मस्तिष्क की संCreation And कार्य

पूर्णReseller से विकसित Humanीय मस्तिष्क शरीर के भार का लगभग 1/50 होता है और कपाल गुहा (Cranial cavity) में अवस्थित रहता है। विकास की आरम्भिक अवस्था में मस्तिष्क को तीन भागों में विभाजित Reseller जाता है, जिन्हें अग्रमस्तिष्क (Fore brain), मध्यमस्तिष्क (Mid brain) तथा पश्चमस्तिष्क (Hind brain) कहते हैं।

1) अग्रमस्तिष्क 

यह मस्तिष्क का आगे का भाग होता है सिमें निम्न Creationएँ स्थित रहती हैं- प्रमस्तिष्क या सेरीब्रम (Cerebrum)- यह केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का प्रमुख तथा मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग है। गुम्बज की तरह और नीचे का भाग सुतल होता है। कपाल गुहा (Cranial cavity) का अधिक भाग प्रमस्तिष्क से भरा रहता है। प्रमस्तिष्क Single गहरी लम्बव्त दरार या विदर (Longitudinal cerebral fissure) के द्वारा दाहिने And बायें अर्द्ध गोलार्द्धों में विभाजित रहता है। यह पृथक्करण आगे And पीछे के भाग पर पूर्ण होता है लेकिन मध्य में ये अर्द्धगोलार्द्ध तन्त्रिका तन्तुओं की चौड़ी पट्टी के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं, जिसे कॉर्पस कैलोसम (Corpus callosum) कहते हैं। प्रमस्तिष्क की बाहरी सतह को प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) कहते हैं जो तन्त्रिका कोशिकाओं (Nerve cells) का बना होता है और भूरे रंग का होता है। इसे गे मैटर (Grey matter) कहते हैं।

मस्तिष्क की संCreation And कार्य

प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से नीचे का भाग तन्त्रिका तन्तुओं (Single्सोन्स) से बना होता है और श्वेत रंग का होता है, जिसे व्हाइट मैटर (White matter) कहते हैं। प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स में बहुत से विभिन्न गहराइयों के खाँच बने होते हैं। खाँचों के उभार को कर्णक (Gyrus) कहते हैं और दबे हुए भाग को परिखा या विदर (Sulcus or fissure) कहते हैं, के द्वारा पृथक रहते हैं। इससे प्रमस्तिष्क का सतह खेत्र अधिक बढ़ जाता है। All मनुष्यों में उभारों (Gyrus) व दरारों (Sulcus) की सामान्य Reseller रेखा समान होती है। तीन मुख्य दरारें (Sulci) प्रत्येक अर्द्धगोलार्द्ध को चार खण्डों (Lobes) में वििभाजित करती हैं, जिनमें वे स्थित होते हैं। मध्य दरार (Central sulcus) अर्द्धगोलार्द्ध के ऊपरी भाग से नीचे And आगे की ओर पाश्र्वीय दरार (Lateral sulcus) के ठीक ऊपर तक फैली रहती है; पाश्र्वीय दरार मस्तिष्क के सामने के निचले भाग के पीछे की ओर फैली रहती है तथा पैराइटोऑक्सीपिटल दरार (Parietooccipital sulcus) अर्द्धगोलार्द्ध के ऊपरी पिछले भाग के कुछ दूर तक नीचे और आगे की ओर फैली रहती है।

अर्द्धगोलार्द्ध के खण्ड हैं- फ्रन्टल लोब (Frontal lobe) जो मध्य दरार के सामने And पाश्र्वीय दरार के ऊपर स्थित रहता है; पैराइटल लोब (Parietal lobe) यह मध्य दरार And पैराइटोऑक्सिपिटल दरार के बीच तथा पाश्र्वीय दरार के ऊपर स्थित रहता है; ऑक्सिपिटल लोब (Occipital lobe), अर्द्धगोलार्द्ध का पिछला भाग बनाता है, तथा टेम्पोरल लोब (Temporal lobe) यह पाश्र्वीय-दरार के नीचे स्थित होता है और पीछे ऑक्सिपिटल लोब तक फैला रहता है।

प्रमस्तिष्क के दाहिने अर्द्धगोलार्द्ध द्वारा शरीर के बायें भाग की तथा बायें अर्द्धगोलार्द्ध द्वारा शरीर के दाहिने भाग की समसत चेतन And अचेतन क्रियाएँ संचालित And नियन्त्रित होती हैं। प्रमस्तिष्क बुद्धि, इच्छा, आवेश, स्मरणशक्ति जैसी उन अधिक विकसित क्षमताओं का स्थल है, जो मनुष्य को विशिष्ट Reseller से सम्पन्न किए हुए हैं। प्रमस्तिष्क का विशिष्ट क्षेत्र विशेष प्रकार की क्रियाओं को सम्पादित करता है। ज्ञानात्मक क्रियाओं का नियन्त्रण And संपादन पैराइटल लोब, टैम्पोरल लोब And ऑक्सिपिटल लोब् द्वारा होता है। प्रेरक क्रियाओं का संचालन And नियन्त्रण मध्य दरार या सेन्ट्रल सल्कस के अग्रभाग से लगे हुए पिरामिड के आकार की कोशिकाओं द्वारा होता है। सोचना समझना, सीखना, चलना आदि का नियन्त्रण एAnd संचालन मस्तिष्क के कुछ विशेष क्षेत्र-संवेदीक्षेत्र (Sensory area), प्रेरक या गतिवाही क्षेत्र (Motor area) And फ्रन्टल साहचर्य क्षेत्र (Frontal association) द्वारा होता है।

मध्य दरार (Central sulcus) के ठीक सामने स्थित क्षेत्र को प्रीसेन्ट्रल गाइरस (Central sulcus) कहते हैं, यह पे्ररक या गतिवाही क्षेत्र (Motor area) है, जहाँ से केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के कर्इ प्रेरक तन्तु निकलते हैं। मध्य दरार के ठीक पीछे संवेदी क्षेत्र (Sensory area) स्थित होता है जिसे पोस्ट सेन्ट्रल गाइरस (Postcentral gyrus) कहते हैं, इसकी कोशिकाओं में कर्इ प्रकार के संवेदनों का Means समझा जाता है।

प्रमस्तिष्क के कार्यात्मक क्षेत्र

  1. संवेदी क्षेत्र (Sensory area)- यह मध्य दरार (Central sulcus) के ठीक पीछे पैराइटल लोब में स्थित क्षेत्र होता है यहाँ पर वेदना, शीत, तापा, दबाव And स्पर्श, पेशी तथा जोड़ों पर संवेदना की अनुभूति होती है।
  2. प्रेरक क्षेत्र (Motor area)- यह मध्य दरार के ठीक सामने फ्रन्टल लोब में स्थित क्षेत्र होता है। यहाँ से ऐच्छिक पेशियों में संकुचन होना आरम्भ होता है तथा उनकी गतियों को नियन्त्रित करता है।
  3. प्रेरक पूर्व क्षेत्र (Premotor area)- यह फ्रन्टल लोब में प्रेरक क्षेत्र के ठीक सामने स्थित क्षेत्र होता है, जो पेशियों की गति के बीच समन्वय स्थापित करने से सम्बद्ध होता है।
  4. ब्रोकाज क्षेत्र (Broca’s area)- यह लेटरल सल्कस के ठीक ऊपर तथा प्रेरक पूर्व क्षेत्र के नीचे स्थित क्षेत्र होता है। यह क्षेत्र बोलने से सम्बद्ध होता है।
  5. वाणी क्षेत्र (Speech area)- यह लेटरल लोब के निचले भाग में स्थित क्षेत्र होता है। इसी क्षेत्र में बोले गए Wordों को ग्रहण Reseller जाता है।
  6. दृश्टि क्षेत्र (Visual area)- यह ऑक्सिपिटल लोब के निचले सिरे पर स्थित क्षेत्र होता है जिसमें वस्तुओं के चित्रों And अन्य दृश्टि सम्बन्धी संवेदों को ग्रहण Reseller जाता है तथा उनका विश्लेषण दिया जाता है।
  7. श्रवणीय क्षेत्र (Auditory area)- यह लेटरल सल्कस के ठीक नीचे टेम्पोरल लोब में स्थित क्षेत्र होता है। यहाँ पर ध्वनि संवेद ग्रहण किए जाते हैं और उनका विश्लेषण होता है।
  8. स्वाद क्षेत्र (Taste area)- यह लेटरल सल्कस या पाश्र्वीय दरार के ठीक ऊपर संवेदी क्षेत्र की गहन परतों में स्थित क्षेत्र होता है जिसमें स्वाद संवेद ग्रहण किए जाते हैं और उनका विश्लेषण Reseller जाता है।
  9. गन्ध या घ्राण क्षेत्र (Smell area)- यह टेम्पोरल लोब के अगले भाग में गहरार्इ में स्थित क्षेत्र होता है, जिसमें गन्ध संवेद पहुँचते हैं और उनका विश्लेषण होता है।
  10. बेसल गैंगलिया (Basal ganglia)- प्रत्येक प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलार्द्ध में कॉर्पस कैलोसम के नीचे श्वेत द्रव्य (तन्त्रिका तन्तु) में धँसे हुए भूरे द्रव्य (सेल बॉडीज) केकुछ छोटे-छोटे पिण्ड होते हैं, जिन्हें बेसल गैंगलिया कहा जाता है, ये हैं कॉडेट (Caudate), लेन्टिकुलर (Lenticular) And एमाइग्डैलॉइड न्यूिक्लार्इ (Amygdaloid nucli) तथा क्लॉस्ट्रम (Claustrum)। इनमें से कॉडेट And लेन्टिकुलर न्यूिक्लार्इ मिलकर कॉर्पस स्ट्रीएटम (Carpus striatum) का निर्माण करते हैं। इनका मुख्य कार्य गति (Motion) का समन्वय और शरीर की समस्थिति (Homoeostasis) बनाए रखना है इनमें विकार उत्पन्न होने से हाथ-पैरों में झटकेदार गतियाँ और अस्थिरता पैदा हो जाती है।
  11. थैलेमस (Thalamus)- प्रत्ये प्रमस्तिश्कीय अर्द्धगोलार्द्धों के भीतर कॉर्पस कैलोसम के ठीक नीचे तथा कॉडेट And लेन्टिकुलर न्यूिक्लार्इ के मध्यवर्ती और प्रत्येक तृतीय वेन्ट्रिक्ल के पाश्र्व में तन्त्रिका कोशिकाओं And तन्तुओं (Nerve bodies) का Single अण्डाकार पिण्ड होता है, जिसे थैलेमस कहा जाता है। यह प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स And स्पाइनल कॉड (सुशुम्ना) के बीच Single महत्वपूर्ण पुन: प्रसारण केन्द्र (Relay station) के Reseller में कार्य करता है। थैलेमस शरीर को प्राप्त होने वाले संवेदी आवेगों (Sensory impulses) का वर्गीकरण करने और प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स तक उन्हें पहुँचाने का कार्य करता ह
  12. हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)- हाइपोथैलेमस, थैलेमस के नीचे और सामने तथा पिट्यूटरी गन्थि के ठीक ऊपर स्थित तन्त्रिका कोशिकाओं से बनी Single Creation है यह तृतीय वेन्ट्रिक्ल की पाश्र्वीय भित्ति और तल को बनाता है। हाइपोथैलेमस को दो भागों में विभक्त Reseller गया है- 1. पोस्टीरियर And लेटरल भाग 2. एन्टिरियर And सेन्ट्रल भाग। पोस्टीरियर And लेटरल भाग अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र (Sympathetic nervous system) के कार्यों को सम्पन्न करने में पूर्ण सहयोग देते हैं। एन्टीरियर And सेन्ट्रल भाग परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र (Parasympathetic nervous system) के कार्यों को सम्पन्न करते हें। इसके अतिरिक्त यह तन्त्रिका तन्तुओं को मेड्यूला आब्लांगेटा (Medulla oblogata) की ओर भेजकर श्वसन कार्य में सहायता करता है, शरीर के ताप को नियमित तथा नियन्त्रित करता है, वसा, कार्बोहाइड्रट तथा जल की पाचन क्रिया को नियमित रखता है And भावना (Emotions) को नियन्त्रित करने में भूमिका निभाता हैं पिट्यूटरी ग्रन्थि की सहायता से यह शरीर की समस्त अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों के कार्य में सहायता करता है।

मस्तिष्क की गहरार्इ मे थैलेमस And बेसल गैंगलिया के बीच स्थित उभरे हुए प्रेरक तन्तुओं (Motor fibres) से बना Single महत्वपूर्ण क्षेत्र होता है, जिसे इन्टरनल कैप्सूल कहा जाता हैं जिसके माध्यम से समस्त तन्त्रिका आवेगों (Nerve impulses) का संवहन होता है।

2) मध्यमस्तिष्क

मध्यमस्तिष्क, अग्र-मस्तिष्क And पश्च-मस्तिष्क के बीच और मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem) के ऊपर स्थित रहता है। इसमें सेरीब्रल पेडन्क्ल्स (Cerebral peduncles) And कॉपोंरा क्वाड्रिजेमिना (Corpora quadrigemina) का समावेश हाता है, जो प्रमस्तिष्कीय कुल्या (Cerebral aqueduct) को घेरे रहते हैं, जो कि तृतीय And चतुथर्ै वेन्ट्रिकलों के बीच Single नलिका (Channel) होती है। सेरीब्रल पेडन्क्ल्स डंठलनुमा Creationएँ होती हैं जो इसकी वेंट्रल सतह (Ventral surface) पर स्थित होती है। कॉपोंरा क्वाड्रिजेमिना डॉर्सल सतह पर चार गोलाकार उभार होते हैं जिन्हें दो जोड़े संवेदी केन्द्रों (Sensory centres) में विभक्त Reseller गया है। Single को सुपीरियर कोलीकुलि (Superior colliculi) तथा Second को इन्फीरियर कोलीकुलि (Inferior colliculi) कहते हैं। सुपीरियर कोलीकुलि द्वारा किसी वस्तु को देखने की क्रिया सम्पन्न होती है तथा इन्फीरियर कोलीकुलि द्वारा सुनने की क्रिया सम्पन्न होती है।

सेरीब्रल पेडन्क्ल्स के समीप लाल केन्द्रक (Red nucleus) स्थित रहता है। सुपीरियर कोलीकुलि के बीच पिनीयल बॉडी (Pineal body) स्थित रहती है।

3) पश्च मस्तिष्क

यह मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग होता है, जिसमें पोन्स (Pons), मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata) तथा अनुमस्तिष्क (Cerebellum) का समावेश रहता है।

पोन्स (Pons)- यह अनुमस्तिष्क (Cerebellum) के आगे मध्यमस्तिष्क के नीचे तथा मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर रहता है। यह मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem) के बीच का भाग होता है। इसके आधारी भाग को मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल (Middle cerebellar peduncle) कहते हैं। इस भाग से होकर संवेदी And प्रेरक तन्त्रिकाओं के तन्तु गुजरते हैं, जो अनुमस्तिष्क को मध्य मस्तिष्क And मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जोड़ते हैं।

इसमें पाँचवीं, छठी और Sevenवीं कपालीय तन्त्रिकाओं के न्यूिक्लार्इ स्थित रहते हैं। यहीं से उनके कुछ तन्तु कोशिकाओं से निकल कर तन्त्रिका तन्त्र के विभिन्न भागों में चले जाते हैं।

मेड्यूला ऑब्लांगेटा (Medulla oblongata)- यह मस्तिष्क स्तम्भ का सबसे नीचे का भाग होता है, जो ऊपर की ओर पोन्स And नीचे की ओर स्पाइनल कॉर्ड के बीच स्थित रहता है। इसका आकार बेलनाकार दण्ड की तरह होता है, जो औसतन 2.5 सेमी. लम्बा होता है। इसका ऊपरी भाग कुछ फूला रहता है। यह पोस्टीरियर क्रेनियल फोसा में स्थित होता है और ऑक्सिपिटल अस्थि के महा-रन्ध्र (Foramen magnum) के ठीक नीचे स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ जाता है। इसका बाह्य भाग श्वेत द्रव्य तथा भीतरी भाग भूरे द्रव्य का बना होता है। इसमें हृदीय And श्वसनीय केन्द्र स्थित होते हैं, जो हृदय And श्वसन क्रिया को नियन्त्रित करते हैं। इसमें निद्रा, निगरण And लालास्त्राव (Salivation) के भी केन्द्र होते हैं, जो महत्वपूर्ण कार्यों का नियमन करते हैं।

अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (Cerebellum)- यह प्रमस्तिष्क के आक्सिपिटल लोब के नीचे पीछे की ओर उभरा हुआ भाग होता है, जो मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर, पोन्स के पीछे कपालीय गुहा ;ब्तंदपंस बंअपजलद्ध में स्थित होता है तथा डॉर्सल सतह की ओर प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलार्द्ध से ढँका रहता है।

अनुमस्तिष्क दो अर्द्धगोलाद्धोर्ं में विभक्त रहता है परन्तु बीच में Single मध्यस्थ पट्टी, जिसे वर्मिस (Vermis) कहते हैं, से Added रहता है। इसमें प्रमस्तिष्क (Cerebrum) के समान भूरा द्रव्य (Gray matter) बाहर की ओर और श्वेत द्रव्य (White matter) भीतर की ओर स्थित होता है। अनुमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebellar cortex) प्रमस्तिष्कीय कार्टेक्स की अपेक्षा अधिक पतला होता है। अनुमस्तिष्क का भार मस्तिष्क के कुल भार का दसवाँ भाग होता है।

अनुमस्तिष्कीय केन्द्रक (Cerebellar nuclei) श्वेत द्रव्य में गहरार्इ में स्थित रहते हैं जो सुपीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मध्य मस्तिष्क से, मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा पोन्स से तथा इन्फीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जुड़े रहते हैं।

अनुमस्तिष्क ऐच्छिक पेशियों में समन्वय स्थापित करता है तथा शरीर की मुद्रा और उसके सन्तुलन को बनाए रखता है। यह पेशियों में तनाव की श्रेणी, सिन्धयों (Joints) की स्थिति और प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से आने वाली जानकारी से सम्बन्धित संवेदी आवेगों को निरन्तर प्राप्त करता रहता है।

मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem)-

मध्य मस्तिष्क, पोन्स And मेड्यूला ऑब्लांगेटा के Single साथ कर्इ सामान्य कार्य हैं और इन्हें प्राय: संयुक्त Reseller से मस्तिष्क स्तम्भ कहा जाता है। इस क्षेत्र में न्यूिक्लाइ (Nuclei) भी रहते हैं। जहाँ से कपालीय तन्त्रिकाएँ निकलती हैं।

मस्तिष्कावरण या मेनिन्जीज (Meninges)- मस्तिष्कावरण या मेनिन्जीज Saftyत्मक झिल्लियाँ (Membranes) हैं जो खोपड़ी And मस्तिष्क के बीच स्थित रहकर स्पाइनल कॉर्ड (सुशुम्ना) को पूर्णReseller से ढँके रहती हैं तथा इन्हें आघात से बचाती हैं मेनिन्जीज तीन प्रकार की होती हैं, जो बाहर से भीतर की ओर निम्न प्रकार व्यवस्थित होती हैं-

  1. ड्यूरामैटर (duramater)
  2. एराक्नॉइड मैटर (Arachnoid mater)
  3. पाया मैटर (Piamater)

ड्यूरामैटर (Duramater)- ड्यूरामैटर सबसे ऊपरी आवरण (झिल्ली) होती है, जो कठोर सघन संयोजी ऊतकों की बनी होती है। इसमें दो परतें होती हैं, बाह्य परत खोपड़ी की अन्दरूनी सतह का अस्तर है और पेरिऑस्टिम (Periosteum) बनाती है। फोरामन मैग्नम के स्थान पर यह परत खोपड़ी की बाहरी सतह पर पेरिऑस्टियम के Reseller में निरन्तर रहती है। इसकी आन्तरिक परत कुछ स्थानों पर अन्दर की ओर उभ्ज्ञरी होती है और दोहरी परत बनाती है, जो मस्तिष्क के भागों को अलग करती है And उन्हें स्थिति में बनाये रखने में सहायता करती है। इससे चार शिरीय साइनस (Venous sinuses) तथा चार वलय (Folds) बनते हैं। फ्लैक्स सेरेब्राइ (Flax cerebri) Single ऐसा वलय है, जो दो प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलाद्धोर्ं के बीच स्थित रहता है। इसका ऊपरी सिरा सुपीरियर लोंगिट्यूडिनल या सैजाइटल शिरीय साइनस बनता है, जो मस्तिष्क से शिरीय रक्त (Venous blood) उपलब्ध करता है इसका निचला सिरा इन्फीरियर लोंगिट्यूडिनल शिरीय साइनस बनता है, जो फॉक्स सेरेब्रार्इ से रक्त को खींच लेता है। टेन्टोरियम सेरेबेलाइ (Tentorium cerebelli) वलय प्रमस्तिष्क And अनुमस्तिष्क के बीच स्थित रहता है। इस वलय से तीन साइनस बनते हैं। फॉक्स सेरेबेलाइ (Flax cerebelli) वलय दोनों अनुमस्तिष्कीय अर्द्धगोलाद्धोर्ंं के बीच में स्थित रहता हे। डायाफै्रग्मा सेली (Diaphragma sellae) वलय स्फैनॉइड अस्थि में स्थित गड्ढे़, सेला टर्शिका (Sella turcica) के ऊपर छत (Roof) बनाता है, जिसमें पिट्यूटरी ग्रन्थि स्थित रहती है, जो ऊपर हाइपोथैलेमस से जुड़ी होती है।

एराक्नॉइड मैटर (Arachnoid mater)- यह ड्यूरामैटर के ठीक नीचे स्थित पतला और कोमल आवरण होता है, जो तन्तु And लचीले ऊतकों का बना होता हैं यह Single संकरे (कैपिलरी) सबड्यूरल अवकाश (Subdural space) द्वारा ड्यूरामैटर से पृथक रहता है। एराक्नॉइड मैटर And पाया मैटर के बीच सब-एराक्नॉइड अवकाश (Sub-arachnoid space) रहता है। पायामैटर से जुड़ने के लिए राक्नॉइड से सब-एराक्नॉइड अवकाश से होते हुए बारीब टै्रबीकुली (Trabeculae) निकलते हैं। सब-एराक्नॉइड अवकाश में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (CSF) विद्यमान रहता है, जो मस्तिष्क And स्पाइनल कॉर्ड को आघातों से बचाता है।

पायामैटर (Piamater)- पायामैटर एराक्नॉइड के नीचे वाला आवरण है। यह संयोजी ऊतक की Single पतली झिल्ली होती है, जिसमें बहुत-सी रक्तवाहिनियाँ (Highly vascular) होती हैं। यह मस्तिष्क And स्पाइनल कॉर्ड की सतह के सम्पर्क में रहती है और मस्तिष्क के All मोड़ों (Convolutions) को ढँकती हुर्इ प्रत्येक दरार (Fissure) में धँसी होती है।

मस्तिष्क के वेन्ट्रिक्ल्स-

मस्तिष्क में स्थित आन्तरिक गुहाओं (Internal cavities) को वेन्ट्रिक्ल या निलय कहते हैं, जिनमें सेरिब्रो-स्पाइनल द्रव (CSF) भरा होता है। ये निम्नलिखित प्रकार होते हैं-

  1. दो लेटरल वेन्ट्रिक्ल्स (Lateral ventricles)
  2. तृतीय वेन्ट्रिक्ल (Third ventricle)
  3. चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल (Fourth ventricle)

दोनों दाएँ बाएँ लेटरल वेन्ट्रिक्ल्स वृहदाकार होते हैं, जो प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलार्द्धों (Cerebral hemispheres) में स्थित रहते हैं। लेटरल वेन्ट्रिक्ल का मुख्य भाग ;ठवकलद्ध प्रत्येक अर्द्धगोलार्द्ध के पैराइटल लोब में स्थित रहता है और वहाँ से एन्टीरियर हॉर्न के Reseller में फ्रन्टल लोब के अन्दर, पोस्टीरियर हॉर्न के Reseller में आक्सिपिटल क्षेत्र के अन्दर तथा इन्फीरियर हॉर्न के Reseller में टेम्पोरल लोब में उभरा रहता है। प्रत्येक लेटरल वेन्ट्रिक्ल इन्टरवेन्ट्रिकुलर फोरामन द्वारा नीचे थैलेमस के बीच में मध्य रेखा में स्थित तृतीय वेन्ट्रिक्ल से सम्बन्धित रहते हैं। तृतीय वेन्ट्रिक्ल दाएँ And बाएँ थेलेमस के बीच में लेटरल वेन्ट्रिक्ल के नीचे स्थित रहता है। यह Single नलिका जिसे प्रमस्तिष्कीय कुल्या (Cerebral aqueduct or aqueduct of sylvius) कहते हैं, द्वारा चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल से जुड़ता है। चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल तृतीय वेन्ट्रिकल के नीचे, पोन्स And मेड्यूला (आगे) तथा सेरीबेलम (पीछे) के बीच में स्थित चौरस पिरामिडी गुहा (Flattened pyramidal cavity) होती है। चतुर्थ वेनिट्रक्ल के पाश्र्व में दो छिद्र होते हैं, जिन्हें फोरमिना ऑफ लुस्चका (Formina of Luschka) कहते हैं। मध्य रेखा में Single छिद्र होता है, जिसे फोरामेन ऑफ मैंगेण्डी (Foramen of Magendie) कहते हैं। इन तीनों छिद्रों के द्वार वेन्ट्रिक्ल्स And सब एराक्नॉइड अवकाश के बीच सम्बन्ध होता हैं मेड्यूला अब्लांगेटा के अन्स सिरे (Termination) पर चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल्स पर चतुर्थ वेन्ट्रिकल Singleदम सँकरा हो जाता है और स्पाइनल कॉर्ड की केन्द्रीय नलिका (Central canal) के Reseller में जारी रहता है। ये All वेन्ट्रिक्ल्स सेरिब्रो-स्पाइनल द्रव (CSF) से भरे रहते हैं।

सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (Cerebrospinal fluid-CSF)-

सेरिब्रोस्पाइनल द्रव प्लाज्मा से मिलता-जुलता Single स्वच्छ, रंगहीन द्रव है, जो सबएराक्नॉइड अवकाश And मस्तिष्क के वेन्ट्रिक्ल्स में भरा रहता है। यह मस्तिष्क के वेन्ट्रिक्ल्स के ऊपरी भागों (Roofs) में स्थित कोशिकाओं की जालिका-कोरॉइड प्लेक्ससेस (Choroid Plexuses) द्वारा स्त्रावित होता है। औसतल व्यक्ति में यह 720 मिली. प्रतिदिन की दर से स्रावित होता रहता है। इसका दाब 60 से 140 मिली. जल तथा आपेक्षिक घनत्व 1005 होता है। दोनों लेटरल वेन्ट्रिक्ल्स से स्रावित होने के बाद यह द्रव इन्टरवेन्ट्रिक्यूलर फोरामिन (छिद्र) से होकर तृतीय वेन्ट्रिकुल में जाता है और इसके बाद Single संकरी नली-Single्वीडक्ट और सिलवियस (Aqueduct of sylvius) के माध्यम से चतुर्थ वेन्ट्रिक्ल में जाता है। उसके बाद यह द्रव मैगेण्डी और लुस्चका के छिद्रों (Foramen of Magendie & Luschka) से होते हुए सबएराक्नॉइड अवकाश (Subarachnoid space) में चला जाता है जिससे यह मस्तिष्क And स्पाइनल कॉर्ड की सम्पूर्ण सतह पर परिसंचरित होता रहता है। अंतत: यह द्रव एराक्नॉइड मैटर में स्थित छोटे-छोटे उभारों जिन्हें एराक्नॉइड विल्लाइ या ग्रैन्यूलेशन्स (Arachnoid villi or grqanulations) कहते हैं, के माध्यम से मस्तिष्कीय शिरीय विवरों (Cranial venous sinuses) में अवशोशित हो जाता है।

सेरिब्रोस्पाइनल द्रव की संCreation

सेरिब्रोस्पाइनल द्रव का संगठन निम्न प्रकार होता है-

  1. प्रोटीन – 20-30 मिग्रा. प्रतिशत
  2. ग्लूकोज – 50-80 मिग्रा. प्रतिशत
  3. यूरिया – 10-30 मिग्रा. प्रतिशत
  4. क्लोराइड – 700-750 मिग्रा. प्रतिशत

इनके अतिरिक्त इसमे पोटैशियम, कैल्सियम, सोडियम, यूरिक अम्ल, सल्फेट, फॉस्फेट तथा क्रिएटिनिन भी मिले रहते हैं।

मस्तिष्कावरण शोध (Meningitis) आदि रोगों में इस द्रव की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मस्तिष्क द्रव पर दाब पड़ता है और ज्वर अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में लम्बर पंक्चर (Lumbar puncture) कर इस द्रव को स्पाइनल कॉर्ड से निकाल दिया जाता है।

कार्य (Functions)-

सेरिब्रोस्पाइनल द्रव का मुख्य कार्य नाजुक तन्त्रिका ऊतकों And अस्थिल गुहाओं की भित्तिओं के बीच पानी की गद्दीनुमा Creation बनाकर मस्तिष्क And स्पाइनल कॉर्ड की Safty करता है और आघात अवशोशक (Shock absorber) की भाँति कार्य करता है। यह मस्तिष्क And स्पाइनल कॉर्ड के चारों ओर दबाव को स्थिर बनाये रखता है और व्यर्थ And विशाक्त पदार्थों को बाहर ले जाता है। पोशक तत्व And ऑक्सीजन भी मस्तिष्क को इसी के द्वारा पहुँचाए जाते हैं।

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