के कारण बाद में युग And एडलर ने उनसे अपना संबंध तोड़कर नयी अवधारणाओं को जन्म दिया। युग का मनोविज्ञान विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान (Analytic psychology) तथा एडलर का मनोविज्ञान ‘‘वैयक्तिकमनोविज्ञान’’ (Individual psychology) के नाम से जाना जाता है।
फ्रायड जब 80 साल के थे तो वे अत्यन्त गंभीर Reseller से बीमार हो गये तथा उन्हें हिटलर के जर्मन सैनिकों ने पकड़ लिया क्योंकि हिटलर ने वियाना पर आक्रमण कर दिया था। अपने कुछ शिष्यों And दोस्तों की सहायता से उन्हें सैनिकों के कब्जे से छुड़ा लिया गया तथा इसके बाद वे लंदन चले गये और वहाँ 83 वर्ष की आयु में Meansात सन् 1939 में कैंसर के कारण उनका निधन हो गया। असामान्य मनोविज्ञान के History में एडॉल्फमेयर का योगदान भी अविस्मरणीय है, जो स्विट्जरलैण्ड के थे किन्तु सन् 1892 में अमेरिका आकर वहीं पर बस गये तथा यहाँ पर इन्होंने मनोरोगों के क्षेत्र में अत्यन्त Historyनीय कार्य किये। असामान्यता के सन्दर्भ में मेयर द्वारा प्रतिपादित विचारधारा को ‘‘मनोजैविक दृष्टिकोण’’ के नाम से जाना जाता है। मेयर का मत था कि मनोरोगों का कारण केवल दैहिक ही नहीं वरन मानसिक भी होता है। इसलिये उपचार भी दोनों आधारों पर Reseller जना चाहिये। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मनोरोगों के संबंध में मेयर ने Single मिश्रित विचारधारा को जन्म दिया, जो ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होती है। इसके साथ-साथ मेयर ने मनोरोगों की उत्पत्ति में सामाजिक कारकों की भूिमा को भी स्वीकार Reseller। इसलिये रेनी ने इनके सिद्धान्त का नाम ‘‘मनोजैविक सामाजिक सिद्धान्त’’ भी रखा है। मेयर की मान्यता थी मनोरोगों की सफलतापूर्वक चिकित्सा तभी संभव है जब उसके दैहिक पदार्थों जैसे कि हार्मोन्स, विटामिन्स And शरीर के विभिन्न अंगों की क्रियाविधि को संतुलित And नियंत्रित करने के साथ-साथ रोगी के घर के वातावरण के अन्त:पारस्परिक संबंधों में भी सुधार Reseller जाये। वास्तव में देखा जाये तो मेयर के According मनोरोगियों का उपचार रोगी तथा चिकित्सक के मध्य Single प्रकार का पारस्परिक प्रशिक्षण हैं और इसकी सफलता इनके परस्पर सौहादर््रपूर्ण संबंधों पर निर्भर करती है। मनोरोगों के उपचार हेतु आज भी इस प्रकार की विधियों का सफलतापूर्वक प्रयोग Reseller जा रहा है।
इस प्रकार हम सकह सकते हैं कि मेयर के According मनोरोगों के अध्ययन हेतु Single समग्र दृष्टिकोण का होना अत्यावश्यक है।
आज का असामान्य मनोविज्ञान : सन् 1951 से अब तक
जैसा कि स्पष्ट है कि 20वीं शताब्दी के पूवाद्ध्र तक केवल मानसिक अस्पतालों में ही मानसिक रोगियों का उपचार Reseller जाता था, किन्तु समय के साथ धीरे-धीरे इन मानसिक अस्पतालों की सच्चार्इ लोगों के समन समक्ष प्रकट होने लगी और इस बात का पता चला कि चिकित्सा के नाम पर इन अस्पतालों में रोगियों के साथ कितना अHumanीय व्यवहार Reseller जाता है। जिनकों स्नेह और आत्मीयता की Need है, उनके साथ अत्यन्त घृणित और क्रूर बर्ताव Reseller जाता है। इसके परिणामस्वReseller रोग ठीक होने की बजाय और बढ़ जाता है और कभी-कभी तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती थी। प्रसिद्ध विद्वान् किश्कर (Kisker, 1985) ने ऐसे मानसिक अस्पतालों की स्थिति का वर्णन करते हुये कहा है कि ‘‘मानसिक रोगियों को इन अस्पतालों में Single छोटे से कमरे में झुण्ड बनाकर रखा जाना, ऐसे कमरों में शौचालय भी नहीं होना, धूप और हवा भी लगभग न के बराबर मिलना, आधा पेट खाना दिया जाना, कमसिन लड़कियों को अस्पताल से बाहर भेजकर शारीरिक व्यापार कराया जाना, अस्पताल अधिकारियों द्वारा गाली-गलौज करना आदि काफी सामान्य था।’’
इसके परिणामस्वReseller मानसिक अस्पतालों में रोगियों को रखने और उनका इलाज करवाने के प्रति लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव आया और इन मानसिक अस्पतालों स्थान सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र (Community mental health centres) ने ले लिया। इन स्वास्थ्य केन्द्रों का प्रमुख उद्देश्य मानसिक रोगियों की Humanीय तरीके से चिकित्सा करना है। मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा मुख्यत: निम्न कार्य किये जाते हैं-
- चौबीस घंटा आपातकालीन देखभाल
- अल्पकालीन अस्पताली सेवा
- आंशिक अस्पताली सेवा
- बाह्य रोगियों की देखभाल
- प्रशिक्षण And परामर्थ कार्यक्रम आदि।
अमेरिका तथा कनाडा में ऐसे अनेक केन्द्र हैं और इन्हें अपने कार्यों के लिये सरकार से भी पर्याप्त सहायता मिलती है। आजकल इन देशों में मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों का Single नवीन Reseller विकसित हुआ है। इसे संकट काल हस्तक्षेप केन्द्र (Crisis intervention centre) कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हे इन केन्द्रों को प्रमुख उद्देश्य जरूरतमंद मनोरोगियों को तुरंत सहायता पहुँचाना होता है। इन केन्द्रों की विशेष बात यह है कि इनमें उपचार हेतु First से समय लेना आवश्यक नहीं होता है And All वर्ग के लोगों की यथासंभव सहायता हेतु तुरंत आवश्यक कदम उठाये जाते हैं। वर्तमान समय में संकटकाल हस्तक्षेप केन्द्र का भी Single नया Reseller ‘‘हॉटलाइन दूरभाष केन्द्र’’ (Hatlinetelephone centre) के Reseller में विकसित हुआ है। इन केन्द्रों में चिकित्सक दिन या रात में किसी समय केवल टेलीफोन से सूचना प्राप्त करके भी सहायता करने हेतु तैयार रहते हैं। इनका प्रमुख उद्देश्य मनोरोगियों की अधिकाधिक देखभाल And सेवा करना होता है। इस तरह का पहला दूरभाष केन्द्र First लोस एन्जिल्स के चिल्ड्रेन अस्पताल में खोला गया, जिसकी सफलता से प्रभावित होकर विश्व के विभिन्न देशों में ऐसे केन्द्र तेजी से खुल रहे हैं।