रिपोर्टर का Means, महत्व, योग्यता And उत्तरदायित्व

पत्रकारिता को महज Single रोजगार नहीं माना जा सकता है। पत्रकारिता तो Single शौक है, Single जज्बा है, Single जुनून है। पत्रकारिता Single जोखिम भरा काम है तो पत्रकारिता बेहद जिम्मेदारी का भी काम है। पत्रकार को हर समय अपने आस-पास की हर हलचल के प्रति सजग रहना पड़ता है। छोटी से छोटी घटना भी उसके लिए बड़ी खबर बन सकती है। इसलिए खबर बनाने वाले या रिपोर्टर का पत्रकारिता में Single खास रोल माना जाता है। Single अच्छा पत्रकार Single अच्छा रिपोर्टर हो यह जरूरी नहीं है मगर Single अच्छा रिपोर्टर का अच्छा पत्रकार होना जरूरी है। अच्छा रिपोर्टर बनने के लिए पत्रकार में कुछ खास गुण होने जरूरी हैं और कमियों को दूर करने का लगातार प्रयास करने से किसी भी युवा पत्रकार का अच्छा रिपोर्टर बनना अधिक मुष्किल काम नहीं है।

समाचार जितने ज्यादा लोगों से Added होता है उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है। किसी भी समाचार की गुणवत्ता उसके संवाददाता (Reporter) पर निर्भर करती है। Single अच्छे रिपोर्टर में समाचार को सूंघने व परखने की शक्ति होनी चाहिए तभी वह Single प्रभावी व महत्वपूर्ण समाचार तैयार कर सकता है। आज के युग में समाचार पढ़ना व सुनना जीवन का Single अभिन्न बंग बन गया है। हर मनुश्य जानना चाहता है कि उसके आस-पास व देष-विदेष में क्या हो रहा है। दूरदर्षन, आकाषवाणी व समाचार पत्रों के माध्यम से वह सच्चार्इ जानने को आतुर रहता है। अत: तथ्य व सच्चार्इ पर आधारित रिपोर्टिंग करना Single रिपोर्टर का मूल उद्देष्य होना चाहिए। समाचार प्रभावी होने के साथ-साथ उसमें सामयिकता, निकटता, महत्व, अभिरूचि व Humanीयता वाले तत्व होने भी आवष्यक हैं और ये सब Single रिपोर्टर की योग्यता पर निर्भर करते हैं।

रिपोर्टर

रिपोर्टर का Means, परिभाषा

रिपोर्टर का शाब्दिक Means संवाद करने या लिखने वाले से है। रिपोर्टर समाचार जगत का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। रिपोर्टर का कार्य समाचारों का संकलन करना होता है। पत्रकारिता की भाशा में, किसी भी घटना का अवलोकन कर उसे कम से कम Wordों में, सरल भाशा में लिख कर या तैयार कर किसी सम्बन्धित समाचार माध्यम के लिए प्रस्तुत करने को रिपोर्टिंग कहा जाता है तथा जो व्यक्ति इस कार्य को या इस रिपोर्ट को तैयार करता है उसे रिपोर्टर कहते हैं। रिपोर्ट सरल व कम Wordों में अधिक बात को समझाने वाली होनी चाहिए। यह रिपोर्टर की योग्यता पर निर्भर करता है।

रिपोर्टर का कार्य है समाचारों का संकलन करना Meansात उन्हें Singleत्र करना या जुटाना तथा उन्हें किसी समाचार समूह के लिए लिखना। उसका कार्य उप संपादक से भिन्न है। उप-सम्पादक ‘रिपोर्टर’ द्वारा प्रेशित समाचारों को मुद्रण के उपयुक्त बनाता है। रिपोर्टर समाचार-संकलन के लिए क्षेत्र में जाता है, जबकि उप-सम्पादक समाचार डैस्क पर बैठकर काम करता है। डैस्क पर तमाम समाचार आकर Singleत्र होते हैं, उनमें से मुद्रण योग्य समाचारों को छांटा जाता है, सम्पादित Reseller जाता है, प्रत्येक स्टोरी को उपयुक्त शीर्शक दिया जाता है, उसके लिए समाचार-पत्र में स्ािान निर्धरित Reseller जाता है। कहने का Means यह है कि रिपोर्टर सिर्फ समाचार रिपोर्ट करता है, जबकि उप-सम्पादक उन समाचारों को छांटने से लेकर, उनके मुद्रण तक की प्रक्रिया से Added रहता है। हां, कभी-कभी उप-सम्पादक को भी रिपोर्टर के Reseller में समाचार संकलन के लिए भेज दिया जाता है, यह बात अलग है।

अत: हम कह सकते हैं कि किसी समाचार माध्यम के लिए लिखी जाने वाली सूचना और संवाद रिपोटिर्ंग कहलाती है तथा इसे लिखने वाला व्यक्ति रिर्पोटर, जिसे हिंदी में संवाददाता भी कहा जाता है। रिपोर्टर का काम बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। Single ही घटनास्थल या प्रेस कांफ्रेंस में अनेक पत्रकार मौजूद रहते हैं और अपने-अपने नजरिए से खबरें लिखते हैं। रिपोर्टर के लिए हर रोज यह चुनौती होती है कि वह अपने अन्य प्रतिस्पर्धियों से बेहतर रिपोर्ट कैसे तैयार करे। यह चुनौती जहां उसे हर रोज कुछ नया और कुछ बेहतर करने की प्रेरणा देती है, वहीं नया या बेहतर करने से मिली प्रषंसा उसका मनोबल और उत्साह भी बढ़ाती रहती है।

रिपोर्टर का महत्व 

पत्रकारिता जगत में रिपोर्टर का महत्व सबसे अलग है रिपोर्टर पत्रकारिता की आंख और कान है। अलग-अलग समाचार पत्रों व चैनलों में संवाददाताओं की श्रेणियां भी अलग होती हैं। रिपोर्टर को समाज का चिकित्सक माना जाता है।

First अखबारों के प्रकाषन स्थल कम होते थे। जिस स्थान से समाचार पत्र छपता था, वहीं से पूरे प्रदेष में अखबार जाता था। इसके चलते संवाददाताओं की संख्या भी कम होती थी लेकिन अब जनपद स्तर पर प्रकाषन केन्द्र खुल गये हैं। इसके साथ ही संवाददाताओं की संख्या में भी इजाफा हो गया है। उत्तराखंड में ही जहां First बरेली से समाचार पत्र छपते थे लेकिन अब राज्य के ही देहरादून और हल्द्वानी शहरों से मुख्य समाचार पत्रों का प्रकाषन हो रहा है। इसमें दैनिक जागरण व अमर उजाला का प्रकाषन व मुद्रण देहरादून व हल्द्वानी दो स्थानों से होता है। जबकि हिन्दुस्तान अखबार का प्रकाषन देहरादून और बरेली से होता है। इस स्थिति से जहां रिपोर्टर्स के लिए रोजगार की गुंजाइष बढ़ गयी है, वहीं समाचार पत्रों का फोकस भी विस्तृत हो गया है। शहर में होने वाले पत्रकार सम्मेलनों, राजनीतिक रैलियों, अपराध से लेकर जन समस्याओं से संबंधित समाचारों को प्रमुखता से प्रकाषित Reseller जाता है। इसके साथ ही अब लोगों के विचारों को भी प्रमुखता से प्रकाषित Reseller जाने लगा है।

दैनिक समाचार पत्रों के छोटे संस्करण आज जाने से उनकी पहुंच छोटी-छोटी जगहों तक होने लगी है। छोटे संस्करणों के कारण छोटी-छोटी जगहों के समाचारों को भी अधिक स्ािान मिलने लगा है। इसलिए कस्बों के स्तर तक रिपोर्टर नियुक्त किए जाने लगे हैं। इस कारण क्षेत्रीय स्तर पर भी रिपोर्टर का महत्व बहुत बढ़ गया है। इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी रिपोर्टर के काम को नया विस्तार दिया है। अनेक चैनल अपने रिपोर्टर या अंषकालिक रिपोर्टर जिला स्तर तक नियुक्त करने लगे हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया खबर को अधिक तेजी से दिखा सकता है और उसका प्रसार क्षेत्र भी स्थानीय अखबारों से बड़ा होता है। इसलिए उसके रिपोर्टर को महत्व भी अधिक मिलता है।

रिपोर्टर की विभिन्न श्रेणियां 

रिपोर्टर की कर्इ श्रेणियां हैं। वे वरिश्ठ संवाददाता, (Senior Correspondent) चीफ रिपोर्टर, सीनियर रिपोर्टर, विषेश संवाददाता, विदेष संवाददाता में से कोर्इ हो सकते हैं लेकिन उनका मूलभूत कर्तव्य समाचार संकलन(News gethring) और समाचारों को लिखकर समाचार डैस्क के लिए उपलब्ध कराना है। यानी डैस्क के लिए समाचारों की आपूर्ति रिपोर्टर का काम है। प्रमुख समाचार पत्रों में रिपोर्टर की श्रेणियां लगभग समान होती है। सबसे First प्रषिक्षु पत्रकार होता है। इसके बाद कनिश्ठ उपसंपादक, उप संपादक, वरिश्ठ उप संपादक, मुख्य उप संपादक, समाचार संपादक, स्थानीय संपादक व समूह संपादक का पद होता है। इसके साथ ही संवाददाता, वरिश्ठ संवाददाता, मुख्य संवाददाता, विषेश संवाददाता, विदेष संवाददाता आदि श्रेणियां निर्धारित होती हैं। इसी आधार पर टीवी चैनलों के रिपोर्टर्स की श्रेणियां निर्धारित की जाती हैं।

किसी रिपोर्टर को प्रारम्भ में छोटी-छोटी बीट मिलती हैं। लेकिन प्रांतीय राजधानियों या दिल्ली में काम करने वाले पत्रकार को उसकी वरिश्ठता के हिसाब से महत्वपूर्ण बीट मिल जाती है। उदाहरणार्थ विधानसभाओं या संसद की कार्यवाही की कवरेज की जिम्मेदारी रिपोर्टर को पर्यापत अनुभव के बाद ही जाती है। इसी तरह विदेष में तैनाती भी किसी रिपोर्टर को उसके अनुभव और कार्यक्षमता के आधार पर ही दी जाती है। खेल पत्रकारों के लिए भी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के कवरेज के लिए विदेष यात्राओं का मौका बार-बार आता है।

सामान्यत: संवाददाताओं (reporter) को कार्य महता के According लाइनर, स्ंिटगर, स्टार्फस की श्रेणियों में विभाजित Reseller गया है।

लाइनर – लाइनर वह संवाददाता है जो छोटे से कस्बे के समाचार भेजता है। उसे उसके प्रकाषित समाचार की पंक्तियों के According पारिश्रमिक मिलता है। पत्रकारिता उसके लिए द्वितीय कार्य है। मूलत: वह कोर्इ अन्य कार्य कर रहा होता है। कभी-कभी समाचार भेजता है।

स्ंिटगर – स्ंिटगर लाइनर से थोड़ा अधिक सुविधा प्राप्त संवाददाता होता है। यह भी पूर्णकालिक पत्रकार नहीं होता। समाचार पत्र इसे प्रतिमाह Single निष्चित पारिश्रमिक देते हैं। इन्हें ‘रिटेनर’ भी कहा जाता है।

स्टाफर्स – स्टार्फस किसी भी समाचार पत्र या समाचार माध्यम के पूर्ण कालिक संवाददाता होते हैं। ये समाचार माध्यम के नियमित कर्मचारी माने जाते हैं।

प्रभारी संवाददाता –प्रभारी संवाददाता जिला मुख्यालयों पर पूर्णकालिक पत्रकार के Reseller में रखे जाते हैं। इनको उप सम्पादक जैसी सुविधाएं दी जाती हैं।

रिपोर्टर के लिए बीट का महत्व 

वर्तमान में बढती व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते हर बीट के लिए अलग-अलग रिपोर्टर रखा जा रहा है। संबंधित बीट की प्रत्येक छोटी-बडी खबरों की कवरेज करना संवाददाता की जिम्मेदारी बन जाती है। प्रतिद्वंदी अखबारों से आगे रहने के लिए ब्रेकिंग न्यूज का क्रेज बढा है। इसलिए रिपोर्टर को अपने बीट पर विषेश ध्यान रखना होता है।

बीट के निर्धारण में रिपोर्टर की वरिश्ठता, उसकी क्षमता और उसके सम्पर्कों का भी ध्यान रखा जाता है। राजधानियों से मिलने वाले अखबारों में सिटी रिपोर्टिंग की बीट अलग पत्रकारों को दी जाती है और राजनीतिक दलों, विधान सभा, लोक सभा आदि की बीट वरिश्ठ पत्रकारों की अलग टीम को सौंपी जाती है। बीट के जरिए रिपोर्टरों का बेहतर कार्य विभाजन हो जाता है और खबरें टूटने की सम्भावना भी नहीं रहती।

रिपोर्टर की योग्यतायें 

Single अच्छे रिपोर्टर के अंदर समाचार को समझने की क्षमता होनी चाहिए। रिपोर्टिंग के लिए भाशा पर अधिकार होना चाहिये। रिपोर्टर की भाशा सरल होनी चाहिए। Single अच्छा रिपोर्टर वही है जो कम से कम Wordों में बहुत कुछ लिख सके। प्रत्येक विशय का सामान्य ज्ञान होना भी जरूरी है। कुषल संवाददाता बनने के लिए Humanीय मूल्यों का होना अनिवार्य है। इसी आधार पर रिपोर्टर की अन्य योग्यताओं को देखा जाता है। मौजूदा दौर में प्रमुख समाचार संस्थान अपने यहां रिपोर्टर को नियुक्त करते समय उसके व्यक्तित्व, उसके लेखन कौषल के साथ उसकी षिक्षा पर भी ध्यान देने लगे हैं। आजकल अनेक विष्वविद्यालयों और निजी संस्थानों द्वारा पत्रकारिता और जनसंचार के कोर्स कराए जाते हैं। ऐसी किसी “ौक्षणिक योग्यता के कारण पत्रकारिता में प्रवेष आसान हो जाता है।

वर्तमान में पत्रकारिता व जनसंचार में डिप्लोमा से लेकर डिग्री तक के पाठयक्रम कर्इ संस्थायें संचालित कर रहे हैैं। व्यवहारिक जानकारी देने वाले संस्थाओं से डिग्री या डिप्लोमा स्तर की पढार्इ की जा सकती है।

1. रिपोर्टर बनने के लिए अनिवार्य योग्यतायें : 

समाचार बोध (न्यूज सेंस) :- रिपोर्टर बनने के लिए सबसे पहली जरूरत होती है न्यूज सेंस की। रिपोर्टर में अगर न्यूज सेंस है तो वह धीरे-धीरे अभ्यास के साथ समाचार लेखन में दक्ष हो सकता है। रिपोर्टर को यह समझ होनी चाहिये कि कौन सी चीज समाचार बन सकती है और किसे समाचार नहीं बनाया जा सकता। इसके साथ ही उसे यह भी मालूम होना चाहिए कि समाचार के लिए महत्वपूर्ण description कहां से लिये जा सकते हैं और खबर को वैल्यू एडेड कैसे बनाया जा सकता है।

जिज्ञासा: – रिपोर्टर हो या उप संपादक उसके अंदर हमेषा नया जानने की प्रवृति होनी चाहिये। रिपोर्टर में नये तथ्यों को जानने व नया ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा होनी चाहिये। किसी भी पूर्ण समाचार के लिए तथ्यों का अन्वेशण करना जरूरी होता है। छह ककार /कब, कहा, क्या, किसने, क्यों, कौन और कैसे/ का उत्तर जानने की जिज्ञासा हर समय बनी रहनी चाहिये। इसके लिए रिपोर्टर को अध्ययनषील होना चाहिये।

सर्तकता: –रिपोर्टर को हमेषा आंख व कान को खुले रखने होते हैं। रिपोर्टर जितनी अधिक सतर्कता से कार्य करेगा, उसे उतनी अच्छी खबरें मिलेंगी।

संषय:- रिपोर्टर को किसी भी चीज को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करना चाहिये। उसे जो भी तथ्य मिल रहे हैं, प्रकाषित करने से First उनकी गहन छानबीन कर लेनी चाहिये, जिससे कि बाद में किसी तरह की परेषानी का सामना न करना पडे। रिपोर्टर के सामने कर्इ बार ऐसी स्थितियां आती हैं, जब कुछ प्रभावषाली लोग समाचार को अपने स्तर से लिखवाने के लिए दबाव बनाते हैं। या फिर ऐसे तथ्य देते हैं, जो भ्रामक और गलत होते हैं। इस स्थिति में रिपोर्टर को बेहद सावधानी से कार्य करना होता है।

निडरता: – निडरता भी रिपोर्टर के लिए महत्वपूर्ण योग्यता है। रिपोर्टर इस गुण से ही ऐसे प्रष्न पूछकर सत्य उगलवा सकते हैं। कर्इ बार अप्रिय प्रष्नों का भी उत्तर नहीं मिलता है। इस स्थिति में रिपोर्टर को अपने स्तर से तथ्यों को Singleत्रित करना होता है और प्रामाणिकता देखनी होती है।

र्इमानदारी:- रिपोर्टर के प्रलोभनों में पडने की संभावना अधिक रहती है। समाज में गलत कार्य करने वाले लोग अपने स्तर से समाचार प्रकाषित कराने के लिए लालच दिखाते हैं। रिपोर्टर को र्इमानदारी व तथ्यों के आधार पर समाचार को प्रकाषित करना चाहिये। रिपोर्टर को नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए र्इमानदारी के साथ काम करना चाहिये।

दूरदृश्टि: – भविश्य के बारे में सोचना और योजना बनाना रिपोर्टर के लिए आवष्यक है। भविश्य में कौन लोग उसके अच्छे समाचार स्रोत बन सकते हैं, उनसे किस तरह संबंध बनाया जा सकता है। यह समझ रिपोर्टर में होनी चाहिये। किसी घटना के भविश्य के बारे में क्या आकलन Reseller जा सकता है, इसका समाज में किस तरह का प्रभाव पड सकता है। इसके According समाचार बनाया जा सकता है।

गतिषीलता – रिपोर्टर को चुस्त होना चाहिये। जितनी अधिक गतिषीलता होगी, उतने अधिक संपर्क बनेंगे। समाचार के स्रोत विकसित होंगे। जानकारी बढेगी। सामाजिक दायरा बढेगा। रिपोर्टर को कभी संकोच व आलस नहीं करना चाहिये।

कल्पनाषक्ति- Single अच्छी खबर लिखने के लिए रिपोर्टर में कल्पनाषक्ति का होना अति आवष्यक है। Creationत्मक कल्पना से लिखी गयी खबर को पाठक बडे़ चाव से पढ़ता है। कल्पनाषील शीर्श पंक्तियां भी पाठकों को आकर्शित करती हैं।

