विपणन का Means, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकृति, कार्य और महत्व

विपणन का Means And परिभाषाएं

प्रारंभिक समय में विपणन से तात्पर्य वस्तुओं के क्रय-विक्रय से था। Second Wordों में माल को उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचाने वाली All क्रियाओं को विपणन में सम्मिलित Reseller जाता था। उत्पादन बाहुल्य And विविधता के फलस्वReseller विपणन के क्षैत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हुए तथा विपणन का केन्द्र बिन्दु उपभोक्ता बन गया फलत: विक्रेता का बाजार क्रेता के बाजार के Reseller में परिवर्तित होने लगा। विपणन की परिभाषाओं को दो भागों में बांट कर अध्ययन करना सुविधाजनक होगा:-

  1. व्हीलर के According:-’’विपणन उन समस्त साधनों And क्रियाओं से सम्बन्धित है जिनसे वस्तुएँ And सेवाएँ उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुचती हैे’’
  2. पायले के According:-’’विपणन में क्रय And विक्रय दोनो ही क्रियाएँ सम्मिलित होती है।’’
  3. अमेरिकन मार्केटिग एसोसिएशन के According:-’’विपणन उन व्यवसायिक क्रियाओं का निष्पादन करना है जो उत्पादक से उपभोक्ता की बीच वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह का नियमन करती है।’’फिलिप कोटलर के According-’’विपणन वह मावनीय क्रिया है जो विनिमय प्रResellerओं के द्वारा Needओं And इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए की जाती है।
  4. प्रो. पाल मजूर के Wordो में-’’समाज को जीवन स्तर प्रदान करना ही विपणन है।’’
  5. हैन्सन के Wordो में-’’विपणन उपभोक्ता की Needओं को खोजने And उनको वस्तुओ तथा सेवाओं में परिवर्तित करने की क्रिया है। तदउपरान्त अधिकाधिक उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं And सेवाओं से अधिकाधिक आनन्द प्राप्त करना है।’’
  6. विलियम जे. स्टेन्टन के Wordों में:-’’विपणन उन समस्त आपसी प्रभावकारी ;पदजमतंबजपदहद्ध व्यवसायिक क्रियाओं की सम्पूर्ण प्रणाली है जो विद्यमान And भावी ग्राहकों की Needओं को संतुष्ट करने वाले उत्पादों तथा सेवाओं का नियोजन करने, मूल्यनिर्धारण करने, प्रचार-प्रसार करने तथा वितरण करने के लिए की जाती है।’’
  7. कण्डिक स्टिल तथा गोवोनी के मतानुसार-’’विपणन वह प्रबन्धकीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा उत्पादो का बाजारों से मिलान Reseller जाता है तथा उसी के अनुReseller स्वामित्व का हस्तान्तरण Reseller जाता है’’। 

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर विपणन में बातें सम्मिलित है :-

  1. विपणन का प्रारंभ उपभोक्ताओं की इच्छाओं के साथ होता है। ;पपद्ध विपणन का समापन उपभोक्ताओं की इच्छाओं को सन्तुष्ट करने के साथ होता है। 
  2. विपणन उपभोक्ता प्रधान हैं। ;पअद्ध ये परिभाषाएँ विपणन का सामाजिक दृिष्कोण प्रस्तुत करती है।
  3. ये परिभाषाएँ व्यवसाय को समाजोन्मुखी बनाती है।
  4. ये परिभाषाएँ उत्पादन, बाजार And उपभोक्ता की परस्पर निर्भरता की ओर संकेत करती है। 

निष्कर्ष Reseller में यह कहा जा सकता है कि विपणन Single सामाजिक And प्रबन्धकीय प्रक्रिया है जो Humanीय Needओं को सन्तुष्ट करने वाले उत्पाद व सेवाओं को सृजित करने, मूल्य निर्धारण करने तथा वितरण And संवर्द्धन द्वारा संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने में योगदान देती है।

विपणन की विशेषताएँ/प्रकृति

विपणन की प्रमुख विशेषताएँ है जो विपणन की प्रकृति की ओर इंगित करती है जिनसे विपणन की प्रकृति का ज्ञान हो जाता है।

  1. Single Humanीय क्रिया – विपणन को Single Humanीय क्रिया इसलिए कहा गया है कि विपणन का कार्य मनुष्यो द्वारा मनुष्यों के लिए Reseller जाता है। आज विपणन कार्य में यंत्रो का उपयोग भी Reseller जाने लगा है लेकिन उनका संचालन Human द्वारा ही Reseller जाता है अत: विपणन Single Humanीय क्रिया है। 
  2. सामाजिक आर्थिक क्रिया – विपणन Single आर्थिक क्रिया इसलिए है कि यह लाभ के लिए की जाती है लेकिन इसके साथ यह Single सामाजिक क्रिया भी है क्योंकि यह कार्य समाज के भीतर रहकर And समाज के लिए ही Reseller जाता है। अत: विपणन Single सामाजिक-आर्थिक क्रिया है। 
  3. विपणन का आधार है विनिमय -.विनिमय का Means है लेन-देन। इसके लिए बिना विपणन क्रिया संभव नही है अत:विनिमय को ही विपणन का आधार माना गया है। विपणन उत्पादक And उपभोक्ता के मध्य मूल्य के बदले वस्तु या सेवा के आदान प्रदान की Single क्रिया है।  फिलिप कोटलर ने लिखा है कि ‘‘विपणन का अस्तित्व तब उत्पन्न होता है जब लोग विनिमय द्वारा अपनी Needओं And इच्छाओं को संतुष्ट करने का निर्णय लेते है।’’  फिलिप कोटलर का मानना है कि विनियम – प्रक्रिया के लिए इन शर्तों का पूरा होना आवश्यक है :-
    1. कम से कम दो पक्षकारों का होना 
    2. Single पक्षकार के पास मूल्यवान उत्पाद/सेवा का होना जिसकी Second पक्षकार को Need हो। 
    3. पक्षकार सन्देशों के आदन-प्रदान And सुपुर्दगी में सक्षम होने चाहिए।
    4. पक्षकार Second पक्षकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने या निरस्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। 
    5. प्रत्येक पक्षकार का यह मानना कि Second पक्षकार के साथ लेन देन करना उचित है।
  4. सृजनात्मक क्रिया – विपणन Single सृजनात्मक क्रिया है। विपणन उत्पादों में विभिन्न प्रकार की उपयोगिताओं का सृजन करता है जिससे उत्पाद मूल्यवान हो जाता है। विपणन द्वारा उत्पादों में निम्न प्रकार की उपयोगिताओं का सृजन Reseller जाता है :-
  • Reseller उपयोगिता- उत्पाद के Single Reseller में आवश्यक गुणों का समावेश कर उसे Reseller उपयोगिता प्रदान की जाती है, जैसे-कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी And गुड़ आदि। 
  • स्थान उपयोगिता- उत्पाद को Need के स्थान पर पहुंचाकर उसमें स्थान उपयोगिता का सृजन Reseller जाता है जैसे-पत्थर की खानों से पत्थर शहरो तक पहुंचाना आदि। 
  • समय उपयोगिता-उत्पादकों द्वारा उत्पाद को समय पर ग्राहकों को पहुंचाकर उसमें समय उपयोगिता को सृजन Reseller जाता है, जैसे-बरSeven के मौसम में छाता And बरSevenी उपलब्ध कराना आदि। 
  • स्वामित्व उपयोगिता- उत्पादों का स्वामित्व हस्तान्तरण कर उनमें स्वामित्व उपयोगिता का सृजन Reseller जाता है, जैसे-हिन्दुस्तान यूनिलीवर द्वारा अपने उत्पाद ग्राहकों तक पहुंचाना आदि। 
  • ज्ञान उपयोगिता- उत्पादक या वितरक द्वारा उत्पाद को प्रयोग करने की विधि, प्रयोग करते समय सावधानी बरतने की सलाह आदि बातों की जानकारी देकर उत्पाद से ज्ञान उपयोगिता का सृजन Reseller जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि विपणन Single सृजनात्मक क्रिया है। 
  • उपभोक्ता प्रधान प्रक्रिया – उपभोक्ता विपणन का केन्द्र बिन्दु है, अत: विपणन की सारी क्रियाएँ उपभोक्ता की Need, रूचि, फैशन आदि को ध्यान में रखकर ही की जाती है इसलिए विपणन को उपभोक्ताप्रधान प्रक्रिया कहा गया है। विपणन का प्रारंभ उपभोक्ता की इच्छा And Need की जानकारी से होता है तथा उपभोक्ता की इच्छा And Need की सन्तुष्टि के साथ विपणन क्रिया सम्पé हो जाती है। 
  • सार्वभौमिक क्रिया – चाहे आप किसी भी धर्म या संस्कृति को मानने वाले हो, किसी भी देश या काल में निवास कर रहे हो बिना विपणन के आपका कार्य नही चलेगा क्योकि विपणन कार्य सर्वत्र Reseller जाता है। यहॉ तक कि बिना विपणन के सम्पूर्ण समाज और सभ्यताओं के कार्य अधुरे रह जायेगें। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन Single सार्वभौमिक क्रिया है। 
  • विपणन विज्ञान And कला दोनो है – विज्ञान के कुछ निश्चित सिद्धान्त होते है जिनकों खोज And अनुभव के आधार पर स्थापित Reseller जाता है। विपणन Single विज्ञान है क्योंकि विपणन कार्य कुछ निश्चित सिद्धांतों के आधार पर Reseller जाता है। कला किसी कार्य को करने का Single सर्वोत्तम ढंग है जिसके लिए निरन्तर अभ्यास And चातुर्य की Need होती है। इन सिद्धांतों का उपयोग करने के लिए निरन्तर अभ्यास And चातुर्थ की Need होती है। इसलिए विपणन कला भी है। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन विज्ञान And कला दोनों हैं। 
  • विपणन विक्रय से भिन्न है – विक्रय में विक्रेता उपभोक्ता को वस्तु बेचकर संतुष्ट हो जाता है तथा इस बात पर कोर्इ ध्यान नही देता है कि उपभोक्ता को उस वस्तु से संतुष्टि प्राप्त होगी या नही जबकि विपणन में उत्पाद का निर्माण ही उपभोक्ता की Need And इच्छा को ध्यान में रखकर Reseller जाता है। अत: यहॉ यह कहा जा सकता है कि विपणन विक्रय से बिल्कुल अलग है। 
  • गतिशील प्रक्रिया –विपणन कार्य कभी बन्द नही होता यह सैदेव चलता रहता है। विपणनकर्ता हमेशा बदलती हुर्इ ग्राहक की रूचियों, फैशन, पसंद आदि पर ध्यान देता रहता है जिससे उत्पाद को ग्राहक के लिए ओर अधिक उपयोगी बनाया जा सके। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन Single गतिशील प्रReseller है। 
  • व्यवसाय की सम्पूर्ण प्रणाली -.प्रो. विलियम जे स्टेन्टन के According-’’विपणन पारस्परिक व्यावसायिक क्रियाओं की सम्पूर्ण प्रणाली है जो वर्तमान And संभावित ग्राहकों को उनकी Need संन्तुष्टि की वस्तुओं तथा सेवाओं के बारे में योजना बनाने, कीमत निर्धारित करने, संवर्द्धन करने And वितरण करने के लिए की जाती हैं।’’ इस कथन से यह स्पष्ट है कि विपणन व्यावसायिक क्रियाओं की Single सम्पूर्ण प्रणाली है जिसमें Single ओर ये All व्यावसायिक क्रियाएँ सम्मिलित है तथा दूसरी ओर ये All क्रियाएँ आपस में Single Second से सम्बन्धित है जो Single Second से प्रभावित भी होती है। 
  • विभिन्न कार्यो की प्रReseller – विपणन विभिन्न कार्यो की Single प्रक्रिया है जिसमें उत्पाद नियोजन And विकास, विपणन अनुसंधान, मूल्यनिर्धारण, माल के भण्डारण And वितरण, विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन आदि कार्य सम्पन्न किये जाते है। अत: यहाँ यह कहा जा सकता है कि विपणन विभिन्न कार्यों की प्रक्रिया है। 
  • अन्तर-विषयक विचारधारा – विपणन Single अन्तर-विषयक विचार धारा है क्योंकि Meansशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों का विपणन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रभावी विपणन के लिए इन विषयों का ज्ञान होना परमावश्यक है।
  • विपणन के कार्य अथवा विपणन का क्षेत्र

    विपणन का क्षैत्र अत्यन्त व्यापक है। विलियम जे. स्टेन्टन ने लिखा है कि “जिस प्रकार विपणन कार्य उत्पादन कार्य सम्पन्न होने के बाद प्रारम्भ नहीं होता है ठीक उसी तरह विक्रय कार्य सम्पन्न करने के बाद भी विपणन कार्य सम्पन्न नहीं होता है।”  कन्वर्स ह्रयूजी And मिचेल के According विपणन प्रक्रिया में क्रियाएँ सम्मिलित है :-

    1. स्वामित्व हस्तान्तरण की क्रियाएँ – ;
      1. क्रय क्रियाएँ 
      2. विक्रय क्रियाएँ 
    2. वस्तुओं को पहुंचाने वाली क्रियाएँ – 
      1. यातायात 
      2. संग्रहण 
      3. श्रेणीयन 
      4. विभक्तिकरण 
      5. आदेश प्राप्त करना
      6. पैकिंग करना 
    3. विपणन प्रबन्धन सम्बन्धी क्रियाएँ – 
      1. नीति निर्माण 
      2. संगठन स्थापना 
      3. उपकरण प्रदान करना 
      4. वित्त प्रबन्धन 
      5. कार्यकलापों का पर्यवेक्षण And नियन्त्रण 
      6.  जोखिम वहन करना 
      7. सूचना प्राप्ति 

    कण्डिफ, स्टिल And गोवोनी के According विपणन में कार्य सम्मिलित है :-

    1. वाणिज्यियन कार्य – 
      1. उत्पाद नियोजन And विकास ;
      2. प्रमापीकरण And श्रेणीयन ;
      3. क्रय And संकलन 
      4. विक्रयण
      5. भौतिक वितरण कार्य – 
      6. भण्डारण 
      7. परिवहन 
    2. सहायक कार्य – 
      1. विपणन वित्त व्यवस्था 
      2. जोखिम वहन करना 
      3. बाजार सूचना

    विपणन कार्य उपभोक्ता से प्रारंभ होता है तथा उपभोक्ता की Needओं को संतुष्ट करने के पश्चात समाप्त होता है। दुसरे Wordो में उत्पादन पूर्व की क्रियाओं से लेकर विक्रय पश्चात तक की जाने वाली क्रियाएँ विपणन में सम्मिलित की जाती है। अध्ययन की सुविधा के दृष्टिकोण से विपणन के कार्यो को इन भागों में बांट कर अध्ययन Reseller जा सकता है।

    1. उत्पाद नियोजन And विकास – उत्पाद नियोजन And विकास में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि बनाया जाने वाला उत्पाद ग्राहकों की Needओं And इच्छाओं के अनुReseller हो अन्यथा ग्राहक उस उत्पाद को क्रय नहीं करेंगे। इस हेतु बाजार अनुसंधान And विपणन अनुसंधान के कार्य करके यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि ग्राहक किस प्रकार का उत्पाद पंसद करेंगे। इस कार्य मे उत्पाद के रंग, Reseller, आकार, डिजायन, किस्म, पेकेजिंग, लेबलिंग आदि पर ध्यान दिया जाता है ताकि उत्पाद उपभोक्ता की Need And पसंद पर खरा उतर सकें। 
    2. उत्पाद विविधीकरण कार्य – उत्पादक के लिए उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान देना अतिआवश्यक है क्योंकि जब तक आपका उत्पाद किसी भी दृष्टिकोण से आपके प्रतिस्पर्द्धी के उत्पाद से अच्छा नही होगा तब तक उपभोक्ता का ध्यान आपके उत्पाद की तरफ नही जायेगा। उपभोक्ता का ध्यान आकर्षित करने के लिए संस्था को सदैव अपने उत्पादों में परिवर्तन And सुधार करते रहना चाहिए तथा इसके साथ ही अपने प्रतिस्पर्द्धी के उत्पाद की तरफ भी नजर रखनी चाहिए। 
    3. बाजार विभक्तिकरण कार्य – बाजार विभक्तिकरण का Means है बाजार को विभिन्न भागों में बांटना। बाजार विभक्तिकरण ग्राहकों की आय, शिक्षा, आयु, परिवार के आकार, लिंग आदि के आधार पर Reseller जाता है। इसके अतिरिक्त भौगोलिक आधार पर भी बाजार का विभाजन Reseller जा सकता है। भौगोलिक आधार पर बाजार के विभाजन से Single क्षैत्र विशेष पर विपणन की सारी क्रियाएँ केन्द्रित की जा सकती है तथा ग्राहकों के आधार पर बाजार के विभाजन से विभिन्न आय वर्ग के ग्राहकों के लिए उनकी आय के अनुReseller उत्पाद प्रस्तुत किये जा सकते है तथा ग्राहकों की शिक्षा, आयु, लिंग तथा परिवार के आकार को ध्यान में रखकर अलग-अलग प्रकार के उत्पाद बनाये जा सकते हैं। 
    4. विनिमय कार्य – विनिमय का Means है लेन-देन। विनिमय Single व्यापक कार्य है जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं –
      1. क्रय कार्य – उत्पादको को उत्पादन कार्य हेतु कच्चामाल क्रय करना पड़ता है, मध्यस्थों को छोटे फुटकर व्यापारियोंकी Needओं की पूर्ति हेतु निर्माताओं से माल क्रय करना होता है। 
      2. संकलन – संकलन के अन्तर्गत विपणनकर्ता अनेक स्त्रोतो से माल के हिस्से-पुर्जे Singleत्र करता है तथा उन्हे आपस में जोड़कर किसी नये उत्पाद का निर्माण करता है। सामान्यत: मोटरसाइकिल निर्माता उसके कुछ आवश्यक हिस्से पुर्जे बाजार से Singleत्रित कर मोटरसाइकिल तैयार करते है। इसका कारण यह है कि All आवश्यक हिस्सों-पुर्जो का निर्माण Single निर्माता के द्वारा न तो संभव है ओर न ही यह लाभप्रद होता है। 
      3. विक्रय – इस कार्य में विपणनकर्ता माल ग्राहकों को हस्तान्तरित करता है। इसके लिए मूल्य-सूचियाँ बनाना, विक्रयशर्तें निर्धारित करना, विक्रय-कर्ताओं की Appointment तथा मध्यस्थों की Appointment जैसे कार्य आवश्यक हो जाते है। 
    5. मूल्य निर्धारण कार्य – मूल्य निर्धारण विपणन का Single महत्वपूर्ण कार्य है क्योकि मूल्य निर्धारण में ही उपक्रम की सफलता छुपी होती है। यदि उत्पाद का मूल्य ग्राहक की नजर में अधिक है तो उस उत्पाद के स्थान पर ग्राहक किसी अन्य उत्पाद को क्रय कर लेगें। उत्पाद का मूल्य निर्धारित करते समय विपणन कर्ता को उत्पाद की लागत, उसकी मात्रा, प्रतिस्पर्धा तथा मूल्य को प्रभावित करने वाले घटको पर भली भांति विचार कर लेना चाहिए। 
    6. भौतिक वितरण कार्य – भौतिक वितरण कार्य में Single विपणन कर्ता को कार्य करने पड़ते हैं :- 
      1. परिवहन – यह Single ऐसा कार्य है जो उत्पाद को स्थान उपयोगिता प्रदान करता है। यह कार्य जल, थल And नभ परिहवन के माध्यम से Reseller जा सकता है। विपणनकर्ता को इसके लिए उपयुक्त परिवहन माध्यम का चयन, परिवहन मार्ग का निर्धारण, परिवहन बीमा, परिवहन Safty आदि कार्य करने पड़ते है। 
      2. भण्डारण या संग्रहण – यह कार्य माल को समय उपयोगिता प्रदान करता है इसके अन्तर्गत विपणन कर्ता माल का उस समय संग्रह कर लेते है जब माल की पूर्ति मांग की तुलना में ज्यादा होती है ताकि बाद में मांग अधिक होने पर मांग को पूरा Reseller जा सके।
      3. स्कन्ध प्रबन्ध – बाजार में उत्पाद की पूर्ति बिना किसी बाधा के लगातार की जा सके इसके लिए स्टाक का Single निश्चित स्तर बनाया जाना आवश्यक है। उत्पाद की मांग की स्थिति को देखकर स्टाक स्तर में कमी-वृद्वि की जा सकती है।
    7. अन्य कार्य – अन्य कार्यों में कार्यों को सम्मिलित Reseller जाता है :- 
      1. विपणन संचार – विपणनकर्ता इसके लिए विज्ञापन, प्रचार And प्रसार, विक्रयकर्ता, विपणन अनुसंधान आदि साधनों का सहारा लेता है And अपने वर्तमान And भावी ग्राहकों के साथ सम्पर्क स्थापित करता है ताकि अपना संदेश ग्राहकों को पहुंचाने के साथ ही ग्राहकों की शिकायत And सुझावों की भी जानकारी ली जा सकें।
      2. वित्त व्यवस्था – धन व्यवसाय का जीवन रक्त है, धन की Need कच्चा माल, यंत्र And उपकरण खरीदने And आवश्यक खर्चो की पूर्ति के लिए पड़ती है। वित्त की पूर्ति स्वयं के साधनों से, बैकों तथा वित्तीय संस्थानों से ऋण लेकर की जा सकती है। 
      3. जोखिम उठाना – विपणन कर्ता को माल के विपणन में अनेक जोखिमों का सामना करना पड़ता है जैसे माल के Destroy होने, मांग के कम होने, माल के अप्रचलित होने जैसी अनेक जोखिम हो सकती है। इनमें से कुछ जोखिमों का बीमा कराकर उन्हे कम Reseller जा सकता है तथा जिनका बीमा संभव नहीं होता है, उन्हे विपणनकर्ता को वहन करना होता है। 
      4. पैकेजिंग And पैकिंग – सामान्यत: पैकिंग परिवहन या माल को लाने-ले जाने में सुविधा या Safty के लिए की जाती है जबकि पैकेजिंग द्वारा वस्तुओं के रंगReseller की Safty की जाती है। इसके साथ ही वस्तु को आकर्षण बनाने के लिए भी पैकेजिंग का सहारा लिया जाता है। वस्तु को कम मात्रा में उपलब्ध कराने के लिए भी पैकेजिंग का सहारा लिया जाता है।
      5. प्रमापीकरण And श्रेणीयन – प्रमापीकरण के कार्य में वस्तुओं के प्रमाप निश्चित किये जाते है ताकि वस्तु का उत्पादन, उन प्रमापों के आधार पर Reseller जा सके। श्रेणीयन में उत्पादित वस्तु को वस्तु की किस्म And गुणों के आधार पर अलग श्रेणीयों में विभाजित कर दिया जाता है। जिससे वस्तु को पहचानने And मूल्य निर्धारण में सुविधा होती है। 
      6. विक्रय पश्चात सेवा – विक्रय पश्चात सेवा में सेवायें सम्मिलित हैं :- 
        1. वस्तु के उपयोग के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना 
        2. वस्तु के खराब होने पर मरम्मत की सुविधा प्रदान करना 
        3. वारंटी की अवधी में वस्तु के खराब होने पर बदलने की सुविधा प्रदान करना आदि।

    विपणन का महत्व

    ‘‘उपभोक्ता बाजार का King है।’’ आज विपणन की All Resellerएँ उपभोक्ता को ध्यान में रखकर की जाती है। व्यवसाय में अधिकाधिक लाभ उपभोक्ता को संतुष्ट करके ही अर्जित Reseller जा सकता है। उपभोक्ता को संतुष्ट करने के लिए माल की प्रभावकारी विपणन व्यवस्था अतिआवश्यक है। बाजार में Single ही वस्तु के अनेक विपणनकर्ता होते हैं तथा उनके मध्य निरन्तर प्रतिस्पर्धा बनी रहती है। मालके प्रभावकारी विपणन द्वारा ही प्रतिस्पर्द्धा में विजय प्राप्त की जा सकती है। अध्ययन की सुविधा हेतु विपणन के महत्व को इन भागो में विभाजित Reseller जा सकता है।

    1. व्यवसायियों के लिए महत्व – 

    व्यवसायियों के लिए कुशल विपणन बिना व्यवसाय का संचालन संभव नही है संक्षेप में, व्यवसायियो के लिए विपणन का महत्व है :-

    1. अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए- प्रभावी विपणन से माल की मांग बढ़ती है तथा मांग बढ़ने से व्यवसायी के लाभ में वृद्धि होती है। अत: अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए विपणन आवश्यक है। 
    2. प्रतिइकार्इ लागत में कमी के लिए – विपणन द्वारा जब माल की मांग बढ़ती है तो मांग को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में उत्पादन करना पड़ता है। अधिक उत्पादन से बड़े पैमाने की बचते प्राप्त होती है जिससे प्रतिइकार्इ लागत में कमी आती है। 
    3. नवीन उत्पाद का निर्माण – बाजार अनुसंधान के माध्यम से बदलती हुर्इ परिस्थितियों में उपभोक्ता के व्यवहार का अध्ययन Reseller जाता है तथा उपभोक्ता की Need And पसंद का पता लगाया जाता है तथा उपभोक्ता की Need And पसंद के अनुReseller नवीन उत्पादों का निर्माण Reseller जाता है। अत: विपणन ही नवीन उत्पादों का जनक हैं। 
    4. प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त करने हेतु – जैसा कि हम जानते है कि आज Single ही वस्तु के अनेक उत्पादक/विपणनकर्ता है तथा इनके मध्य माल के विपणन के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा विद्यमान होती है। प्रभावी विपणन व्यूह Creation के माध्यम से इन परिस्थितियों में विजय प्राप्त की जा सकती है। अत: प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त करने हेतु विपणन आवश्यक हैं। 
    5. बदलती हुर्इ परिस्थितियों का सामना करने के लिए – आज उपभोक्ता की रूचि And फैशन निरन्तर परिवर्तन का विषय है। इस परिवर्तन के दौर का सामना करने के लिए विपणनकर्ता को सदैव सतर्क रहकर बाजार की स्थितियों को देखना होता है तथा उसी के अनुReseller अपनी विपणन की व्यवस्था करनी होती है। अत: बदलती हुर्इ परिस्थितियों का सामना करने के लिए विपणन आवश्यक है। 
    6. व्यवसाय की ख्याति में वृद्धि – जब ग्राहको को उनकी Need And पसंद के According उत्पाद मिलते है तो ग्राहक की नजर में संस्था अच्छी छवि बनती है तथा ग्राहक पुन: उसी संस्था का माल क्रय करता है। इस प्रकार उपभोक्ता की संतुष्टि तथा सामाजिक दायित्व का निर्वाह संस्था की ख्याति में वृद्धि करते है। 
    7. सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहायक – प्रभावी विपणन व्यवस्था उपभोक्ता And व्यवसायी के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण साधन है। विपणन अनुसंधान, विज्ञापन, प्रचार आदि साधनों से सूचनाओं का आदान प्रदान होता है। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहायक हैं।
    8. उत्पाद की न्यूनतम लागत – अच्छी विपणन व्यवस्था द्वारा प्रतिइकार्इ लागत में कमी की जा सकती है तथा इसके साथ ही विपणन लागतों में कमी करके उत्पाद की लागत न्यूनतम रखी जा सकती है। 
    9. विदेशी व्यापार में सफलता -प्रभावी विपणन व्यवस्था संस्था की ख्याति अन्तराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा देती है। जिससे Second देशो में भी माल का विपणन संभव हो जाता है। अत: विदेशी व्यापार में सफलता के लिए विपणन आवश्यक है। 
    10. संस्था का विकास – अच्छी विपणन व्यवस्था संस्था के विकास And विस्तार में सहायक होती है जैसा कि आप जानते है प्रभावी विपणन बड़े पैमाने के उत्पादन को संभव बनाता है जिससे प्रतिइकार्इ लागत में कमी होती है, संस्था का लाभ बढ़ता है तथा स्वत: विकास And विस्तार के अवसर प्राप्त होते है। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन संस्था के विकास के द्वार खोलता है। 

    2. उपभोक्ता के लिए महत्व 

    विपणन कार्य ग्राहक या उपभोक्ता प्रधानकार्य है अत: उपभोक्ताओं की सन्तुष्टि ही विपणन का प्रमुख आधार होनी चाहिए। संक्षेप में उपभोक्ताओं के लिए विपणन का महत्व है :-

    1. उच्च जीवन-स्तर प्रदान करना – विपणन बहुउपयोगी And आरामदायक वस्तुओं And सेवाओं की पहुंच उपभोक्ता तक संभव बनाता है जिससे उपभोक्ता के स्तर में वृद्धि होती है और उसके जीवन स्तर में सुधार होता है। 
    2. सूचनात्मक – विपणन द्वारा विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ उपभोक्ता तक पहुंचायी जाती है, जैसे नवीन उत्पाद की जानकारी, वस्तु के उपयोग के बारे में जानकारी आदि जो उपभोक्ता के लिए महत्वपूर्ण होती है। अत: यह कहना ठीक होगा कि विपणन सूचनात्मक होता है।
    3. वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन – प्रभावी विपणन व्यवस्था उपभोक्ता को विभिन्न उत्पादकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के तुलनात्मक अध्ययन का अवसर प्रदान करती हैं उपभोक्ता उत्पाद के गुण-दोष, उपयोगिता, कीमत आदि का अध्ययन कर अपने लिए सर्वश्रेष्ट उत्पाद का चयन कर सकता है। 
    4. Needओं की पूर्ति – विपणन अनुसंधान द्वारा उपभोक्ताओं की Needओं का निर्धारण Reseller जाता है तथा उसी के According उत्पाद का उत्पादन कर ग्राहक की Needओं का संतुष्ट करने का प्रयास Reseller जाता है। आर्थर के According-’’ प्रभावी विपणन व्यवस्था ग्राहकों की Needओं का पता लगाती है, उन्हे प्रभावकारी And लाभकारी तरीके से संतुष्ट करने का प्रयास करती है।’’ 
    5. उचित मूल्य पर वस्तुओं की उपलब्धि – आज का युग प्रतियोगिता का युग है। Single ही वस्तु अनेक उत्पादकों द्वारा उत्पादित की जाती है। All उत्पादक अपने स्तर पर प्रभावी विपणन व्यवस्था स्थापित करते हैं जिससे उपभोक्ता तक उत्पाद उचित मूल्य पर पहुंचता है। 
    6. समय पर वस्तुओं की उपलब्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था द्वारा वस्तुओं की आपूर्ति हर समय सुनिश्चित की जाती है जिससे उपभोक्ता को समय पर वस्तुएॅ उपलब्ध हो जाती है। 
    7. यथास्थान वस्तुओं की उपलब्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था द्वारा विपणनकर्ता उपभोक्ता के बिलकुल पास जाकर वस्तुओं की उपलब्धि कराने में सक्षम हो गया है। आवश्यक वस्तुएॅ उपभोक्ता के घर तक पहुचायी जाती है। अत: यह कहना उचित ही हैं कि यथा स्थान वस्तुओं की उपलब्धि के लिए विपणन आवश्यक है। 
    8. विक्रय उपरान्त सेवा – आज विक्रय पश्चात सेवा का बड़ा महत्व है। प्रभावकारी विपणन में इस सेवा पर बड़ा ध्यान दिया जाता है। टिकाऊ वस्तुओं पर ग्राहकों को Single निश्चित समय के लिए वारंटी प्रदान की जाती है। वस्तुओं की मरम्मत की सुविधा प्रदान की जाती है। 
    9. उपभोक्ता के ज्ञान में वृद्धि – विज्ञापन And प्रसार के माध्यम द्वारा विपणनकर्ता उपभोक्ता के ज्ञान में वृद्धि करता है जिससे उपभोक्ता विवेकपूर्ण निर्णय लेने मे सक्षम हो जाता है। अत: यह कहा जा सकता है कि विपणन उपभोक्ता के ज्ञान में वृद्धि करता हैं। 

    3. समाज के लिए महत्व –

    विपणन समाज के लिए महत्पूर्ण है क्योंकि समाज के लोगों की Need को ध्यान में रखकर विपणन Reseller जाता है। संक्षेप में, समाज के लिए विपणन का महत्व  है:-

    1. समाज के जीवन स्तर में सुधार – विपणन समाज को उच्च जीवन स्तर प्रदान करता है। प्रभावी विपणन के माध्यम से उपभोक्ता को आरामदायक और Need वाले उत्पाद उपलब्ध कराये जाते है जिससे सम्पूर्ण समाज के जीवन स्तर में सुधार होता है। 
    2. रोजगार के अवसरो का सृजन – प्रभावी विपणन व्यवस्था से बहुत बड़ी संख्या में थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, विज्ञापन, प्रचार, बाजार अनुसंधान आदि कार्यो में व्यक्तियों की Need होती है। उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है। अत: यह कहना उचित ही हैं कि विपणन रोजगार के अवसरों का सृजन करता है। 
    3. मांग And पूर्ति में सन्तुलन – प्रभावी विपणन व्यवस्था द्वारा उत्पाद की मांग के अनुReseller पूर्ति की व्यवस्था की जाती है जिससे मांग And पूर्ति में सन्तुलन बना रहता है। 
    4. तेजी And मंदी से Safty – विपणन उत्पाद की मांग का निर्माण करता है तथा उपभोक्ता की जरूरतों के अनुReseller उत्पादों के उत्पादन को संभव बनाता है जिससे व्यावसायिक चक्रों से समाज के लोगों की Safty होती है। अत: यह कहना ठीक ही होगा कि विपणन तेजी And मन्दी से Safty प्रदान करता है। 
    5. सामाजिक उतरदायित्व की भावना का विकास – प्रभावी विपणन व्यवस्था उत्पादक And विपणनकर्ताओं की सोच में परिवर्तन करती है जिससे उनमें सामाजिक उतरदायित्व प्रति सजगता की भावना बढ़ती है और उत्पादक सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने की ओर अग्रसर होते हैं।

    4. Meansव्यवस्था के लिए महत्व –

    विपणन सम्पूर्ण Meansव्यवस्था को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय दृष्टिकोण से विपणन का महत्व है-

    1. राष्ट्रीय साधनों का सदुपयोग – प्रभावी विपणन व्यवस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि उन्ही वस्तुओ का उत्पादन Reseller जाय जिसकी उपभोक्ताओं को Need है। परिणाम स्वReseller राष्ट्रीय साधन व्यर्थ नहीं जाते, उनका सदुपयोग होता है।
    2. सरकारी आय का साधन – विपणन सरकारी आय का साधन है क्योकि प्रभावी विपणन व्यवस्था से उत्पादकों की आय मे वृद्धि होती है जिससे सरकार को प्रत्यक्ष And अप्रत्यक्ष Reseller से राजस्व की प्राप्ति होती है। 
    3. कृषि एंव आवश्यक सहायक उद्योगों का विकास – विपणन के माध्यम से कृषि जन्य प्रदार्थो से अनेक प्रकार के उत्पाद तैयार किये जाते हैं जिससे कृषि And सहायक उद्योगों का विकास संभव हो पाता है।
    4. प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि – प्रभावी विपणन व्यवस्था अधिक उत्पादन And उपभोग को संभव बनाती है, रोजगार के अवसरों का सृजन करती है जिससे प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है जो Meansव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 
    5. विदेशी मुद्रा का अर्जन – प्रभावी विपणन व्यवस्था उत्पाद के प्रचलन And उसकी ख्याति बढ़ाने में महत्वपूर्ण भुमिका अदा करती है। उत्पाद की बढ़ी हुर्इ ख्याति विदेशो में उत्पाद के विक्रय को संभव बनाती है जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। 

    इस प्रकार स्पष्ट है कि विपणन सिर्फ व्यवसायियों And उपभोक्ताओं के लिए ही महत्व नहीं रखता बल्कि सम्पूर्ण समाज And Meansव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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