संचार तकनीक की परिभाषा, उद्देश्य, विशेषताएं And प्रकार

तकनीकी संचार की परिभाषा

तकनीकी संचार Single ऐसा माध्यम है जिसकी सहायता से Single व्यक्ति अपने विचारों, संवेदनाओं, And सूचनाओं को Second व्यक्ति तक पहुँचाता है और उत्तर के Reseller में Second व्यक्ति से संचार के माध्यम से ही उसके विचारों को सुनता है। संचार के कर्इ प्रकार हैं :-

  1. मौखिक संचार (Oral Communication) 
  2. सांकेतिक संचार (Non-verbal Communication) 
  3. लिखित सम्प्रेषण (Written Communication)

उपरोक्त All माध्यमों का प्रयोग हर प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान में Reseller जाता है फिर चाहे वह साधारण सूचना हो या महत्वपूर्ण सूचना हो। तकनीकी सम्प्रेषण के लिये भी हमें इन All माध्यमों का प्रयोग करना पड़ता है। तकनीकी संचार की Need हमें विज्ञान, शोध कार्यक्षेत्र व इंजीनियरिंग कार्य क्षेत्र में होती हैं। इस प्रकार के संचार का प्रारम्भ द्वितीय विश्वFight के समय से माना जाता है, जब ‘Royal Air Force Officers of the Allied Force’ द्वारा ऐसे लिखित प्रपत्र की माँग की गर्इ जिससे कि वह जान सके कि उनके द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे जहाजों के अलग-अलग भाग को कैसे बनाया गया है। ताकि वे स्वयं उस समय अपने जहाजों का रख-रखाव कर सके। उस प्रपत्र को हम ‘तकनीकी प्रपत्र‘ कह सकते है। तकनीकी संचार के माध्यम से आसानी से Second व्यक्ति को कठिन से कठिन विषय वस्तु को आसानी से समझाया जा सकता है। समय के साथ-साथ तथा सूचना क्षेत्र में क्रांति आने से ‘तकनीकी संचार’ और भी आसान हो गया है क्योंकि अब हम इसमें कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं।

तकनीकी संचार उद्देश्य

तकनीकी संचार हमेशा व्यवसायिक क्षेत्रों में Reseller जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि लाना है। व्यवसायिक कार्यो में निम्नलिखित तरीकों से संचार Reseller जाता है :-

  1. र्इ-मेल 
  2.  पत्र 
  3.  रिपोर्ट 
  4.  प्रस्ताव 
  5.  ब्रोशर 
  6.  न्यूजलेटर 
  7.  रिज्यूम 
  8.  वेब साइट 
  9.  उपभोक्ता मैनुअल

तकनीकी संचार के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है :-

  1. तकनीकी संचार से समय की बचत होती है। 
  2.  इस प्रकार के संचार से पाठक के साथ संबंध बेहतर होता है। 
  3.  प्रलेखन कार्यो में तकनीकी संचार से शुद्धता तथा रिकार्ड पूर्ण होता है। 
  4.  तकनीकी संचार से संस्थाओं की भूमिका तथा चरित्र सबके सामने बेहतर ढंग से आता है। 
  5.  तकनीकी संचारा से संस्थाओं का धन भी बचाया जा सकता है। 
  6.  तकनीकी संचार से Single ‘टीम-वर्क’ की भावना को प्रेरित करने में मदद मिलती है। 
  7.  संस्थाओं में ‘‘सम्पूर्ण गुणवत्त्ता प्रबन्धन’’ का जन्म होता है। 
  8.  तकनीकी संचार की सबसे ज्यादा उपयोगिता शिक्षा के क्षेत्र में है। 
  9.  वाणिज्यिक And औद्योगिक क्षेत्रों में भी तकनीकी संचार का बहुत महत्त्व है। 
  10.  प्रबन्धन क्षमता को बढ़ाता है।

नेतृत्व क्षमता को तकनीकी संचार से बढ़ावा मिलता हे। कार्यो में समरसता लाने में तकनीकी संचार से मदद मिलती है। ‘‘प्रेरणा’’ उत्पन्न करने मे तकनीकी संचार की अहम भूमिका है।

