समुदाय का Means And परिभाषा

हम All किसी Single गाँव अथवा नगर में निवास करते हैं। प्रत्येक गाँव And नगर की निश्चित सीमाएँ होती हैं। इसीलिए गाँव And नगर समुदाय के दो प्रमुख उदाहरण माने जाते हैं। व्यक्ति का अपने गाँव अथवा नगर में सामान्य जीवन व्यतीत होता है तथा वह अपनी पहचान अपने गाँव या नगर के नाम से करता है। यही पहचान उनमें ‘हम की भावना’ का विकास करने में सहायक होती है। समुदाय को समाजशास्त्र की Single प्रमुख अवधारणा माना जाता है। इसलिए न केवल समुदाय की अवधारणा को समझना आवश्यक है, अपितु यह जानना भी अनिवार्य है कि समुदाय किस प्रकार समाज And समिति से भिन्न है।

समुदाय का Means

समुदाय’ Word अंग्रेजी भाषा के ‘कम्यूनिटी’ (Community) Word का हिन्दी Resellerान्तर है जोकि लैटिन भाषा के ‘कॉम’ (Com) तथा ‘म्यूनिस’ (Munis) Wordों से मिलकर बना है। लैटिन में ‘कॉम’ Word का Means ‘Single साथ’ (Together) तथा ‘म्यूनिस’ का Means ‘सेवा करना’ (To serve) है, अत: ‘समुदाय’ का शाब्दिक Means ही ‘Single साथ सेवा करना’ है। समुदाय व्यक्तियों का वह समूह है जिसमें उनका सामान्य जीवन व्यतीत होता है। समुदाय के निर्माण के लिए निश्चित भू-भाग तथा इसमें रहने वाले व्यक्तियों में सामुदायिक भावना होना अनिवार्य है।

समुदाय की परिभाषा

  1. बोगार्डस (Bogardus) के According-’’समुदाय Single ऐसा सामाजिक समूह है जिसमें कुछ अंशों तक हम की भावना होती है तथा जो Single निश्चित क्षेत्र में निवास करता है।” 
  2. डेविस (Davis) के According-”समुदाय सबसे छोटा वह क्षेत्रीय समूह है, जिसके अन्तर्गत सामाजिक जीवन के समस्त पहलू आ सकते हैं।” 
  3. ऑगबर्न And निमकॉफ (Ogburn and Nimkoff) के According-”किसी सीमित क्षेत्र के अन्दर रहने वाले सामाजिक जीवन के सम्पूर्ण संगठन को समुदाय कहा जाता है।”
  4. मैकाइवर And पेज (MacIver and Page) के According-”जहाँ कहीं Single छोटे या बड़े समूह के सदस्य Single साथ रहते हुए उद्देश्य विशेष में भाग न लेकर सामान्य जीवन की मौलिक दशाओं में भाग लेते हैं, उस समूह को हम समुदाय कहते है।” 
  5. ग्रीन (Green) के According-”समुदाय संकीर्ण प्रादेशिक घेरे में रहने वाले उन व्यक्तियों का समूह है जो जीवन के सामान्य ढंग को अपनाते हैं। Single समुदाय Single स्थानीय क्षेत्रीय समूह है।” 
  6. मेन्जर (Manzer) के According-”वह समाज, जो Single निश्चित भू-भाग में रहता है, समुदाय कहलाता है।”

अत: समुदाय की विभिन्न परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि समुदाय व्यक्तियों का Single विशिष्ट समूह है जोकि निश्चित भौगोलिक सीमाओं में निवास करता है। इसके सदस्य सामुदायिक भावना द्वारा परस्पर संगठित रहते हैं। समुदाय में व्यक्ति किसी विशिष्ट उद्देश्य की अपेक्षा अपनी सामान्य Needओं की पूर्ति हेतु प्रयास करते रहते हैं।

