व्यवसाय की प्रकृति And क्षेत्र

दैनिक जीवन में हम विभिन्न पक्रार की क्रियाएँ करते है। आने वाले समय में छात्र डॉक्टर बनना चाहते हैं, इंजीनियर बनना चाहते हैं। चार्टर्ड Singleाउण्टेण्ट बनना चाहते हैं या कोर्इ भी अच्छी नौकरी पाना चाहते है। कुछ छात्र अपना व्यवसाय करना चाहते है। प्रश्न उठता हैं कि मनुष्य ये सब क्रियायें क्यों करता हैं? सहज उत्तर है-जीविकोपार्जन के लिए। जीविकोपार्जन के लिए की जाने वाली प्रत्येक Humanीय क्रिया आर्थिक क्रिया कहलाती है। इसमें हम मनुष्य की आर्थिक क्रियायें, उनके वर्गीकरण और इससे सम्बन्धित पहलुओं का अध्ययन करगें ।

Humanीय क्रियाएं 

वे All क्रियाएं जो मनुष्य अपनी Need या इच्छा की संतुष्टि के लिए करता है, Humanीय क्रियाएँ कहलाती है।

हम प्रतिदिन कोर्इ न कोर्इ क्रिया अवश्य करते है, जैसे खेती करना, खाना पकाना, फुटबाल खेलना, विद्यालय में पढ़ना, दफ्तर में कार्य करना, व्यायाम करना, कहानी की किताब पढ़ना, गीत गाना आदि। ये All क्रियाएँ हम अपनी किसी न किसी Need या इच्छा की संतुष्टि के लिए करते हैं। इन All क्रियाओं को हम Humanीय क्रियाएँ तो कह सकत े हैं परंतु इन क्रियाओं के उद्देश्य And अंतिम परिणामों का अध्ययन करने पर हम इनमें विभिन्नता पाते है। उदाहरण के लिए-पढ़ाने की क्रिया को ही लें-Single शिक्षक विद्यालय में छात्रों को पढ़ाता है और दूसरी ओर Single पिता घर में अपने बच्चों को पढ़ाता है। यहां हम पाएंगे कि शिक्षक And पिता द्वारा पढा़ने के उद्दश्े य And अंतिम परिणाम अलग-अलग हैं। Single शिक्षक का विद्यालय में छात्रों को पढ़ाना धनोपार्जन हैं जबकि दूसरी स्थिति में Single पिता का अपने बच्चों को पढ़ाना पारिवारिक जिम्मेदारी, बच्चा ें का पालन पोषण या स्वयं की संतुष्टि है।

Humanीय क्रियाएं ,जो धनोपार्जन के लिए की जाती हैं, आर्थिक क्रियाएं कहलाती है- जैसे : किसान द्वारा खेती करना, मजदूर का कारखाने में काम करना, व्यापारी द्वारा वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना। अन्य क्रियाएं, जिनका उद्ेदश्य धनोपार्जन नहीं होता अथवा जो स्वयं की संतुष्टि के लिए की जाती है, अनार्थिक क्रियाएँ कहलाती है, जैसे- संगीत सुनना, घर के लिए वस्तुए खरीदना, माँ का अपने बच्चों के लिए भोजन पकाना, गरीब बच्वों की सहायता के लिए कोर्इ कार्यक्रम करना आदि।

आर्थिक क्रियाओं का वर्गीकरण 

आर्थिक क्रियाओं के अनेक प्रकार हो सकते हैं। आर्थिक क्रिया मनुष्य द्वारा Single बार भी जा सकती है या फिर निरंतर भी। उदाहरण के लिए, यदि हम बिजली के उपकरणों की जानकारी रखते है और उन्हें सुधारना भी जानते हैं। किसी के विद्युत पंखे या कूलर को सुधारने के प्रतिफल में यदि हमे कुछ Resellerये मिल जाते हैं तो यह Single आर्थिक क्रिया है जो Single बार की गर्इ है। जब यह क्रिया हम निरन्तर करने लगते हैं और माैि द्रक आय अर्जित करने लगते हैं तो हमारी इस क्रिया को धंधा कहा जायगे ा। वास्तव में पत््र येक व्यक्ति किसी न किसी धंधों में लगा हैं। धंधों को निम्न वर्गो में बांटा जा सकता है-

  1. पेशा 
  2. रोजगार 
  3. व्यवसाय 

आइये, इनके बारे में कुछ विस्तृत अध्ययन करें।

(क) पेशा 

Single इंजीनियर किसी भवन का नक्शा, उसकी लागत का अनुमान लगाने, निर्माण कार्य का निरीक्षण करने और मूल्यांकन करने में दक्ष होता है और विशिष्ट ज्ञान रखता है और इस कार्य हेतु वह फीस लेता है। Single डाक्टर, मरीजों की जांच करने, उनकी बीमारी का पता लगाने और इलाज करने हेतु विशिष्ट ज्ञान And प्रशिक्षण प्राप्त होता है, इन All कार्यो के लिए वह अपने मरीजों से फीस लेता है। इसी प्रकार हम अपने आस-पास देखें तो पाएगें कि चार्टर्ड Singleाउण्टेण्ट, वास्तुकार, फिल्म अभिनेता, नर्तक, कलाकार आदि बहुत से लोग है जो अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट ज्ञान And प्रशिक्षण प्राप्त करके लोगों को अपनी सेवायें देते है और धनोपार्जन करते है। ये All पेशेवर व्यक्ति कहलाते हैं तथा जिन क्रियाओं को ये करते है उन्हें पेशा कहा जाता है।

इस प्रकार निष्कर्ष में हम कह कहते हैं कि ‘‘किसी व्यक्ति द्वारा जीविकोपार्जन के लिए की गर्इ कोर्इ भी क्रिया, जिसमें विशिष्ट ज्ञान And दक्षता के प्रयोग की Need हो, पेशा कहलाती है। पेशे की अवधारणा को स्पष्ट करने इसके कुछ आधारभूत लक्षण इस प्रकार है-

  1. पेशा वह धंधा है जिसके लिए व्यक्ति को विशिष्ट ज्ञान And दक्षता प्राप्त करने की Need होती है।
  2. इस प्रकार की सेवाओं के प्रतिफल के Reseller में जो राशि उन्हें प्राप्त होती है, उसे ‘फीस’ कहते हैं।
  3. अधिकांश पेशेवर लोगों का विनियमन And पेशेवर संस्थान द्वारा Reseller जाता है। जो उस आचार संहिता को बनाती है जिसका पालन पेशे के सदस्य करते हैं। उदाहरण के लिए भारत में चार्टर्ड अकाउन्टैंट्स का विनियमन Indian Customer चार्टर्ड अकाउन्टैंट्स संस्थान के द्वारा, क्रिकेट खिलाड़ियों का अन्र्तराष्ट्रीय परिषद् अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् द्वारा होता है।
  4. अधिकांशत: पेशेवर लोग महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा विशिष्ट संस्थानों से विशिष्ट ज्ञान का अर्जन करते हैं। कुछ स्थितियों में लोग इस प्रकार का ज्ञान And कौशल प्रशिक्षण द्वारा या उस क्षेत्र के विशेषज्ञ से प्िर शक्षण प्राप्त करके करते हैं: जैसे कि नर्तक, संगीतज्ञ आदि। 
  5. पेशेवर लागे सामान्यत: अकेले कार्य करते हैं, आरै अपनी सेवाओ के प्रतिफल के Reseller में फीस लेते हैं तथा पेशारत कहलाते हैं। कुछ पेशेवर लोग ऐसे भी हैं जो संगठनों में कर्मचारी अथवा सलाहकार के Reseller में कार्य करते हैं। 
  6. यद्यपि All पेशेवर लोग फीस लेते हैं लेकिन फिर भी उनका मूल उद्देश्य सेवा प्रदान करना है। उन्हें अपने इस विशिष्ट ज्ञान का प्रयोग करके लोगों का शोषण नहीं करना चाहिए। वह All आर्थिक क्रियाएं जिनमें पेशेवर लोग प्रशिक्षण And दक्षता के आधार पर विशेषतापूर्ण And विशिष्ट प्रकृति की व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान करते हैं तथा जिनमें कछु नियमों (आचार संहिता) का पालन करना होता है पेशा कहलाती हैं। 

(ख) रोजगार 

हम प्रतिदिन काम करने के लिए शिक्षक, क्लर्क, अधिकारी, नर्स, डाReseller, मजदूर को जाते हुए देखते हैं और कहते है कि ये All अपने रोजगार में जा रहे है। Single डाReseller पत्र बाँटता है और यही उसका रोजगार है। जिसमें डाक विभाग नियोक्ता है और डाReseller उसका ‘कर्मचारी’। डाReseller कुछ शर्तो के अंतर्गत कार्य करता है और प्रतिफल के Reseller में उसे वेतन प्राप्त होता है। इस प्रकार हम कहते हैं कि ‘‘जब Single व्यक्ति दूसरों के लिए निरंतर कार्य करता है और प्रतिफल के Reseller में मजदूरी/वेतन प्राप्त करता है, रोजगार में लगा हुआ कहलाता है। रोजगार के प्रमुख लक्षण इस प्र्रकार है-

  1. यह Single ऐसा धंधा है जिसमें Single व्यक्ति (कर्मचारी) Second व्यक्ति (नियोक्ता) के लिए कार्य करता है।
  2. कार्य करने की कुछ शर्ते होती हैं जैसे कार्य के घंटे (Single दिन में कितने घंटे), कार्य की अवधि (सप्ताह अथवा महीने आदि में कितने दिन अथवा कितने घंटे), छुट्टियों की सुविधा, वेतन/मजदूरी, कार्य-स्थान आदि। 
  3. कर्मचारियों को उनके कार्य के प्रतिफल के Reseller में वेतन (सामान्यत: जिसका भुगतान प्रति माह Reseller जाता हैं) अथवा मजदूरी (सामान्यत: जिसका भुगतान प्रतिदिन/साप्ताहिक Reseller जाता है) प्राप्त होती है। यह राशि साधारणतया पूर्वनिर्धारित होती है, पारस्परिक Agreeि से तय होती है तथा समय-समय पर बढ़ती रहती है।
  4. कानूनी Reseller से नियोक्ता And कर्मचारी का संबंध ठेके अथवा अनुबंध पर आधारित होता है तथा दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष द्वारा शर्त उलंघन करने पर Second पक्ष को कानूनी कार्यवाही का अधिकार होता है।
  5. कुछ रोजगार ऐसे होते हैं जिनके लिए किसी तकनीकी शिक्षा अथवा विशिष्ट दक्षता की Need नहीं होती। लेकिन कुछ रोजगार कौशल, विशिष्टिता And तकनीकी अपेक्षित होत े हैं जिनके लिए Single स्तर विशेष की मूलभूत तकनीकी शिक्षा की Need होती है। 
  6. रोजगार का उद्देश्य मजदूरी And वेतन के Reseller में निश्चित आय प्राप्त करना है। Single ऐसी आर्थिक क्रिया, जिसे Single व्यक्ति Second व्यक्ति के लिए, निश्चित प्रतिफल के बदले, सेवा अनुबंध के अंतर्गत करता है, रोजगार कहलाती है। 

(ग) व्यवसाय 

व्यवसाय अंग्रेजी भाषा के ठनेपदमे (बिज्-निस) का हिदीं समानाथ्र्ाी Word है। अंग्रेजी में इसका आशय है, ‘किसी कार्य में व्यस्त रहना: अत: हिदीं में व्यस्त रहने की अवस्था के Meansवाले ‘व्यवसाय’ Word का चयन Reseller गया। इस प्रकार व्यवसाय का शाब्दिक Means हैं- किसी न किसी आर्थिक क्रिया में व्यस्त रहना। आपने टाटा कम्पनी समूह के बारे में तो सुना ही होगा। वे नमक से लेकर ट्रक And बसों तक बहुत सी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं और उन्हें हम और आप जैसे लोगों को बेचते हैं. इस प्रक्रिया में वे लाभ कमाते है. जरा अपने पास के दुकानदार पर नजर डालें. वह क्या करता है ? वह बड़ी मात्रा में माल खरीदता है उन्हें छोटी-छोटी मात्रा में बेचता है। वह इस प्रक्रिया में लाभ कमाता है। व्यवसाय में लगे हुए ये All व्यक्ति व्यवसायी कहलाते हैं। ये All अपनी क्रियाएं लाभ कमाने के लिए नियमित Reseller से करते हैं। अत: व्यवसाय की परिभाषा Single ऐसी आर्थिक क्रिया के Reseller में दी जा सकती है जिनमें लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तुओं And सेवाओं का नियमित उत्पादन क्रय, विक्रय हस्तातंरण And विनिमय Reseller जाता है।

हम बहुत से व्यवसायी जैसे केबल आपरेटर, कारखाना- मालिक, परिवहनकर्ता, बैकर, दर्जी, टैक्सी चालक आदि को क्रय-विक्रय करते अथवा सेवा प्रदान करते देखते हैं। इन्होंनें कुछ राशि का निवेश Reseller है, ये जोखिम उठाते हैं और लाभ कमाने के उद्देश्य से कार्य करते है। अत: व्यवसाय की प्रमुख विशेषताएँ हैं-

  1. यह Single ऐसा धंधा है जिसमें व्यक्ति वस्तुओं And सेवाओं के विनिर्माण अथवा क्रय-विक्रय में लगा रहता है। यह वस्तुएं उपभोक्ता वस्तुएं अथवा पूंजीगत वस्तुएं हो सकती है। इसी प्रकार सेवाएं परिवहन, बैकिंग, बीमा आदि के Reseller में हो सकती है।
  2. इसमें क्रियाएं नियमित Reseller से की जाती है। Single अकेला लेन-देन व्यवसाय नहीं कहलाता। उदाहरण के लिए यदि कोर्इ व्यक्ति अपनी पुरानी कार को लाभ पर बेचता है तो हम इसे व्यावसायिक क्रिया नहीं कहेंगें। लेकिन यदि वह नियमित Reseller से पुरानी कारों का क्रय कर उन्हें बेचने का कार्य करता है तो हम कहेंगे कि वह व्यवसाय में लगा है। 
  3. व्यवसाय का Only उद्देश्य लाभ कमाना है। यह व्यवसाय के अस्तित्व में रहने के लिए अनिवार्य है। हां, यह अवश्य है कि यह वस्तुएं And सेवाएं प्रदान करके ही Reseller जाता है।
  4. All व्यवसायों के लिए कुछ न कुछ पूंजी की Need होती है जो रोकड़ अथवा सम्पत्ति अथवा दोनों के Reseller में हो सकती है। इसे साधारणतया स्वामी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है अथवा स्वामी अपने जोखिम पर उधार लेता है।
  5. व्यवसाय में आय सदैव अनिश्चित होती है क्योकि भविष्य अनिश्चित है तथा कुछ ऐसे तत्व हैं जो आय को प्रभावित करते हैं और जिन पर व्यवसायी का कोर्इ वश नहीं है। इस प्रकार प्रत्येक व्यवसाय में जोखिम का तत्व होता है और इसे व्यवसायी Meansात स्वामी को वहन करना होता है।

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