तुगलक वंश क्या है ?

गयासुदु्दीन तुगलक (1320-1325 ई.)

तुगलक वंश का संस्थापक गाजी मलिक था । वह 1320 र्इ. में गयासुद्दीन तुगलक शाह के नाम से गद्दी पर बैठा था ।
गयासुद्ददीन तुगलक ने सुल्तान अलाउद्दीन खलजी के शासन काल में महत्वपूर्ण पद प्राप्त कर लिया था । वह दीपालपुर का हाकिम था । उसने सफलतापूर्वक सीमाओं की रक्षा की। उसने मंगोलों के विरूद्ध आक्रमण नीति अपनार्इ और गजनी, काबुल तथा कंधार पर आक्रमण किए। गयासुद्दीन Single अनुभवी राजनीतिज्ञ भी था । उसने सुदृढ़ शासन व्यवस्था स्थापित कर जनता को शान्ति और सम्पन्नता प्रदान की । बरनी के Wordों में कहा जा सकता है कि लोग अनुभव करने लगे थे कि सुल्तान अलाउद्दीन खलजी फिर जीवित हो गया है ।

गयासुद्दीन तुगलक के समक्ष आंतरिक और बाहरी दोनों ही समस्याएं थी । अमीरों और प्रजा में सुल्तान की प्रतिष्ठा गिर चुकी थी और अमीर तथा दरबारी अपने उत्तरदायित्वों की अवेहलना करने लगे थे । प्रान्तीय हाकिम और सामन्त स्वतंत्र होने के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर रहे थे । इसके अतिरिक्त सुल्तान अलाउद्दीन खलजी द्वारा स्थापित शासन व्यवस्था उसके उत्तराधिकारियों के शासन काल में Destroy हो गर्इ थी और नर्इ व्यवस्था स्थापित करने के लिए कोर्इ प्रयास नहीं Reseller था ।

गयासुद्दीन तुगलक ने इस सब कठिनार्इयों का दृढ़ निश्चय से सामना Reseller । उसने अमीरों से निपटने के लिए तुष्टीकरण और कठोरता की मिली जुली नीति अपनार्इ । उसने First राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने के उपाय किए । उसने ऐसी नीति अपनार्इ जिससे कृषि को प्रोत्साहन मिले और किसानों की Safty हो सके । उसने कृषि विकास की नीति अपनार्इ । उसने ऊँचा भूमि-कर समाप्त कर दिया । उस की कृषि संबंधि नीति के दो उद्देश्य थे – Single तो अधिकाधिक भूमि कृषि में लार्इ जाए Second किसानों की दशा सुधरे । उसने आदेश दिया कि भूमिकर धीरे-धीरे बढ़ाया जाए और वर्ष में वृद्धि के ऊपज के 1/11 से 1/10 से अधिक न की जाए । भूमि सर्वेक्षण और माप की नीति त्याग दी जिसे सुल्तान अलाउद्दीन के शासन काल में शुरू Reseller गया था । इसके बदले उसने फसल के बटवारे की पुरानी नीति अपनार्इ । राजस्व अधिकारियों को कर मुक्त भूमि दी ।

गयासुद्दीन तुगलक Single कुशल King था । उसने भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए अनेक कदम उठाए । उसने अधिकारियों को अच्छे वेतन दिये जिससे वे रिश्वत के प्रलोभन में न आएं । उसने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे किसानों से अच्छा व्यवहार करें और उनके कल्याण का ध्यान रखें । सुल्तान गयासुद्दीन ने पुलिस और न्याय विभाग का पुनर्गठन Reseller जिससे प्रजा में डर और आदर भाव विकसित हुआ । सड़के लुटेरों और चोरों से Windows Hosting की गर्इ । राज्य में शान्ति और Safty स्थापित की गर्इ । उसने सैनिक संगठन को कुशल बनाया । सुल्तान अलाउद्दीन खलजी के बाद सेना में आर्इ शिथिलता समाप्त की गर्इ । सुल्तान गयासुद्दीन Single सफल सेना नायक था । बरनी के According वह अपन े सैनिकों से इतना पम्रे करता था जिनता प्रेम Single पिता अपने पुत्रों से करता है । सुल्तान ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि वेतन आदि के भुगतान में किसी प्रकार का धोखा न Reseller जाए । सुल्तान गयासुद्दीन ने सैनिकों का हुलिया लिखने और घोड़ों को दागने की प्रथा का कठोरता से पालन Reseller । आपको याद होगा कि यह प्रथा सुल्तान अलाउद्दीन खलजी ने आरम्भ की थी ।

साम्रााज्य विस्तार और विद्रोह दमन

शासन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के पश्चात गयासुद्दीन तुगलक ने सुल्तान पद की प्रतिष्ठा को पुन: स्थापित करने का निश्चय Reseller । उसने बंगाल और वारंगल के विद्रोही हाकिमों को नियंत्रित Reseller । गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खलजी से भी अधिक आक्रमक और साम्राज्यवादी सिद्ध हुआ । सुल्तान अलाउद्दीन खलजी ने दक्षिण के राज्यों पर दिल्ली सल्तनत का प्रत्यक्ष शासन स्थापित करने का प्रयास नहीं Reseller था । परन्तु अलाउद्दीन के उत्तराधिकारी ने दवे गिरि को उस समय तक दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया जब उसन े दिल्ली का अधिपत्य स्वीकार करने से इन्कार कर दिया । इसके विपरीत गयासुद्दीन ने विजित प्रदेशों को सल्तनत में शामिल करने की नीति अपनार्इ थी ।

सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने First तेलगांना को ध्यान दिया । वारंगल के King प्रताप रूद्र देव ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और आर्थिक कर देना बन्द कर दिया था । सुल्तान गयासुद्दीन ने 1321 र्इ. में अपने पुत्र जूना खां को उसके दमन के लिए भेजा । इब्नबतूता सहित समकालीन लेखकों ने लिखा है कि वारंगल पहुंच कर जूना खां ने अपने पिता के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था परन्तु जब जूना खां को पता चला कि अधिकांश सैनिक उनके साथ नहीं है और उसके विद्रोह की सूचना सुल्तान तक पहुंच चुकी है तो वह शीघ्र ही वापिस हो गया जिससे वह अपने पिता को सन्तुष्ट कर सके । सुल्तान ने अपने पुत्र के दुव्र्यवहार के प्रति कोर्इ विशेष ध्यान नहीं दिया । इतना ही नहीं उसने जूना खां को फिर वारंगल विजय के लिए भेज दिया । जूना खां ने मार्ग में बीदर और अन्य किले विजय किए । वारंगल का नाम बदलकर सुल्तानपुर रखा गया। तेलंगाना राज्य को दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया । जूना खां ने सुदूर दक्षिण के मलावार पर भी आक्रमण Reseller और मदुरार्इ को दिल्ली सल्तनत में शामिल Reseller । बंगाल में उत्तराधिकारी का Fight शुरू हुआ । नए King ने दिल्ली सुल्तान से सहायता मांगी । इस का लाभ उठाकर सुल्तान गयासुद्दीन ने बंगाल के मामालें में हस्तक्षेप Reseller ।

आप को याद होगा कि खलजी सुल्तानों ने इस क्षेत्र के मामलों में हस्तक्षेप नहीं Reseller था इसलिए यह Single स्वतंत्र राज्य था । अवसर पाते ही गयासुद्दीन तुगलक स्वयं बंगाल गया । उसने पूर्वी और दक्षिणी बंगाल दिल्ली सल्तनत में शामिल किए । इसामी के कथनानुसार गयासुद्दीन तुगलक ने वापिस होते समय तिरूहत पर आक्रमण Reseller और उसे दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया था। इस प्रकार गयासुद्दीन तुगलक ने विस्तारवारी (शामिल करने की) नीति अपनार्इ ।

गयासुद्दीन तुगलक, तुगलक वंश का संस्थापक था । उसने कठोरता पूर्वक शासन Reseller । उसने कृषि को प्रोत्साहन दिया और राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारी । उसके शासन काल में बंगाल तथा दक्षिण का बहुत सा क्षेत्र सल्तनत में शामिल Reseller गया ।

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