फोबिया का Means, लक्षण, प्रकार, कारण And उपचार

दुर्भीति जिसे अंग्रेजी के फोबिया Word से जाना जाता है, वस्तुत: चिंता विकृति के प्रमुख प्रकारों में गिना जाता है। चिंता Single संवेग है जिसमें अविवेकपूर्ण नकारात्मक विचारों की श्रृंखला चलती है, तथा व्यक्ति अपने साथ कुछ बुरा होने की नकारात्मक भययुक्त आशंका से ग्रस्त रहता है। जब तक यह अविवेकपूर्ण डर व्यक्ति के नियंत्रण में बना रहता है तब तक सामान्य चिंता के Reseller में परिभाशित होता है। यही जब नियंत्रण से बाहर हो जाता है तक चिंता विकृति का Reseller ले लेता है जिसकी Single विशेष परिणति फोबिया के Reseller में होती है। फोबिया से ग्रस्त लोगों को आज हम अपने आस-पास आसानी से पा और पहचान सकते हैं, Need है बस इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने की। फोबिया का मुख्य लक्षण भय है And भय से हम All परिचित हैं अन्तर इतना है कि फोबिया Single विशिष्ट प्रकार की भय विकृति है। भय क्यों होता है? भय से सामना कैसे Reseller जा सकता है?

भय And चिंता का अनुभव हम All लोगों को दिन-प्रतिदिन के जीवन में होता रहता है। बहुत से लोगों को सांपों से ,ऊॅंचार्इ से, खतरनाक तूफान से, बजबजाते कीड़ों से, मधुमक्खियों से, अथवा खतरनाक जानवरों से सामान्य तौर पर डर अवश्य लगता है,

And लोग इसे अभिव्यक्त भी करते हैं। ये All जीव व परिस्थितियॉं हमारी Safty के प्रति वास्तविक खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। Second Wordों में ये हमें वास्तविक Reseller में हानि पहुॅंचा सकते हैं। हालांकि इन खतरनाक जीवों And परिस्थितियों And घटनाओं के प्रति हमारी डर Resellerी प्रतिक्रिया Single बिन्दु तक हमारे अनुकूलन के दायरे में आती है। परन्तु यदि भय की यह प्रतिक्रिया इतनी अधिक बढ़ जाये कि हमारे दिन प्रतिदिन के कार्यों के निष्पादन को नकारात्मक Reseller में प्रभावित करने लगे अथवा तीव्र सांवेगिक, भावनात्मक विक्षुब्धता उत्पन्न करने लगे तो यह फोबिया का स्वReseller ग्रहण कर लेता है। यह अतार्किक भय जो किसी न किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा परिस्थिति विशेष की उपस्थिति के कारण उत्पन्न होता है तथा दैनिक जीवन के साधारण कहे जाने वाले कार्यों के निष्पादन तक को प्रभावित करने लगता है को ही फोबिया कहा जाता है।

  1. फोबिया चिंता विकृति का Single प्रकार है। 
  2. फोबिया में तीव्र अतार्किक भय सतत् बना रहता है। 
  3. फोबिया में विक्षुब्धता की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि पीड़ित दिन प्रतिदिन के कार्यों को ठीक प्रकार से निष्पादित करने में असमर्थता महसूस करता है क्योंकि अतार्किक भय उसकी हिम्मत का ह्रास कर देता है।
  4. फोबिया किसी भी वस्तु, व्यक्ति, घटना व परिस्थिति के विरूद्ध उत्पन्न हो सकती है।
  5. सारReseller में किसी भी वस्तु, व्यक्ति, परिस्थिति अथवा के घटना के कारण व्यक्ति में उत्पन्न अतार्किक सतत् भय का Need से परे की उस सीमा में पहुॅंच जाना जिसके कारण कि उसका दुश्चिंता उत्पन्न हो जाये तथा उसके दैनिक जीवन के क्रियाकलापों का निष्पादन नकारात्मक Reseller से प्रभावित होने लगे तो इस प्रकार का भय ही फोबिया है।

फोबिया के लक्षण 

 अमेरिकन साइकियेट्रिक एसोशियेसन (American psychiatric association) ने फोबिया के लक्षणों को स्पष्ट Reseller है।

  1. किसी विशिष्ट वस्तु अथवा परिस्थिति से इतना अधिक सतत् भय जो वास्तविक खतरे के अनुपात से कहीं अधिक होता है। 
  2. व्यक्ति को उस विशिष्ट परिस्थिति या वस्तु से सामना होने पर अत्यधिक चिंता या विभीषिका आघात (panic attack) लगना। 
  3. व्यक्ति में यह समझ बनी रहती है कि उसे Need से अधिक भय हो रहा है। उसे अवास्तविकता का भी प्राय: बोध रहता है। 
  4. व्यक्ति दुर्भीति उत्पन्न करने वाली वस्तु या परिस्थिति से दूर रहना पसंद करता है। 
  5. अगर उपर्युक्त लक्षण किसी अन्य विशेष रोग से उत्पन्न न हुए हों।

फोबिया के प्रकार

डायग्नोस्टिक मैनुअल फार मेंटल डिस्आर्डर में प्रमुख Reseller से फोबिया के तीन प्रकारों का वर्णन Reseller गया है –
(1) विशिष्ट फोबिया (Specific phobia) (2) एगोराफोबिया (Agoraphobia) (3)सामाजिक फोबिया (Social phobia)

(1) विशिष्ट फोबिया – 

विशिष्ट फोबिया को ही फोबिया के प्रारंभिक अध्ययनों में सामान्य फोबिया के Reseller में described Reseller गया है। विशिष्ट फोबिया किसी Single विशिष्ट जीव, वस्तु अथवा परिस्थिति से संबंधित होती है। इससे पीड़ित व्यक्ति में किसी Single विशिष्ट जीव, वस्तु अथवा परिस्थिति की उपस्थिति या उसके अनुमान मात्र से उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को कुत्ते से फोबिया है तो उसके नाम लेने मात्र से ही उसमें भय उत्पन्न हो जायेगा And फोबिया के लक्षण प्रकट हो जायेंगे। सम्पूर्ण फोबिया के All रोगियों में से केवल 3 प्रतिशत ही विशिष्ट फोबिया से पीड़ित पाये जाते हैं। यह विशिष्ट फोबिया भी कर्इ प्रकार की होती है प्रमुख Reseller से इसके चार प्रकार हैं- 1. पशु फोबिया प्रकार, 2. वास्तविक वातावरण फोबिया प्रकार, 3. रोग And चोट से संबंधित फोबिया प्रकार, 4. रक्तफोबिया प्रकार।

  1. पशु फोबिया (animal phobia) – पशु फोबिया विशिष्ट फोबिया के प्रकारों में सबसे सामान्य प्रकार है। जब किसी व्यक्ति को किसी विशेष पशु अथवा कीटों से अतार्किक And असंगत भय उत्पन्न होता है तब उस प्रकार की फोबिया को पशु फोबिया कहा जाता मनोवैज्ञानिकों के According यह फोबिया पुरूशों की अपेक्षा महिलाओं में काफी अधिक पायी जाती है तथा इसका प्रारंभ बाल्यावस्था से ही हो जाता है। कुछ प्रमुख पशु फोबिया के प्रकार हैं- कुत्ता से भय साइनोफोबिया (Cynophobia) बिल्ली से भय एलूरोफोबिया (Ailurophobia) कीटों से भय इन्सेक्टोफोबिया (Insectophobia) मकड़ी से भय एरेकनोफोबिया (Arachnophobia) घोड़ों से भय इक्यूनोफोबिया (Equinophobia) चिड़यों से भय एबिसोफोबिया (Avisophobia) कृन्तकों से भय रोडेन्टोफोबिया (Rodentophobia) जीवाणुओं से भय माइसोफोबिया (Mysophobia) सॉंपों से भय ओफिडियोफोबि (Ophidiophobia)
  2. वास्तविक वातावरण फोबिया प्रकार (Natural environmenttype phobia) – जब व्यक्ति में फोबिया प्राकृतिक वातावरण में उपस्थित वस्तुओं अथवा उद्दीपकों जैसे कि तूफान, ऊॅंचे स्थान, पानी, नदी, समुद्र की वजह से उत्पन्न होता है तब उसे प्राकृतिक वातावरण फोबिया के अन्तर्गत रखा जाता है। इस फोबिया का प्रारम्भ भी बचपनावस्था से ही होता है। कुछ प्रमुख प्राकृतिक वातावरण फोबिया के प्रकार निम्नांकित हैं- ऑंधी-तूफान से भय ब्रौनटोफोबिया (Brontophobia) ऊॅंचार्इ से भय Single्रोफोबिया (Acrophobia) अॅंधेरा से भय नाइक्टोफोबिया (Nyctophobia) बंद जगहों से भय क्लाऊस्ट्रोफोबिया (Claustrophobia) अकेलापन से भय मोनोफोबिया (Monophobia) आग से भय पायरोफोबिया (Pyrophobia) भीड़ से भय ऑकलोफोबिया (Ochlophobia) हवार्इ जहाज में यात्रा से भय एवियाफोबिया (Aviaophobia) 
  3. रोग And चोट से संबंधित फोबिया प्रकार (Illness and injury phobia) – जब बीमारी, चोट, जख्म या अन्य तरह की शारीरिक परेशानी हो जाने की आशंका मात्र से व्यक्ति में असंगत या अतार्किक भय उत्पन्न हो जाता है तो उसे इस फोबिया के प्रकार के अन्तर्गत रखा जाता है। इस प्रकार की फोबिया में व्यक्ति में चोट लगने, बीमारी हो जाने, अंग-भंग हो जाने की डर युक्त आशंका उत्पन्न हो जाती है। यह फोबिया मुख्य Reseller से मध्यावस्था (middle age) मे होती है। इस प्रकार की फोबिया के प्रमुख उदाहरणों में मृत्यु फोबिया (thanatophobia), कैंसर फोबिया (cancerophobia), And यौनरोग फोबिया (venerophobia) आदि आते हैं। 
  4. रक्त फोबिया (Blood phobia)- रक्त को देखने मात्र से अथवा उन परिस्थितियों में जिनमें रक्त दिखने की संभावना होती है जैसे कि किसी को घाव हो जाने पर, कोर्इ दुर्घटना घट जाने पर, मेडिकल जॉंच, शल्यचिकित्सा, मरहम-पट्टी आदि के कारण उत्पन्न फोबिया को रक्त फोबिया के अन्तर्गत रखा जाता है। मनुष्य की कुलजनसंख्या में से तकरीबन चार से पॉंच प्रतिशत जनसंख्या में रक्त फोबिया पायी जाती है। मनोवैज्ञानिकों के According महिलाओं में पुरूशों की तुलना में रक्त फोबिया के अधिक मामले देखने को मिलते हैं। इसका प्रारम्भ अधिकतर उत्तर बाल्यावस्था में होता है।

(2) एगोराफोबिया – 

एगोराफोबिया फोबिया का Single प्रमुख प्रकार है यह विशेष प्रकार की फोबिया है जिसका संबंध ऐसे सार्वजनिक स्थानों से होता है जहॉं भीड़-भाड़ होती है अथवा बहुत से अजनबी लोग होते हैं And रोगी को यह यकीन होता है कि यदि वह अकेला उन जगहों पर गया तो उसके साथ दुर्घटना घट जाने पर ऐसी जगह पर उसका बचाव संभव नहीं होगा And ना ही उसे कोर्इ जल्दी बचाने ही आ पायेगा। ऐसे सार्वजनिक स्थानों में अथवा आम-जगहों में भीड़ भरे बाजार, मेला, यात्री बस, प्लेन अथवा रेल में सफर, आदि प्रमुख हैं। यह फोबिया पुरूशों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाया जाता है। इसका प्रारंभ प्राय: किशोरावस्था And शुरूआती वयस्कावस्था में होता है। फोबिया के रोगियों में से 60 प्रतिशत केसेज एगारोफोबिया के पाये जाते हैं।

एगारोफोबिया का सीधा संबंध विभीशिका दौरा (पैनिक अटैक, panic attack) जिसे आतंक का हमला भी कहा जा सकता हैनामक चिंता विकृति से है। प्राय: किसी सार्वजनिक स्थान पर विभीशिका दौरे के बार-बार होने पर तथा किसी प्रकार की मदद उपलब्ध नहीं होने पर व्यक्ति में इस प्रकार के सार्वजनिक स्थानों पर जाने की कल्पना मात्र से डर उत्पन्न होने लगता है तथा यह डर फोबिया के Reseller में बदल जाता है। इसके परिणामस्वReseller वह ऐसे किसी भी स्थान पर जाने से बचने की कोशिश करता है। अमेरिकन साइकियेट्रिक एसोसियेशन के मनोविकृति मैन्युअल डी.एस.एम-4 में एगारोफोबिया को को पैनिक अटैक के Single उपप्रकार के Reseller में वर्गीकृत Reseller है तथा इसके दो प्रकारों का वर्णन Reseller है। पैनिक अटैक की वजह से होने वाला एगारोफोबिया And पैनिक अटैक का History रहित एगारोफोबिया। जीवन में कभी पैनिक अटैकन होने की स्थिति में भी जब एगारोफोबिया विकसित हो जाता है तो उसे उपरोक्त Second प्रकार में ही रखा जाता है। एगारोफोबिया में पैनिक अटैक के अन्य लक्षणों के अलावा तनाव, डिजीनेस Meansात् घुमड़ी, थोड़ा-बहुत अवसाद आदि भी देखने को मिलते हैं। आइये अब फोबिया के अन्य प्रकार सामाजिक फोबिया के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

(3) सामाजिक फोबिया –

बहुत से व्यक्तियों में दूसरों से बातचीत करने, अथवा लोगों का सामना करने की परिस्थिति के बारे में सोचने से ही चिंता उत्पन्न होने लगती है। मनोरंजन जगत की प्रसिद्ध गायिका बारबरा स्ट्रीसेन्ड, अभिनेता सर लॉरेन्स ओलीवर, तथा फुटबाल खिलाड़ी रिकी विलियम इन All ने कर्इ साक्षात्कारों में यह खुलासा Reseller कि दर्शकों के समक्ष परफार्मेंस देने से पूर्व उनमें तीव्र चिंता उत्पन्न हो जाती थी। प्रसिद्ध अभिनेता टॉम हैंक And शो-होस्ट डेविड लिटरमैन ने भी जीवन में विभिन्न अवसरों पर जनता के समक्ष होनेपर दर्दभरी चिंतायुक्त शर्म का अनुभव होने की बात बतायी है। लोगों के समक्ष उपस्थित होने पर इस प्रकार की चिंता उत्पन्न होने पर इस प्रकार के लोग इनका सामना करने में प्राय: सक्षम साबित होते हैं। परन्तु इसके विपरीत सामाजिक फोबिया के रोग की स्थिति में इसका उलट परिणाम देखने में आता है। इसमें सामाजिक परिस्थिति जिसमें अपरिचित लोग सम्मिलित हों या दूसरों के द्वारा मूल्यॉंकन किये जाने की संभावना हो आलोचना की संभावना हो, सामाजिक फोबिया उत्पन्न हो जाती है।

सामाजिक फोबिया चिंता विकृति का ही Single प्रमुख प्रकार है इसकी शुरूआत प्राय: किशोरावस्था में होती है क्योंकि किशोरावस्था ही वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति अपनी परिवार से अलग पहचान बनाने की कोशिश करता है तथा इसमें प्राय: उसमें परिवारजनों से अलग चलने की प्रवृत्ति होती है। इस तरह इसी अवस्था में वह समाज के अन्य लोगों से अंत:क्रिया का सामना करता है। यह विकृति पुरूशों And महिलाओं में समान Reseller से पायी जाती है। यह चिंता विकृति अन्य अनेक चिंता विकृतियों के साथ होते पायी जाती है।

फोबिया के कारण 

फोबिया की उत्पत्ति के कारणों पर मनोवैज्ञानिकों And मनोचिकित्सकों के द्वारा काफी गहन अध्ययन Reseller गया है And उसके आधार पर विभिन्न सिद्धान्तों के प्रकाश में उनका विश्लेशण भी Reseller गया है। इस बिन्दु के अन्तर्गत हम चार प्रमुख सिद्धान्तों के प्रकाश में फोबिया उत्पत्ति के कारणों की Discussion करेंगे। ये चार सिद्धान्त हैं-
(1) मनोविश्लेशणात्मक सिद्धान्त (2) संज्ञानात्मक सिद्धान्त (3) जैविक सिद्धान्त (4) व्यवहारात्मक सिद्धान्त
आइये First मनोविश्लेशणात्मक सिद्धान्त के प्रकाश में फोबिया उत्पत्ति के कारणों की Discussion करें।

(1) मनोविश्लेशणात्मक सिद्धान्त आधारित कारण-

मनोविश्लेशणात्मक सिद्धान्त का प्रतिपादन First सिगमण्ड फ्रायड द्वारा Reseller गया था। तथा फ्रायड ही वह First वैज्ञानिक थे जिन्होंने फोबिया के कारणों की मनोगत्यात्मक दृष्टि से व्याख्या की। फ्रायड ने चेतना के विभिन्न स्तरों पर इड (उपाहं), र्इगो (अहॅं) And सुपर र्इगो (पराहं) के बीच होने वाली अंत:क्रिया के परिणामों के आधार पर फोबिया उत्पत्ति की व्याख्या की। उनके According जब व्यक्ति में किन्हीं कारणों से चिंता उत्पन्न होती है तब वह उस चिंता को दूर करने के लिए Single विशेष प्रकार का Safty प्रक्रम (डिफेंस मेकेनिज्म) अपना लेता है। फोबिया भी Single प्रकार का Safty प्रक्रम है। व्यक्ति के मन में उत्पन्न होने वाली चिन्ताओं के मूल में प्राय: इड की अनैतिक इच्छायें होती हैं। अनैतिक इच्छायें वे होती हैं जिन्हें समाज की दृष्टि में घृणित माना जाता है। जब व्यक्ति को यह अहसास होता है कि उसके मन में अनैतिक इच्छायें उत्पन्न हो रही हैं तब उसके मन में चेतना के चेतन स्तर पर चिंता उत्पन्न होने लगती है जिन्हें वह दमित कर बचने का प्रयास करता है जिससे वह मन की गहरार्इ में कहीं अर्धचेतन अथवा अचेतन में प्रतिस्थापित हो जाती है तथा बाद में अवचेतन Reseller में विभिन्न प्रकार की फोबिया का स्वReseller ग्रहण कर लेती है। Second Wordों में व्यवहार में किसी वस्तु अथवा परिस्थिति के प्रति फोबिया के Reseller में सामने आती है।

फ्रायड के According छोटे बच्चों में बहुधा पायी जाने वाली पशु फोबिया बंधियाकरण के अचेतन के डर से संबंधित होती है। बंधियाकरण के बारे में फ्रायड के मनोविश्लेशणात्मक सिद्धान्त का अध्ययन कर इसके बारे में आप विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं। इनका मत था कि जब अचेतन लैंगिक इच्छाएॅं चेतन में प्रवेश करने की कोशिश करती हैं, तो र्इगों इन अनैतिक इच्छाओं के वजह से उत्पन्न चिंता को किसी Second वस्तु या उद्दीपक पर स्थानान्तरित कर देता है जो फिर बाद में वास्तव में खतरनाक जैसा प्रतीत होता है। तथा व्यक्ति में फोबिया उत्पन्न हो जाती है। फोबिया पर संज्ञानात्मक विचारधारा को मानने वाले मनोवैज्ञानिकों ने भी अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट Reseller है। आइये संज्ञानात्मक दृष्टि से फोबिया के कारणों को समझें।

(2) संज्ञानात्मक सिद्धान्त आधारित कारण –

संज्ञानात्मक विचार धारा के According किसी भी प्रकार की मनोविकृति के उत्पन्न होने का कारण उसके विचार, विश्वास And पूर्वकल्पनाओं में समाहित रहता है। विचारों का स्वReseller, विश्वासों की विवेकपूर्णता And पूर्वकल्पनाओं की विषयवस्तु का मनोविकृति होने में अहम् भूमिका होती है। फोबिया की All परिभाषाओं में अतार्किक भय And जिन्दगी के प्रति खतरे की आशंका पर सर्वाधिक जोर दिया गया है। भय की अतार्किकता And खतरे का अनुमान अथवा वास्तविक या अवास्तविक मूल्यॉंकन दोनों ही संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं से संबंधित हैं। व्यक्ति का अवधान, प्रत्यक्षण, संप्रत्यय Creation उनकी समझ तथा सोचने विचारने की प्रक्रिया ये All संज्ञानात्मक प्रक्रियायें हैं। जब इन मानसिक प्रक्रियाओं की दिशा सकारात्मक की अपेक्षा सार्थक Reseller से नकारात्मक हो जाती है तब व्यक्ति का अनुमान उसके निर्णय गलत होने लगते हैं। वह गलत विचारों And विश्वासों के साथ अपने मन को मिला लेता है परिणाम स्वReseller दुविधा, आशंका उसके मन का घेर लेती हैं And Single प्रकार का आन्तरिक चेतनागत भय उसमें व्याप्त हो जाता है जो व्यक्ति विशेष, वस्तु विशेष अथवा परिस्थिति विशेष के प्रति फोबिया के Reseller में उत्पन्न होने लगता है।

संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं में सूचना संधाधन की प्रक्रिया Single अत्यन्त ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो कि निर्णय लेने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि फोबिया विकृति से ग्रस्त व्यक्ति परिस्थितियों को या उनसे मिलने वाली सूचनाओं को इस ढंग से संसाधित करते हैं कि उससे उनकी फोबिया और भी अधिक मजबूत हो जाती है। निश्चय ही यह संसाधित करने का ढंग नकारात्मक होता है तथा व्यक्ति को उसके विघटन की दिशा में अग्रसारित कर देता है।

(3) जैविक सिद्धान्त आधारित कारण-

जैविक सिद्धान्तों में व्यक्ति की मनोविकृति And फोबिया के लिए दैहिक And जैविक कारकों पर अधिक बल दिया जाता है। जैव मनोवैज्ञानिकों के According Single ही तरह के तनाव And चिंता वाली परिस्थितियों से घिरे होने पर भी कुछ व्यक्ति फोबिया से ग्रस्त हो जाते हैं And कुछ ग्रस्त नहीं होते । इसके कारण के Reseller में ये वैज्ञानिक जैविक प्रकार्यों के ठीक ढंग से सम्पन्न नहीं हो पाने को जिम्मेदार ठहराते हैं। इन जैविक कारकों में स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम) तथा आनुवांशिक कारक (जेनेटिक फैक्टर) सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र जब प्रर्यावरणीय कारणों से बहुत जल्दी उत्तेजित होने लगता है तब स्वायत्त अस्थिरता उत्पन्न होती है। स्वायत्त अस्थिरता वाले मानसिक रोगियों में फोबिया के सर्वाधिक लक्षण पाये जाते हैं। वैज्ञानिक गैबी के According स्वायत्त अस्थिरता काफी हद तक आनुवांशिक Reseller से निर्धारित होती है अतएव फोबिया में आनुवांशिक कारक भी महत्वपूर्ण होते हैं। कुछ ऐसे अध्ययन हुए हैं

जो स्पष्ट Reseller से प्रमाणित करते हैं कि फोबिया होने की संभावना उन व्यक्तियों में अधिक होती है जिनके माता-पिता तथा तुल्य संबंधियों में इस तरह की विकृति पूर्व में उत्पन्न हो चुकी हो। हैरिस And उनके सहयोगियों (1983) के द्वारा किये गये Single अध्ययन के According ऐसे व्यक्ति जिनको एगारोफोबिया हो चुका है उनके आनुवांशिक Reseller से अति निकट संबंधियों में आनुवांशिक Reseller से दूर के संबंधियों की अपेक्षा एगारोफोबिया के होने की संभावना सार्थक Reseller से अधिक पायी जाती है। वैज्ञानिक टौरग्रेसन (1983) ने भी अपने अध्ययन में यह स्पष्ट Reseller है कि Singleांगी जुड़वॉं बच्चों में भ्रातीय जुड़वॉं बच्चों की तुलना में एगोराफोबिया की सुसंगतता दर अधिक होती है। उपरोक्त अध्ययन हमें इस निष्कर्ष पर पहुॅंचने पर मजबूर करते हैं कि फोबिया के अध्ययन में जैविक कारकों की भी अहम् भूमिका होती है।

उपरोक्त All विचारधारायें And सिद्धान्त फोबिया की व्याख्या अपने अपने तरीके से करते हैं परन्तु वैज्ञानिक अध्ययनो के द्वारा सर्वाधिक समर्थन फोबिया की व्यवहारवादी व्याख्या को मिला है जिसका वर्णन है।

(4) व्यवहार सिद्धान्त पर आधारित कारण – 

व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों जैसे कि वॉल्फे And किंग का मत है कि फोबिया के रोगी First किसी वस्तु, परिस्थिति से अथवा अनुबंधन की प्रक्रिया के द्वारा डरना सीखते हैं। And जब Single बार इनके प्रति या प्रक्रिया से उसके मन में डर बैठ जाता है तक उससे बचने की प्रक्रिया के Reseller में वह उस वस्तु And परिस्थिति से बचने के कोशिश करने लगता है And बचने के तरीके अपनाने लगता है। हालॉंकि इससे प्रकारान्तर में यह विशेष भय उसे और अधिक अपनी गिरफ्त में ले लेता है। Second Wordों में परिहारी व्यहार अपनाने से फोबिया या अतार्किक भय और अधिक बढ़ जाता है।

उपरोक्त व्याख्या से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति में फोबिया उत्पन्न होने का मुख्य कारण दोशपूर्ण सीखना होता है। इस दोशपूर्ण सीखना की व्याख्या निम्नांकित है – मनोवैज्ञानिकों के According इस बात के कर्इ प्रमाण हैं कि क्लासिकी अनुबंधन के द्वारा किसी भी व्यक्ति को डरना And उसी प्रकार नहीं डरना सिखलाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक वाटसन And रेनर ने अपने Single प्रसिद्ध प्रयोग में Single छोटे बच्चे एलबर्ट को सफेद चूहों से डरना सिखलाया। इस प्रयोग में वाटसन ने First तो कुछ सप्ताह तक एलबर्ट को सफेद चूहे के साथ खेलने And खुशी मनाने का मौका दिया। परन्तु उसके बाद प्रयोग के तौर पर जब एलबर्ट चूहे के पास गया तो उसके पीछे स्टील की छड़ से जोर की भय उत्पन्न करने वाली आवाज की गयी। इससे एलबर्ट घबराकर डर गया। इसके बाद यही प्रयोग एलबर्ट के साथ बार बार दोहराया गया And परिणामस्वReseller एलबर्ट ने सीखने के युग्म सिद्धान्त के तहत सफेद चूहे की उपस्थिति में उससे डरना सीख लिया। बाद में उसका यह डर सामान्यीकरण की प्रक्रिया के तहत अन्य अनेक सफेद चीजों जैसे कि फर, रूर्इ, खरगोश आदि से भी उत्पन्न होने लगा।

अनुबंधन के अलावा व्यवहार सीखने के Single प्रमुख सिद्धान्त ‘मॉडलिंग’ के द्वारा भी भय को सीखने की व्याख्या की गयी है। मॉडलिंग के सिद्धान्त का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक एलबर्ट बन्डूरा (1966) द्वारा Reseller गया है। इसके According अन्य लोगों को किसी विशेष प्रकार की वस्तु, परिस्थिति अथवा घटना से डरता देखकर अन्य व्यक्ति भी डरना सीख जाते हैं बशर्ते वह वस्तु, परिस्थिति, घटना अथवा डरने वाले व्यक्ति का उनके लिए मूल्य हो अथवा उनसे वे प्रभावित होते हों।

भले ही व्यवहारात्मक सिद्धान्तों And आधारित अध्ययनों को फोबिया की मुकम्मल व्याख्या के लिए सर्वाधिक समर्थन प्राप्त हुआ हो परन्तु उपरोक्त प्रयोगों की वैधता हेतु किए गए कुछ प्रयोगों में क्लासिकी अनुबंधन के तहत अथवा मॉडलिंग के द्वारा भय उत्पन्न नहीं Reseller जा सका है जिससे इन व्याख्याओं के निर्दोश होने की संभावना कम हो जाती है। अभी तक आपने फोबिया की उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्तों की व्याख्या द्वारा फोबिया की उत्पत्ति के कारणों को समझा है आइये अब इससे निपटने के तरीकों की Discussion करें।

फोबिया का उपचार

प्रत्येक सैद्धान्तिक मॉडल अपने अपने तरीके से फोबिया के उपचार की विधियों का वर्णन And व्याख्या करता है तथा इनकी प्रभावशीलता के समर्थन पर जोर देता है। किन्तु इन All सैद्धान्तिक मॉडलों में जिस मॉडल की विधियों सर्वाधिक सफल And प्रभावशाली सिद्ध हुयी हैं वह फोबिया के उपचार का व्यावहारिक मॉडल है। वस्तुत: फोबिया के विभिन्न प्रकारों में भी विशिष्ट फोबिया के उपचार में इसकी सफलता का दायरा अन्य सैद्धान्तिक मॉडल आधारित प्रविधियों की तुलना में कहीं अधिक व्यापक पाया गया है।

(1) विशिष्ट फोबिया का उपचार – 

विशिष्ट फोबिया के उपचार में Single्सपोजर तकनीकें सर्वाधिक सफल साबित हुर्इ हैं। इन Single्सपोजर तकनीकों में असंवेदीकरण (डीसेन्सिटाइजेशन), फ्लडिंग And मॉडलिंग प्रमुख हैं। चूॅंकि इन All तकनीकों में व्यक्ति को डर उत्पन्न करने वाले उद्दीपक के सम्मुख Single्सपोज Reseller जाता है अतएव इन्हें सम्मिलित Reseller से Single्सपोजर तकनीक के अन्तर्गत रखा जाता है।

क्रमबद्ध असंवेदीकरण (सिस्टमेटिक डीसेन्सटाइजेशन) – इस तकनीक का विकास जोसेफ वोल्पे द्वारा Reseller गया है। इस तकनीक के द्वारा जिन व्यक्तियों का इलाज Reseller जाता है उन्हें क्रमानुसार धीरे धीरे चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से सामना कर भय से मुक्त होना सिखलाया जाता है। इसके अन्तर्गत First व्यक्ति द्वारा चिकित्सक की सहायता से भय उत्पन्न्न करने वाली परिस्थिति से जुड़ी All घटनाओं को क्रमानुसार सर्वाधिक न्यून भय उत्पन्न करने वाली घटना से लेकर अधिकतम भय उत्पन्न करने वाली घटना के क्रम में व्यवस्थित कर सारणी विनिर्मित की जाती है। इसके उपरान्त द्वितीय चरण में इन All घटनाओं से होने वाले भय से मुक्त होने की प्रक्रिया के Reseller में पेशीय शिथिलीकरण (मसल्स रिलेक्सेशन) का अभ्यास कराया जाता है। वोल्पे के According चूॅंकि भय And रिलेक्स अवस्था दोनों Single ही समय पर साथ-साथ नहीं हो सकते हैं। अतएव Single की अनुपस्थिति में दूसरा उसके स्थानापन्न का Reseller ले लेता है। इस सिद्धान्त को वोल्पे ने रेसीप्रोकल इन्हिबिशन प्रिंसिपल का नाम दिया। इसी के आधार पर वोल्पे ने कहा कि यदि फोबिया से पीड़ित व्यक्ति को सीखने के क्लासिकी अनुबंधन के माध्यम से डर उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से रिलेक्स अवस्था को युग्मित करना सिखला दिया जाये तो वह चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से नहीं डरना सीख जायेगा तथा यह उसके व्यवहार में Single सकारात्मक And स्वास्थ्यपरक परिवर्तन होगा। परन्तु इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति को रिलेक्स करना आता हो। अतएव वोल्पे ने पेशीय शिथिलीकरण के प्रशिक्षण पर जोर दिया। क्रमबद्ध असंवेदीकरण की इस प्रक्रिया के अन्तर्गत पेशीय शिथिलीकरण का अभ्यास हो जाने के बाद रोगी को भय सारणी में described First परिस्थिति सामने Single्सपोज Reseller जाता है। फोबिया के रोगी में परिस्थिति से सामना होते ही भय उत्पन्न होने लगता है इसी समय पर उसे पेशीय शिथिलीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए चिकित्सक द्वारा निर्देश दिया जाता है इसका बार बार अभ्यास करने पर उक्त परिस्थिति से व्यक्ति भयमुक्त होना सीख जाता है। इसके उपरान्त भय सारणी में described दूसरी परिस्थिति में व्यक्ति को भयमुक्त होने के लिए पेशीय शिथिलीकरण का अभ्यास कराया जाता है, And यह प्रक्रिया भय सारणी में लिखित अधिकतम भय उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से भयमुक्त होने तक चलती रहती है।

क्रमबद्ध असंवेदीकरण की यह प्रविधि दो प्रकार से उपयोग में लायी जा सकती है। First इन विवो डीसेन्सिटाइजेशन के Reseller में And द्वितीय कोवर्ट डीसेन्सिटाइजेशन के Reseller में। इन विवो डीसेन्सिटाइजेशन में व्यक्ति को चिंता-भय उत्पन्न करने वाली वास्तविक परिस्थिति अथवा उद्दीपक का सामना करना पड़ता है, तथा कोवर्ट डीसेन्सिटाइजेशन में यह प्रक्रिया कल्पना के माध्यम से पूरी की जाती है। इसके अन्तर्गत चिकित्सक द्वारा चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति का काल्पनिक चित्रण Reseller जाता है तथा भय उत्पन्न होने पर रोगी को पेशीय शिथिलीकरण का अभ्यास करने को कहा जाता है। दोनों ही प्रकार की विधियों में व्यक्ति क्रमबद्ध Reseller से भय उत्पन्न करने वाली प्रत्येक परिस्थिति से भय मुक्त होना सीखता है तथा असंवेदीकरण के कर्इ सत्र होने के उपरान्त वह फोबिया से पूरी तरह मुक्त हो जाता है।

फ्लडिंग – विशिष्ट फोबिया से निपटने की इस विधि में क्रमबद्ध असंवेदीकरण की प्रक्रिया से उलट प्रक्रिया अपनायी जाती है इस विधि में अधिकतम चिंता-भय उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में व्यक्ति को Single्सपोज कर दिया जाता है तथा उसे तब तक उस परिस्थिति में रहना पड़ता है जब तक कि उसके भय का स्तर कम न हो जाये। इस विधि में रोगी को किसी भी प्रकार के शिथिलीकरण का अभ्यास नहीं कराया जाता है। यह विधि इस सिद्धान्त पर कार्य करती है कि जब व्यक्तियों को भय उत्पन्न करने वाली परिस्थिति से बार बार यथोचित समय तक सामना कराया जाता है तथा जब उसे उससे कोर्इ हानि नहीं होती है तब व्यक्ति यह समझ जाता है तथा अनुभव कर लेता है कि चिंता उत्पन्न करने वाली यह परिस्थिति के प्रति उसका नजरिया तार्किक Reseller से गलत था तथा यह परिस्थिति उतनी हानिकारक अथवा खतरनाक नहीं है जितना वह उसे समझता है। चूॅंकि इस विधि में रोगी को अधिकतम भय उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में प्रारम्भ में ही सामना करा दिया जाता है अतएव इस प्रकार वह व्यक्ति भय की बाढ़ से घिर जाता है इसीलिए इस विधि को फ्लडिंग नाम से पुकारा जाता है। इस विधि में वास्तविक And काल्पनिक दोनों ही प्रकार की चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति का उपयोग चिकित्सा हेतु Reseller जा सकता है।

मॉडलिंग – इस विधि में उपरोक्त दोनों ही विधियों से भिन्न प्रकार का तरीका फोबिया के उपचार हेतु अपनाया जाता है। इस विधि में रोगी के बजाय First चिकित्सक फोबिया उत्पन्न करने वाली परिस्थिति का सामना करता है। वह रोगी को चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति के सम्मुख उपस्थित हो निडर रहकर उसका सामना करना सिखलाता है। इसके अन्तर्गत चिकित्सक वास्तव में रोगी के सम्मुख Single मॉडल की भूमिका निभाता है अतएव इस विधि को मॉडलिंग नाम दिया गया है। इस विधि का प्रतिपादन अल्बर्ट बण्डूरा द्वारा Reseller गया है। चिकित्सक द्वारा चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में मॉडलिंग कर निडर रहना प्रदर्शित करने के उपरान्त रोगी को भी वैसा ही व्यवहार उक्त परिस्थिति में करने के लिए निर्देशित Reseller जाता है। बार बाद इसका अभ्यास करने के परिणामस्वReseller रोगी फोबिया से मुक्त हो जाता है। यह विधि भी दो प्रकार से इस्तेमाल में लायी जाती है। पार्टिसिपेन्ट मॉडलिंग And नॉन पार्टिसिपेन्ट-ऑब्जरवेशनल मॉडलिंग। नॉन पार्टिसिपेन्ट-ऑब्जरवेशनल मॉडलिंग में व्यक्ति केवल चिकित्सक के प्रदर्शन को बार-बार देखकर ही यह धारणा विनिर्मित करता है कि उसका भय आधारहीन है, And वास्तव में परिस्थिति इतनी हानिकारक नहीं है जितना कि उसने समझा था।

(2) एगोराफोबिया का उपचार – 

एगोराफोबिया के उपचार में मनोचिकित्सक बहुत वर्षों बाद भी कोर्इ बहुत गहरी छाप नहीं छोड़ पाये हैं जिससे यह कहा जा सके कि विशिष्ट फोबिया के समान ही एगोराफोबिया का उपचार की भी सफल तकनीक खोजी जा चुकी है। हालॉंकि अपना घर से बाहर निकलकर सार्वजनिक स्थल पर हो सकने वाली परेशानी के अनुमानित भय के इस फोबिया के उपचार हेतु ऐसी कर्इ प्रविधियों का विकास Reseller जा चुका है जिनसे पूरी तरह नही तो काफी हद तक इस चिंता को कम Reseller जा सकता है। इन प्रविधियों के विकास में भी व्यवहारवादी चिकित्सक ही अग्रगामी रहे हैं And उन्होंने इस फोबिया के उपचार के लिए Single्सपोजर तकनीक का उपयोग Reseller है। इसके अन्तर्गत चिकित्सक रोगी को उसके घर से क्रमिक Reseller से कदम दर कदम बाहर निकलने के लिए प्र्रेरित करते हैं तथा धीरे-धीरे सार्वजनिक स्थल तक ले जाते हैं। इस हेतु चिकित्सक बहुत बार सपोर्ट And रीजनिंग का भी प्रयोग करते हैं।

एगारोफोबिया के उपचार हेतु उपयोग की जाने वाली Single्सपोजर तकनीक के साथ कुछ अन्य विशेष युक्तियों को भी समावेशित Reseller जाता है, इनमें सपोर्ट गु्रप And होम बेस्ड सेल्फ-हेल्प प्रोग्राम का उपयोग रोगी को स्वयं के उपचार हेतु हरसंभव प्रयास करने हेतु अभिप्रेरित करने के लिए Reseller जाता है।

सपोर्ट ग्रुप एप्रोच की विधि में एगारोफोबिया से ग्रस्त लोगों का Single छोटा समूह Single साथ Single्सपोजर सत्र हेतु घर से बाहर निकलता है यह सत्र कर्इ घंटों तक चलता है। इस दौरान समूह के सदस्य Single Second को सपोर्ट करते हैं And अंतत: उनके Single Second साथ दो दो के समूह बन जाते हैं जो कि अब समूह की Safty से बाहर निकलकर Single्सपोजर टास्क को अपने आप परफार्म करते हैं।

होम बेस्ड सेल्फ-हेल्प प्रोग्राम में क्लीनिशियन रोगी And उसके परिवार वालों को Single्सपोजर थेरेपी को स्वयं निश्पादित करने हेतु निर्देश देता है। तकरीबन 60 से लेकर 80 प्रतिशत तक एगारोफोबिया के रोगी इन चिकित्सा विधियों के माध्यम से घर से बाहर सार्वजनिक स्थल तक जा पाने में समर्थ होते हैं And उनकी यह सुधरी दशा काफी लम्बे समय तक कायम रहती है। वस्तुत: यह पाया गया है कि इन चिकित्सा विधियों के प्रभाव पूर्णता को प्राप्त नहीं होता है बल्कि आंशिक होता है। अतएव दुर्भाग्य से एगारोफोबिया के पुन: प्रभावी हो जाने की संभावना सदैव बनी रहती है। And बहुत से रोगी इससे पुन: पीड़ित हो जाते हैं। हालॉंकि इन रोगियों को पुन: उपचार देने पर यह बहुत शीघ्र ही एगारोफोबिया से उबर जाते हैं।

(3) सामाजिक फोबिया (सोशियल फोबिया) का उपचार – 

रोजेनबर्ग And उनके सहयोगियों के According पिछले 15 वर्षों में ही सामाजिक फोबिया के उपचार में मनोचिकित्सक सफलता प्राप्त कर पाये हैं उससे पूर्व तो इसके उपचार के बारे में सोचना भी असंभव सा प्रतीत होता था। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बेक के According इसके दो प्रमुख कारण हैं कि इन पिछले वर्षों में मनोवैज्ञानिक दो महत्वपूर्ण बातें काफी हद तक समझ चुके हैं जिनमें पहली यह है कि सोशियल फोबिया के रोगी में भय उफान पर होता है। And दूसरी यह कि इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों बातचीत शुरू करने की कुशलता की कमी होती है, अपनी जरूरतें दूसरों को बता नहीं पाते And दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। इन बातों से परिचित हो जाने के उपरान्त आज के चिकित्सक रोगियों को इन कौशलों का प्रशिक्षण देने के साथ साथ First उफनते भय का कम करने पर जोर देते हैं And उपचार में आशातीत सफलता प्राप्त करते हैं।

मनोवैज्ञानिक रविन्द्रन And स्टीन के According सामाजिक फोबिया को कम करने में एन्टी-एन्जाइटी ड्रग्स And बेन्जाडाइएजोपीन की तुलना में एन्टी-डिप्रेसेन्ट ड्रग्स काफी कारगर साबित होती हैं। इसके अलावा साइकोथेरेपी की कर्इ विधियॉं भी इन ड्रग्स के समान ही कारगर सिद्ध हुर्इ हैं। शोध मनोवैज्ञानिक अबरामोविट्ज के According उन रोगियों में जिन्हें एन्टी-डिप्रेसेन्ट ड्रग्स साइकोथेरेपी के साथ प्रदान की जाती है उनमें इस सामाजिक फोबिया से पुन: पीड़ित होने की संभावना केवल ड्रग्स लेने वाले रोगियों की तुलना में न के बराबर होती है। सामाजिक फोबिया के इलाज के लिए जिन साइकोथेरेपी प्रविधियों का सर्वाधिक प्रयोग Reseller जाता है उनमें Single्सपोजर थेरेपी And कॉग्निटिव थेरेपी प्रमुख हैं। Single्सपोजर थेरेपी के अन्तर्गत सिस्टमेटिक डीसेन्सिटाइजेशन तकनीक का सर्वाधिक प्रयोग Reseller जाता है। And कॉग्निटिव थेरेपी में व्यक्ति के नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से प्रतिस्थापित कर उसके विश्वासों को मजबूत बनाने पर जोर दिया जाता है। प्रसिद्ध संज्ञानात्मक चिकित्सक एलबर्ट एलिस ने सोशियल फोबिया के उपचार में रेशनल-इमोटिव थेरेपी का सफलता पूर्वक इस्तेमाल Reseller है।

सामाजिक फोबिया को पूरी तरह दूर करने के लिए चिकित्सकों द्वारा व्यावहारिक कुशलताओं के प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है। इस हेतु कर्इ तकनीकों का उपयोग Reseller जाता हैं। इनमें मॉडलिंग, रिहर्सल, पुनर्बलन, फीडबैक And एसर्टिवनेस ट्रेनिंग प्रमुख है।

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