Creationत्मकता- इन All योग्यताओं के साथ ही रिपोर्टर में Creationत्मकता का होना अनिवार्य है। सामान्य घटना से संबंधित खबरों को लिखना Creationत्मकता नहीं कहा जा सकता है। जब Single अच्छी खबर लिखी जाती है तो उसमें Creationत्मकता पूरी तरह दिखनी चाहिये। रिपोर्टर में साहित्यिक प्रतिभा भी होनी चाहिये। घटनाओं का विष्लेशण करने और फीचर लिखने के लिए यह जरूरी है।

2. रिपोर्टर की अभिव्यक्ति पक्ष से जुड़ी योग्यताएं : 

स्पश्टता (Clarity) : सफल रिपोर्टर में मन-मस्तिश्क तथा अभिव्यक्ति की स्पश्टता का गुण बहुत आवष्यक है। Single व्यक्ति, जो स्वयं उलझा हुआ है, दिग्भ्रमित है वह दूसरों को क्या स्पश्ट बना सकता है! क्ेवल मन मस्तिश्क की या विचारों की स्पश्टता ही पर्याप्त नहीं है, मन की बात को, अपने विचारों को समूची घटनाओं को वह जिस समाचार का Reseller देता है, वह भी अभिव्यक्ति की दृश्टि से स्पश्ट होनी चाहिए। बिना अभिव्यक्ति की स्पश्टता के विचारों की स्पश्टता का कोर्इ Means नहीं इसी तरह उप-सम्पादक के लिए भी यह गुण अत्यावष्यक है। वह कापी की स्पश्टता का निर्णायक होता है। Single अच्छा उप-संपादक ऐसी कॉपी को आगे जाने ही नहीं देगा, यदि उसमें दिये गये तथ्य साफ न हों, Wordों के Means या वाक्य विन्यास स्पश्ट न हो। वह ऐसे रिपोर्टर के लिए हमेषा सर दर्द बना रहेगा जो स्पश्ट नहीं है और सरल भाशा में अपने विचारों को नहीं लिखता। Single अच्छा रिपोर्टर वहीं है जो किसी भी घटना या कार्यक्रम की सूचना की रिपोर्ट Single सरल और स्पश्ट भाशा में अपने उप-सम्पादक को प्रेशित करे या अभिव्यक्त कर सके।

वस्तुनिश्ठता : किसी खबर पर काम करते समय रिपोर्टर और उपसम्पादक देानों को वस्तुनिश्ठ होना चाहिए। उन्हें अपने व्यक्तिगत सम्बन्धों, दुर्भावनाओं, विद्वेशों और यहां तक कि अपने निजी विचारों को भी खबर में नहीं देना चाहिए। वस्तुनिश्ठता का यहां पर Means विशय वस्तु से है अत: जो आपका विशय है उसी पर आप खबर बनाइए, मिथ्या विचारों का समावेष उसमें नहीं होना चाहिए। कल्पना शक्ति किसी रिपोर्टर में कल्पनाषक्ति का होना भी Single योग्यता है, जो अच्छी खबर लिखने में उसे निपुणता की ओर ले जाती है। घटनाओं तथा स्थितियों की Creationत्मक कल्पना से जोड़ कर लिखी हुर्इ खबर पाठकों को बांध लेती है।

 कल्पना शक्ति का सर्वाधिक उपयोग समाचार खबर के शीर्श (Head line) बनाने में Reseller जाना चाहिए, शीर्श (Head line) जितनी आकर्शक होगी रिपोर्टर की कल्पना शक्ति की योग्यता उतनी ही परिलक्षित होगी।

3. रिपोर्टर की अन्य योग्यताएं 

समय की पाबंदी: समय के महत्व पर अक्सर Discussion होते रहती है। कहा गया है कि जिसने समय का महत्व समझ लिया, उसने लक्ष्य हासिल कर लिया। रिपोर्टर को समय का पाबंद होना चाहिये। यह Single अच्छी आदत है। समय का पाबंद होने का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। अगर समय पर कार्य नहीं होगा तो समाचार के लिए जिन स्रोतों पर निर्भरता होती है, उनसे अपनी खबर के लिए तथ्य नहीं जुटाए जा सकेंगे।

समय की पाबंदी को अंग्रेजी में Punctuality कहते हैं। समय की पाबंदी पत्रकारिता में भी उतना ही महत्व रखती है, जितनी अन्य क्षेत्रों मे। यह Single अच्छी आदत है। समय की चूक किसी भी रिपोर्टर को असफल कर सकती है। उसे हर हालत में समय की पाबन्दी का अभ्यस्त हो जाना चाहिए, क्योंकि यदि ऐसा नहीं होगा तो वह समाचार के लिए जिन द्वितीयक स्रोतों पर निर्भर है, उनसे अपनी खबर के लिए प्रर्याप्त सामग्री और तथ्य नहीं जुटा सकता। उन्हें वह खो देगा। अधिक प्रतीक्षा करना या टालना या आलस करना, रिपोर्टर को असफलता की ओर ले जाता है। जिस द्वितीयक स्रोत से रिपोर्टर ने समय तय Reseller है, उस निर्धारित समय पर उसे वहां अवष्य पहुंच जाना चाहिए, अन्यथा वह स्रोत या तो मिलेगा नहीं या टाल देगा।

समय की पाबन्दी विषेशत: बैठक, सभा, गोश्ठी, खेल, प्रतियोगता आदि कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग के लिए आवष्यक है। उदाहरण के लिए यदि आप को सोनिया गांधी या किसी सभा के मुख्य अतिथि की सभा का समाचार या रिपोर्ट तैयार करना है तो आपको सभा के लिए निष्चित समय पर ही वहां पहुंचना होगा। ऐसा नहीं कि सोनिया गांधी की सभा 10 बजे प्रात: शुरू हो गयी है और आप 12 बजे पहुंच रहे हैं। ऐसे में सोनिया गांधी या सभा के मुख्य अतिथि द्वारा रखे गये विचारों को आप रिपोर्ट नहीं कर पाएंगे। तब आपको Second से सुनी जानकारी के आधार पर खबर बनानी होगी जो दूसरों से बेहतर हो ही नहीं सकती।

नेतृत्व क्षमता: Single दब्बू, शर्मीला, संकोची व्यक्ति अच्छा रिपोर्टर नहीं बन सकता है। कुषल रिपोर्टर बनने के लिए नेतृत्व क्षमता का होना बेहद जरूरी है। रिपोर्टर को कर्इ बार ऐसी जगह पर जाना होता है, जहां पर उसे नेतृत्व करना पड़ सकता है। अगर नेतृत्व करने का गुण उसमें होगा तो वह अच्छी खबर कर सकता है। अपने तर्क मजबूती से रख सकता है।

व्यवहार कुषलता: रिपोर्टर के लिए सबसे जरूरी है व्यवहार कुषल होना। यह उसकी मुख्य योग्यता होनी चाहिये। अपने व्यवहार से ही लोगों से संपर्क बनाने में आसानी होती है। संपर्क जितने मजबूत होंगे, खबरें उतनी ही आसानी से मिलती रहेंगी। रिपोर्टर को विनम्र स्वभाव का होना चाहिये। किसी भी परिस्थिति में उसे हंसते-मुस्कुराते हुये कार्य करना चाहिये। रिपोर्टर में लोगों के व्यवहार की समझ होनी चाहिये। इससे वह समाचार स्रोतों को विकसित कर सकता है।

धैर्य:- रिपोर्टर के धैर्य की परीक्षा Single दिन में कर्इ बार होती है। कर्इ बार तो उसे लंबी प्रतीक्षा भी करनी पड जाती है। इस स्थिति में उसे अपना आपा नहीं खोना चाहिए। शात मन से कार्य करना और खबरों की तह पहंचु ना ही रिपोर्टर की योग्यता है।

रिपोर्टर के उत्तरदायित्व 

पत्रकारिता अन्य व्यवसायों से भिन्न है। इसमें थोडी सी लापरवाही से बडा नुकसान हो सकता है। इसलिए रिपोर्टर को बेहद संजीदगी से कार्य करना होता है। पत्रकारों का दायित्व केवल समाचार पत्र के लिए ही नहीं बल्कि समाज के प्रति, सरकार के प्रति और राश्ट्र के प्रति भी होता है। पत्रकारों का दायित्व बनता है कि वे All विचारों, गतिविधियों, घटनाओं को जनता के सामने रखे और जनता उसमें स्वयं निर्णय ले सके।

पत्रकार को समाचार पत्र, पत्रिका, समाचार एजेंसी के चरित्र, कार्यषैली व नीतियों को ध्यान में रखकर कार्य करना होता है। समाचार पत्र की गरिमा में ठेस पहुंचे, ऐसा कोर्इ कार्य नहीं करना चाहिये।

 खबर को पूर्ण करने के लिए तथ्यों को Singleत्रित करने में आलस नहीं करना चाहिये। अगर समाचार पत्र में प्रकाषित खबर अपूर्ण होती है तो समाचार पत्र की वस्तुनिश्ठता पर प्रष्न चिन्ह लगता है। साथ ही समाज पर इसका बुरा असर पड़ता है। इस तरह की खबरें पढ़ने से पाठक के मन में भ्रम की स्थिति रहती है। हमेषा याद रखें कि अपना स्रोत आपके लिए अति महत्वपूर्ण है। Single रिपोर्टर होने के चलते लोग आपसे विष्वास करते हैं, इस विष्वसनीयता को बनाये रखना नैतिक जिम्मेदारी है। अगर आप अपने स्रोत के बारे में दूसरों को बताने लगेंगे तो इससे उसका नुकसान होने की संभावना रहती है, और फिर इस स्रोत से आपको समाचार मिलना भी मुष्किल हो जाता है।

रिपोर्टर का मूल दायित्व सत्य को उजागर करना है। इस कार्य को उसे निडरता के साथ करना होता है। तथ्यों का संकलन करने के बाद उन्हें पाठकों की रूचि के According प्रस्तुत करना उसका कर्तत्य है।

खबरों का संकलन करते समय रिपोर्टर को All पक्षों से साक्षात्कार कर लेना चाहिये। इससे खबर के लिए पूरे कंटेंट मिल जायेंगे और समाचार के Singleतरफा होने की आषंका भी नहीं होगी। इस प्रक्रिया से रिपोर्टर की खबर निश्पक्ष हो सकेगी। पत्रकारों को सावधानी से पत्रकारिता करनी चाहिये। उसे कोर्इ भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे अपराध को प्रोत्साहन मिले। किसी व्यक्ति या संस्था की मानहानि से बचना चाहिये। झूठी या सुनी-सुनार्इ बातों को आधार बनाकर समाचार नहीं प्रकाषित करना चाहिये।

रिपोर्टर के कुछ महत्वपूर्ण दायित्व :-

  1. रिपोर्टर की उन समस्त लेखों की जिम्मेदारी होती है, जो उसने लिखे हैं, भले ही उसका नाम उस खबर में प्रकाषित न हुआ हो। 
  2. पत्रकार को वहीं कार्य करना चाहिये, जो समाचार पत्र की गरिमा के अनुकूल हो।
  3. Second के समाचारों व लेखों की चोरी से बचना चाहिये। 
  4. अपने सूत्रों की गोपनीयता हमेषा बनाये रखनी चाहिये। 
  5. रिपोर्टर स्वयं को समाज का ठेकेदार न समझे। 
  6. तथ्यों को तोड-मरोडकर प्रस्तुत करने से बचना चाहिये। 
  7. व्यावसायिक मामलों को अन्य खबरों की तरह न बनाये। 
  8. व्यक्तिगत हितों के लिए प्रेस की स्वाधीनता का दुReseller्रयोग करने से बचना चाहिये। 

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *