पंचायत की समितियाँ And महत्व

पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीण समुदाय के आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की गयी है। इन जिम्मेदारियों को पूर्ण करने हेतु पंचायत को 29 विषयों से सम्बन्धित विभिन्न कार्य सौंपे गये हैं। पंचायत तीनों स्तरों पर विभिन्न कार्यों के नियोजन और संचालन हेतु विभिन्न समितियों के निर्माण की व्यवस्था संविधान में की गर्इ है। इन्हीं समितियों के माध्यम से पंचायतें अपने दायित्वों का निर्वहन करती है। Second Meansों में कहा जा सकता है कि पंचायत की समितियां उसके हाथ, कान, आँख व दिमाग है। समिति गठित करके कार्यों को करना लोकतांत्रिक प्रशासन का Single महत्वपूर्ण तरीका है। इस विधि के द्वारा विशेष प्रकार के कार्योें को कुछ व्यक्तियों की सदस्यता में गठित दल को सांपै कर कराया जा सकता है।

अत: पंचायत स्तर पर समितियों का गठन Reseller जाता है। इनका गठन हर स्तर पर पंचायतों के सदस्यों द्वारा Reseller जाता है। पंचायतों की बैठकों में समितियों के गठन के बारे में निर्णय लिये जाते हैंं। संविधान में प्रत्येक स्तर की पंचायत की समिति में Single अध्यक्ष और छ: सदस्यों का प्रावधान दिया गया है। लेकिन उत्तराखंड में भौगोलिक परिस्थियों के अनुReseller पंचायतों के गठन होने के कारण यहाँ ग्राम पंचायत में समितियों की संख्या चार की गर्इ है।

पंचायतो में समितियों की Need

  1. समितियों का गठन ग्रामपंचायतों के विभिन्न कार्यों के सफल संचालन हेतु बहुत जरूरी है। समितियों के माध्यम से कार्य करने से जवाबदेही बढ़ती है व सदस्यों की सक्रियता भी बढ़ती है। 
  2. यह सिर्फ पंचायतों के कायोर्ं को व्यवस्थित करने के लिये ही नहीं अपितु पंचायत सदस्यों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिये भी आवश्यक हैं ताकि शीघ्र और समयानुसार निर्णय लिये जा सकें।
  3. ये समितियां पंचायतों द्वारा संम्पादित किये गये विभिन्न कार्यों के निरीक्षण और मूल्यांकन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। 
  4. समितियों में निरन्तर कार्य करने और विचार करने से सदस्यों की दक्षता भी बढ़ती है और वे कुशल नेतृत्व देने में सक्षम होते हैं।
  5. समितियों में महिला व पिछड़े वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समिति मे उनकी सदस्यता अनिवार्य की गर्इ है। अत: समिति के माध्यम से इन सदस्यों को भागीदारी के बेहतर अवसर मिलते हैं। 

पंचायत की समितियां 

पंचायत के तीनों स्तरों पर समितियों के गठन से जहाँ Single ओर कार्यों के संचालन में सुविधा होगी वहीं दूसरी ओर हर स्तर के पंचायत सदस्यों में अपने कार्य के प्रति जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। अलग-अलग राज्यों में पंचायत समितियों मे सदस्यों की संख्या अलग हो सकती है। यहाँ पर हम उत्तराखण्ड की ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के अन्र्तगत जिन समितियों का गठन Reseller जाता है उनका description दे रहे हैं।

ग्राम-पंचायतों की समितियों के नाम, गठन And कार्य 

समिति का नाम  के कार्य समिति का गठन 
नियोजन And 
विकास समिति 
• प्रधान- सभापति
• 4 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति/जनजाति, महिला और
पिछले वर्ग का Single सदस्य
अवश्य होगा)
• ग्राम पंचायत की योजना तैयार
करना,कृषि, पशुपालन और गरीबी
उम्मूलन कार्यक्रम का संचालन
शिक्षा समिति • उपप्रधान-सभापति
• सचिव-प्रधानाध्यापक
• 4 अन्य सदस्य(अनुसूचित
जाति/जनजाति, महिला और
पिछड़े वर्ग का Single सदस्य अवश्य होगा)
• प्रधानाध्यापक-सहयोजित 
• 3 अभिभावक-सहयोजित
• प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा,
अनौपचारिक शिक्षा, साक्षरता आदि से
संबंधित कार्य।
निमार्ण कार्य समिति   • ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य सभापति
• 4 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति/जनजाति, महिला और
पिछड़े वर्ग का Single सदस्य अवश्य होगा)
• समिति निमार्ण कार्य करना और
गुणवत्ता सुनिश्चित करना
स्वास्थ्य And 
कल्याण समिति 
• ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य-सभापति
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति जनजाति, महिला और
पिछड़े वर्ग का Single सदस्य अवश्य होगा)
• चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण
संबंधी कार्य और कार्य समाज कल्याण
विशेष Reseller से महिला And बाल
कल्याण की योजनाओं का संचालन।
अनुसूचित जाति जनजाति तथा पिछड़े
वर्गों की उन्नति And संरक्षण।
प्रशासनिक समिति  • प्रधान- सभापति
• 4 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति/जनजाति, महिला और
पिछड़े वर्ग का Single सदस्य अवश्य होगा)
• कर्मियों संबंधी समस्त विषय
• राशन की दुकान संबंधी कार्य 
जल प्रबंधन समिति  • ग्राम पंचायत द्वारा नामित सदस्य-सभापति
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति जनजाति, महिला और
पिछड़े वर्ग का Single सदस्य अवश्य होगा)
• प्रत्येक राजकीय नलकूप के
 कमाण्ड एरिया में से दो
उपभोक्ता-सहयोजित 
• राजकीय नलकूपों का संचालन
• पेयजल संबंधी कार्य

क्षेत्र पंचायत की समितियों के नाम, गठन And कार्य

समिति समिति का गठन  समिति के कार्य
नियोजन And 
विकास समिति
• प्रमुख- सभापति
• 6 अन्य सदस्य-
‘अनुसूचित जाति, महिला
और पिछडे वर्ग के
सदस्य का अवश्य होगा’।
 • विशेष आमंत्री।
• क्षेत्र पंचायत की विकास
योजना तैयार करना।
• विकास खण्ड स्तर पर से
संचालित होने वाले कृषि,
पशुपालन व गरीबी उन्मूलन
कार्यक्रमों का संचालन।
 शिक्षा समिति • उप प्रमुख- सभापति
• 6 अन्य सदस्य ‘अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का अवश्य होगा’।
• विशेष आमंत्री। 
• विकास खण्ड स्तर पर
प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा,
अनौपचारिक शिक्षा व
साक्षरता आदि से संबंधित काम।
निर्माण समिति  • क्षेत्र पंचायत द्वारा नामित
सदस्य –
सभापति/अध्यक्ष
• 6 अन्य सदस्य ‘अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का अवश्य होगा’।
• विशेष आमंत्री। 
• All निर्माण काम कराना और
 गुणवता सुनिश्चित करना।
स्वास्थ्य And कल्याण
समिति 
• क्षेत्र पंचायत द्वारा नामित
सदस्य- सभापित
• 6 अन्य सदस्य ‘अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का 
आवश्यक होगा)
• विशेश आमंत्री।
• विकास खण्ड स्तर पर
चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार
कल्याण संबंधी काम और
समाज कल्याण, विशेष Reseller से
महिला And बाल कल्याण की
योजनाओं का संचालन।
• अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति तथा पिछडे वर्गो की
उन्नति And संरक्षण। 
प्रशासनिक समिति • प्रमुख- सभापति/अध्यक्ष
• 6 अन्य सदस्य ‘अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का अवश्य
होगा’।
• विशेष आमंत्री। 
• विकास खण्ड स्तर पर कर्मियो
संबंधी समस्त विषय।
• विकास खण्ड स्तर पर राशन
की दुकान संबंधी कार्य। 
जल प्रबंधन समिति  • क्षेत्र पंचायत द्वारा नामित
सदस्य- सभापति/अध्यक्ष
• 6 अन्य सदस्य ‘अनुसूचित
जाति महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य
का अवश्य होगा’
• विशेष आमंत्री 
• राजकीय नलकूपों का संचालन
• पीने के पानी संबंधी कार्य

 नोट : प्रत्येक समिति में सभापति के अतिरिक्त छ: अन्य सदस्य होंगे। प्रत्येक समिति में Single महिला सदस्य, अनुसूचित जाति/जनजाति का Single सदस्य तथा पिछडे वर्गों का Single सदस्य होगा। 

जिला पंचायत की समितियों के नाम, गठन And कार्य 

ग्राम और क्षेत्र पंचायत की समितियो के समान ही जिला पंचायत के कार्यों का सुचारू Reseller से संचालन के लिए 73वें संविधान संशोधन अधिनियम में मे 6 समितियों का प्रावधान Reseller गया है।

समिति समिति का गठन समिति के काम
नियोजन And 
विकास समिति
• अध्यक्ष- सभापति।
• 6 अन्य सदस्य ‘(अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
आवश्यक होगा)
• विशेश आमंत्री। 
• जिले की विकास योजना
तैयार करना।
• जिले स्तर पर से संचालित
होने वाले कृशि, पशुपालन व
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का
संचालन।
शिक्षा समिति  • उपाध्यक्ष- सभापति।
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
अवश्य होगा’।
• विशेष आमंत्री।
• जिला स्तर पर प्राथमिक
शिक्षा, उच्च प्राथमिक शिक्षा,
अनौपचारिक शिक्षा व साक्षरता
आदि से संबंधित काम।
निर्माण समिति • जिला पंचायत द्वारा नामित
सदस्य- सभापति, अध्यक्ष।
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
आवश्यक होगा)
• विशेश आमंत्री।
• All निर्माण काम कराना और
गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
स्वास्थ्य And 
कल्याण समिति
• जिला पंचायत द्वारा नामित
सदस्य- सभापित।
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
आवश्यक होगा)
• विशेश आमंत्री। 
• जिला स्तर पर चिकित्सा
स्वास्थ्य परिवार कल्याण
संबंधी काम और समाज
कल्याण, विशेश Reseller से महिला
And बाल कल्याण की
योजनाओ का संचालन।
• अनुसूचित जाति अनुसूचित
जनजाति तथा पिछडे वर्गो की
उन्नति And संरक्षण। 
प्रशासनिक समिति • अध्यक्ष- सभापति/अध्यक्ष
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
आवश्यक होगा)
• विशेष आमंत्री। 
• जिले स्तर पर कर्मियो संबंधी
समस्त विषय।
• राषन की दुकान संबंधी काम। 
जल प्रबंधन समिति • जिला पंचायत द्वारा नामित
सदस्य- सभापति अध्यक्ष।
• 6 अन्य सदस्य (अनुसूचित
जाति, महिला और पिछडे
वर्ग के सदस्य का होना
आवश्यक होगा)
• विशेष आमंत्री।
• राजकीय नलकूपों
का संचालन।
• पेय जल संबंधी कार्य।

उप-समितियों का गठन 

पंचायतें कार्यों को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से उपसमितियां बना सकती है। इन्हें ऐसे कार्य दिये जा सकते हैं जो समितियां तय करेंगी।

पंचायत समितियों की बैठक 

प्रत्येक समिति की माह में Single बार बैठक आवश्यक है। बैठक बुलानें की पूरी जिम्मेदारी समिति के अध्यक्ष व सचिव की होती है। बैठक में हुर्इ बातचीत समिति की कार्यवाही रजिस्टर में लिखी जानी चाहिए। समिति की बैठक के लिए चार सदस्यों का कोरम पूरा होना चाहिए।

अब तक आप जान गये होंगे कि पंचायतों में समितियों का कितना महत्व व Need है। वास्तव में देखा जाये तो इन्हीं समितियों की सक्रियता पर स्थानीय स्वशासन महजबूत हो सकता है। ग्रामीण विकास के समस्त कायांर् े का सम्पादन इन्हीं समितियों के माध्यम से Reseller जाना है। अत: समितियों का गठन व उनको कार्यशील करना पंचायती राज की सफलता का Single महत्वपूर्ण बिन्दु है। अनुभव के आधार पर यह देखा गया है कि पंचायत में समितियों का गठन हो जाता है लेकिन वे अपने कार्यों व जिम्मेदारियों के प्रति सक्रिय नहीं हो पाती हैं। समितियों की निष्क्रियता पंचायत मे कुछ ही लोगों के प्रभुत्व को बढ़ती है। जिससे पंचायती राज की मूल भावना को भी धक्का लगता है। अत: पंचायती राज की व्यवस्था को अगर वास्तव में सफल बनाना है तो पंचायत की समितियों का निर्माण हर स्तर पर आवश्यक है साथ ही इन समितियों के सदस्यों की क्षमता विकास भी आवश्यक है ताकि वे अपने कार्यों व जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक हो सकें व अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभा सकें। तभी स्थानीय स्वशासन अपने मूल Reseller को प्राप्त कर सकेगा व वास्तिविक Reseller में गांव तक लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत होंगी। 

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