समुदाय के आधार या अनिवार्य तत्त्व

मैकाइवर And पेज ने समुदाय के दो आवश्यक तत्त्व बताए हैं-

  1. स्थापनीय क्षेत्र-समुदाय के लिए Single अत्यन्त आवश्यक तत्त्व निवास स्थान या स्थानीय क्षेत्र (Locality) का होना है। इसकी अनुपस्थिति में समुदाय जन्म नहीं ले सकता। क्षेत्र में निश्चितता होने के कारण ही वहाँ रहने वाले सदस्यों के मध्य घनिष्ठता, सहनशीलता तथा सामंजस्यता की भावना जाग्रत होती है।
  2. सामुदायिक भावना-सामुदायिक भावना (Community sentiments) की अनुपस्थिति में समुदाय की कल्पना ही नहीं की जा सकती। सामुदायिक भावना को ‘हम की भावना’ (We feeling) भी कहा जाता है। इस भावना का जन्म होने का कारण Single निश्चित क्षेत्र, सदस्यों के कार्य करने का सामान्य ढंग तथा प्रत्येक सदस्य का Single-Second के दु:ख व सुख से परिचित हो जाना है। Second की खुशी उनकी खुशी व Second का दु:ख उनका स्वयं का दु:ख होता है। वे अनुभव करते हैं कि ‘हम Single हैं’। वस्तुत: यह Single ऐसी भावना है जो समुदाय से दूर चले जाने के बाद भी बनी रहती है।

किंग्सले डेविस ने भी समुदाय के दो आधारभूत तत्त्वों का विवेचन Reseller है-

  1. प्रादेशिक निकटता-सदैव ही कुछ स्थानों पर आवासों के समूह पाए जाते हैं, किसी Second समूह के व्यक्तियों की तुलना में व्यक्ति अपने समूह में ही अन्तर्क्रिया करना सरल समझते हैं। निकटता सम्पर्क को सुगम बनाती है। यह Safty की भावना भी प्रदान करती है तथा समूह के संगठन को सुविधाजनक बनाती है। बिना प्रादेशिक निकटता (Territorial proximity) के किसी भी समुदाय की कल्पना नहीं की जा सकती है।
  2. सामाजिक पूर्णता-डेविस के According समुदाय सबसे छोटा प्रादेशिक समूह होता है। यह सामाजिक जीवन के समस्त पहलुओं का आलिंगन करता है। यह उन समस्त विस्तृत संस्थाओं, समस्त दलों तथा रुचियों को सम्मिलित करता है जो समाज का निर्माण करती हैं। व्यक्ति अपना अधिकांश सामाजिक जीवन समुदाय में ही व्यतीत करता है। इसी को सामाजिक पूर्णता (Social completeness) कहा जाता है।

सामुदायिक भावना के अनिवार्य तत्व

  1. हम की भावना- हम की भावना (We feeling) सामुदायिक भावना का प्रमुख अंग है। इस भावना के अन्तर्गत सदस्यों में ‘मैं’ की भावना नहीं रहती है। लोग मानते हैं कि यह हमारा समुदाय है, हमारी भलाई इसी में है या यह हमारा दु:ख है। सोचने तथा कार्य करने में भी हम की भावना स्पष्ट दिखाई देती है। इसके कारण सदस्य Single-Second से अपने को बहुत समीप मानते हैं। इसी भावना के आधार पर कुछ वस्तुओं, स्थानों व व्यक्तियों को अपना माना जाता है व उनके साथ विशेष लगाव रहता है। यह भावना सामान्य भौगोलिक क्षेत्र में लम्बी अवधि तक निवास करने के कारण विकसित होती है।
  2. दायित्व की भावना-सदस्य समुदाय के कार्यों को करना अपना दायित्व समझते हैं। वे अनुभव करते हैं कि समुदाय के लिए कार्यों को करना, उनमें हिस्सा लेना, Second सदस्यों की सहायता करना आदि उनका कर्त्तव्य And दायित्व हैं। इस प्रकार, सदस्य समुदाय के कार्यों में योगदान तथा दायित्व की भावना (Role feeling) रखते हैं।
  3. निर्भरता की भावना –समुदाय का प्रत्येक सदस्य Second सदस्य के अस्तित्व को स्वीकार करता है। वह स्वीकार करता है कि वह Second सदस्यों पर निर्भर है। सदस्य का स्वयं का अस्तित्व समुदाय में पूर्णत: मिल जाता है। वह बिना समुदाय के अपना अस्तित्व नहीं समझता है। अन्य Wordों में यह निर्भरता की भावना (Dependency feeling) ही है जिससे प्रत्येक सदस्य समुदाय पर ही निर्भर करता है।

समुदाय की प्रमुख विशेषताएँ

  1. व्यक्तियों का समूह-समुदाय निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों का मूर्त समूह है। समुदाय का निर्माण Single व्यक्ति से नहीं हो सकता अपितु समुदाय के लिए व्यक्तियों का समूह होना आवश्यक है।
  2. सामान्य जीवन-प्रत्येक समुदाय में रहने वाले सदस्यों का रहन-सहन, भोजन का ढंग व धर्म All काफी सीमा तक सामान्य होते हैं। समुदाय का कोई विशिष्ट लक्ष्य नहीं होता है। समुदाय के सदस्य अपना सामान्य जीवन समुदाय में ही व्यतीत करते हैं।
  3. सामान्य नियम-जिन्सबर्ग ने इसे समुदाय की प्रमुख विशेषता माना है। समुदाय के समस्त सदस्यों के व्यवहार सामान्य नियमों द्वारा नियन्त्रित होते हैं। जब All व्यक्ति सामान्य नियमों के अन्तर्गत कार्य करते हैं तब उनमें समानता की भावना का विकास होता है। यह भावना समुदाय में पारस्परिक सहयोग की वृद्धि करता है।
  4. विशिष्ट नाम-प्रत्येक समुदाय का कोई न कोई नाम अवश्य होता है। इसी नाम के कारण ही सामुदायिक Singleता का जन्म होता है। समुदाय का नाम ही व्यक्तियों में अपनेपन की भावना को प्रोत्साहित करता है।
  5. स्थायित्व-समुदाय चिरस्थाई होता है। इसकी अवधि व्यक्ति के जीवन से लम्बी होती है। व्यक्ति समुदाय में जन्म लेते हैं, आते हैं तथा चले जाते हैं, परन्तु इसके बावजूद समुदाय का अस्तित्व बना रहता है। इसी कारण यह स्थायी संस्था है।
  6. स्वत: जन्म-समुदाय को विचारपूर्वक किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति हेतु निर्मित नहीं Reseller जाता है। इसका स्वत: विकास होता है। जब कुछ लोग Single स्थान पर रहने लगते हैं तो अपनेपन की भावना का जन्म होता है। इससे समुदाय के विकास में सहायता मिलती है। 
  7. निश्चित भौगोलिक क्षेत्र-समुदाय का Single निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है। Second Wordों में यह कहा जा सकता है कि समुदाय के All सदस्य निश्चित भौगोलिक सीमाओं के अन्तर्गत ही निवास करते हैं।
  8. अनिवार्य सदस्यता-समुदाय की सदस्यता अनिवार्य होती है। यह व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर नहीं करती। व्यक्ति जन्म से ही उस समुदाय का सदस्य बन जाता है जिसमें उसका जन्म हुआ है। सामान्य जीवन के कारण समुदाय से पृथक् रहकर व्यक्ति की Needओं की पूर्ति नहीं हो सकती है।
  9. सामुदायिक भावना-सामुदायिक भावना ही समुदाय की नींव है। समुदाय के सदस्य अपने हितों की पूर्ति के लिए ही नहीं सोचते। वे सम्पूर्ण समुदाय का ध्यान रखते हैं। हम की भावना, दायित्व तथा निर्भरता की भावना हैं जोकि सामुदायिक भावना के तीन तत्त्व हैं, समुदाय के All सदस्यों को Single सूत्र में बाँधने में सहायता देते हैं।
  10. आत्म-निर्भरता-सामान्य जीवन And Needओं की पूर्ति के कारण समुदाय में आत्म-निर्भरता पाई जाती है। प्राचीन समाजों में समुदाय काफी सीमा तक आत्म-निर्भर थे, परन्तु आज यह विशेषता प्राय: समाप्त हो गई है।

सीमावर्ती समुदायों के कुछ उदाहरण

गाँव, कस्बा, कोई नई बस्ती, नगर, राष्ट्र, जनजाति (जोकि Single निश्चित क्षेत्र में निवास करती है) इत्यादि समुदायों के प्रमुख उदाहरण हैं। इनमें समुदाय के लगभग All आधारभूत तत्त्व तथा विशेषताएँ पाई जाती हैं। परन्तु कुछ ऐसे समूह अथवा संगठन भी हैं जिनमें समुदाय की कुछ विशेषताएँ तो पाई जाती हैं परन्तु कुछ नहीं। ऐसे समूहों को सीमावर्ती समुदायों की संज्ञा दी जाती है। समुदाय की कुछ विशेषताएँ न होने के कारण इन्हें पूरी तरह से समुदाय नहीं माना जा सकता है। जाति, जेल, पड़ोस, तथा राज्य सीमावर्ती समुदायों के उदाहरण हैं। ये समुदाय तो नहीं हैं परन्तु समुदाय की कुछ विशेषताओं का इनमें समावेश होने के कारण इनके समुदाय होने का भ्रम उत्पन्न होता है। आइए, अब हम ऐसे कुछ सीमावर्ती समुदायों पर विचार करें।

क्या जाति Single समुदाय है?

जाति व्यवस्था Indian Customer समाज में सामाजिक स्तीकरण का Single प्रमुख स्वReseller है। जाति Single अन्तर्विवाही (Endogamous) समूह है। इसकी सदस्यता जन्म द्वारा निर्धारित होती है। विभिन्नि जातियों की स्थिति Single समान नहीं होती। इनमें ऊँच-नीच का Single स्वीकृत क्रम होता है। इसमें Single जाति द्वारा दूसरी जातियों से सम्पर्क की स्थापना को स्पर्श, सहयोग, भोजन, निवास आदि के प्रतिबन्धों द्वारा बहुत सीमित कर दिया जाता है। परन्तु जाति में समुदाय की अनेक विशेषताएँ (जैसे अनिवार्य सदस्यता आदि) होने के बावजूद इसे समुदाय नहीं कहा जा सकता। जाति का कोई निश्चित भौगोलिक क्षेत्र नहीं होता Meansात् Single ही जाति के सदस्य Single स्थान पर नहीं रहते अपितु अनेक क्षेत्रों व प्रदेशों में रहते हैं। उसमें सामुदायिक भावना का अभाव पाया जाता है। निश्चित भौगोलिक क्षेत्र न होने के कारण इसमें व्यक्तियों का सामान्य जीवन भी व्यतीत नहीं होता है। अत: जाति को Single समुदाय नहीं कहा जा सकता है।

क्या पड़ोस Single समुदाय है?

आज पड़ोस समुदाय नहीं है। First पड़ोस में हम की भावना, आश्रितता की भावना इत्यादि समुदाय के लक्षण पाए जाते थे। इसीलिए कुछ विद्वान् पड़ोस को Single समुदाय मानते थे। परन्तु आज जटिल समाजों में अथवा नगर-राज्य प्रकृति वाले समाजों में पड़ोस समुदाय नहीं है। इसमें न ही तो सामुदायिक भावना पाई जाती है, न ही सामान्य नियमों की कोई व्यवस्था ही। पड़ोस का विकास भी समुदाय की भाँति स्वत: नहीं होता है। अत्यधिक गतिशीलता के कारण पड़ोस में रहने वालों में स्थायीपन का भी अभाव पाया जाता है।

क्या जेल Single समुदाय है?

