क्षेत्र पंचायत का गठन, चुनाव प्रणाली, अधिकार And शक्तियां

तिहत्तरवें संविधान संषोधन के अन्र्तगत नर्इ पंचायत राज व्यवस्था में पंचायतें तीन स्तरों पर गठित की गर्इ है। विकेन्द्रीकरण की नीति ही यह कहती है कि सत्ता, शक्ति व संसाधनों का बंटवारा हर स्तर पर हो। तीनों स्तर पर पंचायतों के द्वारा लोगों की प्राथमिकताओं के According विकास योजनायें बनाइर् जाती है। पंचायतों को इस व्यवस्था के अन्तर्गत नये कार्य और अधिकार देने के पीछे मुख्य सोच यही है कि लोगों की जरूरत के आधार पर योजनायें बनार्इ जायें। ताकि विकास योजनाओं का सही-सही लाभ लोगों को उनकी Needनुसार मिल सके। दूसरी सोच इस व्यवस्था के पीछे यह है कि सरकार लोगों की Needयें जानकर उनके According योजनाओं का निर्माण कर सके इसके लिए पंचायतों के माध्यम से ही सीधे लोगों तक पहुँचा जा सकता है। इस प्रकार केन्द्र और राज्य सरकार को लोगों की जरूरतों के According पंचवष्रीय योजनायें बनाने में भी मदद मिलती है।

विकासखण्ड स्तर पर यदि लोगों की जरूरतों के हिसाब से योजनायें बनें तो अधिक प्रभावी तरीके से लोगों को योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। क्योंकि बहुत सी जरूरतें ऐसी हैं जो या तो पूरे विकास खण्ड की हैं या Single ही विकास खण्ड में बहुत सी ग्राम पंचायतों की हैं। इस तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनका हल खोजने और उन्हें लागू करने में क्षेत्र पंचायतों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसीलिए क्षेत्र पंचायत का गठन Reseller गया है ताकि वे अपने-अपने क्षेत्र की जरूरतों को जिले तक पहंचु ा सकें और उसी के आधार पर जिले की विकास योजना बनें। चूंकि जिला Single बहुत बड़ा क्षेत्र हो जाता है और यह वास्तविक Reseller से संभव भी नहीं है कि Single जिले में आने वाली हर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि अपनी जरूरतों को जिला पंचायत तक समय से पहंचु ा सकें। इसलिए ग्राम पंचायतों की समस्याओं व उनकी प्राथमिकताओं की पहचान को इकट्ठा कर जिला पंचायत तक पहंचु ाने में, उनको लागू कराने में क्षेत्र पंचायतों का होना बहुत जरूरी हो जाता है। इसीलिए क्षेत्र पंचायतों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी गर्इ है।

क्षेत्र पंचायत का गठन 

राज्य सरकार प्रत्येक जिले को खण्डों में बांटेगी। खण्डों की सीमाओं का निर्धारण भी राज्य सरकार तय करती है। प्रत्येक खण्ड को विकास खण्ड कहा जाता है। 73 वें संविधान संसोधन के According प्रत्येक विकासखण्ड में Single क्षेत्र पंचायत होगी। क्षेत्र पंचायत का नाम विकासखणण्ड के नाम पर रखा जायेगा।

पर्वतीय क्षेत्रों में 25000 तक ग्रामीण जनसंख्या वाले विकास खंडों में 20 प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र(क्षेत्र पंचायत का निर्वाचन क्षेत्र ) तथा 25000 से अधिक जनसंख्या वाले विकास खण्डों में उत्तरोतर अनुपातिक वृद्वि के आधार पर किन्तु अधिकतम 40 प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र होंगे। मैदानी क्षेत्रों में 50000 तक ग्रामीण जनसंख्या वाले विकास खंडों में 20 प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र तथा 50000 से अधिक जनसंख्या वाले विकास खंडों में उत्तरोत्तर अनुपातिक वृद्वि के आधार पर किन्तु अधिकतम 40 प्रादेषिक निर्वाचन क्षेत्र होंगे।

क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्य (जिनका चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा Reseller होता है) विकास खण्ड के All ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान, लोक सभा और राज्य सभा के वे सदस्य जिनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास खण्ड पूर्ण या आंषिक Reseller से आता है तथा राज्य सभा और विधान परिषद के सदस्य जो विकास खण्ड के भीतर मतदाता के Reseller में पंजीकृत है को मिला कर क्षेत्र पंचायत का गठन Reseller जाता है।

क्षेत्र पंचायत में आरक्षण

क्षेत्र पंचायत के प्रमुख और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पदों पर अधिनियम के प्रावधानों के According आरक्षण लागू होगा।

  1. अनुसूचित जाति And पिछड़ी जाति के लोगों के लिए पदों का आरक्षण कुल जनसंख्या में उनकी जनसंख्या के अनुपात पर निर्भर करता है। लेकिन अनुसूचित जाति के लिए पदों का आरक्षण कुल सीटों में अधिक से अधिक 21 प्रतिषत तक ही होगा। इसी प्रकार पिछड़ी जाति के लिए पदों का आरक्षण 27 प्रतिषत होगा।
  2. बाकी के पदों पर कोर्इ आरक्षण नहीं होगा।
  3. प्रत्येक वर्ग यानि अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति और सामान्य वर्ग के लिए जो सीटें उपलब्ध हैं उनमें से 1/3 पद उस वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे। 
  4. लेकिन अनुसूचित जाति And पिछड़ी जाति अनारक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। इसी तरह से अगर कोर्इ सीट महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं की गर्इ है तो वे भी उस अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। 

आरक्षण चक्रानुक्रम पद्धति से होगा। मतलब Single निर्वाचन क्षेत्र अगर Single चुनाव में अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होगा तो अगली चुनाव में वह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा।

क्षेत्र पंचायत के प्रमुख और उप-प्रमुख का चुनाव 

प्रत्येक क्षेत्र पंचायत में चुने गये क्षेत्र पंचायत सदस्य अपने में से Single प्रमुख, Single ज्येष्ठ उप प्रमुख और Single कनिष्ठ उप प्रमुख चुनेंगे। क्षेत्र पंचायत के कुल चुने जाने वाले सदस्यों में से यदि किसी सदस्य का चुनाव नहीं भी होता है तो भी प्रमुख And उप-प्रमुख के पदों के लिए चुनाव रूकेगा नहीं और चुने गये क्षेत्र पंचायत सदस्य अपने में से Single को प्रमुख और उप प्रमुख का चुनाव कर लेंगे। वह व्यक्ति क्षेत्र पंचायत का प्रमुख, और उप प्रमुख नहीं बन सकता यदि वह-

  1. संसद या विधान सभा का सदस्य है। 
  2. किसी नगर निगम का नगर प्रमुख या उप प्रमुख हो। 
  3. किसी नगर पालिका का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष हो। 
  4. किसी टाउन एरिया कमेटी का चेयरमैन हो। 

क्षेत्र पंचायत And उसके सदस्यों का चुनाव And कार्यकाल

क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल क्षेत्र पंचायत की पहली बैठक की तारीख से 5 सालों तक का होगा। क्षेत्र पंचायत के सदस्यों का कार्यकाल, यदि किसी कारण से First नहीं समाप्त Reseller जाता है तो उनका कार्यकाल क्षेत्र पंचायत के कार्यकाल तक होगा। यदि किसी खास वजह से क्षेत्र पंचायत को उसके नियत कार्यकाल से First भंग कर दिया जाता है तो 6 महीने के भीतर उसका चुनाव करना जरूरी होगा। इस तरह से गठित क्षेत्र पंचायत बाकी बचे समय के लिए काम करेगी। क्षेत्र पंचायत के सदस्यों का चुनाव ग्राम-सभा सदस्यों द्वारा Reseller जायेगा। क्षेत्र पंचायत के सदस्य के Reseller में चुने जाने के लिए जरूरी है कि प्रत्याशी की उम्र 21 साल से कम न हो साथ ही यह भी जरूरी है कि चुनाव में खड़े होने वाले सदस्य का नाम उस निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में हो।

क्षेत्र पंचायत के कार्य एंव शक्तियॉं 

नये अधिनियम में क्षेत्र पंचायतो को निम्नलिखित अधिकार And कृत्य सौंपे गये हैं।

1. कृषि- 

  • कृषि प्रसार, बागवानी की प्रोन्नति और विकास, सब्जियों, फलों और पुष्पों की खेती और विपणन की प्रोन्नति। 

2. भूमि विकास- 

  • सरकार के भूमि सुधार भूमि संरक्षण और चकबन्दी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सरकार और जिला पंचायत की सहायता करना। 

3. लघु सिंचार्इ, जल प्रबन्ध और जलाच्छादन विकास- 

  • लघु सिंचार्इ कार्यों के निर्माण और अनुरक्षण (संरक्षण) में सरकार और जिला पंचायत की सहायता करना। 
  • सामुदायिक और वैयक्तिक सिंचार्इ कार्यों का कार्यान्वयन।

4. पशुपालन, दुग्ध उद्योग, और मुर्गी पालन- 

  • पशु सेवाओं का अनुरक्षण।
  • पशु, मुर्गी और अन्य पशुधन की नस्लों का सुधार।
  • दुग्ध उद्योग, मुर्गी पालन तथा सुअर पालन की उन्नति। 

5. मत्स्य पालन- 

  • मत्स्य पालन के विकास की उन्नति।

6. सामाजिक और कृषि वानिकी- 

  • सड़कों और सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण। 
  • सामाजिक वानिकी और रेशम उत्पादन का विकास और उन्नति। 

7. लघु वन उत्पाद- 

  • लघु वन उत्पादों की उन्नति और विकास। 

8. लघु उद्योग- 

  • ग्रामीण उद्योगों के विकास में सहायता करना। 
  • कृषि उद्योगों के विकास की सामान्य जानकारी का सृजन करना। 

9. कुटीर और ग्राम उद्योग- 

  • कुटीर उद्योगों के उत्पादों का विपणन (बाजार प्रबन्धन) । 

10. ग्रामीण आवास- 

  • ग्रामीण आवास कार्यक्रमों में सहायता देना और उसका कार्यान्वय। 

11. पेय जल- 

  • पेयजल की व्यवस्था करना तथा उसके विकास में सहायता देना। 
  • दुषित जल को पीने से बचाना। 
  • ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना और अनुश्रवण करना। 

12. र्इंधन और चारा भूमि- 

  • र्इंधन और चारा से सम्बन्धित कार्यक्रमों की उन्नति। 
  • पंचायत क्षेत्र में सड़कों के किनारे वृक्षारोपण। 

13. सड़क, पुलिया, पुल, नौकाघाट, जलमार्ग, और संचार के अन्य साधन- 

  • गांवो के बाहर सड़कों, पुलियों का निर्माण और उनका अनुरक्षण। 
  • पुलों का निर्माण। 
  • नौका घाटों और जल मार्गों के प्रबन्ध में सहायता। 

14. ग्रामीण विद्युतीकरण- 

  • ग्रामीण विद्युतीकरण की उन्नति। 

15. गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत- 

  • गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग को बढ़ावा देना और उसकी उन्नति। 16 गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का कार्यान्वयन 17 शिक्षा- 
  • प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का विकास।
  • प्रारम्भिक और सामाजिक शिक्षा की उन्नति। 

18. तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा- 

  • ग्रामीणों, शिल्पकारों और व्यावसायिक शिक्षा की उन्नति। 

19. प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा-

  • प्रौढ़ साक्षरता और अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों का पर्यवेक्षण। 

20. पुस्तकालय- 

  • ग्रामीण पुस्तकालयों की उन्नति और पर्यवेक्षण। 

21. खेल कूद और सांस्कृतिक कार्य- 

  • सांस्कृतिक कार्यों का पर्यवेक्षण। 
  • क्षेत्रीय लोकगीतों, नृत्यों और ग्रामीण खेल-कूद की उन्नति और आयोजन। 
  • सांस्कृतिक केन्द्रों का विकास और उन्नति। 

22. बाजार और मेले- 

  • ग्राम पंचायत के बाहर मेलों और बाजारों (जिसमें पशु मेला भी सम्मिलित है) की उन्नति, पर्यवेक्षण और प्रबन्ध।

23. चिकित्सा और स्वच्छता- 

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और औषधालयों की स्थापना और अनुरक्षण। 
  • महामारियों का नियंत्रण। 
  • ग्रामीण स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।

24. प्राकृतिक आपदाओं में सहायता देना- 
25. परिवार कल्याण- 

  • परिवार कल्याण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की उन्नति। 

26. प्रसूति और बाल विकास- 

  • महिलाओं, बाल स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रमों में संगठनों की सहभागिता के लिए कार्यक्रमों की उन्नति। 
  • महिलाओं And बाल कल्याण के विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों की उन्नति। 

27. समाज कल्याण- 

  • समाज कल्याण कार्यक्रमों, जिसके अन्तर्गत विकलांगों और मानसिक Reseller से मन्द-बुद्धि व्यक्तियों का कल्याण भी है, में भाग लेना। 
  • वृद्धावस्था और विधवा पेंशन योजनाओं का अनुश्रवण करना। 

28. सामुदायिक आस्तियों का अनुरक्षण- 

  • सामुदायिक कार्यों का अनुरक्षण और मार्गदर्शन करना। 

29. नियोजन और आंकड़े- 

  • आर्थिक विकास के लिए योजनाएं तैयार करना। 
  • ग्राम पंचायतों की योजनाओं का पुनर्विलोकन, समन्वय तथा Singleीकरण। 
  • खण्ड तथा ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के निष्पादन को सुनिश्चित करना। 
  • सफलताओं तथा लक्ष्यों का नियतकालिक समीक्षा। 
  • योजना का कार्यान्वयन से सम्बन्धित विषयों के सम्बन्ध में सामग्री Singleत्रित करना तथा आकड़े रखना। 

30. सार्वजनिक वितरण प्रणाली: आवश्यक वस्तुओं का वितरण 
31. कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों, जनजातियों का कल्याण 

  • अनुसूचित जातियों और कमजोर वर्गों के कल्याण की प्रोन्नति।
  • समाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन। 

32. ग्राम पंचायतों का पर्यवेक्षण 

  • नियत प्रक्रिया के According ग्राम पंचायतों को अनुदान का description। 
  • ग्राम पंचायतों के क्रिया कलाप के ऊनी नियमों के According सामान्य पर्यवेक्षण। 

क्षेत्र पंचायत के अधिकार 

क्षेत्र पंचायत को अपने संवैधानिक कार्यो के सम्पादन हेतु विशेष अधिकार प्राप्त है जिनका description निम्न है।

1. क्षेत्र पंचायत द्वारा क्षेत्र निधि के संचालन का अधिकार 

राज्य और केन्द्र सरकार तथा Second स्रोतों से प्राप्त धनराशि क्षेत्र निधि में जमा होगी। क्षेत्र पंचायत नकद या वस्तु के Reseller में ऐसे अंशदान ले सकती है जो कोर्इ व्यक्ति किसी सार्वजनिक कार्य के लिए क्षेत्र पंचायत को दे। क्षेत्र निधि के खाते का संचालन प्रमुख तथा खण्ड विकास अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से होगा।

2. क्षेत्र पंचायत को कर लगाने का अधिकार 

  1. यदि पीने का पानी, सिंचार्इ के लिए या किसी अन्य कार्य के लिए अगर क्षेत्र पंचायत किसी योजना का निर्माण करती है तो वह जल पर कर लगा सकती है। 
  2. यदि सार्वजनिक मांगों और स्थानों पर बिजली की व्यवस्था करती है तो वह इसके लिए लोगों पर कर लगा सकती है। 
  3. कोर्इ अन्य कर जो सरकार उसे लगाने का अधिकार दे। 

क्षेत्र पंचायत का निर्माण कार्यों (इमारत, सार्वजनिक नालिया और सड़कों) के संबंध में अधिकार 

  1. किसी सार्वजनिक स्थान या क्षेत्र पंचायत की सम्पति से लगी हुर्इ किसी इमारत में किसी भी प्रकार के निर्माण का कार्य तब तक नहीं Reseller जायेगा जब तक क्षेत्र पंचायत से इसके लिए इजाजत नहीं मिल जाती है। 
  2. यदि उपरोक्त का उल्लंधन Reseller जाता है तो क्षेत्र पंचायत उसमें बदलाव करने या उसे गिराने का आदेश दे सकती है। 
  3. क्षेत्र पंचायत अपने इलाके में सार्वजनिक नालियों का निर्माण कर सकती हे और इसे किसी सड़क या स्थान के बीवच से या उनके आर-पार या उसके नीचे से ले जा सकती है और किसी इमारत या भूमि में या उसमें होकर या उसके नीचे से उसके मालिक को पूर्व सूचना देकर ले जा सकती है। 
  4. कोर्इ व्यक्ति ऊपर लिखित मामलों के संबंध में यदि कोर्इ निजी लाभ के लिए किसी प्रकार का निर्माण कार्य करना चाहता है और इसके लिए वो क्षेत्र पंचायत को आवेदन देता है और क्षेत्र पंचायत व्यक्ति को 60 दिनों के भीतर अपने फैसले के बारे में सूचना नहीं देती है तो आवेदन पत्र को स्वीकृत मान लिया जायेगा। 
  5. साथ ही क्षेत्र पंचायत किसी को लिखित इजाजत दे सकती हे कि वो खुले बरामदों, छज्जों या कमरों का निर्माण या पुर्ननिर्माण इस प्रकार से करें कि उसका कुछ हिस्सा, नियम में दिंये गये छूट के According, सड़कों या नालियों के ऊपर निकला रहे। लिखित अनुमति न लेने पर व्यक्ति को 250 Resellerये तक का जुर्माना हो सकता है। 
  6. यदि पेड़ काटने से या इमारत में परिवर्तन या निर्माण करने से सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को बांधा होती हो तो ऐसे काम करने से First सम्बन्धित व्यक्ति या संस्था को First क्षेत्र पंचायत से लिखित इजाजत लेनी होगी। 

3. क्षेत्र पंचायत सदस्यों को बैठक में प्रश्न करने का अधिकार 

  1. क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रमुख या खण्ड विकास अधिकारी से प्रशासन से संबंधी कोर्इ description, अनुमान, आंकडे, सूचना कोर्इ प्रतिवेदन, योजना या कोर्इ पत्र की प्रतिलिपि मांग सकते हैं।
  2. प्रमुख या खण्ड विकास अधिकारी बिना देर किये मांगी गर्इ जानकारी सदस्यों को देगा। 

क्षेत्र पंचायत(ब्लाक) के प्रमुख और उप प्रमुख के कार्य एंव शक्तियां 

1. प्रमुख के कार्य 

  1. क्षेत्र पंचायत की बैठक बुलाना व उसकी अध्यक्षता करना प्रमुख का कार्य है। बैठकों में व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी भी प्रमुख की है।
  2. प्रमुख का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि वह वित्तीय प्रशासन पर नजर रखे। 
  3. क्षेत्र पंचायत प्रमुख को ऐसे कार्यों को भी पूरा करना होता है, जो सरकार द्वारा समय-समय पर दिये जाते हों। 
  4. प्रमुख, ज्येष्ठ उपप्रमुख तथा कनिष्ठ उपप्रमुख को अपने निर्देषन में (अन्तिम कार्य को छोड़कर)उपरोक्त कार्यों की जिम्मेदारी दे सकता है। 

2. उप प्रमुख के कार्य 

  1. प्रमुख के न रहने पर ज्येष्ठ उपप्रमुख बैठकों की अध्यक्षता करेगा ओर ऐसे समय में वह प्रमुख के सारे अधिकारों का उपयोग कर सकता है। 
  2. प्रमुख के न रहने पर या उसका पद खाली होने पर ज्येष्ठ उपप्रमुख को प्रमुख के अधिकारों का उपयोग और उसके कार्यों का सम्पादन करना होता है।
  3. प्रमुख द्वारा दिये गये अन्य कार्यों का सम्पादन उप प्रमुख का कार्य है। 
  4. ज्येष्ठ उपप्रमुख के नहीं रहने पर उसके अधिकारों और कार्यों को कनिष्ठ उप प्रमुख द्वारा किये जाते हैं। 

खण्ड विकास अधिकारी के अधिकार और कार्य 

खण्ड विकास अधिकारी क्षेत्र पंचायत का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा और क्षेत्र पंचायत And उसकी समितियों के तय किये कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए उत्तरदायी होगा। खण्ड विकास अधिकारी के  कार्य होंगे-

  1. क्षेत्र निधि को दी जाने वाली या उसे दी गर्इ कोर्इ राशि लेने का, वसूल करने का तथा उसे क्षेत्र निधि में जमा करने का अधिकार । 
  2. क्षेत्र पंचायत से सम्बन्धित कोर्इ description, लेखा, प्रतिवेदनों की कापी अथवा बैठक में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रस्ताव तथा आपत्तियों को जिलाधिकारी या राज्य सरकार को प्रस्तुत करना। 
  3. ग्राम पंचायतों को उनके विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानकों और स्थूल नीति के According योजनायें बनाना, उनके पूरा करना और किसी तरह की कमियों के ओर क्षेत्र पंचायत का ध्यान दिलाना।
  4. क्षेत्र पंचायत में नियोजित समस्त अधिकारियों तथा सेवकों की सेवा, अवकाश, वेतन, भत्ता, और Second विषेषाधिकारों के संबंध में उठने वाले प्रश्नों का नियमों के आधार पर समाधान करने का अधिकार। 

क्षेत्र पंचायत की बैठकें 

क्षेत्र पंचायत की बैठक कम से कम दो माह में Single बार होती है। प्रमुख की अनुपस्थिति में ज्येष्ठ उपप्रमुख बैठक की अध्यक्षता करता है तथा इन दोनों की अनुपस्थिति में कनिष्ठ उपप्रमुख भी क्षेत्र पंचायत की बैठक बुला सकता है। क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्यों के कम से कम 20 प्रतिषत के लिखित याचना पर बैठक बुलार्इ जा सकती है। कोर्इ भी बैठक आगामी किसी दिन तक स्थगित की जा सकती है। प्रत्येक बैठक, क्षेत्र पंचायत कार्यालय या किसी अन्य सुविधाजनक स्थान पर भी हो सकती है।

  1. हर दो महीने में क्षेत्र पंचायत की कम से कम Single बैठक जरूर होगी। 
  2. क्षेत्र पंचायत की बैठक को बुलाने का अधिकार प्रमुख को है। 
  3. प्रमुख के न रहने पर ज्येष्ठ उपप्रमुख और ज्येष्ठ उपप्रमुख के नहीं रहने पर कनिष्ठ उपप्रमुख क्षेत्र पंचायत की बैठक बुला सकता है।
  4. यदि क्षेत्र पंचायत के 1/5 सदस्य लिखित Reseller से मांग करें (सीधे हाथ से दिया गया हो या प्राप्ति पत्र सहित रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिया गया हो) तो आवेदन प्राप्ति के Single महीने के भीतर प्रमुख क्षेत्र पंचायत की बैठक जरूर बुलायेगा। 
  5. कोर्इ बैठक आगे की तिथि के लिए स्थगित की जा सकती है और इस प्रकार स्थगित बैठक आगे भी स्थगित की जा सकती है। 
  6. क्षेत्र पंचायत की All बैठकें या तो क्षेत्र पंचायत कार्यालय (जो कि विकास खण्ड दफतर में ही होगा) या किसी अन्य स्थान पर, जिसकी सूचना First ही दी जा चुकी होगी, होंगी। 

क्षेत्र पंचायत की बैठक में सदस्यों को ध्यान देने वाली बातें 

  1. क्षेत्र पंचायत सदस्यों को चाहिए कि वे बैठक में उन्हीं मुद्दों को उठायें जिन पर बैठक में बहस करके परिणाम निकलना संभव हो। अनावष्यक बहस कर समय की बरबादी से हमेषा बचना चाहिए ताकि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बातचीत हो सके। 
  2. सदस्यों को बड़ी गंभीरता से अपने प्रष्नों को रखना चाहिए। उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके व्यवहार में हताशा और कुंठा का भाव न दिखे। 
  3. प्रश्नों को तर्क के आधार पर रखना चाहिए व Second की भी पूरी बात सुनने व समझने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि जोश और उतावलेपन से उठाये गये मुद्दों के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। 
  4. किसी विभाग पर टिप्पणी करते वक्त संबंधित विभाग के प्रतिनिधि के साथ सहज व्यवहार से पेष आना चाहिए। आपके व्यवहार से यह नहीं झलकना चाहिए कि सदस्य द्वारा विभाग के प्रति टिप्पणी किसी नियति से दी जा रही है। 
  5. क्षेत्र पंचायत सदस्य जनता के प्रतिनिधि है अत: जनता प्रतिनिधियो से अपने हितों की अपेक्षा रखती है। जनता के सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखकर ही बैठक में मुद्दों को उठाना चाहिए। व उन्हें लोगों की समस्याओं से जोड़ते हुए अच्छा विष्लेषण करना चाहिए।
  6. मुद्दों पर Agreeि बनाने के लिए कभी भी दबाव बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि धैर्य और साहस के साथ उनके प्रति लोगेां की समझ बढ़ाने व उनकी गंभीरता समझाने की कोशिश करनी चाहिए। 
  7. क्षेत्र पंचायत की बैठक में सदस्यों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों की तैयारी बैठक से First करनी चाहिए। ताकि सदस्य सुव्यवस्थित तरीके से अपने प्रश्नों को सोची समझी रणनीति के तहत रख सकें। 
  8. बैठक के एजेंडें में मुद्दों को बहस के लिए प्राथमिकतावार रखना चाहिए। जिस विषय पर पिछली बैठक में कार्यवाही नहीं हो पार्इ उसे प्राथमिकता से आगे लाना चाहिए। बैठक में अनावश्यक बातों में उलझने से बचना चाहिए और प्रक्रिया आगे बढानी चाहिए। कभी-कभी महत्वपूर्ण मुद्दे समय के अभाव के कारण छूट जाते हैं। 
  9. यदि किसी क्षेत्र पंचायत सदस्य की किसी विभाग से कोर्इ शिकायत हो तो उसका मूल्यांकन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए, बल्कि सहयोगात्मक व Creationत्मक तरीके से दोनों पक्षों के बीच विश्वास व आम Agreeि से समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए। 

प्रमुख या उपप्रमुख द्वारा त्याग-पत्र 

  1. प्रमुख, उपप्रमुख क्षेत्र पंचायत का कोर्इ निर्वाचित सदस्य खुद से हस्ताक्षर किये हुए पत्र द्वारा पद त्याग कर सकता है। प्रमुख की दशा में संबंधित जिला पंचायत के अघ्यक्ष को और अन्य दशाओं में क्षेत्र पंचायत के प्रमुख को संबोधित होगा। 
  2. प्रमुख का त्याग-पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब त्याग पत्र की अध्यक्ष द्वारा स्वीकृति क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में प्राप्त हो जाए। उपप्रमुख या सदस्य का त्याग-पत्र उस दिनांक से प्रभावी होगा जब क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में उनका नोटिस प्राप्त हो जाये और यह समझा जायेगा कि ऐसे प्रमुख, उप-प्रमुख या सदस्य ने अपना पद रिक्त कर दिया है। 

प्रमुख व उपप्रमुख का पद से हटाया जाना 

संविधान में दी गर्इ विधियों या कानूनों के According कार्य न करने पर किसी भी क्षेत्र पंचायत सदस्य, प्रमुख या उपप्रमुख को पद से हटना पड़ सकता है। यदि राज्य सरकार की राय में किसी क्षेत्र पंचायत का प्रमुख या कोर्इ उप-प्रमुख पंचायती राज अधिनियम के अधीन-

  1. अपने कार्यों तथा कर्तव्यों का पालन जानबूझ कर नहीं करता या पालन करने से इन्कार करता है। 
  2. अपने अधिकारों का दुResellerयोग करता है। 
  3. अपने कर्त्तव्यों के पालन में दोषी पाया जाता है। 
  4. मानसिक Reseller से अपने कर्त्तव्यों के पालन में असमर्थ हो गया है। 

तो राज्य सरकार, प्रमुख या ऐसे उप-प्रमुख को स्पष्टीकरण का समुचित अवसर देने के बाद और इस मामले में अध्यक्ष का परामर्श मांगने और यदि उसकी राय ऐसे परामर्श मांगने के पत्र के भेजे जाने के दिन से तीस दिन के भीतर प्राप्त हो जाए, तो इस राय पर विचार कर लेने के बाद ऐसे प्रमुख या उप-प्रमुख को आदेश द्वारा पद से हटा सकती है। ऐसा आदेश अंतिम होगा और उसके खिलाफ किसी विधि-न्यायालय में आपत्ति न की जा सकेगी।

क्षेत्र पंचायत पर आन्तरिक नियन्त्रण, अविश्वास प्रस्ताव (अधिनियम की धारा 15) 

पद का भार सम्भालने की तिथि से दो वर्ष की अवधि तक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख, उपप्रमुख व सदस्यों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। प्रमुख, ज्येष्ठ, कनिष्ठ उपप्रमुख व सदस्यों द्वारा अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन निष्ठापूर्वक न करने, कार्यों में रुचि न लेने, उदासीनता दिखने और पद का दुरुपयोग करने आदि की स्थिति में उन्हें पद से हटाने के लिए निम्नलिखित उप-धाराओं में दी गर्इ प्रक्रिया के According क्षेत्र पंचायत के प्रमुख या किसी उप प्रमुख में अविश्वास का प्रस्ताव लाया जा सकता है तथा उस पर कार्यवाही की जा सकती है-

  1. क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्यों के आधे से अधिक सदस्यों द्वारा लिखित नोटिस कारणों सहित नियत प्रपत्र पर जिला मजिस्ट्रेट को दिया जायेगा। 
  2. नोटिस में हस्ताक्षर करने वालों में से Single व्यक्ति व्यक्तिगत तौर से स्वयं नोटिस देगा। 
  3. नोटिस प्राप्ति की 30 दिन के भीतर जिला मजिस्ट्रेट 15 दिन की पूर्व सूचना पर क्षेत्र पंचायत की कार्यालय में बैठक बुलायेगा।
  4. निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या के दो तिहार्इ बहुमत से प्रमुख, उप प्रमुख को हटाया जा सकता है।
  5. यदि अविश्वास प्रस्ताव पास न अथवा कोरम न होने के कारण बैठक न हो तो ऐसी बैठक के दिनांक से 2 वर्ष की अवधि तक उसी प्रमुख या उप प्रमुख के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। 

क्षेत्र पंचायत पर सरकारी नियंत्रण की सीमा 

  1. जिलाधिकारी या नियत प्राधिकारी क्षेत्र पंचायत द्वारा कराये जा रहे कार्यों का निरीक्षण कर सकता है वह क्षेत्र पंचायत द्धारा लिखित किसी पुस्तक या लेख को जांच के लिए मंगा सकता है। 
  2. राज्य सरकार द्वारा तय Reseller गया अधिकारी क्षेत्र पंचायत द्वारा किये गये निर्माण कार्यों को तथा उनसे संबंधित सारे रिकार्डस का नियंत्रण कर सकता है।
  3. आपात के समय जिलाधिकारी ऐसे निर्माण या Second कार्यों को करने का आदेश दे सकता है जो साधारणत: क्षेत्र पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  4. यदि क्षेत्र पंचायत के सदस्य अपने कार्यों को करने में शारीरिक या मानसिक Reseller से असमर्थ हों, किसी अनाचार को दोषी हो या क्षेत्र निधि को किसी प्रकार से हानि पहुंचार्इ हो या उसने अपनी सदस्यता का अपने लाभ के लिए उपयोग Reseller हो तो राज्य सरकार उसकी सदस्यता समाप्त कर सकती है। 
  5. यदि किसी भी समय राज्य सरकार पाती है कि क्षेत्र पंचायत अपने कार्यों में चूक करती है तो जांच के बाद दोश साबित होने पर वह क्षेत्र पंचायत का विघटन कर सकती है। 
  6. विघटन के बाद 6 महीने के भीतर क्षेत्र पंचायत के गइन के लिए फिर से चुनाव कराये जायेंगे। तब तक के लिए सरकार, क्षेत्र पंचायत के स्थान पर प्रषासनिक समिति गठित कर सकती है। 

क्षेत्र पंचायत का बजट 

क्षेत्र पंचायत का बजट प्रस्ताव उसकी समितियों द्वारा आपस में विचार विमर्ष करके तैयार Reseller जायेगा। इस बजट को क्षेत्र पंचायत प्रमुख द्वारा पांच दिनों के अंदर जिला पंचायत को भेजा जायेगा। यह बजट जिला पंचायत, नियोजन समिति के समक्ष समीक्षा हेतु रखेगी। नियोजन समिति अपने निर्णय व सिफारिशों सहित निश्चित तिथि से पूर्व ही क्षेत्र पंचायत को वापिस कर देगी। अंत में क्षेत्र पंचायत प्राप्त बजट प्रस्ताव पर विचार विमर्ष कर पारित करेगी।

क्षेत्र पंचायत की आय के स्रोत 

क्षेत्र पंचायत की आय के स्रोत शासन द्वारा प्राप्त हाने वाली अनुदान And ऋण के Reseller में प्राप्त होने वाली धनराशियां हैं। क्षेत्र पंचायत अपने निजि संसाधनों से भी आय अर्जित कर सकती है। जिसमें विभिन्न प्रकार के कर जैसे-इमारतों से आय, बाजार And मेलों का आयोजन, प्रदर्शनियां, बाग-बगीचे, शौचालय And अन्य सुविधायें आती हैं। अगर किसी अलाभकर भूमि को क्षेत्र पंचायत ने लाभकर बनाया है तो उस पर कर लगा कर उससे आय अर्जित कर सकती है।क्षेत्र पंचायत अपने निजि प्रयासों से लाभकारी योजनायें बनाकर जनहित में उन्हें लागू करके भी लाभ कमा सकती है।

क्षेत्र पंचायत द्वारा क्षेत्र की विकास योजना 

बनाना क्षेत्र पंचायत, विकास खण्ड की All ग्राम पंचायतों की विकास योजनओं को मिलाकर विकास खण्ड के लिए प्रत्येक साल Single विकास योजना तैयार करती है। क्षेत्र पंचायत की नियोजन And विकास समिति खण्ड विकास अधिकारी तथा दूसरी समितियों की मदद से यह योजना तैयार करती है और उसे क्षेत्र पंचायत को प्रस्तुत करती है। क्षेत्र पंचायत इस योजना पर विचार करती है ओर उसमें बदलाव या बिना बदलाव के पास भी कर सकती है। खण्ड विकास अधिकारी क्षेत्र पंचायत द्वारा पास की गर्इ योजना को जिला पंचायत को नियत तारीख से First प्रस्तुत करता है।

क्षेत्र पंचायत का ग्राम पंचायत व जिला पंचायत के साथ संबंध 

  1. ग्राम पंचायतों के द्वारा किये गये विकास कार्यों की प्रगति रिपोर्ट क्षेत्र पंचायत को सौंपी जायेगी।
  2. Single से अधिक ग्राम पंचायतों में यदि कोर्इ कार्य होना है तो वह क्षेत्र पंचायत के माध्यम से Reseller जायेगा।
  3. ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र के लिए जो विकास योजनायें बनायेंगी उसे सबंधित क्षेत्र पंचायत सदस्य के पास भेजेंगी। 
  4. क्षेत्र पंचायत All ग्राम पंचायत की वार्षिक योजनाओं के आधार पर Single योजना बनाकर जिला पंचायत को भेजेगी।
  5. क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत की मासिक बैठकों में हिस्सा नहीं ले सकते। किन्तु खास मौकों पर ग्राम पंचायत की समितियों की बैठकों में विशेष Reseller से आमंत्रित किये जा सकता है। लेकिन उन्हें मत देने का अधिकार नहीं है। 
  6. जिले के अन्तर्गत All क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख जिला पंचायत में नामित सदस्य के Reseller में होते हैं।

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