पीईआरटी और सीपीएम की अवधारणा

पीईआरटी और सीपीएम की अवधारणा

By Bandey

अनुक्रम

पीईआरटी और सीपीएम मूलत: क्रांतिक पथ विधि (CPM) तथा कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) प्रोजेक्ट प्रबंधन तकनीके हैं। जोकि पश्चिमी औद्योगिक तथा सैन्य स्थापना के लिए नियोजित की गई किन्तु अब इनका उपयोग शैक्षिक प्रबंधन में भी Reseller जा रहा है।

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (पीईआरटी)

कार्यक्रम मूल्यांकन और समीक्षा तकनीक की अवधारणा

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक, प्रबंधन की Single विधि है, जिसमें संगठन में कार्यरत लोगों के क्रियाकलापों अधिकतम लागत तथा कम से कम समय में योजना को कार्यान्वित Reseller जाता है। पीईआरटी प्रत्येक क्रियाकलापों में व्यय होने वाले समय, उसमें लगने वाली लागत तथा शेष कार्यक्रम को पूरा करने में लगने वाले समय तथा लागत पर विशेष बल देता है।


कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) का उपयोग First 1958 में पोलेरिस मिसाइल प्रणाली में अमरीकी नेवी के विशिश् प्रोजेक्ट कार्यालय में Reseller गया। परम्परागत तकनीके जैसे-लाइन ऑफ बेलेन्स, गाट चाट्र्स तथा अन्य प्रणालिया विशेष Safty कारणों से हटा दी गई तथा कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) का उपयोग आरम्भ Reseller गया। कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (पीईआरटी) Single समाकलित प्रोजेक्ट प्रबंधन प्रणाली है।

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक की विशेषताएँ

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) किसी भी प्रोजेक्ट में उपयोग होने वाली गतिविधियों में लगने वाले समय पर केन्द्रित होती है। Single जटिल कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) नेटवर्क में बहुत से क्रियाकलाप तथा घटनाए सम्मिलित होती हैं। इवेंट का Means है, किसी निश्चित समय में Single कार्यक्रम को पूर्ण Reseller से कार्यान्वित करना जबकि क्रियाकलाप से अभिप्राय है Single इवेंट को पूरा करने में उपयोग किये गए संसाधन तथा समय। अत: जब क्रियाकलाप तथा इवेंट पूर्ण Reseller से ज्ञात हों, तो इवेंट की प्रक्रिया तथा प्रगति उचित तरीके से मूल्यांकित की जा सकती है तथा प्रोजेक्ट ठीक प्रकार से कार्यान्वित हो सकता है।

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) के उपयोग का प्रमुख अंग है तीन पूर्वानुमान। ये तीन पूर्वानुमान (i) ऑप्टिमिस्टिक (ii) पेसिमिस्टिक (iii) मोस्ट लाइकली।

सामान्यत: ऑप्टिमिस्टिक पूर्वानुमान वह न्यूनतम समय है, जो क्रियाकलाप को पूरा करने में लगता है, वहीं दूसरी ओर पैसिमिस्टिक पूर्वानुमान वह अधिकतम समय है, जो इवेंट को पूरा करने में लगेगा। तीसरा और अंतिम पूर्वानुमान है, मोस्ट लाइकली, जो वास्तविकता में Single इवेंट को पूरा करने में लगने वाला समय है। इसके अतिरिक्त दो अन्य तत्व भी कार्यक्रम मूल्यांकन समीक्षा तकनीक (PERT) में सम्मिलित हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं (i) स्लैक समय तथा (ii) वन्तिक पथ। कार्यक्रम मूल्यांकन समीक्षा तकनीक (PERT) का फॉर्मूला है:-

T= प्रोजेक्ट को पूर्ण होने में लगने वाला समय

A= ऑप्टिमिस्टिक पूर्वानुमान

M= मोस्ट लाइकली पूर्वानुमान

B= पैसिमिस्टिक पूर्वानुमान

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) पफॉर्मूले में यदि अंकों का प्रयोग Reseller जाये तो प्रोजेक्ट को पूर्ण होने में लगने वाले वास्तविक समय का पता लगाया जा सकता है। जैसे-A = 7 सप्ताह, मोस्ट लाइकली समय = 11 सप्ताह, B पैसिमिस्टिक समय = 15 सप्ताह।

Single बार जब अनुमानित समय की गणना हो जाती है, तो वन्तिक पथ भी आसानी से निकाला जा सकता है। बहुत से कारक जैसे-कार्यरत लोगों की अनुपस्थिति, बीमारी, अवकाश, हड़ताल तथा कार्यक्षमता पर प्रभाव डालते हैं। कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) के नेटवर्क द्वारा इन परिस्थितियों में भी कार्यप्रणाली को सुचारू Reseller से चलाने के लिए कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) नेटवर्क बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक के लाभ

कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) के  लाभ हैं-

  1. कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसमें तीन पूर्वानुमान समय प्रक्रियाए सम्मिलित हैं, जो प्रोजेक्ट में आ रही कठिनाइयों को पहचानने में सहायता करती हैं।
  2. प्रबंधक PERT नेटवर्क के नवीनतम कम्प्यूटर तकनीक का उपयोग करके यह जान लेते हैं, किस प्रोजेक्ट को किस प्रकार नियोजित करना है।
  3. जब प्रबंधाक Single बार कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) तकनीक की सहायता से Single प्रोजेक्ट में प्रयुक्त समय तथा लागत का पूर्वानुमान कर लेते हैं, उन्हें Second प्रोजेक्ट के लिए अनुभव तथा आकड़े प्राप्त हो जाते हैं वे उसे आसानी से कार्यान्वित कर लेते हैं।

क्रांतिक पथ विधि (सीपीएम)

क्रांतिक पथ विधि की अवधारणा

क्रांतिक पथ विधि (CPM) प्रोजेक्ट प्रबंधन के नियोजन तथा शिड्यूलिंग का गणितीय क्रमिक नेटवर्क है। यह First 1957 में ‘ई.आई. डू पॉण्ट दि नेमॉर्स एण्ड कम्पनी’ द्वारा प्रयुक्त Reseller गया। यह Single नेटवर्क चित्र है जो प्रोजेक्ट के All क्रियाकलापों को चित्रित करता है। क्रांतिक पथ विधि (CPM) प्रोजेक्ट के क्रांतिक क्रियाकलापों को पहचानकर, उन्हें प्रोजेक्ट को दिये हुए समय के अंदर समाप्त करने में सहायता करता है।

क्रांतिक पथ विधि की विशेषताएँ

क्रांतिक पथ विधि (CPM) किसी प्रोजेक्ट की गतिविधियों तथा घटनाओं को प्रबंधक के समक्ष प्रस्तुत करता है। इसकी प्रमुख विशेषताए हैं-

  1. यह प्रोजेक्ट का ग्राफिकल व्यू उपलब्ध कराता है।
  2. प्रोजेक्ट विशेष को पूरा करने में लगने वाले समय का पूर्वानुमान करता है।
  3. कौन सा क्रियाकलाप किस स्थिति पर आवश्यक है और किस पर नहीं, पूर्ण जानकारी देता है।

क्रांतिक पथ विधि की प्रक्रिया

  1. प्रत्येक क्रियाकलाप को पहचानना।
  2. इन क्रियाकलापों को क्रमिक Reseller से व्यवस्थित करना।
  3. नेटवर्क डायग्राम बनाना।
  4. प्रत्येक क्रियाकलाप के पूरे होने में लगने वाले समय का पूर्वानुमान लगाना।
  5. क्रांतिक पथ को पहचानना तथा बनाना।
  6. प्रोजेक्ट को पूरा होने के प्रत्येक चरण पर क्रांतिक पथ विधि (CPM) डायग्राम को अपडेट करना।

(i) प्रत्येक क्रियाकलाप को पहचानना-क्रांतिक पथ विधि (CPM) प्रोजेक्ट का पहला चरण प्रोजेक्ट की प्रत्येक गतिविधि तथा क्रियाकलाप की सूची तैयार करना होता है। यह सूची आगे के चरणों में समय सीमा तथा प्रत्येक गतिविधि को पूर्ण करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

(ii) इन क्रियाकलापों को व्मिक Reseller से व्यवस्थित करना-कुछ क्रियाकलाप Single Second पर निर्भर होते हैं, Meansात् Single क्रियाकलाप First वाले क्रियाकलाप के बाद ही आरम्भ Reseller जा सकता है। इसलिए इन कार्यो का क्रम बनाना नितान्त आवश्यक होता है। क्रांतिक पथ विधि (CPM) नेटवर्क बनाने में इनका क्रम बनाना उपयोगी सिद्ध होता है।

(iii) नेटवर्क डायग्राम बनाना-Single बार जब क्रियाकलापों की सूची बन जाती है तथा उन्हें व्मिक Reseller में व्यवस्थित कर लिया जाता है, तो नेटवर्क डायग्राम बनाया जाता है। क्रांतिक पथ विधि (CPM) मूलत: AON नेटवर्क द्वारा विकसित Reseller जाता है, किन्तु कुछ नियोजन (Activity on Network) पर भी इसे विकसित करते हैं।

(vi) प्रत्येक क्रियाकलापों के पूरे होने में लगने वाले समय का पूर्वानुमान लगाना-प्रत्येक क्रियाकलाप को पूरा करने में अलग-अलग समय लगता है, अल्पावधि क्रियाकलापों में कम समय तथा दीर्घावधि क्रियाकलापों में अधिक समय लगता है। यह समय पूर्वानुमान अनुभवी व्यक्तियों द्वारा Reseller जाता है। क्रांतिक पथ विधि (CPM) Single निर्धारिक मॉडल होता है, जिसमें Single बार Single क्रियाकलाप को पूरा करने में लगने वाले समय में बार-बार परिवर्तन नहीं Reseller जा सकता है, इसलिए समय निर्धारण के लिए Single बार समय सैट Reseller जाता है।

(v) क्रांतिक पथ को पहचानना तथा बनाना-क्रांतिक पथ विधि (CPM) दीर्घावधि पथ है। क्रांतिक पथ द्वारा प्रत्येक क्रियाकलाप को चार पैरामीटर में विभाजित Reseller जा सकता है।

  1. ES-अरलिएस्ट स्टार्ट टाइम (सबसे आरंभिक समय)-यह वह समय है, जिसमें क्रियाकलाप को आरंभ Reseller जा सकता है।
  2. EF-अरलिएस्ट पिफनिश टाइम- इसमें आरंभिक समय में वह समय जोड़ दिया जाता है, जो क्रियाकलाप को पूरा करने में लगता है।
  3. LF-लेटेस्ट पिफनिश टाइम-यह तत्काल समय है जो प्रोजेक्ट को बिना देर किये समय पर करने के लिए आवश्यक है।
  4. LS- लेटेस्ट स्टार्ट टाइम-इस समय में लेटेस्ट पिफनिश समय में से वह समय घटा दिया जाता है, जो क्रियाकलाप को पूर्ण होने में लगता है।
  5. Ls- डायग्राम को अपडेट करना-जैसे-जैसे प्रोजेक्ट प्रगति की ओर बढ़ता है तो क्रियाकलाप को पूर्ण होने में लगने वाला वास्तविक समय पता चल जाता है, तथा जो गतिविधि समाप्त हो जाती है, वहा तक कि सूचना से क्रांतिक पथ विधि को अपडेट कर दिया जाता है। यदि प्रोजेक्ट में नए परिवर्तन आते हैं, तो क्रांतिक पथ विधि में भी परिवर्तन आवश्यक होते हैं।

क्रांतिक पथ विधि के लाभ

क्रांतिक पथ विधि (CPM) के लाभ हैं-

  1. क्रांतिक पथ विधि प्रोजेक्ट के नियोजन तथा प्रबंधन में Single तर्कपूर्ण नियंत्रण स्थापित करता है।
  2. CPM की दीर्घावधि तथा विस्तृत नियोजन को प्रेरित करता है।
  3. क्रांतिक पथ विधि (CPM) की सहायता से All प्रोजेक्ट विशेषज्ञ पूरे प्रोजेक्ट का पूर्ण ब्यौरा जान लेते हैं।
  4. CPM पूरे प्रोजेक्ट योजना को नियंत्रित ढंग से पूर्ण करने, समय तथा लागत को ठीक ढंग से कार्यान्वित करने की Single मानक विधि है।
  5. इसकी सहायता से पूरे प्रोजेक्ट संCreation को प्रभावित करने वाले तकनीकी परिवर्तनों के मूल्यांकन में सहायता करता है।
  6. यह प्रोजेक्ट को पूरा करने वाली सबसे महत्वपूर्ण तथा सस्ती विधि है।

क्रांतिक पथ विधि की सीमाएं

क्रांतिक पथ विधि (CPM) की सीमाएं हैं- क्रांतिक पथ विधि कम रूटीन प्रोजेक्ट्स के कारण, प्रोजेक्ट को पूर्ण होने में लगने वाले समय में काफी अनिश्चितता रहती है, जिससे कि क्रांतिक पथ विधि (CPM) मॉडल द्वारा Single सीमा तक ही लाभ उठाया जा सकता है। कार्यक्रम मूल्यांकन And समीक्षा तकनीक (PERT) का फार्मूला क्या है?

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