पहचान की चोरी क्या है? कैसे होती है?
इस पर वेबसाइट के ऑनर यूजर्स की गतिविधियों, उनकी व्यक्तिगत रूचि, प्राथमिकताओं आदि के ऊपर निगरानी रखकर विभिन्न माध्यमों से लाभ कमाते हैं।साइबर अपराध Single ऐसा गोपनीय, रहस्यमयी And अंधेरे में होने वाला अपराध है, जिसका नक्शा किसी के पास मौजूद नही है, जिस तरह अपराधियेां ने अपने बड़े-बड़े ऑपरेशनों में हार्इटेक साधनों का इस्तेमाल Reseller है उसने पूरी दुनिया को भविष्य की आशंकाओं को ध्यान में रखकर सोचने पर मजबूर Reseller है । हैंकिग सबसे पेचीदा किस्म का अपराध है . जिसके मामले में नतीजे तक पहुच पाना अक्सर मुश्किल होता है । हैकिग के द्वारा अपराधी कम्प्यूटर सर्वर में धुसपैठ करके महत्वपूर्ण सामग्री को चुराने में कामयाब हो जाते है। । वर्तमान में साइबर अपराध व पहचान चोरी में आर्इ परिपक्वता को देखकर कहा जा सकता है कि यह समस्या अपनी बाल्यावस्था पार कर अब सीधे तरुणार्इ में पहुंच चुकी है First इस तरह के अपराध शौReseller किस्म के होते थे या फिर बदले की भावना से किए जाते थे, किशोरों और नवयुवकों में अपनी टेक्नीकल सुपीरिएरिटी दिखाने की प्रवृत्ति भी इसकी Single बड़ी वजह रही है, मगर अब साइबर अपराधों, पहचान व सूचनाओं की चोरी का बहुत संगठित व पैशेवर वर्ग पैदा हो गया है।
पहचान की चोरी क्या है?
आमतौर पर अपराधिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तिगत जानकारी का अनाधिकृत संग्रह व उसका उपयोग करना ही पहचान चोरी है। जैसे आपका नाम, जन्मतिथि, पता, क्रेडिट कार्ड, सामाजिक आवास और रोजगार संबंधी सूचनाएं। आप चाहे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नही करते हो, नेट चेटिंग से अपने को पूरी तरह दूर रखते हो, तो इसका मतलब यह नही की साइबर अपराध से आप महफूज हैं। हर उस व्यक्ति का जीवन और जायदाद दोनेा ही दॉव पर होता है, जो सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करता हो या न करता हो। नर्इ बाजार व्यवस्था ने सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार को अत्यधिक सहूलियत देकर इसका काम आसान तो कर दिया है पर इसके उपयोग को नियंत्रण करना आसान नही हो पा रहा है।
पहचान की चोरी कैसे होती है?
पहचान चोरी की शुरूआत होती है व्यक्तिगत जानकारी से-जैसे आपका नाम, सामाजिक Safty संस्था, क्रेडिट कार्ड Safty, बैंक अकाउन्ट, या अन्य वित्तीय खाते की जानकारी। कुशल पहचान चोर व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- डम्प्सटर डिविंग- इसमें रद्दी की छानबीन की जाती है, जिसमें किसी भी प्रकार के बिल या अन्य पेपर्स में व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध हो सकती है।
- स्किमिंग – जब आप अपना के्रडिट कार्ड, डेबिड कार्ड उपयोग कर रहे होते हैं तो विशेष भण्डारण युक्ति व प्रसंस्करण के द्वारा के्रडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, का नम्बर चोरी कर लेते हैं।
- फिशिंग – आपकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए वे वित्तीय संस्थाओं या कंपनियों के माध्यम से आपको संदेश के Reseller में Spam या Pop-up Message भेजते हैं।
- चेंज योर एड्रेस – आपके Billing Statement के Address form में उसका पता बदलकर अन्यत्र क्पअमतज कर देते हैं।
- ओल्ड फेशन स्टीलिंग – वे आपका जेब पर्स क्रेडिट कार्ड, बैंक स्टेटमेन्ट, पूर्व स्वीकृत ऋण, आदि रिकार्ड चुराकर उसका दुResellerयोग करते हैं।
- प्रीटेक्सिटिंग – गलत या झूठें बहाने बनाकर वित्तीय संस्थाओं, टेलीफोन कंपनियों या अन्य स्त्रोतेां के द्वारा आपसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
चोरी की गर्इ पहचान का उपयोग कैसे Reseller जाता है?
- क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी – वे आपके नाम से नया क्रेडिट कार्ड Singleाउन्ट खोलते हैं व उसका दुResellerयोग करके बिल का भुगतान नहीं करते हैं और यह बिल आपके क्रेडिट कार्ड में आता है। वे आपके नाम के क्रेडिट कार्ड में बिलिंग पता परिवर्तित कर देते हैं जिसमें कि लम्बे समय तक बिल प्राप्त ही नही होता है, क्योंकि बिल किसी अन्य गलत पते पर भेजा जा रहा होता है, और वह उसका लगातार उपयोग करते रहते हैं।
- फोन/उपयोगिताओं की धोखाधड़ी– वे आपके नाम से नया फोन कनेक्शन लेकर उसका उपयोग करते हैं और बिल आपके First से ही मौजूद कनेक्शन में आता है। -आपके नाम से अन्य उपयोगी चीजों जैसे बिजली, पानी, केबल टी.वी. आदि का उपयोग कर सकते हैं।
- बैंक/वित्तीय धोखाधड़ी – वे आपके नाम और आपके खाता संख्या का उपयोग करके जाली चैक बना सकते हैं। -आपके ए. टी. एम. कार्ड का उपयोग करके Singleाउन्ट से Resellerये निकाल सकते हैं।
- सरकारी दस्तावेज धोखाधड़ी – आपके नाम का उपयोग करके लेकिन स्वयं की फोटो लगाकर ड्राइविंग लार्इसेन्स, सरकारी आर्इडी कार्ड जारी करा सकते हैं। -सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आपका नाम व सामाजिक Safty संख्या प्रयोग कर सकते हैं। -पुलिस प्रकरण में गिरफ्तार होते समय अपनी पहचान के Reseller में आपका नाम पता व अन्य जानकारियां दे सकते हैं ताकि कोर्ट केस में या वारंट जारी होते समय आपके नाम से कार्यवाही हो सकती हैं
- अन्य धोखाधड़ी – आपकी सामाजिक Safty संख्या का उपयोग करके नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। - आपके नाम से चिकित्सा सुविधाएं या किराए से घर प्राप्त कर सकते हैं।
आप कैसे पता कर सकते हैं कि आपकी पहचान चोरी हो गर्इ है ।
अपनी पहचान चोरी होने का पता तब चलता है जब:-
- बिलों का संग्रह करने वाली एजेंसियां आपसे आपके ओवर डयू खर्च के बारें में जानकारी देती है, जो कि कभी आपने खर्च ही नहीं Reseller है ।
- जब आप कार या गृह लोन के लिये आवेदन करें और आपके सामने समस्या आ जाए कि आपके उपर First से ही यह लोन है ।
- अत: हम कह सकतें है कि सूचना / पहचान चोरी का पता तभी चलता है जब आपके सामने ऐसे तथ्य या ऐसी परिस्थितियां आ जाएं जो आपने कभी उपयोग हीं नहीं की हैं, या जिनकी जानकारी ही आपकों नहीं है ।
आप क्या करें जब आपकी पहचान चोरी की गर्इ हो ?
पुलिस रिपोर्ट फाइल करना, क्रेडिट कार्ड की जांच रिपार्ट प्रस्तुत करना, लेनदारों व देनदारों की सूचना देना, अनाधिकृत लेनदेन की सूचना देना इत्यादि कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं जो आपको तुरन्त अपनी पहचान को बहाल करने व कायम रखने हेतु उठाने पड़ेंगे ।
पहचान चोरी का प्रभाव कब तक रहता है ?
यह अनुमान लगाना बहुत ही कठिन होगा कि पहचान चोरी से आप कितने समय तक प्रभावित रह सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी पहचान किस तरह से चोरी की गर्इ है । क्या चोर ने सीधे आपकी पहचान चोरी की है, क्या उसने पहचान चोरी करके किसी अन्य को बेचा है, क्या चोर पकड़ा गया है, इत्यादि प्रश्नों के उत्तर मिलने पर ही उसका समाधान संभव हो सकता है ।
पहचान चोरी से लड़ने मे मदद करने के लिए आप क्या कर सकते हैं ?
पहचान चोरी से मुकाबला करने के लिए सबसे कारगर हथियार है “जागरूकता” । हमेशा सचेत रहे कि सूचना कैसे चोरी हो सकती है, कहां से चोरी हो सकती है, कौन चोरी कर सकता है य तथा यह ध्यान रखे कि सूचना चोरी का संदेह होने पर आपको क्या करना है ।
- सशस्त्र ज्ञान के साथ ही अपनी Safty कैसे की जाए व क्या कार्यवाही की जाए तो आप पहचान चोरों के लिए काफी कठिनार्इ उत्पन्न कर सकते है ।
- पहचान चोरी के प्रति जानकारियां Single Second से साझा करके आप लोगों को इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं ।
- पहचान चोरी के पीड़ितो की समीक्षा करना चाहिए व उनसे पहचान चोरी के संकेतों की जानकारी लेना चाहिए ।
- अपने क्रेडिट कार्ड , बैंक अकांउट, इत्यादि की मासिक जांच करते रहना चाहिए ।
- कम्प्यूटर में जमा रिपोर्ट व डाटाबेस को Windows Hosting रखें ।
- जिस भी संचार चैनल का उपयोग करें, First यह जान लें कि वह Windows Hosting है या नहीं ।
- अपने पासवर्ड में कोर्इ भी ऐसी चीज शामिल न करें जो कि सार्वजनिक हो, जैसे नाम, फोन नम्बर , पता , जन्मतिथि इत्यादि ।
- अपने क्रेडिट कार्ड, बैंक Singleाउंट और फोन Singleाउंट में पासवर्ड बनाते समय कभी भी आसानी से उपलब्ध होने वाली जानकारियां पासवर्ड में शामिल न करें जैसे जन्मतिथि, फोन नम्बर, माता का मिडिल नाम, इत्यादि। Single उदाहरण के Reseller में ले तो हम देख सकते है कि जब भी हम नया Singleाउंट खोलते हैं तो कर्इ मेल कंपनियां, व्यापार कंपनियां अपने प्रोफार्मा में मदर्स, मेडन नाम का History करते हैं और यही अधिकतर लोग पासवर्ड भी रख लेते है ।
- अपनी व्यक्गित जानकारी कभी भी फोन पर, र्इ-मेल द्वारा या इन्टरनेट पर किसी भी तरह से जब तक न दें जब तक आप सामने वाले पर पूरी तरह से विश्वास न कर लें ।
- अपने कम्प्यूटर को वायरस से बचाने हेतु अच्छे एंटीवायरस का प्रयोग करें व समय पर उसको अपडेट करते रहें ।
- अनजान व्यक्तियों द्वारा भेजे गए र्इ-मेल कभी भी ओपन न करें । इस तरह की मेल या फाइल ओपन करने पर कम्प्यूटर को, डाटा को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनमें वायरस ,स्पाइवेयर हो सकता है जो कि आपका पासवर्ड हैक कर सकते हैं और वह सारी सूचनाएं भी जो कि आप कीबोर्ड पर टार्इप करते है ।
- यदि आपका कम्प्यूटर नेटवर्क पर है तो हमेशा फायरवाल प्रोग्राम का उपयोग करें और उसे हमेशा इन्टरनेट से Added रहने दें यह आपके कम्प्यूटर को, अन्य व्यक्तियों द्वारा जो कि नेटवर्क के माध्यम से उपयोग कर सकते हैं Windows Hosting रखता है ।
- यदि किसी कारणवश किसी संस्था को अपनी व्यक्गित या वित्तीय जानकारी बेवसाइट के माध्यम से देना जरूरी है तो बेवपेज पर (यू.आर.एल) लॉक आइकान अवश्य देखें या वेबसाइट के एड्रेस में ¯”एच.टी.टी.एस. “ देखें “एस” Windows Hosting बेवसार्इट का संकेत है । पर यह भी कुछ हद तक विश्वनीय नहीं है क्योंकि कर्इ बेवसार्इट इसका गलत उपयोग भी कर रहीं है ।
- वेबसाइट की प्राइवेसी पालिसी का अध्ययन अवश्य कर लें । अपनी वित्तीय जानकारियां , बैंक स्टेटमेंट , टेलीफोन, बिजली के बिल, लोन के कागज इत्यादि कभी भी रद्दी में न फेंकें। इस तरह आप इस गंभीर अपराध से खुद Windows Hosting रहकर, दूसरों को भी जागरूक बनाकर पहचान चोरी से मुकाबला कर सकते है।