राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया

राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया

By Bandey

अनुक्रम

संविधान के According भारत Single प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष और लोकतंत्रीय गणतंत्र है। भारत को गणतंत्र बनाने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संविधान के द्वारा देश के राष्ट्रपति के निर्वाचन की व्यवस्था की गई है। परन्तु सरकार का संसदीय स्वReseller अपनाए जाने के कारण संविधान के निर्माताओं के लिए यह आवश्यक हो गया कि राष्ट्रपति को Single नाममात्र और संवैधानिक मुखिया बनाया जाए। इसके लिए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली अपनाई गई। यह निर्णय Reseller गया कि वास्तविक शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के द्वारा Reseller जाना है और राष्ट्रपति केवल संवैधानिक मुखिया के Reseller में राज्य के अध्यक्ष के पद पर आसीन होगा। ऐसी सोच के आधार पर यह निर्णय स्वाभाविक Reseller में लिया गया कि राष्ट्रपति को जनता के द्वारा प्रत्यक्ष Reseller में नहीं निर्वाचित Reseller जाना चाहिए। पंडित जवाहर लाल नेहरू के Wordों में, यह अनुभव Reseller गया कि जबकि राष्ट्रपति केवल संवैधनिक मुखिया होगा इसके लिए साधारण लोगों के द्वारा वोटों के द्वारा वोटों के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव Single व्यर्थ प्रयत्न होगा। यह भी अनुभव Reseller गया कि लोगों के द्वारा प्रत्यक्ष Reseller में निर्वाचित राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के द्वारा सरकार के नेतृत्व को चुनौती दे सकता था और इस प्रकार वह संसदीय प्रणाली के लिए खतरा खड़ा कर सकता था। इसलिए संविधान निर्माताओं ने यह निर्णय Reseller कि राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष ढंग से होगा। संविधान के अनुच्छेद 54 के According संघीय संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधनसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा राष्ट्रपति के अप्रत्यक्ष चुनाव के ढंग की व्यवस्था की गई है

राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यताएँ

संविधान के द्वारा राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार के लिए योग्यताएँ निर्धारित की गर्इं हैं-


  1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए। परन्तु यह नहीं लिखा गया कि वह भारत का जन्मजात नागरिक ही होना चाहिए।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष से उपर हो।
  3. वह लोगों के सदन (लोकसभा) के Single सदस्य के Reseller में निर्वाचित होने की योग्यताएँ पूर्ण करता हो।
  4. वह किसी सरकारी लाभप्रद पद पर नियुक्त न हो, तथा
  5. वह संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य विधानपालिका का सदस्य नहीं नहीं चाहिए फ्यदि कोई संसद का सदस्य या राज्य विधानपालिका का सदस्य राष्ट्रपति के Reseller में निर्वाचित होता है तो उसको उस तिथि में संसद या विधानसभा की सदस्यता से त्याग-पत्र देना होता है जिस दिन से वह राष्ट्रपति के Reseller में पद संभाल लेता है।
  6. इन योग्यताओं के अतिरिक्त राष्ट्रपति के निर्वाचन के बारे में Single्ट 1974 के अधीन व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ने वाला प्रत्येक उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र के साथ 2500 रुपए जमानत रकम जमा करवाएगा और उसके नामजदगी पत्र पर कम-से-कम 10 मतदाता उसके नाम का प्रस्ताव करेंगे और 10 अन्य मतदाता उसके नाम का समर्थन करेंगे। 1997 में Single आदेश के द्वारा जमानत की राशि 2,500 से बढ़ाकर 15,000 रुपए कर दी गई और उम्मीदवार के नाम को प्रस्तावित करने के लिए अब 50 मतदाताओं का होना आवश्यक कर दिया गया और इसके साथ ही 50 अन्य मतदाताओं ने किसी ऐसे उम्मीदवार के नाम का समर्थन करना था। ऐसा इस कारण Reseller गया ताकि राष्ट्रपति के निर्वाचन में उम्मीदवारों की संख्या कम से कम रखी जा सके और गैर-जिम्मेवार उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अवसर न मिल सके। यह भी नियम लागू है कि कोई उम्मीदवार राष्ट्रपति के निर्वाचन में डाले वोटों में से कम-से-कम 1/6 भाग प्राप्त नहीं करता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाएगी। ऐसे परिवर्तन के बाद 1997 के राष्ट्रपति चुनाव में केवल 2 उम्मीदवार ही मैदान में उतरे श्री के.आर. नारायणन और श्री टी.आरसेशन और इसके बाद भी राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या बहुत कम हो रही है। सामान्यत: दो प्रमुख उम्मीदवार ही राष्ट्रपति का चुनाव लड़ते रहे हैं।

राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचन-मंडल की Creation

संविधान के According राष्ट्रपति के अप्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था की गई है। वह Single चुनाव मंडल के द्वारा निर्वाचित Reseller जाता है जो संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों पर आधारित होता है। संसद और राज्य विधान सभाओं के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकते ताकि विद्यमान राष्ट्रपति के द्वारा ऐसे सदस्यों पर पाए जाने वाले संभावित प्रभाव से बचा जा सके, यहाँ यह बतलाना आवश्यक है कि चुनाव मंडल में खाली सीटों के आधार पर राष्ट्रपति के निर्वाचन को रोका नहीं जा सकता, जोकि प्रत्येक पाँच वर्ष बाद होना आवश्यक होता है। 1957 में राष्ट्रपति का निर्वाचन करवाए जाने को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि निर्वाचन मंडल में बहुत-सी सीटें खाली पड़ी थीं। इस त्रुटि को दूर करने के लिए 1961 में संविधान में 11वाँ संशोधन Reseller गया। इस संशोधन ने अनुच्छेद 71 में दर्ज Reseller कि निर्वाचन मंडल में खाली सीटों के आधार पर राष्ट्रपति के चुनाव पर आपत्ति नहीं की जा सकती। परन्तु केन्द्र सरकार के द्वारा विरोधी दल के बहुमत वाली राज्य विधानसभा के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचन में वोट डालने से रोकने के लिए इस व्यवस्था का गलत प्रयोग Reseller जा सकता है, ऐसी कुचेष्टा को स्वस्थ लोकतंत्रीय नीति के द्वारा ही रोका जा सकता है। परन्तु राष्ट्रपति के निर्वाचन को निश्चित अवधि के बाद संगठित करने की Need ने ऐसी व्यवस्था को संविधान में शामिल किए जाने को उचित ठहराया है। यहाँ यह भी बतलाना आवश्यक है कि नजरबंदी के अधीन संसद सदस्यों और विधायकों तथा निलम्बित राज्य विधान सभाओं के विधायकों को भी राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार होता है।

1987 में 9वें राष्ट्रपति के चुनाव के समय निर्वाचन मंडल की संख्या 4350 थी इसमें 702 संसद सदस्य और 3648 विधायक थे। जुलाई 1992 में राष्ट्रपति के निर्वाचन-मंडल में कुल सदस्यों की संख्या 4748 थी जिनमें 776 संसद सदस्य और 3910 विधायकों ने भाग लिया और कुल 4642 वोट डाले गए। 2002 के राष्ट्रपति चुनावों में 776 संसद सदस्यों और 4120 विधायकों ने भाग लिया और निर्वाचन-मंडल की कुल संख्या 4896 थी।

राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया

अनुच्छेद 54 और 55 में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के ढंग का वर्णन Reseller गया है। अनुच्छेद 54 के According राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव केन्द्रीय संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित विधायकों पर आधारित निर्वाचन-मंडल के द्वारा Reseller जाता है। यह चुनाव Singleल परिवर्तनीय मत-प्रणाली और गुप्त मतदान के द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के According गुप्त मतदान के द्वारा Reseller जाता है। अनुच्छेद 55 में निर्वाचन प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यह अनुच्छेद संसद सदस्यों और राज्य के विधायकों की वोटों में Singleस्वResellerता और राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बन्धित अन्य मुद्दों को निश्चित करने के लिए निम्नलिखित सिद्वांत निर्धारित करता है।

अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधित्व के पैमाने में Singleस्वResellerता होगी

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान के According Single राज्य के विधायक की वोट की कीमत सम्बन्धित राज्य की जनसंख्या की अनुपात के According होगी। विधायक की वोट की कीमत निर्धारित करने के लिए फार्मूला प्रयोग Reseller जाएगा।

राज्य के Single विधायक की वोट की कीमत

 राज्य की कुल जनसंख्या  1

=————————  × —

राज्य विधानसभा के निर्वाचित विधयकों की संख्या   1000

(यदि Single हजार का उपर्युक्त गुणज लेने के बाद शेष 500 से कम नहीं बचता तो प्रत्येक सदस्य की वोट Single तक और बढ़ाई जा सकती है)।

उदाहरण- 2002 के राष्ट्रपति के चुनाव समय पंजाब की जनसंख्या 1,35,516,60 थी और पंजाब के निर्वाचित विधयकों की संख्या 177 थी।

पंजाब के प्रत्येक विधायक की वोट की कीमत थी:

इस ढंग से प्रत्येक राज्य के विधायक की वोट की कीमत निकाली जाती है और पिफर All राज्यों के All विधयकों की वोटों की कीमत निकाल ली जाती है।

संसद सदस्यों और विधायकों की वोट की कीमत में समानता होगी

राज्यों और संघ में समानता लाने के लिए यह निश्चित Reseller गया कि All निर्वाचित संसद सदस्यों की वोट की कीमत All विधायकों की वोटों की कुल कीमत के समान होगी। ऐसा निम्नलिखित फार्मूले के According Reseller जाता है-

प्रत्येक निर्वाचित संसद सदस्य की वोट की कीमत

All राज्य विधान सभाओं के All निर्वाचित विधयकों की वोट की कुल संख्या

=——————————

कुल निर्वाचित संसद सदस्यों की संख्या

उदाहरण- 1992 के राष्ट्रपति के चुनाव में All राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित विधायकों की वोट की कुल संसद सदस्यों की संख्या 776 (543 लोकसभा और 233 राज्य सभा) थी।

प्रत्येक निर्वाचित संसद सदस्य की वोट की कीमत =

2002 के राष्ट्रपति चुनावों में Single सांसद की वोट की कीमत 708 थी और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की वोट की कीमत अलग-अलग थी। आंध्र के विधायक के वोट की कीमत 148 थी, असम में 116, बिहार में 173, महाराष्ट्र की 125, उत्तर प्रदेश 208, पंजाब 116, हरियाणा 112, मणिपुर 18, मेघालय 17, मिजोरम 8, नागालैण्ड 9, अरुणाचल 8, हिमाचल प्रदेश 51, पश्चिमी बंगाल 151, तमिलनाडु 176, जम्मू तथा कश्मीर 72 और अन्य।

प्राथमिकता संकेत सहित Singleल वोट प्रणाली

राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्येक मतदाता (प्रत्येक निर्वाचित संसद सदस्य तथा प्रत्येक निर्वाचित एम.एल.ए.) केवल Single वोट डालता है। प्रत्येक संसद सदस्य की वोट की कीमत Single समान होती है, जबकि Single एम.एल.ए. अथवा विधायक की वोट की कीमत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। राष्ट्रपति के निर्वाचन-मंडल का प्रत्येक सदस्य Meansात् प्रत्येक मतदाता वोट डालते समय अपनी प्राथमिकता 1, 2, 3, 4, 5 विभिन्न उम्मीदवारों के पक्ष में दर्ज करता है। उसकी वोट उस उम्मीदवार के पक्ष में जाती है जिसको वह अपनी First प्राथमिकता वोट देता है। परन्तु यदि वह उम्मीदवार आवश्यक वोटों का कोटा प्राप्त करने में असफल रहता है और अन्य कोई उम्मीदवार भी आवश्यक वोटों का कोटा प्राप्त नहीं करता तो उस मतदाता की वोट दूसरी प्राथमिकता वाले उम्मीदवार के पक्ष में हस्तांतिरत कर दी जाती है।

यहाँ यह बतलाना आवश्यक है कि यद्यपि संविधान के According राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनििध्त्व Singleल परिवर्तन योग्य वोट प्रणाली के द्वारा होती है परन्तु वास्तव में यह न तो आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली है और न ही Singleल परिवर्तन योग्य वोट प्रणाली है। वास्तव में यह कोटा व्यवस्था वाली प्राथमिकताएँ वोट प्रणाली हैं।

विजय के लिए वोटों की Single निर्धारित संख्या 

राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए Single उम्मीदवार के लिए यह आवश्यक है कि वह वोटों की Single निर्धारित संख्या प्राप्त करे, जो निम्नलिखित द्वारा निकाली जाती है-

डाले शुद्व वोट की कुल संख्या 

—————+1

कुल भरी जाने वाली सीटें

यदि शेष आधा या अधिक हो तो कोटे में Single बढ़ा दिया जाता है।

यदि कोई भी उम्मीदवार आवश्यक वोटों प्राप्त नहीं करता तो वोटों के हस्तांतरण की व्यवस्था

यदि राष्ट्रपति के निर्वाचन में कोई भी उम्मीदवार वोटों की प्राथमिकता वाली वोटों के आधार पर आवश्यक कोटा लेने में असफल रहता है, तो सबसे कम वोट लेने वाले उम्मीदवार को मुकाबले से बाहर कर दिया जाता है और उसके मतों को मतदाताओं के द्वारा दर्ज की गई दूसरी प्राथमिकता के आधार पर शेष उम्मीदवारों में बांट दिया जाता हैं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक किसी Single उम्मीदवार को आवश्यक निर्धारित संख्या (Quota) प्राप्त नहीं हो जाता।

राष्ट्रपति के चुनाव के चरण 

  1. चुनाव के बारे में अधिसूचना और रिटर्निंग अफसर की Appointment – चुनाव के बारे में अधिसूचना राष्ट्रपति के द्वारा जारी की जाती है और चुनाव करवाने का उत्तरदायित्व निर्वाचन आयोग का होता है। निर्वाचन आयोग का रिटर्निंग अपफसर नियुक्त करता है और नामांकन-पत्र भरने की तिथि, कागज वापस लेने की अंतिम तिथि और चुनाव कार्यक्रम निश्चित करता है।
  2. नामांकन पत्र भरना, उनकी जांच-पड़ताल और वापसी – निर्धारित तिथि तक प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव अधिकारी के पास नामांकन पत्र जमा करवाने पड़ते हैं। प्रत्येक उम्मीदवार के नाम को 50 मतदाताओं के द्वारा प्रस्तावित और 50 अन्य के द्वारा समर्थित Reseller जाना होना चाहिए। इसके साथ ही 15000 रफपए जमानत राशि के Reseller में जमा करवाने पड़ते हैं। इसके बाद संविधान में निर्धारित योग्यताओं के आधार पर उम्मीदवारों की पात्रता का निर्णय लेने के लिए नामांकन पत्रों की जांच-पड़ताल की जाती है। All अधूरे और गलत नामांकन-पत्र रद्द कर दिए जाते हैं। पिफर उम्मीदवारों को छूट दी जाती है कि वे निर्धारित तिथि तक अपनी इच्छा से चुनाव मुकाबले से अगर हटाना चाहते हैं तो वे ऐसा Single निर्धरित तिथि तक कर सकते हैं।
  3. चुनाव अभियान – इसके उपरांत All उम्मीदवार अपने चुनाव अभियान चलाते हैं। अधिकतर उम्मीदवार अपने संबंधित दलों के द्वारा ही चुनाव अभियान चलाते हैं क्योंकि वह अभियान निर्वाचन-मंडल के सदस्यों तक ही सीमित होता है। इसलिए आम जनता की इसमें भूमिका बहुत कम होती है।
  4. मतदान – निर्धारित तिथि पर मतदान होता है। प्रत्येक मतदाता Single वोट डालता है परन्तु वह मतदान-पत्र पर अपनी अन्य प्राथमिकताएँ अंकित कर सकता है। Single संसद सदस्य देश की राजधानी या वह उस राज्य की राजधानी में अपना वोट डाल सकता है, जिस राज्य का वह प्रतिनिधित्व करता है। इस सम्बन्ध में उसको 10 दिन First बतलाना होता है कि उसने कहाँ वोट डालनी है। विधायक अपने-अपने राज्यों की राजधानियों में ही वोट डालते हैं। मतदान पूर्णReseller से गुप्त होता है।
  5. वोटों की गणना – मत डालने के बाद गणना आरंभ होती है। शुद्व मतों की गणना की जाती है। कोटा निश्चित Reseller जाता है। प्रत्येक उम्मीदवार को डाले मत (पहली प्राथमिकता) की गणना की जाती है और अनुच्छेद 55 में बताए गए सिद्वांत के आधार पर निर्धारित किए प्रत्येक मत की कीमत के आधार पर हिसाब लगाया जाता है। जो उम्मीदवार निर्धारित मतों का कोटा प्राप्त कर लेता है या उससे अधिक मत ले जाता है, वह सफल माना जाता है। यदि कोई भी उम्मीदवार मतों का कम-से-कम निर्धारित कोटा प्राप्त नहीं करताऋ तो निर्धारित विधि के According मतों का हस्तांतरण Reseller जाता है।
  6. परिणाम के बारे में अधिसूचना – बाद में भारत के गजट में चुनाव परिणाम के बारे अधिसूचना जारी कर दी जाती है।
  7. शपथ लेना और पद संभालना – First राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने वाले दिन या निर्धारित तिथि पर नया राष्ट्रपति शपथ उठाता है और पद संभालता है। राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में अपने पद की शपथ उठाता है। यदि मुख्य न्यायाधीश उपस्थित न हो तो सर्वोच्च न्यायालय के सबसे अधिक वरिष्ठ न्यायाधीश की उपस्थिति में ऐसी शपथ ली जाती है।

राष्ट्रपति का कार्यकाल

राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्ष के लिए होता है। उनका कार्यकाल उस तिथि से आरंभ होता है, जिस तिथि से वह पद संभालते हैं। पिफर भी यदि किसी कारण नए राष्ट्रपति का चुनाव First राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से First पूर्ण नहीं हो पाता, तो नए राष्ट्रपति के चुनाव तक कार्य कर रहा राष्ट्रपति अपने पद पर बना रहता है। अपना कार्यकाल पूरा होने से पूर्व भी राष्ट्रपति अपने पद से लिखित Reseller में त्याग-पत्र उप-राष्ट्रपति को भेज सकता है।

राष्ट्रपति को पद से हटाने का ढंग

राष्ट्रपति को संविधान का उल्लंघन करने के आधार पर अथवा अपने पद की मर्यादा भंग करने के दोष पर महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा पद से हटाया भी जा सकता है। महाभियोग से सम्बन्धित कार्यवाही संसद के किसी भी सदन में आरंभ हो सकती है। अमरीका में केवल प्रतिनिधि सदन को ही राष्ट्रपति के विरुद्व महाभियोग आरंभ करने का अधिकार है और सीनेट दोषों की जाँच करने के बाद अपना अंतिम निर्णय देती है परन्तु भारत में ऐसी कार्यवाही किसी भी सदन में आरंभ हो सकती है और पिफर दूसरा सदन दोषों की जाँच करता है।

महाभियोग की कार्यवाही आरंभ करने के लिए कम-से-कम 14 दिन First सदन के कुल सदस्यों के Single चौथाई को लिखित Reseller में नोटिस देना होता है, जिस पर उनके हस्ताक्षर होने आवश्यक होते हैं। यदि सदन बहस के बाद कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से इस महाभियोग से सम्बन्धित प्रस्ताव को पारित कर देता है तो यह प्रस्ताव Second सदन को भेजा जाता है। दूसरा सदन दोषों की जाँच-पड़ताल करता है। राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह इस कार्यवाही के दौरान अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए स्वयं प्रस्तुत हो सकता है या अपने वकील के द्वारा प्रस्तुत हो सकता है। यदि जाँच के बाद दूसरा सदन भी कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से महाभियोग का प्रस्ताव पास कर देता है तो राष्ट्रपति महाभियोग पास होने की तिथि से दोषी करार हो जाता है और अपने पद से अलग हो जाता है। आज तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ा।

पुनर्निर्वाचन की व्यवस्था

संवैधानिक Reseller में किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति चुने जाने पर कोई प्रतिबंध लागू नहीं है। Single व्यक्ति के बार-बार राष्ट्रपति निर्वाचित हो सकता है परन्तु आज तक कोई भी राष्ट्रपति दो बार से अधिक अपने पद पर नहीं रहा। केवल डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के दो बार राष्ट्रपति चुने गए थे। डॉ. राधा कृष्णन, श्री वी.वी. गिरि, श्री संजीवा रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, श्री वैंकटारमन और डॉ. एस.डी. शर्मा और श्री केआर. नारायणन केवल Single बार के लिए देश के राष्ट्रपति रहे। डॉ. जाकिर हुसैन और श्री एपफ.ए. अहमद का अपने कार्यकाल के दौरान ही देहांत हो गया था और वह अपना 5 वर्ष का कार्यकाल भी पूर्ण न कर सके थे।

राष्ट्रपति का उत्तराधिकारी

यदि कार्यकाल पूरा होने से First ही राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाए या किसी अन्य कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए तो उप-राष्ट्रपति देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। अमरीका के समान उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति नहीं बनता। नए राष्ट्रपति को पद रिक्त होने के 6 महीने के अन्दर-अन्दर निर्वाचित Reseller जाना होता है। नया राष्ट्रपति अपना पद संभालने की तिथि से लेकर पूरे पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। यदि किसी स्थिति में राष्ट्रपति का पद रिक्त होने के समय उप-राष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो तो भारत का मुख्य न्यायाधीश और उसकी अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाध्ीश नए राष्ट्रपति के चुनाव तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के Reseller में शपथ लेता है। 1969 में डॉजाकिर हुसैन की मौत हो जाने पर उप-राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरि देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। इस वर्ष उनके द्वारा त्याग-पत्र देने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री हिदायतुल्ला ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के Reseller में शपथ ली। वह पाँचवें राष्ट्रपति के चुनाव ;1969द्ध में निर्वाचित हुए, श्री वी.वी. गिरि के द्वारा राष्ट्रपति का पद संभालने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के Reseller में कार्य करते रहे।

वेतन और अन्य भत्ते

इस समय राष्ट्रपति का वेतन 1,10,000 रुपए मासिक है और सेवा मुक्त होने पर उनको 25,000 रुपए के प्रति महीना पैंशन मिलती है। वेतन के अतिरिक्त राष्ट्रपति को अनेकों भत्ते और मुफ्रत शानदार निवास मिलता है। सेवा मुक्ति के बाद Single व्यक्तिगत सचिव रखने के लिए 30,000 रुपए वार्षिक भत्ते के Reseller में मिलते हैं तथा मुफ्रत निवास स्थान और डॉक्टरी सहायता भी मिलती है। राष्ट्रपति के वेतन और अन्य भत्ते भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) से दिए जाते हैं और राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान इनको घटाया नहीं जा सकता, परन्तु इन पर आयकर लगता है।

राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया की आलोचना

आलोचक राष्ट्रपति के चुनाव के ढंग में त्रुटियाँ बतलाते हैं-

  1. यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली नहीं है: आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का मूल तत्व यह होता है कि निर्वाचित पदों पर कम से कम तीन व्यक्तियों को निर्वाचित Reseller जाना होता है। निर्वाचित संस्था में निर्वाचित सदस्यों का प्रतिनिधित्व मतदाताओं द्वारा डाले गए मतों की अनुपात में होता है। इस प्रकार इसके लिए बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र की Need होती है, जिससे ही सीटों का आनुपातिक विभाजन हो सके। इसके विपरीत राष्ट्रपति के चुनाव में यह ढंग नहीं अपनाया गया। राष्ट्रपति के निर्वाचन में केवल Single ही व्यक्ति को राष्ट्रपति निर्वाचित Reseller जाता है। इसके लिए यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली नहीं है।
  2. जटिल प्रणाली: राष्ट्रपति की चुनाव प्रणाली बहुत जटिल है, जिसमें राज्यों के प्रत्येक एम.एल.ए. और प्रत्येक संसद सदस्य के मतों का हिसाब-किताब लगाया जाता है। मतों का आवश्यक अनुपात लेना प्राथमिकता बताना और किसी उम्मीदवार के द्वारा आवश्यक अनुपात न लेने की स्थिति में मतों का हस्तांतरण भी इस प्रणाली को जटिल बनाता है।
  3. राज्यों के प्रतिनिधित्व में समानता की कमी: संविधान में लिखा गया है कि जहाँ तक संभव हो सके, प्रतिनिधित्व में SingleResellerता विश्वसनीय बनाई जाए। परन्तु Single एम.एल.ए. की वोट का हिसाब-किताब लगाने के लिए जो पफार्मूला अपनाया गया है, वह अलग-अलग राज्यों के एम.एल.एज. की वोटों की कीमत में भिन्नता लाने का कारण बनता है। 1997 में राष्ट्रपति के चुनाव में मिजोरम के Single एम.एल.ए. की वोट की कीमत केवल 8 थी जबकि यू.पी. के Single एम.एल.ए. की वोट की कीमत 208 थी। इस प्रकार यू.पी. के भारी संख्या में संसद सदस्य और एम.एल.ए. सदैव ही राष्ट्रपति के चुनाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और चुनाव को प्रभावित करते हैं।
  4. यह Singleल हस्तांतरण योग्य मत प्रणाली नहीं है: संविधान इसको गलत Reseller में Singleल हस्तांतरण मत प्रणाली बताता है। वास्तव में यह ऐसी प्रणाली नहीं है। Singleल हस्तांतरण मत प्रणाली केवल Single बहु-सदस्यीय चुनाव क्षेत्र में लागू की जा सकती है। जहाँ अतिरिक्त मतों के हस्तांतरण का प्रश्न पैदा होता है। राष्ट्रपति की चुनाव प्रणाली में केवल Single व्यक्ति का राष्ट्रपति के Reseller में चुनाव करना होता है। इसके लिए इस चुनाव में Singleल हस्तांतरणयोग्य वोट प्रणाली व्यावहारिक नहीं हो सकती। इसको वैकल्पिक वोट या प्राथमिकता वोट प्रणाली कहना अधिक उचित है।
  5. प्राथमिकताएँ न दर्ज Reseller जाना संकट का कारण बन सकता है: राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली का Single मूल आधार यह है कि यदि First गणना ;जो कि मतदाताओं की First पसंद की गणना होती हैद्ध में कोई Single भी उम्मीदवार मतों का निर्धारित कोटा प्राप्त करने में असफल रहता है तो सबसे कम मत लेने वाले उम्मीदवार को मुकाबले से बाहर कर दिया जाता है और उसके मतों को मतदाताओं के द्वारा दर्ज की गई दूसरी प्राथमिकताओं के आधार पर शेष उम्मीदवारों में बाँट दिया जाता है। परन्तु यदि मतदाताओं के द्वारा दूसरी प्राथमिकता दी ही न गई हो तो मतों के हस्तांतरण की मूल शर्त को पूरा करना असंभव हो सकता है। ऐसी संभावना भविष्य में होने वाले किसी भी राष्ट्रपति निर्वाचन में हो सकती है।
  6. निर्वाचन-मंडल में रिक्त सीटों के बावजूद चुनाव करवाना : सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के According राज्य विधान सभा/सभाएँ भंग होने के परिणामस्वReseller निर्वाचन-मंडल में कई सीटें खाली होने के बावजूद भी राष्ट्रपति का निर्वाचन First राष्ट्रपति का कार्य-काल पूर्ण होने से First Reseller जाना होता है। इस व्यवस्था का केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी के द्वारा गलत प्रयोग Reseller जा सकता है। केन्द्रीय सत्ताधारी पार्टी जिस राज्य विधानसभा में उसके फ्विरोधियो। का बहुमत हो, को भंग करके Single विशेष उम्मीदवार के पक्ष में वोटों को प्रभावित कर सकती है।
  7. भारत के मुख्य न्यायाधीश को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाने की व्यवस्था: राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति का पद Single ही समय खाली होने की स्थिति में संविधान के According भारत का मुख्य न्यायाधीश और उसकी अनुपस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के Reseller में शपथ लेता है। यह व्यवस्था संविधान के गणतंत्रवाद के दिशा-निर्देशों के According नहीं है। उप-राष्ट्रपति के बाद लोकसभा के स्पीकर को उस का उत्तराधिकारी बनाया जाना चाहिए था।
  8. महाभियोग कार्यवाही में मनोनीत सदस्यों का शामिल होना: राष्ट्रपति की चुनाव प्रणाली में संविधान के According मनोनीत संसद सदस्यों और मनोनीत एम.एल.एज. का मतदाता के Reseller में भाग लेने पर तो पाबन्दी है परन्तु इस मनोनीत सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति के विरुद्व महाभियोग कार्यवाही में भाग लेने पर प्रतिबंध लागू नहीं Reseller गया है।
  9. त्याग-पत्र के ढंग से सम्बन्धित मुश्किलें: यदि राष्ट्रपति त्याग-पत्र देना चाहता है तो वह ऐसा उप-राष्ट्रपति को त्याग-पत्र भेजकर कर सकता है। परन्तु यह स्पष्ट नहीं Reseller गया कि यदि उप-राष्ट्रपति का पद भी रिक्त है तो राष्ट्रपति को किस को अपना त्याग-पत्र भेजना चाहिए। इसी प्रकार कार्यवाहक राष्ट्रपति को किस को त्याग-पत्र भेजना चाहिए? ऐसी स्थिति डॉक्टर जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद 1969 में श्री वी.वी. गिरि के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने के बाद पैदा हुई थी। बाद में जब श्री गिरि ने त्याग-पत्र देना था तो यह मुद्दा पैदा हुआ कि वे किसको त्याग-पत्र भेजें। भारत के अटारनी जनरल ने यह मत प्रकट Reseller कि कार्यवाहक उप-राष्ट्रपति को अपने त्याग-पत्र पर हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति के सचिवालय में दे देना चाहिए तथा त्याग-पत्र की कापियाँ प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजी जानी चाहिए। भारत के गजट में इससे सम्बन्धित अधिसूचना तुरंत जारी की जानी चाहिए। यह कार्यवाही 1969 में व्यवहार में लायी गई परन्तु अभी यह मुद्दा कानून/संशोधन के द्वारा निर्धारित Reseller जाना शेष है।
  10. बार-बार चुनाव जीत कर राष्ट्रपति पद प्राप्त करने पर प्रतिबन्ध की अनुपस्थिति: संविधान इस सर्वोच्च प्रभुसत्ता सम्पन्न पद पर किसी व्यक्ति के बार-बार चुने जाने पर प्रतिबन्ध नहीं लगता। आलोचक चाहते हैं कि किसी Single व्यक्ति के राष्ट्रपति के पद पर बहुत अधिक लम्बे समय तक आसीन रहने को रोकने के लिए अमरीका के समान संवैधानिक Reseller में किसी Single व्यक्ति द्वारा अधिक-से-अधिक दो बार पूरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित होने की व्यवस्था कर दी जानी चाहिए।
  11. केवल जन्मजात नागरिक ही राष्ट्रपति का पद प्राप्त करने के योग्य होना चाहिए: संविधान में राष्ट्रपति के पद की योग्यता के सम्बन्ध में लिखा गया है कि वह भारत का नागरिक होना चाहिए परन्तु यह नहीं लिखा गया कि वह जन्म-जात नागरिक ही होना चाहिए। आज यह समय की मांग है कि भारत के Single जन्म-जात नागरिक को ही राष्ट्रपति का पद प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए और इस सम्बन्ध में उपयुक्त संशोधन Reseller जाना चाहिए।

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