बैंक के कार्य –

बैंक के कार्य


By Bandey

किसी बैंक संस्था के दो मुख्य कार्य हैं :-

  1. जमा के रुप में धनराशि स्वीकार करना तथा
  2. ऋण अथवा उधार देना।

इनका विस्तृत description इस प्रकार हैं :-

जमाएँ स्वीकार करना

बैंक में कोई भी व्यक्ति निर्धारित नियम And व्यवस्था के अंतर्गत खाता खुलवाकर अपनी धनराशि जमा करवा सकता है। व्यापारिक बैंकों द्वारा जमा राशि का उपयोग राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए Reseller जाता है। इस कार्य के द्वारा छोटी-छोटी बचतों को Singleत्र कर पूँजी निर्माण का कार्य Reseller जाता है तथा इन जमाओं के आधार पर ही बैंक साख सृजन का कार्य करते हैं। बैंक कई प्रकार के खातों में जमाएँ प्राप्त करते है, जिनमें से प्रमुख खाते इस प्रकार है :-

सावधि जमा खाता

सावधि जमा का तात्पर्य खाते में ऐसी जमा से है, जो किसी निश्चित अवधि की समाप्ति पर ही वापस प्राप्त की जा सके। जमा अवधि का चयन ग्राहक द्वारा अपनी सुविधा And Need को ध्यान में रखते हुए Reseller जाता है। Safty And ब्याज की दृष्टि से यह खाता सर्वश्रेष्ठ है। इसका उपयोग केवल वे ही लोग कर सकते है, जो अपनी धनराशि Single मुश्त निर्धारित अवधि के लिए बैंक के पास रखने की क्षमता And इच्छा रखते हो। स्थायी जमा खाते पर ब्याज की दर जमा की अवधि के According कम या ज्यादा हो सकती है। जमाकर्ता को बैंक Single रसीद देता है। परिपक्वता की तिथि से पूर्व धन की Need पड़ने पर जमा रसीद की जमानत पर बैंक से ऋण लिया जा सकता है।

बचत बैंक खाता

बचत बैंक खाते का प्रमुख उद्देश्य जनता में बचत की भावना को प्रोत्साहन देना है। अल्प And मध्यम आय वर्ग के लिए यह खाता बहुत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी बचतों को बैंक में जमा करवा सकता है तथा Need पड़ने पर वापस निकाल सकता है। इस खाते में जमा धनराशि पर ब्याज भी मिलता है। इस खाते पर चैक बुक की सुविधा भी मिलती है।

चालु खाता

चालु खाता Single ऐसा खाता है जिसमें किसी भी कार्य दिवस में अनेक बार लेन-देन किये जा सकते है। चालु खाते में जमा माँग पर देय होती है, इसलिये बैंक इस पर कोई ब्याज नहीं देता। यह खाता व्यापारियों, संयुक्त पूँजी कम्पनियों, संस्थाओं आदि के लिए उपयुक्त होता है। चालु खाते पर बैंक ग्राहकों को अधिविकर्ष की सुविधा भी देता है।

आवर्ती या संचयी जमा खाता

आवर्ती जमा खाता मुख्य रुप से उन जमाकर्ताओं के लिए है जो अपनी छोटी-छोटी बचतों के माध्यम से Single निश्चित उद्देश्य के लिए निश्चित रकम जमा कराना चाहते हैं। यह खाता खोलने वाले व्यक्ति को Single निश्चित रकम जो 5 या 10 रुपये के गुणक में होती है, Single निश्चित अवधि तक प्रति मास अपने खाते में जमा करवानी होती है। इस खाते पर दिये जाने वाले ब्याज की दर बचत खाते से कुछ अधिक होती है।

अन्य जमा खाते/योजनायें

व्यापारिक बैंक अत्यंत ही अल्प आय वाले व्यक्तियों की बचतों को Singleत्रित करने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के ध्येय से गृह बचत खाता खोलने की भी सुविधा देते हैं। व्यापारिक बैंकों ने बचतों के विभिन्न उद्देश्यों के अनुरुप अनेक प्रकार की जमा योजनायें भी चालू की है, जिनमें प्रतिदिन बचत जमा योजना, मासिक ब्याज आय जमा योजना, अवयस्क बचत योजना, कृषक जमा योजना, गृह जमा योजना आदि प्रमुख है।

ऋण अथवा उधार देना

बैंक का द्वितीय प्रमुख कार्य ऋण अथवा उधार देना है। बैंक अपने ऋणों पर उसके द्वारा जमाओं पर दिये जाने वाले ब्याज से अधिक दर से ब्याज लेता है। बैंक प्राथ्र्ाी को ऋण सुविधा चार प्रकार से दे सकता है :-

नकद साख

नकद साख पद्धति के अधीन बैंक प्राथ्र्ाी के लिए ऋण लेने की Single सीमा निर्धारित कर देता है। व्यापारी अपनी Needनुसार जब चाहे उस सीमा तक रकम निकाल सकता है। ब्याज केवल उसी राशि पर वसूल Reseller जाता है, जितनी राशि निकाली गई है। नकद साख सदैव पर्याप्त जमानत के आधार पर ही स्वीकृत की जाती है।

अधिविकर्ष

बैंक अधिविकर्ष के रुप में ऋण की सुविधा केवल अपने खातेदारों को ही दे सकता है। कभी-कभी ग्राहक को अस्थायी रुप से खाते में जमा से अधिक राशि की Need पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में ग्राहक अपने बैंक से प्रार्थना करता है कि उसे खाते में जमा राशि से भी अधिक राशि निकालने की अनुमति दी जाये। बैंक अपने ग्राहक की साख क्षमता पर विचार कर उसको निश्चित राशि तक अधिविकर्ष की अनुमति दे देता है। ग्राहक उस सीमा तक कभी भी राशि निकाल सकता है।

सामान्य ऋण

बैंकों द्वारा ऋण देने का यह सबसे साधारण रुप है। जब कोई व्यक्ति ऋण के लिए प्रार्थना करता है तो बैंक प्राथ्र्ाी की साख And अन्य बातों के विषय में विचार कर उसे ऋण स्वीकृत कर वह राशि उसके Single पृथक ऋण खाते में जमा कर देता है। ऋण स्वीकृत करते समय बैंक और प्राथ्र्ाी के बीच ब्याज की दर And भुगतान की शर्ते तय हो जाती हैं।

संस्था का महत्वपूर्ण बैंकिंग कार्य ऋण वितरण करना हैं। सदस्यों को आसानी से वित्तीय साधन प्राप्त हो इस हेतु संस्था द्वारा विभिन्न ऋण योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। Safty के दृष्टिकोण से संस्था के उपनियमों में कर्ज प्राप्ति के कुछ नियम बनाए गए हैं। जिनकी पूर्ति के बाद ही सदस्य ऋण प्राप्त कर सकता हैं।

  1. संस्था से ऋण प्राप्ति के नियम निम्नानुसार हैं :-
    बैंक से ऋण प्राप्ति की पात्रता केवल सदस्य को ही है।
  2. अWindows Hosting कर्ज पर पाँच प्रतिशत तथा Windows Hosting कर्ज पर ढाई प्रतिशत के हिसाब से अतिरिक्त अंश क्रय करना आवश्यक हैं।
  3.  ऋण आवेदक को निर्धारित प्राReseller में जानकारी देना And अपनी सम्पत्ति व आमदनी का प्रमाणिकरण देना आवश्यक है।
  4. बैंक की उपविधियों और संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित नियमों के According जमानत पर तथा चल And अचल सम्पत्ति पर बंधक लेकर ऋण प्रािप्त की योजना रहेगी।
  5. ऋण देना, न देना या आवेदित राशि से कम देना तथा दिये हुए जमानतदार या बंधक सम्पत्ति योग्य है या नही, यह निश्चित करना संचालक मण्डल या उसके द्वारा अधिकृत ऋण सीमित के अधिकार में हैं।
  6. दी गई जानकारी सही नहीं हैं, ऐसा ज्ञात होने पर दिया गया ऋण तत्काल ब्याज सहित वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को है।
  7. प्रस्तुत जमानतदार या बंधक सम्पत्ति किसी कारण योग्य या पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा ज्ञात होने पर ऋणी सदस्य को संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित समयावधि में इसके योग्य जमानतदार या बंधक सम्पत्ति देना आवश्यक है अन्यथा दिया हुआ ऋण तत्काल ब्याज सहित वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को हैं।
  8. यदि बंधक सम्पत्ति को विक्रय पर ऋण वसूल करना आवश्यक हुआ तथा उस विक्रय राशि से पूर्ण अदायगी न हो सकी तो शेष राशि के अदायगी की जिम्मेदारी ऋणी सदस्य की ही हैं। इसके लिये सदस्य को योग्य बंधक या योग्य जमानतदार देना आवश्यक हैं।
  9. दिये गये ऋण पर संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित समयावधि And ब्याज दर से ब्याज लिया जाता हैं। जमा राशि में से First ब्याज वसूल Reseller जाता हैं।
  10. रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार समय-समय पर ब्याज दर लागू की जाती हैं And उसके According ब्याज लिया जाता हैं।
  11. ऋण के लिये अचल सम्पत्ति बंधक रखी हो तो वह बैंक के अधिकार में रखने के लिये संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित प्राReseller में अनुबंध लिखना And उसका पंजीयन करवाना अनिवार्य है।
  12. ऋण किस कार्य के लिये चाहिए उसकी स्पष्ट जानकारी And प्राप्त ऋण उसी कार्य में लगाकर उसकी सूचना आवेदक को देना अनिवार्य है। यदि यह राशि अन्य कार्य में खर्च की दिखाई दी तो सम्पूर्ण राशि ब्याज सहित तत्काल वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को हैं।
  13. ऋण की अदायगी, अनुबंध के According न होने पर ब्याज की दर बढ़ाने व तत्काल ऋण वसूल करने का अधिकार संचालक मण्डल को हैं।
  14. ऋण वसूली के लिए यदि दावा लगाना आवश्यक हुआ तो उसके लिए होने वाला कोर्ट खर्च, स्टाम्प व वकील की फीस आदि खर्च ऋणी सदस्य के नाम लिखे जाते हैं और ऋण वसूल Reseller जाता है।
  15. यदि दी गई जानकारी में कोई परिवर्तन हुआ तो उसकी जानकारी ऋणी सदस्य को बैंक में लिखित में देना अनिवार्य हैं।
  16. नौकरीपेशा सदस्य से ऋण की अंशिकाएँ नियोक्ता के माध्यम से जमा की जाती हैं।
  17. इन नियमों में परिवर्तन करने, उन्हें रद्द करने व नये नियम बनाने का पूर्ण अधिकार संचालक मण्डल को हैं।
  18. सदस्य का ऋण व्यवहार नियमित होना चाहिए। इसी प्रकार जमानतदारो के ऋण खाते भी नियमित होना अनिवार्य हैं।
  19. Single व्यक्ति सिर्फ तीन सदस्यों की जमानतें दे सकता है।
  20. भुगतान क्षमता के आधार पर ही ऋण राशि स्वीकृत की जा सकती हैं।

उपरोक्त बिन्दुओं से स्पष्ट है कि, संस्था में चरण स्वीकृति के पूर्व Safty के बिन्दु पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं।

लाभांश प्रदान करना

अधिकांश बैंक या संस्था प्रारंभ के 5-10 वर्षो में अपने सदस्यों को लाभांश, वित्तीय कठिनाईयों व मुनाफा कम होने की वजह से प्रदान नहीं कर पाती हैं किंतु संस्था द्वारा अपने First वर्ष से ही यही प्रयास रहा है कि, सदस्यों को शेयर में जमा रकम पर भी कुछ लाभ प्राप्त हो व उन्हें लाभांश मिले। अत: संस्था द्वारा प्रारंभ से ही शेयर का 10 प्रतिशत लाभांश के Reseller में दिया जाता हैं।

संस्था के कोषों का विनियोजन

संस्था अपने कोषो का विनियोग कर आय का सृजन करती हैं। संस्था के कोषों का विनियोग मुख्यत: केन्द्र व राज्य सरकार के Safty पत्रों व इसके अलावा संस्था की अमानतों का Single बड़ा भाग रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, स्टेट बैंक ऑफ इन्दौर, इन्दौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव्ह बैंक लि. में Reseller गया हैं।

सहकारी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना

सहकारी संस्थाएँ मात्र रकम जमा करने व ऋण प्रदान करने वाली एजेन्सी नहीं हैं अपितु जनसेवा के लक्ष्य को ध्यान में रखकर संस्था द्वारा संचालक मण्डल के सदस्यों के साथ-साथ संस्था में कार्यरत कर्मचारियों व अन्य सदस्यों को सहकारिता का सैद्धांतिक व व्यावहारिक अध्ययन करने के दृष्टिकोण से सहकारिता शिविरों की भी व्यवस्था की गई हैं। सहकारी प्रशिक्षण हेतु मुख्य प्रशिक्षण केन्द्र सहकारी प्रबंध संस्थान के नाम से भोपाल में हैं। प्रशिक्षण देने के बदले पारिश्रमिक के तौर पर प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा शुल्क भी वसूल Reseller जाता हैं।

प्रन्यासी And निष्पादक के रुप में कार्य

ग्राहक के आदेश पर बैंक उनकी सम्पत्ति की व्यवस्था, विभाजन And प्रबंध करने हेतु प्रबंधक, प्रन्यासी And निष्पादक का कार्य भी करते हैं।

सामान्य उपयोगी कार्य

प्राथमिक व अभिकर्ता संबंधी कार्यों के अतिरिक्त बैंक अन्य उपयोगी कार्य भी करता है, जिनमें कुछ निम्न प्रकार है :-

  1. लॉकर्स उपलब्ध कराना :- ग्राहकों की बहुमूल्य वस्तुओं तथा जेवर, स्वर्ण, हीरे-जवाहरात, बहुमूल्य प्रपत्रों, प्रतिभूतियों आदि को Windows Hosting रखने के लिए बैंक ग्राहकों को लॉकर्स या सेफ डिपॉजिट की सुविधा उपलब्ध करवाते हैं।
  2. संदर्भ या आर्थिक स्थिति की जानकारी :- बैंक अपने ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी देता है तथा ग्राहकों के लिए जानकारी प्राप्त करता है। इन सूचनाओं के आधार पर ही ग्राहक उचित निर्णय लेने की स्थिति में होते हैं।
  3. अभिगोपन करना :- बैंक बडे़-बड़े प्रतिष्ठानों के अंशों And ऋण पत्रों का अभिगोपन करते हैं। इस कार्य के लिए बैंक अभिगोपन कमीशन लेता है।
  4. वित्तीय सलाहकार :- बैंक अपने ग्राहकों को समय-समय पर वित्तीय तथा आर्थिक विषयों पर परामर्श देने का कार्य भी करते हैं, जिससे ग्राहकों को अपने व्यवसाय में निर्णय लेने में सुविधा मिलती हैं।
  5. आर्थिक सूचनायें Singleत्र करना And प्रकाशित करना :- बैंक अपने देश की आर्थिक And व्यापारिक गतिविधियों के संबंध में सूचनायें Singleत्र करते है And उनको प्रकाशित करवाते हैं।
  6. सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था :- व्यापारिक बैंक सरकार द्वारा जारी किये गये ऋणों की बिक्री की व्यवस्था करते हैं। यह कार्य केन्द्रीय बैंक के प्रतिनिधि के रुप में Reseller जाता है।
  7. बचतों को बढ़ावा – बैंकिंग व्यवस्था ने आम जनता से छोटी-छोटी बचतों को संग्रहीत करके विशाल कोषों की व्यवस्था की है। समाज में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने धन को मुद्रा के रुप में बैंकों में रखना पसंद करने लगे हैं। बैंकिंग व्यवस्था में जनता द्वारा संग्रहीत जमायें निरंतर बढ़ रही हैं। बैंक जनता को व्यवसाय करने के लिए उधार धन उपलब्ध करवाते हैं, जिससे व्यापार And व्यवसाय में वृद्धि हुई है।
  8. धन व बहुमूल्य वस्तुओं की Safty – बैंक अपने ग्राहकों के लिए धन स्थानांतरण And लॉकर्स की सुविधा भी उपलब्ध करवाते हैं। व्यक्ति अपने धन को चोरी And अन्य अव्यवस्थाओं से बचाने के लिए बैंकों में जमा कराता है। व्यक्ति अपने बहुमूल्य गहनों And वस्तुओं को भी Windows Hosting रखने के लिए लॉकर्स का उपयोग करता है। बैंक जमा राशि पर ब्याज भी देता है।
  9. व्यापार And उद्योगों को बढ़ावा – बैंक देशी And विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है। आजकल अधिकांश व्यापारिक भुगतान बैंकों के माध्यम से ही सम्पन्न किये जाते है। उद्योगों के भुगतान And आय-व्यय को बैंकों के माध्यम से ही सम्पन्न Reseller जाता है। बैंक विभिन्न देशों के मध्य मुद्रा परिवर्तन का कार्य भी सम्पन्न करते हैं। साथ ही विपणन में प्राप्त विभिन्न मुद्राओं का भुगतान भी बैंक द्वारा ही सम्पन्न Reseller जाता है।
  10. मुद्रा व्यवस्था को लचीला बनाना – बैंकों के द्वारा समय-समय पर मुद्रा परिवर्तन का कार्य सम्पन्न Reseller जाता है। व्यापार And व्यवसाय में मुद्रा परिवर्तन या मौद्रिक उच्चावचनों के कारण उतार -चढ़ाव आते है। इन उच्चावचनों को बैंक ही नियमित करते हैं। विदेशी व्यापार में कई बार भुगतान कठिन हो जाता है परन्तु बैंक इस कठिन दौर को अपनी मौद्रिक नीति के माध्यम से नियोजित करते हैं।
  11. भुगतान में सुविधा – बैंक का लेन-देन चैक, यात्री चैक, ड्राफ्ट, साख पत्र आदि के द्वारा होता है। इन विलेखों से भुगतान Windows Hosting And सुगम हो जाता है। व्यापारिक लेन-देन And विदेशी व्यापार में पग-पग पर इन माध्यमों की जरुरत पड़ती है। साथ ही भुगतान के प्रमाण के रुप में बैंक में आवश्यक प्रविष्टि भी हो जाती है।
  12. सरकारी कार्यों में सहयोग – बैंक सरकारी कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देते है। सरकार का कार्य बिना धन के नहीं चलता है। धन का संग्रह भी विभिन्न प्रकार के करो, फीसों, ड्यूटियों तथा वसूलियों द्वारा Reseller जाता है। इन वित्तीय स्त्रोतों को करोड़ों लोगों में प्रवाहित Reseller जाता है। यह सब कार्य बैंक बहुत कम खर्च पर सुविधा से कर देते हैं।
  13. पिछड़े वर्गों And क्षेत्रों को सहयोग – आधुनिक युग में घर-घर जाकर तथा गाँव-गाँव में शाखा खोलकर अल्प बचत के साथ-साथ पिछड़े वर्गों को सरकारी सहायता And ऋण उपलब्ध करवाने का कार्य भी बैंक करते हैं। पिछड़े क्षेत्रों में बैंक अपनी विशेष योजनाओं के अंतर्गत विशेष साख सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा लीड बैंक नीचे के स्तर तक अपना विस्तार करके जनसामान्य को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध करवा रहे हैं।
  14. विभिन्न ग्राहक सेवायें – बैंक अपने ग्राहकों के लिए अनेक सेवायें उपलब्ध करवाने लगे हैं। ग्राहकों के लिए भुगतान प्राप्त करना, ग्राहकों की ओर से भुगतान देना, शेयरों के क्रय-विक्रय करना, ट्रस्टी के रुप में कार्य करना And बिलों के भुगतान करना आदि महत्वपूर्ण कार्य बैंक सम्पन्न करने लगे हैं।
  15. विकास कार्यों में सहयोग – राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऋण नीति बनाकर, बैंक दर And अन्य अनुपात तय करके कृषि, उद्योग, विदेशी व्यापार, समाज आदि के लिए बैंक विकास कोष भी उपलब्ध करवाते हैं। मुद्रा मूल्य And सामान्य कीमत स्तर को संतुलित बनाकर विकास का मार्ग सुगम बनाने का कार्य भी बैंक करते हैं। विकास योजनाओं के लिए बैंकों में विशेष विभाग And शाखा खोली जाती हैं। जैसे भारत में कृषि वित्त उपलब्ध करवाने के लिए सहकारी बैंक, नाबार्ड, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा All राष्ट्रीयकृत बैंकों की कृषि शाखाएँ आदि।

इस प्रकार बैंक Indian Customer Meansव्यवस्था And देश के आर्थिक ढ़ाँचे को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बैंकों से आम जनता And सरकार दोनों को लाभ मिल रहा है।

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