बक्सर का Fight के कारण, परिणाम और महत्व

बक्सर Fight के कारण

(1) बंगाल में प्रभुत्व की समस्या 

अंग्रेजों से हुए समझौते के According मीरकासिम ने अपने वचनों को पूरा कर दिया था। उसने अंग्रेजों को धन और जिले दिये, ऋण भी चुकाया, सेना का शेश वेतन भी दिया और आर्थिक सुधारों से अपनी स्थिति को सुदृढ़ भी कर Reseller। अब वह योग्य And दृढ़, स्वतंत्र King होना चाहता था Meansात अंग्रेजों के हाथों कठपुतली बनकर नहीं रहना चाहता था। जबकि अंग्रेज Single शक्तिशाली नवाब सहन नहीं कर सकते थे। वे केवल उन पर आश्रित रहने वाला नवाब चाहते थे क्योंकि अंग्रेज बंगाल की शक्ति अपने हाथों में रखना चाहते थे। मीरकासिम इसके लिये तैयार नहीं था। इसीलिए दोनों में शक्ति और सत्ता के लिये संघर्ष प्रारम्भ हो गया।

(2) संरक्षण की नीति का त्याग 

क्लाइव और कम्पनी की कलकत्ता कौंसिल के सदस्य नवाब के डर से भागे हुए दोषी अधिकारियों को शरण और संरक्षण देते थे। कलकत्ता में कंपनी के नवीन गवर्नर वांसीटार्ट ने हस्तक्षेप और संरक्षण की यह नीति त्याग दी। पटना में बिहार का सूबेदार रामनारायण नवाब के आदेशां े की अवहले ना करता था क्योंिक उसे अंग्रेजों का संरक्षण पा्र प्त था। जब मीरकासिम ने उसे पद से पृथक Reseller और उसकी सम्पत्ति जब्त की तब वांसीटार्ट ने कोर्इ हस्तक्षेप नहीं Reseller और रामनारायण को नवाब को सौंप दिया गया। इससे अधिकारियों का वह गुट जो अंग्रेजों पर निर्भर था, बिखर गया। इससे मीरकासिम का मनोबल बढ़ा और उसने अपनी शक्ति बढ़ाकर अंग्रेजों से मुक्त होने का प्रयास Reseller।

(3) एलिस की नीति 

1761 र्इ. में एलिस नामक अधिकारी पटना में अंग्रेजी व्यापारिक कोठी का अध्यक्ष बन कर गया। वह नवाब मीरकासिम की बढ़ती हुर्इ शक्ति और नीति का विरोधी था। उसके व्यापारी गुमा’ते व्यापारिक क्षेत्र में मनमानी करते थे। यदि नवाब के अधिकारी उनको रोकते तो वे कम्पनी के सैनिकों की सहायता से उनको पकड़कर बन्दी बना लेते थे। एलिस के इस व्यवहार से नवाब और अंग्रेजों के बीच वैमनस्य और संघर्ष प्रारम्भ हो गया था। धीरे-धीरे चुंगीकर संबंधी झगड़ों ने उग्र Reseller ले लिया।

(4) अंग्रेजों का व्यापारिक विवाद 

मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने अंग्रेज कम्पनी को नि:शुल्क व्यापार करने की सुविधा दी थी जबकि कम्पनी के कर्मचारियों ने अपने निजी लाभ के लिये इस सुविधा का दुरुपयोग Reseller था। वे बंगाल में अपने व्यापारिक माल पर कर नहीं देते थे। इससे वे Indian Customer व्यापारियों की अपेक्षा सस्ता माल बेचते थे। ब्रिटिश अधिकारी अपने ‘दस्तक’ Indian Customer व्यापारियों को बेच देते थे। वे Indian Customer व्यापारियों से घूस लेकर अपनी ‘दस्तक’ प्रथा के आधार पर उनका माल भी चुंगी से मुक्त करा लेते थे। इससे नवाब को करों से होने वाली आय कम होती जा रही थी और प्रशासन में भी दुबर्ल ता आ गयी थी। मीरकासिम ने अंग्रेजों से उनके व्यापारिक माल पर कुछ चुंगी देने के लिये आग्रह Reseller और उनसे इस विशय में समझौता भी करना चाहा, किन्तु वह असफल रहा। तत्पश्चात मीरकासिम ने बंगाल को मुक्त व्यापार का प्रदेश बनाकर All व्यापारियों के माल पर से चुंगी हटा दी। इससे Indian Customer व्यापारियों और अंग्रेजों दोनों का व्यापारिक माल Single ही स्तर पर आ गया और अंग्रेजों का व्यापार का Singleाधिकार छीन लिया गया। इससे अंग्रेज अत्यन्त ही रुष्ट हो गए। कलकत्ता की कौंसिल ने नवाब से Indian Customerों पर पुन: व्यापारिक कर लगाने की माँग की और कर मुक्ति से अंगे्रजों की जो क्षति हुर्इ है उसे पूरा करने को कहा, किन्तु नवाब ने अंग्रेजों की यह मांग ठुकरा दी। अत: अंग्रेज-नवाब संघर्ष अनिवार्य हो गया।

मीरकासिम के विरूद्ध शड़यंत्र And पटना पर आक्रमण

अंग्रेजों ने यह अनुभव कर लिया था कि मीरकासिम उनके नियंत्रण से बाहर निकल गया है। इसलिये उन्होंने उसके विरुद्ध शड़यंत्र करके मीरजाफर से गुप्त संधि की। इसके According उसे पुन: नवाब बना दिया जाएगा और इसके बदले में वह अंग्रेजों को कर मुक्त आंतरिक व्यापार की सुविधा देगा और अंग्रेजों की क्षतिपूर्ति भी करेगा। अब कलकत्ता की कौंसिल ने पटना में अंग्रेज व्यापारिक काठे ी के एजेन्ट एलिस को पटना पर आक्रमण करने के आदेश दिये तथा उसकी सहायता के लिए कलकत्ता से छ: नावों पर Fight सामग्री व हथियार भेजे। मीरकासिम को भी इस शड़यंत्र और आक्रमण की तैयारी का पता लग गया था। इसीलिए उसने Fight की तैयारी कर ली और अंग्रेजों की Fight सामग्री से लदी पटना जाती हुर्इ नावों को मुंगेर म ेंरोक कर अपने अधिकार में कर लिया। इस बीच एलिस ने पटना नगर पर आक्रमण कर उसे अपने अधिकार में कर लिया किन्तु मीरकासिम ने शीघ्र ही आक्रमण कर एलिस को Defeat कर उससे पटना वापस ले लिया। पटना से लगभग 200 अंग्रेज बन्दी बनाये गये।

मीरकासिम की प्रारम्भिक पराजय और पटना का हत्याकांड

पटना की घटना से मीरकासिम और अंग्रेजों के बीच Fight प्रारम्भ हो गया। कम्पनी ने मीरकासिम के स्थान पर मीरजाफर को बंगाल का नवाब घोशित कर दिया और अंग्रेज सेना को मीरकासिम के विरुद्ध भजे ा। कटवा, मु’िार्द ाबाद, गिरिया, और उदयनाला के Fightों में उसके सैनिकों के वि’वासघात के कारण अंग्रेज सेना ने मीरकासिम को Defeat कर दिया तथा उसकी राजधानी मुंगेर पर भी अधिकार कर लिया। अब मीरकासिम पटना की ओर भागा। उसके विरुद्ध अंगे्रजों के शड़यंत्र और उनकी विजय से मीरकासिम इतना क्रोधित हो गया था कि उसने पटना में अंग्रेजों के लिये घोशणा की कि यदि अंगे्रज सेना Fight बन्द नहीं करेगी तो वह समस्त अंग्रेज बंदियों का वध कर देगा। अंग्रेजों ने इसकी उपेक्षा की। फलत: मीरकासिम ने एलिस सहित अन्य अंग्रेज बंदियों का पटना में कत्ल करवा दिया। यह पटना का हत्याकांड कहलाता है।

इस समय मुगल सम्राट शाहआलम बिहार में ही था। अवध का नवाब शुजाउद्दौला, मुगल सम्राट का वजीर था। मीरकासिम ने शाहआलम और शुजाउद्दौला की सैनिक सहायता प्राप्त की और मीरकासिम, शाहआलम तथा शुजाउद्दौला की सम्मिलित सने ाए  पटना के पास बक्सर के मैदान में पहुँची। यहाँ मेजर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना और इस सेना में 22 अक्टूबर, 1764 को भीशण Fight हुआ जिसमें अंग्रेज विजयी हुए। शाहआलम अंग्रेजों से मिल गया, नवाब शुजाउद्दौला अवध चला गया और मीरकासिम भाग कर दिल्ली की ओर चला गया जहां 1777 र्इ. में उसका देहान्त हो गया। बक्सर विजय के बाद अंगे्रज सेना ने आगे बढ़कर इलाहाबाद और चुनार पर भी अधिकार कर लिया।

Fight के परिणाम और महत्व

माना जाता है कि बक्सर का Fight निर्णायक Fight था। इस Fight ने प्लासी के Fight द्वारा प्रारम्भ किये अंगे्रजों के कार्य को पूर्ण कर दिया। बंगाल में राजनीतिक सत्ता और प्रभुत्व स्थापित करने का जो कार्य प्लासी के Fight द्वारा प्रारम्भ Reseller गया था, वह कार्य बक्सर के Fight ने पूर्ण कर दिया। प्लासी के Fight में विजयी होने पर अंग्रेज, व्यापारी से King बन गये थे। उनको बंगाल में राजनीतिक सत्ता और अधिकार प्राप्त हो गये थे। किन्तु बक्सर के Fight ने उनको बंगाल का ऐसा स्वामी बना दिया जिसे 1947 के पूर्व कोर्इ नहीं हटा सका। अब बंगाल पर अंगे्रज कम्पनी का प्रत्यक्ष शासन स्थापित हो गया। बंगाल को कम्पनी के शासन में जकड़ दिया गया। बक्सर विजय के बाद अंगे्रज सेना ने आगे बढ़कर इलाहाबाद और चुनार पर भी अधिकार कर लिया।

प्लासी का Fight वास्तव में Fight नहीं था। इसमें अंग्रेजों की विजय, रण-कुशलता, वीरता और साहस से नहीं हुर्इ थी, पर शड़यंत्र, कुचक्र और कूटनीति से हुर्इ थी। इसके विपरीत बक्सर का Fight भीशण संग्राम था जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक और अधिकारी रण-क्षेत्र में खेत रहे। यह विजय अंग्रेजों को उनकी सैनिक श्रेष्ठता, दृढ़ संगठन और कठोर अनुशासन से प्राप्त हुर्इ थी। बक्सर के Fight ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि Indian Customer सेना का संगठन और रणनीति दूशित है। नवीन यूरोपीय ढंग की Fight प्रणाली अधिक श्रेष्ठ है। इस Fight के बाद अनेक Indian Customer नरेशों ने अपनी सेना यूरोपीय ढंग से संगठित, प्र’िाक्षित और अनुशासनबद्ध की।

बक्सर Fight के राजनीतिक परिणाम और महत्व उसके सैनिक परिणामों से अधिक महत्व पूर्ण हैं। इस Fight में मीरकासिम के साथ अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुगल सम्राट शाहआलम भी अंग्रेजों द्वारा Defeat किये गये। इससे अवध का नवाब शुजाउद्दौला आतंकित हो गया और Defeat होने पर कम्पनी के चरणों में आ गया और मुगल सम्राट भी कम्पनी के हाथों में चला गया। अब मुगल सम्राट अंग्रेजों की दया और सहायता पर निर्भर हो गया। वह अंगे्रजों से समझौता करने को तैयार था। अंग्रेजों ने उससे इलाहाबाद की संधि करके बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की। इससे बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर अंग्रेजों का विधिवत अधिकार स्थापित हो गया। शाहआलम और शुजा की पराजय से अंग्रेजों के लिए कलकत्ता से दिल्ली तक की विजय का मार्ग खुल गया। अंगे्रज बंगाल के उत्तर-प’िचमी राज्यों के सम्पर्क में आ गये और वे उत्तरी भारत की और आकृष्ट हुए। अब मराठों से उनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ और अतत: उनकी विजय हुर्इ। इस प्रकार ब्रिटिश प्रभुत्व और प्रतिष्ठा की पताका शीघ्र ही उत्तर भारत में भी लहरा गर्इ।

अब बंगाल के नवाब की स्वतंत्रता सदा के लिये समाप्त हो गयी। मीरकासिम के साथ हुए संघर्ष ने अंगे्रेजों को यह स्पष्ट कर दिया था कि बंगाल के नवाब के समस्त अधिकार समाप्त कर दिये जायें। फलत: अब बंगाल का नवाब अंग्रेजों की कठपुतली बन गया, अवध का नवाब अंग्रेजों पर आश्रित हो गया और मुगल सम्राट शाहआलम अंग्रेजों का पेंशनर बन गया।

बक्सर विजय के बाद अंग्रेजों को वे All व्यापारिक अधिकार सुविधाएं पुन: प्राप्त हो गयीं जो मीरजाफर के समय उनको दी गयी थीं। अब कम्पनी द्वारा बंगाल का आर्थिक शोशण तीव्र गति से उत्तरोतर बढ़ने लगा। अंग्रेज प्रशासन और व्यापारिक Singleाधिकार से बंगाल के Indian Customer व्यापार, उद्योगें व्यवसाय और भूमिकर व्यवस्था को गहरा आघात लगा।

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