जैव भू रसायन चक्र क्या है ?

अजैविक तत्वों के जैविक प्रावस्था में परिवर्तन तथा इनके अकार्बनिक या अजैविक Reseller में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को जैव-भू-रसायन चक्र (Bio-Geo-Chemical Cycle) कहते हैं। पौधे अपनी वृद्धि के लिए सौर ऊर्जा जल व कार्बनडायऑक्साइड के अतिरिक्त मिटटी से भी अनेक खनिज प्राप्त करते हैं। पारिस्थितिक तंत्र मैं भी अनेक खनिज प्राप्त करते हैं। पारिस्थितिक तंत्र मैं पोषक तत्वों की गतिशीलता जीवों में जीवन का संचार करती है। जीवों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में गैस और खनिज महत्वपूर्ण हैं। पोषक तत्वों में गैस और खनिज महत्वपूर्ण हैं। पोषक तत्व का आशय उन जैविक व अजैविक पदार्थों से है जो जीवों की राशि उन जैविक व अजैविक पदार्थों से है जो जीवों की शारीरिक Creation व ऊतको के निर्माण और संर्वधन में सहायक होता है। गैस वायुमंडल और खनिज मृदा से प्राप्त होते हैं। पौधों की प्रक्रिया Ultra site से सौर ऊर्जा और पौधों की जडो से खनिज प्राप्त होते हैं। पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाकर अपने अंगो की Creation व वृद्धि करते हैं। जिस चक्र के द्वारा अंगो की Creation व वृद्धि करते हैं। जिस चक्र के द्वारा यह क्रिया पूरी होती है उसे जैव-भू-रसायन चक्र (Bio-Geo-Chemical cycle) कहते है। जीवितों में ऑक्सीजन की मात्र 70% होती है। जीवों में हाइड्रोजन की मात्रा 10.5% तथा कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा 18% होती है। नाइट्रोजन, सल्फर व फास्फोरस प्रोटीन के निर्माण में उपयोगी रहते हैं। ये All पोषक तत्व पर्यावरण में ठोस, द्रव And गैस Reseller में उपस्थित रहते हैं। जैव भू-रसायन चक्र में तीन प्रकार के तत्व होते है।

  1. वृहद तत्व :- ऑक्सीजन, कार्बनडाइऑक्साइड, व हाइड्रोजन आदि वृहद तत्व होते है। इनके द्वारा जीवों में कोशिकाओं का निर्माण करते हैं।
  2. गौण तत्व :- इन तत्वों के द्वारा कोशिका द्रव का निर्माण होता है जैसे फास्फोरस, गन्धक, केल्शियम, नाइट्रोजन, मेग्नीशियम, पोटेशियम आदि। 
  3. सूक्ष्म पोषक तत्व :- ये सूक्ष्म पोषण तत्व होते हैं, इनकी कम मात्रा में Need होती है जैसे जिंक, आयरन, कॉपर, क्लोरिन, मैंगनीज आदि।

जैव-भू-रसायन चक्र के प्रकार

जैव-भू-रसायन चक्र के प्रकार

1. जलीय चक्र

जल के बिना जीवन असम्भव है जल जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जल Single उत्तम विलायक है इसलिए जीवों द्वारा तत्वों को ग्रहण करने में सहायता करता है। जीवद्रव्य (Protoplasm) जीवन का भौतिक आधार होता है इसका लगभग 80-90 प्रतिशत जल से बना होता है। Ultra site प्रकाश (ऊष्मा) से समुद्री जल तथा वनस्पतियों में निहित जल, वाष्प बनता है ऊपर जाकर बादल बना लेती है बादल से वर्षा होती है। वर्षा जल का कुछ भाग पुन: वाष्प में बदल जाता है व कुछ भाग भूमिगत हो जाता है और शेष समुद्र में पहुँचकर चक्र पूरा करता है यह क्रिया लगातार चलकर चक्र पूरा करती है। इस प्रकार जल चक्र वर्षण तथा वाष्पीकरण व वाष्पोत्सर्जन की क्रिया से पूर्ण हो जाता है। सामान्य Reseller से समुद्रीय जल का 1,09,000 घन मील जल वाष्पीकरण द्वारा जल वाष्प के Reseller मे वायुमण्डल में पहुँचता है और मिटटी वनस्पतियों And विभिन्न जल स्त्रोतो से भी 15000 घन मील जल वाष्प के Reseller में वायुमंडल में मिल जाता है। 98000 घन वाष्प के Reseller में वायुमण्डल में मिल जाता है। 98000 घन मील जल वर्षा के द्वारा पुन: समुद्र में आ जाता है जबकि महाद्वीपों पर 26000 घन मील जल वर्षा द्वारा प्राप्त होता है।

2. ऑक्सीजन चक्र –

ऑक्सीजन हो जीवनदायी गैस भी कहते हैं। हरे पौधो में जब प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। तो जलीय अणुओं का विमोचन होता है और ऑक्सीजन मुक्त होती है। वायुमंडल में इसकी मात्रा 21 प्रतिशत होती है। ऑक्सीजन आणविक Reseller में जल और ऑक्सीजन के Reseller में पार्इ जाती 16 है इसके अतिरिक्त केल्सियम कार्बोनेट, आयरन ऑक्साइड, आदि विभिन्न Resellerो में पाए जाते है। पौधो द्वारा उत्पन्न होती है तथा वायुमंडल में इसका संग्रह होता रहता है, और विभिन्न Resellerो में वायुमंडल में लौटा दी भी जाती है। इसका Single चक्र लगभग दो हजार वर्ष में पूरा होता है And पुन: इसका चक्र प्रारम्भ हो जाता है। ऑक्सीजन आणविक Reseller में कुछ समय ही रहती है और जल्दी ही अन्य तत्वो के साथ मिल जाती है और वायुमंडल में चली जाती है। अन्त में यह धरातलीय अवसादों में संचित हो जाती है।

ऑक्सीजन चक्र

3. कार्बन चक्र –

कार्बन का स्थानान्तरण ठोस, द्रव व गैस के Reseller में होता है। यह वायुमंडल के कुल संघटन में 0.033 प्रतिशत उपस्थित रहती है। जैविक पदार्थों के शुष्क भार का 50 प्रतिशत भाग कार्बन होता है। कार्बन का संचरण दो Resellerों में पाया जाता है। हरे पौधो द्वारा प्रकाश संश्लेषण के समय गैसीय कार्बन का उपयोग कर कार्बोहाइड्रेटस का निर्माण होता है और श्वसन क्रिया में इसे त्यागा जाता है। पुन: इसे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधे इसका उपयोग कर लेते हैं, तथा कार्बोहाइड्रेटस का निर्माण करते हैं। जीवों के द्वारा श्वसन क्रिया में कार्बोहाइड्रेटस का ऑक्सीकरण होता है जिससे कार्बडाइऑक्साइड मुक्त हो जाती है। पुन: इसे पौधे ग्रहण कर लेते हैं। पौधों व जीव-जन्तुओं 17 के मरने पर अपघटकों द्वारा इनका अपघटन होने पर कार्बनडाइऑक्साइड मुक हो जाती है। कार्बन की कुछ मात्रा धरातल की अवसादी चटटानों व कोयले में संचित हो जाती है। जब चटटानों का अवाच्छादन होता है तो कार्बनडाइऑक्साइड जीवों और वायुमंडल होगे को प्राप्त होता जाती है। मनुष्य द्वारा बनो को जलाने र्इंधन का भोजन तथा उद्योगों में ऊर्जा के Reseller में उपयोग करने, कृषि के यंत्रीकरण कोयला, पेट्रोल के जलाने तथा औद्योगीकरण क परिणामस्वReseller कार्बनडाइऑक्साइड 290 पीपीएम से बढ़कर वर्तमान समय में 330 पीपीएम हो गर्इ है। प्रतिवर्ष कार्बनडाइऑक्साइड की वृद्धि लगभग 2 या 3 पीपीएम है। इसी प्रकार कार्बनडाइऑक्साइड की वृद्धि होने पर जल्दी ही वायुमंडल में तापमान बढ़ने लगेगा जिसका जीव जगत पर विपरीत प्रभाव पडेगा।

कार्बन चक्र

4. नाइट्रोजन चक्र –

वायुमंडल की गैसों में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा पायी जाती है। जीवों के विकास व वृद्धि के लिए नाइट्रोजन की Need होती है। जीव नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष Reseller में प्राप्त न करके अप्रत्यक्ष Reseller से प्राप्त करते हैं। नाइट्रोजन का Single भाग स्त्रोत वायुमंडल है। जीव इसे गैस के Reseller में उपयोग नहीं ला सकते। पौधे मृदा से अमोनिया व नाइट्रेट के Reseller में नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं। जो जीव पौधों के ऊपर आश्रित रहते हैं वे पौधों से इसे ग्रहण करते है तथा मांसाहारी जीवन इसे जन्तुओं से प्राप्त करते है। अंत में वियोजन क्रिया के परिणामस्वReseller नाइट्रोजन पुन: वायुमंडल में भुक हो जाती है। नाइट्रोजन चक्र इन मुख्य चरणों में पूरा होता है।

  1. नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Nitrogen fixation) : वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन अन्य तत्वों के साथ क्रिया कर नाइट्रोजन के यौगिक बना लेती है इस प्रकार की क्रिया को नाइट्रोजन यौगिकीरण कहते हैं ये क्रिया दो प्रकार से होती है। 
  2. भौतिक रासायनि यौगिकीकरण: इस क्रिया में तडित विसर्जन (Lightehong) द्वारा व वर्षा के कारण नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) वायुमंडल के Reseller में परिवर्तित होकर मृदा में मिल जाती है। 
  3. जैविक यौगिकीकरण: जीवधारियों द्वारा यौगिकीकरण की क्रिया होती है। इसमें मुक्त जीवी (Free Giving) जीवाणु, वायुजीवी (Aerobik Bacteria as Agrotobacter) अवायवीय जीवाणु (An aerobic Bacteria as Clostridium) भाग लेते है। ये जीवाणु मृदा व जल में पाये जाते है। फलीहार, पौधो (Legumenous Plants) की जड़ो में ग्रन्थिकाएं (Nodules) पायी जाती है, जो कि सहजीवी (symbiotic Bacteria) होते है। सहजीवी जीवाणु ने जीवाणु जो कि Single Second को बिना किसी नुकसान पहुँचाए साथ-साथ जीवन व्यतीत करते है उन्हे सहजीवी जीवाणु कहते है। राइजोबियम जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदल देते है और इस प्रकार पौधो से ये नाइट्रोजन अन्य जीवधारियों तक पहुँच जाती है। 
  4. नाइट्रोजन का स्वांगीकरण (Nitrogen Assimilation):- . पौधे नाइट्रोजन को नार्इट्रेट के Reseller में ग्रहण करने है। तब नाइट्रेट के Reseller में ग्रहरण करने हैं। तब नाइट्रेट का अपचयन होता है तो पौधो की कोशिकाए अमोनिया -एमिनो के Reseller में ग्रहण करते हैं। Single से अधिक एमिनो अम्ल मिलकर प्रोटीन बनाते है इस प्रकार बने प्रोटीन को जन्तु भोजन के Reseller में ग्रहरण करते है।
  5. अमोनीकरण (Ammonification) :- जब पौधों और जन्तुओं की मृत्यु हो जाती है तथा जन्तुओं द्वारा उत्सर्जित यूरिया, यूरिक अम्ल, अमोनीकारी जीवाणुओं द्वारा अमोनिया में बदल दिये जाते है। 
  6. नाइट्रोजन (Nitrification):- नाइट्रोसोमोनास जीवाणु द्वारा नाइट्राइस में बदलती है तो इसे नाइट्रीकरण कहते है नाइट्रोबैक्टर जीवाणु नाइटाइट को नाइट्रेट मे बदल देते है अब पौधे नाइट्रेट आयन को भोजन के Reseller में ग्रहण कर लेते है। 
  7. विनाइट्रीकरण (Gentrification):- मृदा में स्यूडोमोनास जीवाणु नाइट्रेट आयन को नाइट्रोजन में अपचयित कर देते है इस क्रिया को विनाइटीकरण कहते हैं। ये मुक हुर्इ नाइट्रोजन पुन: वायुमंडल में चली जाती है।
    नाइट्रोजन चक्र

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