पिट्स इंडिया Single्ट (1784 र्इ.)
मुख्य उपबंध
1. गृह सरकार के संबंध में उपबंध-
Indian Customer मामलों की देखरेख के लिए नियंत्रण मंडली की स्थापना की गयी। इसके 6 सदस्य थे। राज्य सचिव तथा वित्तमंत्री पदेन सदस्य तथा चार प्रिवी परिषद के मनोनीत सदस्य थे। तीन सदस्यों की उपस्थिति गणपूर्ति के लिए आवश्यक थी। कमिश्नर अवैतनिक होते थे जो अन्य किसी पद पर भी रह सकते थे। कंपनी के कर्मचारियों की Appointment का अधिकार नियंत्रण मडं ल को नहीं दिया गया था। बाडेर् को Indian Customer प्रशासन के संबंध में निरीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण के अधिकार दिये गये।
2. भारत में केन्द्रीय सरकार से संबंधित उपबंध-
गवर्नर जनरल की कौंसिल सदस्य संख्या को चार से घटाकर तीन कर दी गयी। Single सदस्य का समर्थन प्राप्त होने पर भी गवर्नर जनरल की इच्छा के अनुकूल निर्णय हो सकता था। अब केवल कंपनी के स्थायी कर्मचारी ही कौंसिल के सदस्य हो सकते थे। सपरिषद गवर्नर जनरल को विभिé प्रांतीय शासनों पर अधीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण का पूर्ण अधिकार दिया गया। Fight, शांि त राजस्व, सैन्य शक्ति, देशी रियासतों से लेन-देन आदि All विषय इसके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आ गये।
3. प्रांतीय सरकारों से संबंधित उपबंध-
प्रांतीय गवर्नरों की कौसिलों की सदस्य संख्या भी चार से घटाकर तीन कर दी गयी। इनमें से Single प्रांत का कमाण्डर इन चीफ भी था। केवल कंपनी के स्थायी कर्मचारी ही कौंसिल के सदस्य हो सकते थे। Fight, शांति या देशी रियासतों से आदान-प्रदान के बारे में अन्य प्रांतीय सरकारों को बंगाल सरकार के अधीन रखा गया था। बंगाल सरकार, उसकी आज्ञाओं की अवहले ना करने पर अधीनस्थ सरकार के पार्षदों को बर्खास्त कर सकती थी।
4. सामान्य उपबंध-
अधिनियम का संवैधानिक महत्व
पिट्स इंडिया Single्ट Indian Customer संविधानिक विकास के History में Single महत्वपूर्ण कदम था। यह 1858 र्इ. तक Indian Customer संविधान का आधार रहा। इसने र्इस्ट इंडिया कंपनी पर ब्रिटिश संसद के नियंत्रण लिए Single स्थायी माध्यम की Creation की। इसके लिए Single नियंत्रण मंडल की स्थापना की गयी जिस पर कंपनी के प्रशासन का पूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया। इलबर्ट के Wordों में, पिट ने शशकंपनी को ब्रिटिश सरकार को प्रतिनिधिक संस्था के प्रत्यक्ष तथा स्थायी नियंत्रण में रखने के सिद्धांतशश को अपनाया। श्रीराम शर्मा के विचारानुसार शशपिट्स इंडिया Single्ट ने इंग्लैण्ड में Indian Customer मामलों के निर्देशन के मौलिक सिद्धांत ही बदल दिया, कंपनी मंडल शक्तिहीन हो गया तथा संचालक मंडल ब्रिटिश सरकार के अधीन हो गया।