विभागीकरण का Means, Need And महत्व

किसी व्यावसायिक संगठन को विभिन्न विभागों व उप-विभागों में विभक्त करना ही विभागीकरण कहलाता है। किसी निर्माणी संस्था में पाये जाने वाला क्रय विभाग, उत्पादन विभाग, वित्त विभाग, विक्रय विभाग, उत्पादन विभाग, वित्त विभाग, विक्रय विभाग, शोध And विकास विभाग, से विवर्गीय विभागीकरण ही है। व्यवसाय की प्रकृति And आकार को ध्यान में रखते हुए विभागीय प्रबंधक, विभागों को उप-विभागों में विभक्त कर सकते हैं। विभागों को जो कार्य सौंपे जाते हैं उसके लिए विभागाध्यक्ष ही उत्तरदायी होता है। किसी भी संगठन में विभागीकरण लागू करने का मूल उद्देश्य विशिष्टीकरण के लाभों को प्राप्त करना तथा संगठन की संचालकीय कार्यकुशलता में वृद्धि करना है। किसी भी संगठन के विकास के साथ साथ उसके विभागों और उपविभागों की संख्या भी बढ़ती जाती है। विभागीकरण के सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा दिये गये कुछ प्रमुख विचार हैं :- कूष्टज And ओडोनल के According ‘‘विभागीकरण Single विशाल Singleात्मक कार्यात्मक संगठन को छोटी छोटी And लोचपूर्ण प्रKingीय इकाइयों में बांटने की Single प्रक्रिया है।’’ विलियम एफ. ग्लूक के According, ‘‘सम्पूर्ण उपक्रम के कायार्ंे को विभाजित करने अथवा कृत्यों के समूह स्थापित करने को ही विभागीकरण कहते हैं। इसका परिणाम उप-इकाइयों का निर्माण करना है जिन्हें सामान्यत: विभाग कहा जाता है।’’

इस प्रकार विभागीकरण से आशय संगठन की सम्पूर्ण क्रियाओं को विभिन्न भागों में विभक्त करना है। जिससे छोटी छोटी प्रशासनिक इकाइयॉं गठित हो जाती हैं। जिससे व्यक्तियों And क्रियाओं दोनों का समूहीकरण भी हो जाता है जिसके परिणामस्वReseller विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त होते हैं जो संचालकीय कार्यकुशलता में वृद्धि कर देते हैं। संसाधनों का कुषलतम प्रयोग होता है। क्रियाओं का अच्छा समन्वय होता है। प्रत्येक विभाग उपविभाग और व्यक्तियों के कार्य स्पष्टत: परिभाशित होने से निश्पादन के स्तर अच्छा रहता है। इस प्रकार विभागीकरण के माध्यम से कार्यों का स्पष्टत: विभाजन And क्रियाओं का कुषलतम निश्पादन होता है।

Need And महत्व 

संगठन में विभागीकरण से विभिन्न स्तरों के निर्माण में समन्वय नियंत्रण, संदेशवाहन, निर्देशन की समस्याएं जटिल हो जाती हैं जिससे संगठन में भ्रान्तियॉं, संघर्षों And कार्य विलम्बों को बल मिलता है, परन्तु इसके सृजन की इन कारणों से Need होती है –

प्रबंधको की सीमित कार्य क्षमता

व्यवसायिक संगठन का कार्य बहुत अधिक होता है और Single प्रबंधक की शारीरिक And मानसिक कार्यक्षमता उनकी तुलना में सीमित होती है। इसलिए कार्यों को विभिन्न विभागों में विभाजित करना आवश्यक हो जाता है जिससे प्रत्येक विभागाध्यक्ष अपने विभाग के लिए पर्याप्त समय दे सके। कार्यों का निरीक्षण कर सके, यदि कोर्इ समस्या या षिकायत हो तो विभागी स्तर पर ही उनका त्वरित निस्तारण सम्भव हो सके।

विशिष्टीकरण –

विभागीकरण, विशिष्टीकरण के लिए आवश्यक होता है। कार्यों की प्रकृति की समानता के आधार पर क्रियाओं का वर्गीकरण कर उन्हें Single विभाग को सौंप दिया जाता है। इसके पश्चात विभाग की Need के अनुReseller विशेषज्ञों की Appointment की जाती है। विषेशज्ञों की देखरेख में ही कार्यों का निश्पादन होता है। विषेशज्ञ विभाग में ही उपलब्ध रहने से कार्यों पर नियंत्रण And समन्वय सरल हो जाता है।

 का श्रेष्ठ निष्पादन – 

विभागों का निमार्ण, कार्यो की पक्रृित, समानता, निष्पादन की सुविधा, समन्वय, निर्देशन संदेशवाहन, And नियंत्रण की सुविधा को ध्यान में रखकर Reseller जाता है। इस प्रकार निष्पादन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विभागीकरण Reseller जाता है जिससे कार्यों का श्रेष्ठ निष्पादन होता है।

प्रभावी नियोजन And नियत्रंण – 

Single प्रबधंक की सीमित कायर्क्ष् ामता होती है इसलिए उसका कार्यक्षेत्र Single सीमित सीमा तक ही बढ़ाया जा सकता है। यदि कार्यभार सीमा से अधिक होगा तो प्रबंधक ठीक प्रकार नियोजन, निर्देशन,निरीक्षण का कार्य सम्पन्न नहीं कर सकता है। इसीलिए समस्त क्रियाओं को निश्चित वर्गों में विभाजित कर निष्पादन के लिए सुयोग्य प्रबन्धकों को सौंप दिया जाता है। जिससे प्रभावपूर्ण ढंग से नियोजन And नियंत्रण सम्भव हो सके।

अधिकारी प्रतिनिधायन – 

अधिकारी के  प्रतिनिधायन के लिए यह आवश्यक है कि संगठन का उचित Reseller से विभागीकरण Reseller जाय। यदि क्रियाओं का वर्गीकरण विभिन्न विभागों में स्पष्ट Reseller से कर दिया गया है तो अधिकारों का प्रतिनिधायन कार्यों का सौंपना और उत्तरदायित्वों का निर्धारण प्रभावपूर्ण ढंग से सम्भव हो सकेगा। इसके परिणामस्वReseller संगठन में कुशल कार्य निष्पादन, प्रभावी निरीक्षण And नियंत्रण तीव्र संदेशवाहन, विशिष्टीकरण, विकेन्द्रीयकरण, उत्तरदायित्वों का सुनियोजित निर्धारण, अधिकारों के प्रतिनिध् ाायन आदि के लिए विभागीकरण की Need होती है।

कार्य मूल्याकंन में सरलता –

विभागीकरण से प्रत्येक व्यक्ति के कार्य सुपरिभाषित होते हैं। व्यक्तियों के उत्तरदायित्व भी निश्चित होते हैं इसीलिए प्रत्येक कार्य के लिए व्यक्ति विशेष को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। इससे प्रत्येक व्यक्ति का कार्य मूल्यांकन सरलतापूर्वक Reseller जा सकता है और जिम्मेदार व्यक्ति को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

कार्यक्षमता में वृद्धि – 

विभागीकरण से कार्यक्षमता में वृिद्ध हो जाती है। प्रत्येक व्यक्ति के कार्य And दायित्व निश्चित होते हैं। बेहतर संदेशवाहन, नियोजन, नियंत्रण, निर्देशन आदि से संगठन की कार्य प्रणाली में व्यापक सुध् ाार मिल जाता है जिसके परिणाम स्वReseller प्रत्येक व्यक्ति के कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है। 

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