न्यूटन के गति के नियम

जड़त्व

आपने देखा होगा कि यदि पेड़ की डालियों को तेजी से हिलाया जाए तो उस पर लगे पत्ते और फल झड़ते हैं। इसी तरह, कालीन को डंडे से पीटने पर धूल के कण कालीन से अलग हो जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? इन All का कारण जड़त्व है। जड़त्व क्या है? कोई भी वस्तु चाहे वह विरामावस्था में हो या गतिशील, अपनी मूल अवस्था को बनाए रखना चाहती है। वस्तु के इस गुण को जड़त्व कहते हैं।

जड़त्व और द्रव्यमान

हमने समझा कि जड़त्व के कारण वस्तु अपनी गति की अवस्था में बदलाव का विरोध करती है। क्या All वस्तुओं का जड़त्व बराबर है? आइए, पता लगाएँ।

Single खाली डिब्बे को किसी चिकनी सतह पर धकेलिए। अब उसी डिब्बे में कुछ पुस्तकें भरकर फिर से उसी सतह पर धकेलने की कोशिश कीजिए। आपने क्या पाया? खाली डिब्बे को भरे डिब्बे की अपेक्षा धकेलना क्यों आसान है?

अब मान लीजिए, यदि आपसे Single ही वेग से आती Single क्रिकेट की तथा Single टेबल टेनिस की गेंद को रोकने के लिए कहा जाए तो किस गेंद को रोकने में आपको अधिक बल लगाना पड़ेगा? आप देखेंगे कि टेबल टेनिस की गेंद की अपेक्षा क्रिकेट की गेंद को रोकने में ज्यादा बल लगता है।

इस प्रकार All वस्तुएँ अपनी विराम अथवा गति की अवस्था में बदलाव का विरोध Single-समान Reseller से नहीं करतीं। भारी वस्तुएं हल्की वस्तुओं की अपेक्षा अधिक विरोध करती हैं। इन प्रेक्षणों से हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? हम कह सकते हैं कि द्रव्यमान जड़त्व का माप है।

न्यूटन का गति का First नियम

हर वस्तु अपनी गति की अवस्था में बदलाव का विरोध करती है। न्यूटन ने इसे गहराई से अध्ययन Reseller और अपनी खोज को उन्होंने तीन नियमों के Reseller में प्रस्तुत Reseller जो हर वस्तु की गति पर लागू होते हैं। न्यूटन के First नियम के According :‘‘प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में Singleसमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई असंतुलित बल उसकी अवस्था बदलने के लिए न लगे।’’

न्यूटन का गति का First नियम बताता है कि प्रत्येक वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। हम जानते हैं कि वस्तुओं के इस गुण को जड़त्व कहते हैं। इसी कारण न्यूटन के गति के First नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

गति के First नियम के दैनिक जीवन में अनेक उपयोग दिखाई देते हैं। रूकी हुई बस में खड़े यात्री SingleाSingle बस चलने पर पीछे की ओर क्यों गिर जाते हैं?

न्यूटन का गति का First नियम
अचानक बस चलने पर पीछे की ओर गिरते यात्री

इसे गति के First नियम के द्वारा समझा जा सकता है। यात्रियों के पैर बस के सम्पर्क में होते हैं। अचानक बस चलने पर पैर बस के साथ गति में आ जाते है। किन्तु यात्री के शरीर का ऊपरी हिस्सा जड़त्व के कारण स्थिर रहने की कोशिश करता है और पिछली दिशा में गिरने लगता है।

चलती बस के अचानक रुकने पर क्या होता है? इस बार बस में खड़े यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं। क्या ऊपर दिए उदाहरण के आधार पर आप इसका कारण बता सकते हैं?

न्यूटन का गति का First नियम
चलती बस के अचानक रुकने पर आगे की ओर झुकते यात्री 

अब शायद आप समझ पाएं कि डंडे से कालीन को पीटने पर धूल के कण इससे अलग क्यों हो जाते हैं। गति के First नियम के आधार पर इसकी व्याख्या करने की कोशिश कीजिए।

संवेग

पिछले अनुभाग में आपने सीखा कि गतिशील वस्तु को रोकने के लिए लगाया जानेवाला बल, उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता है। अब मान लीजिए कि Single ही द्रव्यमान की दो गेंदें, अलग-अलग वेग से गति में हैं। किस गेंद को रोकने में अधिक बल लगेगा? आप देखेंगे कि अधिक वेगवाली गेंद को रोकने में अधिक बल लगता है। Meansात्, वस्तु को रोकने के लिए जितना बल चाहिए वह उसके वेग पर भी निर्भर है।

आपने देखा होगा कि बंदूक से चलाई गई Single छोटी-सी गोली किसी व्यक्ति के लिए कितनी घातक हो सकती है। पर हाथ से फेंकने पर वही गोली कुछ नुकसान नहीं करती। सड़क के किनारे खड़े स्थिर ट्रक से डरने की कोई Need नहीं है। लेकिन सड़क पर चलता ट्रक रास्ते में आये व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकता है। क्या ट्रक का केवल वेग ही हमें भयभीत कर सकता है? यदि ऐसा है तो ट्रक के समान वेग से चलती कोई खिलौना कार भी हमें समान Reseller से भयभीत करेगी।

इन प्रेक्षणों से ऐसा प्रतीत होता है कि वस्तुओं की गति द्वारा उत्पन्न प्रभाव उनके द्रव्यमान और वेग, दोनों पर निर्भर हैं। इन दोनों राशियों के आधार पर हम Single नई राशि परिभाषित करते हैं जिसे संवेग कहते हैं।

किसी भी गतिशील वस्तु का संवेग (p) उसके द्रव्यमान (m) और वेग (v) के गुणनफल से परिभाषित होता है। Meansात्

p = mv 

संवेग का SI अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक किलोग्राम-मीटर प्रति सेकण्ड (kg m s–1) है। संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है जो वेग की होती है।

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम

न्यूटन के गति के First नियम के According किसी वस्तु पर लगा असंतुलित बाह्य बल उसके वेग में परिवर्तन कर सकता है। अत: यह बल संवेग में परिवर्तन कर सकता है। न्यूटन का गति का द्वितीय नियम बल और संवेग में परिवर्तन के बीच संबंध स्थापित करता है। गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगनेवाले बल के समानुपातिक होती है और इसकी दिशा बल की दिशा में ही होती है।

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम त्वरण व बल के बीच का भी संबंध बताता है।

अपने दैनिक जीवन से जुड़े गति के द्वितीय नियम के कुछ उदाहरण 

हम अपने दैनिक जीवन में प्राय: गति के द्वितीय नियम के अनेक उपयोग देखते हैं। बहुत सी स्थितियों में हम संवेग परिवर्तन में लगने वाले समय को बदल कर, संवेग परिवर्तन की दर को घटाने या बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं। आइए, कुछ उदाहरणों पर विचार करें।

(a) तेज गति से आती क्रिकेट बॉल को लपकते समय क्षेत्ररक्षक अपने हाथों को पीछे की ओर क्यों ले जाता है?

ऐसा करके क्षेत्ररक्षक गेंद के संवेग को शून्य करने में लगे समय को बढ़ाता है । इससे गेंद के संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाती है। तो उसे लपकने में कम बल लगाना पड़ता है। इस प्रकार क्षेत्ररक्षक के हाथों को चोट नहीं पहुंचती।

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम
क्रिकेट के खेल में कैच लपकते समय क्षेत्ररक्षक अपने हाथों को पीछे की ओर खींचता है

(b) कोई व्यक्ति जब किसी सीमेंट के फर्श पर गिरता है तो उसे चोट क्यों आती है? फर्श को छूने से First व्यक्ति का कुछ प्रारम्भिक वेग (माना u) होता है, जो कि उसके विराम अवस्था में आने पर बहुत कम समय में शून्य हो जाता है। अत: व्यक्ति का संवेग बहुत ही कम समय में शून्य हो जाता है। क्योंकि संवेग परिवर्तन की दर बहुत ही ज्यादा है इसलिए व्यक्ति पर लगने वाला बल भी ज्यादा होगा जिससे उसे चोट लग सकती है। दूसरी ओर यदि वह रेत या भूसे या फोम के गद्दे पर गिरता है तो संवेग को शून्य होने में लगे अधिक समय के कारण लगने वाला बल कम हो जाता है और उसे चोट नहीं लगेगी।

(c) सोचिए कि कराटे का कोई खिलाड़ी Single ही झटके में बर्फ की Single सिल्ली या टाइल्स के स्तम्भ को कैसे तोड़ देता है?

कराटे का खिलाड़ी टाइल्स के स्तम्भ या बर्फ की सिल्ली पर अपने हाथ से जितनी तेजी से हो सके प्रहार करता है। इस प्रक्रिया में उसके हाथ का पूरा संवेग बहुत थोड़े समय में शून्य हो जाता है। इसके परिणामस्वReseller टाइल्स व बर्फ की सिल्ली पर लगने वाला बल बहुत अधिक होता है जिससे सिल्ली व टाइल्स टूट जाती हैं।

(d) आपने देखा होगा कि किसी रस्सी से बँधे हुए बण्डल (या गठ्ठे) को तेजी से उठाने पर रस्सी टूट जाती है। क्या अब आप बता सकते हैं कि इस स्थिति में रस्सी क्यों टूट जाती है?

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम
जब बण्डल को तेजी से उठाया जाता है तो रस्सी टूट जाती है

न्यूटन का गति का तृतीय नियम

आपने ध्यान दिया होगा कि जब फूले हुए गुब्बारे में से हवा निकलती है तब गुब्बारा हवा के निकलने की विपरीत दिशा में गति करता है । गुब्बारा हवा के बाहर निकलने की विपरीत दिशा में गति क्यों करता है। आइए, इसका पता लगाएं।

न्यूटन का गति का तृतीय नियम
Single गुब्बारा हवा निकलने की विपरीत दिशा में गति करता है

आपने यह भी देखा होगा कि जब कभी आप नाव से नदी के किनारे पर कूदते हैं तो नाव पीछे की दिशा में गति करती है। ऐसा क्यों होता है?

न्यूटन का गति का तृतीय नियम
Single लड़की नाव से बाहर कूदती हुई 

जिस समय आप नाव से बाहर कूदते हैं तो आपके पैर विपरीत दिशा में नाव पर बल लगाते हैं। इस बल को क्रिया कहते हैं। उसी समय Single बल नाव द्वारा आपके पैरों पर लगाया जाता है जिससे आप आगे की ओर गति करते हैं। इस बल को प्रतिक्रिया कहते हैं। याद रखें कि इस प्रक्रिया में दो वस्तु और दो बल कार्यरत हैं।

आप नाव को पीछे की ओर धकेलते हैं और नाव आपको आगे की ओर धकेलती है। ये दोनों बल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं।

आइए, अब गुब्बारे वाली समस्या पर पुन: विचार करें। इस स्थिति में गुब्बारे से बाहर निकलने वाली हवा (क्रिया) गुब्बारे पर Single प्रतिक्रिया बल लगती है और यह बल गुब्बारे को विपरीत दिशा में धकेल देता है (प्रतिक्रिया)।

न्यूटन ने अपने गति के Third नियम में क्रिया व प्रतिक्रिया के बीच Single संबंध बताया। इस नियम के According, किसी भी क्रिया के ठीक समान किन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। यह अवश्य याद रखना चाहिए कि क्रिया और प्रतिक्रिया बल सदैव दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं। क्रिया और प्रतिक्रिया बल यदि Single ही वस्तु पर कार्य करें तो ये बल संतुलित बल की तरह काम करेंगे और कोई गति नहीं होगी।

चित्र को देखिए और क्रिया तथा प्रतिक्रिया बलों की पहचान कीजिए और विश्लेशण कीजिए कि ट्रक गति में आएगा या नहीं।

न्यूटन का गति का तृतीय नियम

गति के Third नियम के तीन महत्त्वपूर्ण लक्षण बताए गए हैं।

  1. हम यह नहीं कह सकते कि दोनों बलों में से कौन सा बल क्रिया है और कौन सा बल प्रतिक्रिया है। ये दोनों परस्पर विनिमेय होते हैं।
  2. क्रिया व प्रतिक्रिया बल सदैव दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
  3. प्रतिक्रिया बल तब तक ही कार्य करता है जब तक कि क्रिया बल कार्य करता रहे।

अत: ये दोनों बल समकालिक होते हैं। याद रहे, यह जरूरी नहीं है कि दोनों वस्तुएं जिन पर क्रिया व प्रतिक्रिया बल लग रहे हैं परस्पर सम्पर्क में हों। वे दोनों Single Second से बहुत दूर भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, दो चुम्बकों के बीच सम्पर्क न होने पर भी आकर्षण व प्रतिकर्षण हो सकता है।

न्यूटन के गति के नियम
दो चुम्बकों के मध्य प्रतिकर्षण 

क्या आप जानते हैं कि क्रिया व प्रतिक्रिया बल हमें Earth की सतह पर चलने में समर्थ बनाते हैं। आइए, देखते हैं कैसे?

जमीन पर चलते समय हम जमीन को अपने पैर से पीछे की दिशा में धक्का देते हैं। यह बल क्रिया है। इसके फलस्वReseller जमीन हमारे पैरों पर समान प्रतिक्रिया बल आगे की दिशा में लगाती है। वास्तव में जो बल हमें आगे चलने में समर्थ बनाता है वह यही प्रतिक्रिया बल होता है। इसी प्रकार, तैरते समय आगे बढ़ने के लिए हम अपने हाथों व पैरों से पानी को पीछे की ओर धक्का देते हैं। यह इस बल की पानी द्वारा हमारे शरीर पर प्रतिक्रिया है जो हमें आगे धक्का देती है।

न्यूटन के गति के नियम
तैराक आगे बढ़ने के लिए पानी को पीछे धकेलता है 

आपके लिए यह जानना भी रुचिकर होगा कि रॉकेट व जेट यान भी क्रिया व प्रतिक्रिया सिद्धान्त पर ही कार्य करते हैं। इनमें से प्रत्येक में जैसे ही ईधन जलता है, गरम जलती हुई गैसें पिछले हिस्से से बाहर निकलती हैं। ये गरम गैसें पीछे की दिशा में बाहर निकलती हैं और रॉकेट या जेट यान आगे की दिशा में गति करते हैं ।
अब सोचिए, जब बंदूक से गोली छूटती है तो चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का क्यों लगता है?

संवेग संरक्षण

संवेग संरक्षण का नियम विज्ञान का Single महत्त्वपूर्ण नियम है। इस नियम के आधार पर हम कह सकते हैं कि जब दो या दो से अधिक वस्तुएं Single Second से टकराती हैं तो टकराने के First और टकराने के बाद उनका कुल संवेग संरक्षित रहता है, बशर्ते कि उन पर कोई बाह्य बल कार्य न कर रहा हो।

संवेग संरक्षण का नियम
जेट यान व रॉकेट की क्रियाविधि

न्यूटन के गति के नियमानुसार हम जानते हैं कि संवेग परिवर्तन की दर लगाए गए बल के बराबर होगी।

यदि p1 = प्रारम्भिक संवेग और p2 = अन्तिम संवेग (t समय के पश्चात) तब

 p2  − p1 

F = ————–

t

अब यदि F = 0 होगा तो p1 = p2 होगा। इससे पता चलता है कि अगर निकाय पर कोई बल कार्य नहीं कर रहा है तो उसका संवेग अपरिवर्तित (या संरक्षित) रहता है।

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