खाद्य श्रृंखला And खाद्य जाल क्या है ?

जब उत्पादक का उपभोग First उपभोक्ता द्वारा और फिर First उपभोक्ता का उपभोग द्वितीय उपभोक्ता द्वारा Single क्रम से Reseller जाता है कि Single श्रृंखला के समान Creation बन जाती है, इसे ही खाद्य श्रृंखला कहते हें किसी पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक – उपभोक्ता व्यवस्था को किसी पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक उपभोक्ता व्यवस्था को पोषण तल Creation (Tropic Structure) कहते हैं और पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक तथा अलग अलग श्रेणी के प्रत्येक स्तर को पोषण तल या पोषण स्तर या ऊर्जा स्तर (Tropic level or food level) कहते है। जैसे

  1. उत्पादक हरे पौधे First पोषण स्तर।
  2. प्राथमिक उपभोक्ता शाकाहारी प्राणी जो कि First पोषण स्तर का उपभोग करते है इसे द्वितीय पोषण स्तर कहते है। 
  3. द्वितीय उपभोक्ता मांसाहारी जो कि द्वितीय पोषण स्तर का उपभोग करते है इसे तृतीय पोषण स्तर कहते है। 
  4. मांसाहारी या पोषण स्तर 4 :- इसके अन्तर्गत मनुष्य को सम्मिलित Reseller जाता है मनुष्य अपने पोषण के लिए उपरोक्त तीनों पोषण स्तर पर निर्भर रहता है। मनुष्य पेड़ पौधों से भोजन प्राप्त करता है, और शाकाहारी जीवों से भोजन व दूध तथा मांसाहारी से भोजन प्राप्त करता है। इसलिए Human सर्वाहारी (Omni – Vorous) कहलाता है।

उदाहरण घास के मैदान में घास -टिड्डी – मेढ़क – बाज।

खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक स्तर या कड़ी अथवा जीव की पोषण स्तर या ऊर्जा स्तर कहते है। इस श्रृंखला के Single किनारे पर हरे पौधे Meansात् उत्पादक, जबक Second अपघटक होते है। इन दोनों के बीच विभिन्न स्तर के उपभोक्ता होते है।

प्रकृति में तीन प्रकार की खाद्य श्रृंखला एं पार्इ जाती है :-

  1. चारण आहार श्रृंखला (Grazing food chain) :-यह आहार श्रृंखला हरे पौधों से आरम्भ होती है हरे पौधे Ultra site के प्रकाश पर प्रत्यक्ष Reseller से निर्भर रहते है अत: क्लोरोफिल और Ultra site प्रकाश की उपस्थिति में अपने भोजन का निर्माण स्वंय करते है इस प्रकार की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते है। सामान्यत: अधिकांश पारिस्थितिक तंत्र में चारण श्रृंखला पायी जाती है। इस श्रृंखला में हरे पौधे जैसे – घास और इसके चरने वाले तथा मांसाहारी जीव आते है। 
  2. परजीवी आहार श्रृंखला (Detritus food chain) :- वह आहार श्रृंखला जो कि पौधों से आरम्भ होकर छोटे जीवों पर समाप्त होती है। 
  3. अपरदी आहार श्रृंखला (Lateritious food chain) :- आहार श्रृंखला सौर ऊर्जा पर निर्भर नहीं करती बल्कि इसमें मृत जैविक पदार्थ से सूक्ष्म पदार्थ और अपरदारी जीवों का क्रम पाया जाता है जैसे मेंग्रोव वनों में पResellerं गिरती रहती हैं। इनका भक्षण कवक, बैक्टीरिया, शैवाल आदि जीव करते हैं।

घास के मैदान के परिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला –

घास के मैदान का परिस्थितिक तंत्र में उत्पादक हरी घास होती है। इस First पोषण तल या पोषण स्तर (Tropic level or food level) कहते हैं इसका उपभोग शाकाहारी जैसे खरगोश कर लेता है तो इसे द्वितीय पोषण स्तर कहते है। ये शाकाहारी होता है। इसके बाद इसका उपभोग मांसहारी शाकाहारी होता है। इसके बाद इसका उपभोग मांसाहारी जैसे लोमड़ी कर लेती हैं इसे तृतीय पोषण स्तर कहते है। लोमड़ी का उपभोग शेर कर लेता है। जो कि चतुर्थ पोषण स्तर कहलाता है।

खाद्य श्रृंखला
खाद्य श्रृंखला

जलीय तालाब का पारिस्थितिक तंत्र की आहार श्रृंखला

जलीय तालाब Single पूर्ण परिस्थितिक तंत्र होता है इसमें चार प्रकार के घटक (Component) पाये जाते है :-

  1. अजैविक घटक (Abiotic component) :- तालाब के जल में विभिन्न खनिज पदार्थ ऑक्सीजन, कार्बनडाइआक्साइड घुले हुए रहते है। 
  2. जैविक घटक (Biotic component) :- तालाब के जल में कमल, हाइड्रिला, बोल्फिया, स्पाइरोगाइरा आदि जलीय पौधे पाये जाते है। इनमें क्लोरोफिल पाया जाता है इसलिए ये Ultra site प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं बनाते है Meansात् प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते है।
  3. उपभोक्ता (Consumers) : तालाब के जल में शाकाहारी मछलियां मेंढ़क आदि पाये जाते है, जो जलीय शैवाल आदि छोटे-छोटे जलीय पौधें को ग्रहण करते है इन्हें प्राथमिक उपभोक्ता (First conumer) और तालाब में उपस्थित मांसाहारी मछलियां, केकड़े व जलीय सर्प पाये जाते है जो प्राथमिक उपभोक्ता का भक्षण करते है। द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते है। जल के आस-पास रहने वाले पक्षी जैसे बगुला व सारस तथा तालाब में पाये जाने वाले कछुए बड़े आकार की मछलियां, द्वितीयक उपभोक्ता का भक्षण करते है इन्हें तृतीयक (Tertiary Consumer) कहते है। 
  4. अपघटक (Decomposer) :- तालाब की तह या सतह में जीवाणु (Bacteria) व कवक (fungus) पाए जाते हैं जो जन्तु और पौधों के मृत शरीर को अपघटित कर देते है।

      खाद्य श्रृंखला

      खाद्य जाल 

      पारिस्थितिक तंत्र में Single से अधिक खाद्य श्रृंखलाए आड़ी – तिरछी जुड़कर Single जाल के समान Creation बना लेती हैं, इसे खाद्य जाल कहते हैं अथवा खाद्य ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में होता है जिससे Single खाद्य श्रृंखला के जीव का सम्बन्ध दूसरी खाद्य श्रृंखला के जीव से हो जाता है तो इसे खाद्य जाल (Food Web) कहते है। इस प्रकार से कोर्इ भी जीव Single से अधिक पोषण स्तरों से अपना भोजन प्राप्त कर सकता है। जैसे घास के पारिस्थितिक तंत्र में खरगोश के स्थान पर चूहे द्वारा घास का भक्षण कर लिया जाता है और चूहे का भक्षण सीधे बाज द्वारा भी हो सकता है तथा ऐसा भी हो जाता है कि First सांप चूहे को खाये और फिर सांप बाज के द्वारा खा लिया जाये तथा घास को टिड्डा खाए ओर इसे छिपकली, बाज सीधे छिपकली को खा जाए जिसके परिणामस्वReseller All खाद्य श्रृंखलाए मिलकर Single जाल बना लेती हैं यही खाद्य जल (Food web) होता है। घास के पारिस्थितिक तंत्र में खाद्य जाल के पांच के वैकल्पिक जाल  हो सकते हैं।

      1. घास – खरगोश – बाज
      2. घास – टिडडा – बाज
      3. घास – टिडडा – छिपकली – बाज
      4. घास – चूहा – बाज
      5. घास – चूहा – सांप – बाज

      खाद्य जाल के द्वारा पारिस्थितिक तंत्र में स्थिरता और संतुलन बना रहता है।

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