Indian Customer रिजर्व बैंक की स्थापना And कार्य

किसी भी राष्ट्र की बैंकिंग व्यवस्था में केन्द्रीय बैंक का Single विशिष्ट स्थान होता है। Indian Customer रिजर्व बैंक राष्ट्र का केन्द्रीय बैंक होने के साथ साथ Indian Customer मुद्रा बाजार का प्रमुख नियामक प्राधिकर्ता भी है। यह दो प्रमुख अधिनियमों से अपनी शक्तियॉ प्राप्त करता है Single Indian Customer रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 And दूसरा बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949। Indian Customer रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 Indian Customer रिजर्व बैंक के गठन,कार्य And प्रबन्धन परिभाशित करने के साथ साथ इसे वाणिज्यिक बैंकों And गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों तथा वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित And नियमित करने की शक्तियॉं भी प्रदान करता है।बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में वाणिज्यिक बैकों का संचालन के बहुत से प्रावधान भी हैं। इनमें से बहुत से प्रावधान सहकारी बैंको पर भी लागू होते हैं।Indian Customer स्टेट बैंक इसके सहायक बैंक And अन्य राश्ट्रीय कृत बैंक भी इसी नियामक ढ़ांचे का Single हिस्सा है And इन्हीं नियमों द्वारा संचालित होते हैं। Indian Customer रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को Indian Customer रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अन्तर्गत Single केन्द्रीय बैंक के Reseller में हुर्इ थी। Single केन्द्रीय बैंक की तरह यह कार्य करती है-

i) पत्र मुद्रा (करेन्सी नोट) जारी करना:-

Indian Customer रिजर्व बैंक राष्ट्र का Only प्राधिकर्ता है जो Single Resellerये के नोट या इससे कम नामांकन के सिक्कों के अलावा समस्त प्रकार की पत्र मुद्रा (करेन्सी नोट)जारी करता है। Indian Customer रिजर्व बैंक के अन्दर पत्र मुद्रा जारी करने से सम्बन्धित समस्त कार्य मुद्रा विभाग द्वारा किये जाते हैं जिसके लिये समान मूल्य की पात्र सम्पत्ति का अनुरक्षण Reseller जाता है।

ii) सरकार के लिये बैंकर का कार्य:-

Indian Customer रिजर्व बैंक अधिनियम के निर्देषानुसार Indian Customer रिजर्व बैंक केन्द्र सरकार And राज्य सरकारों के लिये (अनुबन्ध के According) बैंकर का कार्य करता है। Single बैंकर की तरह Indian Customer रिजर्व बैंक सरकार की ओर से पूजी जमा करने, निकालने, रसीद देने के साथ धन के अन्तरण And सार्वजनिक ऋण के प्रबन्धन का कार्य करने की सेवायें प्रदान करता है ।

iii) बैंकों का बैंक :-

Indian Customer रिजर्व बैंक ऋण नियन्त्रण के विभिन्न उपायों के माध्यम से वाणिज्यिक बैंकों के पास उपलब्ध विभिन्न संसाधनों की मात्रा को भी नियन्त्रित करता है जिससे ये उद्योग,व्यापार And वाणिज्य के लिये उपलब्ध बैकों की ऋण क्षमता को भी प्रभावित करता है।

iv) पर्यवेक्षी अधिकारी:-

Indian Customer रिजर्व बैंक विभिन्न उपायों के द्वारा वाणिज्यिक बैंकों पर निगरानी And नियन्त्रण करने की शक्ति रखता है। यह नये बैंक And उनकी नर्इ शाखाओं को खोलने के लिये लाइसेंस प्रदान करता है। यह आरक्षित अनुपात को परिवर्तित करने,बैंको का निरीक्षण करने And बैंको के अध्यक्ष And मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की Appointment करने की अनुमति प्रदान करने की शक्तियॉं रखता हैं। v)मुद्रा नियन्त्रण प्राधिकारी:-
Indian Customer Resellerये के बाºय मूल्य को बनाये रखने के साथ साथ विदेषी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की शर्तों के आधार पर यह विदेषी मुद्रा की मांग को नियमित करता है।

vi) ऋण का विनियमन:-

उद्योगों के लिये ऋण के प्रवाह को नियन्त्रित करना Indian Customer रिजर्व बैंक के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से Single है। इसे करने के लिये बैंक दर पर नियन्त्रण, आरक्षित अनुपात को परिवर्तित करना, मुक्त बाजार परिचालन, चयनित ऋण नियऩ़्त्रण And नैतिक दबाब बनाने जैसे उपाय किये जाते हैं।

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