संधारणीय विकास का Means And महत्व
- क्या इससे जैव विविधता को कोर्इ खतरा तो नहीं है।
- इससे मिटटी का कटाव तो नहीं होगा।
- क्या यह जनसंख्या वृद्धि को कम करने में सहायक है।
- क्या इससे वन क्षेत्रों को बढानें में प्रोत्साहन मिलेगा।
- क्या यह हानिकारक गैसों के निकास को कम करेगी।
- क्या इससे अपशिष्ट उत्पादन की कमी होगी।
- क्या इससे All को लाभ पहुंचेगा Meansात All के लिए लाभप्रद है।
ये All तथ्य या घटक संधारणीय् विकास के परिचालक हैं और इनको अनदेखा नही Reseller जा सकता। अब हमने जो देखा है, कि विकास मनुष्य पर केन्द्रित रहा है और वह भी गिने चुने राष्ट्रो में Meansात विकसित राष्ट्रों में। परन्तु इस बात से भी इनकार नहीं Reseller जा सकता, कि किस कीमत पर वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के आधार पर अभूतपूर्व प्रगति की है। इस 5 प्रगति से हवा पानी और भोजन तीनों प्रदूषित हुए हैं और हमारे प्राकृतिक संसाधनों का निर्दयता से शोषण हुआ है। अगर इस प्रकार से यह प्रक्रिया जारी रही तो फिर Single दिन ऐसा आयेगा जब हम मीडोस की विश्व प्रसिद्ध रिपोर्ट ‘विकास की सीमाएं’ में described, साक्षात Reseller से प्रलय की गोद में होंगे। यह नियन्त्रण रहित विकास का ही परिणाम होगा, कि इस Earth और इससे सम्बन्धित All तत्वों का सन्तुलन बुरी तरह टूट जाएगा या फिर बिगड जाएगा।
मनुष्य का ध्यान इस नियन्त्रण रहित विकास की ओर 70 के दशक में चला था परन्तु यह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परिचर्या रियो-डि-जनेरियो ब्राजील में 1992 की संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण And विकास संगोष्ठी में हुर्इ जिसे Earth सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। रियो घोषणा का मुख्य लक्ष्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर All राष्ट्रों मे सहयोग था। इसकी Single प्रमुख घोषणा ‘एजैंडा 21 में सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक परिदृश्य सन्दर्भ’ में इक्कीसवी सदी में संधारणीय् विकास के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम की Resellerा रेखा प्रस्तुत की गर्इ। संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह निर्णय लिया गया है, कि सम्मेलन में All देशों में पर्यावरण सम्बन्धी ºास को रोकने और इस प्रक्रिया को बदलने के लिए पर्यावरण के सम्बन्ध में ठोस और संधारणीय् विकास के लिए कार्य से सम्बन्धित कार्य नीतियों और उपायों पर विचार Reseller जाएगा। सितम्बर 2003 में जोहान्सबर्ग दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ‘Means सम्मिट’ की विषय वस्तु संधारणीय् विकास थी। ब्रंट कमीशन 1987 के According संधारणीय् विकास से तात्पर्य भावी पीढी द्वारा उसकी Needओं को पूरा करने की अपनी क्षमता को प्रभावित किये बिना वर्तमान समय की Needओं को पूरा करना है। इसलिए संधारणीय् विकास से अभिप्राय उस विचारधारा से है जहां Human की क्रियाओं के परिणामस्वReseller प्रकृति की पुन: उत्पादक शक्तियां And क्षमताएं सन्तुलन में बनी रहती हैं।