शोध समस्या की प्रकृति And चयन

किसी भी शैक्षिक शोध की शुरूआत Single शोध समस्या की स्पष्ट पहचान से होती है। शोध समस्या की स्पष्ट Reseller से पहचान कर उसका History करना शोधकर्ता के लिए Single कठिन कार्य होता है। फिर भी वह परिस्थितियों की समझ, अपने अनुभवों And First किये गये शोधों की समीक्षा करके किसी स्पष्ट तथा ठोस समस्या का निर्धारण कर पाता है।

First यह जानना आवश्यक है कि शोध समस्या किसे कहते हैं ? सामान्यत: शोध समस्या Single ऐसी समस्या होती है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक चरों के बीच Single प्रश्नाात्मक सम्बन्ध (Interrogative Relationship) की अभिव्यक्ति हेाती है। ‘करलिंगर’ के According ‘‘समस्या Single ऐसा प्रश्नात्मक वाक्य या कथन होता है जो दो या दो से अधिक चरों के बीच कैसा सम्बन्ध है, यह देखता है।’’टाउनसेण्ड (John C. Townsend) ने समस्या की परिभाषा देते हुए कहा है कि ‘‘समस्या तो समाधान के लिए Single प्रस्तावित प्रश्न है।’’ वास्तव में जब किसी प्रश्न का केार्इ उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो समस्या उपस्थित हो जाती है।

किसी भी वैज्ञानिक समस्या में सदैव दो या दो से अधिक चल राशियों (variables) के बीच क्या सम्बन्ध है, देखा जाता है। उदाहरण के लिये पुरस्कार का सीखने की क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह देखना वैज्ञानिक समस्या का उदाहरण है। यहाँ पुरस्कार Single चलराशि तथा दूसरी चलराशि सीखने में प्रभाव है।

समस्या की पहचान 

मैक्गुइन (Mc. Guigan) के According, ‘‘Single (समाधान-योग्य) समस्या ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर व्यक्ति की सामान्य क्षमताओं के प्रयोग से दिया जा सकता है।’’इनके According समस्या की अभिव्यक्ति के तीन कारण है –

  1. ज्ञान में दरार (Gap) हो – कोर्इ भी समस्या उस समय स्वयं अभिव्यक्त हो उठेगी जब व्यक्ति का ज्ञान किसी जानकारी की तर्कयुक्त ढ़ंग से व्याख्या न कर सके। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति यद्यपि अपने ज्ञान से परिचित हेाता है तथा साथ ही वह इस सत्य से भी इन्कार नहीं करता है कि उसके ज्ञान में कुछ कमी है जिसके कारण वह किसी घटना की उचित व्याख्या नहीं कर पा रहा है। उदाहरण के लिये ‘शिक्षण की कौन सी विधि सर्वोत्तम है ? अथवा ‘ चिकित्सा क्षेत्र में कौन सी चिकित्सा-प्रणाली सर्वश्रेष्ठ है ? आदि प्रश्नों से यह स्पष्ट है कि मनुष्य के ज्ञान में वास्तव में दरार है।
  2. विरोधी परिणाम (Contradictory Results) –कभी-कभी ऐसा होता है जब किसी Single ही समस्या पर विभिन्न प्रयोगों द्वारा विभिन्न परिणाम निकलते हैं। इस परिणामों में अन्तर के कर्इ कारण हो सकते हैं, जैसे प्रयोगकर्ता या अनुसंधानकर्ता द्वारा प्रयोग को ठीक ढ़ंग से न करना या चरों पर पूरी तरह से नियंत्रण न कर पाना आदि प्रयोगकर्ता की ये त्रुटियां भी समस्या अभिव्यक्ति का कारण बन जाती है।
  3. किसी तथ्य की व्याख्या (Explaining a ‘fact’) – जब कोर्इ भी नया तथ्य वैज्ञानिक को प्राप्त होता है, तो वह उसे अपना ज्ञान से सम्बन्धित करने का प्रयास करता है। किन्तु वह अपने प्रयास में पूर्ण Reseller से सफल नहीं हो पाता यहाँ उसका असफल हो जाना ही समस्या की अभिव्यक्ति करता है। ऐसी परिस्थिति में वह अतिरिक्त जानकारी Singleत्रित करता है जिसके द्वारा वह इस नये तथ्य की व्याख्या कर सके।

इस प्रकार शिक्षाषास्त्रियों, समाज वैज्ञानिकों तथा मनोवैज्ञानिकों के विचारों में केवल Wordावली का ही अन्तर दिखार्इ देता है अन्यथा इस बात को All स्वीकार करते है कि Need की संतुष्टि के मार्ग में बाधा ही समस्या है, चाहे यह Need जिज्ञासा की संतुष्टि मात्र हो, जो All मूलभूत अनुसंधानों का आधार है अथवा किसी उपयोगिता पर आधारित हो।

समस्या का मूल्याकंन 

अनुसंधानकर्ता केा जाँच में ली जाने वाली समस्या पर विचार करते हुये उसे इस सम्बन्ध में स्वयं से श्रृंखलाबद्ध कुछ प्रश्न पूछने चाहिये। ये प्रश्न उसकी व्यक्तिगत उपयुक्तता व सामाजिक मूल्यों के आधार पर समस्या का मूल्याकंन करने में सहायक होते हैं। अध्ययन पर कार्य आरम्भ करने से First इन All प्रश्नों के सकारात्मक उत्तर मिल जाने चाहिये।

  1. क्या समस्या ऐसी है जिसे शोध के द्वारा सुलझाया जा सकता है ? Meansात् क्या समस्या ऐसी है जिसके बारे में संगत आँकड़े Singleत्रित किये जा सकते हैं और उनका उचित उत्तर दिया जा सकता है ? 
  2. क्या समस्या सार्थक है ? क्या समस्या में इतने चर सम्मिलित है जिन पर अनुसंधान Reseller जा सकता है ? क्या समस्या के समाधान से वर्तमान शैक्षिक, मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक सिद्धान्त में महत्वपूर्ण परिवर्तन आ सकता है ? 
  3. क्या समस्या नयी है ? अगर समस्या ऐसी है जिसका अनुसंधान First हो चुका है तो उस पर पुन: शोध करने से शोधकर्ता का समय And धन दोनों की ही बर्बादी होगी। इसलिये समस्या को नयी एवम् मौलिक होना चाहिये ताकि शोधकर्ता Single नये निष्कर्ष पर पहुँच सके। 
  4. क्या समस्या का कोर्इ सैद्धान्तिक मान है ? Meansात् क्या समस्या ऐसी है जिससे क्षेत्र में उत्पन्न अज्ञानता की खार्इ भरी जा सकती है? क्या समस्या के समाधान से किसी सिद्धान्त के विकास में मदद मिलेगी ? 
  5. क्या समस्या ऐसी है जिस पर शोध Reseller जा सके ? Meansात् कोर्इ समस्या अच्छी हो सकती है परन्तु यह कर्इ कारणेां जैसे शोधकर्ता में प्रशिक्षण की कमी, उसके पास समय तथा धन की कमी, उपयुक्त ऑकड़े संग्रहण के उपकरणों का अभाव आदि से भी शोध के योग्य नहीं हो सकती है। 
    यदि उपर्युक्त प्रश्नों का उत्तर हाँ में मिलता है तो समझना चाहिये कि शोध समस्या उपयुक्त And वैज्ञानिक है। यदि इनका उत्तर ‘नहीं’ में मिलता है, तो ऐसी समस्या Single अच्छी शोध समस्या नहीं मानी जायेगी।

    शोध समस्या के उद्भव स्त्रोत 

    किसी भी शोधार्थी के लिये Single वैज्ञानिक समस्या का प्रतिपादन निश्चित Reseller से Single कठिन कार्य है। फिर भी वह इस कठिन कार्य के लिये कुछ ऐसे स्रोतों (Sources) का सहारा ले सकता है जिससे उसे समस्या को ढॅूढ़ने में मदद मिल सके। ये स्त्रोत निम्नवत हैं –

    1. शिक्षकों, छात्रों And अभिभावकों द्वारा अनुभव की जा रही है दिन-प्रतिदिन की समस्यायें किसी भी शोधकर्ता के लिये Single उपयोगी समस्या का स्रोत हो सकते हैं। उदाहरण के लिये वर्तमान समय में छात्र अनुशासनहीनता की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इस समस्या से शिक्षक And अभिभावक दोनों ही परेशान हैं। अत: ये समस्या शोध का विषय हो सकता है कि उन कारणों का पता लगाया जाये जिन कारणों से छात्रों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है तथा जो छात्र अनुशासनहीन है उनका व्यक्तित्व कैसा है? उनका पारिवारिक वातावरण, मित्र, अभिभावक, आर्थिक स्तर इत्यादि किस प्रकार के हैं And इन All का छात्र के जीवन पर क्या और किस प्रकार का प्रभाव है, का अध्ययन करके उपरोक्त समस्या का समाधान प्राप्त Reseller जा सकता है।
    2. पाठ्य पुस्तक, शोध-पत्र, शोध जर्नल आदि को पढ़कर भी संभावित शोध समस्या का संकेत प्राप्त Reseller जा सकता है। क्योंकि इन स्रोतों में कुछ ऐसी प्रविधियों And कार्यविधियों का भी History रहता है जिनसे शोध की नयी समस्या की झलक तो मिलती ही है साथ ही उन्हें सुलझाने में भी शोधकर्ता को विशेष सहायता मिलती है।
    3. वरिष्ठ शिक्षक And विषय विषेषज्ञ भी अच्छी And वैज्ञानिक समस्या के प्रतिपादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    बेस्ट And काहन (Best & Kahn, 1992) ने शोध की उत्पत्ति के साठ क्षेत्रों तथा कुछ सामान्य चयन के स्रोतों का वर्णन Reseller है जिनमें से कुछ प्रमुख स्रोत निम्नवत हैं –

    1. पाठ्य पुस्तकें (Text Books)
    2. पाठ्येत्तर क्रियायें (Extracurricular Activities)
    3. स्वतंत्र अध्ययन (Independent Studies)
    4. शोध लेख (Research Papers)
    5. शोध सारांश (Researc Abstracts)
    6. शोध प्रकाशन (Research Publications)
    7. संगोष्ठी प्रपत्र (Seminar Papers)
    8. शोध पत्रिकायें (Research Journals )
    9. विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण (Different Suves)
    10. सामाजिक आर्थिक अध्ययन And शैक्षिक लेख (Socio-economic studies and educational writings )
    11. कार्यक्षेत्र के अनुभव (Work Experiences)
    12. सरकारी निर्णय And नीतियाँ (Government Decisions & Policies )
    13. अन्तर्राष्ट्रीय अभिलेख (International Reports)
    14. छात्रों के वाद-विवाद (Students Discussion)
    15. इण्टरनेट And दैनिक पत्र (Internet and News Papers)

    उपरोक्त कुछ ऐसे सामान्य स्रोत है जिनमें शोध समस्याओं को ढूँढ़ा जा सकता है।

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