छोटा व्यवसाय क्या है ?

जब आपसे कोर्इ पछूता है ‘छोटा व्यवसाय क्या है,’ तब आप कहेंगे कि वह व्यवसाय

  1. जो आकार में छोटा है, 
  2. जिसमें कम पूजी निवेश की Need है, 
  3. जो कम संख्या में कर्मचारी की Appointment करता है, 
  4. जिसमें उत्पाद की मात्रा या मूल्य कम है, उसे छोटा व्यवसाय कह सकते है।

हां! आप ठीक हैं। व्यावसायिक उपक्रम को मापने के लिए उसका आकार, पूजी निवेश, कर्मचारियों की संख्या, उत्पाद की मात्रा And उसका मूल्य, आदि सामान्य मापदण्ड हैं। हम छोटे व्यवसाय को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं- ‘ऐसा व्यवसाय जो इसके स्वामियों द्वारा सक्रिय Reseller से प्रबन्धित हो, स्थानीय क्षेत्र में क्रियाएं करता हो And आकार में छोटा हो’। भारत सरकार लघु (छोटी) औद्योगिक इकार्इ को परिभाषित करने के लिए प्लांट And मशीनरी में निवेश की गर्इ स्थायी पूजी को Single मात्र आधार मानती हैं। 1958 तक Single औद्योगिक इकार्इ, जिसमें 5 लाख Resellerये से कम का स्थार्इ पूजीं निवेश था And विद्युत शक्ति का प्रयोग करने पर कर्मचारियों की संख्या 50 तक And विद्युत शक्ति का प्रयोग न करने पर कर्मचारियों की संख्या 100 तक तक हो उसी को छोटा व्यवसाय कहा जाता था। सरकार द्वारा समय-समय पर इस सीमा में परिवर्तन Reseller गया। सन् 1960 में कर्मचारियों की संख्या को आधार के Reseller में निकाल दिया गया। 21 दिसम्बर 1999 से नवीनतम परिवर्तनों के According छोटे पैमाने की इकार्इयों के लिए प्लांट And मशीनरी में निवेश सीमा बढ़ाकर Single करोड़ Resellerये कर दी गर्इ है। प्लांट अथवा मशीनरी स्वामित्व, पट्टे And किराया-क्रय के आध् ाार पर क्रय की गर्इ हो सकती ह।ै Single करोड Resellerये की सीमा के लिए शर्त यह है। कि इकार्इ किसी अन्य औद्योगिक उपक्रम के स्वामित्व, नियंत्रण अथवा उसकी सहायक इकार्इ नहीं हो।

छोटे व्यवसाय की विशेषताएं

उपरोक्त Discussion से हम अब छोटे व्यवसाय की मुख्य विशेषताओं की पहचान इस प्रकार कर सकते हैं:

  1. सामान्यत: Single छोटा व्यवसाय कुछ व्यक्तियों के स्वामित्व And प्रबंध में होता है। 
  2. व्यवसाय की दिन-प्रतिदिन की क्रियाओं में स्वामी सक्रिय Reseller से भाग लेते है।
  3. स्वामियों के प्रबंध में भाग लेने से श्शीघ्र निर्णय लेने में सहायता मिलती है। 
  4. छोटे व्यवसाय का कार्यक्षेत्र सीमित होता है। साधारणत: इससे स्थानीय लोगों ककी Need की ही पूर्ति होती है। 
  5. साधारणत: छोटी व्यावसायिक इकार्इया श्रम आधारित होती हैं, अत: इनमें कम पूजी निवेश की Need होती है। 
  6. इनमें सामान्यत: अपने कार्यों के लिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग Reseller जाता है।

छोटे व्यवसाय के प्रकार

छोटे व्यवसाय के विभिन्न प्रकार मिलते है। उनको प्लांट And मशीनरी में स्थायी पूजी के निवेश के आधार अथवा प्रकृति या परिचालन के स्थान के आधार पर वर्गीकृत Reseller जा सकता है। छोटे व्यवसाय के कुछ मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं।

  1. छोटे पैमाने के उद्योग
  2. अति छोटे (नन्हें) उद्योग 
  3. सहायक औद्योगिक उपक्रम 
  4. ग्रामीण उद्योग 
  5. कुटीर उद्योग 
  6. सूक्ष्म व्यावसायिक उपक्रम
  7. छोटे पैमाने की सेवाएं और व्यवसाय (उद्योग से सम्बन्धित) 
  8. व्यापारिक इकार्इयॉं

छोटे व्यवसाय का महत्व

छोटे व्यवसाय का Means, विशेषताओं And विभिन्न प्रकारों पर Discussion करने के बाद आइए अब हम इसके महत्व को देखें। छोटे व्यावसायिक उद्यम प्रत्येक स्थान पर मिलते है। देश के किसी भी सामाजिक व आर्थिक विकास में इनकी विशेष भूमिका होती है। पूंजी संसाधन की कमी And प्रचूर मात्रा में श्रम And प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता को दृष्टि में रखते हुए। भारत के आर्थिक नियोजन में छोटे पैमाने के व्यवसायों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं। भारत में छोटे पैमाने के व्यवसायों की विनिर्माणक क्षेत्र के कुल उत्पादन के सकल मूल्य के 35 प्रतिशत कुल औद्योगिक रोजगार के 80 प्रतिशत And कुल निर्यात के करीब 45 प्रतिशत भागीदारी हैं इन योजनाओं के अतिरिक्त निम्न कारकों के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है:-

  1. छोटे व्यावसायिक उद्यम हमारे देश में बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसर उत्पन्न करते हैं। 
  2. इनमें बड़े पैमाने के व्यावसायिक उद्यमों की तुलना में कम पूंजी की Need होती हैं। 
  3. स्थानीय संसाधनों के उपयोग And स्थापित करने व चलाने में कम व्यय के कारण उत्पादन लागत कम आती हैं। 
  4. छोटे उद्योग, देश के अभी तक उपयोग में न लाये गय े संसाधनों को प्रभावी Reseller से उपयोग योग्य बनाने में सहायता प्रदान करतें हैं। स्थानीय संसाधनों And देशी तकनीक की सहायता से ग्रामीण And कुटीर उद्योग विश्व स्तर में उत्पादित कर सकते है।
  5. छोटे उद्योग देश के संतुलित क्षेत्रीय विकास का प्रवर्तन करते हैं। ये संसाध् ानों के स्रोतों के पास आसानी से स्थापित किये जा सकते हैं। जिसे उस स्थान का सर्वांगीण आर्थिक विकास होता है। 
  6. छोटे उद्योग विदेशों को गुणवत्ता वाले उत्पाद के निर्यात द्वारा राष्ट्रीय छवि को सुधारने में मदद करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में Indian Customer हस्तशिल्प हाथकरघा उत्पादों, जरी, आदि कार्यों की बहुत अधिक मांग हैं। 
  7. छोटे व्यवसाय लोंगों के रहन सहन के स्तर को सुधारने में सहायता करतें हैं। लोग आसानी से अपना व्यवसायिक उद्यम प्रारंभ कर सकते हैं। अथवा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। उनको विभिन्न प्रकार की गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्रतिदिन के उपयोग और उपयोग के लिए मिलते हैं।

छोटे व्यवसाय का क्षेत्र

छोटे व्यवसाय का क्षेत्र विस्तृत है जिसके अन्तर्गत विनिर्माण से लेकर फुटकर व्यापार तक विभिन्न क्रियायें आती हैं। कुछ विशिष्ट क्षेत्रों की आर्थिक क्रियाओं को छोटे व्यावसायिक उपक्रमों में गठित कर सफलतापूर्वक प्रबंधित Reseller जा सकता है। अब हम छोटे व्यवसाय के क्षेत्र के बारे में Discussion करेंगे।

  1. व्यापार को जिसमें माल And सेवाओं का क्रय-विक्रय शामिल है, शुरू करने में कम समय व पूजी लगानी पड़ती है। आर्थिक क्रियाओं के इस क्षेत्र पर छोटे पैमाने के उद्यमियों का प्रभुत्व है। 
  2. मोटर मरम्मत, वस्त्र सिलार्इ, बढ़र्इगीरी, सौंदर्य निखार (पार्लर), आदि जैसे कार्य जिनमें व्यक्ति विशेष की सेवाओं की Need होती है। छोटे व्यवसाय को स्थापित कर चलाए जाते है। 
  3.  उन लोगों के लिए यह श्रेष्ठ विकल्प है जो नौकरी नहीं करना चाहते हैं लेि कन स्वरोजगारी बन जाते हैं। अपने स्वयं का छोटा व्यवसाय चलान े वाल े लागे स्वतंत्रता पूर्वक कार्य कर सकते हैं। 
  4.  छोटे पैमाने का व्यवसाय उन उत्पादों And सेवाओं के लिए जिनकी मांग कम या सीमित है अथवा विशेष क्षेत्र में है, सबसे उपयुक्त हैं। 
  5. Single बड़ी औद्योगिक इकार्इ छोटी इकार्इ की सहायता बिना सरलतापूर्वक नही  चल सकती है। ये आदै ्याेि गक इकार्इयां अक्सर मशीन के कुछ हिस्से या पुर्जों के उत्पादन के लिए जो उनके लिए लाभप्रद नहीं होता, छोटी इकार्इ (सहायक औद्योगिक व्यवसाय) पर निर्भर होती है। 
  6. व्यवसाय का बाह्यस्रोतिकरण प्रक्रिया के युग में छोटे व्यावसायिक उद्योगों के लिए नये क्षेत्र खुल गए हैं। 
  7. ऐसे व्यावसायिक उपक्रम को जिन में ग्राहकों And कर्मचारियों से निजी सम्पर्क की Need होती है छोटे व्यवसाय के Reseller में सफलता पूर्वक चलाया जा सकता है।

छोटे व्यवसायों के प्रति सरकारी नीति

भारत सरकार ने छोटे व्यावसायिक उद्यमों को उनकी देश के सामाजिक And आर्थिक स्थिति के विकास में गहन क्षमता के कारण विशेष महत्व दिया हैं। आर्थिक स्थिति में परिवर्तनों को दृष्टि में रखते हुए समय-समय पर उनके लिए सहायता की घोषणा की जाती है। भारत में छोटे व्यवसायों के विकास के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं जो निम्नलिखित हैं:-

  1. छोटे पैमाने के उद्योगों के लिए उदार साख नीति जैसे ऋण And अग्रिमों की प्रक्रिया में कम औपचारिकताए रियायती दर पर ऋण, आदि तैयार की गर्इ हैं। 
  2. बड़े पैमाने के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से दूर रखने के लिए Indian Customer सरकार ने केवल छोटे पैमाने के उद्योगों के लिए लगभग 800 वस्तुओं का उत्पादन Windows Hosting रखा है।
  3. छोटे पैमाने की इकार्इयों को आबकारी And बिक्री कर मे  छटू दी हैं। अथवा कर मुक्त कर दिया गया है छोटे पैमाने के उद्योगों केक आबकारी कर में कर-मुक्ति की सीमा 50,000 (पचास हजार Resellerये) से बढ़ाकर 1 करोड़ Resellerये कर दी गर्इ है। 
  4. सरकार अपने उपयोग And उपभोग के लिए स्टेशनरी And Second समान क्रय करने में छोटे उद्योगों के उत्पादों को वरीयता प्रदान करती है। 
  5. सरकार द्वारा छोटे पैमाने के औद्योगिक व्यवसायों के प्रवर्तन, वित्तीयन And विकास के लिए Indian Customer लघु औद्योगिक विकास बैंक  And जिला औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना की है। 
  6. Indian Customer सरकार ने सूक्ष्म, लघु And मध्यम उद्यमों के लिए पृथक मंत्रालय की स्थापना की है जिससे देश में छोटे व्यावसायिक उद्यमों के विकास के लिए प्रभावशाली नियोजन और निगरानी हो सके। 
  7. सरकार ने संख्या में उद्यमों को अपने नियोजन And नीतियों से लाभ पहुंचाने के लिए उनमें निवेश की राशि 3 करोड़ Resellerया से घटाकर 1 करोड Resellerया कर दी है। 
  8. सरकार छोटे पैमाने के व्यवसाय के चुने हुए क्षेत्रों को प्रौद्योगिकी में निवेशित पूजी पर 12 प्रतिशत का परिदान देती है। 
  9. सरकार ‘कुल गुणवत्ता प्रबन्धन’ को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक ऐसी इकार्इ को, जिसने आर्इ.एस.ओ 9000 प्रमाणन प्राप्त कर लिया है, 75000 Resellerया का अनुदान देती है। 
  10. हथकरघा क्षेत्र को वित्त, डिजाइन And विपणन में सहायता के लिए सरकार ने दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन योजना आरम्भ की है। 
  11. भारत सरकार ने छोटे पैमाने के इकार्इ की कुल अंशस्वामित्व के 24 प्रतिशत भाग पर अन्य औद्योगिक इकार्इयों के स्वामित्व की स्वीकृति दी है। 
  12. छोटे व्यावसायिक उद्यम के लिए सरकार भूमि, ऊर्जा And पानी रियायती दर पर उपलब्ध कराती है। 
  13. ग्रामीण And पिछड़े क्षेत्रों में छोटे उद्यम स्थापित करने पर विशेष प्रोत्साहन दिए जाते हैं। 
  14. सरकार विकसित भूमि And औद्योगिक भूसम्पत्ति प्रदान कर छोटे पैमाने के उद्योगों को स्थापित करने के लिए पे्ररित करती है।

छोटे छोटे व्यवसायों को संस्थागत सहायता

व्यावसायिक उद्यम को शुरू करने व चलाने के लिए विभिन्न संसाधनों व सुविधाओं की Need होती है। ये सहायता तकनीकी, वित्तीय, विपणन या प्रशिक्षण के Reseller में हो सकती है। सरकार इस प्रकार की सहायता प्रदान करके विभिन्न संस्थानों या संगठनों को समय-समय पर स्थापित करती है। अब हम कुछ ऐसे संस्थानों And सहायता प्रदान करने में उनकी भूमिका के विषय में पढेंगें।

1. राज्य लघु उद्योग निगम लिमिटेड (NSIC)

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड की स्थापना सन् 1955 में भारत लघु उद्योगों के प्रवर्तन, सहायता And विकास को बढ़ावा देने के लिए की गर्इ। यह निगम व्यापक Reseller से तरह-तरह की प्रवर्तन सेवाएं छोटे पैमाने के उद्योगों को प्रदान करता है। ये छोटे पैमाने के उद्योगों को मशीनरी, किराया-क्रय पद्धति और पट्टे पर भी दिलाते हैं। यह निगम छोटे पैमाने के उद्योगों के उत्पादों का निर्यात करने में सहायता करते है। यह निगम छोटे पैमाने के उद्योगों को उनकी तकनीकों को विकसित करने और उच्चश्रेणीकृत करने और आधुनिकीकरण कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने में सहायता करता है।

2. राज्य लघु उद्योग विकास निगम (SSIDCS)

हमारे देश के विभिन्न राज्यों में छोटे, अति लघु And ग्रामीण उद्योगों की विकास सम्बन्धी Needओं को पूरा करने के लिए राज्य लघु उद्योग विकास निगमों की स्थापना की गर्इ है। इनके प्रमुख कायों में दुर्लभ कच्चे माल की प्राप्ति और वितरण, किराया-क्रय पद्धति के आधार पर मशीनरी की पूर्ति, छोटे पैमाने के उद्योगों द्वारा उत्पादित उत्पादों के लिए विपणन सुविधाएं प्रदान करना सम्मिलित हैं।

3. राष्ट्रीय कृषि And ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)

कृषि And ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक की स्थापना सन् 1982 में ग्रामीण And कृषि क्षेत्रों के वित्तीयन के लिए श्शीर्ष संस्थान के Reseller में की गर्इ। यह बैंक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों द्वारा कृषि, छोटे पैमाने के कुटीर और ग्रामीण उद्योगा,ें हस्तशिल्प और ग्रामीण क्षेत्र की सहायक क्रियाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता हैं।

4. Indian Customer लघु उद्योग विकास बैंक

Indian Customer लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना सन् 1990 में प्रधान वित्तीय संस्थान के Reseller में छोटे पैमाने के औद्योगिक उद्यमों के प्रवर्तन, वित्तीयन And विकास के लिए की गर्इ थी। हमारे देश में छोटे पैमाने के उद्योगों को साख-सुविधा प्रदान करने वाले All बैंको की यह शीर्ष संस्था है।

5. लघु उद्योग सेवा संस्थान

लघु उद्योग सेवा संस्थानों की स्थापना छोटे उद्यमों को प्रशिक्षण And परामर्शदात्री सेवाएं प्रदान करने के लिए की गर्इ है। ये संस्थान तकनीकी सहायता, सेवा And उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का संचालन करने में मदद करते हैं। ये छोटे पैमाने के उद्योगों को व्यापार And विपणन सूचना भी प्रदान करते हैं।

6. जिला उद्योग केन्द्र

हमारे देश में छोटे (लघु) उद्योगों के प्रवर्तन के लिए जिला स्तर पर जिला उद्योग केन्द्रों की स्थापना की गर्इ है। ये संसाधनों की उपलब्धता को दृष्टि में रखकर औद्योगिक सक्षमता का सर्वेक्षण (खोज) करते हैं। इनका प्रमुख कार्य केन्द्रीय And राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित करना है। उद्यमियों द्वारा नर्इ इकार्इयों के स्थापित करने से सम्बन्धित प्रस्तावों की सार्थकता का मूल्यांकन कर कच्चे माल, मशीनरी व उपकरण के चयन के लिए उनका मार्ग दर्शन Reseller जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *