राजभाषा हिंदी सम्बन्धी विभिन्न समितियां

हिन्दी सलाहकार समितियाँ 

भारत सरकार की राजभाषा नीति के सूचारू Reseller से कार्यान्वयन के बारे में सलाह देने के उद्देश्य से विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में हिन्दी सलाहकार समितियों की व्यवस्था की गर्इ। इस समितियों के अध्यक्ष सम्बन्धित मंत्री होते हैं और उनका गठन ‘केन्द्रीय हिन्दी समिति’ (जिसके अध्यक्ष माननीय प्रधानमंत्री जी हैं) सिफारिश के आधार पर बनाए गए मार्गदश्र्ाी सिद्धान्तों के According Reseller जाना उपक्षित है। ये समितियाँ अपने-अपने मंत्रालयों/विभागों/उपक्रमों में हिन्दी की प्रगति की समीक्षा करती हैं, विभाग में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के तरीके सोचती हैं और राजभाषा नीति के अनुपालन के लिए ठोस कदम उठाती है। नियमानुसार इनकी बैठकें 3 महीने में Single बार अवश्य होनी चाहिए।

संसदीय राजभाषा समिति 

राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा के तहत यह समिति गठित की गर्इ है। इसमें 20 लोक सभा के व 10 राज्य सभा के सदस्य होते हैं जिनका चुनाव Singleल संक्रमणीय तरीके से Reseller जाता है। इस समिति में 10-10 सदस्यों वाली 3 उपसमितियाँ बनार्इं गर्इ हैं, प्रत्येक उपसमिति का Single समन्वयक होता है। यह समिति केन्द्र सरकार के अधीन आने वाली/सरकार द्वारा वित्त पोषित All संस्थानों का समय-समय पर निरीक्षण करती है और राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन में रखवाते हैं और राज्य सरकारों को भिजवाते हैं। राजभाषा के क्षेत्र में यह सर्वोच्च अधिकार प्राप्त समिति है।

केन्द्रीय राजभाषा 

कार्यान्वयन समिति राजभाषा विभाग के सचिव तथा भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार की अध्यक्षता में All मंत्रालयों/विभागों की कार्यान्वयन समितियों में समन्वय का कार्य यह समिति करती है। विभिन्न समितियों के अध्यक्ष (संयुक्त सचिव पद के समान) तथा मंत्रालयों में राजभाषा का कार्य सम्पादन करने वाले निदेशक तथा उपसचिव इसके सदस्य होते हैं। यह समिति यथासंशोधित राजभाषा अधिनियमों के उपबंधों तथा सरकारी प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग और केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों के गृह मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के कार्यान्वयन में हुर्इ प्रगति का पुनरीक्षण करती है और उनके अनुपालन में आयी कठिनाइयों के निराकरण के उपायों पर विचार करती है।

नगर राजभाषा 

कार्यान्वयन समितियाँ बड़े-बड़े नगरों में जहाँ केन्द्रीय सरकार के दस या उससे अधिक कार्यालय हैं, वहाँ नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन Reseller गया। सन् 1976 के आदेश के According इनका गठन Reseller गया। इन सम्मिलित बैठकों में हिन्दी प्रशिक्षण, हिन्दी टाइपराइटिंग तथा हिन्दी आशुलिपि के प्रशिक्षण, देवनागरी लिपि के टाइपराइटरों की उपलब्धि आदि के सम्बन्ध में अनुभव होने वाली सामान्य कठिनाइयों के बारे में Discussion की जाती है और नगर के विभिन्न कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के लिए जो उपाय किये गये हैं उनसे परस्पर लाभ उठाया जाता है। 

जिन नगरों में ‘नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों’ का गठन होगा उनकी बैठकों में अपने कार्यान्वयन के प्रतिनिधि के Reseller में राजभाषा अधिकारी भाग लेते हैं। केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद् की शाखाओं के अधिकारी भी इसमें निमंत्रित किये जाते हैं। सन् 1979 के आदेश द्वारा इसके कार्यों में विस्तार कर निम्नलिखित कर्त्तव्य निश्चित किये गये : 

  1. राजभाषा अधिनियम/नियम और सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा जारी किए गये आदेशों और हिन्दी के प्रयोग से सम्बन्धित वार्षिक कार्यक्रम के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा। 
  2. नगर के केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में किये जाने वाले उपायों पर विचार। 
  3. हिन्दी के सन्दर्भ सहित्य, टाइपराइटरों, टाइपिस्टों, आशुलिपिकों आदि की उपलब्धि की समीक्षा। 
  4. हिन्दी, हिन्दी टाइपिंग तथा हिन्दी आशुलिपि के प्रशिक्षण से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार। इस प्रकार की बैठकें वर्ष में दो बार होती हैं। इनकी अध्यक्षता नगर के वरिष्ठतम अधिकारी करते हैं। इन समितियों में नगर में स्थित All केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों तथा उपक्रमों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं, अपने-अपने कार्यालयों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सुझाव देते हैं। प्रारम्भ में ऐसे नगरों की संख्या सीमित थी, अब बढ़ती जा रही है। हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने में इन बैठकों से विशेष लाभ हुआ है। इस हेतु हर वर्ष विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन इस समिति की अध्यक्षता में आयोजित Reseller जा रहा है।

राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ

प्रत्येक मंत्रालय/विभाग में राजभाषा-आदेशों का कार्यान्वयन ठीक-ठीक चलाने के लिए राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन कार्यालय ज्ञापन सं. 6/63/64-रा.भा. दिनांक 10-12-1964 के आधार पर सन् 1965 में Reseller गया। इस समिति के सुपुर्द मोटे तौर पर निम्नलिखित कार्य सौंपे गये :

  1. हिन्दी के प्रयोग के सम्बन्ध में गृह मंत्रालय के अनुदेशों के कार्यान्वयन का पुनरीक्षण करना और उस बारे में आरम्भिक तथा अन्य कार्रवार्इ करना। 
  2. तिमाही प्रगति रिपोर्टों का पुनरीक्षण करना। 
  3. हिन्दी-भाषी क्षेत्रों से प्राप्त तिमाही रिपोर्ट का पुनरीक्षण। 
  4. कार्यान्वयन सम्बन्धी कठिनाइयों को देखना और उनका हल निकालना। 
  5. हिन्दी के प्रशिक्षण के बारे में अनुदेशों का परिपालन तथा हिन्दी टंकण तथा आशुलिपि में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को उपयुक्त संख्या में भेजना।

केन्द्रीय हिन्दी समिति को दूसरी बैठक में लिये गये निर्णय के According समिति के काम की देखरेख मंत्रालय/विभाग के संयुक्त सचिव के अधिकारी को, विशेषत: प्रशासन से सम्बन्धित अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। हिन्दी अधिकारी/हिन्दी का काम देखने वाला अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव रखा जाता है। यह भी ध्यान रखा गया है कि समिति के सदस्यों की संख्या 15 से अधिक न हो। इस समिति की बैठक तीन माह में Single बार अवश्य होनी चाहिए। इस सम्बन्ध में गृह मंत्रालय ने सन् 1975 में कड़े आदेश जारी किये।

उक्त आदेश के According समितियाँ लगभग All मंत्रालयों/विभागों में गठित की गयीं। बाद में सन् 1668, 1969 तथा 1975 में इसके ठीक-ठीक अनुपालन की ओर ध्यान दिलाया गया। आगे चलकर सन् 1976 में हिन्दी प्रशिक्षण योजना के अधिकारियों को सदस्यता देने का प्रावधान Reseller गया। गैर सरकारी व्यक्तियों को सदस्य न बनाने का सुझाव दिया गया। यह भी सुझाव दिया गया कि कार्यालय विशेष के गठन को देखते हुए, उचित अनुपात में अहिन्दी-भाषी अधिकारियों को रखा जाये। कोशिश यह हो कि किसी भी समिति में जहाँ तक हो सके, आधे सदस्य अहिन्दी-भाषी हों।

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