व्यावसायिक सामाजिक कार्य का विकास

सन् 1935 मे सामूहिक कार्यकताओं मे व्यावसायिक चेतना जागृत हुर्इ इस वर्ष समाज कार्य की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में सामाजिक सामूहिक कार्य को Single भाग के Reseller में अलग से Single अनुभाग बनाया गया इसी वर्ष सोशल वर्क र्इयर बुक में सामाजिक सामूहिक सेवा कार्य पर अलग से Single खण्ड के Reseller में कर्इ लेख प्रकाशित किये गये। इन दो कार्यो से सामाजिक सामूहिक सेवा कार्य व्यावसायिक समाजकार्य का Single अंग बना। सन् 1935 मे सामूहिक कार्य के उद्देश्यों को Single लेख के Reseller मे समाजकार्य की राष्ट्रीय कान्फे्रन्स मे प्रस्तुत Reseller गया। ‘‘स्वैच्छिक संघ द्वारा व्यक्ति के विकास तथा सामाजिक समायोजन पर बल देते हुये तथा Single साधन के Reseller में इस संघ का उपयोग सामाजिक इच्छित उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रक्रिया के Reseller में समूह कार्य को परिभाषित Reseller जा सकता है।’’  सन् 1937 मे ग्रेस क्वायल ने लिखा कि ‘‘सामाजिक सामूहिक कार्य का उद्देश्य सामूहिक स्थितियों में व्यक्तियों की पारस्परिक क्रिया द्वारा व्यक्तियों का विकास करना  तथा ऐसी सामूहिक स्थितियों को उत्पन्न करना जिससे समान उद्देश्यों के लिए Singleीकृत, सहयोगिक, सामूहिक क्रिया हो सकें।’’ हार्टफोर्ड का विचार है कि समूह कार्य के तीन प्रमुख क्षे़त्र थे-

  1. व्यक्ति का मनुष्य के Reseller में विकास तथा सामाजिक समायोजन करना।
  2. ज्ञान तथा निपुणता में वृद्धि द्वारा व्यक्तियों की रूचि में बढ़ोत्तरी करना।
  3. समुदाय के प्रति उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना।

सन् 1940-50 के बीच सिगमण्ड फ्रायड का मनोविश्लेषण का प्रभाव समूह कार्य व्यवहार में आया। इस कारण यह समझा जाने लगा कि सामाजिक अकार्यात्मकता (Social disfunctioning) का कारण सांवेगिक सघर्ष है। अत: अचेतन से महत्व दिया जाने लगा जिससे समूहकार्य संवेगिक Reseller से पीड़ित व्यक्तियों के साथ काम करने लगा। द्वितीय विश्वFight ने चिकित्सकीय तथा मनोचिकित्सकीय समूह कार्य को जन्म दिया।

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