सूचना का Means, परिभाषा, प्रकृति And प्रकार

सूचना की परिभाषा 

विभिन्न साहित्य स्त्रोतों के अध्ययन और विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि सूचना की कोर्इ भी सर्वमान्य सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है। यद्यपि अनेक विद्वानों ने अपने विचार से सूचना को परिभाषित Reseller है। इस में विभिन्न परिभाषाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन और समीक्षाएं प्रस्तुत की गर्इ है।

(अ) वरसिंग तथ नेवेलिंग 

वरसिंग तथा नेवलेलिंग ने सूचना के छ: अभिगम निResellerित किए है-

  1. संCreationत्मक अभिगम- इस अभिगम के अन्तर्गत सूचना विश्व की संCreation के अन्तर्गत होती है अथवा भौतिक उद्देश्यों के मध्य स्थायी सम्बन्ध होते है। जिन्हें अनुभव Reseller भी जा सकता है और नहीं भी।
  2. ज्ञान अभिगम-इस अभिगम में ज्ञान को अभिलिखित Reseller जाता है, जो कि विश्व की संCreation के बोध के आधार पर निर्मित Reseller जाता है। इस अभिगम को स्वीकार नहीं Reseller गया क्योंकि इसमें ज्ञान और सूचना पद को पर्यायवाची माना गया है।
  3. संदेश अभिगम-यह अभिगम संदेश संचारित करने के चिन्हों से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत सूचना को किसी भौतिक आधार पर चिन्हों आदि के Reseller में अभिलिखित Reseller जाता है जिसे ले जाया जा सकता है। यह अभिगम केवल संचार के गणितीय संचार सिद्धांत में उपयोग में आ सकती है। 
  4. अभिप्राय अभिगम- इस अभिगम के अन्तर्गत Single संदेश की Means पूर्ण विषय वस्तु को संचार के Reseller में स्वीकार Reseller जाता है। 
  5. प्रभाव अभिगम- अथवा प्रापक परक अभिगम इस अभिगम के According सूचना Single प्रक्रिया है, जो कि केवल Single विशिष्ट प्रभाव के Reseller में उत्पन्न होती है। 
  6. प्रक्रिया अभिगम- इस अभिगम के According जब कोर्इ समस्या तथा महत्वपूर्ण आंकडे Human मस्तिष्क में साथ-साथ आते है तो प्रक्रिया स्वReseller सूचना उत्पन्न होती है।

उपर्युक्त अभिगमों के सार स्वReseller हम कह सकते है कि सूचना Single सामाजिक प्रक्रिया है अत: इसे सूचना Need के Reseller में परिभाषित Reseller जा सकता है।

(ब) बैल्किन (Belkin)

बैल्किन ने सूचना विज्ञान के लिए सूचना की अनेकों धारणाओं का विस्तृत अध्ययन करने के पश्चात सूचना की परिभाषा और अवधारणा में अन्तर स्पष्ट Reseller है। बैल्किन के According किसी अवधारणाा के तथ्यात्मक विचार पक्ष को स्वीकार करके उपयुक्त अवधारणा प्रस्तुत की जा सकती है। इन्होंने सूचना अवधारणा हेतु अभिगम के तीन सिद्धान्त प्रतिपादित किए है –

  1. विधि सम्बन्धी – अवधारणा की उपयोगिता के आधार पर, 
  2. व्यवहारिक सिद्धांत- जिसके अन्तर्गत अवधारणाा का आभास प्रतीत हो। 
  3. परिभाषात्मक- अवधारणा के संदर्भ में प्रयोग Reseller जाता है।

उपरोक्त सिद्धान्तों के आधार पर आठ Needओं का निर्धारण Reseller गया जो सूचना विज्ञान हेतु संगत कार्यकारी संCreation का विकास कर सकते है।

  1. सूचना को उद्देश्यपूर्ण, Meansपूर्ण संचार के सम्बध में प्रस्तुत Reseller जाना चाहिए। 
  2. सूचना Humanीय सम्बन्धों के अन्तर्गत सामाजिक संचार प्रक्रिया के Reseller में प्रस्तुत की जानी चाहिए। 
  3. मॉंग अथवा Need के According उपलब्ध कराया जाना चाहिए। 
  4. सूचना का प्रापक पर प्रभाव होना चाहिए। 
  5. सूचना और सूचना उत्पादक तथा प्रापक के मध्य सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए। 
  6. सूचना को प्रभावी बनाने हेतु विभिन्न माध्यमों का उपयोग। 
  7. सूचना को व्यक्तिगत होने के साथ-साथ सार्वजनिक भी होना चाहिए। 
  8. सूचना के प्रभाव को भविष्य के निर्णय हेतु उपयोग में लाना चाहिए।

(स) मैकल्प And मैन्सफील्ड 

इन दोनों ने सूचना को ज्ञान से भिन्न मानते हुए परिभाषित Reseller है। इनके According –

  1. सूचना खण्ड, अंश, भाग और विशेष है, जबकि ज्ञान संCreationत्मक, सुसंगत तथा सार्वभौमिक है। 
  2. सूचना समयबद्ध, अल्पकालीन सम्भवत: यहॉं तक कि क्षणभंगुर होती है जबकि ज्ञान का अपना अस्तित्व होता है। 
  3. सूचना संदेश का प्रवाह है, जबकि ज्ञान Single वृहद भंडार है जो उस प्रवाह का परिणाम होता है।

(द) बेल का अभिगम

सूचना के सम्बन्ध में डेनियल बेल ने Single भिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत Reseller है। इनका कथन है कि सूचना And व्यापक Means में तथ्यों का विश्लेषण होती है। तथ्यों का संकलन, पुनपर््राप्ति और प्रक्रियाकरण All आर्थिक और सामाजिक विनिमय के संसाधन बन जाते है। इसके अन्तर्गत निम्न बिन्दु सम्मिलित होते है:

  1. अभिलेखों का डेटा प्रसंस्करण: वेतन अभिलेख Kingीय सामाजिक Safty से सम्बन्धित अभिलेख, बैक क्लीयरेन्स आदि। 
  2. डेटाबेस: इसके अन्तर्गत जनसंख्या सम्बन्धी आंकडे़ मार्केट शोध, जनमत और चुनाव विश्लेषण आदि से सम्बन्धित आंकडे आते है। 
  3. अनुसूची हेतु डेटा प्रसंस्करण: इसके अन्तर्गत वायु सेवा, रेल सेवा आरक्षण, उत्पादन अनुसूची तालिका विश्लेषण, प्रलेख वितरण और इसी प्रकार के अन्य।

सूचना की प्रकृति

विभिन्न विषयों जिनमें सूचना अंतर्निहित रहती है उनमें इसे भिन्न-भिन्न प्रकार से विवेचित Reseller जाता है। सूचना की प्रकृति यह है कि वह सम्पूर्ण ज्ञान परिक्षेत्र में Single तत्व है। डाटा, सूचना ज्ञान और प्रज्ञा Single ही Creation के लगातार भाग है और Single Second को समृद्ध करने में सहायक होते है। डाटा से सूचना, सूचना से ज्ञान और ज्ञान से प्रज्ञा का स्तर ऊॅंचा होता है। प्रत्येक का परिणाम इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करता है और इनके मध्य कोर्इ स्पष्ट सीमा रेखा नहीं होती है। अनेकों ऐसे महत्वपूर्ण विषय हैं जो सूचना को अंतर्निहित करते हैं और सूचना के मुख्य भाग से सम्बद्ध होते है। ऐसे कुछ प्रमुख विषय निम्नलिखित है जिनमें सूचना की प्रकृति को स्पष्ट Reseller से समझा जा सकता है।

  1. इलेक्ट्रीकल इन्जीनियरिंग जैसे शेनन के सूचना सिद्वान्त के अन्तर्गत शोर माध्यमों पर संकेतों का प्रसारण, 
  2. कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत सूचना प्रक्रियाकरण, संग्रहण And पुनप्राप्ति, 
  3. भौतिक विज्ञानों के अन्तर्गत सूचना को पदार्थ और ऊर्जा के समान सार माना जाता है, 
  4. जीव विज्ञानों के अन्तर्गत जीवित प्राणियों में सूचना का प्रक्रियाकरण, 
  5. समाज विज्ञानों के अन्तर्गत सूचना And ज्ञान का समाज शास्त्र और Meansशास्त्र। इनमें सूचना को Single संसाधन और आर्थिक सम्पदा कहा गया है।, 
  6. ग्रन्थालय And सूचना विज्ञान के अन्तर्गत परम्परागत व्यावहारिक कार्यो And नवीन आयामों या दशाओं के अन्तर्गत सूचना प्रणालियों And सेवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग हेतु। 

उपरोक्त अध्ययन के All विषय क्षेत्रों सूचना की प्रकृति को समझने हेतु विस्तृत विवेचना की है। हमने यहॉं केवल उन्हीं विषयों की Discussion की है जो ग्रन्थालय And सूचना विज्ञान से संबंधित है और उपयोगी है।

सूचना के प्रकार

हमने अब तक सूचना की परिभाषा, अवधारणा और प्रकृति पर सामान्य Means में And विषयों के संदर्भ में जिनमें सूचना का केन्द्रीय स्थान होता है, Discussion की। यह स्पष्ट हो जाता है कि सूचना की जिस प्रकार कोर्इ स्पष्ट परिभाषा नहीं है, उसी प्रकार कोर्इ ऐसी सर्वमान्य व्यवस्था नहीं है जिसके आधार पर सूचना को समूहबद्ध या वर्गीकृत Reseller जा सके। यहॉं हम यह कह सकते है कि सूचना सामाजिक गुणों के आधार पर विशेष Needओं हेतु व्युत्पन्न होती है। किसी विषय में निहित ज्ञान को और अधिक विकसित करने हेतु उसी प्रकार की सूचना बन जाती है। जे. एच.शेरा ने सूचना को निम्नलिखित छ: प्रकारों में श्रेणीबद्ध Reseller है –

  1. प्रत्ययात्मक सूचना- इस प्रकार की सूचना के अन्तर्गत किसी समस्या के अस्थिर क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले विचार, सिद्धान्त, परिकल्पनाएॅं आदि आती है। 
  2. अनुभव आधारित सूचना – इसके अन्तर्गत प्रयोगशाला में प्रयोग के आधार पर उत्पादित साहित्यिक खोज अथवा शोध स्वयं के अनुभवों द्वारा या किसी अन्य स्त्रोतों से सम्पे्रषण द्वारा प्राप्त ऑंकडे आते हैं। 
  3. कार्यविधिक सूचना-  इस प्रकार की सूचना के अन्तर्गत इस प्रक्रिया विधि को सम्मिलित Reseller जाता है जिसके द्वारा अनुसंधानकर्ता को और अधिक प्रभावी तरीके से कार्य करने योग्य बनाया जा सके। इस प्रकार की सूचना के अन्तर्गत निरीक्षण के पश्चात ऑंकडे Singleत्रित किए जाते हैं, उनका प्रकलन Reseller जाता है और परीक्षण Reseller जाता है। यह पूर्णत: विधिवत कार्य है तथा सम्पूर्ण सूचना वैज्ञानिक मनोकृति द्वारा प्राप्त की जाती है। इस प्रकार की सूचना का विशेष महत्व होता है। यह अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर Single नया प्रकाश उपलब्ध कराती है। प्रक्रिया विधि सूचना जिसे वैज्ञानिक सूचना भी कह सकते है का Single विषय अथवा क्षेत्र से Second विषय क्षेत्र में सम्पे्रषण उपयोगी होता है। 
  4. पे्ररक सूचना-  मनुष्य सदैव से विचारशील रहा है। सामान्यत: इसके दो पे्ररक तत्व होते हैं, Single वह स्वयं और दूसरा तत्व वातावरण। इस प्रकार की सूचना प्रत्यक्ष संचार द्वारा प्रसारित की जा सकती है। यह प्रकृति से आकस्मिक होती है। 
  5. नीति सम्बन्धी सूचना-  इस प्रकार की सूचना के अन्तर्गत नीति निर्धारण अथवा निर्णय निर्धारण प्रक्रिया से सम्बन्धित सूचना आती है। इसके अन्तर्गत सामूहिक गतिविधियों की परिभाषाएॅं, उद्देश्य उत्तरदायित्वों का निर्धारण, कार्यो का विकेन्द्रीकरण, अधिकारों का संहिताबद्ध करना आदि को सम्मिलित Reseller जा सकता है। 
  6. दिशासूचक सूचना – सहयोग और समन्वय के अभाव में कोर्इ भी सामूहिक गतिविधि प्रभावी Reseller से अग्रसर नहीं हो सकती। उपयुक्त दिशानिर्देश द्वारा ही सहयोग प्राप्त Reseller जा सकता है। इस प्रकार दिशा सूचक सूचना समूह की गतिविधियों और क्रियायाकलापों हेतु महत्वपूर्ण होती है। उपरोक्त विभिन्न प्रकार की सूचना को उसकी विशेषता के आधार पर श्रेणीबद्ध Reseller गया है। ये विशेषताएॅं ही सूचना के महत्व और उपयोगिता को स्पष्ट करती है। यहॉं यह भी आवश्यक है कि सूचना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए उसका संचार व्यवस्थित Reseller से होना चाहिए।

सूचना के गुण

किसी भी सूचना का परीक्षण उसके अन्तर्गत निहित स्वाभाविक विशेषताओं के दृष्टिकोण से Reseller जा सकता है। सूचना का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग उसकी आवश्कता, महत्व और गुणों के आधार पर Reseller जाता है। सूचना के स्वाभाविक गुणों के आधार पर उन विशेष क्षेत्रों का अध्ययन सूचना के संदर्भ में Reseller जाएगा जिससे इसके विशिष्ट गुणों को विश्लेषित Reseller जा सके।

1. सामान्य सूचना के गुण-

  1. सूचना उपयोग करने से Destroy नहीं होती। 
  2. सूचना को सम्मिलित Reseller से अनेकों व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा बिना किसी क्षति के उपयोग में लाया जा सकता है। 
  3. यह Single महत्वपूर्ण जनतान्त्रिक संसाधन है। इसका उपयोग/उपभोग गरीब और अमीर अपनी क्षमता के According कभी भी कर सकते हैं। 
  4. सूचना गतिशील होती है, निरंतर वर्द्धनशील है और निरंतर है, इसकी किसी भी अवधारणा के लिए कोर्इ अन्तिम Word प्रयोग में नही लाया जा सकता।

2. वैज्ञानिक And तकनीकी सूचना के गुण-

  1. यह सार्वभौमिक है, विशेषत: भौतिक, रसायन और जीवविज्ञानों में, 
  2. Single सुसंगठित संचार प्रणाली के माध्यम से जो भी इसे खोजता है, उसे उपलब्ध रहती है। Meansात निश्चित प्रणाली के माध्यम से All को उपलब्ध है। 
  3. इस सूचना के सम्पे्रषण में गहन समीक्षा प्रणाली और संचार विधि को अपनाया जाता है। 
  4. यह बहुत ही विकसित और आधुनिकतम नवीन सूचना होती है। 
  5. गहन और गूढ़ अन्वेषण के आधार पर अच्छे प्रतियोगी परिणाम प्रस्तुत करती है और इसका संचार तीव्रता से होता है। 
  6. नवीन दृष्टिकोण से तीव्र विकसित विषय क्षेत्रों में यह अप्रचलित हो जाती है कुल विषयों में इसका अप्रचलन बहुत अधिकता से होता है।

3. प्रौद्योगिकी And आर्थिक सूचना –

विकसित राष्ट्रों में प्रौद्योगिकी And आर्थिक से सम्बन्धित सूचना राष्ट्रों के मध्य राजनैतिक और आर्थिक उत्कृष्टता का शक्तिशाली Reseller ले चुकी है। सूचना में उत्पादन और विभिन्न क्षेत्रों में उस अनुप्रयोग ने कुछ ही समय में विशेष Reseller से पश्चिमी औद्योगिक समाज में Single विशिष्ट स्थान बना लिया है। अविकसित और विकासशील राष्ट्र प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित सूचना के अधिग्रहण, संग्रहण, प्रक्रियाकरण, सम्पे्रषण और अनुप्रयोग से कभी-कभी विभिन्न कारणों से अपने आपको वंचित पाते है क्योंकि :

  1. समय और भौगोलिक सीमाओं पर विभिन्न कारणों से प्रतिबन्धित, 
  2. व्यापारिक लाभ के कारण परस्पर प्रतिस्पर्धा, 
  3. परस्पर राष्ट्रों के मध्य Safty सम्बन्धी रूकावटे, 
  4. Safty की दृष्टि से गोपनीयता बनाए रखने हेतु।

ये कुछ ऐसे कारण है जिनके फलस्वReseller सूचना के उपयोग की सार्वभौमिकता समाप्त हो जाती है और इसकी गतिशीलता में बाधा आती है।

सूचना के क्षेत्र

सूचना का क्षेत्र विस्तृत होता है। इसे सीमाबद्ध नहीं Reseller जा सकता है। सूचना की उपयोगिता ज्ञान को समृद्धि करने में निहित है किसी भी क्षेत्र में कोर्इ भी शोध, अन्वेषण और प्रयोग बिना डेटा और सूचना के अस्तित्व में हुए नहीं हो सकता और कोर्इ भी नया शोध, अन्वेषण या प्रयोग नर्इ सूचना को उत्पादित नहीं करता तब तक उसे पूर्ण नहीं कह सकते। इस प्रकार चक्रानुक्रम में सूचना के क्षेत्र में निरंतर वृद्धि होती रहती है। प्रत्येक निर्णय प्रक्रिया में इसका महत्व होता है। सूचना के महत्व और उपयोगिता को निरंतर गति प्रदान करने के लिए इसका संचार/सम्प्रेषण आवश्यक है। अत: सूचना को संचार से अलग नहीं Reseller जा सकता।

सूचना संचार प्रक्रिया और सूचना का स्थानांतरण तथा स्वतंत्र प्रवाह सूचना के क्षेत्र में निरंतर अभिवृद्वि करते है। स्त्रोत या संचारक, माध्यम, साधन और प्रापक आदि ऐसे तत्व है जो सूचना स्थानांतरण श्रृंखला को निर्मित करते है। यदि हम ग्रन्थालय And सूचना विज्ञान पर सूचना के क्षेत्र के सम्बन्ध में ध्यान केन्द्रित करे तो सूचना विज्ञान के क्षेत्र में जो विविध आयामों में विस्तार हो रहा है उस संदर्भ में सूचना के क्षेत्र का परीक्षण करना उपयुक्त होगा।
विकरी ने सूचना विज्ञान के क्षेत्र को संक्षिप्त Reseller में इस प्रकार प्रस्तुत Reseller है:

  1. सूचना स्थानान्तरण प्रक्रिया में उत्पादक, स्त्रोत प्रापक और सूचना के उपयोगकर्ता आदि All भागीदार होते हैं, 
  2. संदेशों का संख्यात्मक अध्ययन: आकार, वृद्धि,दर, वितरण, उत्पादन अभिReseller और उपयोग आदि।
  3. सूचना से सम्बन्धित कुछ समस्याएॅं, विशेष Reseller से सूचना संग्रहण, और पुनपर््राप्ति और अन्य इसके अन्तर्गत आती है। 
  4. सूचना पद्धतियों और प्रणालियों का पूर्णत: संगठन और उनके निष्पादन और प्रगति का स्थानांतरण, 
  5. सामाजिक संदर्भ में सूचना के स्थानान्तरण से तात्पर्य विशेषत: आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में, 
  6. सामाजिक संदर्भ में सूचना के स्थानान्तरण से तात्पर्य विशेषत: आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में।

इसी संदर्भ में रंगनाथन द्वारा प्रतिपादित ग्रन्थालय विज्ञान के पॉंच सूत्रों की सूचना विज्ञान के क्षेत्र को प्रदर्शित करने की दृष्टि से जी. भद्टाचार्या ने जो विवेचना की है, यह आज जिस प्रकार से सूचना के क्षेत्रों में वृद्धि हो रही है उसे बहुत भली प्रकार परिलक्षित करती है।

  1. सूचना उपयोग के लिए है 
  2. प्रत्येक उपयोगकर्ता के लिए सूचना 
  3. प्रत्येक सूचना के लिए उपयोगकर्ता 
  4. सूचना उपयोगकर्ता का समय बचाइए 
  5. सूचना जगत सदैव वर्द्धनशील है।

First सिद्वांत :- सूचना के महत्व पर जोर देता है, सूचना को Human के प्रत्येक क्रियाकलाप हेतु Single आवश्यक अवयव मानता है। सूचना समाज में सूचना को Single संसाधन और सम्पदा माना गया है, यह Human विकास और प्रगति के लिए आवश्यक निवेश के Reseller में प्रतिष्ठित है। अत: इसके परिपालन हेतु –

  1. सूचना से सम्बन्धित प्रलेखीय और अप्रलेखीय संसाधनों का विकास, 
  2. समस्त प्रकार के सूचना संसाधनों का समुचित संगठन और व्यवस्थापन 
  3. सूचना संग्रह के प्रक्रियाकरण हेतु समुचित तकनीकी और साधन स्त्रोत, – विविध संदर्भो में विविध प्रकार के साहित्य का उपयोग, 
  4. संग्रह वृद्धि और विकास को मापने हेतु ग्रन्थमिति अध्ययन, 
  5. राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सूचना नीति का विकास इनके अतिरिक्त- नवीन मौलिक सूचनाओं का भविष्य के हेतु उत्पादन, 
  6. वर्तमान सूचना का मूल्यांकन – व्यक्तिगत और सामाजिक क्रियाकलापों के प्रत्येक स्तर पर सूचना की उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय क्षमता। 
  7. नवीन महत्वपूर्ण सूचना सेवाओं का विकास करना। 
  8. शिक्षण-प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना। 
  9. संचार सुविधाएं विकसित करना।

द्वितीय सिद्धांत- सूचना के सम्बन्ध में सुझाव देता है। सूचना सेवाएं ऐसी होनी चाहिए जो प्रत्येक उपयोगकर्ता को उसकी मांग और आवयकता के According कर सके Meansात प्रत्येक उपयोगकर्ता को सूचना उपलब्ध होनी चाहिए।
तृतीय सिद्धांत:- इस सिद्वांत का मत है कि समस्त सूचना की स्थानान्तरण प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि समस्त सूचना का उपयोग हो सके। इस सम्बन्ध में चिरपरिचित सिद्धान्त- उचित सूचना, उचित उपयोगकर्ता हेतु उचित समय पर उपलब्ध करार्इ जानी चाहिए। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक सम्पे्रषण माध्यमों को सूचना के उपयोग हेतु केन्द्रित Reseller जाना चाहिये। Second Wordों में कह सकते है कि सूचना बाजार में सबसे ध्यान उपयोगकर्ता की Need पर दिया जाना चाहिए जिससे सूचना का Single-Single अंश उपयोगकर्ता को प्राप्त हो सके।

चतुर्थ सिद्धांत :-यह सिद्धांत समय के मूल्य पर बल देता है सेवा प्रदान करने में तीव्रता और कम से कम समय, इस सिद्धांत का ध्येय है। सूचना तकनीकी का विकास, विकसित सेवाएं And संसाधन और समस्त सेवाओं में गुणवत्ता तथा संक्षमता होनी चाहिए। सूचना वैज्ञानिकों की गुणवत्ता में वृद्धि उन्हें उपयुक्त प्रशिक्षण आदि तथा उनमें सेवा परायणता की भावना का विकास जिससे वे इस सिद्धांत के महत्व को समझते हुए उपयोगकर्ता के समय की बचत कर सके।

पॉंचवा सिद्धांत :-यह सिद्धांत गत्यात्मक परिवर्तनों की ओर इंगित करता है। ज्ञान और सूचना में निरंतर वृद्धि होती रहती है अनन्त विकास में अव्यवस्था भी पार्इ जाती है। अत: इसे दूर करने के लिए संस्थागत यांत्रिकीकरण आवश्यक है जिससे बदलते परिवेश में नवीन विकसित सूचनाओं और उनसे सम्बन्धित Needओं को व्यवस्थित Reseller जा सके।

उपरोक्त सिद्धांतों का यदि हम परीक्षण करें तो पाते है कि First सिद्धांत का उद्देश्य सूचना के उपयोग में वृद्वि करना है। दूसरा सिद्धांत उपयोगकर्ता की प्रत्येक सूचना Need की पूर्ति पर जोर देता है। तीसरा सूचना का प्रत्येक अंश उपयोगकर्ता को उपलब्ध कराया जाये। चौथा सिद्धांत समय और सूचना के महत्व को समझाता है तथा पॉंचवे सिद्धांत में सूचना वृद्धि की गति और उसको व्यवस्थित करने पर जोर दिया गया है।

सूचना का वितरण

ग्रन्थालय And सूचना केन्द्रों की प्रत्येक गतिविधि और सेवाओं का आधार विषय-वस्तु विश्लेषण है। ग्रन्थालय और सूचना केन्द्रों द्वारा ज्ञान और सूचनाओं का संग्रहण और व्यवस्थापन कर विभिन्न श्रेणियों के उपयोगकर्ताओं को विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाती है। ज्ञान के व्यवस्थापन की विभिन्न तकनीकों में विषय-वस्तु विश्लेषण आन्तरिक Reseller से अन्तर्निहित होता है। विषय-वस्तु विश्लेषण प्रक्रिया के द्वारा ज्ञान का विश्लेषण कर विभिन्न विचारों का संश्लेषण कर उपयोगकर्ताओं को वांछित स्वReseller में प्रदान कर दिया जाता है। वर्गीकरण तकनीकों और ज्ञान तथा सूचना व्यवस्थापन प्रक्रिया के साथ मिलकर विषय-वस्तु विश्लेषण Single अत्यन्त सशक्त सूचना पुनपर््राप्ति प्रविधि को प्रस्तुत करते हैं। इन प्रक्रियाओं में अनेक बौद्धिक संक्रियाएं सम्मिलित है जैसे विश्लेषण, संयोजन, क्रमीकरण, पृथक्करण, समीकरण, संरक्षण, परीक्षण, नवीनीकरण और उद्देश्य।

विभिन्न जन समूहों को विविध संदर्भो में विभिन्न प्रकार की सूचनाओं की Need होती है। सूचनाएॅं विविध स्वResellerों में उपलब्ध होती है। उपयोक्ताओं की सूचना Needओं की जटिलता और उपलब्ध सूचनाओं की गुणात्मक वृद्धि के फलस्वReseller सूचना का उपभोक्ताकरण अत्यन्त आवश्यक हो गया है। लेखकों द्वारा अभिलिखत सूचनाएॅं पत्रिकाओं, शोध पत्रों, तकनीकी प्रतिवेदनों, सम्मेलन पत्रों, शोध प्रबन्धों, पेटेन्ट, मानक आदि Resellerों में उपलब्ध होती है। सूचना की आंशिक प्राप्ति हेतु उपयोक्ता को इन स्त्रोतों का उपयोग करना होता है। सूचना विस्फोट के कारण उपयोक्ता के लिये इन सूचना स्त्रोतों के Single भाग का उपयोग भी अत्यन्त कठिन है। सूचनाओं के बिखरे स्वReseller के कारण भी उपयोक्ता कठिनार्इ का अनुभव करते हैं। अत: सूचना की सुलभ उपलब्धि हेतु सूचना का उपभोक्ताकरण आवश्यक है। सूचना के वितरण का तात्पर्य मूल सूचना अथवा सूचना स्त्रोत को टेलरिंग Meansात उपयुक्त कॉंट-छॉंट, व्यवस्थापन और प्रबन्धन द्वारा उपयोक्ता की Needओं के अनुReseller प्रस्तुत करना है ताकि सूचना का अभिज्ञान, स्थान निर्धारण, उपलब्धि और उपयोग सम्भव और सुसाध्य हो सके। उपभोक्ता समुदाय की Needओं के अनुReseller सूचना स्त्रोतों का संकलन और पुर्नव्यवस्थापन Reseller जाना चाहिये।

सूचना के उपयोगकर्ताओं की विभिन्न श्रेणियों में सूचना और विकास कार्यकर्ता, तकनीशियन, नियोजक, प्रबन्धक, निर्णायक, शिक्षक, और विभिन्न सामाजिक स्तरों और प्रतिष्ठा के According जनसाधारण आदि प्रमुख है। इन अध्ययनों से पता चलता है कि विभिन्न व्यक्तियों की सूचना Needएॅं भिन्न-भिन्न होती है तथा Single ही व्यक्ति की सूचना Needएॅं भी समय के साथ-साथ परिवर्तित होती रहती है। प्रबन्धकों, निर्णायकों और जनसमूहों के अतिरिक्त अन्य उपयोगकर्ताओं की सूचना Needओं का Single सामान्य प्रतिमान होता है। किन्तु फिर भी प्रत्येक व्यक्ति की सूचना Needएॅं आलोचनात्मक होती हैं। अध्ययन से ज्ञात होता है कि सामान्य जनता के अशिक्षित और निर्धन वर्ग की सूचनात्मक Needएॅं सर्वाधिक आलोचनात्मक होती है। उपयोगकर्ताओं द्वारा अलग समय पर अपनी Needओं के According निम्न श्रेणियों के अन्तर्गत सूचना स्त्रोतों की Need होती है।

  1. नवीन सूचना 
  2. विस्तृत सूचना 
  3. नित्यप्रति सूचना 
  4. आकर्षक सूचना

इन All प्रकार की सूचनाओं के अपने विशिष्ट लक्षण और विशेषताएॅं होती है।

1. नवीन सूचना Needएॅं :- 

नवीन विकासों से परिचित होने के लिये तथा विशिष्ट गतिविधि क्षेत्र तथा अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों की अद्यतन जानकारी के लिये उपयोगकर्ताओं द्वारा नवीन सूचनाओं की Need अनुभव की जाती है। सूचना स्त्रोतों की सामयिक और त्वरित उपलब्धता इस सूचना सेवा की प्रमुख विशेषताएॅं हैं। अत्यन्त तीव्रगति से विकसित होने वाले विषय क्षेत्रों में यह सेवा अत्यन्त आवश्यक है। क्षेत्र की नवीन गतिविधियों के ज्ञान के फलस्वReseller गतिविधि उत्पादन और प्रक्रिया के नवीन क्षेत्र के चयन में सहायता प्राप्त होती है। अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त प्रविधियों और तकनीकों के प्रयोग द्वारा कार्य की द्विरावृत्ति को रोका जा सकता है तथा नवीन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचारों आदि से परिचित हुआ जा सकता है।

2. विस्तृत सूचना Needएॅं :- 

इस प्रकार की Need तब उत्पनन होती है जब उपयोगकर्ता द्वारा Single ही क्षेत्र की विस्तृत सूचनाओं की मांग की जाती है। समस्त प्रासंगिक सूचना स्त्रोतों की उपलब्धता से श्रम की द्विरावृत्ति को नियंत्रित कर कार्य के नवीन क्षेत्रों का चयन Reseller जा सकता है। सूचना स्त्रोतों की विस्तृत खोज के साथ-साथ विस्तृत साहित्यिक खोज द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र की विशिष्ट गतिविधि से सम्बन्धित समस्त उपलब्ध सूचनाओं का सम्पूर्ण चित्रण स्पष्ट हो जाता है।

3. नित्य प्रति सूचना Needएॅं :- 

दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में भी उपयोगकर्ताओं द्वारा विभिन्न प्रकार की सूचनाओं की Need अनुभव की जाती है। इस प्रकार की सूचना Needओं की पूर्ति हेतु विशिष्ट सूचना अंश की Need होती है तथा त्वरित उत्तर प्रदान करने हेतु विशिष्ट प्रकार के संदर्भ स्त्रोतों की सहायता ली जाती है।

4. आकर्षक सूचना Needएॅं :- 

उपयोगकर्ताओं द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र की किसी गतिविधि से सम्बन्धित विकासों की सम्पूर्ण जानकारी भी संक्षिप्त स्वReseller में मांगी जाती है। इस प्रकार की सूचना Need की प्रमुख विशेषता यह है कि उपयोगकर्ता किसी क्षेत्र में बहुत अधिक रूचि नहीं रखते तथा उनके द्वारा मांग की जाती है कि सूचना सरल और संक्षिप्त Reseller में इस प्रकार उपलब्ध करवार्इ जाये कि सम्पूर्ण विषय को सरलतापूर्वक समझा जा सके।

सूचना की प्रकृति के आधार पर सूचना स्त्रोतों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक श्रेणियों में विभाजित Reseller गया है। उपयोगकर्ताओं की विविध Needओं के अनुReseller सूचना को कॉंट-छॉंट कर उसका उपभोक्ताकरण Reseller जाता है। नवीन सूचना Needओं और विस्तृत सूचना Needओं की सन्तुष्टि हेतु उचित सूचना स्त्रोतों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। जबकि नित्य प्रति सूचना Needओं और आकर्षक सूचना Needओं की पूर्ति हेतु सूचना स्त्रोतों द्वारा निश्चित सूचना प्रदान की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *