लखनऊ समझौता क्या है ?

1913 र्इ. में मुस्लिम लीग पर राष्ट्रवादी मुसलमानो का प्रभाव अत्यन्त प्रबल हो गया। इसी वर्ष लीग ने Single प्रस्ताव पास Reseller, जिसके According लीग का उदेश्य औपनिवेशिक राज्य की प्राप्ति निश्चित हुआ। 1914 र्इ. में लीग ने भारत के अन्य जातियों के राजनीतिक नेताओं से मिलकर काम करने का निश्चय Reseller। काँग्रेस And लीग को समीप लाने में मुहम्मद अली जिन्ना के कार्य अत्यन्त प्रशसंनीय है। 1915 र्इ. में मुस्लिम लीग ने अपने बम्बर्इ अधिवेशन में शामिल होने के लिए काँगे्रस के दो नेताओं को आमन्त्रित Reseller। इस अधिवेशन में मुस्लिम लीग ने Single समिति नियुक्त की। समिति का कार्य, काँग्रेस के साथ भारत के लिए राजनीतिक सुधारों की योजना का निर्माण करना था। 1916 र्इ. में दोनों संस्थाओं के लखनऊ अधिवेशन में Single योजना स्वीकृत हुर्इ। इस योजना को ‘काँग्रेस लीग स्कीम’ योजना या ‘लखनऊ समझौता’ कहते है। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इसे भारत के History में स्वर्णिम दिन माना है लखनऊ समझौते की मुख्य बातें निम्नलिखित थी-

  1. प्रान्तों पर से केन्द्रीय नियन्त्रण का अन्त कर उन्हें अधिकाधिक स्वायत्तता देना, प्रान्तीय व्यवस्थापिकाओं का स्थानीय महत्व के All विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्रदान करना। यह भी मांग रखी गर्इ कि प्रान्तीय कार्यकारिणी परिषद्र के आधे सदस्य प्रान्तीय व्यवस्थापिकाओं द्वारा निर्वाचित है।
  2. केन्द्रीय व्यवस्थापिका के सदस्यों की संख्या में वृद्धि हो और उनके कम-से-कम आधे सदस्यो का निर्वाचन हो। केन्द्रीय कार्यकारिणी परिषद्र मे व्यवस्थापिका द्वारा निर्वाचित सदस्य हो। केवल विदेश-विभाग और प्रतिरक्षा-विभाग वायसराय के अधीन रहे।

मूल्यांकन

काँग्रेस And मुस्लिम लीग में समझौता होने से दोनों में Singleता आर्इ। किन्तु, यह समझौता अल्पकालीन And Indian Customer राजनीति के लिए बड़ा अहितकर सिद्ध हुआ। काँगे्रस ने अभी तक मुसलमानों के लिए पृथक साम्प्रदायिक निर्वाचन क्षेत्र का विरोध Reseller था। लेकिन समझौता कर उसने इसको स्वीकार कर लियां डॉव्म् र्इश्वरी प्रसाद ने ठीक ही कहा है, ‘‘समझौता काँग्रेस द्वारा लीग को संतुष्ट करने की नीति का प्रारम्भ था।’’ ब्रिटिश सरकार ने इस समझौते में Historyित साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त को तुरन्त स्वीकार कर लिया And 1910 के अधिनियम में उसको स्थान देकर पुष्ट कर दिया।

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