जेल (बन्दीगृह) को भी समुदाय की अपेक्षा सीमावर्ती समुदाय का उदाहरण माना जाता है। जेल में समुदाय के अनेक लक्षण पाए जाते हैं। यह व्यक्तियों का समूह है। इसका Single निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है, इसके सदस्यों में कुछ सीमा तक हम की भावना पाई जाती है, इसमें रहने के कुछ सर्वमान्य नियम होते हैं तथा इसका Single विशिष्ट नाम होता है। मैकाइवर And पेज ने जेल को समुदाय कहा है क्योंकि यह (यथा विहार व आश्रम जैसे अन्य समूह) प्रादेशिक आधार पर बने होते हैं। वास्तव में ये सामाजिक जीवन के क्षेत्र ही हैं। उन्होंने जेल में कार्यकलापों के सीमित क्षेत्र के तर्क को अस्वीकार कर दिया क्योंकि Humanीय कार्यकलाप ही सदैव समुदाय की प्रकृति के अनुReseller परिणत होते हैं। परन्तु जेल को समुदाय नहीं माना जा सकता-Single तो इसमें कैदियों का सामान्य जीवन व्यतीत नहीं होता Meansात् वे सामान्य जीवन में भागीदार नहीं होते हैं। Second, उनमें सामुदायिक भावना का भी अभाव पाया जाता है। Third, जेल का विकास भी स्वत: नहीं होता है। अत: जेल Single समुदाय नहीं है।

क्या राज्य Single समुदाय है?

राज्य भी व्यक्तियों का समूह है। इसमें समुदाय के अनेक अन्य लक्षण (जेसे विशिष्ट नाम, निश्चित भौगोलिक क्षेत्र, मूर्त समूह, नियमों की व्यवस्था इत्यादि) पाए जाते हैं। परन्तु राज्य को समुदाय नहीं माना जा सकता है। समुदाय के विपरीत, राज्य के निश्चित उद्देश्य होते हैं। राज्य निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाया गया समूह है, न कि सामान्य व सर्वमान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए। साथ ही, इसका विकास स्वत: नहीं होता अपितु यह व्यक्तियों के चेतन प्रयासों का परिणाम है।

जाति, पड़ोस, जेल (बन्दीगृह) तथा राज्य की तरह राजनीतिक दल, धार्मिक संघ, क्लब, परिवार इत्यादि भी सीमावर्ती समुदायों के उदाहरण हैं। इनमें भी कुछ विशेषताएँ समुदाय की पाई जाती हैं तो कुछ विशेषताएँ समिति की होती हैं। ये समुदाय तो नहीं हैं परन्तु कुछ विशेषताओं के कारण इनके समुदाय होने का भ्रम उत्पन्न होता है। गाँव, नगर, शरणार्थियों के कैम्प, जनजाति तथा खानाबदोशी झुण्ड सीमावर्ती समुदाय के प्रमुख उदाहरण माने जाते हैं क्योंकि इनमें समुदाय के आधारभूत तत्त्व And प्रमुख विशेषताएँ पाई जाती हैं।

ग्रामीण And नगरीय समुदाय में अन्तर

समुदाय को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित Reseller जा सकता है-ग्रामीण समुदाय तथा नगरीय समुदाय। प्रारम्भ में व्यक्ति को खेती करने का ज्ञान नहीं था। वह खाने-पीने की वस्तुएँ जुटाने के लिए इधर-उधर भटकता फिरता था। किन्तु शनै: शनै: उसने खेती करना सीखा। जहाँ उपजाऊ जमीन थी, वहीं पर कुछ लोग स्थायी Reseller से बस गए और खेती करने लगे। इस प्रकार कुछ परिवारों के लोगों के Single ही भू-खण्ड पर निवास करने, सुख-दु:ख में Single-Second का हाथ बँटाने और मिलकर प्रकृति से संघर्ष करने में उनमें सामुदायिक भावना का विकास हुआ। इसी से ग्रामीण समुदाय की उत्पत्ति हुई। ग्रामीण समुदाय की परिभाषा देना Single कठिन कार्य है क्योंकि गाँव की कोई Single सर्वमान्य परिभाषा नहीं है।

गाँव अथवा ग्रामीण समुदाय का Means परिवारों का वह समूह कहा जा सकता है जो Single निश्चित क्षेत्र में स्थापित होता है तथा जिसका Single विशिष्ट नाम होता है। गाँव की Single निश्चित सीमा होती है तथा गाँववासी इस सीमा के प्रति सचेत होते हैं। उन्हें यह पूरी तरह से पता होता है कि उनके गाँव की सीमा ही उसे Second गाँवों से पृथक् करती है। इस सीमा में उस गाँव के व्यक्ति निवास करते हैं, कृषि तथा इससे सम्बन्धित व्यवसाय करते हैं तथा अन्य कार्यों का सम्पादन करते हैं। सिम्स (Sims) के According, “गाँव वह नाम है, जो कि प्राचीन कृषकों की स्थापना को साधारणत: दर्शाता है।”

समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से गाँवों का उद्भव सामाजिक संCreation में आए उन महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों से हुआ जहाँ खानाबदोशी जीवन की पद्धति, जो शिकार, भोजन संकलन तथा अस्थायी कृषि पर आधारित थी, का संक्रमण स्थायी जीवन में हुआ। आर्थिक तथा प्रशासनिक Wordों में गाँव तथा नगर बसावट के दो प्रमुख आधार जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि-आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात है। गाँव में जनसंख्या का घनत्व कम होता है तथा अधिकांश जनसंख्या कृषि And इससे सम्बन्धित व्यवसायों पर आधारित होती है।

नगर अथवा नगरीय समुदाय से अभिप्राय Single ऐसी केन्द्रीयकृत बस्तियों के समूह से है जिसमें सुव्यवस्थित केन्द्रीय व्यापार क्षेत्र, प्रशासनिक इकाई, आवागमन के विकसित साधन तथा अन्य नगरीय सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। नगर की परिभाषा देना भी कठिन कार्य है। अनेक विद्वानों ने नगर की परिभाषा जनसंख्या के आकार तथा घनत्व को सामने रखकर देने का प्रयास Reseller है। किंग्सले डेविस (Kingsley Davisद्ध इससे बिल्कुल Agree नहीं हैं। उनका कहना है कि सामाजिक दृष्टि से नगर परिस्थितियों की उपज होती है। उनके According नगर ऐसा समुदाय है जिसमें सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषमता पाई जाती है। यह कृत्रिमता, व्यक्तिवादिता, प्रतियोगिता And घनी जनसंख्या के कारण नियन्त्रण के औपचारिक साधनों द्वारा संगठित होता है। सोमबर्ट (Sombart) ने घनी जनसंख्या पर बल देते हुए इस सन्दर्भ में कहा है कि “नगर वह स्थान है जो इतना बड़ा है कि उसके निवासी परस्पर Single-Second को नहीं पहचानते हैं।” निश्चित Reseller से नगरीय समुदाय का विस्तार ग्रामीण समुदाय की तुलना में अधिक बड़े क्षेत्र पर होता है।

ग्रामीण And नगरीय समुदायों में अन्तर करना Single कठिन कार्य है, क्योंकि इन दोनों में कोई स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती है। वास्तव में, ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों की विशेषताएँ आज इस प्रकार आपस में मिल गई हैं कि कुछ विद्वानों ने ग्राम-नगर सांतत्यक (Rural-urban continuum) की बात करनी शुरू कर दी है। दोनों में अन्तर करने की कठिनाइयों के बावजूद कुछ बिन्दुओं के आधार पर अन्तर Reseller जा सकता है। ग्रामीण And नगरीय समुदायों में प्रमुख बिन्दुओं के आधार पर अन्तर पाए जाते हैं-

  1. व्यवसाय-ग्रामीण समुदाय में व्यक्ति अधिकतर कृषि व्यवसाय पर आश्रित हैं। नगरीय समुदाय में व्यवसायों में भिन्नता होती है। नगरीय समुदायों में Single ही परिवार के सदस्य भी भिन्न-भिन्न तरह के व्यवसाय करते हैं।
  2. प्रकृति के साथ सम्बन्ध-ग्रामीण व्यक्तियों का प्रकृति से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है तथा वे अपने व्यवसाय के लिए भी प्राकृतिक साधनों पर आश्रित हैं। नगरीय समुदाय में प्रकृति से पृथक्करण पाया जाता है And कृत्रिम वातावरण की प्रधानता पाई जाती है।
  3. समुदाय का आकार-ग्रामीण समुदायों में सदस्यों की संख्या सीमित होती है। लघुता के कारण सम्बन्ध प्रत्यक्ष तथा व्यक्तिगत होते हैं। नगरीय समुदाय का आकार बड़ा होता है तथा All सदस्यों में प्रत्यक्ष सम्बन्ध सम्भव नहीं हैं।
  4. जनसंख्या का घनत्व-ग्रामीण समुदाय में जनसंख्या कम होती है। विस्तृत खेतों के कारण जनसंख्या का घनत्व भी बहुत कम पाया जाता है। इससे अनौपचारिकता, प्रत्यक्ष And सहज सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता मिलती है। नगरीय समुदाय में जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। इसलिए बड़े नगरों में स्थान कम होने के कारण जनसंख्या के आवास की समस्या अधिक पाई जाती है।
  5. सजातीयता तथा विजातीयता-ग्रामीण समुदाय के सदस्यों का व्यवसाय Single-सा होता है। उनका रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज तथा जीवन-पद्धति भी Single जैसी होती है, अत: उनके विचारों में भी समानता पाई जाती है। नगरीय समुदाय में रहन-सहन में पर्याप्त अन्तर होता है। इसमें विजातीयता अधिक पाई जाती है। सदस्यों की जीवन-पद्धति Single जैसी नहीं होती है।
  6. सामाजिक स्तरीकरण तथा विभिन्नीकरण-ग्रामीण समुदाय में आयु तथा लिंग के आधार पर विभिन्नीकरण बहुत ही कम होता है। इसमें जातिगत स्तरीकरण की प्रधानता होती है। नगरीय समुदाय में विभिन्नीकरण अधिक पाया जाता है। इसमें स्तरीकरण का आधार केवल जाति न होकर वर्ग भी होता है।
  7. सामाजिक गतिशीलता-ग्रामीण समुदाय के सदस्यों में सामाजिक गतिशीलता बहुत कम पाई जाती है। व्यवसाय तथा सामाजिक जीवन Single होने के कारण गतिशीलता की अधिक सम्भावना भी नहीं रहती। व्यक्ति की प्रस्थिति प्रदत्त आधार (जैसे जाति, परिवार इत्यादि) पर निर्धारित होती है। नगरीय समुदाय में सामाजिक तथा व्यावसायिक गतिशीलता अधिक पाई जाती है। व्यक्ति अर्जित गुणों के आधार पर प्रस्थिति प्राप्त करता है।
  8. सामाजिक अन्तर्क्रियाओं की व्यवस्था-ग्रामीण समुदाय में अन्तर्क्रियाओं का क्षेत्र भी सीमित होता है। नगरीय समुदाय में व्यक्तियों में सम्पर्क अधिक होते है तथा अन्तर्क्रियाओं का क्षेत्र अधिक विस्तृत होता है।
  9. प्राथमिक तथा द्वितीयक सम्बन्ध-सीमित आकार होने के कारण ग्रामीण समुदाय में प्राथमिक सम्बन्ध पाए जाते हैं। सम्बन्धों में अनौपचारिकता, सहजता तथा सहयोग पाया जाता है। सम्बन्ध स्वयं साध्य हैं। ये किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित नहीं किए जाते हैं। अधिक विस्तृत क्षेत्र होने के कारण नगरीय समुदाय में द्वितीयक सम्बन्ध पाए जाते हैं। सम्बन्धों में औपचारिकता अथवा कृत्रिमता पाई जाती है।
  10. धर्म की महत्ता-ग्रामीण समुदाय में धर्म अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। जीवन के प्रत्येक पहलू में धार्मिक विचारों की प्रभुता स्पष्ट देखी जा सकती है। नगरीय समुदाय में धर्म की महत्ता कम होती है। वहाँ धर्मनिरपेक्ष विचारधाराएँ अपेक्षाकृत अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं। 
  11. सामाजिक नियन्त्रण-ग्रामीण समुदाय में परम्पराओं, प्रथाओं, जनरीतियों तथा लोकाचारों की प्रधानता पाई जाती है। सामाजिक नियन्त्रण भी इन्हीं अनौपचारिक साधनों द्वारा रखा जाता है। नगरीय समुदाय में प्रथाओं, परम्पराओं व लोकाचारों से नियन्त्रण करना सम्भव नहीं है। नगरों में औपचारिक नियन्त्रण के साधन जैसे राज्य, कानून, शिक्षा आदि अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

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