ज्यामिति क्या है?

ज्यामिती का उपयोग हम प्राचीन काल से करते आ रहे हैं। ज्यामिति के तार्किक या निगमनिक पक्षो की Creation करके ज्यामिति को ज्ञान के विभिन्न क्षेत्र मे विकसित Reseller गया। गणित में ज्यामिति का योगदान मुख्यत: दो पहलू से Reseller गया है। पहला- यह वाणिज्य, कृषि, भवन व पर्यावरण नियंत्रण में सहायता करता है। दूसरा- यह अंकों व ज्यामितीय आकारों में मनुष्यों को प्रफुल्लित Reseller है, जिससे नियंत्रित कल्पनात्मक विचार व नये गणितीय सम्बन्धों को सर्वोपरि अनुशासन माना गया। भवन निर्माण, पाकर् या डेम निर्माण करना हो तो प्रत्येक  के लिए जो डिजाइन तैयार की जाती है उसकी कल्पना ज्यामिती के बिना अधूरी है।

गणित का प्रारंभिक विकास आस-पास की भूमि मापने, वातावरण में होने वाली खगोलीय घटनाओं की भविष्यवाणी की Need के चलते हुआ। आगे चलकर स्थान के अध्ययन की जिज्ञासा के चलते ज्यामिति का विकास हुआ । ज्यामिती के अध्ययन में विद्यार्थी आकार And आकृति के रहस्य से परिचित होने के साथ-साथ उनके निर्माण को नजदीकी से अवलोकन करता है, प्रारंभ में विद्यार्थी मूल अवधारणाओं बिन्दु, रेखा, तल, रेखाखण्ड, किरण, कोण,खुली आकृति व बंद आकृति से परिचित होता है। इस इकाई की Creation इस पक्रर से की गई है कि आपको ज्यामिति का ज्ञान अच्छे ढंग से हो सके और विषय को तर्कपूर्ण ढंग से आगे बढ़ाया जा सके।

ज्यामिति का आशय

ज्यामिति दो Wordों ‘ज्या’ तथा ‘मिति’ से मिलकर बना है। ‘ज्या’ का Means है- भूमि तथा ‘मिति’ का Means है-मापन। Meansात् यह गणित की वह शाखा है जिसमें भूमि का माप लिया जाता है। प्राचीन काल में इसका उपयोग मुख्यत: Earth के पृष्ठ को मापने (Landsurvey) में Reseller जाता था। आज इसका प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होता है।

अत: ज्यामिति, गणित की वह शाखा है जिसमें बिन्दु, रेखा, रेखाखण्ड, तल And ठोसों का अध्ययन उनके आकार, विस्तार तथा स्थिति के Reseller में Reseller जाता है। इसे भूमिति भी कहते हैं जो कि ज्यामिति Word का पर्यायवाची है।

युक्लिड के According समतल वह है जिसमें लंबाई व चौड़ाई हो, परन्तु मोटाई न हो। उदाहरणार्थ, यदि काँच के Single बर्तन में दो ऐसे तरल पदार्थ भर दिए जायें जो आपस में न मिलते हों तो जब वे स्थिर हो जायें तब हम देखेंगे कि Single तल दोनों पदार्थों को अलग करता है उसमें मोटाई नहीं है। यदि होती तो दोनों तरलों के बीच ऐसा स्थान होता, जिसमें न नीचे का पदार्थ होता न ऊपर का, परंतु ऐसा असंभव है। इसी प्रकार धूप में किसी समतल दीवार की छाया देखकर हम कह सकते हैं कि रेखा में चौड़ाई नहीं होती। रेखा तल में स्थित है, अत: तल की मोटाई रेखा की मोटाई हुई, इसलिए रेखा में न मोटाई होती है न चौड़ाई, केवल लंबाई ही होती है। रेखाएं Single विन्दु पर मिलती हैं तो रेखा की चौड़ाई बिन्दु की लंबाई हुई, Meansात् बिंदु में न लंबाई होती है न चौड़ाई, न मोटाई। केवल स्थान ही होता है।

ज्यामिति का History

15वीं शताब्दी तक ज्यामिति में प्राय: नाप सम्बन्धी गुणों का ही अध्ययन होता था, परन्तु उसके बाद ऐसे गुणों का भी अध्ययन हुआ जो नाप पर निर्भर नहीं करते। ज्यामिति का अध्ययन All पुराने सभ्य देशों, जैसे- मिस्र, चीन, भारत तथा यूनान में लगभग साथ ही साथ आरंभ हुआ, परन्तु जितनी उन्नति इस विज्ञान में यूनान ने की, उतनी किसी और देश ने नहीं की। Indian Customer गणितज्ञों का ज्यामिती के विकास में अमूल्य योगदान रहा है। ईसा से लगभग 300 वर्ष पूर्व यूनान के Single गणितज्ञ यूक्लिड ने उस समय तक जितने तथ्य ज्ञात थे उन सबको बडे़ तर्कपूर्ण ढंग से क्रमबद्ध Reseller। ज्ञात तथ्यों के आधार पर उसने अन्य तथ्य सिद्ध करने का प्रयत्न Reseller। इस प्रकार तथ्यों को क्रमबद्ध करने पर वह कुछ ऐसे प्रारंभिक तथ्यों पर पहुँचा जिनको सिद्ध करना कठिन है। वैसे वे बिल्कुल स्पष्ट प्रतीत होते हैं। ये तथ्य इतने सरल हैं कि युक्लिड ने इन्हें स्वयंसिद्ध मान लिया और इन्हें स्वयं तथ्य कहा है। इन्हीं तथ्यों पर ज्यामिति के प्रमेयों का प्रमाण निर्भर है। वे तथ्य हैं:

  1. वे वस्तुएं, जो Single ही वस्तु के बराबर हों, आपस में भी बराबर होती हैं।
  2. बराबर वस्तुओं के समान गुने बराबर होते हैं।
  3. यदि बराबर वस्तुओं में से बराबर वस्तुएं जोड़ दी जाये तो भागफल बराबर होते हैं।
  4. यदि बराबर वस्तुओं में बराबर वस्तुएं घटा दी जाये तो योगफल बराबर होते है।
  5. यदि दो रेखाओं को तीसरी रेखा काटे और Single ओर के अंत:कोणों का योग दो समकोण से कम हो तो जिधर जोड़ कम है उधर ही दोनों रेखाएं बढ़ाई जाने पर Single बिन्दु पर मिलेंगी।
  6. इसी प्रकार Creation कार्य में भी Single Creation से दूसरी Creation कर सकते हैं, परंतु अंत में कुछ ऐसी Creationओं पर पहुँचते हैं जिनका प्रयोग Second प्रयोगों पर निर्भर नहीं करता। इन Creationओं को भी स्वयं प्रयोग मानकर ही आगे बढ़ सकते हैं। वे हैं:
    • Single बिंदु को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या का Single वृत्त खींच सकते हैं।
    • Single बिन्दु से असंख्य रेखाएं खींची जा सकती है।
    • सीमित रेखाएं दोनों ओर बढ़ाई जा सकती हैं।

विभिन्न ज्यामिति का आधार

विभिन्न ज्यामिति का आधार मुख्यत: बिन्दु, रेखा, रेखाखण्ड, किरण,तल आदि हैं जिनको आप इस प्रकार से समझ सकते हैं-

  1. बिन्दु की समझ – आप किसी कागज पर बालपेन या नुकीली पैंसिल द्वारा सूक्ष्म चिन्ह (.) बनाये और देखें कि कैसी आकृति बनती है। आपने देखा कि यह Single छोटी सी आकृति या सूक्ष्म चिन्ह बनती है जिसकी न तो लम्बाई है, न तो चौड़ाई है और न ही ऊँचाई है, Meansात् ऐसी आकृति को बिन्दु कहते हैं। बिन्दु की आकृति जितनी सूक्ष्म होगी वह बिन्दु की संकल्पना के उतने ही निकट होगी।
  2. रेखाखण्ड की समझ – रेखाखण्ड दो Wordों से मिलकर बना है पहला- रेखा व दूसरा- खण्ड। रेखा का Means है कि जिसकी मोटाई नहीं होती है तथा लम्बाई अनन्त होती है। Meansात् उसे दोनों दिशाओं में अनन्त तक बढ़ाया जा सकता है और खण्ड का मतलब हिस्सा या भाग। अत: रेखाखण्ड का शाब्दिक Means हुआ किसी रेखा का खण्ड या हिस्सा या भाग।
  3. किरण की समझ – क्या आपने Ultra site, बल्व, मोमबत्ती, दीपक, टार्च, गाडियों के बल्व आदि से निकलने वाले प्रकाश को किरणों के Reseller में आते हुए देखा है। यहां आप पाएगे कि प्रकाश Single सीधी रेखा में गमन करता है।
  4. तल की समझ –यदि आप मेज, श्यामपट्ट्, कमरे का फर्श, बेलन, पुस्तक आदि वस्तुओं की सतह का अवलोकन करें तो पाएगे कि इन वस्तुओं में कुछ की सतह सपाट है तथा कुछ की गोलीय। इस प्रकार के पृष्ठों को तल कहते हैं। पृष्ठ दो प्रकार के होते हैं। (1) समतल (2) वक्र तल
    1. समतल – समतल वह होता है जिसके किन्हीं दो बिन्दुओं को मिलाने पर हमेशा उस तल में केवल सरल रेखायें खींची जा सकें। यह Single ऐसा सपाट पृष्ठ है जिसे चारों तरफ अनंत तक बढ़ाया जा सकता है, इस प्रकार समतल का विस्तार चारों तरफ अनंत तक होता है। इसमें यह माना जाता है कि तल की असीमित लम्बाई और चौडाई होती है, परन्तु इसकी मोटाई नहीं होती है। उदाहरण : घन या घनाभ के फलकों का तल
    2. वक्र तल – वह तल जिसके किन्हीं दो बिन्दुओं को मिलाने पर उस तल में Single वक्र रेखा खींची जा सके। कुछ तल ऐसे भी होंगे, जिनके किन्हीं दो बिन्दुओं को मिलाने पर वक्र रेखा और अगले दो बिन्दुओं को मिलाने पर सरल रेखा दोनों बने तो, इस प्रकार के तल को भी वक्र तल कहते हैं।
  5. समान्तर रेखा की समझ- वे रेखाएं जिनको कितना भी बढ़ाया जाय Single Second को कभी नहीं काटतीं परस्पर समान्तर रेखाएं कहलाती हैं। जैसे- रेल की पटरियां आदि।
  6. प्रतिच्छेदी रेखा की समझ- समतल में खींची गई दो रेखाएँ जो कि Single Second को किसी Single ही बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती हैं, उन्हें प्रतिच्छेदी रेखाएँ तथा उस बिन्दु को प्रतिच्छेदी बिन्दु कहते हैं। परन्तु दो प्रतिच्छेदी रेखाएँ Single और कवे ल Single तल निर्धारित करती हैं।

ज्यामिती का उपयोग

ज्यामितीय आकृतियों को पढा़ते समय वस्तुत: परकार, चाँदा, स्केल, गुनिया, पटरी आदि की Need होती है, जिससे बड़ी व सही आकृतियाँ बन सकें। इस हेतु ज्यामितीय उपकरणों का उपयोग Reseller जाता है।

  1. परकार –परकार का उपयोग कोण की चाप खीचने के लिए करते हैं। 
  2. गुनिया – इसको सेट स्क्वेयर के नाम से भी जानते है। यह त्रिभुजाकार आकृति होती है। पहली त्रिभुजाकार आकृति के तीनों कोण क्रमश: 900, 450, 450 तथा दूसरी त्रिभुजाकार आकृति के तीनों कोणों की माप 900, 600, 300 होती है। मिस्त्री मकान बनाते समय 900 का कोण बनाने हेतु इस प्रकार की आकृति का उपयोग करते है। इसके अतिरिक्त सेट स्क्वेयर का उपयोग समान्तर रेखा खींचने में Reseller जाता है।
  3. चांदा – चांदे का उपयोग हम सही-सही कोण नापने के लिए करते हैं। 
  4. पटरी –  चित्र की सही माप And सही रेखा खींचने के लिए पटरी का प्रयोग Reseller जाता है। 
  5. विभाजनी (डिवाइडर) – यह भी Single परकारनुमा है। यह दो बिन्दुओं के बीच की दूरी नापने And दो बराबर भागों में विभाजित करने के लिए उपयोग में लिया जाता है। हमें दीवारों पर विभिन्न आकृतियॉ बनी हुई दिखती है इन आकृतियों में खुली तथा बंद आकृतियों का उपयोग Reseller जाता है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *