व्यवसाय का Means, महत्व, उद्देश्य And प्रकार

व्यवसाय अंग्रेजी भाषा के Business (बिज्-निस) का हिदीं समानाथ्री Word है। अंग्रेजी में इसका आशय है, ‘किसी कार्य में व्यस्त रहना: अत: हिदीं में व्यस्त रहने की अवस्था के Meansवाले ‘व्यवसाय’ Word का चयन Reseller गया। इस प्रकार व्यवसाय का शाब्दिक Means हैं- किसी न किसी आर्थिक क्रिया में व्यस्त रहना। आपने टाटा कम्पनी समूह के बारे में तो सुना ही होगा। वे नमक से लेकर ट्रक And बसों तक बहुत सी वस्तुओ का उत्पादन करते हैं और उन्हें हम और आप जैसे लोगों को बेचते हैं. इस प्रक्रिया में वे लाभ कमाते हैं जरा अपने पास के दुकानदार पर नजर डालें. वह क्या करता है ? वह बड़ी मात्रा में माल खरीदता है उन्हें छोटी-छोटी मात्रा में बेचता है। वह इस प्रक्रिया में लाभ कमाता है। व्यवसाय में लगे हुए ये All व्यक्ति व्यवसायी कहलाते हैं। ये All अपनी क्रियाएं लाभ कमाने के लिए नियमित Reseller से करते हैं। अत: व्यवसाय की परिभाषा Single ऐसी आर्थिक क्रिया के Reseller में दी जा सकती है जिनमें लाभ कमाने के उद्देष्य से वस्तुओं And सेवाओं का नियमित उत्पादन क्रय, विक्रय हस्तातंरण And विनिमय Reseller जाता है।
हम बहुत से व्यवसायी जैसे केबल आपरेटर, कारखाना- मालिक, परिवहनकर्ता, बैकर, दर्जी, टैक्सी चालक आदि को क्रय-विक्रय करते अथवा सेवा प्रदान करते देखते हैं। इन्होंनें कुछ राशि का निवेश Reseller है, ये जोखिम उठाते हैं और लाभ कमाने के उद्देश्य से कार्य करते है। अत: व्यवसाय की प्रमुख विशेषताएँ हैं-

  1. यह Single ऐसा धंधा है जिसमें व्यक्ति वस्तुओं And सेवाओं के विनिर्माण अथवा क्रय-विक्रय में लगा रहता है। यह वस्तुएं उपभोक्ता वस्तुएं अथवा पूंजीगत वस्तुएं हो सकती है। इसी प्रकार सेवाएं परिवहन, बैकिंग, बीमा आदि के Reseller में हो सकती है।
  2. इसमें क्रियाएं नियमित Reseller से की जाती है। Single अकेला लेन-देन व्यवसाय नहीं कहलाता। उदाहरण के लिए यदि कोर्इ व्यक्ति अपनी पुरानी कार को लाभ पर बेचता है तो हम इसे व्यावसायिक क्रिया नहीं कहेंगें। लेकिन यदि वह नियमित Reseller से पुरानी कारों का क्रय कर उन्हें बेचने का कार्य करता है तो हम कहेंगे कि वह व्यवसाय में लगा है।
  3. व्यवसाय का Only उद्देश्य लाभ कमाना है। यह व्यवसाय के अस्तित्व में रहने के लिए अनिवार्य है। हां, यह अवश्य है कि यह वस्तुएं And सेवाएं प्रदान करके ही Reseller जाता है। (घ) All व्यवसायों के लिए कुछ न कुछ पूंजी की Need होती है जो रोकड़ अथवा सम्पत्ति अथवा दोनों के Reseller में हो सकती है। इसे साधारणतया स्वामी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है अथवा स्वामी अपने जोखिम पर उधार लेता है।
  4. व्यवसाय में आय सदैव अनिश्चित हातेी है क्येिक भविष्य अनिश्चित है तथा कुछ ऐसे तत्व हैं जो आय को प्रभावित करते हैं और जिन पर व्यवसायी का कोर्इ वश नहीं है। इस प्रकार प्रत्येक व्यवसाय में जोखिम का तत्व होता है और इसे व्यवसायी Meansात स्वामी को वहन करना होता है।

व्यवसाय का महत्व

आधुनिक युग में व्यवसाय किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार माना जाता है। व्यवसाय आधुनिक समाज का Single अभिन्न अंग है। वाणिज्यशास्त्री व्हीलर के Wordों में आज व्यवसाय का जीवन से इतना घनिष्ठ संबधं है कि मौसम की तरह व्यवसाय भी सदैव हमारे साथ रहता है।

  1. जीवन स्तर में सुधार- व्यवसाय उचित समय और उचित स्थान पर श्रेष्ठत्तर गुणवत्ता वाली विविध वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराके लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाता है।
  2. रोजगार की प्राप्ति- यह कार्य करने और जीविकोपार्जन करने के अवसर प्रदान करता है। इस तरह इससे देश में रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं जिससे गरीबी दूर होती है। 
  3. प्राकृतिक संसाधनोंं का विदोहन- इससे राष्ट्र के सीमित संसाधनों का उपयोग होता है तथा वस्तुओं And सेवाओं के अधिक से अधिक उत्पादन में सहायता मिलती है.
  4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेंं वृद्धि- यह उत्तम किस्म की वस्तुओं And सेवाओं के उत्पादन तथा निर्यात द्वारा राष्ट्रीय छवि में सुधार लाता है. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में मेलों तथा प्रदर्शनियों में भाग लेकर यह बाहर के देशों में हमारी प्रगति और उपलब्धियों का प्रदर्षन भी करता हैं।
  5. श्रेष्ठ वस्तुओं का उत्पादन-इससे देश के लोगों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता वाली वस्तुएं प्रयोग करने का अवसर मिलता है। ऐसा विदेशो से वस्तुए आयात करके अथवा अपन े ही देश में आधुनिक तकनीक के उपयोग से श्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वस्तुओं के उत्पादन द्वारा संभव है।
  6. पूंंजी निवेश को प्रोत्साहन-इससे निवेशकों को उनके पूँजी निवेश पर अच्छा प्रतिफल मिलता है और व्यवसाय को विकास तथा विस्तार के श्रेष्ठ अवसर प्राप्त होते हैं।
  7. सामाजिक And राष्ट्रीय Singleता को बढ़ा़वा- पर्यटन सेवाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रायोजन, व्यापार प्रदर्षनी आदि के माध्यम से यह देश में सामाजिक हितों को बढ़ावा देता है। इससे देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग Single Second के साथ अपनी संस्कृति, परम्परा तथा आचार-विचारों का आदान-प्रदान कर पाते हैं। इस तरह इससे राष्ट्रीय Singleता को बढ़ावा मिलता है
  8. अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों मेंं मधुरता- यह भिन्न-भिन्न देशों के लोगों को अपनी संस्कृति के आदान प्रदान के अवसर भी प्रदान करता है। इस प्रकार यह अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग और शांति को बनाए रखने में मदद करता है।
  9. नवीन उत्पाद And सेवाओंं का विकास- यह विज्ञान तथा तकनीक के विकास में भी सहायक होता है। यह नए उत्पादों And सेवाओं की खोज में शोध And विकास कार्यो पर बहुत अधिक धन व्यय करता है। इस प्रकार औद्योगिक शोधों के परिणामस्वReseller अनके नवीन उत्पादों तथा सेवाओं का विकास होता है।

व्यवसाय के उद्देश्य

साधारणतया यह माना जाता हैं कि व्यवसाय का Only उद्देश्य है लाभ कमाना तथा अपने स्वामियों के हितों की रक्षा करना। परंतु ऐसा करने के लिए कोर्इ भी व्यवसाय अपने कर्मचारियों, ग्राहकों तथा समग्र समाज के हितों की अनदेखी नहीं कर सकता क्योकिं प्रत्येक व्यवसायी समाज का Single अहम हिस्सा होता है। अत: किसी भी व्यवसाय के आर्थिक उद्देष्यों के अतिरिक्त सामाजिक, Humanीय, राष्ट्रीय And वैिश्वक उद्देश्य भी होते हैं, जिनका वर्णन निम्नानुसार Reseller जा सकता है। 1. आर्थिक उद्देश्य 2. सामाजिक उद्देश्य 3. Humanीय उद्देश्य 4. राष्ट्रीय उद्देश्य 5. वैश्विक उद्देश्य।

1. आर्थिक उद्देश्य –

किसी भी व्यवसाय का First लक्ष्य लाभ कमाना होता है। व्यवसाय के प्रमुख आर्थिक उद्देश्य इस प्रकार है-

  1.  पर्याप्त लाभ कमाना;
  2.  नये बाजार ढूंढना And और अधिक ग्राहक बनाना;
  3.  व्यवसायिक क्रियाओं का विकास And विस्तार;
  4.  वस्तुओं And सेवाओं में नव-प्रवर्तन And सुधार करना;
  5.  उपलब्ध संसाधनों का श्रेष्ठतम उपयोग करना;

2. सामाजिक उद्देश्य –

चुंकि व्यवसायी भी समाज का Single अंग होता है। अत: समाज के हित में व्यवसाय के कुछ सामाजिक उद्देश्य भी होते है जिनका वर्णन इस प्रकार Reseller जा सकता है।

  1.  समाज के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं And सेवाओं का उत्पादन तथा आपूर्ति करना;
  2.  वस्तुओं काे उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना;
  3.  जमाखोरी, काला बाजारी, अधिक मूल्य वसूलना आदि अनुचित व्यवहारों से बचाव;
  4.  समाज के सामान्य कल्याण And उत्थान कार्यों मे योगदान देना;
  5.  निवेशकों को उचित प्रतिफल सुनिश्चित करना;
  6.  उपभोक्ता शिक्षण के लिए कदम उठाना;
  7.  प्राकृतिक संसाधन And वन्य जीवन की Safty करना तथा पर्यावरण को संरक्षण प्रदान करना;

3. Humanीय उद्देश्य –

अपने कर्मचारियों के हितों की Safty और उनका कल्याण भी Single व्यवसायी की जिम्मेदारी होती है। इस तरह उनके प्रति व्यवसाय के Humanीय उद्देश्य अग्रांकित हैं-

  1. कर्मचारियों को उचित प्रतिफल And अभिप्रेरक प्रदान करना; 
  2.  कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियां And उचित कार्य वातावरण की व्यवस्था करना;
  3. कार्य को रोचक And चुनौतीपूर्ण बनाकर And सही पद पर सही व्यक्ति की Appointment कर कर्मचारियों को कार्य संतुष्टि प्रदान करना; 
  4. कर्मचारियों को अधिक से अधिक उन्नति के अवसर प्रदान करना; 
  5.  कर्मचारियों के विकास के लिए प्रशिक्षण And विकास कार्यक्रमों की व्यवस्था करना And 
  6. समाज के पिछड़े वर्गो And शारीरिक तथा मानसिक Reseller से अक्षम लोगों को रोजगार देना; 

4. राष्ट्रीय उद्धेश्य – 

व्यवसाय के उद्धेश्य राष्ट्रीय हितों से भी जुड़े हुए है। राष्ट्र का विकास And राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में व्यवसाय के उद्धेश्य है-

  1. रोजगार के अवसर पैदा करना;
  2. सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना;
  3. राष्ट्रीय हित And प्राथमिकताओं के अनुReseller वस्तुओं का उत्पादन And उनकी आपूर्ति करना;
  4. कर And अन्य बकाया राशि का र्इमानदारी से And नियमित Reseller से भुगतान करना;
  5. अच्छे आद्यैोगिक सम्बन्धों को बढ़ावा देकर राज्यों को काननू व्यवस्था बनाने मे मदद करना;
  6. समय समय पर सरकार द्वारा बनार्इ गर्इ आर्थिक And वित्तीय नीतियों को लागू करना;

5. वैश्विक उद्देश्य-

किसी भी राष्ट्र के व्यवसाय के स्तर से ही विश्व स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा आंकी जाती है। व्यवसाय के वैश्विक उद्देश्य इस प्रकार है :-

  1. वैश्विक प्रतियोगी वस्तुओं And सेवाओं को उपलब्ध कराना, And
  2. अपनी व्यावसायिक क्रियाओं का विस्तार कर धनी And गरीब राष्ट्रों के बीच की असमानताओ को कम करना;

व्यापार के प्रकार

प्रचालन के आधार पर व्यापार को निम्न दो भागों में वर्गीकृत Reseller जा सकता हैं- 1. आन्तरिक व्यापार, And 2. बाह्य व्यापार

1. आन्तरिक व्यापार –

जब व्यापार Single देश की भौगोलिक सीमाओं के अन्दर होता है जो इसे आन्तरिक व्यापार कहते हैं। इस का Means है कि क्रय And विक्रय दोनों Single ही देश के अन्दर हो रहे हैं। उदाहरण के लिए Single व्यापारी लुधियाना के निर्माताओं से बड़ी मात्रा मे ऊनी वस्त्र खरीदकर उन्हें दिल्ली के विक्रेताओं को थोड़ी-थोड़ी मात्रा मे बेच सकता हैं। इसी प्रकार से गांव का Single व्यापारी निर्माताओ से या शहर के बाजार से वस्तुओं का क्रय करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गांव के लोगो को/उपभोक्ताओ को बेचता है। इन दो उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि आन्तरिक व्यापार दो प्रकार का हो सकता है (क) उत्पादक से बड़ी मात्रा मे कं ्रय करके विक्रेताओं को थोडी-थोड़ी मात्रा में बेचना (जिसे थोक व्यापार कहते हैं) अथवा (ख) उत्पादकों/विक्रेताओं से खरीदकर सीधे उपभोक्ताओं को बेचना (जिसे फुटकर व्यापार कहते हैं)।

2. बाह्य व्यापार –

विभिन्न देशों के व्यापारियों के बीच होने वाला व्यापार बाह्य व्यापार कहलाता है Second Wordे में बाह्य व्यापार किसी देश की सीमाओं के बाहर वस्तुओं/सेवाओं का क्रय अथवा विक्रय करना है यह  किसी भी Reseller मे हो सकता है-

  1. ‘अ’ देश की फर्में ‘ब’ देश की फमोर्ं से अपने देश में विक्रय के लिए माल का क्रय करती हैं। इसे आयात व्यापार कहते है।
  2. ‘अ’ देश की फर्में अपने देश मे उत्पादित वस्तुएं ‘ब’ देश की फर्मों को बेचते है इसे निर्यात व्यापार कहते हैं।
  3. ‘अ’ देश की फर्मे ‘ब’ देश की फर्मो से ‘स’ देश की फमोर्ं को बेचने के लिए माल क्रय करते है। इसे पुन: निर्यात व्यापार कहते हैं।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *