कैसर विलियम द्वितीय की विदेश नीति

विलियम First की मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र फैड्रिक तृतीय जर्मनी के राज्य-सिंहासन पर 9 मार्च 1888 र्इ. को आसीन हुआ। किन्तु केवल 100 दिन राज्य करने के बाद उसकी मृत्यु हो गर्इ। उसकी मृत्यु होने पर उसका पुत्र विलियम द्वितीय राज्य सिंहासन पर आसीन हुआ। वह Single नवयुवक था। उसमें अनेक गुणां े और दुर्गुणों का सम्मिश्रण था। वह कुशाग्र बुद्धि, महत्वकांक्षी आत्मविश्वासी तथा असाधारण नवयुवक था। वह स्वाथ्र्ाी और घमण्डी था तथा उसका विश्वास King के दैवी सिद्धांत में था। किसी अन्य व्यक्ति के नियंत्रण में रहना उसको असह्य था जिसके कारण कुछ ही दिनों के उपरांत उसकी अपने चांसलर बिस्मार्क से अनबन हो गर्इ। परिस्थितियों से बाध्य होकर बिस्मार्क को त्याग-पत्र देना पड़ा। बिस्मार्क के पतन के उपरांत विलियम ने समस्त सत्ता को अपने हाथों में लिया और उसके मंत्री आज्ञाकारी सेवक बन गये और वह स्वयं का शासन का कर्णधार बना।

विदेश नीति के उद्देश्य

कैसर विलियम द्वितीय की विश्व नीति के निम्नलिखित तीन मुख्य उद्देश्य थे –

  1. भूमध्य-सागर में प्रभाव-क्षेत्र स्थापित करना 
  2. औपनिवेशिक मामलों में रूचि And दृढ़ नीति 
  3. शक्तिशाली नौ-सेना का निर्माण

उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति करने के अभिप्राय से कैसर विलियम।। ने जर्मनी की ‘विदेश नीति’ का संचालन करना आरंभ Reseller। First उद्देश्य के कारण आस्ट्रिया के साथ घनिष्ट मेल आवश्यक था, क्योंकि वह भी उसी दिशा में बढ़ कर सैलोनिका के बन्दरगाह पर अधिकार करना चाहता था। इसका Means था मध्य यूरोप के कूटनीतिज्ञ गुट को सुदृढ़ बनाना, आस्ट्रिया और रूस के हितों में संघर्ष होने के कारण इसका Means रूस से अलग हटना और अन्त में उसे अपना विरोधी बना लेना भी था। Second उद्देश्य की पूर्ति का Means था संसार में जहां कहीं भी आवश्यक हो, विश्ेाषकर अफ्रीका में, जर्मनी की शक्ति का प्रदर्शन करना।’ इस संबंध में मोरक्को ने फ्रांस को दो बार 1905 इर्. और 1911 र्इ. में चुनौती दी। Third उद्देश्य की पूर्ति का स्पष्ट परिणाम था इंगलैंड के साथ तीव्र प्रतिस्पर्द्धा और वैमनस्य। सारांश में इस नर्इ नीति का स्वाभाविक परिणाम होना था, रूस, फ्रांस और इंगलैंड की शत्रुता और अंत में इन तीनों का उसके मुकाबले में Singleत्रित हो जाना, Meansात् बिस्मार्क के समस्त कार्य का विनाश। विलियम।। ने अपनी नीति से उसकी समस्त व्यवस्था को Destroy कर दिया। तीन वर्ष के अंदर रूस जर्मनी से अलग हो गया और बाद में फ्रांस से संधि करके उसने उसके Singleाकीपन का अंत कर दिया। 6 वर्ष के अंदर इंगलैंड शत्रु बन गया। मोरक्को में हस्तक्षेप करने से फ्रांस से शत्रुता और बढ़ गर्इ और 1907 र्इ. तक जर्मनी, आस्ट्रिया तथा इटली के त्रिगुट के मकु ाबले में फ्रांस, रूस और इंगलैंड की त्रिराष्ट्र मैत्री स्थापित हो गर्इ। इटली का त्रिगुट से संबंध भी शिथिल पड़ता जा रहा था किन्तु विलियम।। ने इस दिशा में कोर्इ प्रयास नहीं Reseller।

रूस के प्रति नीति

1890 र्इ. में पुनराश्वासन संधि की पुनरावृत्ति होने वाली थी जो बिस्मार्क द्वारा जर्मनी और रूस में हुर्इ थी। जबकि विलियम रूस की अपेक्षा आस्ट्रिया से सुदृढ़ संबंध स्थापित करना चाहता था जिससे वह बालकन में होकर पूर्वी भमू ध्यसागर को अपने प्रभाव क्षत्रे में लाने में सफल हो सक।े रूस ने भी इस पुनराश्वासन संधि की पुनरावृत्ति को यह कहकर मना कर दिया कि ‘सन्धि बड़ी पेचीदा है और इसमें आस्ट्रिया के लिये धमकी मौजूद है जिसके बड़े अनिष्टकारी परिणाम हो सकते हैं।’’

नीति का परिणाम

पुनराश्वासन सन्धि की पुनरावृत्ति के न होने का स्पष्ट परिणाम यह हुआ कि रूस अकेला रह गया। उसको अपने Singleाकीपन को दूर करने के लिये Single मित्र की खोज करनी अनिवार्य हो गर्इ। अब उसके सामने उसके शत्रु इंगलैंड और फ्रांस ही थे। किन्तु अपनी परिस्थिति से बाध्य होकर वह फ्रांस से मित्रता करने की ओर आकर्षित हुआ और उससे मित्रता करने का प्रयत्न करने लगा। अन्त में, 1895 र्इमें दोनों देशों में संधि हुर्इ जो द्विगुट संधि के नाम से प्रसिद्ध है। इस संधि से फ्रांस को अत्यधिक लाभ हुआ और उसका अकेलापन समाप्त हो गया।

जर्मनी को विश्व भाक्त बनाना

विलियम बड़ा महत्वकांक्षी था। वह जर्मनी को यूरोप का भाग्य-निर्माता ही नहीं, वरन् विश्व का भाग्य-निर्माता बनाना चाहता था। बिस्मार्क विश्व के झगड़ों से जर्मनी को अलग रखना चाहता था, किन्तु विलियम ने यूरोप के बाहर के झगड़ों में हस्तक्षपे करना आरंभ कर दिया। वह केवल बालकन प्रायद्वीप में ही जर्मन-प्रभाव से संतुष्ट नहीं था, वरन् वह तो उसको विश्व-शक्ति के Reseller में देखना चाहता था। इसी उद्देश्य के लिए 1890 र्इ. के उपरांत जर्मनी की वैदेशिक नीति में विश्व-व्यापी नीति का समावश्े ा हुआ। विलियम के अनेक भाषण्ज्ञों से उसके इन विचारों का दिग्दशर्न होता है। उसने इन प्रदश्े ाों को अपने अधिकार में Reseller – (1) 1895 र्इ. में जब जापान ने चीन को Defeat कर उससे लियाओतुंग प्रायद्वीप तथा पोर्ट आर्थर पर अधिकार करना चाहा तो जर्मनी ने रूस और फ्रांस से मिलकर उस पर दबाव डाला कि वह इनको अपने अधिकार में न करे।ं (2) 1897 र्इ. जर्मनी ने Resellerओचाऊ पर अधिकार Reseller। (3) अगले वर्ष उसने चीन को बाध्य कर Resellerओचाऊ तथा शान्तुंग के Single भाग का 99 वर्ष के लिए पट्टा लिखवाया। (4) 1899 र्इ. में बाक्े सरों का दमन करने के लिए जो सेना यूरोपीय देशों से भेजी गर्इ उसका सेनापतित्व करने का गौरव Single जर्मन को प्राप्त हुआ। (5) 1899 र्इ. में उसने स्पने से करोजिन द्वीप क्रय Reseller। (6) 1900 र्इ. में संयुक्त राज्य और इंगलैंड से समझौता कर उसने सेमाअे ा द्वीप समूह के कुछ द्वीपों पर अधिकार Reseller।

जर्मनी और टर्की

विलियम टर्की को अपने प्रभाव-क्षेत्र के अंतर्गत लाना चाहता था और यह उसकी विश्व नीति का Single प्रमुख अंग था। इंगलैंड भी इस ओर प्रयत्नशील था। वह किसी यूरोपीय राष्ट्र का प्रभुत्व टर्की में स्थापित नहीं होने देना चाहता था, क्योंकि एसे ा होने से उसके Indian Customer साम्राज्य को भय उत्पन्न हो सकता था। 1878 र्इ. की बर्लिन-कांग्रेस तक टर्की पर इंगलैंड का प्रभुत्व रहा और जब कभी भी किसी यूरोपीय राष्ट्र ने उस ओर प्रगति करने का विचार Reseller तो इंगलैंड ने उसका डटकर विरोध Reseller, परन्तु साइप्रस के समझौते के उपरांत उसका प्रभाव टर्की पर से कम होने लगा। जब इंगलैंड का 1882 र्इ. में मिस्र पर अधिकार हुआ तो इंगलैंड और टर्की के मध्य जो रही-सही सद्भावना विद्यमान थी उसका भी अंत होना आरंभ हो गया। अब विलियम द्वितीय ने इस परिस्थिति का लाभ उठाकर टर्की को अपने प्रभाव-क्षत्रे में लाने का पय्र त्न Reseller। इस संबधं में उसने निम्न उपायों किये- (1) 1889 र्इ. में विलियम कुस्तुन्तुनिया पहुंचा और उसने टर्की के सुल्तान अब्दुल हमीद से भंटे की और उससे मित्रता का हाथ बढ़ाया। (2) 1898 र्इ. में वह दूसरी बार कुन्तुन्तुनिया गया और टर्की के सुल्तान से भंटे करने के उपरांत जैरूसलम गया और वहां से दमिश्क गया। दमिश्क के Single भाषण में उसने मुसलमानों को यह आश्वासन दिया कि जर्मन सम्राट सदा उनका मित्र रहेगा। उसके भाषण ने समस्त यूरोपीय राष्ट्रों को चिन्ता में डाल दिया, क्योंकि संसार के अधिकांश मुसलमान विभिन्न यूरोपीय देशों की प्रजा के Reseller में रहते थे। (3) 1902 र्इ. में जर्मनी का Single समझौता टर्की से हुआ जिसके According जर्मनी की Single कम्पनी को कुस्तुन्तुनिया से बगदाद तक रेल बनाने की आज्ञा प्राप्त हुर्इ। जर्मनी का उद्देश्य बर्लिन से कुस्तुन्तुनिया तक रेल बनाने का भी था। इस मार्ग के खुल जाने से जर्मनी का सम्पर्क फारस की खाड़ी तक हो जाता जो इंगलैंड के Indian Customer साम्राज्य के लिए विशेष चिन्ता का विषय बन जाता। विलियम टर्की को अपनी ओर आकर्षित करने में अवश्य सफल हुआ, किन्तु उसने अपनी इस नीति से रूस, फ्रांस और इंगलैंड को अपना शत्रु बना लिया जबकि टर्की की शक्ति इन तीनों बड़े राष्ट्रों के सामने नगण्य थी। विलियम की इस नीति को सफल नीति नहीं कहा जा सकता। उसने तीनों राष्ट्रों को Single साथ अप्रसन्न Reseller जिसका परिणाम यह हुआ कि त्रिदलीय गुट का निर्माण संभव हो गया।

इंगलैंड और जर्मनी

1890 र्इ. तक जर्मनी और इंगलैंड के संबंध अच्छे थे, किन्तु जब विलियम द्वितीय के शासनकाल में जर्मनी ने विश्व-व्यापी नीति को अपनाना आरंभ Reseller तो जर्मनी और इंगलैंड के संबंध कटु होने आरंभ हो गये। बिस्मार्क के पद त्याग करने के उपरांत विलियम ने जर्मनी की नौ-सेना में विस्तार करना आरंभ Reseller तो इंगलैंड जर्मनी की बढ़ती हुर्इ शक्ति से सशंकित होने लगा था। कुछ समय तक दोनों में मैत्री का हाथ बढ़ा, किन्तु 1896 र्इ. के उपरांत दोनों के संबंध कटु होने आरंभ होते गये। जब विलियम ने ट्रान्सवाल के राष्ट्रपति क्रुजर को जेम्स के आक्रमण पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष में बधार्इ का तार भेजा। इस तार से इंगलैंड की जनता में बड़ा क्षेाभ उत्पन्न हुआ। महारानी विक्टोरिया ने भी अपने पौत्र विलियम द्वितीय के इस कार्य की बड़ी निन्दा की। इस समय इंगलैंड ने जर्मनी से संबंध बिगाड़ना उचित नहीं समझा, क्योंकि ऐसा करने पर वह अकेला रह जाता। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने जर्मनी से अच्छे संबंध स्थापित करने का प्रयत्न Reseller। 1898 र्इ. में अफ्रीका के संबंध में तथा 1899 र्इ. में सेनाओं के संबधं में दोनों देशों के समझौते भी हुए। उसी वर्ष इंगलैंड के उपनिवेश मंत्री जोसेफ चेम्बरलेन ने इंगलैंड, जर्मनी और संयुक्त राज्य के Single त्रिगुट के निर्माण का प्रस्ताव Reseller, किन्तु 1899 र्इ. में ब्यूलो ने जो इस समय जर्मनी का प्रधानमंत्री था, इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं Reseller। उसका इस प्रस्ताव के अस्वीकार करने का कारण यह था कि इसके द्वारा इंगलैंड का आशय यह है कि आगामी Fightों में जर्मनी, इंगलैंड का पक्ष ले और उसके समर्थक के Reseller में Fight में भाग ले और इंगलैंड यूरोपीय महाद्वीप से निश्ंिचत होकर एशिया तथा अफ्रीका में अपने साम्राज्य का विस्तार करता रहे। ब्यूलो का यह विचार था कि ‘जर्मनी की औपनिवेशिक, व्यापारिक तथा नाविक उन्नति से इंगलैंड को असुविधा होना अनिवार्य थी और कभी भी दोनों में Fight छिड़ सकता है। अत: जर्मनी की नीतियों द्वारा इंगलैंड भली प्रकार समझ गया कि जर्मनी पर अधिक विश्वास करना इंगलैंड के लिए घातक सिद्ध होगा और वास्तव में Single दिन ऐसा अवश्य आएगा जब इंगलैंड और जर्मनी का Fight होगा।

एल्जीसिराज का सम्मेलन

जनवरी 1906 र्इ. में स्पेन के एल्जीसिराज में मोरक्को के प्रश्न पर Single अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। तीन महीने के वाद-विवाद के उपरांत एल्जीसिराज अधिनियम बना जिसके द्वारा निम्न बातें निश्चित हुर्इ – (1) मोरक्को को स्वतंत्र राज्य स्वीकार करना। (2) मोरक्को के सुल्तान को स्वतंत्र घोषित Reseller गया। (3) समस्त विदेशी राज्यों को व्यापार करने के समान अधिकार प्रदान किए गए। (4) Single अन्तर्राष्ट्रीय बैंक की व्यवस्था की गर्इ। (5) फ्रांस और स्पेन को मोरक्को की Safty के लिये पुलिस-व्यवस्था स्थापित करने का अधिकार प्राप्त हो गया।
एल्जीसिराज-सम्मेलन का परिणाम इस सम्मेलन में जर्मनी की आंशिक सफलता और असफलता दोनों हुर्इ। इसी कारण ब्यूलो ने कहा कि हम न विजयी हुये और न पराजित। फ्रांस को भी कुछ लाभ और हानि हुर्इ। फ्रांस को लाभ इस दशा में हुआ कि मोरक्को की Safty का भार उस पर सौंपा गया और इसके द्वारा वह मोरक्को में अपना प्रभाव-क्षेत्र विस्तृत करने में सफल हो सकेगा। जर्मनी को सबसे बड़ी हानि यह हुर्इ कि उसने जो अपना व्यवहार सम्मेलन में प्रदर्शित Reseller उससे सब राष्ट्रों की सहानुभूति फ्रांस के साथ हो गर्इ। जर्मनी की इच्छा थी कि फ्रांस और इंगलैंड की मैत्री का अंत कर दे, किन्तु उसको अपने इस उद्देश्य में सफलता प्राप्त नहीं हुर्इ। अब तक जो स्थार्इ मैत्री दोनों देशों के बीच नहीं हो पायी थी उसके लिए अब अवसर प्राप्त हो गया, क्योंकि अब इंगलैंड जर्मनी की महत्वकांक्षाओं से चिन्तित हो गया।

पूर्वी समस्या में रूचि

फ्रांस और रूस के मध्य मित्रता की स्थापना हो चुकी थी, अब फ्रांस द्वारा रूस और इंगलैंड की मित्रता का कार्य आरंभ हुआ। 1907 र्इ. में फ्रांस के प्रयत्न से रूस और इंगलैंड का गुट तैयार हो गया। यह गुट रक्षात्मक था किन्तु जर्मन सम्राट विलियम।। को इसके निर्माण से बड़ी चिन्ता हुर्इ। अब उसने अपना ध्यान इस गुट के अंत करने की ओर विशेष Reseller से आकर्षित Reseller। इसी समय जर्मनी को पूर्वी समस्या में हस्तक्षपे करने तथा रूस को अपमानित करने का अवसर प्राप्त हुआ। 1908 र्इ. टर्की में Single आन्दोलन हुआ जो युवा तुर्क आन्दोलन के नाम से प्रसिद्ध है। शीघ्र ही आस्ट्रिया ने बॉस्निया तथा हर्जेगोविना अधिकार कर लिया। सर्बिया यह सहन नहीं कर सका और उसने Fight की तैयारी करना आरंभ कर दिया। उसको यह आशा थी कि आस्ट्रिया तथा जर्मनी के विरूद्ध रूस और इंगलैंड उसकी सहायता करने की उद्यत हो जायेगं ,े किन्तु रूस की अभी ऐसी स्थिति नहीं थी। आस्ट्रिया ने सर्बिया के साथ बड़ा कठोर व्यवहार Reseller जिसके कारण Fight का होना अनिवार्य सा दिखने लगा, किन्तु जब जर्मनी ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि यदि रूस सर्बिया की किसी प्रकार से सहायता करेगा, तो वह Fight में आस्ट्रिया की पूर्ण Reseller से सहायता करने को तैयार है। इस प्रकार Fight टल गया। इस समय रूस में इतनी शक्ति नहीं थी कि वह जर्मनी और आस्ट्रिया की सम्मिलित सेवाओं का सफलतापूर्वक सामना कर सकता। रूस को बाध्य होकर दब जाना पड़ा और जमर्न राजनीति बालकन प्रायद्वीप में सफल हुर्इ।

फ्रांस और रूस में समझौता

यद्यपि जर्मन-सम्राट विलियम बालकन प्रदेश में रूस को नीचा दिखलाने में सफल हुआ और वह अपने मित्र आस्ट्रिया की शक्ति का विस्तार तथा प्रभाव में वृद्धि करवा सका, किन्तु फिर भी वह फ्रांस, रूस और इंगलैंड के गुट से भयभीत बना रहा। उसने फ्रांस और रूस से मित्रता करने की ओर हाथ बढ़ाना आरंभ Reseller। 8 फरवरी 1909 र्इ. को उसने फ्रांस से Single समझौता Reseller जिसके According फ्रांस ने मोरक्को की स्वतंत्रता And अखण्डता के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया। जर्मनी ने मोरक्को की आन्तरिक Safty के संबंध में फ्रांस की असाधारण स्थिति मान ली। इधर निश्चित होकर जर्मनी ने अपना ध्यान रूस से समझातै ा करने की और आकषिर्त Reseller। जर्मनी ने रूस से नवम्बर 1910 में मेसोपोटामिया और फारस में अपने हितों के संबंध में समझौता Reseller, जिसके द्वारा ‘रूस ने जर्मनी को बर्लिन बगदाद रेलवे की योजना का विरोध न करने का वचन दिया और विलियम ने फारस में रूस के हितों की स्वीकृति प्रदान की।’’

मोरक्को का प्रश्न

उपरोक्त कार्यो द्वारा विलियम।। रूस, फ्रांस और इंगलैंड के गुट को निर्बल करने में सफल हुआ, किन्तु यह स्थिति अधिक काल तक स्थायी नहीं रह सकी। मोरक्को के प्रश्न का समाधान करने का प्रयत्न फ्रांस और जर्मनी द्वारा Reseller गया था, किन्तु दोनों समझौते की स्थिति से संतुष्ट नहीं थे। ‘मोरक्को की स्वतंत्रता’ तथा फ्रांस की पुलिस सत्ता में स्वाभाविक विरोध था जिसके कारण भविष्य में झगड़ा होना निश्चित था। फ्रांस मोरक्को को पूर्णतया अपने अधिकार में लाने पर तुला हुआ था और जर्मनी उसे राके ने या उसके बदले में उपयुक्त पुरस्कार प्राप्त करने पर कटिबद्ध था। 1911 र्इ. में मोरक्को में Single ऐसी घटना घटी जिसने यूरोप के प्रमुख राष्ट्रों का ध्यान उस ओर आकर्षित Reseller। मोरक्को में गृह-Fight की अग्नि प्रज्जवलित हुर्इ और मोरक्को का सुल्तान इस विद्रोह का दमन करने में असफल रहा। इस परिस्थिति के उत्पन्न होने पर फ्रांस ने आंतरिक Safty के लिए अपने उत्तरदायित्व का बहाना लेकर Single सेना भेजी, जिसने 21 मर्इ 1910 र्इ. को मोरक्को में विद्रोह का दमन करना आरंभ कर दिया। जर्मनी फ्रांस के इस प्रकार के हस्तक्षेप को सहन नहीं कर सका और जर्मनी के विदेशमंत्री ने घोषणा की कि ‘‘यदि फ्रांस को मोरक्को में रहना आवश्यक प्रतीत हुआ तो मोरक्को की पूर्ण समस्या पर पनु : विचार Reseller जायगे ा और एल्जीसिराज के Single्ट पर हस्ताक्षर करने वाली समस्त सत्ताओं को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की स्वतंत्रता पुन: प्राप्त हो जायेगी।’’ विद्रोहियों के दमन के उपरांत फ्रांस की सेनायें वापिस लौटने लगी, किन्तु इस पर भी जर्मनी ने अपने कड़ े व्यवहार में किसी प्रकार परिवर्तन करना उचित नहीं समझा। जुलार्इ 1910 र्इ. को जर्मनी ने घोषणा की कि उसने जर्मन हितों तथा जर्मन निवासियों की रक्षा के अभिप्राय से Single जंगी जहाज दक्षिणी मोरक्को के एजेडिर नामक बन्दरगाह पर भेज दिया। जर्मनी के इस व्यवहार ने बड़ी संकटमय परिस्थिति उत्पन्न कर दी और यह संभावना स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगी कि शीघ्र ही यूरोप के राष्ट्रों के मध्य Fight का होना अनिवार्य है।

अंत में फ्रांस और जर्मन के मध्य संधि हो गर्इ जो कि 4 नवम्बर 1911 को सम्पन्न हुर्इ, जिसके According यह निश्चय हुआ कि मोरक्को पर फ्रांस का संरक्षण पूर्ववत् बना रहे और जर्मनी को फ्रेंच कांगों का आधा प्रदेश प्राप्त हुआ। मोरक्को के प्रश्न पर जर्मनी को मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि रूस, फ्रांस और इंगलैंड का त्रिराष्ट्रीय गुट First की अपेक्षा अब अधिक दृढ़ तथा स्थार्इ हो गया था तथा जर्मनी और इंगलैंड के संबंध दिन-प्रतिदिन खराब होने आरंभ हो गए।

बाल्कन Fightों के प्रभाव

बाल्कन Fight यूरोपीय History में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं, क्योंकि बाल्कन प्रदेश के कारण ही यूरोप में First विश्वFight की ज्वाला प्रज्वलित हुर्इ। यद्यपि 1907 र्इ. तक समस्त यूरोप दो परस्पर विरोधी गुटों में विभक्त हो गया था। इन Fightों के दारै ान रूस और आस्ट्रिया का तनाव काफी बढ़ गया था। दोनों में सर्बिया विजयी रहा था और द्वितीय Fight में बल्गारिया का,े जिसका समर्थन आस्ट्रिया कर रहा था, बड़ी क्षति उठानी पड़ी थी। इस प्रकार बाल्कन Fightों से रूस तथा आस्ट्रिया के बीच तनाव बहुत बढ़ गया जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव उनके मित्र राष्ट्रों पर भी पड़ना स्वाभाविक ही था।

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