तकनीकी संचार की विशेषताएं

  1. तकनीकी संचार, वैज्ञानिक Single तकनीकी विषयों से सम्बन्धित है। 
  2.  तकनीकी संचार में वैज्ञानिक Single तकनीकी Wordकोश, चित्र, मॉडलए And लेखन का प्रयोग Reseller जाता है। 
  3.  किसी भी तकनीकी संचार में स्पश्टता होनी चाहिये। 
  4.  तकनीकी संचार में आसान व समझने योग्य Wordों का उपयोग करना चाहिये। तथा कठिन Wordों को अपने संचार में उपयोग नही Reseller जाना चाहिये। 
  5.  तकनीकी संचार में संक्षिप्तता होनी चाहिये। 
  6.  तकनीकी संचार में Wordो की सीमाओं के साथ वाक्यों की लम्बार्इ की सीमा भी होनी चाहिये। 
  7.  तकनीकी संचार ऐसा होना चाहिये कि संदेश प्राप्त करने वाले को पूरा समझ में आ जाये ताकि जो संदेश भेजा जा रहा है वह उसे पूरा समय में आ जाये तभी उसे पूरा माना जाता है।

तकनीकी संचार के प्रकार

1. मौखिक तकनीकी संचार

मौखिक संचार में Single व्यक्ति, प्रत्यक्ष Reseller से Second व्यक्ति, से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। मौखिक Reseller में संचार फोन के माध्यम से, आपस में बातचीत करके, कमेटी की बोर्ड मीटिंग में, वार्ता के समय, कार्यशाला, संगोष्ठी, व रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से Reseller जाता है। मौखिक तकनीकी संचार के लिये निम्नलिखित बातों को ध्यान मे रखना चाहिए :-

  1. अपनी पूरी विषय सामग्री को बुद्धिमत्तापूर्वक श्रृंखलाबद्ध कर ले। 
  2. मौखिक संचार के लिये दृश्य सामग्री की मदद ले। दृश्य सामग्री की मदद से प्रस्तुतीकरण को गति दी जा सकती है, उसको प्रभावी बनाया जा सकता है, लोगों का ध्यान आकर्शित Reseller जा सकता है और को आसानी से समझाया जा सकता है। 
  3. वक्ता को अपने श्रोताओं को समझ लेना चाहिये, उनकी पृष्ठभूमि, ज्ञान, स्थिति आदि के बारे में जानना चाहिये। समय का ध्यान रखना चाहिये। 
  4. भाशा, शुद्ध, साफ And समझने योग्य होना चाहिये। वक्ता को First से ही उन प्रश्नों का उत्तर तैयार कर लेना चाहिये जो श्रोता पूछ सकते है।

2. सांकेतिक तकनीकी संचार

सांकेतिक संचार Single ऐसा माध्यम है जिसमें Wordों का प्रयोग न करके विभिन्न संकेतों के माध्यम से समझाया जाता है। संकेतिक तकनीकी संचार के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-

  1. व्यक्तिगत उपस्थित- वक्ता को श्रोताओं का ध्यान आकर्शित करने के लिये स्वयं को उत्तम ढंग से पेश करना चाहिये। 
  2. हाव भाव- वक्ता के चलने का ढंग, खड़े होने का ढंग इत्यादि संचार को प्रभावी बनाने में सहायता करती है। 
  3. संकेत- संकेत जैसे :- आँखो का कथन, चेहरे की मुस्कान इत्यादि का प्रयोग संचार में सही स्थान पर करना चाहिये। 
  4. दूरी- श्रोता तथा वक्ता के बीच की दूरी तथा आँखों का संपर्क ज्यादा नहीं होना चाहिए।

3. लिखित तकनीकी संचार

तकनीकी संचार में जब हम तकनीकी सूचनाओं को, संदेशों को लिखित Reseller से श्रोता तक भेजते हैं तो उन्हें लिखित संचार कहते हैं।

जैसे तकनीकी विषय पर शोध-पत्र लिखना, लेख, पुस्तक, मैनुअल तैयार करना लिखित तकनीकी संचार के उदाहरण है।

4. यांत्रिक संचार 

तकनीकी संदेशों को भेजने के लिये जब हम यांत्रिक मशीनों का इस्तेमाल करते है तो हम उन्हें यांत्रिक संचार कहते हैं। जैसे कि कम्प्यूटर, र्इ-मेल, फैक्स, इत्यादि का प्रयोग करना। तकनीकी संदेशों को कम्प्यूटर ग्राफिक्स के माध्यम से प्रभावी तस्वीरों, चार्ट, मॉडल इत्यादि के रुप में Second व्यक्ति तक आसानी से भेज सकते हैं। कम्प्यूटर की मदद से हम व्यक्ति को बड़ी-बड़ी मशीने के भाग, उसको बनाने के तरीको को आसानी से समझा सकते है। सीñडीñरोम में भविष्य में प्रयोग करने के उद्देश्य से Windows Hosting करके रख सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *