जल दुर्लभता क्या है? और इसके कारण

मॉंग के According जल की पूर्ति न हो पाना जल दुर्लभता कहलाता है। यही जल दुर्लभता विश्व की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है जब कि Earth का तीन- चौथाई भाग जल से घिरा है और जल Single नवीकरण योग्य संसाधन है तब भी विश्व के अनेक देशों और क्षेत्रों में जल की कमी कैसे है?

जल दुर्लभता के कारण

  1. औद्योगीकरण-स्वतन्त्रता के पष्चात् हमारे देश में तीव्र गति से.औद्योगीरण हुआ है। आज हमारे देश में उत्पादित कच्चे माल का निर्माण स्वयं के उद्योंगों में हो रहा है फलस्वरुप उद्योंगों में वृद्धि होती जा रही है। जिससे अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, उद्योंगों को अत्यधिक जल के अतिरिक्त उनके संचालन के लिए भी उर्जा की Need होती है जिसकी पूर्ति जल विद्युत से होती है।
  2. शहरीकरण- .शहरीकरण भी जल दुर्लभता के लिए Single जिम्मेदार कारक है,इसने भी जल दुर्लभता की समस्या में वृद्धि की है। शहरों की निरन्तर बढ़ती जनसंख्या व शहरी जीवन शैली के कारण न केवल जल और उर्जा की Need में वृद्धि हुई है बल्कि उनसे सम्बन्धित समस्याए भी बढ़ गयी हैं।
  3. जनसंख्या वृद्धि-यद्यपि भारत सरकार द्वारा देश में परिवार नियोजन सम्बन्धी अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथापि हमारे देश में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है जिस कारण जल की मॉंग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। जल की बढ़ती मॉंग And उसका असमान वितरण जल दुर्लभता का कारण बनता जा रहा है । अधिक जनसंख्या जल संसाधनों का अति उपयोग कर रही है तथा उपलब्ध संसाधनों को प्रदूशित कर रही है।
  4. जल प्रदूषण – जल दुर्लभता का Single प्रमुख कारण जल की खराब गुणवत्ता Meansात् जल प्रदूषण भी रहा है।देश में प्रचुर मात्रा में उद्योग धन्धे हैं इनसे निकलने वाला अवसाद जल को प्रदूशित कर रहा है।बढ़ती जनसंख्या बढ़ता शहरीकरण अधिकांश मात्रा में कूड़ा निस्तारण जल में ही करता है परिणामस्वReseller् पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होने के बावजूद यह धरेलू And औद्योगिक अपषिश्टों ,रसायनों ,कीटनाशकों And कृशि में प्रयुक्त उर्वरकों द्वारा प्रदूशित हैं। अत: इस प्रकार का जल Human के उपयोग के लिए खतरनाक है फलस्वReseller विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  5. जल के वितरण में असमानता-हमारे देश में वर्षा में वार्शिक And मौसमी परिवर्तनों के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता में समय और स्थान के According विभिन्नता पायी जाती है। जहॉं Single तरफ हमारे देश में मासिनराम(मेघालय) में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है।वहीं दूसरी ओर राजस्थान का थार मरूस्थल सूखाग्रस्त है। प्रकृति के साथ-साथ जल के असमान वितरण के लिए हम भी जिम्मेदार हैं । अधिकांश त: जल की कमी इसके अतिशोषण ,अत्यधिक प्रयोग And समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण होती है।
  6. सिंचाई- जल की उपलब्धता लोगों के लिए सिर्फ घरेलू उपभोग के लिए नहीं बल्कि अधिक अनाज उगाने के लिये भी आवश्यक है। जिन स्थानों पर वर्षा नहीं होती है वहॉं पर लोग उपलब्ध जल स्रोतों के द्वारा खेतों की सिंचाई करके अधिक उत्पादन करते हैं। जल संसाधनों का अति शोशण करके ही सिंचित क्षेत्र में वृद्धि की जा सकती है और शुष्क ऋतु(Meansात् जब वर्षा नहीं होती) में भी कृशि की जा सकती है। हमारे देश के अधिकांश किसान निजी कुओं तथा नलकूपों से सिंचाई करते हैं व अपने कृशि उत्पादन में वृद्धि करते हैं। परिणामस्वReseller कृशि उत्पादन में वृद्धि तो हो जाती है किन्तु अधिक सिंचाई की वजह से भौमजल स्तर नीचे गिर रहा है तथा लोगों के लिए उपलब्ध जल में निरन्तर कमी होती जा रही है।

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